12th Home Science

Bihar Board 12th Home Science Important Questions Short Answer Type Part 2

Bihar Board 12th Home Science Important Questions Short Answer Type Part 2

BSEB 12th Home Science Important Questions Short Answer Type Part 2

प्रश्न 1. कृत्रिम या उपार्जित रोध क्षमता
उत्तर: अर्जित की गई रोग प्रतिरोधक क्षमता को कृत्रिम या उपार्जित रोधक्षमता कहते हैं। यह दो प्रकार से प्राप्त होती है-

  • संक्रामक रोग से ग्रसित होकर- व्यक्ति जब संक्रामक रोग से ग्रसित होने पर अस्वस्थ हो जाता है तब उसमें उस रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है।
  • टीकाकरण द्वारा- टीकाकरण द्वारा विभिन्न संक्रामक रोगों की प्रतिरक्षक दवाइयाँ शरीर में टीके के माध्यम से प्रविष्ट करायी जाती है। इन दवाइयों से रक्षण अवधि को दीर्घ काल तक ,बनाये रखने के लिये बूस्टर खुराक भी दी जाती है। इस प्रकार टीकाकरण द्वारा विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जाता है।

प्रश्न 2. टीकाकरण
उत्तर: टीकाकरण वह प्रक्रिया है जिसमें टीके के द्वारा विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जाता है या शरीर में बीमारी से बचाव की ताकत पैदा की जाती है। संक्रामक रोगों की प्रतिरक्षक दवाइयाँ टीके के माध्यम से शरीर में प्रविष्ट करायी जाती है। इस प्रकार टीकाकरण जान लेवा बीमारियों से बचाव में सहायता करता है।

प्रश्न 3. तपेदिक या क्षय रोग
उत्तर: तपेदिक या क्षय रोग वायु द्वारा फैलता है। इस रोग को फैलाने वाला जीवाणु ट्यूबर्किल बेसिलस है। यह रोग बहुत ही भयानक है जो शरीर के कई भागों में हो सकता है। जैसे-फेफडा, आँत, ग्रन्थियों, रीढ की हड़ी। फेफड़ों का तपेदिक सबसे अधिक फैलता है। यह रोग मनुष्यों के अतिरिक्त जानवरों को भी हो सकता है।

प्रश्न 4. अतिसार
उत्तर: अतिसार ऐसी अवस्था होती है जिसमें संक्रमण के कारण पेट की आँतों की कार्य प्रणाली सामान्य नहीं रहती। आँतों का मुख्य कार्य अतिरिक्त जल का अवशोषण करना है। अतिसार रोग में आँतें यह कार्य नहीं कर पाती है। फलतः शरीर का अतिरिक्त जल मलद्वार द्वारा बाहर निष्कासित हो जाता है जिससे शरीर में जल की कमी हो जाती है।

प्रश्न 5. हैजा
उत्तर: यह विसिलस जीवाणु द्वारा संक्रमित होता है जो विब्रिओ कोमा के नाम से जाना जाता है। यह रोग बहुत तीव्र गति से संक्रमित होता है। इसलिए महामारी का रूप धारण कर लेता है। यह गर्मी तथा बरसात के दिनों में अधिक होता है।

प्रश्न 6. खसरा
उत्तर: खसरा एक संक्रामक रोग है जो ज्वर तथा खाँसी के साथ स्पष्ट होता है। यह रोग अधिकतर बच्चों को होता है। रोगी के खाँसने तथा छोंकने से रोगाणु वायु को दूषित कर देते हैं जिसमें साँस लेने पर स्वस्थ व्यक्ति भी रोगी हो जाता है।

प्रश्न 7. डिफ्थीरिया
उत्तर: डिफ्थीरिया या गलघोंटू अत्यन्त भयानक संक्रामक रोग है जो कोरीने बैक्टीरिया डिफ्थीरिए नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु शरीर में प्रवेश करके गले में पनपते हैं और बच्चे में रोग के लक्षण उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 8. काली खाँसी
उत्तर: खाँसी के साथ बहुत अधिक मात्रा में कफ निकलना ही काली खाँसी कहलाता है। यह रोग अधिकतर बच्चों में होता है। यह रोग नाक, गले और फेफड़ों को बहुत अधिक प्रभावित करता है।

प्रश्न 9. बी० सी० जी० टीका
उत्तर: बी० सी० जी० का पूरा नाम बैसिलस प्यूरिन है। यह तपेदिक या क्षय रोग से बचाव का टीका है। इस टीके को बायें बाँह के ऊपरी भाग में लगाया जाता है। जन्म के तत्काल बाद से एक माह तक ही बी० सी० जी० का टीका लगाया जाता है। टीका लगने के एक महीने बाद फफोला बनकर टीका पक जाता है और स्वतः ही झड़ जाता है। इस पर दवाई लगाने की आवश्यकता नहीं होती। टीका लगवाने वाली जगह न पके तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श करना
चाहिए।

प्रश्न 10. डी० पी० टी० का टीका
उत्तर: डी० पी० टी० का टीका तीन रोगों से बचाव के लिए दिया जाता है-डिफ्थीरिया, काली खाँसी (परट्यूरिका) तथा टेटनस। डी० पी० टी० की पहली खुराक 6 सप्ताह में दी जाती है तथा दूसरी खुराक एक माह के अन्तराल पर दी जाती है। तीसरी खुराक 312 माह की आयु में दी जाती है। डी. पी. टी. का बूस्टर टीका 15-18 माह में, 20 से 24 माह में तथा 5 से 6 वर्ष की आयु में लगाया जाता है।

प्रश्न 11. किशोरावस्था
उत्तर: किशोरावस्था 10 से 15 वर्ष की अवस्था को कहा जाता है। इसमें बच्चे किशोर हो जाते हैं और उनमें द्वितीय यौन लक्षण उत्पन्न होते हैं। हार्मोन के प्रभाव से लड़कियों के स्तन में उभार तथा आवाज पतली हो जाती है, बल्कि लड़कों की आवाज भारी होने लगती है।

प्रश्न 12. बच्चों की वैकल्पिक देखरेख
उत्तर: वैकल्पिक देखरेख से अभिप्राय है कि माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चे की उचित देखभाल के लिए विकल्प का चुनाव करना। यों तो बच्चे की देखभाल करने का प्रथम दायित्व उसके माता-पिता का है, परन्तु कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं जब उनकी देखभाल के लिए वैकल्पिक साधन ढूँढने पड़ते हैं। वैकल्पिक साधन परिवार एवं भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, पड़ोसी, आया आदि हो सकती हैं।

प्रश्न 13. शिशु सदन (क्रेच)
उत्तर: शिशु सदन एक ऐसा सुरक्षित स्थान है जहाँ बच्चे को सही देखरेख में तब तक छोड़ा जा सकता है जब तक माता-पिता काम में व्यस्त हों। यह एक आवासी देखभाल केन्द्र है। इसमें तीन साल की आयु तक के बच्चों को रखा जाता है। यहाँ बच्चों को योग्य कर्मियों की देखरेख में रखा जाता है। इस कारण माताएँ निश्चिन्त होकर अपना कार्य कर सकती हैं। अपना कार्य समाप्त कर माता-पिता बच्चों को घर ले आते हैं। वर्तमान समय में शिशु सदन बच्चों की देखभाल में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न 14. चलते-फिरते शिशुसदन
उत्तर: वह शिशु सदन जिसे एक स्थल से दूसरे स्थल पर ले जाया जाता है, उसे चलते-फिरते शिशु सदन कहा जाता है। मजदूरी करने वाली महिलाओं के लिए कार्य स्थल पर ही चलते-फिरते शिशु सदन बना दिये जाते हैं। इनमें बच्चों की देखभाल के लिए निम्न मध्यम वर्गीय प्रशिक्षित कार्यकर्ता होते हैं, जिन्हें बच्चों के मनोविज्ञान का ज्ञान होता है और जो बच्चों की देख-रेख उनकी आवश्यकतानुसार करते हैं। इन शिशु सदनों में माताएँ अवकाश समय में आकार बच्चों को स्तनपान करा सकती है। निर्माण कार्य समाप्त हो जाने पर शिशु सदन को नये निर्माण स्थल पर ले जाया जाता है। इसी कारण इसे चलता-फिरता शिशु सदन कहा जाता है। सरकार तथा स्वयं सेवी संगठनों के द्वारा निम्न वर्गीय परिवारों के बच्चों की देखभाल के लिए विशेष रूप से यह शिशु सदन चलाया जाता है।

प्रश्न 15. समेकित बाल विकास योजना (आई० सी० डी० एस०)
उत्तर: समेकित बाल विकास योजना 2 अक्टूबर, 1975 में 33 ब्लॉक में प्रयोजित आधार पर प्रारंभ की गई थी। यह योजना भारत सरकार के सौजन्य से मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही है। वर्तमान समय में देश में लगभग 2761 स्वीकृत आई० सी० डी० एस० परियोजनाएँ हैं जिनसे लाखों माताएँ एवं बच्चे लाभ उठा रहे हैं।

समेकित बाल विकास योजना के प्रमुख उद्देश्य एवं लक्ष्य समूह हैं-

  • 0-6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य तथा आहार की स्थिति में सुधार।
  • बच्चों के मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा शारीरिक विकास की नींव रखना।
  • कुपोषण, मृत्यु, अस्वस्थता तथा विद्यालय छोड़ने की दर में कमी लाना।

समेकित बाल विकास योजना के लक्ष्य समूह-

  • 0-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चे।
  • गर्भवती स्त्रियाँ।
  • 15-40 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाएँ।

प्रश्न 16. नर्सरी स्कूल या बालबाड़ी
उत्तर: नर्सरी स्कूलं या बालबाड़ी का मुख्य उद्देश्य होता है बालक को स्कूल जाने के लिए तैयार करना। यहाँ बच्चों को अनौपचारिक तरीके से शिक्षा दी जाती है। उसे कहानियाँ गीत, चित्रकला आदि के माध्यम से शिक्षा दी जाती है। खेल-खेल में बालक पारम्भिक प्रत्ययों को सीख लेता है। बालक के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचानने और उभारने का अवसर मिलता है।

प्रश्न 17. बालबाड़ी का कार्य
उत्तर: बालबाड़ी के चार कार्य निम्नलिखित हैं-

  • उनमें बच्चे चित्रकारी करना सीखते हैं।
  • बच्चे एक-दूसरे को वस्तुएँ देना तथा सम्पर्क करना सीखते हैं।
  • उन स्थानों का वातावरण बच्चों में भाषा का विकास करता है।
  • उनमें बच्चे विभिन्न आकृतियों और रंगों को पहचानना सीखते हैं।

प्रश्न 18. गर्भवती माता
उत्तर: वैसी स्त्रियाँ जिनका मासिक धर्म बन्द हो जाए, उसे उल्टी होने लगे, बार-बार मूत्र त्याग करें एवं उसके स्तनों के आकार में परिवर्तन होने लगे तो वे गर्भवती माता कहलाती हैं।

प्रश्न 19. मानकीकरण
उत्तर: मानकीकरण वह प्रणाली है जिसके द्वारा विभिन्न वस्तुओं के स्तर को नियंत्रित किया जाता है तथा स्तर को बनाए रखने के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को परिभाषित किया जाता है।

प्रश्न 20. अमानवीय संसाधन
उत्तर: वह संसाधन जिसका निर्माण तो मनुष्य करता है परन्तु वह बिना मनुष्य के सहयोग के कार्य करता है उसे अमानवीय संसाधन कहा जाता है। जैसे-रोबोट, मशीन आदि।

प्रश्न 21. सूक्ष्म जीव
उत्तर: ऐसा जीव जिसे मनुष्य अपनी नंगी आँखों से नहीं देख सकता उसे सूक्ष्म जीव कहा जाता है। ऐसे जीवों को देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र का प्रयोग किया जाता है। सूक्ष्म जीवों का अध्ययन सूक्ष्मजैविकी करता है।

प्रश्न 22. स्तनपान
उत्तर: स्तनों में आने वाले प्राकृतिक दूध को माँ अपने बच्चे को पिलाती है। दूध पिलाने की इस क्रिया को स्तनपान कहा जाता है। स्तनपान शिशु को संरक्षण और संवर्धन प्रदान करता है।

प्रश्न 23. स्वच्छता
उत्तर: स्वच्छता का अभिप्राय अपने वातावरण एवं स्वयं को हानिकारक तत्वों से बचाना तथा शरीर के अन्दर एवं बाहर के मल को समय पर दूर करना स्वच्छता को तीन भागों में बाँटा जाता है-वातावरण, शरीरिक तथा मानसिक।

प्रश्न 24. व्यक्तिगत स्वच्छता
उत्तर: खाना बनाने तथा परोसने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वच्छता अधिक महत्त्वपूर्ण है। भोजन को छूने से पूर्व और पश्चात् हाथों को साफ पानी और साबुन से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। उसके नाखून कटे होने चाहिए, क्योंकि ये रोगों के संक्रमण का कारक हैं। बाल साफ तथा बाँधे होना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए।

प्रश्न 25. खाद्य स्वच्छता
उत्तर: अच्छे आहार के लिए जितना आहार का संतुलित होना आवश्यक है उतना ही स्वच्छ होना आवश्यक है। इसलिए भोजन को पकाने, परोसने तथा संग्रहित करते समय स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए ताकि भोजन संदूषित होने से बचे। इन नियमों का पालन नहीं करने पर भोजन दूषित और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है। अतः स्पष्ट है कि भोजन के सुरक्षित हस्तन को खाद्य स्वच्छता कहा जाता है। इससे भोजन कीटाणु रहित रहता है।

प्रश्न 26. मिलावट
उत्तर: मिलावट की परिभाषा (Food Adulteration)- मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों की प्रकृति, गुणवत्ता तथा पौष्टिकता में बदलाव आ जाता है। यह बदलाव खाद्य पदार्थों में किसी अन्य मिलती-जुलती चीज मिलने या उसमें से कोई तत्त्व निकालने के कारण आता है। उदाहरण के लिए दूध से क्रीम निकालना या उसमें पानी मिला देना मिलावट कहलाता है। यह मिलावट खाद्य पदार्थ उपजाते समय, फसल काटते समय तैयार करते समय, एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाते समय तथा वितरण करते समय की कमी हो जाती है।

खेसारी दाल की उपस्थिति मिलावट के कारण हैं। खेसारी दाल का आहार अरहर की दाल की अपेक्षा कुछ तिकोना तथा रंग मटमैला होता है। खेसारी दाल में कई विषैले तत्त्व होते हैं परन्तु इनमें से एक मुख्य विषैला तत्त्व है अमीनो अम्ल बीटा एन० ऑक्साइल अमीनो एलनिन अर्थात् (Beta N-Oxylamino Alanine-BOAA)।

खाद्य पदार्थों में मिलावट से सुरक्षा- रोजमर्रा के आहार में मिलावट तेजी से बढ़ रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने के कारण व्यापारी अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए इस तरह के कुचक्र चलाते हैं। आप निम्नलिखित उपायों से अपने आपको मिलावट से बचा सकती है।

  • विश्वसनीय दुकानों से ही समान खरीदें। ऐसी दुकानें जहाँ बिक्री होती है व उनकी विश्वसनीयता पर भरोसा है, तो समान अच्छा मिलेगा।
  • विश्वसनीय व उच्च स्तर की सामग्री खरीदें क्योंकि उसकी गुणवत्ता अधिक होती है। सही मार्का वाली सामग्री से पूरी कीमत वसूल हो जाती है। जैसे- ISI, F.P.O. and Agmark etc.

प्रश्न 27. भोजन अपमिश्रण
उत्तर: भोजन की विशुद्ध वस्तुओं में कुछ विजातीय या कम मूल्य की स्वजातीय वस्तु के मिश्रण को भोजन अपमिश्रण कहते हैं। भोजन में मिलावट रहने से उसका पोषक तत्व घट जाता है। प्रायः गेहूँ, चावल दाल आदि में कंकड़ मिलाकर उनकी तौल बढ़ा दी जाती है। इसके अलावा, सरसों के तेल में तीसी के तेल की मिलावट होती है, शुद्ध घी में वनस्पति तेल आदि का मिश्रण होता है। अरहर की दाल में खेसाड़ी के दाल की मिलावट, दूध में पानी मिलाना, चायपत्ती में काठ का बुरादा, औषधियों में मिलावट, मसालों में मिलावट आदि आम रूप से देखी जाती है। मिलावट होने से वस्तु विशेष से हमें यथोचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त नहीं होते हैं तथा शरीर रोगी हो जाता है। उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की दशा के लिए भारत सरकार ने खाद्य अपमिश्रण (मिलावट) निवारण नियम 1954 बनाया जिसके तहत् उपभोक्ता इसकी शिकायत उपभोक्ता सरंक्षण केन्द्र पर करा सकते हैं।

प्रश्न 28. ज्वर
उत्तर: जब किसी व्यक्ति में शरीर से उत्पन्न तथा निष्कासित ताप में संतुलन नहीं रहता तथा ताप सामान्य से अधिक हो जाता है तो ऐसी स्थिति को ज्वर कहा जाता है। मानव शरीर का सामान्य ताप 37° सेन्टीग्रेट (98.6° फैहरनहाइट) होता है। एक व्यक्ति को ज्वर कई कारणों से होता है। जैसे-संक्रमण, कीड़ों के कारण, नशा आदि से व्यक्ति को ज्वर हो सकता है।

प्रश्न 29. ज्वर के प्रकार
उत्तर: ज्वर तीन प्रकार का होता है-

  • अल्पकालीन ज्वर- यह ज्वर कम समय के लिए परन्तु तेज होता है। जैसे-इन्फ्लुएंजा, खसरा, निमोनिया आदि।
  • दीर्घकालीन ज्वर- ऐसा ज्वर लम्बे समय तक चलता है, पर तापमान अधिक नहीं होता है।
  • अंतरकालीन ज्वर- यह ज्वर अंतराल पर चढ़ता है। जैसे-मलेरिया, टाइफाइड आदि।

प्रश्न 30. बजट
उत्तर: घरेलु धन प्रबंध योजना का आधार होता है-बजट। यह भविष्य में घर में होनेवाले आय-व्यय का प्रारूप है। बजट के द्वारा यह तय किया जाता है कि किस अवधि में अपनी आय को ध्यान में रखते हुए, किस मद पर, कब और कितना खर्च किया जाय। घरेलू बजट परिवर्तनशील होता है, जो घरेलू आवश्यकताओं के अनुसार बदलता रहता है। हर घर का बजट भिन्न-भिन्न होता है। किसी घर में भोग-विलास के साधनों के क्रय पर खर्च होता है। तो कहीं भोजन पर, कहीं वस्त्रों पर, कहीं दवा पर, कहीं धार्मिक अनुष्ठानों पर आदि।

प्रश्न 31. बजट के प्रकार
उत्तर: एक निश्चित अवधि के पूर्व आय-व्यय के विस्तृत ब्यौरे को बजट कहते हैं। बजट तीन प्रकार का होता है-

  • बचत का बजट,
  • घाटे का बजट एवं
  • संतुलित बजट।

जब प्रस्तावित व्यय अनुमानित आय से कम तथा निश्चित अवधि में कुछ बचत हो जाती है तो उसे बचत का बजट कहते हैं। जबकि इसके विपरीत प्रस्तावित व्यय अनुमानित आय से अधिक होता है जिसके कारण व्यय को पूरा करने हेतु ऋण लेना या बचत से खर्च करना पड़ता है तो वह घाटे का बजट होता है। संतुलित बजट में व्यय अनुमानित आय के समान होती है। अतः बचत का बजट परिवार के लिए लाभप्रद है।

प्रश्न 32. स्तनपान व्याजन या स्तन मोचन
उत्तर: शिशु के आहार में माँ के दूध के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थों की शुरूआत करने की प्रक्रिया को, ‘स्तनमोचन’ (Weaning) अथा, ‘पूरक आहार देने की प्रक्रिया’ कहा जाता है।

वस्तुतः चार से छ: महीने के बीच का समय ‘स्तनमोचन’ के लिए उचित माना गया है। यदि उस समय से पहले आहार देना आरम्भ करते हैं तो अतिसार होने की सम्भावना हो सकती है। शिशु की आयु के अनुसार पूरक आहार की बनावट, तरलता आदि बदली जाती है, जैसे 4-6 महीने में तरल पूरक आहार देते हैं 6-8 महीने में ऊर्जा-ठोस पूरक आहार दिया जाता है। इन आहारों के साथ माँ का दूध भी बच्चों को देते रहना चाहिए।

प्रश्न 33. हिमीकरण
उत्तर: सामान्य तौर पर सामान्य ताप से न्यून ताप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया हिमीकरण कहलाती है। गृह विज्ञान में पानी साफ करने का कार्य एलम के माध्यम से किया जता है। एलम शब्द फिटकिरी के लिए प्रयुक्त किया जाता है ग्रामीण क्षेत्रों में पानी साफ करने के लिए आमतौर पर फिटकरी का प्रयोग किया जाता है। फिटकरी को जब जल में डाला जाता है जिन्हें फ्लाक्स कहते हैं। जीवाणु कीचड़ व अन्य कीटाणु फ्लाक्स के साथ चिपक जाते हैं। ये फ्लाक्स पानी के सबसे निचली सतह पर जम जाते हैं। तब ऊपर के पानी को दूसरे साफ बर्तन में उपयोग के लिए निकाला जाता है।

प्रश्न 34. प्लैकेट
उत्तर: वस्त्र में जिस स्थान पर वस्त्र को बंद किया जाता है तथा बटन लगाये जाते हैं उसे प्लैकेट कहते हैं। वस्त्रों पर बटन की पट्टी वस्त्र के अनुरूप लगायी जाती है तथा इसकी लम्बाई एवं चौड़ाई आवश्यकतानुसार रखी जाती है। इसे बनाने के लिए अतिरिक्त कपड़ा लगता है। अतः कपड़ा बचाने के लिए कई बार बटन की पट्टी बहुत छोटी बनायी जाती है, जिससे वस्त्र पहनने और खोलने में कठिनाई होती है तथा बटन भी ठीक से नहीं लग पाते हैं।

प्रश्न 35. वृद्धि
उत्तर: वृद्धि से तात्पर्य मात्रात्मक वृद्धि से है। विकास की उपेक्षा वृद्धि एक संकुचित शब्द है। गर्भ धारण के पश्चात् ही गर्भस्थ शिशु में वृद्धि होने लगती है। वृद्धि बालक के शरीर और आकर, लम्बाई और भार में ही नहीं होती है बल्कि उसके आंतरिक अंगों तथा मस्तिष्क में भी होती है।

प्रश्न 36. विकास
उत्तर: विकास का तात्पर्य मात्रात्मक वृद्धि के साथ उसके गुणात्मक परिवर्तन से है। एक नवजात शिशु. उठना-बैठना तथा चलना नहीं जानता है परन्तु जैसे-जैसे उसका विकास होने लगता है, वह यह सभी क्रियाएँ करना सीख लेता है। बालक में विकास सम्बन्धी सभी प्रगतिशील परिवर्तन एक-दूसरे से सम्बन्धित तथा क्रमबद्ध होते हैं।

प्रश्न 37. वृद्धि एवं विकास में अन्तर
उत्तर: वृद्धि तथा विकास में निम्नलिखित अंतर है-

  • वृद्धि मात्रात्मक होती है, जबकि विकास मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों रूप में होता है।
  • वृद्धि शारीरिक ऊँचाई, भार व शारीरिक अनुपात मुख्य सूचक माने जाते हैं, जबकि विकास में शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ सामाजिक, मानसिक और संवेगात्मक परिवर्तनों का भी समावेश होता है।
  • एक निश्चित समय के बाद वृद्धि रुक जाती है, जबकि विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • वृद्धि का क्षेत्र संकुचित है, जबकि विकास का विस्तृत।

प्रश्न 38. रोग प्रतिरोधक क्षमता
उत्तर: प्रकृति ने मनुष्य को रोगों से लड़ने की स्वाभाविक क्षमता प्रदान की है, इस क्षमता को रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार की होती है- (i) प्राकृतिक प्रतिरक्षण एवं (ii) कृत्रिम प्रतिरक्षण।

प्राकृतिक प्रतिरक्षण के अंतर्गत श्वेत रक्ताणु द्वारा एन्टी टॉक्सिन का निर्माण होता है जो संक्रमण से बचाता है। बच्चों में माता के दूध से त्वचा, नाक के बाल तथा अंगों के श्लेष्मा से प्रतिरक्षण होता है। जबकि कृत्रिम प्रतिरक्षण टीके द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 39. चेक के प्रकार
उत्तर: चेक तीन प्रकार के होते हैं-
1. वाहक चेक- इसमें प्राप्तकर्ता के सामने वाहक लिखा होता है। इसकी राशि कोई भी व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। इसे खो जाने का खतरा रहता है।

2. आदेशक चेक- इसमें वाहक शब्द काटकर आदेशक लिखा होता है। जिस व्यक्ति के नाम से चेक लिखा होता है। भुगतान उसी को दिया जाता है अथवा वाहक जिसका नाम चेक के दूसरे तरफ लिखा होता है। बैंक वाहक का हस्ताक्षर लेकर ही भुगतान करता है।

3. रेखांकित चेक- इस चेक की बायीं ओर के ऊपरी सिरे पर दो तिरक्षी समानान्तर रेखाएँ खींची होती है। इसकी राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। व्यक्ति के नाम के खाते में राशि जमा कर दी जाती है। इस प्रकार के चेक खोने पर दूसरे व्यक्ति को राशि मिलने की संभावना कतई नहीं होती।

प्रश्न 40. खाद्य संरक्षण
उत्तर: खाद्य संरक्षण वह प्रक्रिया होती है, जिससे भोजन को दीर्घकाल तक बिना उसकी गुणवत्ता और पौष्टिकता खराब हुए या कम हुए संग्रहीत करके रखा जाता है। खाद्य संरक्षण का ज्ञान होना सभी के लिए खास कर गृहिणियों के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 41. प्रदूषण
उत्तर: हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-चायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण। मानव स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण के निम्नलिखित कारण है-

  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआँ तथा रसायन।
  • आण्विक संयंत्रों से निकलने वाली गैसे तथा धूलकण।।
  • जंगलों में पेड़ों के जलने से, कोयला के जलने से तथा तेलशोधक कारखानों से निकलने वाला धुआँ।

प्रश्न 42. भारतीय मानक ब्यूरो
उत्तर: भारतीय मानक संस्थान (ISI) को ही अब भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) कहा जाता है। इसी संस्थान के नाम पर इसका प्रमाणन चिह्न ISI है। 1952 के ISI अधिनियम के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो को किसी भी पदार्थ तथा प्रणाली के लिए मानक स्थापित करने का अधिकार है। इसमें लगभग सभी भोज्य पदार्थ, बिजली के उपकरण, बर्तन तथा सौंदर्य प्रसाधन शामिल है। किसी भी निर्माता को अपने उत्पादन पर ISI चिह्न लगाने की अनुमति तभी दी जाती है यदि उत्पादन पूरी निर्माण प्रक्रिया में BIS के मानकों के अनुसार तैयार किया गया है। खाद्य संसाधन इकाई को ISI चिह्न तभी दिया जाता है यदि वहाँ स्वास्थ्यकर वातावरण हो और अपने पदार्थ के परीक्षण के लिए जाँच सुविधाएँ उपलब्ध हों। यह उत्पादनकर्ता की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह अपने उत्पाद के लिए ISI चिह्न लेना चाहता है या नहीं।

प्रश्न 43. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
उत्तर: उपभोक्ता के हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया। उस अधिनियम में कुल 31 धाराएँ है। विभिन्न धाराओं में उपभोक्त संरक्षण संबंधी निर्देश हैं। यह अधिनियम वस्तु और सेवाओं दोनों पर लागू होता है। सेवाओं के अन्तर्गत बिजली पानी, सड़कें आदि आते हैं।

प्रश्न 44. एगमार्क
उत्तर: एगमार्क से कृषि उत्पाद की गुणवत्ता तथा शुद्धता आँकी जाती है। एगमार्क का अर्थ है कृषि विक्रय। उत्पाद की गुणवत्ता को उसके आकार, किस्म, उत्पादन, भार, रंग, नमी, वसा की मात्रा तथा दूसरे रासायनिक और भौतिक लक्षणों द्वारा आँका जाता है। एगमार्क वाले उत्पाद फुटकर दुकानों, सुपर बाजार व डिपार्टमेंटल स्टोर्स से खरीदे जा सकते हैं। कुछ एगमार्क उत्पाद इस प्रकार हैं-चावल, गेहूँ, दालें, नारियल तेल, मूंगफली तेल, सरसों का तेल, शुद्ध घी, मक्खन, शहद, मसाले।
Bihar Board 12th Home Science Important Questions Short Answer Type Part 2, 1

प्रश्न 45. एफ० पी० ओ०
उत्तर: Fruit Product Order (F.P.O.)- फल-सब्जियों से बने पदार्थ सम्बन्धी यह आदेश 1946 में भारत सरकार द्वारा भारतीय रक्षा कानून के अन्तर्गत बनाया गया। F.P.O. द्वारा फल व सब्जियों की गुणवत्ता का न्यूनतम स्तर आवश्यक रूप से रखने का प्रावधान है। इसके अन्तर्गत औद्योगिक इकाइयों में स्वच्छता का वातावरण होना चाहिए। कारखाने में तैयार पदार्थों की उचित पैकिंग, मार्का व लेबल होना चाहिए। F.P.O. मार्क वाले पदार्थ हैं-जैम, जैली, मामलेड, कैचअप, स्कैवाश, अचार, चटनी, चाशनी, सीरप इत्यादि।
Bihar Board 12th Home Science Important Questions Short Answer Type Part 2, 2

प्रश्न 46. संवेग
उत्तर: संवेग शरीर की एक प्रभावपूर्ण एवं जटिल प्रक्रिया है। यह प्राणी की उत्तेजित अवस्था है जिसमें शारीरिक प्रतिक्रियाएँ अभिव्यक्त होती है। बालक के जीवन में संवेगों का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 47. समाजीकरण
उत्तर: समाजीकरण का अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके माध्यम से असहाय तथा असामाजिक मानव शिशु विकसित होने पर एक सामाजिक प्राणी के रूप में रूपांतरित हो जाता है। इस प्रकार एक प्राणीशास्त्री शिशु को सामाजिक प्राणी बनाने की प्रक्रिया ही समाजीकरण है।

प्रश्न 48. मौखिक अवस्था
उत्तर: समाजीकरण की पहली अवस्था को मौखिक अवस्था कहा जाता है। इसमें शिशु मौखिक रूप से दूसरों पर निर्भर रहता है। इस समय शिशु अपनी देखभाल के लिए संकेत देने लगता है तथा अपना सुख-दुःख अपने हाव-भाव से प्रकट करता है। इसलिए इसे मौखिक अवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 49. अपंग बालक
उत्तर: अपंग बालक वैसे बालक को कहा जाता है जिनकी मांसपेशियों तथा हड्डियों का विकास दोषपूर्ण होता है। इसके अन्तर्गत विकृत शरीर अंग वाले बालकों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 50. प्रतिभाशाली बालक
उत्तर: जिन बालकों की बौद्धिक क्षमताएँ सर्वोत्तम होती है उन्हें प्रतिभाशाली बालक कहा जाता है। ऐसे बालक देश तथा समाज के हर क्षेत्र में पाये जाते हैं। ये विशिष्ट बालक होते हैं और सामान्य बालकों से पृथक आवश्यकताएँ रखते हैं।

प्रश्न 51. अपराधी बालक
उत्तर: जो बालक समाज तथा कानून द्वारा बनाये गये नियमों की अवहेलना करते हैं और एक निश्चित आयु से कम आयु के होते हैं, बाल अपराधी कहलाते हैं।

प्रश्न 52. विकलांगता
उत्तर: विकलांगता वह है जो किसी क्षति अथवा अक्षमता से किसी व्यक्ति की होने वाला वह नुकसान जो उसे उसकी आयु, लिंग, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारकों से संदर्भित सामान्य भूमिका को निभाने से रोकता है।

प्रश्न 53. मील का पत्थर
उत्तर: मील पत्थर बालक के वृद्धि तथा विकास में विराम चिह्नों का कार्य करते हैं। शारीरिक विकास के मील पत्थर सिर से पंजे की ओर अग्रसर होते हैं। अत: बालक पहले अपने सिर पर नियंत्रण रखना सीखता है, तब शरीर, भुजाओं तथा टाँगों पर नियंत्रण रखना सीखता है। ये मील पत्थर माता-पिता को चिकित्सा संबंधी राय बताने के लिए एक मार्गदर्शक प्रदान करते हैं।

प्रश्न 54. स्थायी दाँत
उत्तर: दाँत निकलने की प्रक्रिया एक निरंतर प्रक्रिया है जो 25 वर्ष तक चलती है। दाँत दो प्रकार के होते हैं-अस्थायी दाँत तथा स्थायी दाँत। सभी अस्थायी दाँत निकलने के बाद स्थायी दाँत निकलने प्रारम्भ होते हैं। स्थायी दाँत छः वर्ष से निकलना प्रारम्भ होते हैं। अस्थायी दाँतों की अपेक्षा ये बड़े होते हैं। इसकी अधिकतम संख्या 32 होती है। इसके टूटने के बाद पुनः दाँत नहीं निकलता है।

प्रश्न 55. जीवाणु
उत्तर: जीवाणु एक कोशीय जीव है। सर्वप्रथम एंटोनी वान ल्यूवेन हॉक ने 1675 ई० में अपने ही द्वारा विकसित सूक्ष्मदर्शी की सहायता से जीवाणुओं को देखा। तब से जीवाणुओं की हजारों प्रजातियों को पहचाना जा चुका है। जीवाणु सभी जगहों पर पाये जाते हैं तथा इनका आमाप (size) सूक्ष्म होता है। जीवाणु का औसत आमाप 1.25 μm (1 μm = mm) व्यास का होता है। सबसे छोटे जीवाणु की लम्बाई दंडरूप जीवाणु की होती है जो 0.15 μm होता है। सबसे बड़ा सर्पिल आकार का जीवाणु होता है जो 15 μm लम्बा 1.5 μm तथा व्यास वाला होता है। अनुकूल तापमान पोषण, आर्द्रता जैसे वातावरण में जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी बहुत तेजी से होती है। प्रजनन का सबसे सामान्य तरीका है कोशिका विभाजन या द्विखंडन। कुछ जीवाणु उपयोगी तथा कुछ हानिकारक होते हैं। कुछ उपयोगी जीवाणु दूध को दही में बदलता है और कुछ मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं, परंतु अधिकांश जीवाणु के कारण विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं। जैसे-टॉयफाइड, येन्जाइटिश, हैजा आदि।

प्रश्न 56. विषाणु
उत्तर: विषाणु जीवाणु से भी सूक्ष्म होते हैं। इनकी उपस्थिति का पता या तो उनके परपोषी पर हो रहे प्रभाव के द्वारा लगाया जा सकता है या उन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखकर। वे केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर गुणन करते हैं। किसी विशिष्ट परपोषी कोशिका के अलावा विषाणु का संवर्द्धन करना असंभव है। यह अत्यन्त परपोषी गुण वायरस के समानुपाती सरल संरचना से जुड़ा हुआ है। एक विषाणु में कुछ मात्रा में आनुवांशिक पदार्थ DNA या RNA के रूप में एक सुरक्षित प्रोटीन आवरण से घिरा रहता है। अन्य सूक्ष्म जीवों के विपरीत विषाणु की कोशिकीय संरचना नहीं होती। विषाणु प्रत्येक जगह पाये जाते हैं। जैसे-हवा, जल, मृदा यहाँ तक की जीवित शरीर में भी। विषाणु को क्रिस्टलित किया जा सकता है तथा अनेक वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रश्न 57. सम्प्राति या उद्भवन काल
उत्तर: संक्रामक रोगाणुओं के व्यक्ति के शरीर में प्रवेश से लेकर रोग के लक्षणों के प्रकट होने तक की अवधि को सम्प्राति काल अथवा उद्भवन काल कहा जाता है। प्रत्येक रोग का सम्प्राति काल पृथक होता है। यह संक्रामक रोग की प्रथम अवस्था है। इस अवस्था में रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है और शीघ्रता से वृद्धि करता है।

प्रश्न 58. संक्रामक रोग
उत्तर: संक्रामक रोग शरीर में जीवाणु तथा विषाणु के रूप में प्रवेश करते हैं तथा उपयुक्त तापमान तथा वातावरण प्राप्त करके तीव्र गति से वृद्धि करते हैं। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। संक्रामक रोग प्रतिनिधियों के द्वारा होता है। जीवाणु, विषाणु तथा कृमि सूक्ष्म कीटाणु होते हैं जिनसे संक्रामक रोग फैलते हैं। वायु, जल, भोजन तथा कीड़ों को काटना संक्रमन रोग के माध्यम से होते हैं। अस्वच्छ वातावरण में रोग के जीवाणु तथा विषाणु पनपते हैं जो मानव में प्रविष्ट होकर रोग का कारण बनते हैं।

प्रश्न 59. रोध क्षमता
उत्तर: प्रकृति ने मनुष्य को रोगों से लड़ने की स्वाभाविक क्षमता प्रदान की है, इस क्षमता को रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता दो प्रकार की होती है- (i) प्राकृतिक प्रतिरक्षण एवं (ii) कृत्रिम प्रतिरक्षण।

प्राकृतिक प्रतिरक्षण के अंतर्गत श्वेत रक्ताणु द्वारा एन्टी टॉक्सिन का निर्माण होता है जो संक्रमण से बचाता है। बच्चों में माता के दूध से त्वचा, नाक के बाल तथा अंगों के श्लेष्मा से प्रतिरक्षण होता है। जबकि कृत्रिम प्रतिरक्षण टीके द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 60. प्राकृतिक या जन्मजात रोध क्षमता
उत्तर: वह रोधक्षमता, जो प्रकृति द्वारा जन्मजात पायी जाती है, उसे प्राकृतिक जन्मजात रोधक्षमता कहा जाता है। इस क्षमता को प्राकृतिक रोगप्रतिरोध क्षमता भी कहते हैं। यह क्षमता शरीर में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले रोग विरोधी तत्वों के कारण होती है। यह क्षमता शरीर में तभी बनी रह सकती है जब शरीर में उपस्थित श्वेत रक्त-कण शक्तिशाली हों। ऐसा संभव है जब व्यक्ति का आहार संतुलित तथा पौष्टिक हो और उसने जन्म के तत्काल बाद कोलेस्ट्रम तथा माता का दूध पीया हो।

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