Salim ali Biography in Hindi – सलीम अली की जीवनी
Salim ali Biography in Hindi – सलीम अली की जीवनी
Salim ali Biography in Hindi
सलीम अली भारत के पहले ऐसे व्यक्ति बने, जिन्होंने पूरे भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण करवाया और उन्होंने पक्षियों पर किताबें भी लिखी, जिन किताबों ने भारत की पक्षी-विज्ञान के विकास में बहुत मदद की है। 1976 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।जिन्हें अक्सर “बर्ड मैन ऑफ़ इंडिया” के रूप में जाना जाता हैं. वह भारत और विदेशों में व्यवस्थित पक्षी सर्वेक्षण करने वाले पहले वैज्ञानिकों में से एक थे. उन्होंने पक्षियों पर कई किताबें भी लिखीं, जिन्होंने भारत में ऑर्निथोलॉजी को लोकप्रिय बनाने में मदद की. उनके अनुसंधान कार्य को ऑर्निथोलॉजी के विकास में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
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नाम (Name) | सलीम अली |
अन्य नाम (Name) | बर्डमैन |
जन्म (Birth Date) | 12 नवंबर 1896 |
जन्म स्थान (Birth Place) | बॉम्बे (अब मुंबई) |
पिता का नाम (Father Name) | मोइज़ुद्दीन |
पेशा (Profession) | पक्षी विज्ञानी |
राष्ट्रीय पुरुस्कार (National Awards) | पद्मश्री |
मृत्यु (Death Date) | 29 नवम्बर 2018 |
मृत्यु कारण (Death Causes) | कैंसर |
जन्म तथा शिक्षा | Early Life of Salim Ali
सलीम अली का जन्म 12 नवम्बर 1896 को बम्बई के खेताबाडी नामक स्थान पर हुआ | बचपन से ही सलीम की रूचि पक्षियों के संबध में जानकारी प्राप्त करने में रही | वह घंटो घंटो पक्षियों को देखते रहते थे | उनके रहन-सहन ,भोजन तथा उड़ान सभी कार्य-कलापों पर सलीम की दृष्टि रहती थी | वास्तव में उन्हें हवा में परवाज करते इन प्राणियो से बहुत प्रेम था | सलीम अली ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय पाठशालाओं और स्कूलो में की | यद्यपि उन्होंने कॉलेज में भी शिक्षा पाई किन्तु उनके पास विश्वविद्यालय की कोई डिग्री नही थी |
जिन दिनों सलीम कॉलेज में पढ़ रहे थे तब उन्हें अचानक अपने भाई के व्यापार में सहायता करने हेतु बर्मा जाना पड़ा | वह माइनिंग का व्यापार करते थे | बर्मा के जंगलो में सलीम अपने भाई की सहायता करने तो पहुच गये किन्तु कोई सहायता न कर सके | कारण ,वहा के स्वच्छ वातावरण में पल रहे परिंदे | सलीम पूरा दिन जंगलो में पक्षियों को देखते हुए भटकते रहते थे | विभिन्न प्रकार के पक्षियों ने उनका मन मोह लिया था | सलीम के भाई को उनका यह व्यवहार नागवार गुजरा और उन्होंने उन्हें बम्बई वापस भेज दिया | वह सन 1920 का दौर था | बम्बई वापस आकर 24 वर्षीय सलीम ने जन्तु विज्ञान में एक कोर्स किया |
गाइड के रूप में कार्य | Salim Ali as Guide
जन्तु विज्ञान में कोर्स करने के बाद उन्हें बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के संग्रहालय में एक गाइड के रूप में नियुक्त कर दिया गया | वे वहा पक्षियों को दिखाते थे और उनके विषय में जानकारी प्रदान करते थे | वही नौकरी करते हुए कुछ वर्ष बाद सलीम जर्मनी के प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डॉक्टर इरविन स्ट्रास मेन के सम्पर्क में आये | उनका ज्यादातर समय डॉक्टर इरविन के साथ ही बीतने लगा जिस कारण वे अपनी गाइड की नौकरी को पूरा समय नही दे पाए परिणामस्वरूप उनकी गाइड की नौकरी छुट गयी | चूँकि सलीम (Salim Ali) शादीशुदा व्यक्ति थे इसलिए उन्हें नौकरी की बहुत आवश्यकता थी |
लेखन कार्य और अनुसन्धान | Major Works of Salim Ali
नौकरी छुट जाने से सलीम अली (Salim Ali) को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा | सौभाग्य से उनकी पत्नी तहमीना अली का छोटा सा मकान था | सलीम अपने परिवार के साथ उसी घर में रहने लगे | उस घर के आहाते में एक पेड़ था जिस पर बया ने अपना घोंसला बना रखा था | पूरा दिन सलीम पेड़ के नीच बैठकर बया के कार्यकलापो को देखते रहते और एक डायरी में लिखते रहते | तत्पश्चात उन्होंने इसके उपर एक शोधपत्र प्रकाशित किया जो सन 1930 में उनकी नौकरी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ |
उन्होंने अपने अनुभवो के आधार पर 1941 में The Book of Indian Birds नामक पुस्तक लिखी | इस पुस्तक की बहुत बिक्री हुयी | इस पुस्तक में सलीम अली ने सभी भारतीय पक्षियों का विवरण प्रस्तुत किया | 1948 में सलीम अली ने विश्व प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डिप्लोन रिप्ले के साथ कार्य किया | इसके बाद उन्होंने पक्षियों से संबधित दुसरी पुस्तक लिखी “Handbook of the Birds of India and Pakistan” | सलीमा अली ने अपनी आयु के 65 वर्ष पक्षियों के संबध में जानकारी जुटाने हेतु सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया | उन्होंने पक्षी संरक्षण के अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया था |
बर्मा और जर्मनी में प्रवास
सलीम अली ने प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रहण की पर कॉलेज का पहला साल ही मुश्किलों भरा था .
जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और परिवार के वोलफ्रेम (टंग्सटेन) माइनिंग और इमारती लकड़ियों के व्यवसाय की देख-रेख के लिए टेवोय, बर्मा (टेनासेरिम) चले गए।
यह स्थान सलीम के अभिरुचि में सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि यहाँ पर घने जंगले थे जहाँ इनका मन तरह-तरह के परिन्दों को देखने में लगता।
लगभग 7 साल बाद सलीम अली मुंबई वापस लौट गए और पक्षी शास्त्री विषय में प्रशिक्षण लिया और बंबई के ‘नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ के म्यूज़ियम में गाइड के पद पर नियुक्त हो गये।
बहुत समय बाद इस कार्य में उनका मन नहीं लगा तो अवकास लेकर जर्मनी जाकर पक्षी विज्ञान में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया।
जब एक साल बाद भारत लौटे तब पता चला कि इनका पद ख़त्म हो चुका था। सलीम अली की पत्नी के पास कुछ रुपये थे जिससे उन्होंने बंबई बन्दरगाह के पास किहिम नामक स्थान पर एक छोटा सा मकान ले लिया।
Salim ali Biography Hindi
बर्डमैन ऑफ़ इंडिया
डॉ सलीम अली ने अपना पूरा जीवन पक्षियों के लिए समर्पित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली परिंदों की ज़ुबान समझते थे।
उन्होंने पक्षियों के अध्ययन को आम जनमानस से जोड़ा और कई पक्षी विहारों की तामीर में अग्रणी भूमिका निभाई।
उन्होंने पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों के बारे में अध्ययन के लिए देश के कई भागों और जंगलों में भ्रमण किया।
कुमाऊँ के तराई क्षेत्र से डॉ अली ने बया पक्षी की एक ऐसी प्रजाति ढूंढ़ निकाली जो लुप्त घोषित हो चुकी थी। साइबेरियाई सारसों की एक-एक आदत की उनको अच्छी तरह पहचान थी।
उन्होंने ही अपने अध्ययन के माध्यम से बताया था कि साइबेरियन सारस मांसाहारी नहीं होते, बल्कि वे पानी के किनारे पर जमी काई खाते हैं।
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वे पक्षियों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते थे और उन्हें बिना कष्ट पहुंचाए पकड़ने के 100 से भी ज़्यादा तरीक़े उनके पास थे।
पक्षियों को पकड़ने के लिए डॉ सलीम अली ने प्रसिद्ध ‘गोंग एंड फायर’ व ‘डेक्कन विधि’ की खोज की जिन्हें आज भी पक्षी विज्ञानियों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
जर्मनी के ‘बर्लिन विश्वविद्यालय’ में उन्होंने प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक इरविन स्ट्रेसमैन के देख-रेख में काम किया।
उसके बाद सन 1930 में वे भारत लौट आये और फिर पक्षियों पर और तेजी से कार्य प्रारंभ किया।
देश की आज़ादी के बाद डॉ सलीम अली ‘बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी’ (बीएनएसच) के प्रमुख लोगों में रहे। भरतपुर पक्षी विहार की स्थापना में उनकी प्रमुख भूमिका रही।
सलीम अली पुरस्कार और उपलब्धियां (Salim Ali Awards and Achievements)
- भारत सरकार ने उन्हें 1958 में पद्म भूषण और 1976 में पद्म विभूषण पुरूस्कार से अलंकृत किया था.
- सलीम अली 1967 में ब्रिटिश ऑर्निथोलॉजिस्ट यूनियन के स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश नागरिक थे.
- उन्हें 1969 में नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के जॉन सी फिलिप्स स्मारक पदक प्रदान किया था.
- 1973 में, यू.एस.एस.आर. एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज ने उन्हें पावलोवस्की शताब्दी मेमोरियल पदक प्रदान किया गया.
मृत्यु
लम्बे समय से प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे 91 वर्षीय सलीम अली का निधन 27 जुलाई 1987 में मुंबई में हुआ।