12-economics

bihar board class 12 economics | उत्पादन और लागत

bihar board class 12 economics | उत्पादन और लागत

                                   [Production and Costs]
                          स्मरणीय बिन्दु (Point of Remember)
1. उत्पादन फलन (Production Function)-यह उत्पादन की आगतों और अन्तिम
उत्पाद के बीच तकनीकी संबंध है। यह स्पष्ट करता है कि विभिन्न आगतों के प्रयोग
से कितना अधिकतम उत्पादन किया जा सकता है।
2. कुल उत्पादन (Total Production)-एक फर्म द्वारा एक निश्चित अवधि में वस्तुओं
और सेवाओं की कुल मात्रा को कुल उत्पादन कहते हैं।
3. सीमान्त उत्पादन (Marginal Production)-उत्पादन के एक स्थिर साधन पर
परिवर्तन साधन की एक अतिरिक्त इकाई लगाने से कुल उत्पादन में जो वृद्धि होती है,
उसे सीमान्त उत्पादन कहते हैं।
4. औसत उत्पादन (Average Production)-जब कुल उत्पादन को श्रम की इकाइयों
से विभाजित किया जाता है तो वह औसत उत्पादन कहलाता है।
5. बढ़ते प्रतिफल का नियम (Law of Increasing Returns)-श्रम और पूँजी की
वृद्धि से सामान्यतः व्यवस्था में सुधार होता है, जिससे श्रम और पूँजी की वृद्धि से मिलने
वाले प्रतिफल में सामान्यतः अनुपात से अधिक वृद्धि होती है।
6. समान प्रतिफल का नियम (Law of Constant Returns)-इस नियम के अनुसार
कुछ साधनों को स्थिर रखकर जब अन्य साधनों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में उसी
अनुपात में वृद्धि होती है जिस अनुपात में साधनों को बढ़ाया जाता है।
7. घटते प्रतिफल का नियम (Law of Diminishing Returns)-जैसे-जैसे साधनों के
संयोग में किसी एक साधन का अनुपात बढ़ाया जाता है, वैसे-वैसे एक सीमा के पश्चात्
उस साधन की सीमान्त तथा औसत उपज कम होने लगती है।
8. परिवर्ती अनुपातों का नियम (Law of Variable Proportions)-अल्पकाल में
जब कुछ स्थिर साधनों के साथ परिवर्तनशील साधनों की मात्रा को बढ़ाया जाता है तो
कुल उत्पादन में वृद्धि असमान दर से होती है। अत: पहले उत्पादन में वृद्धि बढ़ती हुई
दर से होती है तथा अन्य में उत्पादन में होने वाली वृद्धि घटती दर से होती है।
9. पैमाने का प्रतिफल (Returns of Scale)-पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी साधनों
में समान अनुपात से होने वाले परिवर्तन के कारण उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है।
10. पैमाने का बढ़ता प्रतिफल (Increasing Returns to Scale)-पैमाने के प्रतिफल
का संबंध सभी साधनों में समान अनुपात से होने वाले परिवर्तन के कारण उत्पादन में होने
वाले परिवर्तन से है।
11. पैमाने का बढ़ता प्रतिफल (Increasing Returns to Scale)-बढ़ते प्रतिफल का
पैमाना उस समय लागू होता है जब कुल उत्पादन में आनुपातिक वृद्धि सभी साधनों की
आनुपातिक वृद्धि की तुलना में अधिक होती है।
12. पैमाने का समान प्रतिफल (Constant Returns to Scale)-समान प्रतिफल का
पैमाना उस समय लागू होता है जब कुल उत्पादन में उसी अनुपात में वृद्धि होती है जिस
अनुपात में उत्पादन के सभी साधनों को बढ़ाया जाता है।
13. पैमाने का घटता प्रतिफल (Diminishing Returns to Scale)-घटते प्रतिफल का
पैमाना उस समय लागू होता है जब कुल उत्पादन में आनुपातिक वृद्धि सभी साधनों की
आनुपातिक वृद्धि की तुलना में कम होती है।
14. आंतरिक बचतें (Internal Economics)-एक विशेष फर्म का आकार बढ़ने से
उसकी आन्तरिक व्यवस्था व संगठन में सुधार होने के कारण उस फर्म को जो बचतें प्राप्त
होती है उन्हें आंतरिक बचतें कहा जाता है।
15. बाहरी बचतें (External Economics)-वे लाभ व सुविधाएँ हैं जो किसी विशेष
उद्योग की सभी फर्मों को प्राप्त होती हैं। ये एक फर्म के निजी प्रयलों का परिणाम नहीं होती
बल्कि सम्पूर्ण उद्योगों के उत्पादन में वृद्धि का परिणाम होती है।
16. आन्तरिक बचतों के प्रकार (Types of Internal Economics)-तकनीकी बचतें,
व्यर्थ पदार्थों के प्रयोग की बचतें, श्रम संबंधी बचतें, क्रय-विक्रय संबधी बचतें, वित्तीय बचतें,
जोखिम संबंधी बचतें।
17. बाहरी बचतों के प्रकार (Types of External Economics)-स्थानीयकरण की
बचतें, सूचना की बचतें, विभाजन की बचतें।
18. उत्पादन लागत (Cost of Production)-किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए
उत्पादन के साधनों पर किया जाने वाला कुल व्यय उत्पादन लागत कहलाता है।
19. स्पष्ट लागत (Explicit Cost)-एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए प्रयोग में लाए
गए साधनों को, जो पुरस्कार मुद्रा के रूप में दिया जाता है, उसे स्पष्ट लागत कहते हैं।
20. अस्पष्ट लागत (Implicit Cost)-उत्पाक के निजी साधनों के बाजार दर पर पुरस्कार
को अस्पष्ट लागत कहते हैं।
21. अवसर लागत (Opportunity Cost)-वास्तविक लागत से अभिप्राय उन सभी कष्ट,
त्याग और प्रयत्नों से है जो कि उत्पाद के साधनों को किसी वस्तु का उत्पादन करने के
लिए उठाने पड़ते हैं।
22. बाह्य लागत (External Cost)-वह लागत जो किसी फर्म के द्वारा वहन : करके
समाज में अन्य व्यक्तियों द्वारा वहन की जाती है, उसे बाहरी लागत कहते हैं।
23. निजी लागत (Private Cost)-निजी लागत से अभिप्राय किसी वसतु के उत्पादन पर
उत्पादक द्वारा किए गए खर्च के जोड़ से है।
24. सामाजिक लागत (Social Cost)-वह लागत जो सारे समाज को जल, वायु और शोर
प्रदूषण के रूप में सहन करनी पड़ती है।
25. लागत फलन (Cost Function)-लागत फलन वस्तु की उत्पादन लागत और उत्पादन
की मात्रा के सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
26. अल्प काल (Short Period)-उत्पादन काल की वह अवस्था है जिसके दौरान उत्पादन
की मात्रा को केवल परिवर्तनशील (Variable) साधनों की मात्रा में वृद्धि करके ही घटाया
या बढ़ाया जा सकता है।
27. दीर्घ काल (Long Period)-दीर्घकाल एक लम्बा समय है जिसमें उत्पादन के स्थिर
और परिवर्तनशील साधनों दोनों में ही वृद्धि की जा सकती है।
एन०सी०आर०टी० पाठ्यपुस्तक एवं परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
INCERT Textbook and Other Important Questions & Answer for Examination)
                        रिक्त स्थानों का पूर्ति (Fill up the Blanks)
(i) भुगतान की गई लागत……….. लागत है। (मौद्रिक, आकलित)
(ii) व्यवसाय में लागत से तात्पर्य…………लागत से है। (आकलित, मौद्रिक)
(iii) आकलित लागत से तात्पर्य………….से है। (किराये पर लिए गए साधनों के
मुआवजे, लगाई गई आगतों के मुआवजे)
(iv) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में लागत में…………..शामिल होती है।
(v) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में सामान्य लाभ लागत का हिस्सा……. । (है, नहीं है)
(vi) औसत स्थिर लागत, उत्पादन में वृद्धि के साथ …… है। (गिरती, बढ़ती)
(vii) उत्पादन की मात्रा बदलने पर कुल लागत में परिवर्तन………..लागत में परिवर्तन के
कारण होता है। (स्थिर, परिवर्तनशील)
(viii) कुल लागत को जानने के लिए कुल स्थिर लागत और कुल परिवर्तनशील लागत को
……………पड़ता है। (जोड़ना, गुणा करना)
(ix) शून्य उत्पादन पर कुल लागत शून्य………….है। (होती, नहीं होती)
(x) जब उत्पादन शून्य हो तो कुल लागत………….लागत के बराबर होती है।
(स्थिर, परिवर्तनशील)
उत्तर-(i) मौद्रिक (ii) मौद्रिक, (iii) स्वयं लगाई गई आगतों के मुआवजे, (iv) मौद्रिक
और आकलित दोनों आगतें, (v) है, (vi) गिरती, (vii) परिवर्तनशील, (viii) जोड़ना,
(ix) नहीं होती, (x) स्थिर ।।
                                             वस्तुनिष्ठ प्रश्न
                              (Objective Type Questions)
1. वास्तविक लागत है-
(a) उत्पादन लागत
(b) स्वामियों के द्वारा साधन की पूर्ति में उठाई गई सभी लागत
(c) उत्पाद की कीमत
(d) औसत लागत
2. मौद्रिक लागत से अभिप्राय है-
(a) एक वस्तु के उत्पादन तथा विक्रय में खर्च किया गया मुद्रा में व्यय
(b) उत्पाद का विक्रय मूल्य
(c) कुल स्थिर लागत
(d) कुल परिवर्तनशील लागत
3. सामाजिक लागत निजी लागत में कम होगी यदि-
(a) औसत लागत कम हो रही है
(b) सीमान्त लागत कम हो रही है
(c) औसत लागत बढ़ रही है
(d) एक व्यक्ति के कार्य से समाज को कुल लाभ रहा है।
4. किसी वस्तु की मौद्रिक लागत में निम्नलिखित मदें सम्मिलित की जाती है-
(a) स्पष्ट लागते
(b) केवल अस्पष्ट लागते
(C) सामान्य लाभ
(d) उपर्युक्त सभी
5. स्पष्ट लागतों में शामिल है-
(a) कच्चे माल की कीमत
(b) श्रमिकों की मजदूरी
(c) उधार पूँजी पर ब्याज
(d) उपर्युक्त सभी
6. उत्पादनकर्ता के स्वयं के साधनों का मूल्य-
(a) स्पष्ट लागतें कहलाती हैं
(b) अस्पष्ट लागतें कहलाती हैं
(c) उत्पादनकर्ता का सामान्य लाभ होता है
(d) उपर्युक्त सभी
7. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) मौद्रिक लागत = स्पष्ट लागत
(b) असामान्य लाभ = मौद्रिक लागत – स्पष्ट लागत + अस्पष्ट लागत
(c) मौद्रिक लागत = स्पष्ट लागत + अस्पष्ट लागतें + सामान्य लाभ
(d) स्पष्ट लागत = मौद्रिक लागत + अस्पष्ट लागतें + सामान्य लाभ
8. अवसर लागत को निम्नलिखित नाम से भी सम्बोधित किया जाता है-
(a) वैकल्पिक लागत
(b) हस्तान्तरण आय
(c) त्याग
(d) उपर्युक्त सभी
9. वह लागत अथवा आय, जो किसी साधन को उसके परिवर्तन कार्य में बढ़ने के
लिए प्रेरित करती है, उसे-
(a) स्पष्ट लागत कहते हैं
(b) अस्पष्ट लागत कहते हैं
(c) अवसर लागत कहते हैं
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
10. किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने पर फर्म को जितनी लागत
सहन करनी पड़ती है, उसे फर्म की-
(a) औसत लागत कहते हैं
(b) कुल लागत कहते हैं।
(c) सीमान्त लागत कहते हैं
(d) अवसर लागत कहते हैं
11. कुल लागत-
(a) सीमान्त लागत का योग होती है
(b) औसत लागत को वस्तु की मात्रा से गुणा करने पर ज्ञात की जा सकती है
(c) से तात्पर्य किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उतपादन करने पर फर्म द्वारा किया
गया व्यय है।
(d) उपर्युक्त कोई भी
12. जब सीमान्त लागत घटती है तो कुल लागत-
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) घटती हुई दर से बढ़ती है
(d) समान रहती है
13. जब सीमान्त लागत बढ़ती है तो-
(a) औसत लागत भी बढ़ती है
(c) औसत लागत सीमान्त लागत से कम रहती है
(b) कुल लागत बढ़ती है
(d) उपर्युक्त सभी
14. उत्पादन शून्य होने पर अल्पकाल में स्थिर लागत-
(a) शून्य हो जाती है
(b) धनात्मक रहती है
(c) ऋणात्मक हो जाती है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
15. स्थिर लागतों का उत्पादन की मात्रा से-
(a) सम्बन्ध होता है
(b) कोई सम्बन्ध नहीं होता.
(c) सम्बन्ध केवल दीर्घकाल में होता है
(d) सम्बन्ध अल्पकाल और दीर्घकाल दोनों में होता
16. वस्तु के उत्पादन की मात्रा में कमी अथवा वृद्धि होने पर कुल स्थिर लागत-
(a) समान रहती है
(b) क्रमशः कम या अधिक हो जाती है
(c) क्रमशः अधिक या कम हो जाती है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
17. परिवर्तनशील लागतें उत्पादन की मात्रा के साथ-
(a) कम या अधिक हो सकती हैं
(b) परिवर्तित नहीं होती
(c) प्रारंभ में समान रहती हैं तथा फिर कम होती जाती हैं।
(d) उपर्युक्त सभी
18. निम्नलिखित में से किस लागत वक्र का आकार यू की भाँति होता है ?
(a) औसत लागत
(b) औसत परिवर्तनशील लागत
(c) सीमान्त लागत
(d) उपर्युक्त सभी
19. उत्पादन लागतें हैं-
(a) उत्पादन के साधनों को दिया जाने वाला पारितोषिक
(b) वस्तु की बिक्री कीमत
(c) उत्पादनकर्ता का व्यय
(d) मशीनों का लागत
20. स्पष्ट एवं अस्पष्ट लागते अंग हैं-
(a) मौद्रिक लागत का
(b) वास्तविक लागत का
(c) अवसर लागत का
(d) उपर्युक्त सभी का
                                     -: उत्तर :-
1. (b) 2.(a) 3. (d) 4.(d) 5.(d) 6.(b) 7.(c) 8.(d) 9.(c)
10. (b) 11. (d) 12. (c) 13. (d) 14. (b) 15. (d) 16. (a) 17.(a) 18. (d)
19. (a) 20. (a)
                                      अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
                        (Very Short Answer Type Questions)
                                            1. उत्पादन फलन
                                     (Production Function)
प्रश्न 1. उत्पादन फलन क्या है?
अथवा, उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाएं।       [NCERT T.B.Q. 1]
उत्तर-उत्पादन फलन उत्पादन की आगतों और अन्तिम उत्पाद के बीच तकनीकी सम्बन्ध
को कहते हैं। यह स्पष्ट करता है कि विभिन्न आगतों का प्रयोग से कितना अधिकतम उत्पादन
संभव हो सकता है।
प्रश्न 2. उत्पादन में काम आने वाली तीन आगातों के नाम बताइये।
उत्तर-उत्पादन में काम आने वाली आगतें हैं-भूमि, श्रम, कच्चा माल, पूँजी आदि ।
प्रश्न 3. एक आगतत (Input) का कुल उत्पादन क्या है ?  [NCERT TB. Q.3]
उत्तर-एक फर्म एक निश्चित समय में एक आगत द्वारा उत्पादित वस्तुओं को एक आगत
का कुल उत्पाद कहते हैं। इसे एक आगत के विभिन्न इकाइयों के सीमान्त उत्पादन से जोड़े
के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सांकेतिक रूप में कुल उत्पाद (TP) = £MPs
प्रश्न 4. औसत उत्पाद से क्या अभिप्राय है ?
अथवा, एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है ?       [NCERT T.B.Q.21]
उत्तर-यदि कुल उत्पाद को श्रम की इकाइयों से भाग दे दिया जाए तो इसे औसत उत्पाद
कहते हैं।
प्रश्न 5. सीमान्त भौतिक उत्पाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा, एक आगत का सीमान्त उत्पाद क्या होता है ?
उत्तर-उत्पादन की अन्य आगतों को स्थिर रखकर एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने
पर कुल उत्पादन में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त उत्पाद कहते हैं।
प्रश्न 6. सीमान्त भौतिक उत्पाद तालिका की सहायता से कुल भौतिक उत्पाद की
गणना किस प्रकार की जाती है?
उत्तर-परिवर्तित इकाइयों का उत्पादन में प्रयोग करके सीमान्त भौतिक इकाइयों का जोड़
करके कुल भौतिक उत्पाद की गणना की जा सकती है।
प्रश्न 7. किसी साधन की सीमान्त भौतिक उत्पादकता के बारे में आप क्या कहेंगे,
जबकि कुल भौतिक उत्पाद में गिरावट आ रही है ?.
उत्तर-जब कुल भौतिक उत्पाद में गिरावट आ रही हो तो सीमान्त भौतिक उत्पाद
ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 8. सीमान्त भौतिक वक्र का आकार किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-सीमान्त भौतिक उत्पाद वक्र का आकार U-आकार का होता है।
प्रश्न 9.औसत भौतिक उत्पाद (APP) वक्र का आकार किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-औसत भौतिक उत्पाद वक्र U-आकार का होता है।
प्रश्न 10. पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-पैमाने के प्रतिफल से अभिप्राय है कि यदि उत्पादन में सभी साधनों को एक साथ
एक निश्चित अनुपात में बढ़ाया जाए तो इसका कुल उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका
अध्ययन पैमाने के प्रतिफल में किया जाता है। यह निबंध दीर्घकाल में लागू होता है।
प्रश्न 11. पैमाने के बढ़ते प्रतिफल से क्या अभिप्राय है?
उत्पादन में अनुपात से अधिक वृद्धि होती है तो इसे हम पैमान का बढ़ता प्रतिफल कहते हैं।
प्रश्न 12.पैमाने को घटते प्रतिफल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधनों में एक निश्चित अनुपात में वृद्धि करने से
कुल उत्पादन से कम वृद्धि होती है तो इसे हम पैमाने का घटता प्रतिफल कहते हैं।
प्रश्न 13. सीमान्त लागत वक्र के द्वारा कुल परिवर्तनशील लागत किस प्रकार का
ज्ञात करते हैं?
उत्तर-कुल परिवर्तनशील लागत का क्षेत्र सीमान्त लागत द्वारा निर्धारित होता है, क्योंकि
TVC सीमान्त लागतों का योग है।
प्रश्न 14. औसत स्थिर लागत वक्र का आकार किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-औसत स्थिर लागत वक्र दायीं ओर से बायीं ओर नीचे झुकाव लिए होता है।
प्रश्न 15. सीमान्त लागत वक्र का सामान्य आकार किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-यह U-आकार का होता है, क्योंकि यह घटते प्रतिफल के सिद्धान्तं पर आधारित है।
प्रश्न 16. औसत लागत वक्र का सामान्य आकार क्या होता है?
उत्तर-औसत लागत वक्र (AC curve) सामान्य रूप से U-आकार का वक्र होता है।
ऊपर से नीचे दायीं ओर गिरता है और फिर न्यूनतम होकर ऊपर की ओर मुड़ जाता है।
प्रश्न 17. यदि MC> ATC तो ATC पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-जब सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक होती है तो औसत लागत न्यूनतम होने
के बाद ऊपर की ओर उठती है।
प्रश्न 18. श्रम विभाजन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-जब किसी कार्य को छोटे-छोटे भागों और उपविभागों में बाँटकर पूरा किया जाता
है और श्रमिकों को उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर कार्य सौंप दिया जाता है तो इसे
श्रम विभाजन कहते हैं।
प्रश्न 19.पैमाने के स्थिर प्रतिफल नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-दीर्घकाल में उत्पाद के चारों साधनों में एक निश्चित अनुपात में वृद्धि करने से कुल
उत्पादन में भी यदि इसी अनुपात में वृद्धि होती है तो इसे हम पैमाने का स्थिर प्रतिफल नियम
कहते हैं।
प्रश्न 20. निम्नलिखित को स्थिर और परिवर्तनशील लागत के बीच वर्गीकृत
कीजिए-
(a) शेड का किराया, (b) टेलीफोन का न्यूनतम बिल, (c) कच्चे माल की लागत,
(d) स्थायी कर्मचारियों का वेतन, (e) पूँजी पर ब्याज, (f) सामान के परिवहन पर खर्च,
(g) न्यूनतम के अतिरिक्त टेलीफोन बिल, (h) दैनिक मजदूरी।
उत्तर-स्थिर लागत (Fixed Cost) : (a), (b),(d),(e)
परिवर्ती लागत (Variable Cost) : (c), (f), (g), (h)
प्रश्न 21. उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर कुल स्थिर लागत में क्या परिवर्तन
होता है?
उत्तर-उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर कुल स्थिर लागत में परिवर्तन नहीं होता,
चाहे उत्पादन का स्तर कितना भी क्यों न हो।
प्रश्न 22. एक सीमान्त लागत तालिका द्वारा कुल परिवर्तनशील लागत किस प्रकार
ज्ञात की जाती है?
उत्तर-कुल परिवर्तनशील लागत सीमान्त लागत का योग होती है क्योंकि कुल उपयोगिता
सीमान्त उपयोगिता का जोड़ होती है।
प्रश्न 23. मात्रात्मक कटौती से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-मात्रात्मक कटौती से अभिप्राय अधिक मात्रा में वस्तुएँ खरीदने पर मिलने वाली
कटौती से है। इससे उत्पादन लागत में कमी आ जाती है।
प्रश्न 24. परिवर्ती अनुपातों के नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार, जब उत्पादन का केवल एक साधन
परिवर्तनशील होता है और अन्य साधन स्थिर रहते हैं, तो उत्पादन के परिवर्तनशील साधन के
अनुपात में वृद्धि करने से उत्पादन पहले बढ़ते हुए अनुपात में बढ़ता है, फिर समान अनुपात
में और फिर घटते अनुपात में बढ़ता है।
प्रश्न 25. उत्पादन फलन की विशेषतायें लिखें।
उत्तर-उत्पादन फलन की विशेषतायें (Featuresc
roduction function)-
1. उत्पादन के साधन एक दूसरे के स्थानापन्न हैं। 2. उत्पाद के साधन एक दूसरे के पूरक
हैं। 3. कुछ साधन विशेष वस्तु के उत्पादन के लिए विशिष्ट होते हैं।
प्रश्न 26. उत्पादन फलन के रूप लिखें।
उत्तर-उत्पादन फलन के दो रूप हैं-(1) अल्पकालीन उत्पादन फलन तथा (2) दीर्घकालीन
उत्पादन फलन अल्पकालीन उत्पादन फलन को परिवर्ती साधन का प्रतिफल कहते हैं जबकि
दीर्घकालीन उत्पादन फलन को पैमाने का प्रतिफल कहते हैं।
प्रश्न 27. अल्पकाल तथा दीर्घकाल में क्या अन्तर है?
उत्तर-अल्पकाल में उत्पादन के कुछ साधन स्थिर रहते हैं तथा अन्य परिवर्ती होते हैं।
इसके विपरीत दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्ती होते हैं।
प्रश्न 28. उत्पादन की तीन आधारभूत धारणायें लिखें।
उत्तर-उत्पादन की तीन आधारभूत धारणायें हैं-(i) कुल उत्पाद, (ii) सीमान्त उत्पाद तथा
(iii) औसत उत्पाद ।
प्रश्न 29. औसत उत्पाद की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर-औसत उत्पाद की गणना करने के लिये कुल उत्पाद को परिवर्तनशील साधन (1)
की इकाइयों से विभाजित किया जाता है। ध्यान रहे इसमें स्थिर साधन की इकाइयों से भाग
प्रश्न 31. सीमान्त भौतिक उत्पाद को प्रदर्शित करने वाला वक्र बनायें।
प्रश्न 32. औसत सीमांत भौतिक उत्पाद वक्र खींचे।
प्रश्न 33. पैमाने के विभिन्न प्रतिफल कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- पैमाने के प्रतिफल तीन प्रकार के हो सकते हैं; (1) पैमाने के बढ़ते प्रतिफल,
(2) पैमाने के समान प्रतिफल तथा (3) पैमाने के घटते प्रतिफल ।
प्रश्न 34. पैमाने की बचतों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-पैमाने की बचतों से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें उत्पादन के पैमाने के
फलस्वरूप प्रति इकाई लागत कम हो जाती है या प्रति इकाई साधन का उत्पादन बढ़ जाता है।
प्रश्न 35. पैमाने की बचतें कितने प्रकार की होती हैं ? उनके नाम लिखें।
उत्तर-पैमाने की बचतें दो प्रकार की होती है-(i) पैमाने की आन्तरिक बचतें तथा
(ii) पैमाने की बाहरी बचतें।
प्रश्न 36. पैमाने की आन्तरिक बचतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-पैमाने की आन्तरिक बचतों से अभिप्राय उन वचतों से है जो कोई फर्म अपने निजी
प्रयत्नों के फलस्वरूप प्राप्त करती है। ये बचते आन्तरिक इसलिए कहलाती हैं कि ये वचतें
उद्योग की उन फर्मों को प्राप्त नहीं होती जो अपने उत्पादन के पैमाने की वृद्धि नहीं करतीं।
प्रश्न 37. पैमाने की आन्तरिक बचतों के प्रकार लिखें।
अथवा, पैमाने की आन्तरिक बचतों के उदाहरण दें।
उत्तर-तकनीकी बचतें, श्रम संबंधी बचतें, प्रबन्धकीय बचतें, वितीय बचतें, जोखिम
संबंधी बचतें आदि पैमाने की आन्तरिक बचतें हैं।
प्रश्न 38. बाहरी बचतें किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-बाहरी बचतें वे बचतें हैं जो किसी उद्योग या उद्योगों के समूह के उत्पादन में वृद्धि
के कारण सभी फर्मों तथा उद्योगों को प्राप्त होती हैं। ये बचतें किसी फर्म को अपने आकार
में वृद्धि के करने से प्राप्त नहीं होतीं अपितु ये बचतें किसी फर्म को उस स्थिति में प्राप्त होती
हैं जब दूसरी फर्मे अपना विस्तार करती हैं।
प्रश्न 39. मुख्य बाहरी बचतें लिखें।
उत्तर-केन्द्रीयकरण की बचतें, सूचना संबंधी खर्च तथा विकेन्द्रीकरण की बचतें बाहरी बचतें
है।
प्रश्न 40. परिवर्ती अनुपात का नियम क्या बताता है ?
अथवा, परिवर्ती अनुपात का नियम क्या है ?       [NCERT TB.Q.8]
उत्तर-परिवर्ती अनुपात का नियम यह बताता है कि यदि एक साधन की मात्रा में समान
मात्रा में वृद्धि की जाती है तथा अन्य साधनों की मात्रायें स्थिर रखी जाती हैं तो उत्पादन पहले
बढ़ते हुए अनुपात में बढ़ता है, फिर समान अनुपात में तथा इसके पश्चात् घटते हुए अनुपात
में बढ़ता है।
प्रश्न 41. घटते-बढ़ते अनुपात की कितनी अवस्थायें (चरण) हैं ? किस अवस्था
या चरण में सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है तथा कुल उत्पाद घटने लगता है ?
उत्तर-घटते-बढ़ते (परिवर्ती) अनुपात की तीन अवस्थायें हैं।
तीसरी अवस्था में सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है और कुल उत्पाद घटने लगता है
प्रश्न 42. परिवर्ती अनुपात की किस अवस्था में निम्न विशेषतायें पाई जाती हैं।
(i) सीमान्त उत्पाद अधिक होने के बाद घटना आरंभ हो जाता है।
(ii) उत्पादन अधिकतम हो जाता है।
(iii) कुल उत्पाद बढ़ता है।
उत्तर-प्रश्न में दी गई विशेषतायें परिवर्ती अनुपात की पहली अवस्था की विशेषतायें हैं।
प्रश्न 43. उत्पादन के किस नियम में साधन अनुपात में भिन्नता पाई जाती है ?
उत्तर-साधन के प्रतिफल में साधन अनुपात में भिन्नता पाई जाती है।
प्रश्न 44. साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में मूलभूत अन्तर क्या है ?
उत्तर-साधन का प्रतिफल अल्पकाल से संबंधित है जबकि पैमाने का प्रतिफल दीर्घकाल
से संबंधित है।
प्रश्न 45. उत्पादन के किस नियम में साधन अनुपात अपरिवर्तित रहता है ?
उत्तर-पैमाने के प्रतिफल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
प्रश्न 46. उत्पादन के किस नियम में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं ?
उत्तर-पैमाने के प्रतिफल में साधन अनुपात अपरिवर्तित रहता है।
प्रश्न 47. कौन-सा उत्पादन फलन (उत्पादन का नियम) अल्पकालिक उत्पादन
फलन का अध्ययन करता है?
उत्तर-साधन का प्रतिफल अल्पकालिक उत्पादन फलन का अध्ययन करता है।
प्रश्न 48. कौन-सा उत्पादन फलन (फलन का नियम) दीर्घकालीन उत्पादन फलन
का अध्ययन करता है।
उत्तर-पैमाने के प्रतिफल।
प्रश्न 49. बढ़ते साधन के प्रतिफल के अंतर्गत कुल उत्पाद वक्र बनायें ।
प्रश्न 50. स्थिर साधन के प्रतिफल के अंतर्गत कुल उत्पाद वक्र बनायें।
प्रश्न 51. साधन के बढ़ते प्रतिफल के अंतर्गत सीमान्त वक्र बनायें।
प्रश्न 52. स्थिर साधन के प्रतिफल के अंतर्गत सीमान्त वक्र खींचें।
प्रश्न 53. घटते साधन के प्रतिफल के अंतर्गत कुल उत्पाद वक्र की आकृति किस
प्रकार की होती है?
उत्तर-घटते साधन के प्रतिफल
के अंतर्गत कुल उत्पाद वक्र घटती
दर से ऊपर की ओर जाता है और
एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् इसका                   
ढलान नीचे की ओर होता है जैसा
कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है-
प्रश्न 54. साधन के घटते प्रतिफल के अंतर्गत सीमान्त उत्पाद वक्र की क्या आकृति
होती है?
उत्तर-साधन के घटते प्रतिफल
के अंतर्गत सीमांत उत्पाद (MP) वक्र
का ढलान नीचे की ओर होता है।
एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् यह
x-अक्ष को छूता है और उसको पार             
कर जाता है जैसा कि चित्र में दिखाया
गया है-
प्रश्न 55. परिवर्ती अनुपात नियम के अन्य क्या नाम हैं ?
उत्तर-परिवर्ती अनुपात नियम के अन्य नाम हैं-(1) घटते हुए सीमान्त उत्पाद का नियम
(2) घटते हुए प्रतिफल का नियम ।
प्रश्न 56. किस प्रकार के पैमाने का प्रतिफल होगा यदि सभी साधन आगतों में
10% वृद्धि से उत्पाद में 10% की वृद्धि होती है ?
उत्तर-पैमाने का स्थिर प्रतिफल होगा।
प्रश्न 57. अल्पकाल तथा दीर्घकाल की अवधारणाओं की तुलना करें। [NCERT TB.Q.6]
उत्तर-अल्पकाल में उत्पादन के साधन दो प्रकार के होते हैं-(1) स्थिर साधन तथा
(2) परिवर्ती साधन । अल्पकाल में परिवर्ती साधनों को घटाया-बढ़ाया जा सकता है। इसके
विपरीत दीर्घकाल में उत्पादन के साधन परिवर्ती होते हैं। कुछ भी स्थिर नहीं होता।
प्रश्न 58. यदि कुल भौतिक उत्पाद कम हो रहा है तो आप सीमान्त भौतिक उत्पाद
के विषय में क्या कहेंगे?
उत्तर-यदि कुल भौतिक उत्पाद कम हो रहा है तो सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक
होगा।
प्रश्न 59. निम्न चित्र किस प्रकार के पैमाने के प्रतिफल को दर्शाया है ?
उत्तर-ऊपर दिया गया चित्र पैमाने के बढते प्रतिफल को दर्शाता है।
प्रश्न 60. ह्रासमान (घटते) सीमान्त उत्पाद का क्या नियम है ? [NCERT TB. Q.7]
उत्तर-ह्रासमान (घटते) सीमान्त उत्पाद का नियम यह बताता है कि एक निश्चित स्तर
के पश्चात् एक परिवर्ती कारक का सीमान्त उत्पाद घटना आरम्भ हो जाता है।
प्रश्न 61. एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाना का प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है ?
                                                                              (NCERT T.B.Q.9)
उत्तर-एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को तब संतुष्ट करता है जब आगतों
में एक अनुपातिक वृद्धि के परिणामस्वरूप निर्गत में एक आनुपातिक वृद्धि होती है। इसमें
औसत लागत स्थिर रहता है।
प्रश्न 62. एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना का प्रतिफल को कब संतुष्ट करता
है?                                                             [NCERT T:B.Q.10)
उत्तर-एक उत्पादन फलन का वर्धमान पैमाने के प्रतिफल को तब संतुष्ट करता है जब
निर्गत में वृद्धि एक विशेष अनुपात में वृद्धि करने के लिए आगतों में उस अनुपात की तुलना
में कम वृद्धि करने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 63. एक उत्पादन फलन ह्रासमान पैमाने प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है ?
                                                                      [NCERT T.B.Q.11]
उत्तर-एक उत्पादन फलन हासमान प्रतिफल पैमाने को तब संतुष्ट करता है जब निर्गत
में वृद्धि करने के लिए आगतों में उस अनुपात में वृद्धि करने के लिए अधिक वृद्धि की
आवश्यकता होती है।
प्रश्न 64. क्यों अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र को
काटता है । औसत परिवर्ती लागत वक्र के न्यूनतम बिन्दु पर। [NCERT T.B.Q.18]
उत्तर-जब अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र से नीचे होता है
तब औसत परिवर्ती लागत कम होता है। अत: उत्पादन के इस स्तर पर SMC <ADC परन्तु
जब अल्पकालीन सीमान्त लागत औसत परिवर्तनशील लागत के बराबर हो जाती है तब AVC
स्थिर हो जाता है और वही न्यूनतम बिन्दु है. जहाँ इसे SMC इसे नीचे से काटता है।
प्रश्न 65. किसी बिन्दु पर अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र अल्पकालीन औसत
लागत को काटता है?                             [NCERT T.B.Q. 19]
उत्तर-अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र को उसके
निम्नतम बिन्दु पर काटता है।
                                                2. लागत (Cost)
प्रश्न 1. उत्पादन लागत किसे कहते हैं?
उत्तर-आगतों पर किये गये व्ययों को उत्पादन लागत कहते हैं।
प्रश्न 2. अर्थशास्त्र में ‘लागत’ शब्द का प्रयोग किन-किन अर्थो में किया जाता है ?
उत्तर-अर्थशास्त्र में ‘लागत’ शब्द का प्रयोग वास्तविक लागत, अवसर लागत, मौद्रिक
लागत, स्पष्ट लागत, निहित लागत आदि के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 3. वास्तविक लागत किसे कहते हैं ?
उत्तर-डॉ० मार्शल के अनुसार साधन के स्वामियों द्वारा उनकी पूर्ति में कष्ट, दुख,
परेशानी आदि के रूप में उठानी पड़ती है।
प्रश्न 4. मौद्रिक लागत किसे कहते हैं ?
उत्तर-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा में उत्पादन करने के लिये उत्पादन के साधनों
की जो कुछ मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है, उसे मौद्रिक लागत कहते हैं।
प्रश्न 5. कुल लागत किसे कहते हैं ?
उत्तर-किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के लिये जो कुल धन व्यय
करना पड़ता है, उसे कुल लागत कहते हैं। अल्पकाल में कुछ लागत संबंधी लागत तथा
परिवर्तनशील लागत का जोड़ होती है।
प्रश्न 6. बंधी (अचल या पूरक) लागते
किसे कहते हैं?
उत्तर-बंधी लागतें वे लागतें होती हैं जिनमें                           
उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन के साथ कोई परिवर्तन
नहीं होता। इन्हें पूरक या प्रत्यक्ष लागतें भी कहा
जाता है। उत्पादन के शून्य पर ये शून्य नहीं
होती।
प्रश्न 7. परिवर्तनशील लागत किसे कहते हैं?
उत्तर-परिवर्तनशील लागत उस लागत को कहते हैं जो उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने
पर परिवर्तित होती रहती है। इस लागत को प्रमुख या प्रत्यक्ष लागत भी कहा जाता है । उत्पादन
के शून्य होने पर यह लागत शून्य होती है।
प्रश्न 8. अल्पकाल में कुल लागत और कुल स्थिर लागत के बीच का अंतर क्या
स्पष्ट करता है?
उत्तर-कुल परिवर्तनशील लागत ।
प्रश्न 9. अल्पकाल में कुल लागत और कुल स्थिर लागत के बीच का अंतर क्या
स्पष्ट करता है?
उत्तर-कुल परिवर्तनशील लागत ।
प्रश्न 10. कुल और कुल परिवर्तनशील लागत वक्र एक-दूसरे के समानान्तर क्यों
होते हैं?
उत्तर-क्योंकि उत्पादन के हर स्तर पर कुल स्थिर लागत समान रहती हैं।
प्रश्न 11. अल्पकाल में कुल लागत और कुल परिवर्तनशील लागत के बीच का
अन्तर क्या बताता है?
उत्तर-कुल स्थिर लागत ।
प्रश्न 12. उत्पादन के शून्य स्तर पर कुल लागत और कुल स्थिर लागत वक्र बराबर
क्यों हो जाते हैं?
उत्तर-क्योंकि उत्पादन के शून्य स्तर पर कुल परिवर्तनशील लागत शून्य होती है।
प्रश्न 13. आप औसत स्थिर लागत की गणना किस प्रकार करेंगे?
उत्तर-यदि कुल स्थिर लागत को उत्पादन की इकाइयों से भाग दे दिया जाए हम
औसत स्थिर लागत प्राप्त करेंगे।
प्रश्न 14. एक वस्तु की 5 इकाइयों के उत्पादन की कुल स्थिर लागत 100 रुपये है
और औसत परिवर्ती लागत 65 रुपये है, तो इसकी औसत कुल लागत बताइये ।
उत्तर-85 रुपये।
प्रश्न 15. आप सीमान्त लागत की गणना किस प्रकार करोगे?
उत्तर-MC = TCn -TCn-1
प्रश्न 16. सीमान्त लागत वक्र औसत लागत वक्र को किस बिन्दु पर काटता है ?
उत्तर-न्यूनतम बिन्दु पर काटता है।
प्रश्न 17. स्पष्ट लागतें (Explicit costs) किसे कहते हैं ?
उत्तर-एक फर्म द्वारा साधनों के स्वामियों को उनसे साधन या सेवाएँ खरीदने या किराये
पर लेने के लिए जो भुगतान किए जाते हैं, उन्हें फर्म की स्पष्ट लागतें कहा जाता है।
प्रश्न 18. स्पष्ट लागतों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-कच्चे माल व बिजली के लिए भुगतान, फैक्टरी की इमारत का किराया, उधार ली ।
गई मुद्रा का ब्याज, परिवहन, विज्ञापन आदि पर होने वाला व्यय ।
प्रश्न 19. अस्पष्ट लागतों (Implicit costs) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-अव्यक्त या अस्पष्ट लागतें उत्पादक के स्वयं के स्वामित्व वाले उत्पादन साधनों
की वे लागतें हैं जिन्हें फर्म के खर्चों का हिसाब लगाने में प्रायः छोड़ दिया जाता है।
प्रश्न 20. अस्पष्ट लागतों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-अस्पष्ट लागतों में उद्यमी की स्वयं की फैक्टरी का किराया, उद्यमी की स्वयं की
पूँजी निवेश पर ब्याज आदि शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 21. स्पष्ट लागतों और अस्पष्ट लागतों में अंतर बताइये ।
उत्तर-स्पष्ट लागतों की स्थिति में दूसरों को भुगतान किया जाता है किन्तु अस्पष्ट लागतों
की स्थिति में दूसरों को भुगतान नहीं किया जाता है।
प्रश्न 22. निजी लागत क्या है ?
उत्तर-निजी लागत (Private Cost)-किसी एक उत्पादक या फर्म द्वारा एक वस्तु का
उत्पादन करने के लिए किए गये सारे खर्च को निजी लागत कहते हैं।
प्रश्न 23. सामाजिक लागत किसे कहते हैं ?
उत्तर-वस्तु के उत्पादन के लिए सारे समाज को जो कीमत चुकानी पड़ती है, उसे
सामाजिक लागत कहते हैं।
प्रश्न 24. निजी लागत और सामाजिक लागत में अन्तर बताने वाला एक उदाहरण दें।
उत्तर-एक कार के मालिक के लिए निजी लागत है पेट्रोल का खर्च, टायर और स्पेयर
पार्टस का मूल्य ह्रास तथा सामाजिक लागत है-प्रदूषण, सड़क की मरम्मत पर व्यय आदि ।
प्रश्न 25. किस काल (अल्पकाल या दीर्घकाल) में बंधी लागत तथा परिवर्तनशील
लागत में अन्तर होता है और क्यों ?
उत्तर-बंधी लागत तथा परिवर्तनशील लागत का अंतर केवल अल्पकाल में ही होता है
क्योंकि दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील हो जाते हैं। अत: सभी लागत
परिवर्तनशील हो जाते हैं।
प्रश्न 26. दीर्घकालीन लागत वक्र खींचें और बताएँ कि यह आरंभिक बिन्दु
(शून्य) से क्यों आरंभ होता है ?
उत्तर-दीर्घकालीन लागत वक्र
आरंभिक बिन्दु (शून्य) से आरंभ इसलिये
होता है क्योंकि दीर्घकालीन में सभी
लागतें परिवर्तनशील होती है।
परिवर्तनशील लागतें शून्य उत्पादन पर
शून्य होती हैं।
प्रश्न 27. कुल लागत (TC) वक्र हमेशा परिवर्तनशील लागत (VC) वक्र के ऊपर
क्यों होता है?
उत्तर-क्योंकि कुल लागत परिवर्तनशील लागत तथा स्थिर लागत का योगफल है।
प्रश्न 28. औसत लागत वक्र तथा औसत स्थिर लागत वक्र खींचें।
प्रश्न 29. सीमान्त लागत वक्र खींचें। यह वक्र सीमान्त लागत के बारे में क्या
जानकारी देता है?
उत्तर-सीमान्त लागत वक्र यू (U)
आकार का होता है। यह वक्र हमें
बताता है कि उत्पादन के आरंभ में             
सीमान्त लागत कम होती जाती है और
एक निश्चित बिन्दु के बाद यह बढ़नी
शुरू हो जाती है।
प्रश्न 30. औसत स्थिर लागत वक्र (AFC) Ox अक्ष को स्पर्श क्यों नहीं करता?
उत्तर-औसत स्थिर साधन लागत वक्र Ox अक्ष को उस स्थिति में स्पर्श करेगा जब वह
शून्य हो परन्तु यह कभी शून्य नहीं होता ।
प्रश्न 31. उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ औसत लागत तथा परिवर्ती लागतों का
अंतर कम क्यों होता है ?
उत्तर-इसका कारण यह है कि औसत लागत तथा औसत परिवर्ती लागत में अन्तर औसत
स्थिर लागत के बराबर होता है और स्थिर लागत उत्पाद के बढ़ने के साथ घटता जाता है।
प्रश्न 32. निम्न वक्रों को चिन्हित करें-
प्रश्न 33. औसत लागत वक्र तथा औसत परिवर्ती लागत वक्र आपस में क्यों नहीं
काटते?
उत्तर-क्योंकि इनके बीच औसत स्थिर लागत वक्र होता है। यह वक्र उन दोनों वक्रों को
आपस में मिलने नहीं देता।
प्रश्न 34. स्थिर लागतों तथा परिवर्ती लागतों में केवल दो अन्तर बताएंँ।
उत्तर-(1) स्थिर लागतों का सम्बन्ध अल्पकाल से होता है जबकि परिवर्ती लागतों का
संबंध अल्पकाल तथा दीर्घकाल दोनों अवधियों से होता है।
(2) स्थिर लागतें उत्पादन की मात्रा से प्रभावित नहीं होती जबकि परिवर्ती लागतें उत्पादन
की मात्रा से प्रभावित होती हैं।
प्रश्न 35. चित्र द्वारा औसत लागत और सीमान्त लागत का संबंध दर्शायें।
प्रश्न 36. एक उदाहरण द्वारा निजी लागत तथा सामाजिक लागत में अन्तर स्पष्ट
करें।
उत्तर-एक ठेकेदार वन से पेड़ कटवाने पर जो धन व्यय करता है वह उसकी निजी
लागत है। वनों के काटने के फलस्वरूपं भूमि कटाव, बाढ़ तथा प्राकृतिक सुरक्षा की हानि के
रूप में समाज को जो त्याग करना पड़ता है, वह सामाजिक लागत है।
प्रश्न 37. निहित लागते किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-निहित लागतें उन खर्चों को कहते हैं जिन्हें उत्पादक अपने स्वयं के आगतों के
प्रयोग करने पर वहन करता है।
प्रश्न 38. समय तत्व तथा लागत में संबंध बताएँ।
उत्तर-(1) अति अल्पकाल में लागतों पर उत्पादक का कोई नियंत्रण नहीं होता।
(2) अल्पकाल में उत्पादक को परिवर्तनशील लागत अवश्य मिलनी चाहये । (3) दीर्घकाल में
फर्म को कुल लागतें मिलनी चाहिये।
प्रश्न 39. क्या अल्पकाल में उत्पादन बन्द होने पर फर्म को स्थिर लागत वहन
करनी पड़ती है ?
उत्तर-हाँ, अल्पकाल में उत्पादन बन्द करने पर भी फर्म को स्थिर लागत वहन करनी पड़ती
है।
प्रश्न 40. अल्पकाल में फर्म किस सीमा तक हानि सहन कर सकती है।
उत्तर-अल्पकाल में फर्म अधिक से अधिक स्थिर लागत के बराबर हानि सहन कर सकती है।
प्रश्न 41. किस काल में स्थिर लागत नहीं होती?
उत्तर-दीर्घकाल में स्थिर लागत नहीं होती।
प्रश्न 42. जब औसत लागत (AC) घट रही हो तो क्या सीमान्त लागत (MC) बढ़
सकती है? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर-जब ACघट रही हो तो MC बढ़ सकती है। इसका कारण यह है कि MC,AC
की तुलना में अधिक तेजी से गिरती है । इसलिए MC का न्यूनतम बिन्दु AC के न्यूनतम बिन्दु
से पहले आता है।
प्रश्न 43. जब औसत लागत स्थिर होती है तो उस समय यह किस लागत के समान
होती है?
उत्तर-जब औसत लागत स्थिर होती है तो उस समय यह सीमान्त लागत के बराबर होती
है।
प्रश्न 44. मौलिक लागत तथा प्रतिस्थापना लागत में क्या अंतर है?
उत्तर-मौलिक लागत से अभिप्राय मशीन व उपकरण की उस कीमत से है जिसका
भुगतान कार्य के आरंभ में किया गया था जबकि पुरानी परिसम्पत्ति प्रचलन से बाहर हो जाने
पर जो इस प्रकार की नई पूँजीगत परिसम्पत्ति पर व्यय करना पड़ता है, उसे प्रतिस्थापन लागत
कहते हैं।
प्रश्न 45. सीमान्त लागत (MC) के नीचे का क्षेत्र क्या दर्शाता है ?
उत्तर-सीमान्त लागत (MC) के नीचे का क्षेत्र कुल परिवर्ती लागत को (TVC) को
दर्शाता है।
प्रश्न 46. सीमान्त लागत वक्र के यू (U) आकार होने के पीछे क्या कारण है ?
उत्तर-ह्रासमान प्रतिफल नियम के कारण सीमान्त लागत वक्र का आकार यू (U) होता है।
प्रश्न 47. औसत कुल लागत (ATC) वक्र किस प्रकार का व्यावहार करेगा जब
MC >ATC हो?
उत्तर-जब MC> ATC हो तब यह औसत कुल लागत वक्र को ऊपर उठायेगा और
ATC बढ़ना आरंभ कर देगा।
प्रश्न 49.औसत स्थिर लागत वक्र (AFC) की आकृति साधारणतया किस प्रकार
की होती है ?
उत्तर-औसत स्थिर लागत (AFC) की आकृति साधारणतया आयताकार हाइपरबोला
(Rectangular Hyperbola) होती है।
प्रश्न 50. MPP कितना होता है जब TPP अधिकत बिन्दु पर होता है ?
उत्तर-TPP के अधिकतम बिन्दु पर MPP शून्य होता है।
प्रश्न 51. क्या ATC एवं AVC वक्र आपस में मिलते हैं ?
उत्तर-ATC तथा AVC वक्र आपस में मिलते हुए दिखाई देते हैं, परन्तु वे कभी भी
आपस में नहीं मिल सकते।
प्रश्न 52. निम्न में से कौन-सी लागते शून्य होती हैं जब उत्पादन बन्द कर दिया
जाता है?
(i) स्थिर लागते, (ii) परिवर्तनशील लागतें।
उत्तर-उत्पादन बन्द करने पर परिवर्तनशील लागते शून्य होती हैं ?
                                           लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
                                (Short Answer Type Questions)
1. उत्पादन फलन (Production Function)
प्रश्न 1. उत्पादन फलन की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर-उत्पादन फलन की विशेषतायें-(i) उत्पादन के साधन एक दूसरे के स्थानापन्न
अर्थात् एक या कुछ साधनों में परिवर्तन होने पर कुल उत्पादन में परिवर्तन हो जाता है।
(ii) उत्पादन के साधन एक दूसरे के पूरक हैं अर्थात् चारों साधनों के संयोग से ही उत्पादन होता
है। (iii) कुछ साधन विशेष वस्तु के उत्पादन के लिये विशिष्ट होते हैं।
प्रश्न 2. उत्पादन फलन के कौन-कौन से रूप हैं ? प्रत्येक रूप का संक्षेप में वर्णन
करें।
उत्तर-उत्पादन फलन के दो रूप हैं-(i) अल्पकालीन उत्पादन तथा (ii) दीर्घकालीन ।
उत्पादन फलन।
(1) अल्पकालीन उत्पादन फलन (Shortrun Production function)-इसे परिवर्तन
साधन का प्रतिफल भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत उत्पादन के साधन एवं परिवर्तन का
उत्पादन की मात्रा पर पड़ने वाले परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है।
(2) दीर्घकालीन उत्पादन फलन (Longrun Production function)-इसे पैमाने
का प्रतिमान भी कहते हैं। इसमें सभी उत्पादन के साधनों में होने वाले परिवर्तन के उत्पाद की
मात्रा पर पड़ने वाले परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 3. अल्पकाल तथा दीर्घकाल में अन्तर बताएँ।
(Difference between short period and long period.)
उत्तर-अल्पकाल यह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन परिवर्ती होते हैं और
कुछ स्थिर । अल्पकाल में केवल परिवर्ती साधनों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके
विपरीत दीर्घकाल एक लम्बी समयावधि है। इसमें उत्पादन के सभी साधन परिवर्ती होते हैं।
प्रश्न 4. औसत उत्पाद वक्र, सीमान्त उत्पाद वक्र तथा कुल उत्पाद वक्र बनायें।
प्रश्न 5. कुल उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में संबंध बताएँ।
अथवा, आगत के सीमान्त उत्पाद तथा कुल उत्पाद के बीच संबंध बताएँ।
                                                                  [NCERT T.B. Q.5]
उत्तर-कुल उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में संबंध (Relationship between TP
and MP)-
(i) जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ती है तो सीमान्त उत्पाद भी बढ़ता है।
(ii) जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है तब सीमान्त उत्पाद शून्य होता है।
(iii) जब कुल उत्पाद घट रहा होता है तब सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है।
(iv) जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो सीमान्त उत्पाद कम होता है।
प्रश्न 6. औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या संबंध है ?
उत्तर-औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between
AP and MP)—
(i) औसत उत्पाद तब तक बढ़ता है जब तक सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक
होता है।
(ii) औसत उत्पाद उस समय अधिकतम होता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के
बराबर होता है।
(iii) औसत उत्पाद तब गिरता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है।
प्रश्न 7. औसत उत्पाद तथा कुल उत्पाद में सम्बन्ध बतायें।
उत्तर-औसत उत्पाद एवं कुल उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between AP
and TP)-
(i) जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद भी बढ़ता है।
(ii) जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद घटता है।
(iii) कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद हमेशा धनात्मक रहते हैं।
प्रश्न 8. कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relation
between TP, AP)-
(i) आरम्भ में कुल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद तथा औसत उत्पाद सभी बढ़ते हैं । इस स्थिति
में सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
(ii) जब औसत उत्पाद अधिकतम व स्थिर होता है तो सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के
बराबर होता है।
(iii) इसके बाद औसत उत्पाद और सीमान्त उत्पाद कम होता है। सीमान्त उत्पाद औसत
उत्पाद से कम होता है, शून्य होता है और ऋणात्मक होता है परन्तु औसत उत्पाद तथा कुल
उत्पाद हमेशा धनात्मक होते हैं।
(iv) जब सीमान्त उत्पाद शून्य होता है तब कुल उत्पाद अधिकतम होता है।
प्रश्न 9.अल्पकाल में एक उत्पादक को किसी एक वस्तु के उत्पादन से हानि होती
है। क्या वह उस वस्तु का उत्पादन बंद कर देगा? अपने उत्तर के समर्थन में कारण
दीजिये।
उत्तर-अल्पकाल में यदि उत्पादक को हानि होती है तो वह उत्पादन जारी रखेगा बशर्ते
उसकी हानि स्थिर लागत से अधिक न हो । कारण यह है कि यदि वह वस्तु का उत्पादन बन्द
कर दे तो उसे स्थिर लागत के बराबर हानि फिर भी सहन करनी पड़ेगी। इसके विपरीत यदि
अल्पकाल में उसे हानि स्थिर लागत से भी होती है (अर्थात् उत्पादक परिवर्ती लागत के बराबर
भी कीमत वसूल नहीं कर पाता) तो ऐसी अवस्था में उसे उत्पादन बन्द कर देना चाहिये।
प्रश्न 10. अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर (Difference between short
Period and very short period) : अति अल्पकाल से अभिप्राय उस समय अवधि से है।
जब बाजार में पूर्ति बलोचदार होती है जैसे सब्जियों, दूध आदि की पूर्ति । ऐसी अवधि में कीमत
के घटने-बढ़ने से पूर्ति को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता। पूर्ति अपरिवर्तनशील रहती है।
इसके विपरीत अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें वस्तु की पूर्ति को माँग के अनुसार आंशिक
रूप से उतना ही बढ़ाया जा सकता है जिनता परिवर्ती साधनों के अधिक प्रयोग से या पहले
से लगे स्थिर साधनों के अधिक प्रयोग से या पहले से लगे स्थिर साधनों के प्रयुक्त क्षमता के
पूर्ण प्रयोग से सम्भव हो सकता है।
प्रश्न 11. प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-प्रतिफल के नियम (Laws of Returns): सांधन आगतों में परिवर्तन के
फलस्वरूप उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से सम्बन्धित नियम को प्रतिफल के नियम कहते
हैं। दूसरे शब्दों में प्रतिफल के नियम साधन आगतों और उत्पादन के बीच व्यवहार विधि को
बताते हैं। प्रतिफल के नियम इस बात का अध्ययन करते हैं कि साधनों की मात्रा में परिवर्तन
करने पर उत्पाद की मात्रा में कितना परिवर्तन होता है।
प्रतिफल के नियम के प्रकार (Types of Law of Returns)-प्रतिफल के नियम दो
प्रकार के होते हैं-(1) साधन के प्रतिफल के नियम तथा (ii) पैमान के प्रतिफल के नियम ।
साधन के प्रतिफल के निमय अल्पकाल से सम्बन्धित हैं जबकि पैमाने के प्रतिफल के नियम
दीर्घकाल से सम्बन्ध रखते हैं।
प्रश्न 12. साधन के प्रतिफल किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-साधन के प्रतिफल (Returns to Factor)-जब उत्पादक अन्य साधनों की
मात्रा को स्थिर रखते हुए उत्पादन के एक ही साधन में परिवर्तन करके उत्पादन की मात्रा में
परिवर्तन करना चाहता है तो उत्पादन के साधनों तथा उत्पादन के इस संबंध को साधन के
प्रतिफल कहते हैं। साधन के प्रतिफल का सम्बन्ध परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन होने के
कारण उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है, जबकि स्थिर साधनों में परिवर्तन नहीं होता, परन्तु
परिवर्तनशील तथा स्थिर साधनों के अनुपात में परिवर्तन हो जाता है । इसे परिवर्ती अनुपात का
नियम भी कहते हैं।
साधन के प्रतिफल के प्रकार (Types of Returns to Factor)-इसे बढ़ते (वर्धमान)
सीमान्त प्रतिफल भी कहते हैं। साधन के बढ़ते प्रतिफल वह स्थिति है जब स्थिर साधन की
निश्चित इकाई के साथ परिवर्तनशील साधन की अधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है।
इस स्थिति में परिवर्तनशील साधनों का सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है और उत्पादन की
सीमान्त लागत कम होती जाती है इसलिए इसे हासमान लागत का निमय भी कहते हैं। साधन
के बढ़ते प्रतिफल को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है-
प्रश्न 13. साधन के बढ़ते प्रतिफल के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-साधन के बढ़ते प्रतिफल के कारण (Causes of increasing returns to
factor): साधन के बढ़ते प्रतिफल के प्रमुख निम्नलिखित हैं-
(1) साधनों का पूर्ण प्रयोग (Full utilisation of factors)-उत्पादन के कुछ साधन
अविभाज्य होते हैं। उन्हें अंशों में नहीं खरीदा जा सकता । उत्पादन की प्रारंभिक अवस्था में
इनका पूर्ण प्रयोग नहीं हो पाता । बाद में परिवर्तनशील साधनों की अतिरिक्त इकाइयों के प्रयोग
करने से स्थिर साधनों का पूर्ण प्रयोग होने लगता है और कुल उत्पादन में तेजी से वृद्धि होती
है।
(2) कार्यकुशलता में वृद्धि (Increase in efficiency)-परिवर्तनशील साधनों (जैसे
श्रम) की अधिक इकाइयों के प्रयोग से श्रम विभाजन सम्भव हो जाता है। श्रम विभाजन से
श्रम की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 14. साधन के समान स्थिर प्रतिफलों को चित्रों द्वारा समझायें ।
उत्तर-साधन के समान (स्थिर) प्रतिफल (Constant Returns to Factor)-
साधन के स्थिर प्रतिफल से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें परिवर्तनशील साधन की
अतिरिक्त इकाइयों का प्रयोग करने से कुल उत्पादन में समान दर से वृद्धि होती है अर्थात्
उत्पादन साधन लागत पर होता है। इस स्थिति में औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद स्थिर रहते
हैं। हैन्सन के शब्दों में, “साधन के समान प्रतिफल उस समय प्राप्त होते हैं जब परिवर्तनशील
साधन की अतिरिक्त इकाइयों का प्रयोग करने से उत्पादन में समान दर से वृद्धि होती है।”
इसे नीचे चित्रों की सहायता से समझाया गया है-
उपरोक्त रेखाचित्र एक में ऊपर उठते कुल उत्पाद वक्र से ज्ञात होता है कि कुल उत्पाद
समान दर से बढ़ रहा है। चित्र संख्या दो में सीमांत उत्पाद तथा औसत उत्पाद वक्र Ox अक्ष
के समान्तर हैं और इससे इस बात का पता चलता है कि परिवर्तनशील साधन का सीमान्त
उत्पादन स्थिर है।
प्रश्न 15.साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण लिखें।
उत्तर-साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण (Causes of constant returns
of factor)-साधन के समान प्रतिफल के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
(i) स्थिर साधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Optimum Utilisation of Fixed
Factors)-यह नियम स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होने के कारण क्रियाशील होता
है। जैसे-जैसे परिवर्ती साधन की अधिक इकाइयाँ प्रयोग में लायी जाती हैं, एक ऐसी अवस्था
आ जाती है जब स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होता है। इससे आगे परिवर्ती साधन की
और अधिक इकाइयों के उपयोग से उत्पादन की मात्रा में समान दर में वृद्धि होगी।
(ii) परिवर्तित साधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Most Efficient Utilisation of
Variable Factors)-जब स्थिर साधन के साथ परिवर्तनशील साधन की बढ़ती हुई इकाइयों
का प्रयोग किया जाता है तो एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें सबसे अधिक उपयुक्त श्रम
विभाजन सम्भव होता है। इसके फलस्वरूप परिवर्तनशील साधन जैसे श्रम का सबसे अधिक
उपयुक्त प्रयोग संभव होता है तथा सीमान्त उत्पादन अधिकतम मात्रा पर स्थिर हो जाता है।
(iii) आदर्श साधन अनुपात (Ideal Factor Ratio)-जब स्थिर तथा परिवर्तनशील
साधन का आदर्श अनुपात में प्रयोग किया जाता है तो समान प्रतिफल की स्थिति उत्पन्न होती
है। इस स्थिति में साधन का सीमान्त उत्पादन अधिकतम मूल्य पर स्थिर हो जाता है।
प्रश्न 16. साधन के घटते प्रतिफल या घटते प्रतिफल का नियम समझायें। नियम
को समझाने के लिए तालिका भी बनायें ।
उत्तर-साधन के घटते प्रतिफल या घटते प्रतिफल का नियम (Diminishing
returns to a factor or law of diminishing returns)-साधन के घटते प्रतिफल वह
स्थिति है जिसमें कुल उत्पादन उस समय घटती हुई दर से बढ़ता है जब स्थिर साधन या साधनों
की एक निश्चित इकाई/इकाइयों के साथ परिवर्तनशील इकाइयों का अधिक प्रयोग किया जाता
है। इस स्थिति में परिवर्तनशील साधनों का सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन घटता जाता
है और उत्पादन की सीमान्त लागत बढ़ती जाती है।
प्रो० बेन्हम के शब्दों में “जैसे-जैसे साधनों के संयोग में एक साधन की मात्रा बढ़ायी
जाती है, वैसे-वैसे एक सीमा के बाद उस साधन के सीमान्त तथा औसत उत्पादन कम होने
लगते हैं।”
इस प्रतिफल को नीचे तालिका की सहायता से समझाया गया है-
तालिका से पता चलता है कि जैसे-जैसे श्रम की अधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता
है, कुल उत्पादन में वृद्धि घटती दर से होती है । श्रम की सीमान्त तथा औसत उत्पादकता घटती
जाती है।
प्रश्न 17. पैमाने के प्रतिफल किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-पैमाने के प्रतिफल (Returns to scale)-पैमाने के प्रतिफल उस स्थिति को
प्रकट करते हैं जिसके अन्तर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों में समान अनुपात में वृद्धि करने
पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। पैमाने के प्रतिफल का सम्बन्ध सभी साधनों
की मात्रा में एक ही अनुपात से परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन धारणा है। इसे पैमाने
का प्रतिफल से है। यह एक दीर्घकालीन धारणा है। इसे पैमाने का प्रतिफल इसलिए कहा
जाता है क्योंकि उत्पादन में सभी साधनों में वृद्धि करने से उत्पादन का पैमाना बदल जाता है
अर्थात् उत्पादन छोटे पैमाने से बड़े पैमाने पर होने लगता है।
पैमाने के प्रतिफल के प्रकार या अवस्थायें (Types or stages of returns to
scale)-पैमाने के प्रतिफल की तीन अवस्थायें हैं-(i) वर्धमान प्रतिफल (ii) स्थिर प्रतिफल
तथा (iii) ह्रासमान प्रतिफल ।
प्रश्न 18. पैमाने की तीन अवस्थाओं को एक चित्र द्वरा पदर्शित करें।
प्रश्न 19. निम्न में से कौन-सा उत्पादन वक्र पैमाने के स्थिर प्रतिफल को दर्शाता
है और क्यों?
उत्तर-पैमाने के समान प्रतिफल उत्पादन की उस स्थिति को प्रकट करते हैं जिसमें साधनों
की मात्रा में प्रतिशत वृद्धि और उत्पादन की मात्रा में प्रतिशत वृद्धि समान होती है। ऐसी
अवस्था में उत्पादन वक्र-1 पैमाने के समान प्रतिफल को दर्शाता है। यहाँ पर साधनों की मात्रा
में 10% वृद्धि होती है और उसके फलस्वरूप उत्पादन में भी 10% की वृद्धि हो रही है।
प्रश्न 20. किसी साधन के सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन होने पर कुल
भौतिक उत्पाद में परिवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर-कुल भौतिक उत्पाद और सीमान्त भौतिक उत्पाद परस्पर संबंधित हैं। अन्य आगतों
को स्थिर रखकर जब परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग किया जाता है
तो कुल भौतिक उत्पाद में जो परिवर्तन आता है, उसे सीमान्त भौतिक उत्पाद कहते हैं। कुल
भौतिक उत्पाद सीमान्त भौतिक उत्पाद का जोड़ होता है । जब सीमान्त भौतिक उत्पाद धनात्मक होता है तो कुल भौतिक उत्पाद में वृद्धि होती है। जब सीमान्त भौतिक उत्पाद
ऋणात्मक होता है तो उत्पाद कम होने लगता है। सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन उत्पादन की तीन अवस्थाओं को प्रकट करता है। उत्पादन की प्रथम अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद में वृद्धिहोती है । उत्पादन की दूसरी अवस्था में यह धनात्मक तो रहता है, लेकिन कुल उत्पाद में वृद्धि घटती हुई दर से ोती है। उत्पादन की तीसरी अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है और कुल उत्पाद में गिरावट आती है।
प्रश्न 21. साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अन्तर बतायें।
उत्तर- र-पैमाने के प्रतिफल तथा एक परिवर्तित साधन (कारक) के प्रतिफल में अन्तर
(Difference between Returns to scale and Returns to a factor)-
प्रश्न 22. पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को समझायें ।
उत्तर-पैमाने के बढ़ते प्रतिफल
(Increasing returns to scale)-पैमाने के बढ़ते
प्रतिफल उस स्थिति को प्रकट करते हैं जब
उत्पादन के सभी साधनों को एक निश्चित अनुपात         
में बढ़ाये जाने पर उत्पादन में वृद्धि अनुपात से
अधिक होती है। दूसरे शब्दों में उत्पादन के
साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन
की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। नीचे
चित्र में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को दर्शाया गया
है।
चित्र से पता चलता है कि उत्पादन के साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन
की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। यह पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की स्थिति है।
प्रश्न 23. आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में अन्तर
प्रश्न 24. अवबचतें क्या हैं? वे कौन-सी अवबचतें हैं जिनके कारण फर्म में
ह्रासमान प्रतिफल आरम्भ हो जाता है ?
उत्तर-अवबचतें (Diseconomies)-अवबचतें वे हानियाँ हैं जो उत्पादन के पैमाने की
क्षमता से अधिक बढ़ाने पर होती हैं। वे हानियाँ आदर्श बिन्दु के टूटने के कारण होती हैं।
मुख्य रूप से अवबचतें निम्नलिखित हैं-
(i) प्रबन्ध की कठिनाइयाँ । (ii) किसी साधन की दुर्लभता । (iii) विद्युत शक्ति का पर्याप्त
मात्रा में उपलब्ध न होना । (iv) कच्चे माल का न मिलना । (v) लालफीताशाही । (vi) यातायात
की कठिनाइयाँ । (vii) वित्त की कठिनाइयाँ ।
                                       2. लागत (Cost)
प्रश्न 1. कुल स्थिर लागत और औसत स्थिर लागत को समझाइये।
उत्तर-कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost)-कुल स्थिर लागत उन लागतों का
जोड़ है जिनमें उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन के साथ परिवर्तन नहीं होता। इसका उत्पादन की
दर के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होता । शून्य उत्पादन पर भी ये लागतें काम करती हैं।
औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)-यदि कुल स्थिर लागत को उत्पादन
की मात्रा से भाग दे दिया जाए तो हम औसत स्थिर लागत प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 2. निजी लागत और सामाजिक लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-निजी लागत (Private Cost)-निजी लागत वह लागत है जो किसी फर्म को
एक वस्तु के उत्पादन में खर्च करनी पड़ती है। वस्तु के उत्पादक में उत्पादन द्वारा आगतों के
खरीदने और किराए पर लेने के लिए किया गया खर्च निजी लागत कहलाती है। जैसे-ब्याज,
मजदूरी, किराया आदि।
सामाजिक लागत (Social Cost)-सामाजिक लागत वह लागत है जो सारे समाज को
वस्तु के उत्पादन के लिए चुकानी पड़ती है। सामाजिक लागत पर्यावरण प्रदूषण के रूप में होती
है।जैसे-कारखाने द्वारा गर्दै पानी को नदी में बहाना । इससे नदी की मछलियाँ मर जाती हैं
और पानी को पीने योग्य बनाने के लिए नगर निगम को अधिक खर्च करना पड़ता है।
इसी प्रकार शहर में स्थिर फैक्टरी के धुएँ से पर्यावरण के दूषित होने पर शहरी नागरिकों
के डॉक्टरी खर्च और लांडरी खर्च में वृद्धि सामाजिक लागत है।
फर्म के उत्पादन की लागत से हमारा आशय निजी लागत से है, न कि सामाजिक लागत से।
प्रश्न 3. मौद्रिक लागत और वास्तविक लागत में अन्तर कीजिए।
उत्तर-मौद्रिक लागत (Monetary Cost)-उत्पादन के लिए आगतों को खरीदने या
किराए पर लेने से जो खर्च आता है, उसे मौद्रिक लागत कहते हैं। जैसे-मजदूरी, बिजली तथा
ईंधन पर व्यय, कच्चे माल पर व्यय, विज्ञापन, बीमा व्यय आदि मौद्रिक लागतें हैं। उत्पादन
की मौद्रिक लागतों को दो भागों में बाँटा जाता है-स्थिर लागतें और परिवर्तनशील लागते ।
वास्तविक लागत (Real Cost)-इस लागत अभिप्राय उन सभी कष्ट, त्याग और
परेशानियों से है जो कि उत्पादक को किसी वस्तु का उत्पादन करते समय उठानी पड़ती हैं।
वास्तविक लागत में विभिन्न प्रकार के मजदूरों के मानसिक और शारीरिक प्रयत्नों तथा पूँजी
संचय के समय किए गए त्याग और कष्ट को शामिल किया जाता है । सम्बन्धित व्यक्ति द्वारा
अनुभव करने के कारण इसे मापना कठिन होता है।
प्रश्न 4. परिवर्ती लागत की परिभाषा दीजिए।
अथवा, परिवर्तनशील लागत की अवधारणा को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-परिवर्तनशील लागत या चल लागत, प्रत्यक्ष लागत या घटती-बढ़ती लागत
या प्रमुख लागत-ये लागत उत्पादन के स्तर में परिवर्तन के साथ-साथ घटती-बढ़ती रहती हैं
अर्थात् उत्पादन बढ़ाने पर बढ़ता हैं तथा उत्पादन की मात्रा घटाने पर घटती हैं। कुल
परिवर्तनशील लागतें उत्पत्ति के नियमों से प्रभावित होती हैं, इसलिए उत्पादन की आरम्भिक
अवस्था में घटती हुई दर से बढ़ती हैं और मध्यवर्ती अवस्था में ये स्थिर दर से बढ़ती हैं तथा
अन्तिम अवस्था में ये बढ़ती हुई दर से बढ़ती हैं।
कुल परिवर्तनशील लागतों में कच्चे माल को खरीदने की लागत, पानी, बिजली तथा ईंधन
की लागत, श्रमिकों की मजदूरी, परिवहन लागत, मशीनों की टूट-फूट और घिसावट के कारण
मूल्यह्रास आदि शामिल हैं। इस लागत के व्यवहार को निम्न सारणी तथा रेखाचित्र के द्वारा
स्पष्ट किया जा सकता है-
प्रश्न 9.स्थिर लागतों तथा परिवर्तनशील लागतों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रश्न 6. चित्र द्वारा सीमान्त, तथा औसत लागत में संबंध बतायें।
उत्तर-सीमान्त लागत (MC) तथा औसत लागत (AC) में संबंध (Relationship
between AC and MC-
(1) जब औसत लागत कम होती है, तब सीमान्त
लागत औसत लागत से कम होती है।
(2) जब औसत लागत बढ़ती है सीमान्त लागत
औसत लागत से अधिक होती है।
(3) सीमान्त लागत वक्र सीमान्त लागत चक्र को
न्यूनतम बिन्दु पर काटता है।
प्रश्न 7. नीचे के चित्र को चिह्नित करें-
प्रश्न 8. कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्ती लागत में चित्र की
सहायता से सम्बन्ध समझायें।
उत्तर-कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्ती लागत में सम्बन्ध
(Relation with total costs, total fixed costs and total variable costs)-चित्र में Ox अक्ष पर उत्पादन की मात्रा को तथा OY अक्ष पर लागत को दिखाया गया है। TFC वक्र
कुल स्थिर लागत को दर्शाता है। यह वक्र Ox अक्ष के समान्तर है। इस वक्र से पता चलता
है कि स्थिर लागतें उत्पादन के स्तर में परिवर्तन
आने पर भी अपरिवर्तनशील रहती हैं। शून्य
उत्पादन में ये लागतें कुल लागतों के बराबर
होती हैं। दूसरे शब्दों में शून्य उत्पादन स्तर पर
ये लागते शून्य नहीं होती । TVC वक्र कुल
परिवर्तनशील लागत को दर्शाता है। यह वक्र           
मूल बिन्दु से आरम्भ होता हुआ बायें से दायें
ऊपर की ओर उठता है। इससे पता चलता
कि उत्पादन के शून्य स्तर पर परिवर्तनशील
लागते शून्य होती हैं और उत्पादन के स्तर के
उत्पादन की इकाइयाँ
बढ़ने के साथ ये बढ़ती हैं। आरम्भ में ये
लागतें घटती हुई दर से बढ़ती हैं, परन्तु एक सीमा के पश्चात् ये बढ़ती दर से बढ़ती हैं। TC
वक्र कुल लागत को दर्शाता है। यह वक्र स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत
घटती-बढ़ती लागतों के जोड़ को प्रकट करता है। यह वक्र मूल बिन्दु से ऊपर उठता है । इससे
पता चलता कि शून्य उत्पादन के स्तर पर कुल लागत शून्य नहीं होती। शून्य उत्पादन की
स्थिति में यह स्थिर लागतों के बराबर होता है | TC वक्र, TVC वक्र के समान्तर अर्थात् समान
दूरी पर होती है। यह वक्र हमेशा TVC के ऊपर रहता है।
प्रश्न 9. अवसर लागत की अवधारणा को समझायें ।
उत्तर-अवसर लागत (Opportunity Cost)-अवसर लागत की अवधारणा लागत
की आधुनिक अवधारणा है। किसी साधन की अवसर लागत से अभिप्राय दूसरे सर्वश्रेष्ठ प्रयोग
में उसके मूल्य से है। दूसरे शब्दों में किसी साधन की अवसर लागत वह लागत है जिसका
उस साधन को किसी एक कार्य में कार्यरत होने के फलस्वरूप दूसरे वैकल्पिक कार्य को नहीं
कर पाने के कारण त्याग करना पड़ता है। प्रो० लैफ्टविच के अनुसार किसी वस्तु की अवसर
लागत उन परित्यक्त (छोड़े गये) वैकल्पिक पदार्थों का मूल्य होती है जिन्हें इस वस्तु के
उत्पादन में लगाये गये साधनों द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है। अवसर लागत की अवधारणा
के सम्बन्ध में दो बातें ध्यान देने योग्य हैं-(i) अवसर लागत किसी वस्तु की उत्पादन लागत
सर्वोत्तम विकल्प के लगने की लागत है। (ii) अवसर लागत का आंकलन साधनों की मात्रा
के आधार पर न करके उसके मौद्रिक मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए । अवसर लागत
को साधन की हस्तान्तरण आय भी कहा जाता है।
अवसर लागत की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिये हम एक उदाहरण लेते हैं। माना
कि भूमि के एक टुकड़े पर गेहूँ, चने, आलू व मटर की खेती की जा सकती है। एक किसान
उस टुकड़े पर साधनों की एक निश्चित मात्रा का प्रयोग करते हुए 400 रुपए के मूल्य के गेहूँ
का उत्पादन करता है। इस प्रकार वह चने, आलू तथा मटर के उत्पादन का त्याग करता है
जिनका मूल्य क्रमशः 3200, 2000 तथा 1500 रुपए है। इन तीनों विकल्पों में चने का
उत्पादन सर्वोत्तम विकल्प है। अत: गेहूँ उत्पादन की अवसर लागत 3200 रुपए होगी।
प्रश्न 10. क्या दीर्घकाल में कुछ स्थिर लागतें हो सकती हैं ? यदि नहीं तो क्यों?
                                                                     [NCERT T.B. Q. 15)
उत्तर-दीर्घकाल में स्थिर लागतें नहीं होतीं। इसका कारण यह है कि दीर्घकाल इतनी
लम्बी अवधि होती है कि उत्पादन के सभी साधनों (कारकों) को सरलता से घटाया व बढ़ाया
जा सकता है अर्थात् उत्पादन के सब साधन स्थिर नहीं होते । इस समयावधि में नई फर्म बाजार
में प्रवेश कर सकती है। विद्यमान फर्म बाजार छोड़ सकती है अथवा अपनी क्षमता को कम
या अधिक कर सकती है। दीर्घकाल में सभी लागतों में परिवर्तन होता रहता है और स्थिर
साधन का अस्तित्व नहीं होता।
प्रश्न 11. औसत स्थिर लागत वक्र किस प्रकार का दिखाई देता है ? यह ऐसा क्यों
दिखाई देता है ?                                            [NCERT T.B.Q. 16]
उत्तर-औसत स्थिर लागत (AFC) उतनी
ही कम होती जाती है जितनी अधिक इकाइयों का
उत्पादन किया जाता है। अत: औसत स्थिर लागत
वक्र हमेशा बायें से दायें को नीचे की ओर झुकता       
हुआ होता है परन्तु यह कभी x अक्ष को स्पर्श
नहीं करता क्योंकि औसत स्थिर लागत कभी भी
शून्य नहीं हो सकती और उत्पादन का स्तर शून्य ,
होने पर स्थिर लागत बनी रहती है।
प्रश्न 12. अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र यू-आकार (U-Shaped) का क्यों होता
है?                                                         [NCERT T.B. Q.20]
उत्तर-सीमान्त लागत अतिरिक्त इकाई की उत्पादन लागत होती है। सीमान्त लागत वक्र
की आकृति यू (U) आकार की होती है जैसा कि दिए गए चित्र में दर्शाया गया है। इसका
कारण है परिवर्ती अनुपात का नियम । परिवर्ती अनुपात नियम के अनुसार जैसे-जैसे किसी एक
साधन की मात्रा में वृद्धि की जाती है (जबकि अन्य साधन स्थिर रहते हैं) आरम्भ में सीमान्त
उत्पाद बढ़ता है और फिर एक बिन्दु के पश्चात् यह कम होने लगता है। माना यह साधन ही
अकेला परिवर्ती साधन है। अत: इस पर किया
गया भुगतान ही कुल परिवर्ती लागत होगी। दूसरे
शब्दों में यह कह सकते हैं कि जैसे-जैसे परिवर्ती       
साधन की अधिकाधिक इकाइयों का प्रयोग किया
जाता है तो आरम्भ में सीमान्त लागत घटेगी, किन्तु
एक सीमा के पश्चात् यह बढ़ना आरम्भ कर
 देगी।
प्रश्न 13. दीर्घकाल सीमान्त लागत और औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देते हैं
                                                                     [NCERT T.B.Q.21]
उत्तर-दीर्घकालीन कुल लागत को उत्पादन की इकाइयों से भाग देने पर जो लागत प्राप्त
होती है, उसे दीर्घकालीन औसत लागत कहा जाता है। दीर्घकाल औसत लागत वक्र की
आकृति यू-आकार की होती है। जब तक औसत लागत कम होती रहती है तब तक सीमान्त
लागत औसत लागत से कम होती है। जब औसत
लागत बढ़ती है तब सीमान्त लागत औसत लागत
से अधिक होती है। दीर्घकालीन सीमान्त लागत
वक्र भी यू (U) आकार का होता है। यह (LRAC)     
को नीचे से उसके निम्नतम बिन्दु पर काटता है।
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र तथा दीर्घकालीन
सीमान्त लागत वक्रों को आगे दिए गए चित्र में
दर्शाया गाया है-
LRACY1 पर निम्नतम बिन्दु पर पहुंँचता है। Y1 के बाईं ओर LRAC घट रहा है और
LRMC, LRAC वक्र के नीचे है। Y1 के दाईं ओर LRAC बढ़ रहा है और LRMC>
LRAC I
प्रश्न 14. लागत फलन की संकल्पनाओं को संक्षिप्त समझाइए। [NCERT TB. Q. 12]
उत्तर-लागत फलन (Production Function)-लागत तथा निर्गत के बीच में
तकनीकी संबंध को लागत फलन कहते हैं। उत्पादन फलन निश्चित समय के लिए होता है।
लागतें दो प्रकार की होती हैं-(i) अल्पकालीन लागते तथा (ii) कुल परिवर्ती लागते ।
स्थिर लागतों को पूरक लागतें भी कहा जाता है। ये वे लागतें होती हैं जो सदैव स्थिर रहती
हैं। ये लागतें उत्पादन की मात्रा से संबंधित नहीं होतीं। उत्पादन की मात्रा के घटने अथवा
बढ़ने का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ये लागतें उत्पादन के शून्य स्तर पर भी होती हैं।
शून्य उत्पादन स्तर पर कुल स्थिर लागत कुल लागत के बराबर होती हैं। ये लागतें स्थिर साधनों
जैसे भूमि तथा इमारत, मशीनों आदि पर व्यय से उत्पन्न होती है । बेन्हम के अनुसार, “एक
फर्म की स्थिर लागतें वे लागतें होती हैं जो उत्पादन के आकार के साथ परिवर्तित नहीं होतीं।”
परिवर्तनशील लागतें (Variable Costs)-ये वे लागतें होती हैं जो उत्पादन के आकार
के साथ घटती-बढ़ती रहती है। ये लागतें उत्पादन की मात्रा के बढ़ने पर बढ़ती हैं और उत्पादन
के घटने पर घटती हैं। ये लागते शून्य उत्पादन पर शून्य होती हैं।
कुल लागतें (Total Costs)-ये लागतें कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील
लागत का जोड़ होती हैं। समीकरण में-
कुल लागत = कुल परिवर्ती लागत + कुल स्थिर लागत
निर्गत के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए फर्म को परिवर्ती आगतों में से अधिक प्रयोग
करने की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप कुल परिवर्ती लागत तथा कुल लागत में भी
वृद्धि होती है। अतः जब निर्गत में वृद्धि होती है तो कुल परिवर्ती लागत और कुल लागत में
वृद्धि होती है।
दीर्घकाल में स्थिर लागतें नहीं होती। सभी लागतें परिवर्ती होती हैं।
औसत लागत (Average Cost)-प्रति इकाई कुल उत्पादन लागत को औसत लागत
कहते । औसत लागत की सहायता से फर्म के लाभाहानि की जानकारी होती है। औसत
लागत की गणना करने के लिए कुल लागत को मात्रा से विभाजित करते हैं। समीकरण में-
                       कुल लागत
औसत लागत =———————–
                       उत्पादन की मात्रा
सीमान्त लागत (Marginal Cost)-सीमान्त लागत अतिरिक्त इकाई की उत्पादन
लागत होती है। सरल शब्दों में उत्पादन की एक और इकाई का उत्पादन करने के लिए कुल
लागत में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त लागत कहते हैं। सीमान्त लागत की गणना के
निम्नलिखित
सूत्र
                            कुल लागत में परिवर्तन
1. सीमान्त लागत =—————————–
                            निर्गत में परिवर्तत
2. सीमान्त लागत = TCn-TCn-1
3. सीमान्त लागत = TVCn – TVCn-1
                                   दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
                    (Long Answer Type Questions)
1. उत्पादन फलन (Production Function)
प्रश्न 1. परिवर्ती अनुपात के नियमों की व्याख्या कीजिए तथा इनकी तीन अवस्थाओं
का वर्णन करें।
अथवा, कुल उत्पाद और सीमान्त उत्पाद वक्रों की सहायता से परिवर्ती अनुपातों
का नियम समझायें।
अथवा, परिवर्ती अनुपातों के नियम की व्याख्या कीजिए तथा इसकी मान्यतायें भी
बतायें।
उत्तर-परिवर्ती अनुपातों के नियम (Laws of variable proportions)-परिवर्ती अनुपातों
के नियम के अनुसार अल्पकाल में उत्पत्ति के कुछ साधन स्थिर तथा कुछ परिवर्तनशील होते
हैं। जब उत्पत्ति के अन्य साधनों को स्थिर रखकर किसी परिवर्तनशील साधनों की इकाइयों
को बढ़ाया जाता है तो स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों के बची अनुपात बढ़ जाता है। इस
परिवर्तन का कुल उत्पादन की मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका अध्ययन परिवर्ती अनुपातों
के नियम में किया जाता है
उत्पादन की अवस्थाएँ (Stages of Production)-उत्पादन की तीन अवस्थायें हैं।
इन अवस्थाओं का नीचे वर्णन किया गया है-
प्रथम अवस्था (First Stage)-इस अवस्था
में श्रम की इकाइयों को बढ़ाने पर कुल उत्पादन
चल साधन आगम (श्रम) के मुकाबले ऊँची दर
से बढ़ता है अर्थात् कुल उत्पादन में बढ़ती हुई दर           
से वृद्धि होती है तथा सीमान्त उत्पादन अधिकतम
होकर घटना आरम्भ हो जाता । किन्तु औसत
उत्पादन दूसरी अवस्था तक बढ़ता है। यह उत्पति
वृद्धि नियम या साधन के बढ़ते हुए प्रतिफल की।
अवस्था है।
द्वितीय अवस्था (Second Stage)-इस
अवस्था में कुल उत्पादन में घटती हुई दर से वृद्धि
होती है । सीमान्त उत्पादन की तरह औसत उत्पादन
भी घटने लगता है। जहाँ कुल उत्पादन अधिकतम
है वहाँ सीमान्त उत्पादन शून्य हो जाता है। यह
उत्पत्ति ह्रास नियम की अवस्था या साधन के घटते
प्रतिफल की अवस्था कहलाता है।
तृतीय अवस्था (Third Stage)-इस अवस्था में कुल उत्पादन घटना आरंभ हो जाता
है। औसत उत्पादन में गिरावट आती है तथा सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है। इस
अवस्था में फर्म उत्पादन नहीं करेगी।
परिवर्ती अनुपातों के नियम की मान्यताएँ (Assumptions of Law of Variable
Proportions) –
(i) किसी विशेष समय में तकनीकी ज्ञान में कोई परिवर्तन नहीं होता।
(ii) यह स्थिति केवल अल्पकाल में विद्यमान होती है।
(iii) उत्पादन के साधनों को अलग-अलग अनुपातों में प्रयोग किया जा सकता है।
(iv) परिवर्तनशील साधनों की सभी इकाइयाँ समान रूप से कुशल
(v) एक साधन परिवर्तनशील तथा अन्य सभी साधन स्थिर रहते हैं।
प्रश्न 2. परिवर्तनशील साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अन्तर स्पष्ट
कीजिए।
                                   2.लागत (Cost)
प्रश्न 1. निम्नलिखित लागतों को स्थिर लागतों तथा परिवर्तनशील लागतों में
वर्गीकृत करें-
(i) एक शेड का किराया (Rent of a shade)
(ii) निम्नतम टेलीफोन बिल (Minimum telephone bill)
(iii) कच्चे माल की लागत (Cost of raw material)
(iv) स्थायी कर्मचारियों की मजदूरी (Wages to the permanent staff)
(v) पूंजी पर व्याज (Interest on capital)
(vi) वस्तुओं के परिवर्तन पर भुगतान (Payment on transportation of goods)
(vii) निम्नतम से अधिक टेलीफोन के चार्ज (Tdephonechrgesbeyardtheminimum)
(viii) दैनिक मजदूरी (Daily wages)
उत्तर-
प्रश्न 2. एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्तनशील लागत तथा कुल
लागतें क्या हैं? ये आपस में किस प्रकार सम्बन्धित हैं ? (NCERT T.B.Q.13)
उत्तर-(i) कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost)-बेन्हम के अनुसार एक फर्म की
स्थिर लागतें वे लागतें होती हैं जो उत्पादन के
आकार के साथ परिवर्तित नहीं होतीं। ये लागते
सदैव स्थिर रहती हैं। इनका संबंध उत्पादन की
मात्रा के साथ नहीं होता अर्थात् उत्पादन की मात्रा
के घटने या बढ़ने का इन पर कोई प्रभाव नहीं           
पड़ता। स्थिर लागतों में भूमि अथवा फैक्टरी,
इमारत का किराया, बीमा व्यय, लाइसेंस, फीस,
सम्पत्ति कर आदि लागतें शामिल होती हैं। स्थिर
लागतों को अप्रत्यक्ष कर भी कहा जाता है।
नीचे चित्र द्वारा स्थिर लागत को दर्शाया गया है-
(ii) कुल परिवर्ती लागत (Total Variable Cost)-कुल परिवर्ती (अथवा
परिवर्तनशील) लागतें वे लागतें हैं जो उत्पाद के आकार के साथ घटती बढ़ती रहती हैं। ये
लागतें उत्पादन की मात्रा के साथ बढ़ती हैं और उत्पादन के घटने पर घटती हैं। कच्चा माल,
बिजली, ईंधन, परिवहन आदि पर होने वाले
व्यय परिवर्ती लागतें कहलाती हैं। बेन्हम के
अनुसार, “एक फर्म की परिवर्ती लागतों में वे
लागतें शामिल की जाती हैं जो उसके उत्पादन           
के आकार के साथ परिवर्तित होती हैं।”
परिवर्ती लागतों के सम्बन्ध में ध्यान देने योग्य
बात यह है कि आरम्भ में ये लागतें घटती दर
से बढ़ती हैं, परन्तु एक सीमा के बाद वे
बढ़ती हुई दर से बढ़ती हैं। कुल परिवर्ती
लागतों को नीचे चित्र द्वारा दर्शाया गया है-
(iii) कुल लागत (Total Cost)-कुल लागत कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्ती
लागत का योग होती है। कुल लागत से अभिप्राय किसी वस्तु के उत्पादन पर होने वाले कुल
व्यय से है। उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर उत्पादन की कुल लागत में भी परिवर्तन
हो जाता है।
कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत
तथा कुल लागत का पारस्परिक सम्बन्ध (Inter-
relationship between Total Variable       
Costs, Total Fixed Costs and Total
Costs)-कुल परिवर्ती लागतों, कुल स्थिर लागतों
तथा कुल लागतों के आपसी सम्बन्धों को नीचे
चित्र द्वारा दर्शाया गया है-
चित्र से पता चलता है कि कुल लागत, कुल स्थिर लागव तथा कुल परिवर्ती लागत का
योग है। उत्पादन के शून्य स्तर पर कुल लागत तथा स्थिर लागत बराबर होती है। परिवर्तनशील
लागतों के बढ़ने से कुल लागतें बढ़ती हैं।
प्रश्न 3. सीमान्त लागत, औसत परिवर्तनशील लागत तथा अल्पकालीन औसत
लागत वक्र कैसे दिखाई देती हैं। उनके आपसी सम्बन्ध पर चर्चा करें। [NCERT T.B.Q.17]
अथवा, एक फर्म की औसत स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा औसत
लागत क्या है? वे किस प्रकार संबंधित हैं ?           [NCERT T.B.Q. 14)
उत्तर-अल्पकालीन सीमान्त लागत, औसत परिवर्तनशील लागत तथा अल्पकालीन
औसत लागत वक्र की आकृतियाँ (Shapes of the Short Run Marginal Cost,
Adverage Variable Cost and Short Run Average Cost curves)-हम जानते हैं
कि उत्पादन बढ़ाने के लिए फर्म को अधिक उत्पादन के साधनों को लगाना पड़ता है।
परिणामस्वरूप कुल परिवर्तनशील लागत तथा कुल
लागत में वृद्धि होती है। अत: उत्पाद की वृद्धि के
साथ कुल परिवर्तनशील लागत तथा कुल लागत में
वृद्धि होती है। परन्तु स्थिर लागत में कोई परिवर्तन             
नहीं होता । परिवर्तनशील लागत को उत्पादित इकाइयों
से विभाजित करने पर औसत परिवर्तनशील लागत
प्राप्त होती है। नीचे चित्र में औसत परिवर्तनशील
लागत को दर्शाया गया है-
अब हम अल्पकालीन औसत लागत वक्र की आकृति की चर्चा करेंगे। अल्पकालीन
औसत लागत (SAC), औसत परिवर्ती लागत (AVC) तथा औसत स्थिर लागत (AFC) का
योगफल है। समीकरण में-
SAC = AVC + AFC
आरम्भ में दोनों AVC तथा AFC कम होती हैं। अत: SAC भी आरम्भ में घटता है।
उत्पादन स्तर के एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् AVC बढ़ना शुरू कर देता है। अब AVC
तथा AFC विपरीत दिशा में चलते हैं। यहाँ आरम्भ में AFC का घटाव AVC के बढ़त से
अधिक होता है तथा SAC अभी भी घट रहा है। परन्तु उत्पादन के एक निश्चित स्तर के
पश्चात् AVC का बढ़ाव AFC के घटाव से अधिक हो जाता है। इस बिन्दु के पश्चात् SAC
चढ़ना आरम्भ कर देता है। अत: SAC की आकृति यू (U) आकार की हो जाती है। यह
AVC वक्र से ऊपर होता है। यही स्थिति AVC तथा SMC की भी है।
नीचे एक फर्म की अल्पकालीन सीमांत लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन
औसत लागत वक्रों की आकृति दी गई हैं-
     
                                     संख्यात्मक प्रश्न
                            (Numerical Questions)
प्रश्न 1. निम्न तालिका श्रम के कुल उत्पाद को दर्शाती है। श्रम की औसत उत्पाद
तथा सीमान्त तालिका बनाएँ-                             [NCERT T.B.Q.22]
प्रश्न 2. निम्न तालिका श्रम के औसत उत्पाद को प्रदर्शित करती है। कुल उत्पाद
और सीमान्त उत्पाद तालिका बनाएँ। श्रम के शून्य प्रयोग पर कुल उत्पाद शून्य दिया
गया है-                                                 [NCERT T.B.Q. 23]
प्रश्न 3. निम्न तालिका में श्रम का सीमान्त उत्पाद दिया गया है। यह भी बताया
गया है कि श्रम प्रयोग के शून्य स्तर पर कूल उत्पाद शून्य है । श्रम की कुल तथा औसत
उत्पाद तालिका बनाएँ।                                   [NCERT T.B.Q. 24)
प्रश्न 4. निम्न तालिका एक फर्म की कुल उत्पादकता की तालिका है । इस फर्म की
कुल स्थिर लागत क्या है ? फर्म की कुल परिवर्तनशील लागत, औसत स्थिर लागत,
औसत परिवर्तनशील लागत, अल्पकालीन औसत लागत तथा अल्पकालीन सीमान्त
लागत तालिका तैयार करें ।                                  [NCERT T.B.Q. 25)
         
प्रश्न 5. निम्न तालिका एक फर्म की कुल लागत तालिका है। उत्पादन की चार
इकाइयों पर औसत स्थिर लागत 5 रुपये है। विभिन्न उत्पादन स्तर पर फर्म की कुल
परिवर्तनशील लागत, कुल स्थिर लागत, औसत स्थिर लागत, अल्पकालीन औसत
लागत तथा औसत सीमान्त लागत ज्ञात करें।             [NCERT T.B.Q.26]
पहले हम AFC से FC ज्ञात करेंगे। अतः हम 5 को 4 से गुणाकर FC ज्ञात करेंगे।
प्रश्न 6. निम्न तालिका में एक फर्म की अल्पकालीन सीमान्त लागत की अनुसूची
दी गई है । फर्म की कुल स्थिर लागत 100 रुपये है। फर्म की TVC, TC,AVC तथा
SAC अनुसूची तैयार करें।                                (NCERT T.B.Q.27]
प्रश्न 7. एक फर्म का उत्पादन फलन नीचे दिया गया है-
बताएँ कि फर्म L की 5 इकाइयों तथा K की 2 इकाइयों का प्रयोग करके अधिक
कितना उत्पादन कर सकती हैं ? फर्म L की शून्य-इकाइयों तथा K की 10 इकाइयों का
प्रयोग करके कितना अधिकतम सम्भव उत्पादन कर सकती हैं ?       [T.B.Q.29]
उत्तर-L की शून्य इकाइयों तथा K की 10 इकाइयों से फर्म का उत्पादन शून्य होगा,
क्योंकि उत्पादन के दो साधनों में यदि कोई एक साधन शून्य है तो उत्पादन संभव नहीं होगा।
प्रश्न 9.L की शून्य इकाइयों तथा K की 10 इकाइयों के प्रयोग से एक फर्म कितना
अधिकतम उत्पादन कर सकेगी यदि उत्पादन फलन निम्नलिखित है- [T.B.Q.30]
              Q=5L+2K
उत्तर-फर्म का उत्पादन शून्य होगा क्योंकि उत्पादन के लिए L तथा K की दोनों इकाइयों
का प्रयोग आवश्यक है। किसी भी एक साधन की अनुपस्थिति में उत्पादन संभव नहीं होता ।
प्रश्न 10. उत्पादन के एक साधन की औसत उत्पाद और सीमान्त उत्पाद तालिका
बनाएँ जब उत्पाद स्थिर प्रतिफल पर हो रहा हो।
उत्तर-
प्रश्न 11. नीचे दी गई सूचना के आधार पर आप एक परिवर्ती कारक के प्रतिफल
की प्रकृति के विषय में क्या कह सकते हैं ?
उत्तर-
प्रश्न 12. एक फर्म के बारे में निम्न जानकारी प्राप्त है-
सीमांत उत्पाद ज्ञात करें तथा तालिका क्या व्यक्त करता है ?
उत्तर-
तालिका से पता चलता है कि घटते-बढ़ते अनुपात का नियम लागू हो रहा है।
(1) नियम का पहला चरण श्रम की दूसरी इकाई तक लागू होता है। श्रम की दूसरी इकाई
तक सीमान्त उत्पाद बढ़ता है अर्थात् कुल उत्पाद बढ़ती हुई दर से बढ़ता है।
(2) दूसरा चरण श्रम की पाँचवीं इकाई तक लागू होता है। दूसरे चरण कुल उत्पाद
घटती हुई दर से बढ़ता है अर्थात् सीमान्त उत्पाद घटता है परन्तु शून्य ऊपर रहता है।
(3) तीसरा चरण तब आरम्भ होता है जब छठे श्रमिक को काम पर लगाया जाता है। इस
चरण में कुल उत्पाद घटना आरम्भ कर देता है और सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है
                                             2. लागत
प्रश्न 13. एक फर्म की स्थिर लागत 12 रुपए है। नीचे इसकी सीमान्त लागतें दी
गई हैं। सीमान्त लागतों की सहायता से प्रत्येक स्तर पर कुल लागत और परिवर्तनशील
लागत ज्ञात करें।
उत्तर-
प्रश्न 14. निम्न तालिका को पूरा करें-
नोट -शून्य उत्पादन पर कुल लागत स्थिर लागत के बराबर होती है और स्थिर लागत
उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर समान होती है।
प्रश्न 15. निम्न तालिका को पूरा करें-
प्रश्न 16. निम्न तालिका पूर्ण करें-
प्रश्न 17. कुल स्थिर लागत 90 रुपए है। निम्न तालिका की पूर्ति करें-
प्रश्न 18. एक फर्म 20 इकाइयों का उत्पादन कर रही है । उत्पादन के इस स्तर पर
औसत कुल लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत क्रमशः 40 रुपये तथा 37 रुपये हैं।
इस फर्म की कुल स्थिर लागत ज्ञात करें।
उत्तर-औसत स्थिर लागत = कुल लागत – औसत परिवर्तनशील लागत
                                   =40-37=3 रुपए।
कुल स्थिर लागत = औसत स्थिर लागत x इकाइयाँ
                        =3×20 = 60 रुपए।
अथवा, कुल लागत औसत कुल लागत x इकाइयाँ = 40 x 20 = 800 रुपए ।
परिवर्तनशील लागत = औसत परिवर्तनशील लागत x इकाइयाँ
                            =37×20 = 740 रुपये।
स्थिर लागत = कुल लागत – इकाइयाँ = 800-740 = 60 रुपए।
                                                         ●●●

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *