Religious places in India – भारत के धार्मिक स्थल
भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल – Religious Places Across India
Religious places in India
all image by google.co.in
भारत विभिन्न संस्कृति और धर्मों का घर है, दुनिया में सबसे अधिक धर्म हमारे राष्ट्र में है। भारत के कई तीर्थस्थल आज भी बेहद दुर्गम मार्गों पर स्थित हैं। इन तीर्थस्थलों का रास्ता ऊंची चढ़ाई, प्राकृतिक आपदाओं से घिरे हजारों मीटर ऊंचे पर्वतों के बीच से गुजरता हुआ किसी ऊंचे शिखर पर पहुंचता है। विषम जलवायु, जानलेवा मौसम के बीच हर साल यह तीर्थस्थल भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक जनता को तमाम खतरों के बाद भी आकर्षित करते हैं। यहां हर साल हजारों लाखों लोग जाते हैं..
तिरुपति
तिरुमला पहाड़ के एक छोटी में बसा है तिरुपति बालाजी का मंदिर।यह भारत का प्राचीन मंदिर है। देश विदेश से करोड़ों लोग यहां पे दर्शन करने आते है।
यहां जो प्रसाद में लड्डू मिलता है उसका स्वाद लाजवाब है।
यहां के घर्भा गृह में दीप जो जलता है वो कभी बुजता नहीं, यह सैकड़ों सालो से जल रहा है।
तिरुपति बालाजी का मंदिर कुछ साल पहले दुनिया का सबसे अमीर मंदिर था।
यहां के लोगों का यह मानना है कि- बालाजी ने कुबेर से उदार लिया था, और उसे चुकाने के लिए उनके भक्त उनकी मदद करते है।
यहां पे श्रद्धालु अपनी सेवा अलग अलग तारीके से अर्पित करते है।कुछ लोग यहां पे अपना बाल मुंडवाते है और कुछ लोग यहां के रसोई घर के लिए सामग्री देते है।
शिर्डी
शिर्डी, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक अनोखा गांव है ।
१९१८ में महान संत साई का निधन हो गया और यहाँ पर उनकी समाधि बना दी गई।
अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए हर साल करोड़ों की संख्या में भक्त साईं बााबा से प्रार्थना करने यहां आते हैं।
वाराणसी
वह तब भी था जब कुछ नहीं था। वह तब भी होगा जब कुछ नहीं होगा।
वाराणसी जिसे काशी के नाम भी जाना जाता है, भारत का सबसे पुराना शहर है। यहां के कण -कण में शिव भासे है।
यहां पे आना वाले श्रद्धालु के अलग तरह का उल्लास महसूस करते है।
अजमेर शरीफ
राजस्थान के अजमेर शरीफ की दरगाह हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का मजार है। यहां पर हर धर्म वाले मन्नत मांगने आते है और यह विश्वास है कि को भी मन से मांगो वो पूरा होगा।
—
हरमंदिर साहिब
पंजाब में स्थित स्वर्ण मंदिर को “दरबार साहिब” या “हरमंदर साहिब” भी कहा जाता है।
मंदिर एक मानव निर्मित झील से घिरा हुआ है ।
मंदिर के निर्माण से पहले, सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक, यहां पर ध्यान करते थे।
यहां पे अधिक मात्रा से श्रद्धालु आते है, और बहुत सारे लोग यहां के कर्य में मदद करके अपनी सेवा अर्पित करते है।
ब्रह्म-नगरी पुष्कर- यह नगर राजस्थान के अजमेर से कुछ १० की॰मी॰ है । यहाँ पर ब्रह्मा जी का विश्व का एकलौता मंदिर है ।
विष्णु-नगरी बद्रीनाथ- यह मंदिर विष्णु जी के अवतार बद्रीनाथ को समर्पित है । यह जगह भारत के उत्तराखंड राज्य में हैं ।यह चार धाम में से एक है ।मंदिर के पीछे रत्नगिरी पहाड़ पे उनकी पहली पत्नी सावित्री का मंदिर भी है।
कैलाश मानसरोवर- यहाँ पर शिवजी का धाम माना जाता है । कैलाश मानसरोवर में स्थित कैलास पर्वत में स्वयं शिवजी विराजमान है । यह धरती का केंद्र भी है ।कैलाश मानसरोवर : यह भारत के सबसे दुर्गम तीर्थस्थानों में से एक है। सन् 1962 में चीन से युद्ध के बाद चीन ने इसे भारत से कब्जे में ले लिया। पूरा कैलाश पर्वत 48 किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4556 मीटर है। इस तीर्थस्थल की यात्रा अत्यधिक कठिन यात्राओं में से एक यात्रा मानी जाती है। इस यात्रा का सबसे अधिक कठिन मार्ग भारत के पड़ोसी देश चीन से होकर जाता है। इस यात्रा के बारे में कहा जाता है कि वहां वे ही लोग जा पाते हैं, जिन्हें भोले बाबा स्वयं बुलाते हैं। यह यात्रा 28 दिन की होती है। हालांकि अभी तक इस्तेमाल होने वाला लिपुलेख दर्रा बहुत दुर्गम माना जाता रहा है और केवल युवा लोग ही यह यात्रा कर पाते थे जबकि निर्बल, अशक्त बुजुर्ग के लिए यह जान का जोखिम लेने के अलावा कुछ नहीं है। हालांकि इसी साल से चीन के उत्तराखंड से ही नाथुलादर्रे का मार्ग खोल देने से यह यात्रा अब आसान हो गई है, लेकिन फिर भी यह उतनी आसान नहीं है।
श्री कृष्ण की नगरी मथुरा-श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में एक कारागार में हुआ था ।यह नगर यमुना के तट पर बसा हुआ है
श्री राम की नगरी अयोध्या- यह नगरी हिंदुओ के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नगरी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की है । यह राम की जन्मभूमि भी है ।
काशी विश्वनाथ- यह नगर उत्तरप्रदेश के वाराणसी नगरी में स्थित है । इस नगर के केंद्र में श्री काशी विश्वनाथ जी का मंदिर है जो कि शिवजी के प्रमुख ज्योतिलिंगों में से एक है ।
बुद्ध की नगरी बोधगया- वैशाख माह के पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था । बोध गया नगर में ही उन्होंने सत्य को जाना और 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में उनको निर्वाण की प्राप्ति हुई।
पावागढ़: गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण के पास स्थित पावागढ़ मंदिर वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। पावागढ़ मंदिर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। काफी ऊंचाई पर बने इस दुर्गम मंदिर की चढ़ाई बेहद कठिन है। अब सरकार ने यहां रोप-वे सुविधा उपलब्ध करवा दी है।
नैनादेवी : हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थति नैनादेवी देवी शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित देवी मंदिर है। यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां जाने का मार्ग दुर्गम है। हालांकि अब तो यहां उड़्डनखटोले, पालकी आदि की भी व्यवस्था है। यह समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
गंगोत्री और यमनोत्री: गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों ही उत्तरकाशी जिले में है। यमनोत्री समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई है और यहां देवी यमुना का मंदिर है। तीर्थ स्थल से यह एक कि. मी. दूर यह स्थल 4421 मी. ऊंचाई पर स्थित है। दुर्गम चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यहां पांच किलोमीटर की सीधी खड़ी चढ़ाई है। इसी तरह गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। इस क्षेत्र में बर्फीले पहाड़,ग्लेशियर,लंबी पर्वत श्रेणियां,गहरी घाटियां,खड़ी चट्टानें और संकरी घाटियां हैं। यह भी काफी दुर्गम है। इस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई 1800 से 7083 मीटर के बीच है।
वैष्णोदेवी : वैष्णो देवी जम्मू-कश्मीर के कटरा जिले में आता है। यह हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है। कटरा समुद्रतल से 2500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। माता के मंदिर में जाने की यात्रा बेहद दुर्गम है। कटरा से 14 किमी की खड़ी चढ़ाई पर मां वैष्णोदवी की गुफा है। हालांकि अब हेलीकॉप्टर से भी आप यहां पहुंच सकते हैं। सर्दियों में यहां का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है।
हेमकुंड साहेब : हेमकुंड साहेब सिखों का पावनधाम है। यहां पहुंचने की यात्रा बहुत ही दुर्गम है। यह तकरीबन 19 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा है। पैदल या खच्चरों पर पूरी होने वाली यात्रा में जान का जोखिम भी होता है। गहरी खाई से सटी इस यात्रा में यात्रियों का अक्सर गिरने का डर बना रहता है।पिछले साल खाई में गिरने से ही तकरीबन दो दर्जन यात्रियों की मौत हो गई थी।
सिद्धिविनायक -मुंबई
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान श्री गणेश जी विराजमान है ,श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर भारत मे सबसे अधिक दान पाने वाले मंदिरो में से एक है, महाराष्ट्र में कुछ अन्य मंदिर भी प्रसिद्ध हैं जैसे डगरू सेठ गणपति पुणे, कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर और आठ मुख्य गणेश मंदिर।
श्री अय्यप्पा -सबरीमला
सबरीमाला श्री भगवान अयप्पा स्वामी मंदिर का घर है, यह केरल के पथानामथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट में स्थित है। सबरीमाला भगवान अय्यप्पन मंदिर की यात्रा हिंदू के लिए दुनिया में सबसे बड़ी वार्षिक तीर्थयात्रा है । सबरीमाला श्री अय्यप्पा मंदिर सहयाद्रि पहाड़ी की एक चोटी पर स्थित है इसकी ऊंचाई 468 मीटर (1535 फीट) है यह पर्वतमाला और घने जंगलों और पहाड़ों पहाड़ियों से घिरा हुआ है ।
मोइनुद्दीन चिश्ती -अजमेर
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे प्रसिद्ध सूफी संत थे। मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर में स्थित है यहाँ मुस्लिम तीर्थयात्रियों, हिंदुओं और सिखों का संगम होता है। ऐसा ही है हमारा अनोखा भारत और हमारे भारतवासी हमें गर्व है इन सभी पर। मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत में प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है।
हरमंदिर साहिब -अमृतसर
स्वर्ण मंदिर या हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा भारत की एक प्रमुख ऐतिहासिक विरासत स्मारकों में से एक है जो पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है। श्री हरमंदिर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र जगह है,यह एक खूबसूरत झील और चार दरवाजे से घिरा हुआ है । पंजाब राज्य की संस्कृति को जानने के लिए यह बहुत ही अच्छा जगह है एवम सिक्खो के पाँच प्रमुख गुरद्वारा मे से एक है।
बोम जीसस -गोवा
गोवा के बेसिलिका-बोम जीसस चर्च को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है यह चर्च पुराने गोआ मे स्थित है तथा गोआ के प्रमुक पर्यटन स्थलो मे से एक है। बोम जीसस चर्च भारत का पहला बेसिलिका है तथा भारत में सबसे लोकप्रिय चर्च है यह चर्च ईसाई धर्म के इतिहास में एक मील का पत्थर है।
महाबोधि -बोधगया
महाबोधि महाविहार बोधगया मंदिर बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है। महाबोधि मंदिर विश्व प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर है, जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था. महाबोधि मंदिर परिसर में एक पवित्र बोधि वृक्ष और बोधिमन्दा विहार मठ है।
रणकपुर -पाली
रणकपुर जैन मंदिर,दो सुंदर शहर जोधपुर और उदयपुर के बीच ,राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। रणकपुर का यह शानदार जैन मंदिर शानदार भगवान् आदिनाथ को समर्पित है यह मंदिर हल्के रंग के पत्थर से बना है जो की बहुत है सुंदर है।
अमरनाथ -श्रीनगर
अमरनाथ की गुफा सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थल है , इस गुफा में भगवान शिव विराजमान है अमरनाथ गुफा की ऊंचाई 3,888 मीटर ( 12,756 फीट)है यह गुफा श्रीनगर के पास में स्थित है तथा बर्फ के पहाड़ों से घिरा हुआ है ।यहाँ शिवलिंग बर्फ के बने हुए है सावन के पवित्र महीने में यह स्थल श्रद्धालुओं से भरा रहता है।
जगन्नाथ -पुरी
भगवान जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के तटीय शहर पुरी में है यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। श्री जगन्नाथ एक हिंदू मंदिर है चार धाम तीर्थ स्थल में से एक है । जगन्नाथ पुरी मंदिर की रथयात्रा बहुत ही प्रसिद्ध है यह वार्षिक यात्रा जून के महिने मे होती है।
गोमटेश्वरा -श्रवनबेलगोला
श्रवनबेलगोला जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों मे से एक है, जो की हसन जिले के चन्नारायपत्ना के पास स्थित शहर. श्रवनबेलगोला मे गोमटेश्वरा बाहुबली की सबसे बड़ी प्रतिमा है जी की भारत के सात चमत्कारो मे से एक है।
काशी विश्वनाथ -बनारस
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यह पवित्र गंगा नदी के किनारे काशी मे स्थित है तथा भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लींगो मे से एक हैै। विश्वनाथ मतलब ब्रह्मांड के शासक, यहा शिवजी को विश्वनाथ के रूप मे पूजा जाता है इसलिए इस मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ पड़ा।
द्वारिकाधीश -द्वारका
द्वारिकाधीश को जगत मंदिर के रूप में जाना जाता है जो भगवान कृष्ण को समर्पित! यह मंदिर हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले चार धाम तीर्थयात्रा मे से एक है, गुजरात मे गोमती नदी के तट पर स्थित है।
- हरिद्वार
- कनखल
- ऋषिकेश
- यमुनोत्री
- गंगोत्री
- गोमुख
- केदारनाथ
- बद्रीनाथ मन्दिर
- देवप्रयाग
- जोशीमठ
- तपोवन
- हेम कुंड / हेमकुंड
- वैष्णो देवी
- श्रीनगर
- अमरनाथ
- मणिकर्ण
उत्तर-भारत के तीर्थ
- कांगड़ा
- रिबालसर
- नैना देवी
- शुक ताल
- कुरुक्षेत्र
- दिल्ली
- मथुरा
- वृन्दावन
- गोकुल
- गोवर्धन
- नंदगांव
- बरसाना
- कामवन
- गढ़मुक्तेश्वर
- कर्णवास
- राम घाट
- सम्भल
- सोरों शूकरक्षेत्र
- गोला गोकर्णनाथ
- नेमिषारण्य
- मिश्रिख
- धौतपाप
- ब्रह्मावर्त (बिठूर)
- कानपुर
- चित्रकूट
- प्रयाग
- अयोध्या
- नंदीग्राम
- वाराणसी
पूर्वी-भारत के तीर्थ
- जनकपुर (मिथिला)
- सोनपुर (हरिहर-क्षेत्र)
- पटना
- गया
- राजगृह
- वैद्यनाथ मंदिर, देवघर
- वासुकिनाथ
- कोलकाता
- गंगासागर
- तारकेश्वर महादेव
- नवद्वीप
- कामाख्या
- याजपुर
- भुवनेश्वर
- जगन्नाथ पुरी
- साक्षी गोपाल
दक्षिण-भारत के तीर्थ
- मल्लिकार्जुन (श्रीशैल)
- अहोबिल
- आरसाबिल्ली
- श्रीकूर्मम
- सिंघचालम
- पीठापुरम
- द्राक्षारामम
- कोटिपल्ली
- राजमहेंद्री
- भद्राचलम
- विजयवाड़ा
- पना नृसिंह
- चेन्नई
- तिरुवत्तियूर
- तिरुवल्लूर
- श्रीपेरुम्बदूर (भूतपुरी)
- तिरुक्कुलूकुन्नम (पक्षी-तीर्थ)
- महाबलीपुरम
- तिरुपति बालाजी
- कालहस्ती
- अरुणाचलम (तिरुवन्नमले)
- पांडिचेरी
- कांची
- चिदंबरम
- मायूरम
- तिरुवारूर
- मन्नारगुडी
- कुम्भ्कोणम
- तंजावूर
- तिरुवाडी
- तिरूचरापल्ली
- पलणी
- रामेश्वरम
- मदुरै
- श्रीविल्लीपुत्तूर
- तेनकाशी
- तिरुनेलवेली
- तोताद्री
- कन्याकुमारी
- शुचीन्द्रम
- त्रिवेंद्रम (तिरुवंतपुरम)
- जनार्दन
- कालडी
- त्रिचूर
- गुरुवायूर
- मेलचिदंबरम
- सुब्रमण्य क्षेत्र
- बंगलुरू
- शिवसमुद्रम
- सोमनाथपुर
- श्रीरंगपट्टन
- मैसूर
- नंजनगुड
- मेलुकोटे
- बाणावर
- वेल्लूर
- हालेविद
- हरिहर
- श्रृंगेरी
- उदीपी
- शालिग्राम क्षेत्र
- पंचाप्सरस-क्षेत्र
- मूकाम्बिका
- अम्बुतीर्थ
- हम्पी (किष्किन्धा)
दक्षिण-मध्य भारत के तीर्थ
- वाई
- महाबलेश्वर
- पंढरपुर
- नरसिंहपुर
- वार्सी
- कोल्हापुर
- गोरेगांव
- घृष्णेश्वर
- एलोरा
- दौलताबाद
- अजंता
- पेठन
- अवढा नागनाथ (नागेश)
- पुरली बैजनाथ
- पुणे
- आलंदी
- देहू
- भीमशंकर (भीमाशंकर)
- नासिक पंचवटी
- शिरडी
- त्रयम्बकेश्वर
- मुंबई
- सूरत
- भरूच
- वड़ोदरा / बडौदा
- चांपानेर
- चाणोद
- महीसागर
- खम्भात
- डाकोर
- अहमदाबाद
- द्वारका
- नारायणसर
- द्वारिका धाम
- पोरबंदर
- वेरावल (प्रभास पाटन) सोमनाथ
- गिरनार (जूनागढ़)
- वडनगर
- अम्बाजी
पश्चिम-भारत / उत्तर-मध्य भारत के तीर्थ
- नाथद्वारा
- कांकरोली
- चारभुजा
- एकलिंग जी
- चित्तौडगढ़
- उदयपुर
- ओंकारेश्वर
- अवंतिका (उज्जैन)
- पुष्कर
- करौली
- जयपुर
- करणी माता
- केशवराय पाटन
- झालावाड
- कोटा
- लोहार्गल
- अमरकंटक
- मैहर
- राम वन
- पशुपतिनाथ
भारत में बौद्ध तीर्थ
- चैत्य भूमि
- दीक्षाभूमि
- महाबोधि विहार (बोधगया)
- कुशीनगर
- सारनाथ
- साँची का स्तूप
- स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी
- केसरिया स्तूप
- पाटलिपुत्र
- केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय
- कौशाम्बी जिला
- नालंदा जिला
- रत्नागिरी
- संकिशा
- चूनागढ बौद्ध गुफाएँ
- एलोरा गुफाएँ
- कन्हेरी गुफाएं
- अजंता गुफाएं
- धामेख स्तूप
- चौखंडी स्तूप
भारत में जैन तीर्थ
- सम्मेद शिखर
- कुलुआ पहाड़
- गुणावा
- पावापुरी
- राजगृही
- कुण्डलपुर
- चम्पापुर
उड़ीसा
- खण्डगिरि
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़
- सोनागिरि
- पपौरा
- चन्देरी
- पचराई
- थूबौन
- अंतरिक्ष पार्श्वनाथ
- खजुराहो
- द्रोणगिरि
- नैनागिरि
- कुण्डलपुर (बड़े बाबा)
- मुक्तागिरि
- मक्सी पार्श्वनाथ
- सिद्धवरकूट
- बड़वानी
- रामटेक
- खनियाधाना
बुंदेलखंड
- सर्वोदय तीर्थ
- चंद्रगिरी (डूंगरगढ़)
उत्तरप्रदेश
- वाराणसी
- सिंहपुरी
- चंद्रपुरी
- अयोध्या
- प्रयाग
- रत्नपुरी
- श्रावस्ती
- कौशाम्बी
- कम्पिला
- अहिक्षेत्र
- हस्तिनापुर
- चौरासी
- शौरीपुर
- देवगढ़
- अहार
राजस्थान
- श्री महावीरजी
- चाँदखेड़ी
- पद्मपुरी
- केसरियानाथ
- सोनीजी की णसियन (अजमेर जैन मन्दिर)
- मोराझड़ी अतिशय जैन तीर्थ क्षेत्र
गुजरात तथा दक्षिण
- तारंगा
- गिरिनार
- शत्रुंजय
- पावागढ़
- माँगीतुंगी
- गजपन्था
- कुंथलगिरि
कर्नाटक
- मूडबिद्री
- कर्कला
- श्रवणबेलगोला