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Abhijit Banerjee Biography in Hindi – अभिजीत विनायक बनर्जी

Abhijit Banerjee Biography in Hindi – अभिजीत विनायक बनर्जी की जीवनी

Abhijit Banerjee Biography in Hindi

अभिजीत बिनायक बनर्जी एक भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री है।अमर्त्य सेन (Amartya Sen) के बाद अर्थशास्त्र के क्षेत्र में फिर नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) एक भारतीय को हासिल हुआ. भारत में जन्मे और पले बढ़े अभिजीत बनर्जी को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल विजेता चुना गया.

बनर्जी के साथ ही एस्थर डफलो (Esther Duflo) और माइकल क्रेमर (Michael Kremer) को भी संयुक्त रूप से इस पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा. घोषणा के मुताबिक दुनिया में गरीबी के अभिशाप से निपटने के लिए इन तीनों अर्थशास्त्रियों ने जो प्रयोगात्मक रिसर्च और सिद्धांत अपनाए, उनके कारण दो दशकों में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में काफी विकास (Development Economics) हुआ. बनर्जी के बारे में क्या और कितना जानते हैं आप?

अभिजीत बनर्जी का जन्म कोलकाता में निर्मला बनर्जी और दीपक बनर्जी के घर हुआ। उनकी माता कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थी और पिता दीपक बनर्जी कलकत्ता के प्रेसिडेंट कॉलेज में प्रोफेसर थे और साथ ही वह अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख भी थे।

2003 में बनर्जी ने एस्तेर डुफ्लो और सेंथिल मुलैनाथन के साथ अब्दुल लतीफ जमील गरीबी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की, और वह लैब के निदेशकों में से एक बने रहे। बनर्जी ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट, NBER के एक रिसर्च एसोसिएट, एक सीईपीआर के रिसर्च फेलो, कील इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष हैं।

बनर्जी इन्फोसिस पुरस्कार के विजेता रहे हैं। वह चार पुस्तकों के लेखक भी हैं, जिनमें पुअर इकोनॉमिक्स शामिल है, जिसने गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर जीता। वह तीन और पुस्तकों के संपादक हैं और उन्होंने दो वृत्तचित्र फिल्मों का निर्देशन किया है। उन्होंने यूएन के महासचिव के पद-2015 विकास एजेंडा पर प्रख्यात व्यक्तियों के उच्च-स्तरीय पैनल में भी कार्य किया।

कलकत्ता के बाद जेएनयू से ली डिग्री

बनर्जी के माता-पिता निर्मला बनर्जी और दीपक बनर्जी दोनों ही अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे. 1981 में कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीएस की डिग्री के बाद बनर्जी ने अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से ली थी. इसके बाद उन्होंने 1988 में हार्वर्ड से डॉक्टरेट हासिल किया और उनका शोध ‘सूचनात्मक अर्थशास्त्र’ पर आधारित था.बनर्जी 2004 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज़ के फेलो रह चुके हैं और उन्हें 2009 में सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इन्फोसिस पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है. पुअर इकोनॉमिक्स नामक किताब के लिए उन्हें 2012 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रतिष्ठित गेराल्ड लोएब अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया था.

डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के मास्टर हैं बनर्जी

अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका (USA) के नागरिक हैं और मैसेचुसेट्स में फोर्ड फाउंडेशन में प्रोफेसर हैं. इसके अलावा वह हार्वर्ड (Harvard) और प्रिंसटन यूनिवर्सिटियों में भी पढ़ाते हैं. उनका ज्यादातर काम डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में है. एस्थर डफलो, क्रेमर, जॉन लिस्ट और सेंथिल मुलैयानाथन के साथ मिलकर उन्होंने अर्थशास्त्र में अहम पद्धतियां खोजी हैं, जिनसे वैश्विक गरीबी (Global Poverty) की समस्या से लड़ने में मदद मिली.

2013 में संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स के एक कार्यक्रम में बतौर विशेषज्ञ एक पैनल में शामिल किया था. इसके साथ ही, बनर्जी ने इसी साल एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया के सालाना जलसे में एक लेक्चर देकर सामाजिक नीति पर पुनर्विचार करने की बात पर ज़ोर दिया था.

नोबेल विजेता एस्थर हैं बनर्जी की दूसरी पत्नी

साहित्य की लेक्चरर रहीं डॉ. अरुंधति तुली बनर्जी के साथ अभिजीत की शादी हुई थी. दोनों के एक बेटा कबीर भी था, जिनकी मौत मार्च 2016 में हो गई थी. हालांकि उससे पहले ही अभिजीत का तलाक हो चुका था. अभिजीत अपनी को-रिसर्चर और नोबेल की सह विजेता एस्थर डफलो के साथ रहे और 2012 में दोनों के एक संतान भी हुई. एस्थर की पीएचडी के को सुपरवाइज़र बनर्जी ही थे और बनर्जी की तरह ही एस्थर भी गरीबी उन्मूलन से जुड़े अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं. एस्थर के साथ 2015 में बनर्जी ने औपचारिक रूप से शादी की थी

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