Biography

mariyappan thangavelu biography in hindi – मारियप्पन थान्गावेलु

mariyappan thangavelu biography in hindi – मारियप्पन थान्गावेलु का जीवन परिचय

mariyappan thangavelu biography in hindi

आज बात करने जा रहे है ऐसे खिलारी की जिसको अक पैर नही होते हुए भी उसने देश का नाम रौशन किया.जी हा उनका नाम मरियप्पन थंगावेलु है | मरियप्पन थंगावेलु का जन्म 28 जून, 1995 को तमिलनाडु के सलेम ज़िले में हुआ था। महज पांच साल की उम्र में मरियप्पन थंगावेलु को अपनी एक टांग गंवानी पड़ी थी। वह अपने घर के बाहर खेल रहे थे, जब एक बस ने उन्हें टक्कर मार दी। इस हादसे में उनकी दायीं टांग घुटने से नीचे पूरी तरह कुचली गई। उनका पैर पूरी तरह बेकार हो चुका था। एक साक्षात्कार में मरियप्पन ने बताया कि बस का चालक नशे में था, लेकिन इस बात से आखिर क्या फर्क पड़ता है? मेरा पैर पूरी तरह बेकार हो चुका था। मेरी टांग फिर कभी ठीक नहीं हुई। उनका परिवार आज भी सरकारी ट्रांसपोर्ट कंपनी के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ रहा है। लेकिन यह हादसा भी मरियप्पन को रोक नहीं पाया। वह अब 21 साल के हो चुके हैं। 9 सितम्बर, 2016 को उन्होंने पुरुषों की टी42 ऊँची कूद में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरो में हो रहे पैरालिंपिक खेलों में मरियप्पन ने सोने की छलांग लगाई।

एक बस ने पांच-वर्षीय मरियप्पन को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में उनका एक पैर कट गया। 17 वर्ष तक अदालत के कई चक्कर काटने के बाद मरियप्पन के परिवार को 2 लाख रुपए मुआवज़ा मिला। पर इसमें से 1 लाख रुपए वकीलों की फीस में चले गए। बाके के 1 लाख रुपए सरोज अम्मा ने मरियप्पन के भविष्य के लिए एक बैंक खाते में जमा कर दिए। सरोजा देवी ने मरियप्पन के इलाज के लिए 3 लाख का ऋण लिया था जो 2016 तक चुकाया नहीं गया है।

गरीबी के वजह से मरियप्पन के बड़े भाई टी कुमार स्कूल के आगे नहीं पढ़ पाए। लेकिन मरियप्पन ने छात्रवृत्ति के बल पर ए.वी.एस. महाविद्यालय से बीबीए की डिग्री पूरी की। इसी महाविद्यालय के द्रविड़ शारीरिक शिक्षा निदेशक ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहन दिया। इसके बाद बैंगलुरू के द्रविड प्रशिक्षक सत्या नारायण ने मरियप्पन को दो साल तक हर महीने 10 हज़ार रुपए और प्रशिक्षण दिया |

क्रमांक जीवन परिचय बिंदु मारियप्पन जीवन परिचय
1. पूरा नाम मारियप्पन थान्गावेलु
2. जन्म 28 जून, 1995
3. जन्म स्थान सालेम जिला, तमिलनाडु
4. माता का नाम सरोजा
5. कोच सत्यनारायण
6. खेल एथलेटिक्स
7. नागरिकता भारतीय
8. उम्र 21 साल
9. भाई 1.कुमार  2.गोपी
10. बहन सुधा

मारियप्पन एथलीट करियर (Mariyappan Thangavelu  career) –

स्कूल में मारियप्पन के शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक ‘आर राजेन्द्रम’ ने उनकी हाई जम्प खेल की प्रतिभा को जाना, और उनको बढ़ावा दिया. उन्होंने मारियप्पन को हाई जम्प की अलग अलग प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. 14 साल की उम्र में अपनी पहली ही प्रतियोगिता में मारियप्पन ने बाकि सक्षम शरीर एथलीटों के सामने दूसरा स्थान प्राप्त किया. इस जीत के बाद वे मारियप्पन अपने जिला व् स्कूल के सभी लोगों की नजर में आ गए, और सबको अचंभित कर दिया.

सन 2013 में ‘एवीएस कॉलेज ऑफ़ कला और विज्ञान’ कॉलेज के शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षक ने भी मारियप्पन की इस प्रतिभा के लिए उन्हें बढ़ावा दिया. मारियप्पन इसके बाद बेंगलुरु में आयोजित ‘भारतीय राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ में हिस्सा लेने पहुंचें. इस समय मारियप्पन की उम्र मात्र 18 साल यहाँ, यहाँ उन्हें भारत के एथलीट सत्यनारायण जी ने देखा, और उनकी प्रतिभा को जान कर उन्हें अपने साथ 10 हजार प्रति माह पर रख लिया और प्रशिक्षण भी देने लगे. सत्यनारायण भारत के एक और पैरा एथलीट वरुण भाटी के भी कोच है.

कठिन ट्रेनिंग के बाद सन 2015 में मारियप्पन सीनियर लेवल की प्रतियोगिता में उतरे, और अपने पहली ही साल में वे विश्व के नंबर 1 खिलाड़ी (हाई जम्प) बन गए.

मार्च 2016 में तुनिषा में आयोजित ‘आईपीसी ग्रांड प्रिक्स’ में पुरुष वर्ग की हाई जम्प T-42 में मारियप्पन ने 1.78 m के रिकॉर्ड के साथ परफॉरमेंस दी. T-42 इवेंट के अंदर ऐसे एथलीट आते है, जिनमें किसी अंग की कमी हो या पैरों की लम्बाई में फर्क हो. ‘आईपीसी ग्रांड प्रिक्स’ में ऊँची छलांग के बाद, मारियप्पन ने पैरालिम्पिक में जाने के लिए अपने दरवाजे खोल लिए. वहां जाने के लिए 1.60 m पर A मार्क मिलता है. लेकिन मारियप्पन ने तो 1.78 m का रिकॉर्ड दर्ज करवाया. यहीं से सबको उम्मीद थी कि मारियप्पन पैरालिम्पिक में तीसरा स्वर्ण पदक लाने सक्षम होंगें. इसके पहले 1972 में तैराकी में मुरलीकान्त पेटकर एवं सन 2004 में भाला फेंक में देवेन्द्र झाझड़िया को स्वर्ण पदक मिला था.

रियो पैरालिम्पिक में जीत के बाद मारियप्पन को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता जी ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से 2 करोड़ की राशी की घोषणा की. इसी के साथ भारत देश के खेल मंत्रालय  ने भी पैरालिम्पिक में गोल्ड मैडल विजेता को 75 लाख की राशी देने की घोषणा की है. मारियप्पन ने अपनी जीती हुई राशी में से 30 लाख रूपए, सालेम में स्थित अपने सरकारी स्कूल में देने की घोषणा भी कर दी है, वे चाहते है उस स्कूल में अच्छी से अच्छी व्यवस्था बच्चों को मिले. मारियप्पन ने बहुत अधिक आर्थिक परेशानियां देखी है, उनके परिवार वालों ने ऐसा भी समय देखा है, जब उनके सर पर छत तक नहीं थी, उनके परिवार को कोई किराए पर घर नहीं देता था. पैरालिम्पिक में जाते समय भी मारियप्पन अपने परिवार के साथ एक बहुत छोटे से किराये के घर में रहते थे. लेकिन इस जीत के बाद मारियप्पन की ज़िन्दगी बदल गई, अब वे अपने सपनों को और अच्छे से पूरा कर सकते है. हम उनके आने वाले जीवन के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते है.

पुरस्कार

मार्च, 2016 में मरियप्पन थंगावेलु ने 1.78 मीटर की छलांग लगाकर रियो के लिए क्वॉलिफाइ किया था, जबकि क्वॉलिफिकेश मार्क 1.60 मीटर था। उनके प्रदर्शन से इस बात का अंदाजा लग गया था कि ओलिंपिक का पदक उनकी पहुंच से दूर नहीं है। मरियप्पन को भारत सरकार की ओर से पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर 75 लाख रुपये की इनामी राशि तो मिली ही है, साथ ही तमिलनाडु सरकार ने भी उन्हें दो करोड़ रुपये का पुरस्कार देने का ऐलान किया है

पुरस्कार और मान्यता

पद्म श्री (2017) – भारत का चौथा उच्चतम राष्ट्रीय सम्मान

तमिलनाडु सरकार की ओर से  (यूएस $ 3,10,000)

युवा मामलों और खेलों के मंत्रालय से 75% से अधिक (यूएस $ 120,000)

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से 30% से अधिक राशि (यूएस $ 47,000)

सचिन तेंदुलकर द्वारा स्थापित निधि से 15,000,000 डॉलर (23,000 अमेरिकी डॉलर) विभिन्न निगमों

यशराज फिल्म्स से 10 लाख रुपये से अधिक (यूएस $ 16,000)

दिल्ली गोल्फ क्लब से 10 लाख रुपये से अधिक (यूएस $ 16,000)

अनिवासी भारतीय व्यापारी Mukkattu सेबस्टियन से 5 साल की अवधि में 7,800 डॉलर

 

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