9TH SST

geography 9 class notebook – क्षेत्रीय अध्ययन

क्षेत्रीय अध्ययन

geography 9 class notebook

class – 9

subject – geography

lesson 9 – क्षेत्रीय अध्ययन

क्षेत्रीय अध्ययन

महत्वपूर्ण तथ्य-
किसी विशिष्ट क्षेत्र में रहने वाले लोगों जीवन पर स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह, कृषि उत्पादकता, औद्योगिक विकास, नगरीकरण इत्यादि का प्रभाव पड़ता है जिसे समझने के लिए हम क्षेत्रीय अध्ययन का सहारा लेते हैं । इसके कार्यविधि के अन्तर्गत हम सर्वप्रथम क्षेत्र का अवलोकन करते हैं । अध्ययन के उद्देश्य को आधार मानकर प्रश्नावली तैयार करते हैं । प्रश्नावली से जो सूचनाएँ प्राप्त होती हैं हम उसका अध्ययन तथा विश्लेषण करते हैं । इस अध्ययन में प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों प्रकार के आंकड़ों का इस्तेमाल होता है । प्रश्नावली के अन्तर्गत लोगों से प्रश्न पूछे जाते हैं । प्रश्नों की प्रकृति अध्ययन के उद्देश्य पर निर्भर करती है । ज्यादातर प्रश्नों के उत्तर “हाँ” या “ना” में होते हैं।
उदाहरण के लिए, भूमिगत जलस्तर में गिरावट के कारणों तथा संरक्षण के उपायों का अध्ययन किसी क्षेत्र विशेष के लिए किया जा सकता है । जनसंख्या वृद्धि तथा विकसित कृषि के लिए भूमिगत जल के स्तर में खतरनाक रूप से कमी आ गई है । जनसंख्या विस्फोट तथा सीवर जैसी आधुनिक सुविधाओं के कारण जल की मांग बढ़ी है। बिहार के गया, नवादा, नालन्दा, जहानाबाद, औरंगाबाद आदि में नलकूपों द्वारा सिंचाई के कारण भूमिगत जल-स्तर में गिरावट देखन को मिलती है । वर्षा और शुष्क ऋतुओं, में भौम जल स्तर में गिरावट देखने को मिलती है । इसलिए आंकड़ों का दिनांक मौसम के अनुसार अकित किया जाना चाहिए । इसी प्रकार भूमिगत जलस्तर में गिरावट को दूर करने के उपायों का अध्ययन भी किया जा सकता है । जमीन में गड्ढे बनाकर जिसे चार्जिंग पिट कहते हैं, के द्वारा भूमिगत जल-स्तर में सुधार किया जा सकता है बिहार में भूमिगत जल-स्तर के सुधार के लिए वर्षा-जल को विभिन्न सरकारी कार्यालय के छतों के पानी
को पाइप के द्वारा भूमि पर टंकी से जोड़े जाने की योजना है । इस विधि को “वाटर हारवेस्टिंग” कहते हैं। प्रत्येक घर में इस विधि को अपनाने से भूमिगत जल में वृद्धि हो सकती है । इसी प्रकार भूमि उपयोग का भी अध्ययन किया जा सकता है।
किसी क्षेत्र विशेष के भूमि उपयोग का सर्वेक्षण करते समय सभी प्रकार की भूमि का उपयोग का पता होना जरूरी है। खेतों के आकार तथा उनकी संख्या का पता होना भी आवश्यक है। एकअलग मानचित्र पर हम किसी क्षेत्र विशेष की मिट्टी के प्रकारों, एवं संरचना, खेतों की दास, अपना सापत एवं असिचित फसलों को प्रदर्शित कर सकते हैं। सबसे संबधित प्रश्नों की प्रश्नावली तैयार करके हम सूचना एकत्रित मार सकते है। भूमि उपयोग, मिट्टी, भू-माकृतियों को एक-दूसरे से जोड़कर संयुक्त मानचित्र बनाया जा सकता है। प्रदूषण एक गंभीर तथा विकराल समस्या है । स्थानीय प्रदूषण का अध्ययन करने के लिए, हम किसी कारखाने या चौराहे का चयन कर सकते है। इसी प्रकार रासायनिक परायों द्वारा फैले प्रदूषण का प्रभाव पता करने के लिए हम किसी कृषि क्षेत्र या जलाशय का अध्ययन कर सकते है। प्रदूषण फैलानेवाले कारक, आस-पास क्षेत्रों पर प्रदूषण का प्रभाव, लोगों के द्वारा ली गई कठिनाइयाँ तथा मिट्टी के अनुपजाम होने के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। क्षेत्रीय
अध्ययन में वायु तथा जल-प्रदूषण का अध्ययन मुख्य रूप से किया आता है। क्षेत्रीय अध्ययन की सहायता से जहाँ एक ओर समस्याओं के समन्वित समाधान सामने आते
हैं वहीं उस क्षेत्र विशेष के बारे में सूक्ष्म अध्ययन भी होता ।

(वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर)

1. क्षेत्र में जाकर इकट्ठे किए गए आंकड़ों को क्या कहा जाता है?
(क) द्वितीयक आंकड़ा
(ख) प्राथमिक आंकड़ा
(ग) तृतीयक आंकड़ा
(घ) चतुर्थक आंकड़ा
उत्तर-(ख)

2. भूगोल में क्षेत्रीय अध्ययन है-
(क)एक उपागम
(ख) एक विधि तर
(ग) एक सिद्धान्त
(घ) एक मॉडल
उत्तर-(घ)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1, भौगोलिक अध्ययन में क्षेत्रीय अध्ययन के महत्व को स्पष्ट करें।
उत्तर-किसी क्षेत्र विशेष में निवास करनेवाले लोगों के जीवन पर स्थलाकृति, जलवायु, कृषि, उत्पादकता, औद्योगिक विकास, नगरीकरण इत्यादि का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2. भूमि का कृषि के लिए उपयोग किस क्षेत्र में अधिक होता है?
उत्तर-भूमि का उपयोग कृषि कार्यों के लिए पैसे क्षेत्रों में अधिक होता है जहाँ पानी की समुचित व्यवस्था होती है। वहाँ की मिट्टी उपजाक होती है।

प्रश्न 3. वायु प्रदूषण से किस प्रकार की हानि होती है।
उत्तर-वायु के प्रदूषित होने से सबसे बुरा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। हम साँस लेने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं, पर वायु प्रदूषित होने की वजह से वायु में ऑक्सीजन की माशा पटती जा रही है और कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है । और यही दूषित वायु साँस द्वारा हमारे फेफड़े में प्रवेश करती है और कई बीमारियाँ उत्पन्न करती है वायु प्रदूषित होने पर उसमें सी. एफ. सी. गैसों की भी अहम भूमिका होती है. इस गैस के बदन से ओजोन परत का क्षय होने लगता है जिससे वायुमण्डल में पराबैंगनी गैस की वृद्धि होने लगती है जिससे जीव-जन्तु में धर्म कौसर की संभावना बढ़ जाती है। वायु में so2, को सान्दता मदन से अम्ल की चर्चा होती है जिसके फलस्वरूप भवन, प्राचीन ईमारत, खुली जगह में रखी मूर्तियों का क्षय होता है । वायु प्रदूषण से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है ।

प्रश्न 4. जल प्रदूषण से होनेवाली हानि की चर्चा करें।
उत्तर-जल हमारे जीवन का स्रोत है । जल के बगैर जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है। शायद इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है । पृथ्वी की 23 भाग पर जल है लेकिन इसका कुछ को भाग हम उपयोग में ला पाते है । जल का उपयोग हम अपनी प्यास मुझाने में, खाने-पकाने,नहाने, कपड़े धोने आदि के अपने दैनिक कार्यों में करते हैं । जल के प्रदूषित हो जाने पर हम दूषित जल का उपयोग करते हैं जिस वजह से हम अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। दूषित जल का कृषि में उपयोग करने पर फल, शाक-सब्जियाँ, अनाज आदि सभी कीटनाशक से ग्रसित हो जाते हैं । दूषित जल में मछलियाँ तथा पानी में रहने वाले जीव भी प्रदूषित हो जाते हैं । अत: जल का प्रदूषित हो जाने से बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 5. वर्षा जल का संग्रहण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-वर्षा जल का संग्रहण विभिन्न विधियों से किया जाता है । नगरीय जनसंख्या को एक जगह व्यवस्थित कॉलोनी या बहुमंजिली इमारतें बनाकर उनके छतों पर जल संचय कर जल के द्वारा भूमिगत जल के पुनः भरण में सहायता मिलती है । वर्षा-जल को जमीन में गड्ढ़े बनाकर जिसे चार्जिंग पिट कहते हैं। भूमि जल के स्तर में सुधार किया जाता है । वर्षा जल को विभिन्न सरकारी कार्यालय के छतों के पानी को पाइप के द्वारा भूमि पर बनी टंकी से जोड़े जाने की योजना जिसे “वाटर हारवेस्टिंग” कहते हैं, के द्वारा भी जल का संग्रहण किया जा सकता है।

प्रश्न 6. क्षेत्रीय अध्ययन से क्या समझते हैं ?
उत्तर-क्षेत्रीय अध्ययन एक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत किसी विशिष्ट क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के जीवन पर स्थलाकृति, जलवायु, अपवाह, कृषि उत्पादकता, औद्योगिक विकास, नगरीकरण इत्यादि का मानवीय गतिविधियों तथा उनके रहन-सहन के तरीके पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 7.क्षेत्रीय अध्ययन से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-क्षेत्रीय अध्ययन जहाँ एक ओर समस्याओं के समन्वित समाधान के उपायों का पता चलता है वहीं दूसरी ओर उस क्षेत्र विशेष का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन भी हो जाता है।

प्रश्न 8. क्षेत्र का चयन करते समय किन बातों का ध्यान दिया जाना चाहिए?
उत्तर-क्षेत्र का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उस क्षेत्र के ज्वलन्त मुद्दों को शामिल करना चाहिए जैसे-क्षेत्र के जल स्तर में गिरावट, भूमि उपयोग, प्रदूषण के विभिन्न प्रकार जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. नीचे दी गई सारणी का अध्ययन कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें-
वर्ष
प्रमुख 1801 1850 1920 1950 1980 2000
भू-उपयोग। | | | | | |
वन। 6215 5960 5675 5382 5052 3454
| | | | | |
फसल क्षेत्र 6862 6832 6745 6780 6788 3426
| | | | | |
तृण भूमि। 265 538 915 1170 1500 1513

(क) उस भू-उपयोग वर्ग का नाम लिखें जिसका क्षेत्रफल लगातार घट रहा है ।
उत्तर-वन ।
(ख) फसल क्षेत्र के लगातार बढ़ने का मुख्य कारण स्पष्ट करें।
उत्तर-देश की जनसंख्या लगातार बढ़ने के कारण खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न हो रही है और खाद्यान्न की समस्या को दूर करने के लिए फसलों का अधिक उत्पादन किया जा रहा जिसके फलस्वरूप फसल क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है।
(ग) किस भू-उपयोग वर्ग के अन्तर्गत सबसे कम भू-क्षेत्र का उपयोग हुआ है ?
उत्तर-तृण भूमि ।

प्रश्न 2. क्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली के विभिन्न विधियों की चर्चा करें।
उत्तर-क्षेत्र अध्ययन के लिए प्रश्नावली विधि के अन्तर्गत लोगों से प्रश्न पूछे जाते हैं। पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति, वांछित आंकड़ों की प्रकृति तथा वहाँ के लोगों की पृष्ठभूमि पर आधारित होती है । पूछे जाने वाले प्रश्नों से कुछ प्रश्नों के जवाब हाँ या ‘नहीं’ में दिए जा सकते हैं। कुछ प्रश्न वैसे होते हैं जिनके तीन-चार विकल्प होते हैं और उनमें से कोई एक विकल्प ही सही होता है।
सर्वेक्षणकर्ता सर्वप्रथम किसी क्षेत्र की ज्वलन्त समस्या का पता करते हैं । फिर उससे संबंधित
समस्याओं की एक प्रश्नावली तैयार करते हैं जैसे याद प्रभावित क्षेत्रों का अध्ययन इत्यादि।

प्रश्न 3. वायु प्रदूषण के चार स्त्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर-वायुमण्डल में अवांछित एवं हानिकारक पदार्थों के जमा होने से वायु की गुणवत्ता में जो क्षति होती है उसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
वायु प्रदूषण के चार स्रोत-
(i) उद्योगों से निकलनेवाली गैस तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थ
(ii) वाहनों से निकलने वाली गैस
(iii) नाभिकीय परीक्षण
(iv) ज्वालामुखी विस्फोट से उत्सर्जित गैसीय पदार्थ ।
बायु को प्रदूषित करने वालों में सबसे प्रमुख कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा है। इसके बढ़ने से वायुमण्डल का तापमान लगातार बढ़ती जा रही है। कार्बन मोनोक्साइड वायुमण्डल को प्रदूषित करने के लिए उत्तरदायी है जो मनुष्यों द्वारा उपयोग की जानेवाली डिब्बाबंद बोतलों में पाई जाती है । एक अनुमान के अनुसार विश्व में लगभग 6 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन प्रतिवर्ष होता है । इसी प्रकार So2, भी वायुमण्डल को प्रदूषित करती है कल-कारखानों से उत्सर्जित गैसें भी वायुमण्डल को प्रदूषित करती हैं । खनन, सीमेंट आदि भारी उद्योगों में भारी मात्रा में कणिकीय प्रदूषक निकलते हैं।

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