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bseb class 12 history | एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

bseb class 12 history | एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

7.                             (लगभग चौदहवीं से सोलहवीं सदी तक)
                    AN IMPERIAL CAPITAL : VIJAYANAGARA
                         (C. Fourteenth to Sixteenth Century)
                                         महत्वपूर्ण तथ्य एवं घटनायें
● हम्पी : 17-18वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य उजड़ गया था पर कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब
क्षेत्र के निवासियों की स्मृति में जीवित रहा । उन्होंने इसे हम्पी नाम से याद रखा ।
● पम्पा देवी : यह हम्पी क्षेत्र की एक स्थानीय देवी थी । इसी के नाम पर इस क्षेत्र का नाम
हम्पी पड़ा।
●1800 ई. : कॉलिन मैकेन्जी द्वारा विजयनगर की यात्रा किया गया ।
●1856 ई. : अलेक्जेंडर ग्रनिलो ने हम्पी के पुरातात्विक अवशेषों के विस्तृत चित्र लिये।
●1876 ई. : पुरास्थल की मंदिर की दीवारों के अभिलेखों का जे. एफ. फ्लीट द्वारा प्रलेखन
आरंभ हुआ।
● विजयनगर साम्राज्य की स्थापना : हरिहर और बुक्का दो भाइयों द्वारा 1336 ई. में किया गया।
● गजपति : 15वीं शताब्दी में उड़ीसा के एक शक्तिशाली राजवंश का नाम था ।
● विजयनगर के विशाल मंदिर : तंजावुर के तृदेश्वर मंदिर, बेलूर के चन्तकेशव मंदिर ।
विजयनगर के राजवंश : संगम वंश, सुलुव वंश, तुलुव वंश ।
●1512 ई. : कृष्णदेव राय द्वारा रायचूर, दोआब पर अधिकार ।
●1514 ई. : कृष्णदेव राय द्वारा उड़ीसा के शासक का दमन ।
●1520 ई. : बीजापुर के सुल्तान को कृष्णदेव राय द्वारा हराया गया ।
●1529 ई. : कृष्णदेव राय की मृत्यु ।
●1565 ई. : तालीकोट का युद्ध हुआ जिससे विजयनगर के शासक पराजित हुए ।
●अमुक्तमल्यद : कृष्णेव राय तेलुगु भाषा में लिखी एक कृति ।
● नायक : विजयनगर सेना प्रमुखों को नायक कहा जाता था जो तेलुगु या कन्नड भाषा बोलते थे।
● अमर नायक : ये सैनिक कमांडर होते थे ।
● हिरिया नहर : इनमें तुंगभद्रा पर बने बांध से पानी लिया जाता था और सिंचाई के लिए .
प्रयोग किया जाता था ।
● अब्दुर रज्जाक : फारस के शासक द्वारा कालीकट भेजा गया एक राजदूत ।
● बरबोसा : 16वीं शताब्दी का एक पुर्तगाली यात्री था ।
● महानवमी डिबिया : विजयनगर शहर का सबसे ऊंचे स्थान पर बना मंच जिसका
आधार 11000 वर्ग फीट था।
● विरूपाक्ष : विजयनगर का एक संरक्षक देवता माना जाता था ।
● हिन्दू सूरतराणा : हिन्दू सुल्तान को हिन्दू सूरतराणा कहते थे ।
●1976 : हम्पी को राष्ट्रीय महत्व के स्थल के रूप में मान्यता मिली ।
                    एन.सी.आर.टी. पाठ्यपुस्तक एवं कुछ अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
(NCERT Textbook & Some Other Important Questions for Examination)
                                                    बहुविकल्पीय प्रश्न
                                      (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1. दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई थी:
(क) 1526 में
(ख) 1206 में
(ग) 1326 में
(घ) 1406.में                                    उत्तर-(ख)
प्रश्न 2. बहमनी राज्य की स्थापना हुई थी:
(क) 1347 में
(ख) 1247 में
(ग) 1447 में
(घ) 1547 में                                      उत्तर-(क)
प्रश्न 3. उड़ीसा के गजपति राज्य की स्थापना हुई थी:
(क) 1535
(ख)1435
(ग) 1635
(घ) 1235                                          उत्तर-(ख)
प्रश्न 4. अहमदनगर, बीजापुर तथा बराद सल्तनतों का उदय हुआ था :
(क) 1490
(ख)1590
(ग) 1690
(घ) 1390                                          उत्तर-(क)
प्रश्न 5. पुर्तगालियों द्वारा गोवा पर विजय प्राप्त की गयी थी:
(क) 1310
(ख)1410
(ग) 1510
(घ) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं ।                   उत्तर-(ग)
प्रश्न 6. बहमनी राज्य का विनाश हुआ था :
(क) 1518 में
(ख)1618 में
(ग) 1418 में
(घ) 1318 में                                          उत्तर-(क)
प्रश्न 7. यवन शब्द जिस भाषा का है, वह है:
(क) हिन्दी
(ख) हिन्दवी
(ग) संस्कृत
(घ) अपभ्रंश                                              उत्तर-(ग)
प्रश्न 8. विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक खोज थी :
(क) अमर-नायक प्रणाली
(ख) अमर-गायक प्रणाली
(ग) मुक्त प्रणाली
(घ) इक्ता-प्रणाली                                        उत्तर-(क)
प्रश्न 9. मान्यतानुसार अमर शब्द का आविर्भाव संस्कृत के जिस शब्द से हुआ, वह है :
(क) मगर
(ख) समर
(ग) कमर
(घ) रकम                                                  उत्तर-(ख)
प्रश्न 10. फारस के शासक द्वारा अब्दुर रज्जाक को कालीकट जिस शताब्दी में भेजा
गया, वह थी:
(क) पंद्रहवीं
(ख) चौदहवीं
(ग) अठारहवीं
(घ) सोलहवीं                                             उत्तर-(क)
प्रश्न 11. यात्री बरबोसा का सम्बन्ध था :
(क) फ्रांस से
(ख) पुर्तगाल से
(ग) नीदरलैंड से
(घ) इंग्लैंड से                                                उत्तर-(ख)
12. विजय नगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?          [B.M.2009A]
(क) 1336 ई. में
(ख) 1236 ई. में
(ग) 1136 ई. में
(घ) 1436 ई. में                                    उत्तर-(क)
13. ‘आंध्र भोज’ किस विजयनगर शासक को कहा जाता था ? [B.M. 2009A]
(क) हरिहर प्रथम को
(ख) वीर नरसिंह को
(ग) कृष्ण देव राय को
(घ) किसी को नहीं                                  उत्तर-(ग)
14. हम्पी नगर किस साम्राज्य से संबंधित है ?                    [B.M.2009A]
(क) मौर्य साम्राज्य से
(ख) गुप्त साम्राज्य से
(ग) बहमनी साम्राज्य से
(घ) विजयनगर साम्राज्य से                        उत्तर-(घ)
15. हम्पी के भग्नावशेषों को प्रकाश में लाया-                      [B.M.2009A]
(क) कालिन मैकन्जी ने
(ख) अब्दुल रज्जाक ने
(ग) सुर्ख बुखारी ने
(घ) जी० एस० धौ ने                                उत्तर-(क)
16. ‘तेनालीराम’ का संबंध किस राजवंश से है ?                  [B.M.2009A]
(क) अहमद नगर
(ख) विजय नगर
(ग) बीजापुर
(घ) गोलकुण्डा                                        उत्तर-(ख)
17. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की?
                              [B.Exam./B.M.2009A,B.Exam.2013 (A)]
(क) हरिहर एवं बुक्का
(ख) देव राय प्रथम
(ग) कृष्ण देव राय
(घ) सदाशिवराय                                        उत्तर-(क)
18. हम्पी को यूनेस्को द्वारा विश्व पुरातत्व स्थल किस वर्ष घोषित किया गया ? [B.M.2009A]
(क) 1856 में
(ख) 1876 में
(ग) 1902 में
(घ) 1986 में                                             उत्तर-(घ)
19. विजय नगर में अमर-नायक किन्हें कहा जाता था ? [B.M.2009A]
(क) घोड़ों के व्यापारियों को
(ख) धार्मिक प्रधान को
(ग) नगर प्रशासक को
(घ) सैनिक कमांडर को                                 उत्तर-(घ)
20. विजयनगर का महानतम् शासक कौन था ? [B.Exam.2010, 2012 (A)]
(क) वीर नरसिंह
(ख) कृष्णदेव राय
(ग) अच्युत राय
(घ) सदाशिव राय                                        उत्तर-(ख)
21. “गोपुरम्” का सम्बन्ध है-          [B.Exam.2010 (A), B.Exam.2012(A)]
(क) गाय से
(ख) नगर से
(ग) व्यापार से
(घ) मंदिर से                                              उत्तर-(घ)
22. चोलों की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई कौन थी? [B.Exam.2011 (A)]
(क) उर
(ख) मंडलम
(ग) वलनाडू
(घ) कुर्रम                                                उत्तर-(क)
                                                अति लघु उत्तरीय प्रश्न
                                (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. विजयनगर राज्य की स्थापना कैसे हुई ?
उत्तर-विजयनगर राज्य की स्थापना दो भाइयों-हरिहर और बुक्का ने की । मुहम्मद तुगलक
के काल में दक्षिण भारत में विद्रोह का लाभ उठाकर उन्होंने 1336 ई. इसको स्वतंत्र घोषित कर दिया।
प्रश्न 2. बहमनी राज्य की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर-बहमनी राज्यों की स्थापना अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1247 ई. में की । यह मुस्लिग
राज्य था।
प्रश्न 3. महमूद खाँ कौन था ?
उत्तर-यह बहमनी शासक मुहम्मदशाह तृतीय का प्रधानमंत्री था । इसने बहमनी राज्य को
शक्तिशाली बनाने में बहुत अधिक सहयोग दिया । उसने कोंकण, संगमेश्वर, उड़ीसा आ.
विजयनगर के शासकों को हराया, उसने सेना को संगठित किया और किसानों की सहायत की।
वह विद्वानों और कलाकारों का आदर करता था । उसका अन्त बड़े दुःखद ढ़ग से हुआ ।
प्रश्न 4. तालीकोट का युद्ध कब और कहाँ हुआ?
उत्तर-(i) 23 जनवरी, 1565 को।
(i) रक्षसी और तगड़ी ग्रामों के मध्य ।
प्रश्न 5. विजयनगर का नाम हम्पी कैसे पड़ा?
उत्तर-(i) इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुआ था।
(ii) यद्यपि यह नगर 17-18वीं शताब्दी में उजड़ गया था, परन्तु स्थानीय निवासियों ने हम्पी
नाम से इसकी यादें ताजी रखी।
प्रश्न 6. विजयनगर के शासकों को उत्तरी सीमा पर किन राज्यों से संघर्ष करना पड़ा
और क्यों?
उत्तर-(i) विजयनगर के शासकों को अपने समकालीन राजाओं-दक्कन के सुल्तान तथा
उड़ीसा के गजपति शासक से संघर्ष करना पड़ा ।
(ii) ये उर्वर घाटियों तथा यहाँ के लाभकारी विदेशी व्यापार पर कब्जा करना चाहते थे ।
प्रश्न 7. पुर्तगालियों के आगमन से पूर्व भारत के अन्य देशों से सम्बन्धों की विवेचना
कीजिए।
उत्तर-वास्को-डि-गामा, पहला पुर्तगाली था जो 1498 ई. में कालीकट की बन्दरगाह पहुँचने
में सफल हुआ । इसके बाद (अगले कोई 100 वर्षों में) 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली भारत के
पश्चिमी तट पर अपना एक छोटा-सा साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुए ।
उनके आने से पहले भारत के मिस्र, अरब, ईरान, ईराक, सीरिया आदि देशों के साथ बड़े
घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे । भारत के गर्म मसाले, जड़ी-बूटियाँ आदि अरब व्यापारियों के
माध्यम से दोनों स्थल और जल मार्गों से यूरोप के जेनोवा, वेनिस आदि बन्दरगाहों तक पहुँच जाते थे और उधर भारत में घोड़े और ऐश्वर्य की सामग्री आती थीं।
प्रश्न 8. भारत में पुर्तगालियों को एक दृढ़ शक्ति बनाने में अलबुकर्क की क्या भूमिका रही?
उत्तर-अलबुकर्क भारत में पुर्तगाली बस्तियों का वायसराय 1509 से 1515 ई. तक रहा ।
उसने पुर्तगाली शक्ति को दृढ़ करने के लिए अनेक कार्य किये ।
(i) उसने बीजापुर के सुल्तान से 1510 ई. में गोआ छीन लिया और उसे भारत में पुर्तगाली
साम्राज्य की राजधानी बनाया ।
(ii) उसने एशिया और अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण ठिकानों पर किलों का निर्माण किया और
पूर्वी व्यापार पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया ।
प्रश्न 9. क्या तुर्को तथा पुर्तगालियों के मध्य का संघर्ष अपरिहार्य था? भारत के व्यापार
पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-तुर्कों और पुर्तगालियों के मध्य का संघर्ष अपरिहार्य था क्योंकि हिन्द महासागर पर
दोनों में से एक का प्रभुत्व स्थापित हो सकता था । बिना आपसी संघर्ष इस बात का निश्चय नहीं हो सकता था कि पूर्वी देशों के साथ व्यापार पर किन का प्रभुत्व स्थापित हो । तुर्कों और पुर्तगालियों में समुद्रों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अनेक झड़पें हुईं जिनमें अन्त में तुर्कों को पराजय का मुंह देखना पड़ा । भारत पर इस संघर्ष का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा । भारतीय नाविक जो पहले अन्य देशों से स्वतंत्र रूप से व्यापार कर लेते थे वह समाप्त हो गया । अब उनके जहाज डुबो दिए जाते थे और उन्हें मार दिया जाता था ।
प्रश्न 10. विजयनगर के तीन राजवंश कौन-से थे?
उत्तर-(i) संगम वंश-1336 से 1485 ई. तक शासन किया ।
(ii) सुलव वंश-1485 से 1503 ई. तक कब्जा जमाया ।
(iii) तुलुव वंश-1503 से 1565 ई. तक शासन किया ।
प्रश्न 11. अमर नायक प्रणाली क्या थी? इसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर-(i) यह विजयनगर साम्राज्य की प्रमुख राजनीतिक प्रणाली थी । अमर नायक सैनिक
कमांडर था जिन्हें राय (विजयनगर के शासकों की उपाधि) द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र
दिये जाते थे।
(ii) इस प्रणाली के कई तत्व दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से लिये गये थे।
प्रश्न 12. नायकर कौन थे?
उत्तर-नायकर व्यवस्था विजयनगर राज्य में थी । नायकर वस्तुतः भू-सामन्त थे जिन्हें राजा
वेतन के बदले में अधीनस्थ सेना के रख-रखाब के लिए एक विशेष भूखण्ड देता था ।
प्रश्न 13. दक्षिण के राज्यों में संघर्ष का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-(i) दक्षिण के शासक अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे ।
(ii) वे अपने राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए दूसरे राज्यों पर आक्रमण करते थे।
प्रश्न 14. विजयनगर और बहमनी राज्य के पतन के दो कारण बताइये ।
उत्तर-(i) दोनों राज्य अपने विस्तार के लिए एक-दूसरे से युद्ध करते रहते थे।
(ii) दोनों राज्य रायचूर, दोआब पर अधिकार करने के लिए लालायित थे ।
प्रश्न 15. विजयनगर के शासकों में कृष्णदेव राय को महानतम् शासक क्यों माना जाता है?
उत्तर-(i) वह एक महान् योद्धा था और उसने विजयनगर की सेनाओं को अभूतपूर्व रूप
से शक्तिशाली बनाया जिसमें वह दक्षिण की सबसे शक्तिशाली सेना बन गयी।
(ii) वह एक महान् निर्माता था । विजयनगर के पास उसने एक नया शहर बसाया तथा वहाँ
एक भव्य तालाब का निर्माण करवाया ।
प्रश्न 16. उन विदेशी यात्रियों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने विजयनगर शहर की यात्रा
की?
उत्तर-(i) निकालीदकाँनती-यह इतालवी व्यापारी था ।
(ii) अब्दुर रज्जाक-यह फारस के राजा का राजदूत था ।
(iii) अफानासी निकितिन-यह रूस का व्यापारी था ।
इन सभी ने 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की ।
(iv) 15वीं शताब्दी से दुआर्ते बरबोसा, डोमिंगो पेस तथा पुर्तगाल के फनीबो नूलिज ने भारत
की यात्रा की।
प्रश्न 17. कमलपुरम् जलाशय के बारे में क्या जानते हैं ?
उत्तर-(i) विजयनगर का क्षेत्र शुष्क क्षेत्र था । अत: जल को सुरक्षित रखने के लिए हौज
या जलाशय बनाये जाते थे इनमें सबसे प्रसिद्ध कमलपुरम् हौज था ।
(ii) इस जलाशय से सिंचाई होती थी और एक नहर के द्वारा जल राजकीय केन्द्र तक ले
जाया जाता था।
प्रश्न 18. बरबोसा ने सामान्य लोगों के विषय में क्या लिखा है ?
उत्तर-(i) लोगों की आवास छप्पर के है रन्तु फिर भी मजबूत हैं ।
(ii) व्यवसाय के आधार पर कई खुले स्थानों वाली लम्बी गलियों में व्यवस्थित हैं ।
प्रश्न 19. हजारा राम मन्दिर क्यों प्रसिद्ध था?
उत्तर-(i) यह मन्दिर शाही केन्द्र में स्थित था । संभवत: इसका प्रयोग केवल राजा और
उनके परिवार के द्वारा ही किया जाता था ।
(ii) देवस्थल की मूर्तियाँ नष्ट हो गयी हैं परन्तु दीवारों पर पटल मूर्तियाँ सुरक्षित हैं । इसकी
आंतरिक दीवारों पर रामायण के दृश्य अंकित हैं।
प्रश्न 20. राय गोपुरम् क्यों बनाये जाते थे ?
उत्तर-(i) यह स्थापत्य में नवीन तत्व था जिन्हें राजकीय प्रवेश द्वार कहा जाता था। ये प्रायः
केन्द्रीय देवालयों की मीनारों को बौना प्रतीत कराते थे।
(ii) ये लम्बी दूरी से ही मन्दिर होने का संकेत देते थे । यह शासकों की शक्ति का भी प्रतीत
था, क्योंकि इसमें पर्याप्त साधन, तकनीक तथा कौशल का प्रयोग होता था । .
प्रश्न 21. स्थापत्य कला से संबंधित विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख विशेषता
लिखिए।
उत्तर-विजयनगर साम्राज्य अपनी सुन्दर और भव्य इमारतों और किलों, महलों और सिंचाई
से संबंधित कार्यों के लिए जाना जाता है। हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी की भव्यता
के प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 22. हम्पी के मंदिरों की प्रमुख विशेषताएंँ लिखिए ।
उत्तर-1. विशाल हिन्दू और जैन मंदिरों के निर्माण के लिए शाही खजाने के साथ-साथ
लोगों द्वारा बहुत-सी रकम मंदिरों के निर्माण के लिए दान में प्राप्त होती थी।
2. हजारा मंदिर और विट्ठल स्वामी के मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 23. विठ्ठल स्वामी मंदिर की विशेष बातें लिखिए ।
उत्तर-विट्ठल स्वामी के मंदिर का निर्माण देवराय द्वितीय के आरम्भ में हुआ और अच्युत
देवराय के शासन काल तक भी पूरा न हो सका । यह मंदिर 135 फुट लम्बा और 68 फुट चौड़ा
व 25 फुट ऊँचा है। इनके दो द्वार हैं तथा 56 स्तम्भ हैं ।
प्रश्न 24. हजारा मंदिर की विशेष बातें लिखिए ।
उत्तर-हजारा मंदिर का निर्माण विरूपाक्ष द्वितीय ने करवाया । इस मंदिर के चारों ओर अनेक
छोटे-छोटे देवी-देवताओं के मंदिर बनाए गए हैं । इस मंदिर की दीवारों पर भगवान रामचन्द्र के
जीवन से संबंधित अनेक दृश्यों को चित्रित किया गया है ।
प्रश्न 25. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) गोपुरम (ख) शिखर (ग) गर्भगृह (घ) परिक्रमा कक्ष ।
उत्तर-(क) गोपुरम (Gopuram)-दक्षिण भारत के मंदिरों के विशाल प्रवेश द्वार को
गोपुरम कहते हैं । विजयनगर साम्राज्य के मंदिरों में प्रायः चार गोपुरम मिलते हैं ।
(ख) शिखर (Shikher)-मंदिर की बहुत ऊँची चोटी को शिखर कहते हैं । यह दूर से
ही मंदिरों की अस्तित्व होने को इंगित करते संकेत है।
(ग) गर्भगृह (Garbh Grah)-मंदिर का वह मुख्य कक्ष यहाँ पर प्रमुख आराध्य देव
या देवी की प्रतिमा प्रतिस्थापित होती है ।
(घ) परिक्रमा कक्ष (Parbh Grah) गर्भगृह के चारों ओर बना हुआ गलियारा परिक्रमा
कक्ष कहलाता है जिसमें प्रायः घूमकर श्रद्धालुगण अपने आराध्य देवी-देवता के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा की भावना की अभिव्यक्ति करते हैं।
प्रश्न 26. हम्पी की चार ऐतिहासिक इमारतों के नाम लिखिए ।
उत्तर-हाथी खाना-हम्पी, तीर्थकर-विजयनार, साम्राज्य, कमल या लोटस महल-हम्पी शहर
(विजयनगर), हम्पी स्थित कृष्णा मंदिर के खंड्डर ।
प्रश्न 27. विजयनगर के देवराय को स्थापत्य कला के क्षेत्र में किन योगदानों के लिए
याद किया जाता है, निकोलो दि कांती नामक यात्री उसके बारे में क्या लिखता है ?
उत्तर-देव राय को उसकी जन कल्याण परियोजनाओं, जिनमें राज्य में सिंचाई को बढ़ावा
देने के लिए तुंगभद्रा और हरिद्रा पर बाँध बनाना शामिल है, के लिए याद किया जाता है।
उसने मंदिर और पुजारियों को भी प्रचुर अनुदान दिए । इतावली यात्री, निकोलो दि कांती
जो उनके शासन काल में विजयनगर आया, लिखता है कि वह “भारत के अन्य राजाओं से
अधिक शक्तिशाली था ।”
प्रश्न 28. विजयनगर साम्राज्य में प्लाइयागार कौन कहलाता था? वह क्या कार्य करता था?
उत्तर-विजयनगर साम्राज्य में प्लाइयागार सेनापति या नायक कहलाता था । उन्हें साम्राज्य
की सेवा के लिए निश्चित पैदल, घुड़सवार और हाथी सेना रखनी पड़ती थी।
प्रश्न 29. कृष्ण देव राय कौन थे?
उत्तर-कृष्ण देव राय विजयनगर साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण शासकों में से एक था । उसने
1509-1530 ई. तक शासन किया ।
प्रश्न 30. विजयनगर साम्राज्य का अंतिम शासक कौन था ?
उत्तर-विजयनगर साम्राज्य का अंतिम शासक सदाशिव था ।
प्रश्न 31. तालीकोट का प्रसिद्ध युद्ध कब और किसके बीच लड़ा गया ?
उत्तर-तालीकोट का प्रसिद्ध युद्ध विजयनगर साम्राज्य और बहमनी राज्य के बीच 1563
ई. में लड़ा गया ।
प्रश्न 32. विजयनगर साम्राज्य में जिलों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-विजयनगर साम्राज्य में जिलों को कोट्ठम कहा जाता था ।
                                       लघु उत्तरीय प्रश्न
                       (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. एक साम्राज्य की राजधानी के रूप में विजयनगर नाम के उपयोग एवं साम्राज्य
की स्थापना, फैलाव, पतन एवं हम्पी नाम के आविर्भाव का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर-(i) विजयनगर शब्द के दो उपयोग-विजयनगर या “विजयों का शहर” नामक
शब्द एक शहर और एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयोग किया जाने वाला नाम था ।
(ii) साम्राज्य की स्थापना, फैलाव और पतन-विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और
बुका दो भाइयों ने चौदहवीं शताब्दी में की थी । अपने चरमोत्कर्ष पर यह उत्तर में कृष्णा नदी
से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था । 1565 में इस पर आक्रमण कर इसे लूटा गया और बाद में यह उजड़ गया। हालांकि सत्रहवीं-अठारवीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह से
विनष्ट हो गया था, पर फिर भी कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में यह
जीवित रहा।
(ii) लोगों ने इसे हम्पी नाम से याद रखा । इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय भातृदेवी
पम्पादेवी के नाम से हुआ था । इन मौखिक परंपराओं के साथ-साथ पुरातात्विक खोजों, स्थापत्य के नमूनों, अभिलेखों तथा अन्य दस्तावेजों ने विजयनगर साम्राज्य को पुनः खोजने में विद्वान की सहायता की।
(iv) अपने चरमोत्कर्ष पर यह उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक
फैला हुआ था । 1565 में इस पर आक्रमण कर इसे लूटा गया और बाद में यह उजड़ गया ।
हालाँकि सत्रहवीं-अठारहवीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह से विनष्ट हो गया था, पर फिर भी
कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में यह जीवित रहा । उन्होंने इसे हम्पी नाम
से याद रखा । इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुआ था।
इन मौखिक परंपराओं के साथ-साथ पुरातात्विक खोजों, स्थापत्य के नमूनों, अभिलेखों तथा अन्य दस्तावेजों ने विजयनगर साम्राज्य को पुनः खोजने में विद्वानों की सहायता की ।
प्रश्न 2. हम्पी की खोज का कार्य किस प्रकार शुरू हुआ ? इसका उपयोग इतिहास
के पुनर्निर्माण के स्रोतों के रूप में कैसे हुआ ?
उत्तर-(i) हम्पी के भग्नावशेष 1800 ई. में एक अभियंता तथा पुराविद कर्नल कॉलिन
मैकेन्जी द्वारा प्रकाश में लाए गए थे। मैकेन्जी, जो ईस्ट इण्डिया कंपनी में कार्यरत थे, ने इस
स्थान का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया ।
(ii) उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारियाँ विरुपाक्ष मंदिर तथा पम्पादेवी के पूजास्थल के
पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थीं । कालान्तर में 1856 ई. से छाया चित्रकारों ने यहाँ के
भवनों के चित्र संकलित करने आरंभ किए जिससे शोधकर्ता उनका अध्ययन कर पाए ।
(iii) 1836 से ही अभिलेखकर्ताओं ने यहाँ और हम्पी के अन्य मंदिरों से कई दर्जन अभिलेखों
को इकट्ठा करना आरंभ दिया। इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास में
इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों तथा तेलुगु, कन्नड़, तमिल और संस्कृत
में लिखे गए साहित्य से मिलान किया।
प्रश्न 3. चौदहवीं-पंद्रहवी शताब्दी में विजयनगर के व्यापार और व्यापारियों का संक्षिप्त
उल्लेख करके बताइए कि शासकों के लिए व्यापार किन-किन दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर-(i) चूँकि इस काल में युद्धकला प्रभावशाली अश्वसेना पर आधारित होती थी, इसलिए
प्रतिस्पर्धी राज्यों के लिए अरब तथा मध्य एशिया से घोड़ों का आयात बहुत महत्त्वपूर्ण था।
(ii) यह व्यापार आरंभिक चरणों में अरब व्यापारियों द्वारा नियंत्रित था। व्यापारियों के
स्थानीय समूह, जिन्हें कुदिरई चेट्टी अथवा घोड़ों के व्यापारी कहा जाता था, भी इन विनिमयों
में भाग लेते थे।
(iii) 1948 ई. से कुछ और लोग पटल पर उभर कर आए। ये पुर्तगाली थे जो उपमहाद्वीप
के पश्चिमी तट पर आए और व्यापारिक तथा सामरिक केन्द्र स्थापित करने का प्रयास करने लगे।
उनकी बेहतर सामरिक तकनीक, विशेष रूप से बंदूकों के प्रयोग ने उन्हें इस काल की उलझी
हुई राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरने में सहायता की।
(iv) विजयनगर भी मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों के अपने बाजारों के लिए प्रसिद्ध था। ऐसे
शहरों के लिए व्यापार एक प्रतिष्ठा का मानक माना जाता था । यहाँ की समृद्ध जनता मँहगी विदेशी वस्तुओं को माँग करती थी विशेष रूप से रत्नों और आभूषणों की। दूसरी ओर व्यापार से प्राप्त राजस्व राज्य की समृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान देता था।
प्रश्न 4. “विजयनगर और दक्षिण के सुल्तानों में विभिन्नताएँ और मतभेद होते हुए
भी उनमें कुछ अच्छे संबंधों के प्रमाण भी मिलते हैं । वस्तुतः राम राय की जोखिम भरी नीति
विजयनगर के पतन के लिए निर्णायक साबित हुई।” इस कथन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-(i) विजयनगर शहर के विध्वंस के लिए सुल्तानों की सेनाएँ उत्तरदायी थीं, फिर भी
सुल्तानों और रायों के संबंध धार्मिक भिन्नताएँ होने पर भी हमेशा या अपरिहार्य रूप से शत्रुतापूर्ण नहीं रहते थे। उदाहरण के लिए कृष्णदेव राय ने सल्तनतों में सत्ता के कई दावेदारों का समर्थन किया और “यवन राज्य की स्थापना करने वाला” विरुद धारण करके गौरव महसूस किया है।
(ii) बीजापुर के सुल्तान ने कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात् विजयनगर में उत्तराधिकार
के विवाद को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप किया है।
(iii) वास्तव में विजयनगर शासक और सल्तनतें दोनों ही एक-दूसरे के स्थायित्व को
निश्चित करने की इच्छुक थी।
(iv) यह रामराय की जोखिम भरी नीति थी, जिनके अनुसार उसने एक सुलतान को दूसरे
के विरुद्ध करने की कोशिश की किन्तु वे सुल्तान एक हो गए और उन्होंने उसे निर्णायक रूप
से पराजित कर दिया।
प्रश्न 5. पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भग्नावशेषों के अध्ययन में कौन-सी
पद्धतियों का प्रयोग किया गया है ? आपके अनुसार यह पद्धतियाँ विरुपाक्ष मंदिर के
पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी का किस प्रकार पूरक रही ?
What have been the methods used to study the ruins of Hampi over the
last two centuries? In what way do you think they would have complemented
the information provided by the priests of the Varupaksha temple?
                                                                        [N.C.ER.T. T.B.Q.1]
उत्तर-(i) पिछली दो शताब्दियों में हम्पी (विजयनगर शहर) के भवनाशेषों के अध्ययन में
सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया।
(ii) हम्पी के अवनाशेष 1821 ई. में सर्वप्रथम ईष्ट इंडिया कम्पनी में कार्यरत एक इंजीनियर
और पुराविद् कर्नल कोलिन मैकेन्जी द्वारा प्रकाश में लाए गए थे। उन्होंने सर्वेक्षण के आधार पर
हम्पी का मानचित्र तैयार किया।
(iii) कालान्तर में 1856 ई. में छाया चित्रकारों ने यहाँ के चित्र इकट्ठे करने शुरू किया
जिससे शोधकर्ता (research fellow) अध्ययन कर सके।
(iv) 1836 ई. से अभिलेखाकर्ताओं ने हम्पी और अन्य मंदिरों से अनेक दर्जन अभिलेख
(Record) संकलित करना शुरू किए।
(v) विजय साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास से इतिहासकारों ने इस स्रोतों का
विदेशी यात्रियों द्वारा लिख छोड़ने विवरणों तथा कन्नड़, तेलगू और कन्नड़ व संस्कृत में लिखे
गए साहित्य का मिलान किया ताकि उनकी सत्यता को जाँचा जा सके।
(vi) हमारे विचार द्वारा विरुपाक्ष मंदिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी का यह सभी
स्रोत पर्याप्त सीमा तक पूर्वक साबित हुए। क्योंकि कर्नल मकैन्जी द्वारा प्राप्त प्रारंभिक जानकारियाँ विरुपाक्ष मंदिर और पम्पादेवी के पूजा स्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी।
प्रश्न 6. आयागार व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं? [B.Exam./B.M.2009A]
उत्तर-विजयनगर राज्य ने प्रचलित स्थानीय प्रशासन में परिवर्तन कर आयागार व्यवस्था
आरंभ की। प्रत्येक ग्राम को स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई के रूप में गठित कर प्रशासन 12 व्यक्तियों
के समूह को दिया गया। यह समूह आयागार कहलाता था। ये व्यक्ति राजकीय अधिकारी थे। इनका पद आनुवंशिक था। वेतन के रूप में लगान और कर मुक्त भूमि दी जाती थी। आयागार ग्राम प्रशासन की देखभाल करते एवं शांति-व्यवस्था बनाए रखते थे।
प्रश्न 7. विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था ?
How were the water requirements of Vijayanagara met?
                                                                           [N.C.E.R.T. T.B.Q.2]
उत्तर-(i) विजयनगर की जल आवश्यकता को तुंगभ्रद्रा नदी द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक कुंड
से पूरा किया जाता था। यह नदी उत्तरपूर्व दिशा में बहती है। इस नगर के चारों ओर स्थित
पहाड़ियों से अनेक जलधाराएँ आकर तुंगभद्रा नदी में मिलती हैं।
(ii) लगभग सभी जल धाराओं के साथ बाँध बनाकर अलग-अलग आकारों के हौज
(विशाल तालाब) बनाए गए थे।
चूँकि विजयनगर दक्षिण प्रायद्वीप के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक था इसलिए पानी को
इकट्ठा करके शहर तक ले जाने के लिए व्यापार प्रबंध जरूरी समझा गया और विजयनगर
साम्राज्य और रायों ने ऐसा ही किया। उदाहरण के लिए ऐसे महत्त्वपूर्ण हौजों में से एक को पंद्रहवीं शताब्दी के शुरू के सालों में बनाया गया जिन्हें आज कमलपुरम जलाशय कहा जाता है। इस हौज के पानी से आस-पास के खेतों को सींचा जाता था बल्कि इसे नहरों के माध्यम से राजकीय केन्द्रों तक लाया गया था।
(iii) सबसे महत्त्वपूर्ण जल संबंधी संरचनाओं में से एक, हिरिया नहर को आज भी भग्नावेषों
के बीच देखा जा सकता है। इस नहर में तुंगभद्रा पर बने बाँध से पानी लाया जाता था और
इसे “धार्मिक केन्द्र” को अलग करने वाली घाटी को सिंचित करने में प्रयोग किया जाता था।
संभवत: इसका निर्माण संगम वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था।
प्रश्न 8.शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फायदे
और नुकसान थे ?                                                  [N.C.E.R.T. T.B.Q.3]
What do you think were the advantages and disadvantages of enclosing
agricultural land within the fortified area of the city ?
उत्तर-(i) विजयनगर शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को चारदीवारी के अंदर रखने से
हमारे विचार से अनेक लाभ और हानियाँ थीं। इसका विवरण इस प्रकार है:
(ii) कृषि योग्य भूमि में विभिन्न दीवारों के मध्य बीच-बीच में जोतने के लिए खेत होते
थे। इन खेतों में धान उगाए जाते थे। कृषि योग्य भूमि में अनेक बाग भी थे। धान के खेतों
और बागों की सिंचाई के लिए झीलों से पानी लाया जाता था। खेतों की सिंचाई के लिए तुगंभद्रा
से व्यापक नहरों का जाल बिछाया गया था।
(iii) इन खेतों के आस-पास सामान्यतः साधारण जनता और किसान रहते थे। बागों और
खेतों की रखवाली करना आसान था।
(iv) प्रायः मध्यकालीन घेराबंदी की मुख्य उद्देश्य प्रतिपक्ष को खाद्य सामग्री से वंचित कर
जल्दी से जल्दी आत्मसमर्पण (हथियार डालने के लिए) बाध्य करना होता था।
(v) युद्धकाल में शत्रुओं द्वारा घेराबंदी कई महीनों तक जारी रखी जाती थी यहाँ तक कि
वर्षों तक चल सकती थी। आमतौर पर शासक ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नागारों का निर्माण करवाते थे। विजयनगर के शासकों ने पूरे कृषि भू-भाग को बचाने के लिए एक अधिक महँगी तथा व्यापक नीति को अपनाया।
(vi) किलाबंद खेती योग्य भूमि को चारदीवारी के अंदर रखने से नुकसान यह था कि प्रायः
बाहर रहने वाले किसानों को आने जाने में द्वारपालों से इजाजत लेनी होती थी। साथ ही शत्रु द्वारा घेराबंदी हाने पर बाहर से कृषि के लिए आवश्यक जरूरत पड़ने पर बीज, उर्वरक, यंत्र आदि बाहर के बाजारों से लाना प्रायः कठिन था।
(vii) यदि शत्रु पक्ष के द्वारा काटी गई फसल को आग लगाकर जला दिया जाता तो आर्थिक
हानि बहुत व्यापक हो सकती थी।
प्रश्न 9. आपके विचार में महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्त्व था?
What do you think was the significance of the rituals associated with the
Mahanavami dibba ?                                        [N.C.E.R.T. T.B.Q.4]
उत्तर-(6) हमारे विचार में महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का व्यापक महत्त्व था ।
विजयनगर शहर के सबसे ऊंचे स्थानों पर महानवमी डिब्बा नामक विशाल होता था। इसकी
 संरचना से जुड़े (ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे जानकारी मिलती है कि इस ऊँचे स्थान पर एक लकड़ी की संरचना (डाँचा) बनी थी) अनुष्ठान संभवत: सितम्बर तथा अक्टूबर के शरद मासों में मनाए जाने वाले दस दिन में हिन्दू त्योहार जिसे दशहरा (उत्तर भारत), दुर्गा पूजा (बंगाल में) तथा
नवरात्रि या महानवी (प्रायद्वीपीय भारत में) नामों से जाना जाता है, के महानवमी (शाब्दिक अर्थ,
महान नवाँ दिवस) के अवसर पर निष्पादित किए जाते थे। इस अवसर पर विजयनगर शासक
अपने रुतबे, ताकत तथा अधिराज्य का प्रदर्शन करते थे।
(ii) इस अवसर पर होने वाले धर्मानुष्ठानों में मूर्ति की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा तथा
मैंसों और अन्य जानवरों की बलि सम्मिलित थी। नृत्य, कुश्ती प्रतिस्पर्धा तथा साज लगे घोड़ों,
हाथियों तथा रथों और सैनिकों की शोभायात्रा और साथ ही प्रमुख नायकों और अधीनस्थ राजाओं द्वारा राजा और उसके अतिथियों को दी जाने वाली औपचारिक भेंट इस अवसर के प्रमुख आकर्षण थे। इन उत्सवों के गहन सांकेतिक अर्थ थे । त्यौहार के अंतिम दिन राजा अपनी तथा अपने नायकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित भव्य समारोह में निरीक्षण करता था । इस अवसर पर नायक, राजा के लिए बड़ी मात्रा में भेंट तथा साथ ही नियत कर भी लाते थे।
(iii) क्या “महानवमी डिब्बा” जो आज अस्तित्व में है, वह इस
विस्तृत अनुष्ठान का केन्द्र था ? विद्वानों का मानना है कि संरचना के
चारों ओर का स्थान सशस्त्र आदमियों, औरतों तथा बड़ी संख्या में
जानवरों की शोभायात्रा के लिए पर्याप्त नहीं था। राजकीय केन्द्र में
स्थित कई और संरचनाओं की तरह यह भी एक पहेली बना हुआ है।
प्रश्न 10. चित्र में विरुपाक्ष मंदिर के एक अन्य स्तंभ का
रेखाचित्र है क्या आप कोई पुष्प-विषयक रूपाकन देखते हैं ? किन
जानवरों को दिखाया गया है ? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित
किया गया है ? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए।
In given figure, an illustration of another pillar from
the Virupakshan temple. Do you notice any floral motifs
? What are the animals shown ? Why do you think they
are depicted ? Describe the human figures shown.
                                                       [N.C.E.R.T. T.B.Q.5]
उत्तर-(i) मैंने ध्यान से विरुपाक्ष मंदिर के स्तंभ को देखने पर पाया कि उस स्तंभ पर अनेक
वनस्पतियों के चित्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षियों की आकृतियों को भी मूर्तिबद्ध
किया गया है। हम इनमें मोर, घोड़ा, उल्लू आदि को आसानी से देख सकते हैं।
(ii) मेरे विचारानुसार उस समय मंदिर विभिन्न प्रकार की धार्मिक, सांस्कृतिक और अन्य
गतिविधियों का केन्द्र था। लोगों को कृषि से जुड़े हुए अनाजों, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों का
मानव-जीवन में कितना ज्यादा महत्त्व है। उस ओर लोगों का ध्यान खींचनें के लिए और पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल रुचि और दृष्टिकोण बनाने हेतु ऐसा किया गया ।
(iii) मंदिरों में अनेक पशु पक्षियों को देवी-देवताओं का वाहन मानकर पूजा जाता था। इन
प्रतीकात्मक पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों आदि के माध्य में लोगों को यह संदेश दिया जाता था कि
वह हरियाली, वन्य जीवन जंतुओं आदि को संरक्षण प्रदान करें।
(iv) विभिन्न देवी-देवतओं को मानवीय आकृतियों के माध्यम से प्रतिबिंबित किया गया।
हिन्दू, धर्म, अवतारवाद, और धार्मिक प्रतीकों और चिह्नों को सम्मान देता है। यह आकृतियाँ भी
बताती है कि ईश्वर की सबसे महान कृति मानव है इसलिए हिन्दू अपने अनजाने देवी-देवताओं
को स्त्री और पुरुषों के रूप में मंदिरों में स्थापित करते हैं। लोग उनकी आरती करके पूजा-अर्चना
करके यह संदेश देना चाहते हैं कि सभी अच्छे कर्म करने वाले मानव देवता या भगवान की श्रेणी
में सम्मिलित हो सकते हैं और समाज अच्छे लोगों का आदर-सत्कार है तक कि पूजा भी करता है।
प्रश्न 11. “शाही केन्द्र” शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं, क्या
वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं ?                       [N.C.E.R.T. T.B.Q.6]
Discuss whether the term “royal centre” is an appropriate description for
the part of the city for which it is used.
उत्तर-(i) हमारे विचारानुसार शहर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग को शाही या राजकीय केन्द्र
(Royal Centre) की संज्ञा दी गई है। यद्यपि इसे शाही केन्द्र की संज्ञा दी गई है, पर इसमें 60
से अधिक मंदिर सम्मिलित थे। स्पष्टतः मन्दिरों और संप्रदायों को प्रश्रय देना शासकों के लिए
महत्त्वपूर्ण था जो इन देव-स्थलों में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं से संबंध के माध्यम से अपनी सत्ता
को स्थापित करने तथा वैधता प्रदान करने का प्रयास कर रहे थे।
(ii) लगभग तीस संरचनाओं की पहचान महलों के रूप में की गई है। ये अपेक्षाकृत बड़ी
संरचनाएँ हैं जो आनुष्ठानिक कार्यों से संबद्ध नहीं होती। इन संरचनाओं तथा मदिरों के बीच एक
अंतर यह था कि मंदिर पूरी तरह से राजगिरी से निर्मित थे जबकि धर्मेतर भवनों की अधिरचना
विकारी वस्तुओं से बनाई गई थी।
(ii) मेरे विचारानुसार इसे शाही केन्द्र कहना सही नहीं है क्योंकि शाही केन्द्र तो राजमहल,
किलों, राजदरबारों और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र होता है। संभवत: विजयनगर के राजाओं के लिए धार्मिक मंदिरों को शाही केन्द्र के रूप में नाम देना उनकी एक विवशता थी।
उनका राज्य धर्म प्रधान था और उस समय समाज में धर्म, देवताओं और पुरोहितों के नाम पर
लोगों से धन इकट्ठा करना और राजकीय हितों के लिए समय आने पर संघर्षरत करना ज्यादा
सरल था।
प्रश्न 12. कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके
बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है ? [N.C.E.R.T. T.B.Q.7]]
What does the architecture of buildings like the Lotus Mahal and elephant stables tell us about the rulers who commissioned them?
उत्तर-कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शाराकों के बारे में निम्न जानकारी देता है :
(i) कमल महल शाही केन्द्र का एक सर्वाधिक भव्य भवन है। संभवत: इस भवन का प्रयोग
राजा अपने सलाहकारों से मिलने के लिए करता था। यदि इस अनुमान को गलत मान लिया जाए
तो एक-दूसरे अनुमान के अनुसार कमलमहल का प्रयोग राजा और उसके परिवारों द्वारा महल
के साथ में किया जाता था।
(ii) बीच के देवस्थल की मूर्तियाँ अब नहीं हैं, लेकिन दीवारों पर बनाए गए पटल मूर्तियाँ
सुरक्षित हैं। इनमें मंदिर की आंतरिक दीवारों पर उत्कीर्णित रामायण से लिए गए कुछ दृश्यांश
सम्मिलित हैं।
(iii) शहर पर आक्रमण के पश्चात् विजयनगर की कई संरचनाएँ विनष्ट हो गई थीं, पर
नायकों ने महलनुमा संरचनाओं के निर्माण की परंपरा को जारी रखा। इनमें से कई भवन आज
भी अस्तित्व में हैं।
(iv) कमल महल के पास ही हाथियों का आत्मबल है। इसमें बड़ी संख्या में हाथियों को
रखा जाता था। कमल महल और हाथियों के अस्तबल को देखने से पता लगता है कि विजयनगर में स्थापत्य कला ने बहुत प्रगति की। राजाओं ने विशाल महल और सेना के काम में आने वाले भवन बनवाए । जनता से धन लिया गया, राजा को नायक की प्रति वर्ष भेंट देते थे, ये सभी धन राशि अन्य कामों के साथ-साथ विशाल इमारतों के बनवाने के प्रयोग में लाई जाती थी।
(v) इन इमारतों से यह भी पता लगता है कि शहर में अनेक मंदिर और उनकी दीवारों पर
मूर्तियाँ बनाई जाती थीं। वास्तुकला में इंडो-इस्लामिक शैली का प्रयोग किया गया। इन विशाल
इमारतों को देखने से यह भी निष्कर्ष निकलता है कि विजयनगर की साम्राज्य की आर्थिक नीति
बहुत सुदृढ़ थी, इसलिए वे इतनी विशाल, भव्य इमारतों के साथ विशाल सेना और हाथी आदि
रखते थे।
प्रश्न 13. विजयनगर साम्राज्य के स्थापत्यकला पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा, विजयनगर कालीन-स्थापत्यकला की विशेषताओं का वर्णन करें।
                                               [B.Exam. 2009A,B.Exam.2013(A)]
उत्तर–स्थापत्यकला (Architecture)-विजयनगर साम्राज्य के अधिकांश शासक कला
प्रेमी थे। उन्होंने वास्तुकला के क्षेत्र में अनेकों मंदिर बनवाए। उनमें से हजारा मंदिर और विट्ठल
स्वामी के मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। विट्ठल स्वामी के मंदिर का निर्माण देवराज द्वितीय के शासन
समय में आरंभ हुआ और अच्युत देवराय के शासन काल तक भी पूरा न हो सका । यह मंदिर
135 फुट लंबा, 86 फुट चौड़ा और 25 फुट ऊँचा है । इसके दो द्वार हैं । तथा 56 स्तम्भ । हजारा मंदिर का निर्माण विरुपाक्ष द्वितीय ने करवाया। इस मंदिर के चारों और अनेक छोटे-छोटे
देवी-देवताओं के मंदिर बनाए गए हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर भगवान रामचंद्र के जीवन से
संबंधित अनेक दृश्यों को चित्रित किया गया है। यह साम्राज्य मंदिरों की संख्या की दृष्टि से ही
नहीं बल्कि उनके ढाँचे, सुन्दर कला तथा संगठन सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। इस काल में
अनेक पुराने मंदिरों का विस्तार हुआ। हिन्दू देवियों के लिए भी इस काल में अलग मंदिर बनाए
गए। इस काल के मंदिरों की प्रमुख विशेषता यह है कि इनमें अनेक स्तंभों के अतिरिक्त विशाल
हाल बनाए गए । इस काल में मंदिरों के अतिरिक्त अनेक मूर्तियाँ भी बनाई गईं। कृष्ण देव और
उसकी दो पलियों की मूर्तियाँ शिल्पकला की दृष्टि से बहुत ही प्रशासनिक हैं। चित्रकला और
संगीतकला में भ उन्नति की गई।
प्रश्न 14. निम्नलिखित विदेशी यात्रियों के बारे में उपयोगी ऐतिहासिक तथ्य दीजिए।
1. निकोलो (Nicolo) 2. अब्दुर रज्जाक (Abdur Razak) 3. डोमोगोज (Domogoj) 4.
नूनिज (Noonij) 5. रालफिच (Ralfitch) 6. सीजः फ्रेडरिक (Ceaser Fredrick) 7. जॉन
लिंसकोतेन (John Lin-s-coten)।
उत्तर-
प्रश्न 15. हम्पी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-हम्पी (Hampi)-हम्पी नगर कर्नाटक में है। हम्पी विजयनगर साम्राज्य की
राजधानी थी। विजयनगर के राजाओं की स्थापत्य कला में रुचि हम्पी नगर में निर्मित इमारतों
से दृष्टिगोचर होती है। यहाँ के प्रमुख स्मारकों में विट्ठल मंदिर तथा हजारा राम मंदिर हैं । विठ्ठल
मंदिर का निर्माण 1513 ई. में राजा कृष्णदेव राय ने कराया था। इन मंदिरों में दो रंग स्तम्भ
हैं। हम्पी में राजकीय भवन परकोटे के भीतर बने थे। हजारा राम मंदिर का निर्माण कृष्णदेव
राय ने ही 1520 ई. में कराया था।
प्रश्न 16. विजयनगर शासकों का कला एवं स्थापत्य कला के प्रति योगदान लिखिए ?
उत्तर-(i) विजयनगर शासकों ने कला एंव स्थापत्य कला को प्रश्रय दिया । (ii) विजयनगर
साम्राज्य अपने विशाल भवनों के लिए प्रसिद्ध थे जिसमें किले, महल, मंदिर और शामिल थे।
(iii) विजयनगर स्थित विट्ठल स्वामी का मंदिर अपनी ममता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था।
प्रश्न 17. कृष्ण देवराय की मुख्य उपलब्धियों के बारे में बताएँ ?
उत्तर-1. कृष्ण देवराय बीजापुर और गोलकुंडा के शासकों को पराजित करने में सफल
रहा। 2. उसने उड़ीसा पर भी आक्रमण किया तथा वहाँ के शासक को भी हराया। 3. उसने
न केवल रायचूर दोआब पर विजय प्राप्त की बल्कि अपनी सेनाओं के साथ बह्मनी राज्य के अंदर भी प्रवेश कर गया। 4. पश्चिमी समुद्र तट पर सभी स्थानीय राज्यों के साथ उसका व्यवहार बहुत ही अच्छा और मैत्रीपूर्ण था। अपने इन स्थानीय राज्यों के व्यापारिक सम्बन्ध बनाकर अपने राज्य
में समृद्ध बनाया। 5. वह एक कुशल प्रशासक भी था। उसने अपने राज्य के उत्थान के लिए
कई काम किये । उसने सिंचाई के लिए बाँध बनवाये, जिसमें राज्य की कृषि दशा में सुधार आया ।6. उसने नये मंदिरों का निर्माण करवाया और पुराने मंदिर की मरम्मत करवाई । उसने अपने दरबार में विद्वानों और गुणी लोगों का प्रश्रय दे रखा था।
                                            दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
                            (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. विजय नगर राज्य का ‘चरमोत्कर्ष और पतन’ नामक विषय पर एक निबंध
 लिखिए।
उत्तर-विजयनगर साम्राज्य का चरमोत्कर्ष एवं पतन (The apogee and decline of
the empire)-राजनीति में सत्ता के दावेदारों में शासकीय वंश के सदस्य तथा सैनिक कमांडर
शामिल थे। पहले राजवंश, जो संदम वंश कहलाता था, मे 1485 तक नियंत्रण रखनें उन्हे सुलुवों
ने उखाड़ फेंका, जो सैनिक कमांडर थे और वे 1503 तक सत्ता में रहे। इसके बाद तुलुवों ने
उनका स्थान लिया। कृष्णदेव राय तुलुव वंश से ही संबद्ध था ।
कृष्णा देव राय के काल में विजयनगर (Vijaynagar during the period of
Krishnadev Roy) : कृष्णदेव राय के शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार और दृढ़ीकरण
था। इसी काल में तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र (रायचूर दोआब) हासिल किया
गया (1512), उड़ीसा के शासकों का दमन किया गया (1514) तथा बीजापुर के सुल्तान को
बुरी तरह पराजित किया गया था (1520)। हालाँकि राज्य हमेशा सामरिक रूप से तैयार रहता
था, लेकिन फिर भी यह अतुलनीय शांति और समृद्धि की स्थितियों में फला-फूला । कुछ बेहतरीन मंदिरों के निर्माण तथा कई महत्त्वपूर्ण दक्षिण भारतीय मंदिरों में भव्य गोपुरमों को जोड़ने का श्रेय कृष्णदेव को ही जाता है। उसने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप ही नगलपुरम् नामक , उपनगर की स्थापना भी की थी। विजयनगर के संदर्भ में सबसे विस्तृत विवरण कृष्णदेव राय के या उसके तुरंत बाद के कालों से प्राप्त होते हैं।
विजयनगर कृष्णदेव राय की मृत्यु के उपरान्त (Vijaynagar Empire after the
death of Krishandev Roy) : कृष्णदेव की मृत्यु के पश्चात् 1529 में राजकीय ढाँचे में तनाव उत्पन्न होने लगा। उसके उत्तराधिकारियों को विद्रोही नायकों या सेनापतियों से चुनौती का सामना करना पड़ा। 1542 तक केन्द्र पर नियंत्रण एक अन्य राजकीय वंश, अराविदु के हाथों में चला गया, जो सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक सत्ता पर काबिज रहे। पहले की ही तरह इस काल में भी विजयनगर शासकों और साथ ही दक्कन सल्तनतों के शासकों की सामरिक महत्त्वाकांक्षाओं के चलते समीकरण बदलते रहे। अंतत: यह स्थिति विजयनगर के विरुद्ध दक्कन सल्तनतों के बीच मैत्री-समझौते के रूप में परिणत हुई।
विजयनगर का पतन (Downfall of Vijaynagara)-1565 में विजयनगर की सेना
प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में राक्षसी-तांगड़ी (जिसे तालीकोटा के नाम से भी जाना जाता है)
के युद्ध में उतरी जहाँ उसे बीजापुर, अहमदनगर तथा गोलकुण्डा की संयुक्त सेनाओं द्वारा करारी
शिकस्त मिली। विजयी सेनाओं ने विजयनगर शहर पर धावा बोलकर उसे लूटा । कुछ ही वर्षों
के भीतर यह शहर पूरी तरह से उजड़ गया। अब साम्राज्य का केन्द्र पूर्व की ओर स्थानांतरित
हो गया जहाँ अराविदु राजवंश ने पेनुकोण्डा से और बाद में चन्द्रगिरी (तिरुपति के समीप) से शासन किया।
प्रश्न 2. अमर शब्द का आविर्भाव कैसे हुआ ? अमर-नायक प्रणाली की विशेषताएँ
बताइए।
उत्तर-I. अमर शब्द का अर्थ (Meaning of word Amar)-अमर शब्द का आविर्भाव
मान्यतानुसार संस्कृत शब्द अमर से हुआ है जिसका अर्थ है लड़ाई या युद्ध । यह फारसी शब्द
अमीर से भी मिलता-जुलता है जिसका अर्थ है-ऊँचे पद का कुलीन व्यक्ति ।
II. अमर नायक प्रणाली की विशेषताएँ (Features of Amar Nayak Systein)-
(i) अमर-नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक खोज थी। ऐसा
प्रतीत होता है कि इस प्रणाली के कई तत्त्व दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से लिए गए थे।
(ii) अमर-नायक सैनिक कमांडर थे जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य-क्षेत्र दिये जाते
थे। वे किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे।
(iii) वे राजस्व का कुछ भाग व्यक्तिगत उपयोग तथा घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल
के रख-रखाव के लिए अपने पास रख लेते थे।
(iv) ये दल विजयनगर शासकों को एक प्रभावी सैनिक शक्ति प्रदान करने में सहायक होते
थे जिसकी मदद से उन्होंने पूरे दक्षिणी प्रायद्वीप को अपने नियंत्रण में किया। राजस्व का कुछ
भाग मन्दिरों तथा सिंचाई के साधनों के रख-रखाव के लिए खर्च किया जाता था।
(v) अमर-नायक राजा को वर्ष में एक बार भेंट भेजा करते थे और अपनी स्वामिभक्ति प्रकट
करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित हुआ करते थे।
(vi) राजा कभी-कभी उन्हें एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर उन पर अपना नियंत्रण
दर्शाता था पर सत्रहवीं शताब्दी में इनमें से कई नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।
इस कारण केन्द्रीय राजकीय ढाँचे का विघटन तेजी से होने लगा।
प्रश्न 3. स्थापत्य की कौन-कौन सी परम्पराओं ने विजयनगर के वास्तुविदों को प्रेरित
किया? उन्होंने इन परंपराओं में किस प्रकार बदलाव किए? [N.C.E.R.T. T.B.Q.8]
What are the architectural traditions that inspired the architects of
Vijayanagara ? How did they transform those traditions ?
उत्तर-(i) विजयनगर साम्राज्य के शासकों को स्थापत्य की अनेक परंपराओं ने प्रेरित किया।
वहाँ के वास्तुकला विशेषज्ञों और कारीगरों ने विजयनगर विशाल शहर का निर्माण किया। इस
शहर के नाम पर ही विजयनगर साम्राज्य को संज्ञा दी गई। इस प्रकार विजयनगर एक शहर और
एक साम्राज्य, दोनों के लिए प्रयुक्त नाम था। विजयनगर शहर के चारों ओर एक पत्थर की
विशाल दीवार बनाई गई थी। इस तरह की दीवारें दिल्ली सल्तनत काल और मुगलों के काल
में भी बनाई जाती थी।
(ii) विजयनगर सम्राटों ने अपनी राजधानी कृष्णा-तुंगभद्रा के समीप बनवाई और इन नदियों
के बीच के क्षेत्र को अपने अधिकार में रखने का प्रयास किया। ये भारत में महाजन पद काल
से ही परंपरा जारी रही थी।
(iii) विजयनगर साम्राज्य में विशाल मंदिर स्थापत्य को भी अपनाया गया। इस क्षेत्र के
शासक वर्ग ने अनेक विशाल मंदिरों जैसे तंजावूर के वृहदेश्वर मेंदिर तथा वैलूर के चन्न केशव मंदिर को संरक्षण प्रदान किया।
(iv) मंदिर निर्माण में शासकों के साथ-साथ व्यापारी वर्ग और जनसाधारण ने भी रुचि ली।
इन विशाल मंदिरों की भव्यता का उल्लेख विदेशी यात्रियों जैसे निकालों दे कान्ती, इतालवी, अब्दुल रज्जाक, अफानासी निकितन, दुआर्ते बारबोसा, पुर्तगाली आदि ने की है।
(v) शहर और साम्राज्य में विशाल कुंडों, जलाशयों/ हौजों, नहरों द्वारा जल-आपूर्ति की
व्यवस्था करने की ओर भी शासकों और वास्तुविदों ने ध्यान दिया।
(vi) शहरों की किलेबंदी की गई और सड़कें बनाई गई। किलेबंदियों द्वारा खेतों को घेरा
गया। किलेबंद दीवारों में जगह-जगह बीच-बीच में बनाए गए द्वारों के लिए शासकों ने
इंडो-इस्लामिक स्थापत्य के तत्वों को अपनाया।
(vii) किलेबंद बस्ती में जाने के लिए प्रवेश द्वारों पर बनी मेहराव और साथ ही द्वार के ऊपर
बनी गुबंद तुर्की सुल्तानों द्वारा प्रवर्तित स्थापत्य के चारित्रिक तत्त्व माने जाते हैं। कला इतिहासकार इसी शैती को इंडो इस्लामिक कहते हैं क्योंकि इसका विकास विभिन्न क्षेत्रों की स्थानीय स्थापत्य की परम्पराओं के साथ संपर्क से हुआ।
(viii) सड़कें सामान्य पहाड़ी भागों से बचकर घाटियों से होकर इधर-उधर घुमावदार
बनाई जाती थीं। शहरों की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों को अनेक मंदिरों के प्रवेश द्वारों के सामने
से निकाला जाता था और सड़कों के दोनों ओर बाजार होते थे।
(ix) शहरों में कुछ धनी लोगों के भव्य भवन थे और मुसलमानों के लिए रिहायशी मुहल्ले
अलग से बनाए गए थे। इनमें विशेष रूप से प्राप्त मकबरों और मस्जिदों के अवशेष इस बात
की पुष्टि करते हैं। इन इमारतों की स्थापत्य हम्पी से प्राप्त हुए मंदिरों के मण्डपों के स्थापत्य
से मिलते-जुलते हैं।
(x) कुएँ, बरसात के पानी वाले जलाशय और साथ ही मंदिर के जलाशय साधारण नगर
के निवासियों के लिए पानी के स्रोत का कार्य करते थे।
(xi) विजयनगर के राजाओं ने हजारा राम मंदिर की दीवारों पर मूतिकला शैली को अपनाया ।
इस मंदिर की दीवारों पर अनेक हाथियों और घोड़ों की मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं । विजयनगर
के नायकों (सामंतों) ने महलनुमा संरचना के निर्माण की परंपरा को जारी रखा। उनके द्वारा बनाए
गए अनेक भवन दिखाई पड़ते हैं।
(xii) मन्दिर स्थापत्य के संदर्भ में इस समय तक कई नए तत्त्व प्रकाश में आते हैं। इनमें
विशाल स्तर पर बनाई गई संरचनाएँ जो राजकीय सत्ता की द्योतक थीं, शामिल हैं। इनका सबसे
अच्छा उदाहरण राय गोपुरम् अथवा राजकीय प्रवेश द्वार थे जो अक्सर केन्द्रीय देवालयों की
मीनारों को बौना प्रतीत कराते थे और जो लंबी दूरी से ही मंदिर के होने का संकेत देते थे। ये
संभवतः शासकों की ताकत की याद भी दिलाते थे, जो इतनी ऊँची मीनारों के निर्माण के लिए
आवश्यक साधन तकनीक तथा कौशल जुटाने में सक्षम थे। अन्य विशिष्ट अभिक्षणों में मण्डप
तथा लंबे स्तंभों वाले गलियारे, जो अक्सर मंदिर परिसर में स्थित देवस्थलों के चारों ओर बने
थे, सम्मिलित हैं।
प्रश्न 4. अध्याय के विभिन्न-विवरणों आप विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन
की क्या छवि पाते हैं ?                                        [N.C.E.R.T. T.B.Q.9]
What impression of the lives of the oridinary people of Vijayanagara
can you cull from the various descriptions in the chapter ?
उत्तर-(i) सामान्य लोगों के बारे में बहुत ज्यादा विवरण प्राप्त नहीं होते क्योंकि सामान्य लोगों
के आवासों जो अब अस्तित्व प्राप्त नहीं हुए हैं उनके बारे में सोलहवीं शताब्दी का पुर्तगाली यात्री
बरबोसा कुछ इस प्रकार वर्णन करता है : “लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं, पर फिर भी
सुदृढ़ हैं, और व्यवसाय के आधार पर कई खुले स्थानों वाली लंबी गलियों में व्यवस्थित हैं।”
(ii) क्षेत्र-सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि इस पूरे क्षेत्र में बहुत से पूजा स्थल और छोटे मंदिर
थे जो विविध प्रकार के संप्रदायों, जो संभवतः विभिन्न समुदायों द्वारा संरक्षित थे, के प्रचलन की
ओर संकेत करते हैं। सर्वेक्षणों से यह भी इंगित होता है कि कुएँ, वरसात के पानी वाले जलाशय
और साथ ही मंदिरों के जलाशय संभवतः सामान्य नगर और ग्रामीण निवासियों के लिए पानी
के स्रोत का कार्य करते थे।
(iii) विजयनगर साम्राज्य में साधारण लोग विभिन्न सम्प्रदायों जैसे हिन्दू-शैव, वैष्णों, जैन,
बौद्ध और इस्लाम के अनुयायी रहते थे। वह विभिन्न भाषाओं का जैसे कन्नड़, तमिल, तेलगू
संस्कृत आदि का प्रयोग करते थे।
(iv) सामान्य लोगों में कुछ छोटे व्यापारी और कुछ सौदागर भी थे जो गाँवों, कस्बों और
छोटे शहरों में रहते थे। इनमें कुछ व्यापारी बंदरगाह शहरों में भी रहते थे। स्थानीय वस्तुओं जैसे
मसाले, मोती, चंदन आदि के साथ-साथ कुछ व्यापारी घोड़े और हाथियों का व्यापार भी करते
थे। इन व्यापारियों को कुटीर राय, चेती अथवा अवश्य सौदागर भी कहते थे।
(v) किसान, श्रमिक, दास आदि को भी साधारण लोगों में शामिल किया जा सकता था।
साम्राज्य में कुछ सामान्य ब्राह्मण, व्यापारी और दास, दासियाँ भी थे। साधारण लोग कृषि कार्यों
के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के तथाकथित छोटे समझे जाने वाले कार्य भी किया करते थे।
(vi) विजयनगर में श्रमिकों को विप्रा विनोदधियन भी कहा जाता है। इस वर्ग में लोहार,
सुनार, बढ़ई, मूर्तिकार आदि कहे जाते थे। विदेशियों के अनुसार ये लोग अपने अधिकारों के लिए
परस्पर लड़ते-रहते थे। हमारे विचारानुसार यह कथन ठीक नहीं जान पड़ता । विदेशी वृत्तांतों ने
भारतीय समाज के दोषों को व्यक्त करने पर अधिक जोर दिया है।
निष्कर्ष (Conclusion)-1. इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि साधारण लोग
निर्धन थे और संभवतः गरीबी उनकी आपसी लड़ाई का कारण होती थी।
1555 में वेलोर से प्राप्त एक शिलालेख से यह प्रमाणित होता है कि वहाँ के किसान और
शिल्पकार आपस में झगड़ पड़े। संभवतः ऐसा जान पड़ता है कि उस समय अनेक लोगों को
महसूस हुआ कि सामाजिक न्याय के लिए तुरंत कानून बनाए जायें।
2. केकौल (Kaikkol) अथवा जुलाहे बड़ी संख्या में थे। वे मंदिरों के पास रहते थे। वे
अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। इन जुलाहों को भी मंदिर प्रशासन में शामिल किया
जाता था।
3. विजयनगर साम्राज्य में एक समुदाय के लोग गद्दाशयस (Godarias) भी थे जिन्हें
कम्बलातार (Kambaluttar) के नाम से जाना जाता था। वे बहुपत्नी विवाह के रिवाज का पालन करते थे। इनके जीवन की एक विशेष चारित्रिक विशेषता यह होती थी कि पत्नी की आयु पति से ज्यादा होती थी। उनकी महिलाएँ अपने ही पति के रक्त संबंधियों जैसे पिता और भाइयों के साथ शारीरिक संबंध बनाए रखती थीं।
4. साधारण वर्ग के लोगों में तलाक, सती और पुनर्विवाह के रीति-रिवाज प्रचलित थे।
5. विजयनगर साम्राज्य में एक परम्परावादी धर्माध वर्ग भी था जिसे रेडीज (Radis) कहा
जाता था। वह भूमियों के मालिक होते थे। विजयनगर साम्राज्य में आने वाले तेलगू क्षेत्र में उनका
खासा प्रभाव था।
6. विजयनगर साम्राज्य के नगर में कुछ निम्न वर्ग के लोग भी थे जो गैर प्रभावी थे। इनमें
डोमवार (Dombar), मरवा (Marva), जोगी (Gogi), प्रयाण (Pariyan), बोई (Boi), कल्लर
(Kaller) आदि शामिल थे। कालांतर में पुर्तगालियों के प्रभाव बढ़ने से कुछ निम्न जातियों के
लोग अपना धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्मावलम्बी हो गए थे।
7. समाज में जाति प्रथा और छुआछूत की बुराइयाँ विद्यमान थीं। अनेक कवियों ने इनके
विरोध में आवाज उठाई।
8. समाज में दास प्रथा विद्यमान थी। आदमियों को खरीदा और बेचा जाता था। इन्हें
बेसबाग (Basabaga) कहा जाता था। दासों के लिए कुछ विशेष नियम होते थे । दासों के स्वामी उनके साथ उदारता से पेश आते थे। विजयनगर की सरकार ने अनेक सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रशंसनीय प्रयास किए।
प्रश्न 5. विजयनगर साम्राज्य की सांस्कृतिक उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए।
                                                                      [B.Exam.2010 (A)]
उत्तर-विजयनगर शैली के भवन तुंगभद्रा नदी के सम्पूर्ण दक्षिण क्षेत्र में फैले हैं। इन्होंने पुराने
मन्दिरों का विस्तार किया। कई मन्दिरों में गोपुरम का निर्माण कराया। यहाँ की स्थापत्य कला
प्रमुखतः तीन भागों में विभाजित की जा सकती है-धार्मिक, राजशाही एवं नागरिक। विजयनगर
शैली में चालुक्य, होयसल, पल्लव एवं चोल शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। इन्होंने
स्थानीय कठोर पत्थर (ग्रेनाइट) का बहुत उपयोग किया है। शिल्पकला में सलखड़ी पत्थर का
इस्तेमाल किया है। मन्दिरों के स्तम्भों की विविध एवं जटिल सजावट विजयनगर शैली की एक
प्रमुख विशेषता है।
हम्पी के मन्दिरों में कुछ स्तम्भों पर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं। इन मूर्तियों में पिछले पैरों के बल
खड़े हुये कुछ घोड़े दिखाये गये हैं। कहीं-कहीं कुछ उपद्रवों जानवर भी बनाये गये हैं। स्तम्भों
के दूसरी ओर हिन्दुओं की पौराणिक कथाओं के चित्र बने हुये हैं।
हम्पी के मन्दिरों में वर्गाकार या चार से अधिक भुजाओं वाले चबूतरों पर मंडप बने हुये
हैं। मंडपों की छतों एवं छतों के किनारे पर सजावट की गई है। सामान्यतः यह मण्डप चार या
पाँच फुट ऊँचे हैं।
विजयनगर के कुछ प्रमुख मन्दिर निम्न हैं-
(1) विट्ठल मन्दिर : इसका निर्माण-कार्य, देवराय द्वितीय काल में प्रारम्भ हुआ एवं
कृष्णदेव राय व अच्युतराय के काल तक चलता रहा। यह मन्दिर 500 फुट लम्बे व 310 फुट
चौड़ी एक चहारदीवारी से घिरा है। इसमें गोपुरों में युक्त तीन प्रवेश द्वार हैं। मुख्य मन्दिर मध्य
भाग में स्थित है। यह विट्ठल रूपी विष्णु का मन्दिर है। इसके तीन भाग हैं-
1. सामने की ओर खुला स्तम्भ हाल, महामण्डप।
2. मध्य भाग में इसी तरह का बन्द हॉल, अर्द्ध-मण्डप।
3. इसके पृष्ठ भाग में गर्भगृह है।
डेमिंगौस पेइज ने इस मन्दिर का वर्णन इस प्रकार किया है-“मन्दिर की बाहरी दीवार पर
नीचे से लेकर छत तक ताँबे के पत्र चढ़े हुये हैं। छत के ऊपर बड़े-बड़े जानवरों की मूर्तियाँ बनी हुई हैं। जब मंदिर के अन्दर प्रवेश करते हैं तो उसके अन्दर स्तम्भों पर तेल से जलने वाले दीपक
रखे दिखते हैं। ये दिये 2500 से 3000 तक हैं जो रात्रि को जलाये जाते हैं।” मन्दिर के बाहर
एक आँगन में सूर्य देवता के लिये ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित रथ बने हैं। इन पत्थरों के रथों के
पहिये आज भी घुमाये जा सकते हैं।
(2) विरुपाक्ष मन्दिर : अभिलेखों से पता चलता है कि विरुपाक्ष मन्दिर का निर्माण नवीं
या दसवीं शताब्दी में किया गया था। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद उसे बड़ा करवाया
गया। मुख्य मन्दिर के सामने जो मण्डप बना है, उसका निर्माण कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में करवाया। पूर्वी गोपुरम (प्रवेश द्वार) भी उसी ने बनवाया था। यह मन्दिर नगर के केन्द्र में स्थित है। मन्दिर की दीवारों पर शिकार करने, नाच व युद्धों की जीत के जश्न मनाने के सुन्दर दृश्य दिखाये गये हैं।
13) गोपुरम : गोपुरम प्रवेश द्वारा को कहा गया है। विजयनगर शासकों ने मन्दिरों में गोपुरम
का निर्माण कराया। वे अत्यधिक विशाल एवं ऊंँचे होते थे। वे सम्भवतः सम्राट की ताकत की
याद दिलाते थे जो इतनी ऊंँची मीनार बनाने में सक्षम थे।
(4) राजभवन : राजा का महल भी हम्पी की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इनमें एक
राजा का दरबार हॉल और दूसरा सिंहासन मंच प्रमुख है। सिंहासन मंच को विजय भवन के नाम
से भी जाना जाता है। यह कृष्णदेव राय द्वारा उड़ीसा विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था।
पेइज बताता है कि राजघराने की सेवा के लिये 1 लाख 20 हजार सेवक थे। इस राजभवन में
महारानी का स्नानघर भी निर्मित था। राजसिंहासन मंच एक के ऊपर एक क्रमशः तीन घटते हुए
चबूतरों के रूप में था। राजभवन की दीवारों पर फूल, पत्ती व मनुष्यों की सुन्दर आकृतियाँ निर्मित की गयी थीं।
प्रश्न 6. विजयनगर साम्राज्य की उपलब्धियों की जानकारी दें। [B.Exam.2012 (A)]
उत्तर-(i) विजयनगर शब्द के दो उपयोग : विजयनगर या ‘विजयों का शहर’ नामक शब्द
एक शहर और एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयोग किया जाने वाला नाम था।
(ii) साम्राज्य की स्थापना, फैलाव और पतन : विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर
और बुक्का दो भाइयों ने चौदहवीं शताब्दी में की थी। अपने चरमोत्कर्ष पर यह उत्तर में कृष्णा
नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। 1565 में इस पर आक्रमण कर इसे
लूटा गया और बाद में यह उजड़ गया। हालांकि सत्रहवीं-आठरहवीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह
से विनष्ट हो गया था, पर फिर भी कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में यह
जीवित रहा।
(iii) लोगों ने इसे हस्पी नाम से याद रखा : इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय
मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुआ था। इन मौखिक परम्पराओं के साथ-साथ पुरातात्विक खोजों, स्थापत्य के नमूनों, अभिलेखों तथा अन्य दस्तावेजों ने विजयनगर साम्राज्य को पुनः खोजने में विद्वानों की सहायता की।
                                                      ★★★

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