12-biology

bihar board 12 biology | जीव तथा समष्टियाँ

bihar board 12 biology | जीव तथा समष्टियाँ

 [ ORGANISMS AND POPULATIONS ]
     महत्त्वपूर्ण तथ्य
•अनुकूलन – जीव को कोई एक ऐसा गुण जो उसे अपने आवास में जीवित बने रहने और जनन करने के योग्य बनाता है ।
• जन्म दर – समष्टि में जन्मी वह संख्या जो दी गई अवधि के दौरान आरंभिक घनत्व में जुड़ती है । •मृत्यु दर – दी गई अवधि में समष्टि में होने वाली मौतों की संख्या ।
•आप्रवासन – उसी जाति के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समय अवधि के दौरान आवास में कहीं और से आए हैं ।
•उत्प्रवासन – समष्टि के व्यष्टियों की वह संख्या है जो दी गई समयावधि के दौरान आवास छोड़कर कहीं और चले गए हैं ।
•सहभोजिता – ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न लाभ होता है और न हानि । उसे सहभोजिता कहते हैं । • •सहोपकारिता – ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है , सहोपकारिता कहलाती है । .
•परभक्षण / परजीविता – ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी को हानि ।
• समष्टि – किसी प्रजाति के किसी एक निश्चित स्थान अथवा क्षेत्र में एक निश्चित समय पर रह रहे व्यष्टि परस्पर मिलकर समष्टि कहलाते हैं ।
• समुदाय – सभी जीव एक – दूसरे पर निर्भर होते हैं और परस्पर मिलकर एक अगली इकाई . समुदाय बनाते हैं ।
•जलमंडल / स्थलमंडल / वायुमंडल / जीवमंडल – पृथ्वी पर थल , जल और वायु सजीव जीवधारियों को सहारा प्रदान करते हैं । जल का क्षेत्र जलमंडल बनाता है । पृथ्वी की सतह और सागरों के नीचे भी जो क्षेत्र मृदा तथा चट्टानों के हैं , वे स्थलमंडल बनाते हैं । पृथ्वी की सतह के ऊपर की वायु का क्षेत्र वायुमंडल कहलाता है । ये तीनों भाग मिलकर जो परिवेश प्रदान करते हैं , उसे जीवमंडल कहते हैं । • •पोषण स्तर – खाद्य श्रृंखला के प्रत्येक उस चरण को , जिस पर ऊर्जा का स्थानांतरण हो रहा हो , पोषण स्तर कहते हैं । .
•भू – रासायनिक चक्र – चूँकि द्रव्य निर्जीव से सजीव की ओर और फिर वापस निर्जीव की ओर एक लगभग वृत्ताकार पथ के रूप में प्रवाहित होते हैं , इसलिए ऐसे चक्र को जैव भू – रासायनिक चक्र कहते हैं ।
     NCERT पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
अभ्यास ( Exercises )
1. शीत निष्क्रियता ( हाइबर्नेशन ) से उपरति ( डायपाज ) किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – कुछ जातियों ने स्थान प्रवासन अथवा समय ( शीत निष्क्रियता और उपरति हाइबर्नेशन और डायपाज ) में प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए अनुकूलन विकसित कर लिए हैं । जैसे – शीत ऋतु में भालुओं का शीतनिष्क्रियता में जाना तथा उस समय पलायन से बचाव करने का जाना पहचाना मामला है । प्रतिकूल परिस्थिति में झीले और तालाबों में प्राणिप्लवक ( जूप्लैंकटन ) की अनेक जातियाँ उपरति ( डायपाज ) में आ जाती हैं जो निलंबित परिवर्तन की एक अवस्था है ।
2. अगर समुद्री मछली को अलवणजल ( फ्रेशवाटर ) की जल जीवशाला ( एक्वेरियम ) में रखा जाए तो वह मछली जीवित रह पाएगी ? क्यों और क्यों नहीं ?
उत्तर – नहीं , एक समुद्री मछली अलवणजल की जल जीवशाला में परासरण नियमन के कारण जीवित नहीं रह जाती है क्योंकि जलीय प्राणियों के लिए जल की गुणवत्ता ( रासायनिक योग , pH ) बहुत महत्वपूर्ण होती है । समुद्र के पानी की लवण सांद्रता सामान्य अलवणीय जल ( फ्रेशवाटर ) की तुलना में बहुत उच्च होती है ।
3. लक्षण प्ररूपी ( फीनोटाइपिक ) अनुकूलन की परिभाषा दीजिए । इस एक उदाहरण भी दीजिए । उत्तर – कुछ जीवों के अनुकूलन कार्यिकीय ( फीनोटाइपिक ) होते हैं जिसकी वजह से वे दबावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति शीघ्र अनुक्रिया करते हैं यदि हम कभी उच्च अक्षांस ( altitudes ) वाले क्षेत्र में जाएँ तो ( 3,500 मी ० से अधिक , मनाली के पास रोहताग दर्रा , तिब्बत में मानसरोवर ) तो हम ‘ तुंगता बीमारी ‘ का अनुभव करेंगे । इस बीमारी के लक्षण हैं मिचली , थकान और हृदय स्पंदन में वृद्धि । इसका कारण यह है कि उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों में वायुमंडलीय दाब कम होता है इसलिए शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती । कुछ समय बाद धीरे – धीरे हम पर्यानुकूलित ( एक्लेमिटाइज्ड ) हो जाते हैं और हमें तुंगता बीमारी नहीं होती । इस समस्या का समाधान हमारा शरीर कम ऑक्सीजन उपलब्ध होने की क्षतिपूर्ति लाल रुधिर कोशिका का उत्पादन बढ़ाकर , हीमोग्लोबिन की बंधनकारी क्षमता घटाकर और श्वसन दर बढ़ाकर कर लेता है ।
4. अधिकतर जीवधारी 45 ° सेंटी से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते । कुछ सूक्ष्मजीव ( माइक्रोव ) ऐसे आवास में जहाँ तापमान 100 ° सेंटी से अधिक है , कैसे जीवित रहते हैं ?
उत्तर – कुछ जीव तापमानों के व्यापक परास ( चरम ) सहन कर सकते हैं और उसमें खूब बढ़ते हैं ये पृथुताजापी / यूरीथर्मल कहलाते हैं । ऐसे जीव 100 ° सेमी से अधिक तापमान पर जी सकते हैं । तापमान जीव के एंजाइमों की बलगति ( काइनेटिक्स ) को प्रभावित पर जी सकते हैं और इसके आधारी उपापचय , जीव के अन्य फीनोटाइप प्रकार्यों तथा उसकी गतिविधियों को प्रभावित करता है।
5. उन गुणों को बताइए कि व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं ?
उत्तर – समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि जीव में नहीं होते । व्यष्टि जन्मता और मरता है लेकिन समष्टि में जन्म दरें और मृत्यु दरें होती हैं । समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यक्ति जन्म दर और मृत्यु दर कहते हैं । इसलिए इस दर को समष्टि के सदस्यों के संबंधों में संख्या में परिवर्तन ( वृद्धि या ह्रास ) के रूप में प्रकट किया गया है ।
   समष्टि का दूसरा विशिष्ट गुण लिंग अनुपात यानि नर एवं मादा का अनुपात है । व्यष्टि या तो नर है या मादा है लेकिन समष्टि का लिंग अनुपात है ( जैसे कि समष्टि में 60 प्रतिशत स्त्री हैं और 40 प्रतिशत नर हैं ) ।
6. अगर चरघातांकी रूप से ( एक्सपोनेन्शियली ) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है , तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर ( r ) क्या है ?
उत्तर – जब समष्टि चरघांताकी ( एक्सपोनेन्शियली ) अथवा ज्यामितीय ( ज्योमेट्रिकल ) शैली में वृद्धि करती है । अगर N साइज की समष्टि में , जन्म दरें ( कुल संख्या नहीं , बल्कि प्रति व्यक्ति जन्म ) b के रूप में और मृत्यु दरें ( प्रति व्यक्ति मृत्यु दर )d के रूप में निरूपित की जाती है तब इकाई समय अवधि ( dN / dt ) के दौरान वृद्धि या कमी निम्नलिखित होगी-
                   dN/dt = ( b – d ) xN
मान लीजिए ( b – d ) = r , तब
                            dN/dt= rN
‘ r ’प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर कहलाती है । यदि समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर 3r होगी ।
7. पादपों में शाकाहारिता ( हर्विवोरी ) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ बताइए ।
उत्तर – पादपों ने शाकाहारियों से बचने के लिए आश्चर्यजनक रूप से आकारिकीय और रासायनिक रक्षाविधियाँ विकसित कर ली हैं । रक्षा के सबसे सामान्य आकारिकीय साधन काँटे ( ऐकेंशिया , कॅक्टस ) । बहुत से पादप ऐसे रसायन उत्पन और भंडारित करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं , पाचन का संदमन करते हैं , उनके जनन को भंग कर देते हैं या मार देते हैं । आपने परित्यक्त खेतों में उग रही कैलोट्रोपिस खरपतवार अवश्य देखी होगी । यह पौधा अत्यधिक विपैला ग्लाकोसाइड उत्पन्न करता है और इसी कारण इसे किसी पशु या बकरी को इस पौधे को चरते हुए नहीं देखा है । रासायनिक पदार्थों की व्यापक किस्में जिन्हें हम पौधों से व्यापारिक पैमाने पर निष्कासित करते हैं ( निकोटीन , कैफीन , क्वीनीन , स्ट्रिकनीन , अफीम आदि ) । वे पादप द्वारा उत्पन्न होते हैं । वास्तव में ये रसायन चारकों ( ग्रेजर ) से बचने की रक्षाविधियाँ हैं ।
8. आकिंड पौधा , आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है । ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे ?
उत्तर – यह सहभोजिता है । यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न हानि न लाभ होता है । आम की शाखा पर अधिपादप ( एपीफाइट ) के रूप में उगने वाले ऑर्किड और खेल की पीठ को आवास बनाने वाले बर्निकल को फायदा होता है जबकि आम के पेड़ और ह्वेल को उनसे कोई लाभ नहीं होता ।
9. कीट पीड़कों ( पेस्ट / इंसेक्ट ) के प्रबंध के लिए जैव – नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है ?
उत्तर – कीट पीड़कों ( पेस्ट / इंसेक्ट ) के प्रबंध के लिए जैव – नियंत्रण विधि के पीछे परभक्षी की शिकार – नियंत्रण योग्यता पर आधारित पारिस्थितिक सिद्धांत है ( based on the prey- regulating ability of the predator ) ।
10. निम्नलिखित के बीच अंतर कीजिए-
( क ) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता ( हाइबर्नेशन एंड एस्टीवेशन )
( ख ) बाहोष्मी तथा अंतरोष्मी ( एक्टोथर्मिक एंड एंडोथर्मिक )
उत्तर- ( क ) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता में अंतर – कुछ जीव शीत ऋतु के कुप्रभाव से बचने के लिए कुछ समय के लिए अधिक अनुकूल क्षेत्रों में चले जाते हैं । इसे शीत निष्क्रियता कहते हैं । कुछ जीव ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कुप्रभाव से बचने के लिए अधिक अनुकूली क्षेत्रों में चले जाते हैं । जैसे गर्मी की अवधि में व्यक्ति दिल्ली से शिमला चला जाए । इसे ग्रीष्म निष्क्रियता कहते हैं ।
( ख ) बाह्योष्मी और अंतरोष्मी ( एक्टोथर्मिक एंड एंडोथर्मिक ) में अंतर-
बाह्योष्मी – शीत रुधिर वाले जीवों में अपने वातावरण के अनुसार अपने शरीर का तापमान बनाए रखने की क्षमता होती है । बहुत सारे सक्रिय बाह्योष्मी जीव जैसे – मेंढक , सर्प आदि अपने शरीर की ऊष्मा को बनाए रखने के लिए गतिशील रहते हैं।
 अंतरोष्मी – ऊष्म रुधिर धारी जन्तु जैसे पक्षी तथा मनुष्य अपने शरीर की क्रियात्मकता द्वारा एक निश्चित तापमान बनाए रखते हैं । बाह्य तापीय उतार – चढ़ाव का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
11. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी ( नोट ) लिखिए-
( क ) मरुस्थल पादपों और प्राणियों का अनुकूलन । ( ख ) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन । ( ग ) प्राणियों में व्यावहारिक ( बिहेवियोरल ) अनुकूलन ।
( घ ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व ।
( ङ ) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन ।
उत्तर- ( क ) मरुस्थल पादपों और प्राणियों का अनुकूलन – अनेक मरुस्थलीय पौधों की पत्तियों की सतह पर मोटी उपत्वचा ( क्यूटिकल ) होती है और उनके रंध्र ( स्टोमैटा ) गहरे गर्त में व्यवस्थित होते हैं , ताकि वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल की न्यूनतम हानि हो । उनके प्रकाश संश्लेषी मार्ग भी विशेष प्रकार के होते हैं जिसके कारण वे अपने रंध्र दिन के समय बंद रख सकते हैं । कुछ मरुस्थली पादपों जैसे नागफनी , कैक्टस आदि में पत्तियाँ नहीं होती बल्कि वे कांटे के रूप में रूपांतरित हो जाती हैं और प्रकाश – संश्लेषण का प्रकार्य चपटे तनों द्वारा होता है ।
  जल के बाह्य स्रोत न होने पर उतरी अमेरिका के मरुस्थल में कंगारू – चूहा अपनी जल की आवश्यकता की पूर्ति अपनी आंतरिक वसा के ऑक्सीकरण से पूरी करने में सक्षम हैं । इसमें अपने मूत्र को सांद्रित करने की क्षमता भी है जिससे उत्सर्जी पदार्थों को हटाने के लिए जल के न्यूनतम आयतन काम में लाई जाती है ।
( ख ) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन – मरुस्थलीय पौधों में जल की कमी के प्रति पादपों के प्रकाश संश्लेषी ( सीएएम ) मार्ग भी विशेष प्रकार के होते हैं जिसके कारण वे अपने रंध्र दिन के समय बंद रख सकते हैं । कुछ मरुस्थलीय पादपों जैसे नागफनी ( ओपशिया ) , कैक्टस आदि में पत्तियाँ नहीं होती बल्कि वे कांटे के रूप में रूपांतरित हो जाती हैं और प्रकाश – संश्लेषण का प्रकार्य चपटे तनों द्वारा होता है।
( ग ) प्राणियों में व्यावहारिक ( बिहेवियोरल ) अनुकूलन – कुछ जीवों के अनुकूलन कार्यिकीय होते हैं जिसकी वजह से वे दबावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति शीघ्र अनुक्रिया करते हैं और कुछ समय के लिए अधिक अनुकूल स्थानों पर चले जाते हैं । मौसम ठीक होने पर वे फिर अपने घर लौट आते हैं।
( घ ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व – सभी पौधे अपना भोजन प्रकाश – संश्लेषण क्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं । प्रकाश – संश्लेषण किया तभी संभव है जब ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में सूर्य का प्रकाश उपलब्ध हो । इसलिए , पादपों के लिए प्रकाश बहुत महत्त्वपूर्ण है ।
( ङ ) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन – तापमान पारिस्थितिक रूप से सबसे ज्यादा प्रासंगिक पर्यावरणीय कारक है । पृथ्वी पर औसत तापमान ऋतु के अनुसार बदलता रहता है । भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर और मैदानों से पर्वत शिखरों की ओर उत्तरोत्तर घटता रहता है । ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तापमान अवशून्य से लेकर ग्रीष्म में ऊष्ण कटिबंधी मरुस्थलों में 50 डिग्री सेंटी० से अधिक पहुँच जाता है । आम के पेड़ कनाडा और जर्मनी जैसे शीतोष्ण देशों में नहीं होते हैं और न ही हो सकते हैं । हिम चीते केरल के जंगलों में नहीं मिलते और ट्यूना मछली महासागर में शीतोष्ण अक्षांशों से आगे कभी – कभार ही पकड़ी जाती है । तापमान एंजाइमों की बलगति को प्रभावित करता है और इसके द्वारा आधारी उपापचय , जीव के अन्य कार्यिकीय प्रकार्यों तथा उसकी गतिविधियों को प्रभावित करता है । कुछ जीव तापमानों के व्यापक चरम बिन्दु ( 100 ° सेटी. से भी अधिक ) को सहन कर सकते हैं लेकिन अधिकांश तापमानों की कम चरण सीमा में ही रहते हैं ।
12. अजीवीय ( एबायोटिक ) पर्यावरणीय कारकों की सूची बनाइए ।
उत्तर – बहुत ही महत्त्वपूर्ण अजीवीय पर्यावरणीय कारकों के नाम इस प्रकार हैं-
( i ) तापमान ( ii ) जल , ( iii ) मृदा , ( iv ) प्रकाश ।
13. निम्नलिखित का उदाहरण दीजिए-
( क ) आतपोद्भिद ( हेलियोफाइट )
( ख ) छायोद्भिद् स्कियोफाइट
( ग ) सजीवप्रजक ( वेविपेरस ) अंकुरण वाले पादप ( घ ) अंतरोष्मी ( एंडोथर्मिक ) प्राणी ।
( च ) बायोमी ( एक्टोथर्मिक ) प्राणी
( छ ) नितलस्थ ( बॅथिक ) जोन का जीव ।
उत्तर- ( क ) गेहूँ , आम आदि सूर्य के प्रकाश में उगने वाला पौधा ,
( ख ) कंघी पॉम ( Comb pam ) छाया में उगने वाला पौधा ,
( ग ) चना ( Gram ) ,
( घ ) फीता – कृमि ( Tapeworm ) ,
( च ) जुएँ ( Lice ) ,
( छ ) मृदा में रहने वाले जीव स्क्यूवैड ( Squid ) । 14. समष्टि ( पॉपुलेशन ) और समुदाय ( कम्युनिटी ) की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर – समष्टि ( Population ) – प्रकृति में , हमें किसी भी जाति के पृथक् , एकल व्यष्टि के दर्शन बहुत ही कम होते हैं , उनमें से अधिकांश सुपरिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में समूह में रहते हैं , समान संसाधनों का साझा उपयोग करते हैं अथवा उनके लिए प्रतियोगिता करते हैं , संकरण करते हैं और इस प्रकार वे समष्टि की रचना करते हैं ।
15. निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक – एक उदाहरण दीजिए-
( क ) सहभोजिता ( कमेंसेलिज्म ) ।
( ख ) परजीविता ( पैरासिटिज्म ) ।
( ग ) छद्मावरण ( कैमुफ्लॉज ) ।
( घ ) सहोपकारिता ( म्युचुऑलिज्म ) ।
( च ) अंतरजातीय स्पर्धा ( इंटरस्पेसिफिक कंपीटीशन ) ।
उत्तर- ( क ) सहभोजिता – ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न लाभ होता है न हानि । उसे सहभोगिता कहते हैं । जैसे – शार्क मछली की पीठ पर बैठी जुड़ी चूषक मछली । चूषक मछली को अच्छे भोजन की प्राप्ति तथा परभक्षी से सुरक्षा मिलती हैं । लेकिन शार्क अप्रभावित रहती है ।
( ख ) परजीविता – परपोषी की बाह्य पृष्ठ पर आहार पूर्ति करने वाले परजीवी बाह्य परजीवी कहलाते हैं जैसे – मानव का सिर पर जूं के संग्रह । अमरबेल एक परजीवी पौधा है जो सामान्यत : बड़े पादपों पर वृद्धि करता है । अंतः परजीवी परपोषी के शरीर में भिन्न स्थलों यकृत , वृक्क , फुप्फुस , लाल रुधिर कोशिका आदि पर रहते हैं ।
( ग ) छद्मावरण – प्रकृति में परभक्षी ‘ विवेकी ‘ हैं । परभक्षण के प्रभाव को कम करने के लिए शिकारी जातियों ने विभिन्न रक्षा विधियाँ विकसित कर ली हैं । कीटों और मेंढकों की कुछ जातियों परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने के बचने के लिए गुप्तरूप से रंगीन ( छद्मावरण ) होती हैं ।
( घ ) सहोपकारिता – जैविक समुदाय की दो जातियों के बीच पारस्परिक लाभ हेतु सहजीवन होता है । यह एक क्रियात्मक साहचर्य हैं । जब पारस्परिक क्रिया करने वाली दो जातियाँ अतिनिकटता के साथ रहती हों तो इसे सहोपकारिता कहते हैं । जैसे – पादपों को अपने करने और बीजों के प्रकीर्णन के लिए प्राणियों की सहायता चाहिए । इसी प्रकार कवकों और उच्च कोटि पादपों की जड़ों के बीच कवकमूल साहचर्य है । कवक , मृदा से अत्यावश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण में पादपों की सहायता करते हैं जबकि बदले में पादप , कवकों को ऊर्जा उत्यादी कार्बोहाइड्रेट देते हैं । ( च ) अंतरजातीय स्पर्धा – जैव विकास में अंतरजातीय स्पर्धा एक शक्तिशाली बल माना जाता है । आमतौर पर यह माना जाता है कि स्पर्धा उस समय शुरू होती है जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उन्हीं संसाधनों के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं । स्पर्धा को एक ऐसे प्रक्रम के रूप में परिभाषित कर सकते है , ” जिसमें एक जाति की योग्यता दूसरी जाति की उपस्थिति में महत्त्वपूर्ण रूप से जाती है । ” जैसे – दक्षिण अमेरिका की कुछ उथली झीलों में आगंतुक फ्लेमिंगों और वहीं की आवासी मछलियाँ साझा आहार , झील में प्राणिप्लवक के लिए स्पर्धा करती हैं ।
16. उपयुक्त आरेख ( डायाग्राम ) की सहायता से लॉजिस्टिक ( संभार तंत्र ) समष्टि ( पॉपुलेशन ) वृद्धि का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – संभार तंत्र ( लॉजिस्टिक ) वृद्धि – प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित संसाधन नही होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे । इसके कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है । आखिर में ‘ योग्यतम् ‘ व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा । अनेक देशों की सरकारों ने भी इस तथ्य को समझा है और मानव समष्टि वृद्धि को सीमित करने के लिए विभिन्न प्रतिबंध लागू किए हैं । प्रकृति में , दिए गए आवास के पास अधिकतम संभव संख्या के पालन – पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं । इससे आगे और वृद्धि संभव नहीं है । उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता ( K ) मान लेते हैं । किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरंभ में पश्चता प्रावस्था ( लैग फेस ) दर्शाती है । उसके बाद त्वरण और मंदन और अंतत : अनंतस्पर्शी प्रावस्थाएं आती हैं , जब समष्टि धनत्व पोषण क्षमता तक पहुंच जाती है । समय ( t ) के संदर्भ में N का आरेख ( प्लॉट ) से सिग्मॉइड वन बन जाता है । इस प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्तुस्ट पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि ( चित्र ) कहलाती है और निम्नलिखित समीकरण द्वारा वर्णित है-
जहाँ N = समय t पर समष्टि घनत्व ,
r = प्राकृतिक वृद्धि की ( इंट्रीन्जिक ) दर ,
K = पोषण क्षमता
अधिकांश प्राणियों की समष्टियों में वृद्धि के लिए संसाधन परिमित ( फाइनाइट ) हैं और देर – सवेर सीमित होने वाले हैं , इसलिए लॉजिस्टिक वृद्धि मॉडल को अधिक यथार्थपूर्ण माना जाता है।
            चित्र : समष्टि वृद्धि वक्र
( अ ) जब अनुक्रियाएँ वृद्धि को सीमित करने वाली नहीं हैं तब आरेख चरघातांकी है
( ब ) जब अनुक्रियाएँ वृद्धि के लिए सीमाकारी हैं तब आरेख लॉजिस्टिक है ,
            ( K ) पोषण क्षमता है
17. निम्नलिखित कथनों में परजीविता ( पैरासिटिज्म ) को कौन – सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है-
( क ) एक जीव को लाभ होता है ।
( ख ) दोनों जीवों को लाभ होता है ।
( ग ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है ।
( घ ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है ।
उत्तर- ( घ ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है ।
18. समष्टि ( पॉपुलेशन ) की कोई तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि जीव में नहीं होते । व्यष्टि जन्मता और मरता है । लेकिन समष्टि में जन्म दरें और मृत्यु दरें होती हैं । समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यक्ति जन्म और मृत्यु दर कहते हैं । इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों के संबंधों में संख्या में परिवर्तन ( वृद्धि या ह्रास ) के रूप में प्रकट किया जाता है । उदाहरण के लिए अगर किसी तालाब में पिछले साल कमल के 20 पौधे थे और जनन द्वारा 8 नए पौधे और हो जाते हैं जिससे वर्तमान समष्टि 28 हो जाती है , तो हम जन्म दर को 8/20 = 0.4 संतति प्रति कमल प्रतिवर्ष के हिसाब से परिकलन ( कैल्कुलेट ) करते हैं । अगर प्रयोगशाला समष्टि में 40 फलमक्खियों में से 4 व्यष्टि किसी विशिष्टीकृत समय अंतराल में , मान लीजिए एक सप्ताह के दौरान मर जाते हैं तो उस समय के दौरान समष्टि में मृत्यु दर 4/40 = 0.1 व्यष्टि प्रति फलमक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी । समष्टि का दूसरा विशिष्ट गुण लिंग अनुपात यानि नर एवं मादा का अनुपात है । व्यष्टि या तो नर है या मादा है , लेकिन समष्टि का लिंग अनुपात होता है ( जैसे कि समष्टि का 60 प्रतिशत स्त्री है और 40 प्रतिशत नर है )।
 चित्र : मानव समष्टि के लिए आयु पिरामिडों का निरूपण ।
किसी दिए गए समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है । अगर समष्टि के लिए आयु वितरण ( दी गई आयु अथवा आयु वर्ग के व्यष्टियों का प्रतिशत ) आलेखित ( प्लॉटेड ) किया जाता है तो बनने वाली संरचना आयु पिरामिड कहलाती है ( चित्र ) । मानव समष्टि के लिए आयु पिरामिड आमतौर पर नर और स्त्रियों की आयु का वितरण संयुक्त आरेख को दर्शाता है । पिरामिड का आकार समष्टि की स्थिति या प्रतिबिंबित दर्शाता है- ( क ) क्या यह बढ़ रहा है , ( ख ) स्थिर है या , ( ग ) घट रहा है ।
चित्र : स्त्रियों का आयु वितरण संयुक्त आरेख को दर्शाता है । पिरामिड का आकार समष्टि की स्थिति प्रतिबिंबित दर्शाता है।
( क ) क्या यह बढ़ रहा है , ( ख ) स्थिर है , या ( ग ) घट रहा है ।
 परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
    I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
1. पर्यावरण के घटक हैं
( a ) जैव घटक
( b ) अजैव घटक
( c ) ( a ) और ( b ) दोनों
( d ) उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर- ( c ) ( a ) और ( b ) दोनों ।
2. प्राथमिक अनुक्रमण किससे प्रारंभ होता है ?
( a ) लाइकेन
( b ) शाक
( c ) वृक्ष
( d ) जन्तु
उत्तर- ( a ) लाइकेन ।
3. निम्नलिखित के समूह को समष्टि कहते हैं
( a ) जीव
( b ) अंग
( c ) तंत्र
( d ) ऊत्तक
उत्तर- ( a ) जीव ।
4. समष्टि निर्धारण की जाती है
( a ) समय
( b ) स्थान तथा समय
( c ) जीवों की संख्या , स्थान , समय
( d ) जीवों की संख्या , स्थान , समय ।
उत्तर- ( c ) जीवों की संख्या , स्थान , समय ।
5. दो जीवों का साहचर्य जिसमें दोनों को एक – दूसरे से लाभ होता है , कहलाता है
( a ) परजीविता
( b ) उत्प्रेरण
( c ) विरोध
( d ) सहजीविता
उत्तर- ( d ) सहजीविता ।
6. ऐसा संबंध जिसमें एक या दोनों जातियों के जीवों को लाभ पहुंचता है और किसी को हानि नहीं होती है
( a ) सहजीविता
( b ) जीवोम
( c ) उदासीनता
( d ) परजीविता
उत्तर- ( a ) सहजीविता ।
7. जीवों तथा पर्यावरण के बीच होने वाली प्रतिक्रिया के अध्ययन को कहते हैं
( a ) पारिस्थितिक तंत्र
( b ) पारिस्थितिकी
( c ) लिग्नोलॉजी
( d ) ऑटिकोलॉजी
उत्तर- ( b ) पारिस्थितिकी ।
8. अधिक जनसंख्या वाले अधिक शहर नदियों के तट पर स्थित होते हैं क्योंकि
( a ) स्वच्छ जल बहुतायत से प्राप्त होता है
( b ) मृदा उपजाऊ होती है
( c ) मृदा उपजाऊ होती है और स्वच्छ जल प्राप्त होता रहता है
( d ) परिवार के लिए सस्ते साधन उपलब्ध होते हैं उत्तर- ( c ) मृदा उपजाऊ होती है और स्वच्छ जल प्राप्त होता रहता है ।
9. कम तापमान पर रहने वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
( a ) तनुलवणी
( b ) यूरोहेलाइन
( c ) तनुतापी
( d ) यूरीथर्मल
उत्तर- ( c ) तनुतापी ।
10. अगर कोई प्राणी शीत ऋतु में प्रवास नहीं कर पा रहा है । वह कम तापमान के दबाव से बचने के लिए कुछ समय के लिए पलायन कर जाता है । यह क्रिया क्या कहलाती है ?
( a ) शीत निष्क्रियता
( b ) ग्रीष्म निष्क्रियता
( c ) उपरति
( d ) प्रसुप्ति
उत्तर- ( a ) शीतनिष्क्रियता ।
11. कुछ प्राणी ग्रीष्म ऋतु के प्रकोप से बचने के लिए कुछ समय के लिए पलायन कर जाते हैं । यह क्रिया क्या कहलाती है ?
( a ) उपरति
( b ) शीत निष्क्रियता
( c ) ग्रीष्म निष्क्रियता
( d ) प्रसुप्ति
उत्तर- ( c ) ग्रीष्म निष्क्रियता ।
   II . रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
 1 . …………. और ………..मिलकर प्रमुख जीवोम का निर्माण करते हैं जैसे कि मरुस्थल , वर्षा वन और टुंड्रा ।
2. पृथ्वी पर औसत तापमान ……. के अनुसार बदलता रहता है ।
3. पृथ्वी पर जीवन……… से ही जन्मा था और यह बिना पानी के अपने आप में इसका प्रतिपालन नहीं हो पाता ।
4. विभिन्न स्थानों में मृदा की…….और………… भिन्न – भिन्न होते हैं ।
5 . …………. एक प्रकार का व्यायाम है जिससे ऊष्मा पैदा होती है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है । उत्तर -1 . परिवर्तन , वर्षण , 2. ऋतु , 3. पानी , 4 . प्रकृति , गुण , 5 . काँपना ।
III . निम्नलिखित में से कौन – सा कथन सत्य है और कौन – सा असत्य है :
1. ताप , प्रकाश , जल और मृदा पर्यावरण के सबसे महत्त्वपूर्ण भौतिक कारक हैं जिनके प्रति जीव विभिन्न प्रकार से अनुकूलित हैं ।
2. प्राकृतिक वरण द्वारा विकासीय परिवर्तन समष्टि स्तर पर होता है और इसलिए समष्टि पारिस्थितिकी , पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है ।
3. स्पर्धा में उत्तम स्पर्धा घटिया स्पर्धी को विलुप्त कर देता है ।
4. परभक्षण और परजीविता में एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी जाति को हानि होती है ।
5. प्रकृति में सहोपकारिता के कुछ सबसे आकर्षक मामले पादप – परागणकारी पारस्परिक क्रिया में देखे जा सकते हैं ।
6. प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीनिजक दर r किसी समष्टि की वृद्धि करने की जन्मजात शक्ति की माप है । उत्तर – 1.सत्य , 2 , सत्य , 3. सत्य , 4. सत्य , 5. सत्य , 6. सत्य ।
IV . स्तंभ- I में दिए गए पदों का स्तंभ- II पदों के साथ सही मिलान करें :
           अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जीवों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर – विभिन्न स्तरों की संरचना के फलस्वरूप जीवों का निर्माण होता है ।
प्रश्न 2. समष्टि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – कोई भी समष्टि ( Population ) जीवों द्वारा निर्मित होती है , जो एक विशिष्ट क्षेत्र में एक ही निश्चित अवधि में रहते हैं ।
प्रश्न 3. जन्म दर क्या है ?
उत्तर – निश्चित समय में जन्म ।
प्रश्न 4. मर्त्यता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – मृत्यु दर ।
प्रश्न 5. अन्तरजातीय स्पर्धा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – स्थान के लिए , एक ही जाति के जीवों में प्रतिस्पर्धा होने पर इसे प्रादेशिक ( अंतरजातीय स्पर्धा ) स्पर्धा कहते हैं ।
प्रश्न 6. मानव जनसंख्या को प्रभावित करने वाले कारक कौन – कौन – से हैं ?
उत्तर – भौगोलिक , सामाजिक एवं आर्थिक तथा साख्यिकीय आदि कारक मानव जनसंख्या को प्रभावित कर सकते हैं ।
प्रश्न 7. भौगोलिक कारक कौन – कौन से हैं ?
उत्तर – जलवायु , जल , मृदा , ऊर्जा तथा खनिज स्रोत आदि भौगोलिक कारक हैं ।
प्रश्न 8. जाति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – आपस में संकरण या संयोग करने वाले जीवों की जनसंख्या या समष्टि जाति कहलाती हैं । प्रश्न 9. समुदाय किसे कहते हैं ?
उत्तर – एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र या वास – स्थान में निवास करने वाली विभिन्न समष्टियों के समूह को समुदाय कहते हैं ।
प्रश्न 10. समुदाय के मुख्य लक्षण क्या – क्या होते हैं ?
उत्तर – संरचना , स्तरण , पोषण , आत्म – निर्भरता , वृद्धि तथा समुदाय आवर्तिता आदि समुदाय के मुख्य लक्षण हैं ।
प्रश्न 11. सहजीविता क्या है ?
उत्तर – सहजीविता के अंतर्गत एक या दोनों ही जीवों को लाभ होता है । इनमें से किसी को कोई हानि नहीं होती है ।
प्रश्न 12. परजीविता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – परजीविता के अंतर्गत एक जीव दूसरे जीव पर स्थान तथा पोषण के लिए निर्भर करता है । इसमें एक को लाभ तथा दूसरे को हानि होती है । प्रश्न 13. अंतरपजीवी से आप क्या तात्पर्य रखते हैं ? उत्तर – वे परजीवी जो पोषक के शरीर के अंदर अपना समय व्यतीत करते हैं , जैसे – एण्टअमीबा , प्लाज्मोडियम आदि ।
प्रश्न 14. अनुहरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जीव किसी दूसरे जीव या आधार से समानता बनाएँ और अपने शत्रुओं से बचा रहे जैसे – केरोशियम , मैन्टीस आदि ।
प्रश्न 15. अनुकूलन क्या है ?
उत्तर – यह जीव का ऐसा गुण है जो उसे अपने आवास में जीवित बने रहने और जनन करने के योग्य बनाता है ।
प्रश्न 16. सहोपकारिता क्या है ?
उत्तर – इस पारस्परिक क्रिया से परस्पर क्रिया करने वाली दोनों जातियों को लाभ होता है ।
प्रश्न 17. एक परजीवी पौधे का नाम बताइए ।
उत्तर – अमरबेल ( कस्कुटा ) एक परजीवी पौधा है। लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. छद्मावरण तथा अनुहरण के बीच अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर – कुछ कीटों , सरीसृपों तथा स्तनधारियों में परिवेश के साथ सम्मिश्रित होने की क्षमता होती है । उनके शरीर पर चिह्न होने से उन्हें छाया या टहनियों या समूह के दूसरे सदस्यों से भेद करना कठिन होता है ।
   अनुहरण में दो जातियाँ एक जैसी दिखती हैं । इसमें एक परभक्षी होता है । अनुहारक प्रति परभक्षी चिह्न के कारण परभक्षी के विरुद्ध सुरक्षात्मक उपाय करता है । जैसे – आदिदारुक तितली , वाइसरॉय तितली द्वारा अनुहारित होती है ।
प्रश्न 2. निम्न शब्दों को परिभाषित करें-
( क ) अधिगमन ,
( ख ) समतापमंडल ,
( ग ) समुदाय तथा
( घ ) जीवमंडल ।
उत्तर- ( क ) अधिगमन – जीव एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लंबी दूरी या कम दूरी का संचालन करते हैं । कई जीव जो कि उड़ान भरते हैं या तैरते हैं , वे विस्तृत अभिगमन को अपनाते हैं ।
( ख ) समतापमंडल – वायुमंडल में 30-50 किमी तक क्षोभमंडल के ऊपर का भाग समतापमंडल कहलाता है । इसमें जीवनरक्षणी ओजोन की परत पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती हैं ।
( ग ) समुदाय – पौधों , प्राणियों , जीवाणुओं तथा कवकों की जनसंख्याओं का एकत्रीकृत समूह जो एक ही क्षेत्र में रहता है तथा आपस में पारस्परिक क्रिया करती है । समुदायों में एक खास प्रजाति की बनावट की संरचना करती है ।
( घ ) जीवमंडल – भूमंडलीय स्तर पर पृथ्वी पर स्थित सभी स्थलीय तथा जलीय पारितंत्र मिलकर जीवमंडल तथा संरचना होती है ।
प्रश्न 3. व्याख्या करें कि पर्यावरणीय कारकों के प्रति सहनशीलता , जातियों के वितरण को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ?
उत्तर – पर्यावरणीय कारकों की न्यूनतम तथा अत्यधिकता के बीच की सीमा में ही जीवों की उपस्थिति तथा बाहुल्यता होती है । इस संध्यता सीमा के ऊपर या नीचे अर्थात् वृद्धि या कमी से जीवों की वृद्धि तथा वितरण अवरुद्ध होता है । अधिक ऊँचाई पर तापमान कम होने पर तथा सहारा मरुस्थल पर अत्यधिक तापमान , दोनों ही स्थिति में जंतु तथा पौधों का वितरण प्रभावित होता है । इनकी संख्या में जंतु तथा पौधों का वितरण प्रभावित होता है । इनकी संख्या यहाँ अत्यंत कम है। पर्यावरणीय कारकों ( तापमान , सौर प्रकाश या पोषक सांदता ) के साथ किसी जीव की प्रतिवेदन करने की प्रवणता को घंटीनुमा वक्र के रूप में उद्धृत किया जाता है । कारकों की इष्टतम सीमा में जीव अधिकतम योग्यता , वृद्धि तथा उत्तरजीविता दर्शाते हैं । प्रतिबल क्षेत्र में केवल कुछ जीव ही जीवित रह पाते हैं , लेकिन वे प्रजनन नहीं कर पाते हैं । असह्य परिवेश में जीवाणुओं की उपथिति नहीं होती है ।
 जीवों का वितरण अधिक सीमा तक हो सकता है , यदि वे विस्तृत सहनशीलता रखते हों परन्तु उनका वितरण सीमित हो सकता है यदि उनकी सहनशीलता की सीमा संकीर्ण हो ।
प्रश्न 4. पौधे , जलाभाव तथा लवणीय पर्यावरण के प्रति किस प्रकार अनुकूलित होते हैं ?
उत्तर – जलाभाव में पौधों का अनुकूलन – जलाभाव वाली गर्म मरुभूमि में पौधों में इफिमीरल की स्थिति पाई जाती है । जैसे – राजस्थान के मरुभूमि क्षेत्रों में बहुत से वार्षिक पौधे बीज से अंकुरित होकर अपना जीवन चक्र वर्षा ऋतु में जल्दी – जल्दी पूरा करते हैं तथा शुष्क मौसम में बीज के रूप में जीवित रहते हैं। कुछ पौधों की गहरी अपसारण जड़ें होती हैं , जो शुष्क मौसम में जल पटल तक पहुंच जाती हैं जिससे गहरी भूमि से जल अवशोषित करना संभव होता है । कनेर में रंध्र गर्त में डुबे हुए होते हैं । पत्ते छोटे होते है , रंध्र डुबे हुए चर्निल सतह वाले पत्ते तथा क्युटिकल मोमदार होते हैं , जिससे कम वारष्पोत्सर्जन होता है ।
  लवणयुक्त पर्यावरण में अनुकूलता – लवणमृदोद्भिद पौधे गर्म तथा नम परिस्थिति में गूदेदार हो जाते हैं तथा कोशिकाओं , तनों तथा पत्तियों में तनु आयन सांदता वाली लवण को संचित कर लेते हैं । जैसे – प्रोलाइन तथा सोरबिटोल ।
उच्च लवण सांद्रता तथा परासरणी विभव परिस्थिति के योग्य बनने के लिए कई मैग्नोव पौधों में उच्च कार्यनिक विलेय स्तर होता है ।
  कुछ अपनी कोशिकाओं में ग्लिसरॉल संचित रखते हैं ताकि लवणीय परिस्थिति को सहन कर सकें । श्वसनमूल ,O2 प्राप्ति हेतु अनुकूलन है । मैंग्रोव की कई जातियों में छायादार तथा अवस्तंभ मूल , जरायुजता , पौधों को बीज अंकुरण के समय लवणता के प्रभाव से बचाते हैं ।
प्रश्न 5. जलोद्भिद् पौधों में अनुकूलन के लक्षण बताएं।
उत्तर – जलोद्भिद् पौधे पानी में या तो पूर्णरूपेण या आंशिक रूप से डूबे रहते हैं अंत : इनमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
फूले हुए पर्णवृत – जैसे आइक हॉर्निया । ये पौधे जल की सतह पर तैरते रहते हैं ।
पर्णवृतों में वायु की उपस्थिति – यह उत्प्लावकता प्रदान करता है । प्रकाश – संश्लेषण के दौरान उत्पन्न ( O2 ) का स्थानांतरण वायु कोशिका द्वारा होता है । अल्प – विकसित जड़ तंत्र – वुलफिया , सालबिनिया आदि स्वतंत्र रूप से तैरनेवाले जलोद्भिदों में जल अनुपस्थित होता है । हाइड्रिला में अल्पविकसित तथा निफिया में जड़ होता है ।
हवा निकास प्रणाली – जलमग्न पौधों में बाहर उपस्थित पर्णवृत्तों के द्वारा वातावरण से गैसों को बदलने में मदद करती है ।
प्रश्न 6. जनसंख्या तथा समुदाय के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – किसी जाति के कुल सदस्यों की संख्या जो किसी खास भौगोलिक क्षेत्र में किसी खास समय में रहते हैं । जनसंख्या कहलाती है । एक जनसंख्या समूह की विशेषता उसका घनत्व , जन्म दर , मृत्यु दर तथा उन होती है , एक जनसंख्या सदस्य आपस में संकरण करने की क्षमता रखते हैं ।
विभिन्न प्रजातियों की जनसंख्या जो एक ही क्षेत्र में रहती है तथा एक – दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती है , जैविक समुदाय कहलाती है । वस्तुतः यह विभिन जातियों की विविध प्रकार की जनसंख्या का समाहार है ।
प्रश्न 7. बाह्य परजीवी और अंत : परजीवी में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
प्रश्न 8. जीवों में अनुहरण का उदाहरण दीजिए । उत्तर – जीवों में कमजोर जाति के सदस्य , मजबूत जातियों के सदस्य जिनके दुश्मन कम तथा जो तेज गति वाले होते हैं , अनुहरण की प्रक्रिया अपनाते हैं । जैसे – विषहीन सर्प , विषैले सों के प्रति इस प्रक्रिया को अपनाकर दुश्मनों में अपनी रक्षा करते हैं।
प्रश्न 9. अजैविक अवयव और जैविक अवयव के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
प्रश्न 10. पारिस्थितिक दक्षता क्या है ? इसके महत्त्व को बताएं ।
उत्तर – किसी जीव का अपने भोजन स्रोतों के दोहन तथा उस भोजन को जीवभार में परिवर्तित करने की क्षमता , पारिस्थितिक दक्षता प्रदर्शित करती है । इन अनुपातों का परिकलन , ऊर्जा प्रवाह के पंपों के विभिन्न जगहों पर ऊर्जा के निर्गत से निवेश के बीच संबंध तय करता है । दक्षता को प्रतिशत में व्यस्त करने के लिए इन अनुपातों को 100 से गुणा किया जाता है । प्रकाश संश्लेषी दक्षता सीधी और विकिरण को उपयोग करने की क्षमता का मापन करती है । किसी जीव की पारिस्थितिक दक्षता को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-
पारिस्थितिक दक्षता = पोषण स्तर पर जैवभार उत्पादन में ऊर्जा/पूर्व पोषण स्तर पर जैवभार उत्पादन में ऊर्जा x100
     दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1. पर्यावरणीय कारकों की व्याख्या करें तथा पौधों तथा प्राणियों के प्रति उनका वा महत्त्व है ? उत्तर – पर्यावरणीय कारक जैसे – तापमान , जल , प्रकाश , आर्द्रता , हवा , ( PH ) मृदा , आदि पौधों तथा प्राणियों की बनावट , जीवन – चक्र , शरीर क्रिया विज्ञान और उनके व्यवहार पर प्रभाव डालते हैं । उनके विकास तथा प्रजनन पर भी प्रभाव पड़ता है-
( i ) तापमान – जन्तुओं के कार्यात्मक तथा व्यवहारात्मक परिवर्तन हेतु तापमान अत्यंत महत्त्व भूमिका निभाता है । पादपों में प्रकाश – संश्लेषण तथा श्वसन में आने वाले अंतर , तापमान के उत र – चढ़ाव से आसानी से जुड़े होते हैं ।
( ii ) जल – जीवों की जल पर निर्भरता इस बात पर निर्भर करती है कि उस जीव का शरीर कि ना जल संरक्षित करता है । शुष्क स्थल पर रहने वाले जीव जल – संरक्षण अधिक कर सकते हैं । जैसे – कैक्टस , ऊँट ।
( iii ) प्रकाश – हरे पौधों तथा प्रकाश – संश्लेषी बैक्टीरिया हेतु प्रकाश अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है । समु चत मात्रा में प्रकाश प्राप्ति हेतु पौधों में अनेक प्रकार का अनुकूलन पाया जाता है ।
( iv ) आर्द्रता – जीव के शरीर की सतह से जल का वाष्पोत्सर्जन या जल – हानि की दर को प्रभावित करती है । इससे सूखे के प्रति सहनशीलता प्रभावित होती है ।
( v ) वायु – पादप के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण कारक है । मजबूत जड़ तथा तने वाले यौधे ही तेज वायु में खड़े रह सकते हैं । बीज तथा बीजाणुओं के परिवहन में वायु मदद करती है ।
( vi ) PH- मिट्टी तथा स्वच्छ जलयुक्त तालाबों में पादपों के वितरण को प्रभावित करता है । PH में परिवर्तन के प्रति पौधे बहुत संवदेनशील होते हैं । ( vii ) मृदा – मृदा पौधों के वितरण हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है । पौधे कुछ खास पोषक की मृदा से कमी की स्थिति में विशेष प्रकार की प्रक्रिया अपनाते हैं । नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणुओं का फलीदार ( दालयुक्त ) पौधों की जड़ों में निवास इसका अच्छा उदाहरण है ।
( viii ) स्थलाकृति – स्थलाकृतियाँ जीवों के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । झरने के मध्य तथा किनारे , पर्वत की चोटी तथा पर्वत के नीचे , बर्फ से ढंके ध्रुवीय भाग तथा मैदानी भाग सभी जगह जीवों की प्रजाति में विभिन्नता पाई जाती है । प्रश्न 2. प्राणियों में विभिन्न प्रकार का अनुकूलन क्या है ? उपयुक्त उदाहरण द्वारा व्याख्या करें ।
उत्तर- ( i ) प्रवास – एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में , प्राणियों द्वारा अभिगमन नए भोजन स्थल की तलाश में कई बार कम दूरी तो कई बार हजारों मील का चक्कर प्रतिवर्ष लगता है । मौसम के असह्य होने तथा भोजन की खोज में प्रवास होता है ।
( ii ) छद्मावरण – कुछ प्राणी परिवेश के साथ घुल – मिल जाने की क्षमता रखते हैं । इसके लिए उनके शरीर पर चिह्न होते हैं । जैसे – कीट , सर्प , कुछ स्तनधारी ।
( iii ) शीत / ग्रीष्म निष्क्रियता – अभिगमन में असक्षम कुछ प्राणी प्रतिकूल मौसम में शरीर क्रियात्मक सुसुप्तावस्था में चले जाते हैं ।
( iv ) अनुहरण – दो जातियाँ एक – दूसरे जैसी दिखती हैं । अनुहारक परभक्षी के लिए स्वादिष्ट तथा प्रतिरूप परभक्षी के लिए स्वादहीन होता है ।
यह दो प्रकार का होता है-
( a ) बेटसी- सुरक्षाहीन अनुहरक प्रतिरूप जैसे चिन्ह जो परभक्षी के विरुद्ध सुरक्षात्मक उपाय रखता है
( b ) भ्यूलर- अनुहारक प्रतिरूप जैसा सुरक्षात्मक उपाय दर्शाता है।
( v ) चेतावनी रंजन – दक्षिणी अमेरिका उष्णकटिबंधीय वर्षा प्रचुर वन के चमकीले रंग वाले तथा अत्यधिक विषैले प्रासक मेंढक ( फाइलॉबेट्स बाइकलर , डेंड्रॉबैट्स पुमोलियो ) परभक्षी द्वारा आसानी से पहचाने जाते हैं तथा उससे बचाए जाते हैं ।
( vi ) जलाभाव के प्रति अनुकूलन – मरुस्थलीय प्रदेशों के प्राणी जलहास को यथासंभव निम्न करने तथा मरुस्थलीय परिस्थिति के प्रति अनुकूलता की नीति अपनाते हैं । कंगारू चूहा ठोस मूत्र उत्सर्जित कर जल संरक्षण करता है । वह जन्म से मृत्यु तक बिना पानी पीये भी जीवित रह सकता है । ऊंट मितव्ययता से जल का उपयोग करता है तथा शरीर के तापमान में अत्यधिक उतार – चढ़ाव के प्रति सहिष्णुता दिखाता है । विपरीत परिस्थिति में भी रुधिरयारा की आदता बनाए रखने में समर्थ होता है।
( vii ) शीत के प्रति अनुकूलता – अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों के कुछ प्राणी प्रतिदिन पदार्थों द्वारा शीत सहनशील प्रक्रिया अपनते हैं । हिम केंद्रीय प्रोटीन बहुत ही कम अवशून्य तापमानों पर कोशिका बाह्य स्थानों में हिम नर्माण को प्रेरित करता है । ग्लिसरॉल प्रतिहिम प्रोटीन को जमाकर शरीर के तरल को हिमांकर नीचे ले आते हैं । वे ( 0 ° C ) से नीचे के पर्यावरणीय तापमान को सहन कर सकते हैं ।
प्रश्न 3. जैविक समुदाय में होने वाली तीन प्रकार की पारस्परिक क्रियाओं का वर्णन करें ।
उत्तर- ( i ) सहोपकारिता – जैविक समुदाय की दो जातियों के बीच पारस्परिक लाभ हेतु सहजीवन होता है । यह एक क्रियात्मक साहचर्य होता है । जब पारस्परिक क्रिया करने वाली दो जातियाँ अतिनिकटता से साथ रहती हैं तो इसे सिम्बियोसिस ( Symbiosis ) कहते हैं । जैसे – दाल कुल के पौधों की जड़ों में रहने वाला बैक्टीरिया – राइजोबियम । सहोपकारिता को समुद्री एनीमोन तथा हर्मिट केकड़े के उदाहरण द्वारा दर्शाया जा सकता है । कम गतिशील समुद्री एनीमोन केकड़ों के कवच के ऊपर स्थित होकर विस्तृत परिक्षेपण करता है ।
( ii ) सहभोजिता – दो जातियों के बीच ऐसा संबंध जिसमें एक जाति लाभान्वित होती है , जबकि दूसरी जाति को न लाभ होता है न हानि । जैसे शार्क के पृष्ठ फिन के द्वारा जुड़ी चूषक मछली । चूषक मछली को अच्छे भोजन की प्राप्ति तथा परभक्षी से सुरक्षा मिलती है किन्तु शार्क अप्रभावित होता है । ( iii ) प्रतियोगिता – एक ही जाति के दो सदस्यों ( आंतरजातीय ) या दो जातियों ( अंतराजातीय ) के सदस्यों के बीच प्रकाश , भोजन , आवास तथा प्रजनन हेतु पारस्परिक क्रिया होती है । इसमें दोनों जातियों की वृद्धि तथा उनके बीच उत्पादन घट जाता है । सामान्यतया अंतराजातीय प्रतियोगिता , अंतराजातीय प्रयियोगिता से ज्यादा उग्र होती है ।

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