संविधान का महत्व, आप भी जानो – importance of constitution
संविधान का महत्व, आप भी जानो
संविधान का महत्व, आप भी जानो
आप सब को पता होगा कि आजादी मिलते ही देश को चलाने के लिए संविधान बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया था. इसी कड़ी में 29 अगस्त, 1947 को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए पारूप समिति की स्थापना की गयी और इसका अध्यक्षा डॉ भीमराव आंबेडकर को चुना गया. दुनियाभर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद
डॉ आंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया. 26 नवंबर, 1949 को इसे भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया, इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपना
लिया. यही वजह है कि देश में हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर जानो अपने संविधान की खास बातें.
संविधान सभा का गठन:-
देश की आजादी से पहले ही कैबिनेट मिशन प्लान के तहत संविधान सभा का गठन किया गया. इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इसका सभापति और डॉ बीआर आंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए 13 समितियों का गठन हुआ. शुरू में संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे. प्रोविंसेज के 292 प्रतिनिधि, राज्यों के 93 प्रतिनिधि, चीफ कमिश्नर प्रोविंसेज के 3, बलोचिस्तान के 1 प्रतिनिधि शामिल थे. बाद में मुस्लिम लीग ने खुद को इससे अलग कर लिया, जिसके बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गयी.
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान:-
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसी आधार पर भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है. भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं. यह 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था. जनवरी 1948 में संविधान का पहला प्रारूप चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया. 4 नवंबर, 1948 से शुरू हुई यह चर्चा लगभग 32 दिनों तक चली थी. इस अवधि के दौरान 7,635 संशोधन प्रस्तावित किये गये, जिनमें से 2,473 पर विस्तार से चर्चा हुई.
26 जनवरी, 1950 को हुआ लागू:-
26 नवंबर 1949 को संविधान को संविधान सभा द्वारा अपना लिये जाने के बाद संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किये. इसके बाद 26 जनवरी को इसे लागू कर दिया गया. कहा जाता है कि जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे, उस दिन दिल्ली में खूब जोर की बारिश हो रही थी.
टाइपिंग नहीं कलम से लिखी गयी मूल प्रति:-
भारतीय संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित है. इसमें टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं, किया गया था, दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था. रायजादा काखानदानी पेशा कैलिग्राफी का था. उन्होंने नंबर 303 के 254 पेन होल्डर निब का इस्तेमाल कर संविधान के हर पेज को बेहद खूबसूरत इटैलिक लिखावट में लिखा है. इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे. जब उनसे मेहनताना पूछा गया था, तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे.
हीलियम गैस से भरे केस में रखी है मूल प्रति:-
भारतीय संविधान के हर पेज को चित्रों से आचार्य नंदलाल बोस ने सजाया है. इसके अलावा इसके प्रस्तावना पेज को सजाने का काम राम मनोहर सिन्हा ने किया है. वे नंदलाल बोस के ही शिष्य थे. संविधान की मूल प्रति भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे केस में रखी गयी है.
क्या है संविधान की परिभाषा :-
किसी भी देश का संविधान लिखित नियमों का एक ऐसा ग्रंथ या पुस्तक है, जिसकी वजह से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों (नागरिकों) के बीच के आपसी संबंध तय होते हैं. इसके साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच के संबंध भी तय होते हैं, अन्य शब्दों में कहें तो संविधान में कुछ ऐसे सिद्धांत तथा नियम तय कर लिये गये हैं, जिसके अनुसार देश का शासन चलाया जाता है. यही कारण है कि संविधान को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है,
क्यों है संविधान की आवश्यकता:-
यह साथ रह रहे लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है. साथ ही सरकार और नागरिकों के आपसी संबंधों को निर्धारित करता है. संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार है. संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार हैं. संविधान ही सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत है. संविधान अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है, भारतीय संविधान के निर्माण की पृष्ठभूमि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही तय हो गयी थी.
संविधान का महत्व आप भी जानो
संविधान में बच्चों के लिए अधिकार:-
• भारतीय संविधान ने सभी बच्चों के लिए कुछ अधिकार, निश्चित किये हैं, जिसे विशेष रूप से उनके लिए संविधान में शामिल किया गया है.
• इनमें 6-14 वर्ष की आयु समूह वाले सभी बच्चों को अनिवार्य और निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद-21ए)
• 14 वर्ष की उम्र तक के बच्चे को किसी भी जोखिम वाले कार्य से सुरक्षा का अधिकार. (अनुच्छेद-24)
• आर्थिक जरूरतों के कारण जबरन ऐसे कामों में भेजना, जो उनकी आयु या क्षमता के उपयुक्त नहीं है, उससे सुरक्षा का अधिकार.(अनुच्छेद-39ई)
• समान अवसर व सुविधा का अधिकार जो उन्हें स्वतंत्रता एवं प्रतिष्ठा पूर्ण माहौल प्रदान करें और उनका स्वरूप रूप से विकास हो सके. साथ ही, नैतिक एवं भौतिकी कारणों से होने वाले शोषण से सुरक्षा का अधिकार. (अनुच्छेद 39f)
संविधान की प्रस्तावना के मूल तत्व:-
• हम भारत के लोग:- इसका तात्पर्य है कि भारत के संविधान का निर्माण और अधिनियमन (अपनाया जाना)भारत के लोगों ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से किया गया है.
• समाजवादी :समाज में संपदा सामूहिक रूप से पैदा होती है और समाज में उसका बंटवारा समानता के साथ होना चाहिए. सरकार जमीन और उद्योग-धंधों के हक से जुड़े नियम-कानून इस तरह बनाये कि सामाजिक-आर्थिक असमानता कम हों.
• प्रभुत्व संपन्न :लोगों को खुद से जुड़े हर मामले में फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार है.कोई भी बाहरी शक्ति भारत को आदेश नहीं दे सकती.
• पंथ निरपेक्षता : नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की पूरी स्वतंत्रता है.कोई भी धर्म राजकीय धर्म नहीं है.सरकार सभी धर्मों और आचरणों को समानसम्मान राज्यधर्म के आधार पर अपने नागरिकों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा तथा धार्मिक मामलों में विवेकपूर्ण निर्णय लेगा.
लोकतंत्रात्मक :सरकार का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं. लोग अपने शासक का चुनाव करते हैं, उसे जवाबदेह बनाते हैं. सरकार कुछ बुनियादी नियमों के अनुरूप चलती है.
• गणराज्य : इसका आशय यह है कि देश का प्रमुख जनता द्वारा चुना व्यक्ति होगान कि वंशपरंपरा या किसी खानदान का व्यक्ति.
• न्याय : नागरिकों के साथ उनकी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा.
• स्वतंत्रता नागरिक कैसे सोचें, किस तरह विचारों को अभिव्यक्त करें और विचारों पर किस तरह अमल करें, इस पर कोई अनुचित पाबंदी नहीं है,
समता : कानून के समक्ष सभी समान हैं, पहले से चली आ रही सामाजिक असमानताओं को समाप्त करना होगा. सरकार हर नागरिक को समान अवसर उपलब्ध कराने की विशेष व्यवस्था करे.
• बंधुता :हम आपस में ऐसा आचरण करें जैसे कि हम एक परिवार के सदस्य हों.
आभार:- प्रभात खभर