V P Singh Biography in hindi | वी.पी. सिंह की जीवनी
V P Singh Biography in hindi | वी.पी. सिंह की जीवनी
V P Singh Biography in hindi
श्री वी.पी. सिंह का पूरा नाम विश्वनाथ प्रताप सिंह था। श्री वी.पी. सिंह का जन्म 25 जून 1931 में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। श्री वी.पी. सिंह के पिता का नाम श्रीभगवती प्रसाद सिंह था, मगर 1936 में इनको राजा बहादुर राय गोपाल सिंह ने गोद ले लिया। 1941 में जब राजा बहादुर राय की मृत्यु हुई, तो श्री वी.पी सिंह को वहां का राजा बना दिया गया।
श्री वी.पी. सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई देहरादून के कैम्ब्रिज स्कूल से की, आगे की पढ़ाई इलाहाबाद से की और उसके बाद पुणे यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। पढ़ाई के समय से ही श्री वी.पी. सिंह का राजनीति की तरफ झुकाव हो गया था। श्री वी.पी. सिंह वाराणसी के उदय प्रताप कालेज स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं और इलाहाबाद
यूनियन के वाईस प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं। इसके आलावा श्री वी.पी. सिंह को कविता लिखना भी बहुत पसंद था, इसलिए उन्होंने कई किताबें भी लिखी।
श्री वी.पी. सिंह ने अपने छात्र काल में बहुत सारे आन्दोलन किए और उनका नेतृत्व भी किया, इसलिए इनका सत्ता के प्रति प्रेम बढ़ता गया। श्री वी.पी. सिंह एक धनी परिवार से थे, मगर इन्होंने देश प्रेम के चलते अपनी सारी संपत्ति दान कर दी और इस वजह से परिवार ने इनसे नाता तोड़ दिया।
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | वी पी सिंह जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | विश्वनाथ प्रताप सिंह |
2. | जन्म | 25 जून 1931 |
3. | जन्म स्थान | इलाहबाद, उत्तरप्रदेश |
4. | पिता | राजा बहादुर राय गोपाल सिंह |
5. | मृत्यु | 27 नवम्बर, 2008 |
6. | पत्नी | सीता कुमारी |
7. | बच्चे | अजय प्रताप सिंह, अभय सिंह |
8. | राजनैतिक पार्टी | जन मोर्चा |
विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रारंभिक करियर –
1969 में कांग्रेस पार्टी का सदस्य बने रहते हुए सिंह उत्तर प्रदेश की वैधानिक असेंबली के सदस्य भी बने। इसके बाद 1971 में उनकी नियुक्ती लोक सभा में भी की गयी और फिर 1974 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें कॉमर्स का डिप्टी मिनिस्टर भी बनाया। 1976 से 1977 तक उन्होंने कॉमर्स का मिनिस्टर बने रहते हुए सेवा की थी।
1980 में जब गाँधी पुनर्नियुक्त की गयी थी तब इंदिरा गाँधी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किया था। मुख्यमंत्री (1980-82) के पद पर रहते हुए उन्होंने बटमारी की समस्या को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किये।
उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम इलाको के ग्रामीण भागो में यह समस्या गंभीर रूप से व्याप्त थी। इसके चलते उन्होंने बहुत से लोगो का भरोसा जीत लिया था और अपने इलाको में बहुत सी ख्याति प्राप्त कर ली थी। और कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से रिजाइन भी कर दिया था।
1983 में फिर से उनकी नियुक्ती मिनिस्टर ऑफ़ कॉमर्स के पद पर की गयी थी। इसके बाद 1989 के चुनाव में सिंह की वजह से ही बीजेपी राजीव गांधी को गद्दी से हटाने में सफल रही थी। 1989 में उनके द्वारा निभाए गए महत्वपूर्ण रोल के लिए वे हमेशा भारतीय राजनीती में याद किये जाते है।
कहा जाता है की 1989 के चुनाव देश में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आए थे और इसी चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री बनकर दलित और छोट वर्ग के लोगो की सहायता की। सिंह एक निडर राजनेता थे, दुसरे प्रधानमंत्रीयो की तरह वे कोई भी निर्णय लेने से पहले डरते नही थे बल्कि वे निडरता से कोई भी निर्णय लेते थे और ऐसा ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ गिरफ़्तारी का आदेश देकर किया था। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार का भी विरोध किया था।
प्रधानमंत्री वी पी सिंह (Prime minister V P Singh) –
वी पी सिंह की प्रधानमंत्री बनने के बाद छवि कुछ खास नहीं रही. इनमे दूरदर्शिता एवम धैर्यता की कमी थी, जिस कारण देश की कश्मीर समस्या ने और अधिक तीव्रता का रूप ले लिया. वी पी सिंह के गलत निर्णयों के कारण देश में जातिवाद और अधिक गम्भीर हो गया. एक सफल रानीतिज्ञ बनने के लिए इन्होने आरक्षण को और अधिक बढ़ावा दे दिया, जिससे देश में असंतोष उत्तपन हो गया. आरक्षण के कारण युवा वर्ग में बहुत असंतोष बढ़ गया, जिस कारण युवकों ने आत्महत्या को स्वीकार किया.
वी पी सिंह का कार्यकाल सराहनीय नहीं रहा, इनमे नेतृत्व की शक्ति की कमी थी. वी पी सिंह को एक जुटता में कार्य करना स्वीकार नहीं था, जिस कारण इन्हें स्वार्थी कहा गया. वी पी सिंह अपनी व्यक्तिगत सफलता पर अधिक जोर देते थे. इसलिए वे एक असफल लीडर साबित हुए. वी पी सिंह का कार्यकाल 2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक ही था, पर इतने ही दिनों में उन्होंने भारत की स्थिती को और अधिक बिगाड़ दिया था. इन दिनों, देश में बाहरी लोगो से काफी देहशत थी, आतंकी हमले बढ़ रहे थे. हमारे तीन प्रधानमंत्री मार दिए गये थे, जो की बहुत बड़ी हार थी. उस नाजुक दौर में एक सफल राजनैतिज्ञ की आवश्यकता थी, परन्तु वी.पी सिंह भारत देश को सफल राजनीती नहीं दे पाए, उनका दौर और भी कष्टप्रद रहा, इन्होने देश में और अधिक कम्पन उत्पन्न कर दिया था.
वी.पी. सिंह की मृत्यू
वीपी सिंह नई दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हुआ। इससे पहले गुर्दे और हृदय की समस्याओं से पीड़ित वीपी सिंह को बॉम्बे अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था।
76 वर्षीय सिंह के गुर्दे और दिल की बीमारियों का इलाज चल रहा था। आम तौर पर उनका नई दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल में या मुंबई के बॉम्बे अस्पताल में डायलिसिस होता था।
वे सन 1991 से ब्लड कैंसर जैसी बीमारी से भी जूझ रहे थे मगर इसके बावजूद उन्होंने सक्रिय राजनीतिक जीवन नहीं छोड़ा।
V P Singh Biography
वीपी सिंह एक राजनेता होने के अलावा संवेदनशील कवि और चित्रकार के रूप में भी जाने जाते थे।
उनके कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और कई कला प्रदर्शिनियों में उनकी बनाई तस्वीरें भी सराही गई थीं।
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