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Heinrich Hertz Biography in Hindi – वैज्ञानिक हाइनरिख़ हर्ट्ज़ जीवनी

Heinrich Hertz Biography in Hindi – वैज्ञानिक हाइनरिख़ हर्ट्ज़ की जीवनी

Heinrich Hertz Biography in Hindi

 हाइनरिख़ रूडॉल्फ़ हर्ट्ज़ एक जर्मन भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने जेम्स क्लर्क माक्सवेल द्वारा खोजे गए प्रकाश के मूल विद्युतचुम्बकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) की तरंगों के सिद्धांत को और आगे विकसित किया। वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने प्रयोगशाला में रेडियो की तरंगों को प्रसारित करने और पकड़ने के यंत्र बनाये। उनके इस महत्वपूर्ण काम के लिए रडियो की आवृत्ति (फ़्रीक्वॅन्सी) के माप का नाम “हर्ट्ज़” (Hertz) रखा गया जिसे छोटे रूप में “Hz” लिखा जाता है।

हाइनरिख़ हर्ट्ज़ ने रेडियो ट्रांसमीटर और रिसीवर का युगांतकारी अविष्कार किया। इस महान वैज्ञानिक ने अपने छोटे से जीवन काल में माइक्रोवेब ट्रांसमीटर, रिसीवर और रिफ्लेक्टर से कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए और तरंगों की लंबाई मापने में सफल रहे।

हाइनरिख़ हर्ट्ज़ का जन्म जर्मनी के हैंबुर्ग में 22 फरवरी, 1857 में हुआ था। परिवार समृद्धि एवं प्रतिष्ठित था। इनके पिता डेविड गुस्टाव हर्ट्ज़ एक बैरिस्टर थे। उनका माँ का नाम अन्ना एलिज़ाबेथ पफेफरकोरन था। हर्ट्ज़ की शुरूआती शिक्षा पास में ही हुई उसके बाद वे बर्लिन विश्वविद्यालय में विज्ञान के अध्ययन के लिए पहुंचे। यहां वे भौतिकी के उस समय के जाने-माने प्रोफेसर हैलमहोलतश के संपर्क में आए।

हेल्म्होल्ट्श बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे। 1880 में स्नातक होते ही हर्ट्ज़, हेल्महोतष के यहां ही, भौतिक में एक सहायक रूप में नियुक्त हो गए। 1883 में हर्ट्ज़ की नियुक्ति भौतिकी के अध्यापक के रूप हो गई, और वहीं पहुंचकर मैक्सवेल की विद्युत चुंबकीय स्थापना के संबंध में उनके जीवन का ध्येय निर्धारित भी हो गया।

इसके बाद उन्होंने मैक्सवेल का प्रकाश का विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त की व्याख्या की, अभियांत्रिकी उपकरण से रेडियो स्पंद उत्सर्जित और संसूचित करके विद्युत चुम्कीय तरंगों के अस्तित्व को सिद्ध कर दिखाया।

1889 में इन परीक्षणों तथा प्रयोगों पर हाइडेलबर्ग में जर्मन ‘एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ नेचुरल साइंस’ की मीटिंग में खुलकर विचारों का आदान प्रदान हुआ, और हर्ट्ज़ को बॉन विश्वविद्यालय में भौतिकी का प्रोफ़ेसर नियुक्त कर दिया गया।

विज्ञान में उनके प्रति सम्मान के लिए ‘साइकल प्रति सेकंड’ को ‘हर्ट्ज़’ का नाम दे दिया। दुर्भाग्यवश 1 जनवरी, 1894 में 37 वर्ष की छोटी सी आयु में बीमारी की वजह से हर्ट्ज़ की मृत्यु हो गई। परंतु यदि वह जीवित रहते हो शायद विज्ञान और दुनिया को और बहुत कुछ दे जाते।

 

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