सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Pate) भारत के स्वतंत्रता सेनानी और भारत के प्रथम गृह मंत्री उप-प्रधानमंत्री थे सरदार वल्लभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Pate) का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में तथा मृत्यु 15 दिसंबर,1950 को मुंबई में हुई थी। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर यह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद पड़े। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्षों बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह अवार्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल द्वारा स्वीकार किया गया। ऐसे महान और देशभक्त पटेल जी के जीवन के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं।
- प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक योग्यता
रिसायतों का एकीकरण करने वाले लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में उनके ननिहाल में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई पटेल की चौथी संतान थे। इनकी माता का नाम लाडबा पटेल था। 16 साल की उम्र में 1893 में उनका विवाह झावेरबा के साथ कर दिया गया था। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1900 में जिला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वकालात करने की अनुमति मिली।
- पटेल का खेड़ा संघर्ष
आजादी के बाद सरदार पटेल का पहला संघर्ष खेड़ा (गुजरात) में आये भयंकर सूखे के लिए था। वहां के किसानों ने अंग्रेजी सरकार से भारी कर छूट की मांग की, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया तब सरदार पटेल, गांधी जी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और सरकार को झुका दिया यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
- बारदोली सत्याग्रह
बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 36 वें अहमदाबाद अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष बने। वे गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पहले अध्यक्ष बने। 1928 में अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर मोरबी में हुए कठियावड सममेलन की अध्यक्षता की।
- सरदार पटेल की मृत्यु
15 दिसम्बर, 1050 को शेर-ए-हिंदुस्तान सरदार पटेल का निधन मुंबई में हो गया, उनका अंतिम संस्कार भी मुंबई में किया गया। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।