bihar board class 9 english book solution
” I’M GOING TO DANCE AGAIN “
bihar board class 9 english book solution
class – 9
subject – english
lesson 1 – ” I’M GOING TO DANCE AGAIN ”
” I’M GOING TO DANCE AGAIN ”
( मैं पुनः नृत्य करुँगी )
Life is not
SabDekho.in
weakness = कमजोरी। Short comings = दोष । Sheer dedication = केवल समर्पण। Devotion = निष्ठा। Commitment = समर्पण । make it back= वापसी। Stage = मंच ।वाक्यार्थ — जीवन एक सीधी सपाट यात्रा नहीं है। अशांति , उपद्रव , उतार – चढ़ाव जीवन में आते रहते हैं। जीवन के खेल में विजेता वही होता है जो तमाम विपत्तियों और कष्ट से उबर जाए और किसी भी मुश्किल से न घबड़ाए। जैसे कुचल कर भी गुलाब सुगंध नहीं छोड़ता है वैसे ही मुश्किलें हमारे अंदर मिठास भर देती हैं। सिर्फ दृढ़ इच्छा – शक्ति वाले व्यक्ति ही अपनी कमजोरियों और जीवन के दुखों से उबरकर अपने जीवन को और अर्थ, बड़ा अर्थ प्रदान करते हैं। यहाँ ऐसे ही एक नर्तकी की कहानी प्रस्तुत है जिसने एक दुर्घटना का सामना किया और महज अपने समर्पण, निष्ठा और जीजिविषा के दम पर नृत्य करने हेतु पुनः मंच पर प्रस्तुत हो गई। डाॅक्टरों ने कहा था कि सोनल फिर नृत्य नहीं कर पाएगी। उसने एक गम्भीर दुर्घटना का सामना किया था और अपने पैरों को खो बैठी थी । किन्तु सोनल मानसिंह ने डाॅक्टरों के कहने पर विश्वास नहीं किया । वह अपनी सम्भावना प्रतिभा – योग्यता में विश्वास करती थी और ………….
April 20,1975……………and began her performance. ( Page 3-4 )
Waiting impatiently : अधीरता से इंतजार कर रहे थे। green – room नेपथ्यशाला। anxiously = उत्सुकता से। beads of perspiration : पसीने की बूँदें । shining = चमक रहे थे। maiden= प्रथम। Performance= प्रदर्शन। abroad = विदेश। praised = प्रशंसित हुई। however= फिर भी। accident = दुर्घटना । injured = घायल । seriously = गम्भीर रूप से। earlier = पूर्व ही। struggle = संघर्ष । worth = के लायक। Step = कदम।
spot light = प्रकाश बिन्दु। bowed = प्रणाम की। folded = जोड़े हुए। began her performance = अपना प्रर्दशन शुरू किया।
एक बार पहले भी उसने ऐसा ही महसूस किया था — बंगलोर में, अपने प्रथम प्रर्दशन के समय। तब से वह भारत और विदेशों में नृत्य कर चुकी थी और सभी ने उसकी प्रशंसा की थी।
आज , फिर भी, सोनल एक नई शुरुआत कर रही थी; यह पहला मौका था जब वह मोटर दुर्घटना के बाद पहली बार खुलेआम लोगों के बीच नृत्य करने जा रही थी। क्या उसके पुनः नृत्य करने का संघर्ष होगा ? उसने अपने भावनाओं पर काबू पाया और घुँघरुओं की झनकार के साथ तेज कदमों से मंच पहुँच गई। मंच का प्रकाश – वृत्त उसे प्रकट कर रहा था; उसने हाथ जोड़कर दर्शकों को नमन किया और अपना नृत्य – प्रदर्शन शुरू कर दिया।
In August 1974,…………… have better facilities.” (Page 4)
वाक्यार्थ : सन् 1974 ई. के अगस्त महीने में सोनल मानसिंह ने स्वयं को दुनिया सबसे ऊँचाई पर महसूस किया । शुरू में उसको भरत नाट्यम नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया। फिर वह देश की सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय नृत्यांगनाओं में शुमार की जाने लगी।
उस महीने वह जर्मनी में थी, भारतीय शास्त्रीय नृत्य के पाठ्यक्रम की शिक्षा दे रही थी। सड़क के बीचों – बीच अचानक उन्होंने एक हिरण को खड़ा देखा। लेचनर ने ब्रेक मारी। कार फिसलकर किनारे चली गई और घूम कर अपनी ऊपर के भाग पर खड़ी होकर पलट गई थी। लेचनर सीट और चक्के के बीच में फँस गया और बेहोश हो गया।
होश में आने पर वह बुदबुदाया, ” सोनल क्या तुम ठीक हो ? ” कोई जवाब नहीं नहीं मिला। अंधकार में उसने उसे खोजने के लिए चारों ओर टटोला। उसने अपने को मुक्त करने के लिए ज्योंही हाथ- पाँव मारा तभी एक कार आकर वहाँ रूक गई और चार आदमी उससे बाहर कूद कश्र निकले। उसने पूछा, ” सोनल कहाँ है ?”
अपनी कार से टार्च ढूँढ़कर उनलोगों ने सोनल को ढूंढ़ना शुरू कर दिया। उनलोगों ने उसे चार मीटर दूर सड़क पर पड़ी पाया। ऐसा लगता था मानो वह सोई हुई हो। लेचनर उसे उठाने और कहने ही वाला था कि, ” अब हमलोग चलें ” लेकिन वह हिचकिचा गया। तब उसने सोनल के मुँह पर पानी का छिड़काव किया। वह अपना सिर हिलाई। ऐसा कहकर वह पुनः बेहोश हो गई।
उसी क्षण एक पुलिस गाड़ी वहाँ आई और शीघ्र ही एक एम्बुलेंस बुलाया गया। एम्बुलेंस वालों ने सोनल को सावधानी से स्टैचर पर लिटाया और शीघ्र ही उसे म्युनिसिपल अस्तपताल के ले गये। आपातकक्ष में उसे दर्द कम करने के इंजेक्शन दिये गये जिससे उसका दर्द कम हो गया तो शीघ्र उसे एक्स – रे कक्ष में ले जाया गया।
एंक्स – रे रिपोर्ट से पता चला कि सोनल बुरी तरह से घायल हो गई है और उसकी कई हड्डियाँ टूट गई हैं। उसकी बारहवीं कशेरुका , चार पसलियाँ और एक हँसुली टूट गई है। डाॅक्टर ने लेचनर को सलाह दी कि बेहतर होगा कि उसे इरलैंजेन के विश्वविद्यालय शल्य चिकित्सालय में ले जाया जाय, ” उनके पास बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हैं। “ At Erlangen the………….. couldn’t
say anything . ( Page 5 )
Words meaning : Operate = शल्य क्रिया करना । at once = तुरंत। Semi- conscious = अर्ध- चेतना। Really = वास्तव में। Necessary = आवश्यक । Support = थाम कर रखना। Hip = कुल्हा। Weighed = तौल में भारी था। Aside = बगल में। Elbow = कोहनी । Drew = खींचा । Temporarily = अस्थायी रूप से। Agreed = सहमत। Arrival = आगमन। Strength = शक्ति । Will power = इच्छा – शक्ति । Suggested = सलाह दी। Consult = भेंट करना। Well – known = जाना – माना।
Immediately = शीघ्र। Until = जब तक कि । Several = कई , अनेक। Anything = कुछ भी ।
वाक्यार्थ : एरलैंजेन में डाॅक्टरों ने उसका आॅपरेशन तुरंत करना चाहा और उसे प्लास्टर पर रखना चाहा। लेचनर ने उनलोगों को कहाँ —” कृपा कर आॅपरेशन नहीं कीजिए जब तक कि यह वास्तव में बहुत जरूरी न हो।” दो दिनों के बाद सोनल खतरे से बाहर निकल आई और तब उसका प्लास्टर कर दिया गया। यह प्लास्टर उसकी गर्दन से नितम्ब तक डाल दिया गया जिसका वजन चार किलो का था।
शल्य चिकित्सक ने लेचनर को एक ओर बुलाकर कहा, ” अब वह खतरे से बाहर है पर अस्थायी रूप से वह अपने घुटने , पैर की उँगलियों टखनों और कोहनियों का प्रयोग नहीं कर सकती हैं।
बारह दिनों के बाद डॉक्टरों ने लेचनर को कहा कि वह अब सोनल को माॅनटियल ले जा सकता है जहाँ वह काम करता है। लेचनर ने उनसे कहा , ” डाॅक्टरों को पता नहीं है कि सोनल फिर कभी नाच सकेंगी या नहीं ।
उनके। एक मित्र ने उसे सलाह दी कि वह माॅनटियल के प्रसिद्ध डाॅक्टर पीयरे ग्रेवेल से मिलें और उनकी सलाह लें।
Sonal knew that ………………and
a thanks – giving
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Words meaning : normally = समान्य रूप से । Fearful = डरी हुई। Staring = घूरते हुए। Desperate = निराश। appetite= भूख । Had gone = खत्म हो गई थी। Opinion = विचार । Examined = परीक्षण किया। Seriously = गंभीरता से। Believing = विश्वास करते हुए। Repeat = दुहराना । Muscles = माँसपेशियाँ। Hurt badly = जोरों से चोट लगी थी। Sometimes = कभी – कभी । Mental discipline = मानसिक अनुशासन । Stamped = पटक दिया। Floor = सतह । Recover = अच्छा हो जाना। Enough = पर्याप्त । Increased = बढ़ाई । Gained = प्राप्त की। Delighted = प्रसन्न । Prayer = प्रार्थना। Thanks giving = नमन करना।
वाक्यार्थ : सोनल जानती थी कि वह शीघ्र ही समान्य रूप से चलने – फिरने में समर्थ हो जायेगी फिर भी वह भयभीत थी यह सोचकर कि वह नृत्य कर भी पाएंगी या नहीं ।उसने सोचा, ” मैं फिर जीवित क्यों हूँ ? नृत्य मेरा जीवन है। अपने भविष्य की चिंता कर उसके मस्तिष्क में निराशा व्याप्त हो जाती । उसकी भूख गायब हो गई थी और उसकी रातों की नींद उड़ गई थी।
सोनल को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ तो उसने डाॅक्टर ग्रेवेल को अपनी बात दुहराने को कहा और उनकी बात के एक-एक शब्द पर गौर किया। वह सोचने लगी , ” चाहे कुछ भी हो जाय, मैं पुनः नृत्य करुँगी।
तीन महीने के बाद प्लास्टर हटा दिया गया। कठिन परिश्रम का समय आ गया । सोनल को अब अभ्यास शुरू करना था । किंतु हर वक्त जब सोनल अपनी मांसपेशियों को हरकत में लाती थी, वे बुरी तरह तकलीफ देते थे। उन्हें पाँच महिनों तक प्रयोग में नहीं लाया गया था। किन्तु वर्षों के नृत्य ने उसे मानसिक अनुशासन प्रदान किया था। वह अपना नृत्य अभ्यास जारी रखी , यह मानते हुए कि वह फिर से नृत्य कर पाएगी।
धीरे – धीरे उसने अपने पाँव की उंगलियों को हिलाया शुरू किया , फिर अपने टखनों , घुटनों और तब अपने शरीर को। क्रमशः उसका स्वास्थ्य सुधरने लगा। दुर्घटना के छः महीने के बाद उसने प्रारंभिक नृत्य – पग – संचालन आरंभ किया जो उसने पच्चीस वर्ष पूर्व बतौर शिशु सीखा था। उसने अपना एक पैर उठाया और फर्श पर पटका। उसने दूसरे पैर से भी इस क्रिया को संपन्न किया। किंतु वह इस क्रम को जारी नहीं रख पाई । उनकी आँखें अपनी कमजोरी के कारण आँसुओं से भर आयीं । अगले दिन , किसी प्रकार से उसने दो बार यह क्रिया की ।
पहले दिन तीस मिनट अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सोनल ने आभ्यास के समय को बढ़ाया । जैसे- जैसे दिन बीतते गए उसका शरीर हल्का होने लगा और उसके नृत्य ने पूर्व की कुशलता को प्राप्त कर लिया। एक महीने बाद वह नृत्य के प्रर्दशन हेतु तैयार हो गई।
रंगभवन में सोनल इस प्रकार से नाची कि जैसे कि वह कभी नहीं नाच पाई थी। उसने ढ़ाई घंटे तक लगातार नृत्य किया । जनसमूह आनन्दमग्न हो गई। वह स्वयं से बारम्बार कहते चली गई — ” मैंने किया , मैं कर पाई , मैंने अपने को पुनः प्राप्त कर लिया।”
सोनल ने 1975 के अगस्त माह में लेचनर से विवाह कर लिया। इन दिनों वह नई दिल्ली में अपने नृत्य अकादमी में नृत्य का प्रशिक्षण देती है और नियमित रूप से अपने देश और विदेशों में नृत्य का प्रदर्शन करती है। वह कहती है, अब मैं महसूस करती हूँ कि जीवन कितना मूल्यवान है। मेरा प्रत्येक नृत्य — प्रदर्शन एक प्रार्थना है, सर्वशक्तिमान को धन्यवाद अर्पित है।”
EXERCISES
A. Let’s Answer :
Q.1. Why was Sonal Mansingh making a new start at Rang Bhawan ? Explain.
Ans. Sonal Mansingh had got badly injured in a car accident. She had struggled a lot with the help of the doctors to recover back. Then she took a lot of pain to regain her dancing potentialities. Soz Sonal Mansingh made a new start at Rang Bhawan when she gave he performance after achieving her new life.
Q. 2. If you had undergone a similar experience in your life, What would you have done ? Would you have resigned yourself to your fate or fought against the odds ?
Ans. If I had undergone a similar experience in my life, I would also have done the same as Sonal did. I would never have resigned myself to you fate but would have fought bravely against the odds and come up as a Victor just as Sonal Mansingh did.
Q.3. Describe how Sonal’s car met with an accident ?
Ans. Then Sonal was in Germany with her fiance George Lechner, teaching a course in Indian classical dance. One evening on the 24th of August , 1974, Lencher was driving a car alongwith Sonal Mansingh in it. Suddenly , Lencher saw a deer standing in the middle of the rolled over and turned upside down. Lencher got trapped between the seat and the wheel and fainted. Whereas Sonal Mansingh got threw some distance far from the car and lay fainted.
Q.4. What happened when the car carrying Sonal met with an accident ?
Ans. After the accident of the car carrying Sonal , Lechner got to his senses but found himself trapped in the car. The car was resting on its roof. Just then a car stopped there . Four men got down from it. They rescued Lechner and searched Sonal who was soon rushed to a hospital.
Q.5. How was Sonal rushed to the Municipal Hospital ? Have you ever extended a helping hand to anyone who is lying unconscious after a serious accident ?
Ans. The four helping men who had stopped their car at the accident site had called an ambulance. Sonal was lifted on to a stretcher carefully and rushed to the Municipal Hospital. Yes, Once I had helped an old man who was lying on the road. With the help of my friends and some passerby I helped him to be rushed to a nearby hospital by an auto.
Q.6. This accident left Sonal shattered, She met with serious injuries. Enumerate.
Ans. Sonal had been badly injured in the car accident. Her twelfth vertebra, four ribs and a collar- bone were fractured . She was lucky that her spinal cord had not been damaged. But she had temporarily lost the use of her knees, toes, ankles and elbows which would take months of exercises- to be reused.
Q.7. How did Sonal react after she regained consciousness ?
Ans. After the car accident , when fainted Sonal was brought to her senses she said that she was feeling cold. She asked Lechner to put a shawl on her. Then she groaned and again got fainted . In hospital when she regaiy semi- consciousness . She cried not to operate her unless it was really necessary.
Q.8. ‘ When there is a will, there is a way ? How does it apply to Sonal Mansingh.
Ans. The proverb applies best to Sonal Mansingh. With so many injuries any other person might have gone shattered for life and live as disabled. But Sonal fought tough hard again all the odds. She had the strong will to dance again and ways got wide open for her success which was achieved by her real hard labour.
B. Let’s Discuss.
Q.a. Man is the ‘ Master of His Fate’.
Ans. It is rightly said that man is the master of his fate. Sonal’s example proves it nicely. Had she not fought bravely against all the odds with her strong will power , she would never met her fate to be successful again as a dancer. Man with his hard labour, discipline and strong will power becomes master of his fate.
Q.b. One can always make a beginning.
Ans. Sonal’s life strong clears the saying that one can always make a beginning.
Only when person gives up his hopes then only thing go blocked for him or her. When one is determined to fight against all the odds coming in the way, the one is but sure to achieve a new height, to achieve his goal. So , no time is the end – time. But one can always make a beginning to achieve new heights , new targets , new goals.
SabDekho.in
C. Let’s Do
Q.1. Collect photographs of some eminent classical dancers.
Q.2. Do a project work on some important dance forms of Bihar.
[ Hints : There are project work.
Do yourself .]