9TH SST

bseb 9 class history notes | नाजीवाद

नाजीवाद

bseb 9 class history notes

class – 9

subject – history

lesson 5 – नाजीवाद

SabDekho.in

नाजीवाद

महत्त्वपूर्ण तथ्य -हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी में नाजीवाद का उत्कर्ष हुआ था। नाजीवाद एक आक्रामक विचारधारा थी जिसमें राष्ट्र की सर्वोपरिता को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता था। व्यक्तिगत स्वतंत्रता को राज्यहित के आगे त्यागने तथा अर्थव्यवस्था पर राज्य के पूर्ण नियंत्रण की बात कही जाती थी। अत: जर्मनी के विरुद्ध हुए अन्याय का बदला लेने और जर्मनी के सम्मान एवं गौरव को लौटाने के लिए हिटलर के नेतृत्व में कई कार्य किए गए जिससे नात्सी क्रांति के रूप में देखा गया। नात्सी क्रांति के मुख्य कारण हैं-
(i) प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय से उत्पन्न असंतोष के कारण उसका शासक कैसर विलियम द्वितीय 10 नवम्बर, 1918 ई. को त्यागपत्र देकर हॉलैण्ड भाग गया। 11 नवम्बर, 1918 ई. को नई सरकार ने अपने नए नेता फ्रेडरिक एबर्ट के नेतृत्व में युद्ध-विराम संधि पर हस्ताक्षर
किया। इसके बाद संविधान सभा की प्रथम बैठक 5 फरवरी, 1919 ई. को हुई तथा वाइमर संविधान लागू हुआ। लेकिन नया संविधान युद्धोपरांत जर्मनी की स्थिति संभालने में असफल रहा।
(ii) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 28 जून, 1919 ई० को जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया गया जो काफी कठोर तथा अपमानजनक थी। जर्मनी का अंग-भंग कर दिया गया। ऑल्सेस लॉरेन का क्षेत्र फ्रांस को लौटा दिया गया तथा जर्मनी स्थित ‘सार क्षेत्र” 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। आर्थिक क्षतिग्रस्त जर्मनी को क्षतिपूर्ति के नाम पर एक बहुत बड़ी राशि विजयी राष्ट्रों को देनी थी। औद्योगिक नगर छिन लिए गए। जर्मनी के उद्योग व्यापार पूरी तरह नष्ट हो गए। अतः सारे जर्मनी में असंतोष फैला हुआ था जिसने हिटलर के उदय का रास्ता तैयार किया।
(iii) मित्र राष्ट्रों द्वारा क्षतिपूर्ति की रकम के लिए हमेशा दबाव बना या जाता था। आर्थिक क्षतिपूर्ति के नाम पर जर्मनी पर 6 अरब 10 करोड़ पौंड का जुर्माना लगाया गया था जो कि आर्थिक तौर पर क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अदा करना जर्मनी के लिए संभव नहीं था।
(iv) 1917 की रूसी क्रांति के बाद जर्मनी में भी साम्यवादी संगठनों का निर्माण होने लगा था जो वाइमर गणतंत्र को उखाड़ फेंकना चाहते थे। जिसकी वजह से जर्मनी का उद्योगपति, पूँजीपति एवं जमींदार वर्ग काफी भयभीत हो गया था। हिटलर ने साम्यवाद विरोधी नारा देकर इस
वर्ग की सहानुभूति भी अपने पक्ष में कर ली। अतः प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में नाजीवाद अर्थात् हिटलर के उदय के लिए मूलरूप से जर्मनी की तात्कालिक स्थिति जिम्मेवार थी। चारों ओर फैले अराजकता एवं निराशा के
वातावरण के कारण जनता वैकल्पिक नेतृत्व के बारे में सोच रही थी। हिटलर ने जनता से खुशहाली तथा राष्ट्र के गौरव की पुर्नस्थापना का वादा किया तथा जनता ने अपना भविष्य उसके हाथों में सौंप दिया। हिटलर एवं उसके कार्य
एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 को ऑस्ट्रिया के ब्रौना नामक शहर में हुआ था। प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में वह जर्मनी की तरफ से लड़ा था तथा वीरता के लिए उसे आयरन क्रॉस मिला था। युद्ध के बाद वह ‘जर्मन वर्कस पार्टी’ का सदस्य बना तथा धीरे-धीरे वह
इसका नेता बन गया। उसकी नीति थी कि अफवाहों को इतना फैलाओ कि वह सत्य प्रतीत होने लगे। जर्मन प्रदेश पर फ्रांस का आधिपत्य हो जाने पर 1923 ई० में उसने वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह किया पर उसे बंदी बना लिया गया जहाँ उसने जेल में अपनी प्रसिद्ध आत्मकथा
‘मीनकैम्फ’ की रचना की। 1924 ई. के अंत में उसे रिहा कर दिया गया। रिहा होने के बाद उसने ‘स्वास्तिक’ चिह्न को अपनी पार्टी के प्रतीक के रूप में ग्रहण किया और अपनी नाजी पार्टी का गठन नए सिरे से किया। 1924 ई० में जर्मनी के निम्न सदन के चुनाव में जहाँ नाजी पार्टी को 32स्थान मिले थे वहीं 1928 के चुनाव में यह घटकर केवल 12 रह गया। इसी समय 1929 ई. को प्रारंभ हुए मंदी ने हिटलर को नया मौका दिला । हिटलर ने परिस्थिति का लाभ उठाते हुए वाइमर गणतंत्र वर्साय की संधि तथा यहूदियों के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया। अतः मध्यवर्ग तथा नौजवान उसके प्रबल समर्थक बन गए। 1930 ई. के चुनाव में उसे 107 सीटें मिली तथा 1932 ई. के चुनाव में 230 सीटें मिलीं। राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी 1933 में हिटलर को चांसलर मनोनीत किया। अतः सत्ता प्राप्त करते ही उसने चुनाव की घोषणा कर दी तथा ऐसी व्यवस्था की कि केवल नाजी पार्टी के लोग ही चुनाव जीत सके। इस प्रकार जर्मन गणतंत्र की समाप्ति हुई तथा नात्सी क्रांति की शुरुआत हुई, जिसे हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ का नाम दिया। अगस्त 1934 में हिडेनबर्ग की मृत्यु के बाद चांसलर तथा राष्ट्रपति के पद को मिलाकर एक कर
दिया गया। अब हिटलर जर्मनी का सर्वेसर्वा बन गया।
नाजीवादी दर्शन
(i) नाजीवाद उदारवाद तथा लोकतंत्र का कट्टर विरोधी था। अत: प्रेस तथा वाक् अभिव्यक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया गया। विरोधी दलों का सफाया कर दिया गया। शिक्षण संस्थाओं तथा जनसंचार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इस प्रकार जर्मनी में लोकतांत्रिक आवाज को दफन
करने का प्रयाल किया गया।
(ii) हिटलर ने समाजवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद किया इसीलिए उसे जर्मन पूँजीपतियों को अपनी ओर मिला लिया। अतः हिटलर को इंग्लैंड तथा फ्रांस की ओर से भी समर्थन मिला जिसके कारण उसका मनोबल बढ़ता गया।
(iii) नाजीवादी दर्शन के अनुसार सब कुछ राज्य में ही समाहित है। अर्थात् राज्य के भीतर ही सब कुछ है। राज्य के बाहर कुछ नहीं है।
(iv) जर्मनी में प्रारम्भ से ही उग्र राष्ट्रवाद एवं सैनिक तत्व की परंपरा रही है। हिटलर ने जर्मनी के इस मनोवृत्ति का लाभ उठाया तथा अपने आक्रामक बातों से पूरे जर्मनवासियों को अपमान का बदला लेने के लिए मानसिक स्तर पर तैयार किया।
(v) नाजीवाद शासक को निरंकुश शासन की शक्ति प्रदान करता है। सत्ता में आते ही उसने गुप्तचर पुलिस का गठन किया। विरोधियों के दमन के लिए विशेष कारागृह की स्थापना की, समाजवादियों का राजनैतिक जीवन समाप्त कर दिया। अतः जर्मनी में एक ही नेता सर्वेसर्वा बन गया था-हिटलर।
(vi) नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को सर्वोपरि माना जाता था। इस प्रकार जर्मनी में फैले असंतोष का फायदा हिटलर ने उठाया। उसने जर्मनी को यूरोप की औद्योगिक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। लेकिन उसने अपनी शक्ति का प्रयोग नकारात्मक दिशा में किया।
नाजीवाद का प्रभाव-
(i) स्वतंत्रता विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहन मिला।
(ii) सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत कोआघात पहुँचा।
(iii) साम्यवाद विरोधी आंदोलनों में तेजी आई।
(iv) यूरोप में तुष्टिकरण की नीति का प्रचलन हुआ।
(v) द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) की शुरुआत हुई।
हिटलर की विदेश नीति के मूल सिद्धांत थे-
(i) वर्साय संधि को भंग करना,
(ii) सारी जर्मनी को एक में संगठित करना,
(iii) साम्राज्य का विस्तार करना,
(iv) साम्यवाद के प्रसार को रोकना।
इनकी प्राप्ति के लिए निम्नलिखित कदम उठाए-
(i) सर्वप्रथम 1933 में जर्मनी ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ दी।
(ii) 1935 में हिटलर ने वर्साय संधि की नि:शस्त्रीकरण संबंधी सभी धाराओं को तोड़कर जर्मनी को वर्साय की संधि से मुक्त करवाया।
(ii) हिटलर ने 1934 में पोलैंड के साथ दस वर्षीय अनाक्रमण संधि की जिसके अंतर्गत वे एक-दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करेंगे।
(iv) जून 1935 में जर्मनी तथा ब्रिटेन में यह समझौता हुआ कि जर्मनी अपनी सैन्य-शक्ति बढ़ा सकता है बशर्ते कि वह अपनी नौसेना 35 प्रतिशत से अधिक ना बढ़ाए।
(v) हिटलर ने इटली की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया तथा इस प्रकार रोम-बर्लिन धुरी का
(vi) 1936 ई० में साम्यवादी खतरों से बचने के लिए जर्मनी, इटली एवं जापान के बीच कामिर्टन विरोधी समझौता हुआ जो बाद में धुरी राष्ट्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
(vii) हिटलर जर्मन भाषा तथा जाति के लोगों को एक सूत्र में बाँधना चाहता था। अतः उसने सर्वप्रथम आस्ट्रिया को अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके पश्चात 1938 के म्यूनिख सम्मेलन में सुडेटनलैंड भी जर्मनी को दे दिया गया लेकिन वह तो पूरे चेक गणराज्य को जर्मनी में मिला लेना चाहता था। अतः 1939 में उसने चेक गणराज्य पर अधिकार कर लिया। इसके बाद उसने मेमेल बंदरगाह पर भी आक्रमण कर दिया ।
(viii) पोलैंड को बाल्टिक सागर तक पहुँचने के लिए जर्मनी का कुछ भू-भाग पोलिश गलियारे के रूप में दे दिया गया। इसी गलियारे की माँग पर 1 सितम्बर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया तथा द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई। प्रारंभ में तो जर्मनी को आशातीत सफलता मिली लेकिन बाद में मित्र राष्ट्रों की शक्ति के आगे वह पराजित होने लगा। 1945 में जब विजयी सेनाएँ बर्लिन पहुँची तो हिटलर अपने बंकर में आत्महत्या कर चुका था। इस प्रकार एका तानाशाही शासन का अंत हुआ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क)जर्मनी
(ख) इटली
(ग) जापान
(घ) आस्ट्रिया
उत्तर-(घ)
2.
नाजी पार्टी का प्रतीक चिह्न क्या था ?
(क) लाल झंडा
(ख) स्वास्तिक
(ग) ब्लैक शर्ट
(घ) कबूतर
उत्तर-(ख)
3.
‘मीनकैम्प’ किसकी रचना है ?
(क) मुसोलिनी
(ख) हिटलर
(ग) हिण्डेनवर्ग
(घ) स्ट्रेसमैन
उत्तर-(ख)
4. जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था-
(क) आल्सन-लॉरेन
(ख) रूर
(ग) इवानेष
(घ) बर्लिन
उत्तर-(ख)
5.जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था ?
(क) डॉलर
(ख)पौंड
(ग) मार्क
(घ) रूबल
उत्तर-(ख)
2. सही कथनों का चुनाव करें:
1. हिटलर लोकतंत्र समर्थक नहीं था। (√)
2. नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी समर्थक था। (×)
3. नाजीवाद में निरंकुश शासन का प्रावधान था। (√)
4. वर्साय संधि में हिटलर के उत्कर्ष के बीज निहित थे। (√)
5. नाजीवाद में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को गौरवान्वित किया जाता है। (√)
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1.हिटलर का जन्म…………..ई. में हुआ था।
उत्तर-1889
2.हिटलर जर्मनी के चांसलर का पद….. ई. में संभाला था। उत्तर-1933
3. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद….ई० में किया था।
उत्तर-1933
4. नाजीवाद का प्रवर्तक……. था।
उत्तर-हिटलर
5.जर्मनी के निम्न सदन को…….कहा जाता था।
उत्तर-राइखस्टैग।
20 शब्दों में उत्तर दें:
1. तानाशाह
उत्तर-तानाशाही शासन के अंतर्गत शासन करनेवाले शासक को तानाशाह कहते हैं। तानाशाही शासन, शासक को शासन की निरंकुश शासन की शक्ति प्रदान करता है।
2. वर्साय संधि
उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका का पेरिस के उपनगर वर्साय में 28 जून, 1919 को जर्मनी के साथ एक संधि हुई थी, जिसे वर्साय की संधि कहते थे।
3. तुष्टीकरण की नीति
उत्तर-अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी एक देश को किसी अन्य देश पर आक्रमण करने के लिए राजी कर लेने की नीति को तुष्टिकरण की नीति कहते हैं।
4. वाइमर गणराज्य
उत्तर-जर्मनी में संविधान सभा की प्रथम बैठक 5 फरवरी, 1919 ई. को वाइमर नामक स्थान में हुई। इसलिए यह संविधान वाइमर संविधान या वाइमर गणतंत्र कहते हैं तथा इस स्थान को वाइमर गणराज्य कहते हैं।
5. साम्यवाद
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात कई राजतंत्रों के नष्ट होने के पश्चात लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का उदय हुआ जिसे साम्यवादी सरकार तथा इस व्यवस्था को साम्यवाद कहते हैं।
6. तृतीय राइख
उत्तर-जर्मन गणतंत्र की समाप्ति के पश्चातनात्सी क्रांति की शुरूआत हुई जिसे हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ का नाम दिया।
सही मिलान करें:
1. गेस्टापो
उत्तर-(गुप्तचर पुलिस)
2. वाइमर
उत्तर-(जर्मनी का शहर)
3. सिनेगॉव
उत्तर-(यहूदियों के प्रार्थनागृह)
4. ब्राउन शर्टस
उत्तर-(निजी सेना)
5. हिंडेनबर्ग
उत्तर-(जर्मन राष्ट्रपति)



लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की। कैसे ?
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 28 जून, 1919 ई. को जर्मनी को वर्साय की संधि की कठोर तथा अपमानजनक वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था। इस संधि द्वारा जर्मनी का अंग-भंग कर दिया गया। आल्सेस-लारेन का क्षेत्र फ्रांस को लौटा दिया गया तथा जर्मन क्षेत्र में स्थित “सार” नामक कोयले की खान 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया तथा उस क्षेत्र का शासन राष्ट्रसंघ को सौंप दिया गया। राइन नदी घाटी क्षेत्र को सेना रहित करने का निर्णय किया गया। सैनिक दृष्टिकोण से भी जर्मनी को पंगु बना दिया गया था। अत: वर्साय की संधि ने जर्मनी में असंतोष फैला दिया था जिसकी वजह से हिटलर के उदय की पृष्टभूमि तैयार की गई।
प्रश्न 2. वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक हुआ। कैसे?
उत्तर-प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय से उत्पन्न अनियंत्रित स्थिति को संभालने में शासक कैसर विलियम द्वितीय असमर्थ था। अत: त्यागपत्र देने के पश्चात् 10 नवम्बर, 1918 ई० को वह हॉलैंड भाग गया। इसके पश्चात् समाजवादी प्रजातांत्रिक दल ने सत्ता अपने हाथ में लेकर
जर्मनी में गणतंत्र की स्थापना की। 11 नवम्बर 1918 ई० को इस नई सरकार ने युद्ध विराम संधि पर हस्ताक्षर कर दिया।
इसके बाद संविधान सभा का चुनाव हुआ तथा इसकी प्रथम बैठक 5 फरवरी, 1919 को वाइमर नामक स्थान पर हुई। इसीलिए यह संविधान वाइमर संविधान के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह संविधान 10 अगस्त, 1919 ई० को हुआ। वाइमर संविधान में राष्ट्रपति को आपातकालीन
शक्तियाँ प्रदान की गई थीं। परन्तु नया वाइमर गणतंत्र युद्धोपरांत जर्मनी की स्थिति संभालने में असफल रहा। अतः जनता में काफी आक्रोश था जो नाजीवाद के उदय में सहायक हुआ।
प्रश्न 3. नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की। कैसे ?
उत्तर-नाजीवाद उदारवाद एवं लोकतंत्र का कट्टर समर्थक थी। नाजीवाद कार्यक्रम के अंतर्गत लोकतांत्रिक आवाज को दफन करने का प्रयास किया गया जो राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध हुआ। यह दर्शन अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद का प्रबल विरोधी था। हिटलर ने समाजवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद किया जिसे इंग्लैंड तथा फ्रांस की ओर से अप्रत्यक्ष समर्थन मिला जिसके कारण उसका मनोबल बढ़ता गया। इसके कार्यक्रमों के अंतर्गत राज्य ही सर्वेसर्वा है। उग्र राष्ट्रवाद तथा सैनिक तत्त्व की परंपरा रहने के कारण हिटलर ने अपने आक्रामक बातों से जर्मन जनता को अपने
अपमान का बदला लेने के लिए भड़काया। अतः पूरे जर्मन में युद्ध का माहौल दिखाई देने लगा। जर्मनी में हिटलर ने निरंकुश शक्ति का सहारा लिया। सत्ता में आते ही उसने गुप्तचर पुलिस का संगठन किया। राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए विशेष कारागृह का निर्माण किया।
समाजवादियों का राजनैतिक जीवन समाप्त कर दिया तथा खुद सर्वेसर्वा बन गया। हिटलर ने जर्मनी में असंतोष का फायदा उठाया। उसने जर्मनी की आर्थिक स्थिति में सुधार किया तथा उसे जर्मनी को सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित किया। लेकिन हिटलर ने अपनी शक्ति का उपयोग
नकारात्मक दिशा में किया जो आगे चलकर द्वितीय विश्वयुद्ध का जनक बना।
प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया?
उत्तर-रूसी क्रांति के बाद जर्मनी में भी साम्यवादी संगठनों का निर्माण होने लगा। साम्यवादी वहाँ वाइमर गणतंत्र उखाड़कर सर्वहारा वर्ग का अधिनायकवाद लाने का प्रयास करने लगे। अतः जर्मनी का उद्योगपति, पूँजीपति एवं जमींदार वर्ग काफी भयभीत हो गये और हिटलर इस बात का फायदा उठाने लगा तथा जर्मन पूँजीपतियों को अपना समर्थक बनाया।
प्रश्न 5. रोम-बर्लिन टोकियो धुरी क्या है ?
उत्तर-हिटलर की आक्रामक नीति के कारण जर्मनी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी से बिल्कुल अलग हो गया। जर्मनी के अलग हो जाने पर हिटलर को एक मित्र की तलाश थी, और उसने मित्रता के लिए इटली की ओर हाथ बढ़ाया और इस प्रकार रोम-बर्लिन टोकियो धुरी का निर्माण हुआ।

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर-हिटलर का पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था। उसका जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० को ऑस्ट्रिया के ब्रौना नामक शहर में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन में वह चित्रकार बनना चाहता था, पर आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसकी इच्छा पूरी न हो सकी और उसने में नौकरी कर ली। प्रथम विश्वयुद्ध के वक्त हिटलर जर्मनी की तरफ से लड़ा था और युद्ध में अपनी वीरता के लिए उसे ‘आयरन क्रॉस’ प्राप्त हुआ था। युद्ध समाप्त होने पर वह ‘जर्मन वकर्स’ पार्टी का सदस्य बना और बाद में वह इस पार्टी का नेता बन गया। इसके बाद हिटलर ने रूडोल्फ और गोबल्स जैसे हंगामा करने वालों को इकट्ठा किया, जिसकी नीति थी-अफवाह को इतना फैला दो कि वह सत्य प्रतीत होने लगे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद जो संधि हुई उसमें जर्मनी का सबसे औद्योगिक प्रदेश रूर पर फ्रांस का कब्जा हो गया। फ्रांस का रूर पर कब्जे का जर्मनवासियों ने विरोध किया। हिटलर ने इस विरोध का फायदा उठाकर लूडेनडार्फ के साथ मिलकर 1923 ई० में वाइमर गणतंत्र का विरोध कर दिया। विद्रोह के असफलता के कारण हिटलर को जेल जाना पड़ा। जेल में ही उसने अपनी प्रसिद्ध आत्मकथा ‘मीनकैम्फ’ की रचना की। 1924
ई. में हिटलर जेल से रिहा हो गया और अपनी पार्टी को नए सिरे से संगठित किया। उसने अपनी पार्टी का प्रतीक चिह्न ‘स्वास्तिक’ को बनाया। हिटलर की पार्टी का नाम ‘नाजी पार्टी’ रखा गया। 1924 ई. में जर्मनी के निम्न सदन ‘राइखस्टैग’ के चुनाव में नाजी पर्टी को 32 स्थान मिले थे,
जो कि 1928 के चुनाव में इसकी संख्या घटकर 12 हो गई। इसके फलस्वरूप जर्मनी में नाजी पार्टी के साथ ही हिटलर का प्रभाव भी कम होने लगा। 1929 ई. में विश्व में आर्थिक मन्दी आई, जिससे सबसे अधिक प्रभावित जर्मनी हुआ। हिटलर ने इस वक्त का फायदा उठाते हुए वाइमर
गणतंत्र, वर्साय संधि और यहूदियों के खिलाफ लोगों को भड़काने लगा और जर्मनी की वर्तमान दुर्दशा के लिए उन्हें ही जिम्मेवार ठहराने लगा। उसने वहाँ के मध्यवर्ग, बेकार नौजवानों को अपनासमर्थक बनाया। साम्यवाद का हौवा खड़ा करके उसने वहाँ के उद्योगपतियों को भी अपना समर्थक बना लिया। 1930 ई० में वहाँ चुनाव हुआ, जिसमें नाजी पार्टी को वहाँ 107 सीटें मिलीं तथा 1932 के चुनाव में 230 सीटें मिलीं। फिर भी उसे सरकार बनाने का मौका नहीं मिला। लेकिन बाद में वहाँ के राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी, 1933 को हिटलर को चांसलर मनोनीत किया। सत्ता प्राप्त करते ही हिटलर ने चुनाव कराया और उस चुनाव प्रणाली का संगठन इस प्रकार से किया गया था, कि जीत नाजी पार्टी की हो। नाजी पार्टी के चुनाव जीतने पर जर्मन से गणतंत्र पूरी तरह से समाप्त हो गया और नात्सी क्रांति की शुरुआत हुई, जिसे हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ का नाम दिया। वहाँ के राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग की मृत्यु अगस्त, 1934 ई. में हो गई। उनकी मृत्यु के बाद चांसलर और राष्ट्रपति के पद को मिलाकर एक कर दिया गया। जिसके फलस्वरूप हिटलर वहाँ का सर्वेसर्वा हो गया। उसके नाजीवादी दर्शन एवं विदेश नीति के कारण पूरे विश्व में तनाव का वातावरण बना और द्वितीय विश्वयुद्ध नजदीक दिखने लगा। हिटलर के नाजीवादी दर्शन के फलस्वरूप यूरोप के अन्य देशों में स्वतंत्रता विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहन मिला। शांति विरोधी वातावरण का निर्माण हुआ तथा सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत को आघात पहुँचा। साम्यवाद विरोधी आंदोलनों में तेजी आई। तुष्टीकरण की नीति का प्रचलन शुरू हुआ तथा अंततः द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई।
प्रश्न 2 हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा पाने का एक साधन था। कैसे ?
उत्तर-हिटलर ने वाइमर गणतंत्र एवं मित्र राष्ट्रों के खिलाफ बदले की भावना को ध्यान में रखते हुए विदेश नीति का निर्धारण किया था।
उसकी विदेश नीति के मुख्य सिद्धांत थे-
1. वर्साय की संधि को भंग करना।
2. सारी जर्मनी जाति को एक सूत्र में संगठित करना।
3. जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना।
4. साम्यवाद के प्रसार को रोकना।
अपने इन सिद्धांतों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित कदम उठाए।
(i) राष्ट्रसंघ से पृथक होना-हिटलर ने वर्साय की संधि के द्वारा जर्मनी पर 1933 में लगाए गए जेनेवा निःशस्त्रीकरण की शर्ते सभी राष्ट्रों के समान रूप से लागू करने की माँग की लेकिन जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने जर्मन प्रतिनिधियों को वापस बुला लिया तथा जर्मनी को वर्साय की संधि से मुक्त घोषित कर दिया।
(ii) पोलैंड के साथ दस वर्षीय समझौता-1934 ई. में हिटलर ने पोलैंड के साथ दस वर्षीय अनाक्रमण संधि की जिसके अंतर्गत तय हुआ कि वे एक-दूसरे की सीमाओं का उल्लंघन नहीं करेंगे।
(iii) ब्रिटेन से समझौता-जून, 1935 में जर्मनी तथा ब्रिटेन में समझौता हो गया जिसकेअनुसार यह तय हुआ कि जर्मनी अपनी सैन्य शक्ति अर्थात् स्थल तथा वायु सेना बढ़ा सकता है बशर्ते कि वह अपनी नौ सेना 35 प्रतिशत से अधिक ना बढ़ाए। यह हिटलर की एक बड़ी कूटनीतिक विजय थी।
(iv) वर्साय की संधि को भंग करना-हिटलर ने 1935 ई. में जर्मनी पर लादे गए वर्साय संधि की निशस्त्रीकरण संबंधी सभी धाराओं को तोड़ते हुए सभी घरों में अनिवार्य सैनिक सेवा लामू कर दी तथा स्पष्टतः जर्मनी को वर्साय की संधि से मुक्त घोषित कर दिया।
(v) रोम बर्लिन धुरी-हिटलर की आक्रामक नीति की वजह से जर्मनी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में बिल्कुल अलग हो गया था। अतः मित्र की तलाश में उसने इटली की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया। इस प्रकार रोम-बर्लिन धुरी का निर्माण हुआ। इन्होंने स्पेन के सैनिक शासक जनरल फ्रैंको को भी मदद पहुँचाई।
(vi) कामिन्टन विरोधी समझौता-साम्यवादी खतरों से बचने के लिए 1936 ई० में जर्मनी, इटली एवं जापान के बीच कामिन्टन विरोधी समझौता हुआ जो भविष्य में धुरी राष्ट्र
के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
(vii) ऑस्ट्रिया एवं चेकोस्लोवाकिया का विलयन-हिटलर जर्मन भाषी एवं भाषियों को एक सूत्र में बाँधना चाहता था। आस्ट्रिया के लोग जर्मन भाषी थे। अत: हिटलर आस्ट्रिया को जर्मन साम्राज्य में मिला लेना चाहता था। प्रारंभ में इटली ने विरोध किया लेकिन हिटलर ने इसकी परवाह ना करते हुए अंततः आस्ट्रिया को जर्मन साम्राज्य में मिला लिया। इसी प्रकार चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड में जर्मन जाति के लोग रहते थे। इसलिए हिटलर ने चेक सरकार से सुडेनटनलैंड की माँग की जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। इटली, फ्रांस एवं इंग्लैंड के अनुरोध पर 1938 के म्यूनिख समझौते के द्वारा उसे सुडेटनलैंड दे दिया गया। लेकिन हिटलर तो पूरे चेक गणराज्य पर अधिकार चाहता था। अत: उसने 1939 में समस्त चेक गणराज्य पर अपना अधिकार कर लिया।
(viii) पोलैण्ड पर आक्रमण-पोलैण्ड को बाल्टिक सागर तक पहुँचने के लिए जर्मनी का कुछ भू-भाग पोलिश गलियारे के रूप में दे दिया गया था। हिटलर ने डान्जिंग बन्दरगाह तथा पोलिश गलियारे की माँग की तथा 1 सितम्बर 1939 को उसने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया।
इसी के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया। प्रारंभ में हिटलर को सफलता मिली लेकिन मित्र राष्ट्रों की शक्ति के सामने उसे हार स्वीकार करनी पड़ी। 1945 में जब विजयी सेनाएँ बर्लिन पहुँची तो हिटलर अपने बंकर में आत्महत्या कर चुका था। इस प्रकार एक तानाशाही शासक का अंत हुआ।
प्रश्न 3. नाजीवाद दर्शन निरंकुशता समर्थक एवं लोकतंत्र विरोधी था। विवेचना करें।
उत्तरनाजीवाद दर्शन अर्थात् नाजीवादी विचारधारा एक निरंकुश शासन का समर्थन करतीथी।
उसके प्रमुख सिद्धांत थे-
(i) नाजीवाद उदारवाद एवं लोकतंत्र का कट्टर विरोधी था। इसीलिए सत्तासीन होते ही उसने ‘ प्रेस-वाक् अभिव्यक्ति अर्थात् विचारों तथा बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने विरोधी दलों का सफाया कर दिया। शिक्षण संस्थानों तथा जनसंचार पर प्रतिबंध लगा दिया। अर्थात्
लोकतांत्रिक आवाज को दफन करने की पूरी कोशिश की गई।
(ii) नाजीवाद समाजवाद का प्रबल विरोधी है। हिटलर ने सत्ता प्राप्त करने के लिए समाजवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद करके जर्मन पूँजीपतियों का समर्थन प्राप्त किया था। हिटलर के इस कार्य को अप्रत्यक्ष रूप से फ्रांस तमा इंग्लैंड की तरफ से भी समर्थन मिला जिससे उसका मनोबल बढ़ा। नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य पर आधारित था अर्थात् राज्य के भीतर ही सबकुछ है। राज्य के बाहर कुछ नहीं है।
(iv) हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही उग्र राष्ट्रवाद पर बल दिया हैं। जर्मनी में प्रारंभ से ही उग्र राष्ट्रवाद एवं सैनिक तत्व की परंपरा रही है जिसका फायदा उठाकर हिटलर ने अपने आक्रामक भाषणों से जर्मन जनता को अपने अपमान का बदला लेने के लिए मानसिक स्तर पर तैयार किया।
(v) नाजीवाद शासक को निरंकुश शक्ति प्रदान करता है। अतः सत्ता में आते ही हिटलर ने गुप्तचर पुलिस का गठन किया, राजनीतिक विरोधियों के दमन के लिए विशेष कारागृहों का निर्माण करवाया। राइखस्टाग की इमारत में आग हिटलर ने लगवाई तथा इल्जाम विरोधियों पर डाल कर उनका राजनैतिक जीवन समाप्त कर दिया। इस प्रकार अब जर्मनी में एक ही पार्टी थी तथा एक ही नेता था।
(vi) नाजीवादी दर्शन सैनिक शक्ति तथा हिंसा को प्रोत्साहित करता था। इस प्रकार अपने नाजीवादी कार्यक्रमों में हिटलर ने हर वो कार्य किया जो लोकतांत्रिक एवं साम्यवादी विचारों को दबा सके तथा हिटलर को जर्मनी का सर्वेसर्वा बना दे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *