class 9th hindi notes | कुछ सवाल
कुछ सवाल
class 9th hindi notes
वर्ग – 9
विषय – हिंदी
पाठ 12 – कुछ सवाल
कुछ सवाल
कवि – परिचय
पाब्लो नेरूदा का जन्म दक्षिणी अमेरिकी देश चीली के पराल शहर में 12 जुलाई , 1904 ई . को हुआ था । नेरूदा का मूल नाम नेफताली रिकार्डी रेयेस वसोआल्टो था , किंतु चेकोस्लोवाकिया के प्रसिद्ध कवि जान नेरूदा की स्मृति में उन्होंने अपना यह नाम लिखना आरंभ किया और इसी नाम से प्रसिद्धि पायी । उन्होंने सातियोगों के चीली विश्वविद्यालय में फ्रेंच और शिक्षाशास्त्र की पढ़ाई की । नेरूदा की ख्याति एक विचारक और लेखक के साथ – साथ राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूपमें भी रही है । 1927 ई . में नेरूदा को कौंसुलर बनाकर बर्मा भेजा गया । आठ वर्षों तक वह सीलोन , जावा , सिंगापुर , ब्यूनस आयर्स ; मैड्रिड और वार्सिलोना में काम करते रहे । स्पेन के गृहयुद्ध में रिपब्लिकन्स के पक्ष में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका थी । 1950 ई . में पिकासो और पॉल रॉब्सन के साथ उन्हें विश्वशांति पुरस्कार दिया गया । 1973 ई . में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला । 1973 ई . में ही सैनिक प्रतिक्रांति के जरिए अय्येदे सरकार के तख्तापलट के ठीक बाद उनका देहांत हो गया ।
नेरूदा की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं – ट्वेंटी लव पोयम्स एंड ए साँग ऑफ डिस्पेयर ; रेजिडेंस ऑन अर्थ कॅटी जनरल , दि कैप्टेंस वसस । उनकी आत्मकथा ‘ मेमोयर्स ‘ . दुनिया भर में पढ़ी गयी ।
कविता का भावार्थ
इस कविता में पाब्लो नेरूदा ने परिवर्तन का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए कहना चाहा है पारंपरिक कार्यकारण पद्धति से ही सबकुछ नहीं होता । देश – काल और प्रसंग के अनुसार विविध ता का स्वीकार भी प्रकृति का स्वाभाविक नियम है । इस स्थापना के उदाहरण के रूप में कवि समुद्र के पानी आदि की प्रकृति की चर्चा करता है ।
कवि कहता है कि यदि स्थापित कार्य – कारण नियम के अनुसार ही सब कुछ होता है तो समुद्र का पानी खारा कैसे हो जाता है , जबकि उसमें गिरने वाली सारी नदियों का पानी मीठा होता है । ऋतु – परिवर्तन के साथ पेड़ – पौधों आदि में पुराने छाले , पत्ते आदि छूटते – टूटते और नये निकलते हैं , ऐसा होना भी किसी स्थापित नियम के तहत नहीं दिखता । जाड़े में संकुचन की स्थिति बनती है और घास कटने के बाद अधिक तीव्रता से बढ़ती – फैलती है ।
कवि प्रकृति की अंत : स्थ गतिशीलता – परिवर्तनशीलता की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता है । पूछने की शैली में वह कहता है कि जड़ों की स्वाभाविकता धरती के अंदर जाना है परंतु क्यों और कैसे वे जड़ें बाहर निकल आती हैं । रंग और फूलों में अपनी अलग – अलग विशेषताएँ होती हैं , जो किसी लीक से बँधी नहीं होती । हर फूल – फल , पेड़ – पौधे आदि हवाओं का स्वागत अपने – अपने ढंग से करते हैं । यहाँ तक कि वसंत ऋतु भी हर वर्ष , हर समय और हर किसी के लिए एक नहीं होता । वह देश – काल के अनुरूप विविध रूप – रंग सहज ही स्वीकार करता रहता है ।
कविता के साथ
प्रश्न 1. समुद्र के खारेपन तथा नदियों के मीठेपन को इंगित कर कवि प्रकृति के किस सत्य से परिचित कराना चाहते हैं ?
उत्तर – कवि ने प्रकृति में परिवर्तन के महत्त्व से परिचित कराना चाहा है और यह कहना चाहा है कि पारंपरिक कार्य – कारण पद्धति से ही सबकुछ नहीं होता । देशकाल और प्रसंग के अनुसार विविधता का स्वीकार भी प्रकृति का स्वाभाविक नियम है । जैसे नदी का पानी मीठा होता है लेकिन समुद्र में मिलकर वह खारा हो जाता है अर्थात् पानी का मीठा से खारा होना परिवर्तन ही है । इसी परिवर्तन के सत्य से कवि परिचित कराना चाहता है ।
प्रश्न 2. कवि अपने सवालों के माध्यम से प्रकृति में होनेवाली दो असमान घटनाओं विध्वंस और निर्माण को साथ दिखलाते हैं । पठित कविता में कुछ उदाहरण देकर इसे अपने शब्दों में समझाइए ।
उत्तर – कवि प्रश्न करता है कि ” यदि सारी नदियाँ मीठी हैं तो समुद्र नमक कहाँ से पाता है ? ” ‘ तो ‘ यहाँ इस परिवर्तन का द्योतक है , मीठा से खारा बनने तक । एक तरफ मीठा का -विध्वंस ( नाश ) होता है को दूसरी तरफ खारा अर्थात नमक का निर्माण । यह प्रकृति में होनेवाली दो असमान घटना विध्वंस और निर्माण को दर्शाता है । यह कार्य – कारण संबंध के अनुसार नहीं होता है । चूँकि समुद्र में लवणों की मात्रा अधिक होती है इसी कारण मीठा पानी मिलकर खारा हो जाता है । इसी तरह ” और दूसरी कटाई की घास इतनी चंचल उड्डीयमान ” । दूसरी कटाई के बाद घास को मर जाना चाहिए था । लेकिन वह दुगनी तेजी से अपना विकास करता है ।
प्रश्न 3. इस कविता को पढ़कर आपको क्या संदेश मिला ?
उत्तर – देखें कविता का सामान्य अर्थ ।
प्रश्न 4. कवि ने प्रकृति को शक्ति कहा है- ” ऋतुओं को कैसे मालूम पड़ता है कि अब पोलके बदलने का वक्त आ गया है . पंक्ति में प्रकृति के किस प्रकार के बदलाव को कवि ने प्रकट करना चाहा है ?
उत्तर – कवि प्रकृति की अंतस्थ गतिशीलता – परिवर्तनशीलता की तरफ दिखाना चाहता है कि ऋतु परिवर्तन के साथ पेड़ – पौधों आदि में पुराने छाले पत्रं आदि छूटते टूटते और नये पत्ते , नयीं टहनियाँ निकलती हैं । ऐसा होना किसी स्थापित नियम के तरह नहीं दिखता है । जाड़े में संकुचन की स्थिति बनती है , यास कटने के बाद अधिक तीव्रता से बढ़ती फैलती है । जड़ों की स्वाभाविकता धरती के अंदर जाना है परंतु बाहर निकल आती है । इस तरह के बदलाव को देखकर कवि प्रश्न खड़ा करता है ।
प्रश्न 5. ‘ कुछ सवाल ‘ शीर्षक कहाँ तक सार्थक है ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।
उत्तर – कवि प्रकृति में होनेवाली हर घटना पर सूक्ष्म दृष्टि रखता है और उसे देश – काल , परिस्थिति , कार्य – कारण संबंध , पारस्परिक मान्यता से जोड़कर देखता है तो वह पाता है कि सबकुछ स्थापित मानदंड के अनुसार घटित नहीं हो रहा है बल्कि सबका अपना अलग – अलग अंदाज है । वे सब अपनी विशेषताएँ लिये हुए हैं । इसीलिए वह ‘ कुछ सवाल ‘ करता है । वह सवाल करता है कि नदियों के मोठे होने के बावजूद समुद्र खारा बयों है , ऋतु – परिवर्तन क्यों होते हैं , घास कटने के बाद बढ़ता क्यों है । इसी तरह के अनेक सवाल करता है । इस तरह परिवर्तन में , विध्वंस और निर्माण दोनों तरह की स्थितियाँ हैं । इन कारणों के पड़ताल हेतु ‘ कुछ सवाल ” शीर्षक सार्थक है ।
प्रश्न 6. क्या वसंत हर व्यक्ति या परिवेश या परिस्थिति के लिए एक जैसा होता है ? तर्क सहित उत्तर दें ।
उत्तर – वसंत हर व्यक्ति या परिवेश या परिस्थिति के लिए एक जैसा नहीं होता है , कारण वह देश – काल के अनुरूप विविध रंग – रूप ही सहज स्वीकार करता है । यह प्रकृति में होने वाले अंतस्थ परिवर्तन को देखते हुए समझता है कि जब जड़ों की स्वाभाविकता है वह धरती के अंदर फैंसती जाए और वृक्ष को पानी – शोषण दे परंतु कभी – कभी जड़ें बाहर निकल आती हैं । रंग और फुल की अपनी अलग – अलग प्रकृति होती है जो किसी विशेष राग में नहीं बँधी होती हैं । प्रकृति में हर चीज का अपना अंदाज जुड़ा है । यदि यह सब एक लीक पर नहीं हो रही है तो वसंत हर परिस्थिति में , परिवेश में एक जैसा कैसे रहेगा ।
प्रश्न 7. भाव स्पष्ट करें
( क ) ” कैसे जानती हैं जड़ें कि उन्हें उजाले की ओर चढ़ना ही है ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों पाब्लो नेरूदा की कविता ‘ कुछ सवाल ‘ से ली गयी हैं । इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि अलौकिक स्वयं में कोई चीज नहीं होती , लेकिन किन्हीं विशेष स्थितियों में कोई भी चीज अलौकिक बन जा सकती है । यह प्रकृति की परिवर्तनशीलता ही है जिसमें जड़ों की स्वाभाविकता है उसका धरती में जाना परंतु क्यों और कैसे वह बाहर निकलती आती है । आशय यह है कि कोई चीज एक समान स्थिति में नहीं रह सकता । उसमें परिवर्तन होना लाजिमी है , जरूरी नहीं कि परिवर्तन एक सीधी रेखा में ही हो ।
( ख ) क्या हमेशा वही वसंत होता है , वही किरदार फिर दुहराता हुआ ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ पाब्लो नेरूदा की कविता ‘ कुछ सवाल ‘ से उद्धृत हैं । इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि परिवर्तन इस संसार का नियम है । इस प्रकृति में सब कुछ स्थापित कार्य – कारण संबंध के आधार पर स्थित या घटित नहीं होता है । प्रकृति में घटना अपने अनुसार घटित होती है । रंगों और फूलों में जो विशेषताएँ होती हैं वह किसी से बंधी नहीं होती । हर फूल – फल , पेड़ – पौधे आदि हवाओं का स्वागत अपने – अपने ढंग से करते हैं । यहाँ तक कि वसंत ऋतु भी हर समय , हर वर्ष और हर किसी के लिए एक नहीं होता । वह देश – काल के अनुरूप विविध रूप – रंग सहज हो स्वीकार करता रहता है ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें ।
उत्तर – समुद्र -वराधिप , सरितापति , सिंधु , महासागर ।
बयार -हवा , पवन , वायु , शशांक, अनिल , प्रभंजन।
फूल -पुष्प , कुसुम , प्रसून ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखें ।
उत्तर – मीठा- खारा
खोना – पाना
स्वागत- विदाई
वसंत- पतझड़
चढ़ना -उतरना
सवाल -जवाब ।
प्रश्न 3. वचन बदलें ।
उत्तर – नदियाँ -नदी
घास -घासे
जड़े- जड़ ।
प्रश्न 4. निर्देशानुसार उत्तर दें :
( क ) जाड़े इतने सुस्त – रफ्तार क्यों होते हैं ? ( विशेषण )
उत्तर – सुस्त ।
( ख ) और फिर बयार का स्वागत ऐसे रंगों और फूलों से करता है । ( अव्यय )
उत्तर – रंगों , फूलों ।
( ग ) स्वागत का संधि – विच्छेद बताएं ।
उत्तर – सु + आगत ।
( घ ) तो समुद्र कारक नमक कहाँ से पाता है ? ( कारक )
उत्तर – से ।।