10th hindi

bihar board class 10 hindi note book – lesson 5

नागरी लिपि

bihar board class 10 hindi note book

class – 10

subject – hindi

lesson 5 – नागरी लिपि

नागरी लिपि
―――――――――――
-गुणाकर मूले

लेखक परिचय :- गुणाकर भूले का जना 1935 ई. में महाराष्ट्र के अमरावती जिले के एक गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा प्रामीण परिवेश में मराठी भाषा के मध्य से हुई थी। उनहोंने मिडिल तक मराठी को पढ़ाई की। बाद में वे चर्चा चले गए जहाँ दो वर्षों तक नीकरी किया।
नौकरी करते हुए उन्होंने अंग्रेजी और हिन्दी का भी अध्ययन किया। गणित के साथ उन्होंने मैट्रिक से लेकर एम. ए. तक की पढ़ाई की इलाहाबाद में की। 2009 ई. में उनका स्वर्गवास हो गया।

*कृतियाँ : गुणाकर मूले को अध्ययन और कार्य का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उन्होंने गणित, खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, विज्ञान का इतिहास पुरालिपिशास्त्र और प्राचीन भारत का इतिहास व संस्कृति जैसे विषयों पर खूब लिखा है। पिछले 25 वर्षों की साधना के फलस्वरूप इन्हों विषयों से संबंधित उनके 2500 (दो हजार पाँच सौ) लेख और तीस पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। उनकी प्रमुख कृतियों के नाम निम्न है-
(1) अक्षरों की कहानी (2) भारत : इतिहास और संस्कृति (3) प्राचीन भारत के महान बैज्ञानिक (4) आधुनिक भारत के महान वैज्ञानिक (5) मेंढलीफ, (6) महान वैज्ञानिक, (7) सौर मंडल (8) सूर्य, (9) नक्षत्र लोक, 10 भारतीय लिपियों की कहानी (11) अंतरिक्ष-या। (12) ब्रह्मांड परिचय (13) भारतीय विज्ञान की कहानी (14) अधा-कथा आदि।

* साहित्यक विशेषताएँ-गुणाकर मूले भारतीय मूल के बई लेखक हैं। इन्होंने विज्ञान विषयक निबंध, आलेख या पुस्तकें लिखी हैं। इनकी भाषा सरल और सहज है। मूलजी ने अपनी प्रतिभा द्वारा विज्ञान विषय पर अनेक ग्रंथों का सृजन कर हिन्दी साहित्य को काफी समृद्ध किया
है।
गुणाकर मूले गंभीर अध्येता हैं। इनका कार्य क्षेत्र बट्टा ही व्यापक है। इसी कारण इन्होंने जितनी भी पुस्तक लिखी है उनका महत्व अधिक है। शब्दों के प्रयोग, प्रवाहमयता सरलता और सहकता इनकी कृतियों में देखने को मिलती है।
विज्ञान जैसे कठिन, शुष्क और दुक विषय पर मूले जी ने अपनी लखनी द्वारा अनेक ग्रन्थों का सृजन किया है जिनका महत्व लोकजीवन में अधिक है।

सारांश
――――――
हिन्दी तथा इसकी विविध बोलियाँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। इनके अलावा नेपाली, जंगरी और मराठी की लिपि भी नागरी है। संस्कृत और प्राकृत की पुस्तक भी देवनगारी में ही प्रवाशित होती है। गुजराती लिपि भी देवनागरी से बहुत भिन्न नहीं है। बंगला लिपि भी प्राचीन
नागरी लिपि की बहन ही है। सय ही यह है कि दक्षिण भारत की अनंक लिपियों नागरी की भी ही प्राचीन ब्राह्मो से विकसित है। बारहवीं सदी के श्रीलंका के शासकों के सिक्के पर भी नागरी अक्षर मिलते हैं। और महमूद गजनवी मुहम्मद गोरी अलाउनि खिलजी, शेरशाह ने भी अपने नाम
नागरी में खुदवार हैं और अकबर के सिक्के में भी ‘रामसीय शब्द, ऑकित है। वस्तुत: इंसा को आटवी-भौवीं सदी से नागरी लिपि का प्रचलन सारे देश में था।
नागरी नाम के लेकर तरह-तरह के विचार है। किन्तु इतना निश्चित है कि ‘नागरी’ शब्द किसी बड़े नगर से संबंधित है। काशी को देवनगर कहते थे हो सकता है वहाँ प्रयुका लिपि का नाम ‘देवनागरी’ पड़ा हो। जैसे, गुप्तों की राजधानी पटना भी ‘देवनगर’ को इसके नाम पर यह
नान करण हो सकता है। जो भी हो, यह नगर-विशेष की लिपि नहीं थी 8 वीं 11 वीं सदी में यह सर्वशिक लिपि भी
नागरी लिपि के साथ अनेक प्रादेशिक भाषाएँ जन्म लेती है। यथा, मराठा, बंगला आदि। नागरी लिपि में लेख न केवल पश्चिम तथा पूर्व बल्कि सूदूर दिक्षा से भी मिले है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ ग्रहण-संबंधी प्रश्न
———————————————————–
1. जिस लिपि में यह लेख का है, उसे इस नगरी या देवनागरी लिपि कहते हैं। काल दो लदो पहले पहली बार इस लिपि के सहम बरें और इस पुस्तक छपने लगी, इसलिए इस अब में रिसरता आ गई है।
हिन्दी तक इसकी चिनिन चोलिन देवनागरी लिपि में लिया जाता है। हमारे पड़ोसी देश नेपाल की नेपाली (खसकुरा) व नेवारी भाषाएँ भी इसी लिपि में लिखि जाती हैं। मराठी भाषा की लिपि देवनागरी है मराठी में सिर्फ एक अतिरिक्त अक्षर है। हमने देखा है कि प्राचीन काल में संस्कृत व प्राचीन भाषाओं में याद होनी थी और इसके लिए अनेक अभिलेखों में अक्षर मिलता है।
देवनागरी लिपि के बारे में एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि संसार में जहां भी संस्कृत प्राकृत की पुस्तकें प्रकाशित होती है ।वे प्रायः देवनागरी लिपि में ही छपती है ।वैसे विदेशों के कुछ पंडित और उनका अनुकरण करते हुए कुछ भारतीय पंडित भी ऊपर नीचे कुछ चिन्ह जोड़ते हुए रोमन अक्षरों में भी संस्कृत प्राकृत के उदाहरण एवं ग्रंथ छपवाते हैं।

(क) यह अपारण किस पाठ से लिया गया है?
(क) नागरी लिपि
(ख) जित-जित में निरखत हूँ
(ग) मछली
(घ) श्रम विभाल और जाति प्रथा

(ख) इस गांश के लेखक कौन हैं?
(क) हाजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) निजू महाराज
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) गुणाकर मुले

(ग) किस भाषा का कौन-या ऐसा अक्षर है जो. संस्कृत एवं प्राकृत भाषाओं में भी अंकित थी?

(घ) सागरी लिपि का विकास किस लिपि से टूआ है? नागरी लिपि की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
उत्तर-(क)-(क) नागरी लिपि
(ख) (घ) गुणकर गुल
(ग) मराठी मात्रा का एक ऐसा अक्षर है जो प्राचीनकाल में संस्कृत और प्राकृत भाषाओं में भी अकिा था।
(घ) नागरी लिपि का विकास प्राइमी लिपि में हुमा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि जिस रूप में लिट जाती है उसी रूप में बोली भी जाती है।

2. लिपि देवनागरी में अधिक पिन्न नहीं है। बंगला सिपि प्राचीन नागरी लिपि की पुत्री नहीं, तो बहन अवश्य है। हां,दक्षिण भारत की लिपियां वर्तमान नागरी से काफी भिन्न दिखाई देती है। लेकिन यह तथ्य हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए कि आज कुछ भिन्न सी दिखाई देने वाली दक्षिण भारत की ये लिपियां (तमिल-मलयालम और तेलुगु-कन्नड़)भी नागरी की तरह प्राचीन ब्राह्मी से ही विकसित हुई है।
अभी कुछ समय पहले तक दक्षिण भारत में पोथियाँ लिखने के लिए नागरी लिपि का व्यवहार होता था दरअसल, नागरी लिपि के आरंभिक ले हमें दक्षिण भारत से ही मिलते हैं दक्षिण भारत की यह नागरी लिपि नंदी नागरी कहलाती थी । कोकण के शीलाहार मान्यखेट के राष्ट्रकूट,
देवगिरि के यादव तथा विजयनगर के शासकों के लेख नंदिनागरी लिपि में हैं। पहले-पहल विजयनगर के राजाओं के लेखों की लिपि को ही नंदिनागरी नाम दिया गया था।

(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) शिक्षा और संस्कृति
(ख) नौबतखाने में इबादत
(ग) नागरी लिपि
(घ) श्रम विभाजन और जाति प्रथा

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(क) भीमराव अंबेदकर
(ख) गुणाकर मुले
(ग) अमरकांत
(घ) यतीन्द्र मिश्र

(ग) किन, किन शासकों के लेख नंदिनागरी लिपि में हैं?

(घ) दक्षिण भारत की कौन-सी लिपि नंदिनागरी कहलाती थी?
उत्तर-(क)-(ग) नागरी लिपि
(ख)-(ख) गुणाकर मुले
(ग) कोंकण के शिलाहार, मान्यखेट के राष्ट्रकूट देवागिरि के यादव तथा विजयनगर के शासकों के लेख देवनागरी लिपि में हैं।
(घ) दक्षिण भारत की नागरी लिपि ही नदिनागरी कहलाती थी।

3. महमूद गजनबी के बाद के मुहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, शेरशाह आदि शासकों ने भी अपने सिक्कों पर नागरी शब्द खुदवाए हैं। बादशाह अकबर ने ऐसा सिक्का चलाया था जिस पर राम-सीता की आकृति है और नागरी लिपि में ‘रामसीय’ शब्द अंकित है।
उत्तर भारत में मेवाड़ के गुहिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गाहड़वाल, काठियावाड-गुजरात के सोलंकी, आबू के परमार, जेजाकभुक्ति (बुंदेलखण्ड) के चंदेल तथा त्रिपुरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में ही हैं। उत्तर भारत की इस नागरी लिपि को हम देवनागरी के नाम से जानते हैं।

(क) यह अवतरण किस पाठ से लिया गया है?
(क) नाखून क्यों बढ़ते हैं
(ख) नौबतखाने में इबादत
(ग) नागरी लिपि
(घ) श्रम विभाजन और जाति प्रथा

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) गुणाकर मुले
(ग) भीमराव अंबेदकर
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(ग) उत्तर भारत में किन-किन शासकों के लेख नागरी लिपि में हैं?
(घ) उत्तर भारत की नागरी लिपि को हम किस लिपि के नाम से जानते हैं?
उत्तर-(क)-(ग) नागरी लिपि
(ख)-(ख) गुणाकर मुले
(ग) उत्तर भारत में मेवाड़ के गुहिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गाहड़वाल, काठियावाड़-गुजरात के सोलंकी, आबू के परमार, बुंदेलखंड के चंदेल तथा त्रिपुरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में है।
(घ) उत्तर भारत की नागरी लिपि को हम देवनागरी लिपि के नाम से जानते हैं।

4. गुप्तकाल की ब्राह्मी लिपि तथा बाद की सिद्धम लिपि के अक्षरों के सिरों पर छोटी आड़ी लकीर या ठोस तिकोन हैं। लेकिन नागरी लिपि की मुख्य पहचान यह है कि इसके अक्षरों के शिरों पर पूरी लकीरें बन जाती हैं और ये शिरोरेखाएँ उतनी ही लम्बी रहती हैं जितनी कि अक्षरों की
चौड़ाई होती है। हाँ, कुछ लेखों के अक्षरों के शिरों पर अब भी कहीं-कहीं तिकोन दिखाई देते हैं। दूसरी स्पष्ट विशेषता यह है कि प्राचीन नागरी के अक्षर आधुनिक नागरी से मिलते-जुलते हैं और इन्हें आसानी से थोड़े-से अभ्यास से पढ़ा जा सकता है।

(क) यह अवतरण किस पाठ से लिया गया है ?
(क) मछली
(ख) आविन्यो
(ग) नागरी लिपि
(घ) शिक्षा और संस्कृति

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(क) भीमराव अंबेदकर
(ख) मैक्समूलर
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) गुणाकर मुले

(ग) नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है?

(घ) प्राचीन नागरी लिपि और आधुनिक नागरी लिपि में क्या साम्य है?
उत्तर-(क)-(ग) नागरी लिपि
(ख)-(घ) गुणाकर मुले
(ग) नागरी लिपि की मुख्य पहचान यह है कि इसके अक्षरों के सिरों पर पूरी लकीरें होती हैं और ये उतनी ही रहती है जितनी कि अक्षरों की चौड़ाई।
(घ) प्राचीन नागरी लिपि और आधुनिक नागरी लिपि के अक्षर बहुत-कुछ मिलते हैं जिन्हें थोड़े-से अभ्यास से पढ़ा जा सकता है।

(क) यह आवतरण किस पाठ से लिया गया?
(क)मछली
(ख) आबिन्यों
(ग)नागरिलिपि
(घ)शिक्षा और संस्कृति

(ख)इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(क)भीमराव अंबेडकर
(ख)मैक्समूलर
(ग)महात्मा गांधी
(घ)गुणाकार मुले

(ग) नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है ?
(घ)प्राचीन नागरी लिपि और आधुनिक नागरी लिपि में क्या साम्य है?

5. इतना निश्चित है कि यह नागरी शब्द किसी नगर अर्थात् बड़े शहर से संबंधित है। ‘पादताडितकम्’ नामक नाटक से जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को नगर कहते थे। हम यह भी जानते हैं कि स्थापत्य की उत्तर भारत की एक विशेष शैली को ‘नागर शैली’ कहते हैं। अतः ‘नागर’ या ‘नागरी’ शब्द उत्तर भारत के किसी बड़े नगर से संबंध रखता है। असंभव नहीं कि यह बड़ा नगर प्राचीन पटना ही हो। चन्द्रगुप्त (द्वितीय) ‘विक्रमादित्य का व्यक्तिगत नाम ‘देव’ था, इसलिए गुप्तों की राजधानी पटना को ‘देवनगर’ भी कहा जाता होगा। ‘देवनागरी’ की लिपि होने से उत्तर भारत की प्रमुख लिपि को बाद में देवनागरी नाम दिया गया होगा। लेकिन यह सिर्फ एक मत हुआ। हम सप्रमाण नहीं बता सकते कि यह देवनागरी नाम कैसे अस्तित्व में आया।

(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) बहादुर
(ख) नागरी लिपि
(ग) विष के दाँत
(घ) परम्परा का मूल्यांकन

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं ?
(क) गुणाकर मूले
(ख) रामविलास शर्मा
(ग) नलिन निलोचन शर्मा
(घ) अमरकांत

(ग) नागरी शब्द किससे संबंधित है?

(घ) ‘देवनागरी’ नाम के संबंध में लेखक का क्या अनुमान है?
उत्तर-(क)-(ख) नागरी लिपि
(ख)-(क) गुणाकर मूले
(ग) नागरी शब्द किसी नगर से संबंधित है।
(घ) लेखक का अनुमान है कि यह ‘नगर’ पटना ही होगा। उसके अनुमान का आधार यह है कि चन्द्रगुप्त (द्वितीय) ‘विक्रमादित्य’ का व्यक्तिगत नाम ‘देव’ था। इसलिए गुप्ता की राजधानी को ‘देवनगर’ कहा जाता होगा। ‘देवनगर’ की लिपि होने के कारण इसका नाम ‘देवनागरी’ पड़ा किन्तु लेखक का यह सुनिश्चित मत नहीं है।

6. ईसा की चौदहवीं-पन्द्रहवीं सदी के विजयनगर के शासकों ने अपने लेखों की लिपि को नंदिनागरी कहा है। विजय नगर के राजाओं के लेख कन्नड़-तेलगु और नागरी लिपि में मिलते हैं। जानकारी मिलती है कि विजय नगर के राजाओं के शासन काल में ही वेदों को लिपिबद्ध किया गया था। यह वैदिक साहित्य निश्चिय ही नागरी लिपि में लिखा गया होगा। विद्वानों का यह भी मत है कि वाकाटकों और राष्ट्रकूटों के समय के महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नदिनगर (आधुनिक नांदेड्) की लिपि होने के कारण इसका नाम नदिनागरी पड़ा।

(क) यह अवतरण किस पाठ से लिया गया है ?
(क) नागरी लिपि
(ख) जित-जित मैं निरखत हूँ
(ग) मछली
(घ) श्रम विभाजन और जाति प्रथा

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं ?
(क) गुणाकर मुले
(ख) बिरजू महाराज
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) भीमराव अंबेदकर
(ग) वेदों को कब और किस लिपि में तैयार किया गया होगा?
(घ) ‘नंदिनागरी’ नाम का आधार क्या है?
उत्तर-(क)-(क) नागरी लिपि
(ख)-(क) गुणाकर मुले
(ग) विजय नगर के शासकों के समय ही वेद लिपिबद्ध किए गए। कहा जाता है कि यह वैदिक साहित्य निश्चिय ही नागरी लिपि में तैयार किया गया होगा।
(घ) वाकाटकों और राष्ट्रकूटों के समय प्रसिद्ध नंदिनगर, आधुनिक ‘नांदेड’ को लिपि होने के कारण इसका नाम ‘नदिनागरी’ पड़ा।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
―――――――――――――――
1. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई है?
उत्तर-देवनागरी लिपि के टाइप बन जाने पर इसके अक्षरों में स्थिरता आई।

2. देवनागरी में कौन-सी भाषाएँ लिखी जाती हैं?
उत्तर-देवनागरी में संस्कृत, प्राकृत भाषाएँ लिखी जाती हैं।

3. लेखक ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है?
उत्तर-लेखक ने गुजराती, मराठी, नेपाली और बंगला आदि नागरी लिपियों से देवनागरी लिपि का संबंध बताया है।

4. उत्तर भारत के किन शासकों के प्राचीन नागरी लेख प्राप्त होते हैं?
उत्तर-उत्तर भारत में मेवाड़ के गुटिल, सांभर-अजमेर के चौहान, कन्नौज के गाहड़वाल, काठियावाड-गुजरात के सोलंकी, आबू के परमार, बुंदेलखण्ड के चंदेल तथा त्रुिपर के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में प्राप्त होते है।

5. नागरी लिपि कब एक सार्वदेशिक लिपि थी?
उत्तर-ईसा की आठवीं-नौवीं सदी से नागरी लिपि एक सार्वदेशिक लिपि थी।

6. गुर्जर प्रतिहार कौन थे?
उत्तर-गुर्जर प्रतिहार कुछ विद्वानों के अनुसार बाहर से भारत आए और आठवीं सदी के आरंभ में अवंती प्रदेश में अपना शासन स्थापित किया। बाद में कन्नौज भी दखल कर लिया।

7.महावीराचार्य कौन थे?
उत्तर-महावीरचार्य अत्रिछवर्ष के जमाने के गणितज्ञ थे जिन्होंने ‘गणिसार-संग्रह को रचना की।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ के साथ
――――――――――――――――――

प्रश्न 1. देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आयी है?
उत्तर-गुणाकर मूले की लेख ‘नागरी लिपि’ जिस लिपि में छपा है, उसे ही नागरी या देवनागरी लिपि कहते हैं। करीब दो सदी पहले पहली बार इस लिपि के टाइप बने और इसमें पुस्तक छपने लगीं। इसी कारण इसके अक्षरों में स्थिरता आ गई है।

प्रश्न 2. देवनागरी लिपि में कौन-कौन-सी भाषाएँ लिखी जाती हैं?
उत्तर-हिन्दी तथा इसकी विविध बोलियाँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। पड़ोसी देश नेपाल की नेवारी या नेपाली भाषा भी इसी लिपि में लिखी जाती है। मराठी की लिपि भी देवनागरी ही है। इस प्रकार संस्कृत और प्राकृत भाषाओं की लिपि भी देवनागरी लिपि ही है।

प्रश्न 3. लेखक ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है?
उत्तर-लेखक ने गुजराती लिपि को देवनागरी लिपि से अधिक भिन्न नहीं है, उसका भी नागरी लिपि से संबंध है ठीक उसी प्रकार बंगला लिपि भी पुत्री तो नहीं बहन अवश्य है। दक्षिण भारत की ये लिपियाँ (तमिल-मलयालम-तेलुगु और कन्नड़) भी नागरी की तरह ही ब्राह्मी लिपि से निकली है। अतः इन लिपियों का कहीं न कहीं देवनागरी लिपि से पुराना संबंध रहा है।

प्रश्न 4.नंदी नागरी किसे कहते हैं? किस प्रसंग में लेखक ने इसका उल्लेख किया है?
उत्तर-कुछ समय पहले तक दक्षिण भारत में पोथियाँ लिखने के लिए नागरी लिपि का व्यवहार होता था। दरअसल, नागरी लिपि के आरंभिक लेख हमें दक्षिण भारत ही मिले हैं। दक्षिण भारत की यह नागरी लिपि नंदी-नागरी कहलाती थी।
कोंकण के शिलाहार मान्यखेट के राष्ट्रकूट, देवागिरि के यादव तथा विजय नगर के शासकों के लेख नंदी नागरी लिपि में हैं। पहले-पहल विजय नगर के राजाओं के लेखों की लिपि को ही नंदी-नागरी नाम दिया गया था।

प्रश्न 5. नागरी लिपि के आरंभिक लेख कहाँ प्राप्त हुए है? उनके विवरण दें।
उत्तर-नागरी लिपि के आरंभिक लेख हमें दक्षिण भारत से ही मिले हैं। दक्षिण भारत में पोथियाँ लिखने के लिए नागरी लिपि का व्यवहार होता था। कोंकण के शिलाहार, मान्यखेट के राष्ट्रकूट, देवागिरि के यादव तथा विजयनगर के शासकों के लेख इसी लिपि में मिले हैं।
दक्षिण भारत के अनेक शासकों ने भी नागरी लिपि का इस्तेमाल किया है। राजराज व राजेन्द्र जैसे प्रतापी चोड़ राजाओं (11वीं सदी) के सिक्कों पर नागरी अक्षर देखने को मिलते हैं
12वीं सदी के केरल के शासकों के सिक्कों पर ‘वीरकेरलस्य’ जैसे नागरी लिपि में अंकित है। सुदूर दक्षिण में प्राप्त वरगुण का पालियम ताम्रपत्र (9वीं सदी) नागरी लिपि में है। श्रीलंका के पराक्रम बाहु, विजय बाहु (12वीं सदी) आदि शासकों के सिक्कों पर नागरी अक्षर देखने को
मिलते हैं।
उत्तर भारत के महमूद गजनबी, मुहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, शेरशाह के सिक्कों पर नागरी शब्द अंकित है। अकबर के चाँदी के सिक्के पर राम-सीता का रामसीय शब्द नागरी में ही अंकित है। मेवाड़ के गुहिलों, अजमेर के चौहानों, कन्नौज के गाहडवालों, काठियाबाङ-गुजरात के सोलकियों आबू के परभारों, बुंदेलखंड के चंदेलों तथा त्रिपुरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में अंकित है।
ईसा की 8वीं, 9वीं सदी से नागरी लिपि का प्रचलन था। यह एक सार्वदेशिक लिपि थी।

प्रश्न 6. ब्राह्मी लिपि और सिद्धम लिपि की तुलना में नागरी लिपि की मुख्य पहचान क्या है?
उत्तर-गुप्तकाल की ब्राह्मी लिपि तथा बाद की सिद्धम लिपि के अक्षरों के सिरों पर छोटी आड़ी लकीरें या छोटे ठोस तिकोन हैं। लेकिन नागरी लिपि की मुख्य पहचान यह है कि इसके अक्षरों के सिरों पर पूरी लकीर बन जाती है और ये शिरो रेखाएँ उतनी ही लंबी रहती हैं जितनी कि अक्षरों की चौड़ाई होती है। हाँ, कुछ लेखों के अक्षरों के सिरों पर अब भी कहीं-कहीं तिकोन दिखाई देते हैं।
दूसरी स्पष्ट विशेषता यह है कि इस प्राचीन नागरी के अक्षर आधुनिक नागरी से मिलते-जुलते हैं और इन्हें आसानी से, थोड़े से अभ्यास के बाद पढ़ा जा सकता है।

प्रश्न 7. उत्तर भारत में किन शासकों के प्राचीन नागरी लेख प्राप्त होते हैं?
उत्तर-उत्तर भारत के इस्लामी शासन की नींव डालनेवाले महमूद गजनबी (11वीं सदी के पूर्वार्द्ध) के लाहौर के टकसाल में ढाले गए चाँदी के सिक्कों पर भी हम नागरी लिपि के शब्द पाते हैं। ये सिक्के 1028 ई० में शुरू किए गए थे।
महमूद गजनबी के बाद मुहम्मद गोरी, अलाउद्दीन खिलजी, शेरशाह आदि शासकों ने भी अपने सिक्कों पर नागरी लिपि में लिखे गए शब्द देखने को मिलते हैं। बादशाह अकबर ने ऐसा सिक्का चलाया था जिसपर राम-सीता की आकृति है और नागरी लिपि में रामसीय शब्द अंकित उत्तर भारत में मेवाड़ के गुहिलों, सांभर-अजमेर के चौहानों, कन्नौज के गहड़वालों, काठियाबाड़’-गुजरात के सोलकियों आबू के परमारों तथा बुन्देलखण्ड के चंदेलों तथा त्रुिपरा के कलचुरि शासकों के लेख नागरी लिपि में ही है। उत्तर भारत की इस नागरी लिपि को हम देवनागरी लिपि भी कहते हैं। नागरी लिपि का प्रचलन 8वीं 9वीं सदी से था जो एक सार्वदेशिक लिपि थी।

प्रश्न 8. नागरी को देवनागरी क्यों कहते है? लेखक इस संबंध में क्या बताता है?
उत्तर-नागरी का देवनागरी नाम क्यों और कैसे पड़ा इसे लेकर विद्वानों में मतभेद है। एक के अनुसार बाकीनगर सिर्फ नगर हैं किन्तु काशी देवनगरी है, इसीलिए काशी
में प्रयुक्त लिपि का नाम देवनागरी पड़ा। लेकिन यह मत संकुचित-सा लगता है।
दूसरा मत है कि नागरी शब्द किसी नगर अर्थात् बड़े शहर से संबंधित है। ‘पादताडितकम्’ नामक एक नाटक में ऐसी जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को नगर कहते थे। हम यह भी जानते हैं कि स्थापत्य की उत्तर भारत की एक विशेष शैली को नागर शैली-कहते हैं। अतः, नागर या नागरी शब्द उत्तर भारत के किसी बड़े शहर से संबंध रखता है।
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का व्यक्तिगत नामदेव था, इसीलिए गुप्तों की राजधानी पटना को देवनगर कहा जाता होगा। देवनगर की लिपि होने से उत्तर भारत की प्रमुख लिपि को बाद में देवनागरी नाम दिया गया है। लेकिन यह सिर्फ एक मत हुआ। हम सप्रमाण नहीं बता सकते कि
यह देवनागरी नाम कैसे अस्तित्व में आया।

प्रश्न 9. नागरी की उत्पत्ति के संबंध में लेखक का क्या कहना है? पटना से नागरी का क्या संबंध लेखक ने बताया है?
उत्तर– नागरी नाम की उत्पत्ति और इसके अर्थ के बारे में विद्वानों में मतभेद है। एक मत के अनुसार इस लिपि का इस्तेमाल पहले-पहल गुजरात नागर ब्राह्मणों ने किय इसलिए इसका नाम ‘नागरी’ लिपि पड़ा। लेकिन इस मत को मानने में अनेक कठिनाइयाँ है। एक दूसरे मत के
अनुसार बाकी नगर सिर्फ नगर हैं परंतु काशी देवनगरी है, इसी कारण काशी में प्रयुक्त – नी लिपि को देवनागरी लिपि नाम पड़ा, लेकिन यह मत संकुचित जान पड़ता है।
अलबरूनी ने अपने ग्रंथ में (1030 ई. में) लिखा है कि मालवा में नागरी लिपि का इस्तेमाल होता था। अत:, यह स्पष्ट हो जाता है कि 1000 ई. के आस-पास नगर या नागरी नाम अस्तित्तव में आ गया था।
लेखक का कहना है कि नागर शब्द किसी नगर या बड़े शहर से संबंधित है। ‘पादताडिकम’ नामक एक नाटक से जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र (पटना) को ना.
कहते थे। यह सर्वविदित है कि उत्तर भारत में स्थापत्य शैली को नागर शैली कहते हैं। अतः, नागर या नागरी शब्द उत्तर भारत के किसी बड़े शहर से संबंधित है। संभव
यह नगर पटना ही हो। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का व्यक्तिगत नाम देव था। संभव है, इसी कारण पटना को देवनगरी कहा जाता हो और वहाँ की भाषा को देवनागरी। अंत में सप्रमाण के साथ कहना संभव नहीं कि देवनागरी नाम की उत्पत्ति सही रूप से कैसे हुई।

प्रश्न 10. नागरी लिपि कब एक सार्वदेशिक लिपि थी?
उत्तर-ईसा की आठवीं-नवीं सदी से नागरी लिपि का प्रचलन सारे देश में था। यह एक सार्वदेशिक लिपि के रूप में प्रसिद्ध थी।

प्रश्न 11. नागरी लिपि के साथ-साथ किसका जन्म होता है? इस संबंध में लेखन क्या जानकारी देता है?
उत्तर-नागरी लिपि के साथ-साथ अनेक प्रादेशिक भाषाएँ भी जन्म लेती है। 8वीं तो सदी से प्रारंभिक हिन्दी का साहित्य प्राप्त होने लगता है। हिन्दी के आदि कवि सरहपाद (8वीं सदी) के ‘दोहा कोश की तिब्बत से प्राप्त प्रति की हस्तलिपि नागरी ही है जो 10वीं 11वीं सदी की
लिपि में लिखित है।
नेपाल और भारत के जैन-भंडारों से भी इस काल की अनेक हस्तलिपियाँ मिली हैं। इसी काल में आर्य भाषा परिवार की आधुनिक भाषाएँ मराठी, बंगला आदि का भी जन्म होता है।

प्रश्न 12. गुर्जर-प्रतिहार कौन थे?
उत्तर-अनेक विद्वानों का मत है कि गुर्जर-प्रतिहार बाहर से भारत में आए थे। ईसा की 8वीं सदी के पूर्वार्द्ध में अवन्ती देश में इन्होंने अपना शासन-व्यवस्था स्थापित की। बाद में कन्नौज पर भी अधिकार कर लिया। मिहिरभोज, महेन्द्रपाल आदि नामी प्रतिहार शासक हुए। मिहिरभोज (840-81 ई.) की ग्वालियर प्रशस्ति नागरी लिपि (संस्कृत भाषा) में है।

प्रश्न 13. निबंध के आधार पर काल-क्रम से नागरी लेखों से संबंधित प्रमाण प्रस्तुत करें।
उत्तर-सारांश देखें।

भाषा की बात
―――――――――
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों से संज्ञा बनाएँ।
उत्तर-
(1) स्थिर-स्थिरता
(2) अतिरिक्त-अतिरिक्ता
(3) स्मरणीय- स्मरण, स्मार्त्त
(4) दक्षिणी- दक्षिण, दाक्षिण्य
(5) आसान-आसानी
(6) पराक्रमी-पराक्रम
(7) युगीन-युग

प्रश्न 2. निम्नलिखित पदों के समास विग्रह करें।
उत्तर-(1) तमिल-मलयालम-तमिल और मलयालम- द्वन्द समास
(2) रामसीय-राम और सिया -द्वन्द समास
(3) विद्यानुराग-विद्या के लिए अनुराग -सम्प्रदान
(4) शिरोरेखा-शिर की रेखा – सम्बन्ध तत्पपुरुष
(5) हस्तलिपि-हाथों की लिपि-संबंध तत्पुरुष
(6) दोहाकोश-दोहा का कोश-संबंध तत्पुरुष
(7) पहले-पहल-अव्ययीभाव समास

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें।
उत्तर-(1) मत-विचार, चिंतन,
(2) सार्वदेशिक-सार्वभौम, विश्वव्यापी, प्रत्येक स्थान को, सर्वत्र
(3) अनुकरण-नकल, प्रतिलिपि, समरूपता, समानता, अनुक्रिया
(4) व्यवहार-आचरण, बर्ताव प्रयोग, कारबार, पेशा, व्यापार, रीति, प्रथा, रिवाज
(5) शासक-शास्ता, हाकिम, शासनकर्ता अधिकारी, अध्यक्ष, अधिपति, राजा, सामंत, नृप,

प्रश्न 4. निम्नलिखित भिन्नार्थक शब्दों के अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-(क) प्रत्न-वि०(सं०), पुराना, पुरातन, पारंपरागत
प्रयत्ल-प्रयास, कोशिश अध्यवसाय किसी कार्य या उद्देश्य की पूर्त के लिए किए जानेवाला व्यापार
(ख) लिपि-लिखावट, लिखने की पद्धति, चित्रकारी लिखने की कला, लिखने की क्रिया, पत्र
लिप्ति-स्त्री. (सं.)-लेप,
(ग) नागरी-स्त्री०(सं.), नगर में रहनेवाली स्त्री, शहरी की औरत नगरवासिनी, चतुर स्त्री, संस्कृत और हिन्द की लिपि।
नागरिक-वि०(सं.), नगर-संबंधी, नगर का, जो नगर में रहे, नगरवासी,
पट-प्र०(सं.), वस्त्र, कपड़ा, बारीक कपड़ा चित्र खींचने का कागज, कपड़े का टुकड़ा, पर्दा, रंगमंच का पर्दा
पट्ट-पु०(सं.), पटिया, तख्ती, प्लेट, पीठ, पीढ़ा, राजाज्ञा, दानपत्र आदि खुदवाने की ताँबे की पट्टी। मालिक की ओर से आसानी आदि को दिया जानेवाला भूमि आदि के उपयोग का अधिकार पत्र।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *