Akbar History in Hindi | अकबर का इतिहास और जीवनी
Akbar History in Hindi | अकबर का इतिहास और जीवनी
Akbar History in Hindi
अकबर तैमूरी मुगल वंश का तीसरा शासक था. अकबर को अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर भी कहा जाता है. अकबर ने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके. अकबर ने अपने शासनकाल में सभी धर्मों का सम्मान किया था, सभी जाति-वर्गों के लोगों को एक समान माना और उनसे अपने मित्रता के सम्बन्ध स्थापित किए थे.जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर , जिसे अकबर महान के नाम से भी जाना जाता था. यह बाबर और हुमायूं के बाद मुगल सम्राट के तीसरे सम्राट के रूप में उभर के सामने आए. अकबर नसीरुद्दीन हुमायु के पुत्र थे. अकबर जैसे महान योद्धा ने 1556 ई. में मात्र 13 वर्ष की आयु में सम्राट के रूप में उत्तराधिकारी का पदभार संभाला. अपने पिता की गंभीर अवस्था के दौरान सम्राट अकबर ने धीरे-धीरे मुगल समराज के सीमा को बढ़ाना शुरू किया , जिसमें लगभग सभी भारतीय उपमहाद्वीप भी शामिल थे. उन्होंने अपनी सैन्य, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभु तत्व के बल पर पूरे देश में अपनी शक्ति और अपने प्रभाव को बढ़ाया. उन्होंने अपने अच्छे प्रशासन के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली की स्थापना की और विवाह गठबंधन और कूटनीति जैसी नीतियों को स्वीकार किया. उनकी धार्मिक नीतियों के कारण उन्होंने अपने गैर-मुस्लिम लोगों का दिल जीता और उनका उनको पूरा समर्थन मिला. वह मुगल राजवंश के सबसे महान सम्राटों में से एक थे और उन्होंने कला और संस्कृति के लिए अपने संरक्षण का विस्तार किया. वे साहित्य के बहुत शौकीन थे, और उन्होंने कई भाषा में साहित्य का समर्थन किया. इस प्रकार अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान एक बहु सांस्कृतिक समराज की नींव रखी थी|
अकबर का प्रारम्भिक जीवन:-
1540 ईस्वी में मुगल सम्राट हुमायु चौसा और कन्नोज के युद्ध में शेरशाह सुरी से पराजित हो गया था | और सिंध की तरफ कुच करते हुए उन्होंने हुमायु के छोटे भाई के अध्यापक शैख़ अली अकबर जामी की 14 वर्ष की बेटी हमीदा बानू बेगम से निकाह कर लिया | हमीदा ने 15 वर्ष की उम्र में ही सिंध प्रांत में जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को जन्म दिया | अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को हुआ जिस समय उनके माता-पिता सिंध प्रांत के हिन्दू राजा राणा प्रसाद की शरण में थे |हुमायु के निर्वासन के दौरान अकबर को काबुल लाया गया और उसके चाचाओ ने उसकी परवरिश की | उन्होंने अपना बचपन शिकार और युद्ध कला में बिताया लेकिन पढना लिखना कभी नही सिखा | 1551 में अकबर ने अपने चाचा हिंडल मिर्जा की इकलौती बेटी रुकैया सुल्तान बेगम से निकाह कर लिया | इसके कुछ समय बाद ही हिंडल मिर्जा की युद्ध के दौरान मौत हो गयी|हुमायु ने 1555 में शेरशाह सुरी के बेटे इस्लाम शाह को पराजित कर दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया | इसके कुछ समय बाद ही हुमायु की मृत्यु हो गयी | अकबर के अभिभावक बैरम खान ने 13 वर्ष की उम्र में ही 14 फरवरी 1556 में अकबर को दिल्ली की राजगद्दी पर बिठा दिया | बैरम खान ने उसके वयस्क होने तक राजपाट सम्भाला और अकबर को शहंशाह का ख़िताब दिया |
परिचय बिंदु (Introduction Points) | परिचय (Introduction) |
पूरा नाम ((Full Name) | अबुल-फतह जलाल-उद्दीन मोहम्मद अकबर |
जन्म दिन(Birth Date) | 15 अक्टूबर 1542 |
जन्म स्थान (Birth Place) | अमरकोट सिंध |
पेशा (Profession) | योद्धा मुगल सम्राट |
राजनीतिक पार्टी (Political Party) | – |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
उम्र (Age) | 63 वर्ष |
गृहनगर (Hometown) | अमरकोट सिंध |
धर्म (Religion) | इस्लाम, दीन-ए इलाही |
वंश (Genus) | तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का वंशज |
जाति (Caste) | मुगल |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
माता-पिता (Father & Mother ) | नसीरुद्दीन हुमायु -हमीदा बानो बेगम |
दादा-दादी ( Grand- Father & Grand- Monther ) | बाबर – महम बेगम |
पत्नियाँ (Wifes) | पत्नी हीर कुँवारी, हीरा कुँवारी, हरका बाई, जोधा बाई, सलीमा सुल्तान बेगम |
पुत्र (Son) | जहाँगीर, दानियाल, सुल्तान मुराद मिर्जा, हवर्ष, हुसैन |
पानीपत का दूसरा युद्ध:-
जब मुगल साम्राज्य स्थापित था तो अकबर के साम्राज्य में काबुल कंधार, दिल्ली और पंजाब के कुछ हिस्से शामिल थे. उसी दौरान अफगान के सुल्तान मोहम्मद आदिल शाह ने भारत के सिंहासन पर कब्जा पानी और मुगलों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए योजना बनाई थी. 1556 में हुमायु की मृत्यु के तुरंत बाद हिंदू जंगल सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू के सहयोग से दिल्ली पर अफगान सेना ने कब्जा कर लिया. अपमानजनक हार का सामना मुगलों को करना पड़ा और वे जल्दी अपने कमांडर तार्डी बेग के साथ भाग गए. हेमू ने 7 अक्टूबर 1556 में मुगल सिंहासन पर विराजमान हो गया. और इसी के साथ 350 साल की मुस्लिम साम्राज्यवाद के बाद उत्तर भारत में हिंदू शासन की स्थापना हुई. हिंदू शासन के कुछ समय बाद बैरम खान के निर्देश और नेतृत्व पर अकबर ने दिल्ली में सिंहासन पर अपने अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के इरादे की घोषणा की. मोबाइल से 9 स्वर के रास्ते पानीपत चली गई और 5 नवंबर 1556 को हेमू की सेना का सामना किया. अकबर की सेना हेमू की सेना की तुलना में काफी कम पड़ रही थी. हेमू की सेना में 30,000 घुड़सवार और 1500 हाथी थे उन्हें हिंदू मूल और अफगान शासकों का समर्थन भी था. बैरम खान ने मुगल सेना का नेतृत्व किया और सामने आकर लड़े. नौजवान अकबर को युद्ध स्थल से कुछ दूरी पर उनकी सेना द्वारा उनको सुरक्षित रखा गया था. युद्ध के शुरुआती में हेमू की सेना एक मजबूत स्थिति में थी, लेकिन बैरम खान और एक अन्य जनरल अल्वी कुली खान द्वारा रणनीति बनाकर युद्ध में अचानक बदलाव किया गया और दुश्मन की सेना पर काबू पा लिया गया . दुर्भाग्यपूर्ण मुगल सेना का तीर हेमू की आंखों में जा लगा , और उसका हाथी चालक अपने राजा को लेकर युद्ध के मैदान से दूर जाने लगा. सैनिकों का पीछा किया और उसे पकड़ लिया. इसी वजह से हेमू की विजय पराजय में बदल गई और उसे अकबर के सामने ले जाया गया. बैरम खान ने अकबर से कहा कि हेमू का वध कर गांधी पथ की उपाधि प्राप्त कर लीजिए. परंतु अकबर ने ऐसा करने से मना कर दिया और अपने शत्रु के साथ ऐसा व्यवहार करने से मना कर दिया. परंतु बैरम खान ने अपनी तलवार से हेमू का वध कर डाला. किस पानीपत के ऐतिहासिक युद्ध में मुगलों को 1500 हाथी तथा बहुत बड़ी मात्रा में चांदी सोना और धन मिला. दिल्ली एवं आगरा तथा उसके निकटवर्ती है , क्षेत्रों पर मुगल शासन का राज्य स्थापित हो गया. यह पानीपत का युद्ध अफ़गानों और मुगलों के बीच दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए बहुत ही निर्णायक साबित हुआ. इसके बाद मुगलों ने पूरे आने वाले 300 वर्षों तक दिल्ली पर शासन की भागदौड़ अपने हाथों चलाते रहे.
अकबर का राजपुताना पर आक्रमण:-
अकबर ने अब तक उत्तरी भारत के काफी हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया था | अब अकबर राजपुताना पर आक्रमण करना चाहता था | मुगलों ने राजपुताना के उत्तरी हिस्से अजमेर और नागोर पर तो कब्ज़ा कर लिया था | अब अकबर को मेवाड़ की धरती पर कदम रखकर उसे अपना बनाना था | इससे पहले राजपुत राजाओ ने मुस्लिम शाशको के खिलाफ कभी भी समर्पण नहीं किया था | 1561 में मुगलों ने राजपूत लोगो से सम्पर्क बनाकर कूटनीति से अपने अंदर शामिल कर लिया | कई राजपूत राज्यों ने अकबर की आधिप्त्यता स्वीकार कर ली थी | केवल मेवाड़ के शाशक उदय सिंह अकबर की कूटनीति से दूर रहे |राजा उदय सिंह के पिताजी राणा सांगा 1527 में बाबर के खिलाफ खानवा के युद्ध में लड़ाई के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गये थे | राजा उदयसिंह उस समय सिसोदिया वंश के शाषक थे | राजा उदयसिंह ने अकबर की सेना के आगे घुटने टेकने से मना कर दिया | 1567 में अकबर की सेना ने मेवाड़ के चित्तोड़गढ़ दुर्ग पर हमला बोल दिया और 4 महीनों तक घेराबंदी करने के बाद 1568 में दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया | उस समय उदयसिंह दो राजपूत योद्धाओ जयमल और पत्ता को छोडकर मेवाड़ की पहाडियों में चले गये थे | अकबर ने उन दोनों के शीश काटकर दीवार पर लटका दिए |अकबर तीन दिन तक चित्तोड़गढ़ रहा और फिर से आगरा लौट गया | उदयसिंह की शक्ति और प्रभाव इस वजह से कम हो गया1568 में चित्तोद्गढ़ दुर्ग के बाद रणथम्बोर दुर्ग पर हमला करने का विचार बनाया | उस समय रणथम्बोर पर हाडा राजपूत का राज था और उस समय का सबसे मजबूत किला माना जाता था | लेकिन कुछ महीनों के संगर्ष पर अकबर ने उस पर भी कब्जा कर लिया | अकबर ने अब तक पुरे राजपुताना को अपना बना लिया था | कई राजपूत राजाओ ने समर्पण कर दिया था और केवल मेवाड़ ही बच गया था | उदयसिंह के पुत्र और उत्तराधिकारी प्रताप सिंह ने 1576 में अकबर की सेना से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ाई की और प्रताप की सेना को हरा दिया | अकबर ने राजपुताना पर अपनी नीव रख दी और फतेहपुर सीकरी को राजपुताना की राजधानी बनाया | महाराणा प्रताप ने लगातार मुगलों से युद्ध करते रहे और अपने पूर्वजो की जमीन पर फिर से कब्जा किया था |
साहित्य और कला के शौकीन:-
अकबर अपने पिता हुमायूं और दादा बाबर से विपरीत थे और उनको साहित्य और कला से बहुत लगाव था. अकबर कोई कवि या डायरिस्ट नहीं थे. तब पर भी उन्होंने कला सांस्कृतिक और बौद्धिक प्रवचन की सहाना की और उनका विस्तार क्या है. अकबर ने वास्तु कला के क्षेत्र में भी बहुत विस्तार किया और मुगल शैली का भी प्रचार किया. अकबर ने एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी. जिसमें लगभग 24,000 से अधिक संस्कृत, उर्दू , पार्शियन, ग्रीक, लेटिन अरबी और कश्मीरी भाषाएं की किताबें थी. इसके अतिरिक्त वहां पर कई सारे विद्वान, अनुवादक, कलाकार , सुलेख , लेखक, जिल्दसाज और वाचक भी मौजूद थे. अकबर खुद पढ़ा लिखा नहीं था परंतु उसने महिलाओं के लिए फतेहपुर सीकरी में एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी. हिंदू एवं मुस्लिम लोगों के लिए भी स्कूलों का निर्माण करवाया था. जलालुद्दीन अकबर ने दिल्ली, आगरा और फतेहपुर सीकरी के दरबार को कला साहित्य और शिक्षा के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया.
अकबर साम्राज्य का विस्तार:-
अकबर ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से संपूर्ण उत्तरी हिंदुस्तान, उत्तरी पश्चिम बंगाल से लेकर पूर्व में आसाम और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में बीजापुर और गोलकुंडा की सरहद तक अकबर ने अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था. सम्राट अकबर ने अपनी मृत्यु होने तक इन निम्नलिखित समराज को व्यवस्थित रूप से अपने अंदर जोड़ा.
(1) काबुल, (2) लाहौर, (3) मुल्तान, (4) देहली, (5) आगरा, (6) अवध, (7) अजमेर, (8) गुजरात, (9) मालवा, (10) इलाहाबाद, (11) बंगाल, (12) बिहार, (13) खानदेश, (14) यरार, (15) अहमदनगर. इन सभी राज्यों से अकबरपुर 1602 में लगभग 17 करोड़ 45 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई थी.
जोधाबाई से अकबर के विवाह का इतिहास:-
1542 में जोधाबाई, उर्फ मरियम- उज-जमानी का जन्म एक राजवंशी राजकुमारी के रूप में हुआ था. वे जयपुर के आमेर के राजा भारमल की पुत्री थी. 6 फरवरी 1592 को सांभर , हिंदुस्तान में उनका विवाह सम्राट अकबर से हुआ. अकबर के साथ विवाह से उनके जीवन में धार्मिक और सामाजिक नीति में एक क्रमिक बदलाव आया था. अकबर के साथ विवाह होने के बाद उनको मल्लिका-ए-हिंद के नाम से जाने जाने लगी. अकबर की तीनों पत्नियों में से उनकी तीसरी प्रमुख महिलाओं में से यह एक थी. शहजादे के पैदा होने के बाद जोधा बेगम को मरियम- उज- ज़मानी का बेगम साहिबा का किताब दिया गया.
अकबर के नवरत्न:-
अकबर के दरबार में विराजमान नवरत्न के बिना उल्लेख के अकबर की भव्यता की कहानी मानो अधूरी ही रह जाती है. अकबर पढ़ना लिखना नहीं जानता था परंतु उसको सांस्कृतिक कला विभिन्न भाषाओं की जानकारी और शिक्षा के प्रति उसका अत्यधिक लगाव रहा है. अकबर के साम्राज्य को शोभायमान करने के लिए नवरत्न रखें , जो उसके दरबार को चार चांद लगाते थे. अकबर के नवरत्न जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं.
1 . अब्दुल फजल
सम्राट अकबर के शासन काल की प्रमुख घटनाओं को अब्दुल फजल ने कलमबद्ध किया था. इन्होंने अकबरनामा और आइन -ए – अकबरी की रचना की थी.
2 . तानसेन
अकबर के दरबार में कवि तानसेन एक अद्भुत विलक्षण संगीतज्ञ थे. तानसेन ने मल्हार राग की खोज की थी. तानसेन के बचपन का नाम तन्ना मिश्रा या फिर राम पांडे था. माना जाता है कि तानसेन को दीपक राग का बहुत संपूर्ण और अथक ज्ञान था.
3 .फैजी
यह एक बहुत प्रसिद्ध कवि थे और अबू फजल के भाई भी थे. इसके अलावा अकबर के बेटे के गणित के शिक्षक भी बने.
4 . बीरबल
राजा बीरबल सम्राट अकबर के विशेषज्ञ सलाहकार थे. इसके अलावा वह विशेष महान कवि भी. उनके द्वारा लिखी ब्रह्म के नाम से कविताएं आज भी भरतपुर संग्रहालय के राजस्थान में आज भी मौजूद है.
5 . राजा टोडरमल
राजा टोडरमल सम्राट अकबर के राजस्व और वित्तमंत्री थे. इन्होंने भूमि की पैमाइश इसके लिए पूरे विश्व में सर्वप्रथम मानक प्रणाली खोज की थी. यह अकबर के समराज के राजस्व प्रणाली सुधार के लिए जिम्मेदार थे.
6 . राजा मानसिंह
राजा मान सिंह जोधा बेगम के भाई थे और यह अकबर के एक प्रमुख सेनापति भी थे.
7 . मुल्लाह दो प्याजा
इन्होंने अकबर के कलाकार के रूप में भी अपना योगदान दिया हुआ है. और इनको बात काटने और प्याज खाने का भी बहुत शौक था.
8 . अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना
यह बैरम खान के बेटे थे और इनको गजल दोहो को लिखने का बहुत शौक था. इसीलिए एक प्रसिद्ध कवि के रूप में भी जाने जाते थे.
9 . फ़क़ीर अज़ियोद्दीन
यह अकबर के नवरत्नों में से एक थे. और इसके अतिरिक्त अकबर के प्रमुख सलाहकारों में से भी एक थे.
अकबर का मृत्यु:-
अकबर का अगला सैन्य अभियान बंगाल और गुजरात था | 1572 में उसने गुजरात की राजधानी अहमदाबाद पर अपना कब्जा कर लिया था | गुजरात पर अपना कब्जा करने के बाद फतेहपुर सीकरी लौटकर उसने अपनी जीत के उपलक्ष्य में बुलंद दरवाज़ा बनाया |1593 में अकबर ने डेक्कन के सुल्तानों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया | अकबर ने बुह्रानपुर के असीरगढ़ किले पर कब्ज़ा कर लिया | 1605 में उसकी मौत से पहले उसने बंगाल की खाड़ी तक अपना साम्राज्य फैला दिया था | पेचिश की वजह से तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद अकबर की मौत हो गयी | अकबर की आगरा में कब्र बनाई गयी |