9TH SST

bihar board class 9 civics notes – संविधान निर्माण

संविधान निर्माण

bihar board class 9 civics notes

class – 9

subject – civics

lesson 3 – संविधान निर्माण

संविधान निर्माण
अध्याय की मुख्य बातें—किसी लोकतंत्र की सफलता के लिए संविधान का होना आवश्यक माना जाता है। किसी देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धांतों के आधार पर चलता है, उन सिद्धांतों या नियमों के संग्रह को संविधान कहते हैं । संविधान के बिना राज्य की कल्पना करना बेमानी है । जैसे—दक्षिण अफ्रीका में लेने संघर्ष के बाद यहाँ के लोगों अपने संविधान का निर्माण किया जो कि पूरी तरह से लोकतांत्रिक है।
संविधान एक लिखित दस्तावेज है जिसे किसी देश के नागरिक स्वभाविक रूप से मानते हैं । संविधान सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों के बीच के आपसी संबंध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच संबंध तय होते हैं। संविधान विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है तथा यह सुस्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा तथा उसके अधिकारों की भी सीमा तय करता है एवं अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है
भारत में संविधान निर्माण का कार्य बहुत कठिन परिस्थितियों के बीच हुआ है। भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई, 1946 में चुनाव हुए थे जिसकी पहली बैठक 1946 ई० में हुई। इसके 299 सदस्य थे। इसने 26 नवंबर 1949 को अपना काम पूरा कर लिया। संविधान 26
जनवरी, 1950 को लागू हुआ ।
हमारे संविधान में समानता, स्वतंत्रता, अधिकार कर्त्तव्य आदि जैसे मानवीय मूल्यों का समावेश किया गया है। जिसकी झलक हमें इसकी प्रस्तावना में देखने को मिलती है। भारतीय संविधान की सारी धाराएँ इसी के अनुरूप बनी हैं । इस प्रकार, संविधान की प्रस्तावना लोकतंत्र पर एक खुबसूरत कविता-सी लगती है क्योंकि प्रस्तावना में ही भारतीय संविधान की आत्मा
बसती है
भारतीय संविधान लोकप्रिय प्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है। अर्थात् यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित संविधान है जिसकी अंतिम शक्ति जनता के पास है। इसके साथ ही यह सर्वाधिक विशाल और व्यापक संविधान है। इसमें 395 से अधिक अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं।
संविधान संघात्मक है और संघ तथा राज्यों के बीच संबंधों का इसमें व्यापक रूप से वर्णन किया गया है।
भारतीय संविधान ने भारत में एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है। अर्थात् सरकार की शक्ति का स्रोत जनता में निहित है। लोकतंत्रात्मक सरकार जनता का जनता के लिए तथा जनता द्वारा स्थापित होती है। इसमें समाजवादी सिद्धांत पर बल दिया गया है तथा 42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। इसका
तात्पर्य यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
भारतीय संविधान के द्वारा संघीय शासन प्रणाली के अंतर्गत संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही देश में एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है जिसके शिखर पर सर्वोच्च न्यायालय है। क्योंकि इसके द्वारा ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों
तथा उनके कर्तव्यों की रक्षा की जा सकती है।
भारतीय संविधान में राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों का समावेश किया गया है जिसका पालन करना राज्य का परम कर्त्तव्य है। इसके ही साथ संविधान के द्वारा सभी भारतीय नागरिकों जिन्होंने भारतीय संसद द्वारा निर्धारित व्यस्कता की उम्र सीमा 18 वर्ष पूरी कर ली है उन्हें मत देने
अधिकार प्राप्त है। यह नागरिकता एकल नागरिकता है जिसमें उसे भारत की नागरिकता प्राप्त की गई है न की प्रांत की।
इस प्रकार सविधान जनता की सोच, मनोभावों और प्रगतिशीलता की अभिव्यक्ति है। जिसमें राष्ट्र की एकता तथा अखंडता तथा नागरिकों का विकास सम्मिलित होता है।

[प्रश्न और उत्तर]
प्रश्न 1. नीचे कुछ गलत वाक्य है। हर एक में की गई गलती पहचाने और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
(क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर-(क) स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने देश के संविधान में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की स्थापना के लिए एकजुट थे
(ख) भारतीय संविधान सभा के सदस्यों के बीच खुली बहस के बाद बहुमत के आधार पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान हैं, वे सभी लोकतांत्रिक शासन वाले हों यह जरूरी नहीं है। लेकिन जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन है, वहाँ संविधान का होना जरूरी है।
(घ) भारतीय संविधान के निर्माताओं ने लोगों की भावनाओं, समाज में हो रहे बदलावों को संविधान में समय समय पर शामिल करने का प्रावधान रखा। जिससे सविधान हरेक परिस्थितियों में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकें।

प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था?
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत बहुसंख्यकों का।
उत्तर-(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का।

प्रश्न 3. लोकतांत्रिक संविधान में कौन-सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन प्रमुख का नाम
(ग) विधायिका के अधिकार
(घ) देश का नाम
उत्तर-(ख) शासन प्रमुख का नाम ।

प्रश्न 4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ-
(क) मोतीलाल नेहरू। —1. संविधान सभा के अध्यक्ष
(ख) बी. आर. अंबेदकर –2. संविधान सभा की सदस्य
(ग) राजेन्द्र प्रसाद। –3. प्रारूप केमेटी के अध्यक्ष
(घ) सरोजिनी नायडू। –4. 1928 में भारत का संविधान बनाया
उत्तर-
(क) मोतीलाल नेहरू। –4. 1928 में भारत का संविधान बनाया
(ख) बी० आर० अंबेदकर। —3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
(ग) राजेन्द्र प्रसाद। —1. संविधान सभा के अध्यक्ष
(घ) सरोजिनी नायडू —-2. संविधान सभा की सदस्य

प्रश्न 5. जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर अनलिखित प्रश्नों का जवाब दें।
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुधारने और आराम करने का नहीं है।
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं ?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे ?
उत्तर-(क) प्रस्तुत कथन जवाहरलाल नेहरू ने इसलिए कहा. क्योंकि उस समय भारत अनेक समस्याओं जैसे—गरीबी, भूखमरी, अकाल दंगे से जूझ रहा था।
(ख) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का नए भारत के सपने मानता, बंधुता, समानता, सौहार्द्रता के सहारे विश्व से जुड़े हैं।
(ग) जवाहरलाल नेहरू संविधान निर्माताओं से यहाँ के नागरिकों के अधिकार तथा स्वतंत्रता की शपथ चाहते थे।

प्रश्न 6. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु —1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
(ख) गणतंत्र —-2. फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ग) बंधुत्व। — 3. शासन प्रमुख एक चुनाव हुआ व्यक्ति है।
(घ) धर्मनिरपेक्ष। — 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
उत्तर-(क) संप्रभु। — 2. फैसत लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ख) गणतंत्र। —-3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग) बंधुत्व। —-4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(घ) धर्मनिरपेक्ष। — 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।

प्रश्न 7. कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थी। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिये जा सकते हैं । अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें ।
उत्तर
प्रिय मित्र ज्ञान रंजन,
तुम्हारा पत्र मुझे मिला। इसके माध्यम से हमें नेपाल में राजनैतिक शासन का पता चला। वहाँ के राजशाही शासन का विरोध कर रहे तमाम पार्टियों के नेताओं का संघर्ष यह दर्शाता है कि नेपाल में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया जा रहा तथा उनका दमन किया जा रहा है । मैं तुम्हें एक बात बता देना चाहता हूँ कि भारत में भी स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान इसी प्रकार का संघर्ष यहाँ के जनता को ब्रिटिश हुकुमत से करना पड़ता था तब जाकर लोकतंत्र की स्थापना संभव हो सकी। इसी प्रकार वहाँ भी संघर्ष के बाद लोकतंत्र की स्थापना होगी और लोगों को अधिकार तथा स्वतंत्रता मिल सकेंगे। जिससे लोगों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा।
नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के आस में
तुम्हारा मित्र.
राजीव

प्रश्न 8. भारत के लोकतंत्र के स्वरूप के विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार है। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण मानते हैं ?
(क) अंग्रेज शासकों में भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेम्बलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी । अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
उत्तर-(क) ब्रिटिश शासकों ने उपहार के रूप में भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं दी वरन् काफी लंबे संघर्ष के बाद विभिन्न प्रकार के प्रांतीय असेम्बलियों के जरिए इस व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया और एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में अपनी अलग पहचान कायम की।
(ख) स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान औपनिवेशिक शासक ने भारतीय लोगों को तरह-तरह से यातनाएँ दी गई । लंबे संघर्ष के बाद स्वतंत्रता प्राप्ति हुई और यहाँ लोकतंत्र की स्थापना हो सकी।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की पूरी आस्था लोकतंत्र में थी। इसलिए नव स्वतंत्र राष्ट्रों में अधिकांश राष्ट्रों ने अपनी शासन व्यवस्था में इसे अपनाया जो हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

प्रश्न 9. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए । क्या आप उनसे सहमत हैं ? अपने कारण बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था का विविध अर्थों का गठन किस तरह होगा?
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना नहीं है।
उत्तर—(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून से अधिक है क्योंकि संविधान के द्वारा ही कानून की रक्षा की जाती है।
ख) संविधान ही हमें शासन व्यवस्था के विविध अर्थों को स्पष्ट करता है। उसकी व्याख्या करता है।
(ग) संविधान के द्वारा नागरिकों के अधिकार और सत्ता की सीमाओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख होता है क्योंकि इससे टकराव की संभावना खत्म हो जाती है।
(घ) संविधान का मूल्यों से प्रत्यक्ष संबंध होता है जो संस्थाओं के द्वारा संरक्षित होता है ।
प्रश्न 10. भारतीय संविधान का विश्व के दूसरे संविधान से तुलना करें।
उत्तरभारत के संविधान में संप्रभुता की शक्ति जनता के पास है क्योंकि यह जनता द्वारा निर्मित है। इसके साथ ही भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक विशाल और व्यापक संविधान है। इसमें केन्द्र और राज्यों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख है। तथा यह लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में राष्ट्रपति का चुनाव करता है। इसके द्वारा समाजवादी सिद्धांत, धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत तथा संघीय शासन प्रणाली में संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया है जिसमें न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया गया है एवं व्यस्क एवं सार्वजनिक मताधिकार की एकल
नागरिकता को स्वीकार किया गया है जो विश्व के दूसरे देशों की तुलना में सर्वोत्तम है।

प्रश्न 11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उससे सहमत हैं ? अपने कारण को बताइए।
(क) भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है, इस कारण हिन्दुओं को विशेषाधिकार प्राप्त है।
(ख) भारत एक गणराज्य है, क्योंकि यहाँ राष्ट्रपति का पद वंशानुगत है।
(ग) नागरिकों के साथ उनकी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
(घ) कानून के समक्ष सभी लोग समान है । क्या वास्तव में ऐसी स्थिति है।
उत्तर-(क) भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है पर इसमें मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध तथा जैन इत्यादि धर्मों के लोगों के प्रति कोई भेदभाव नहीं होता है। यहाँ धर्मनिरपेक्षता संविधान के द्वारा स्वीकार किया गया है।
(ख) भारत एक गणराज्य है, जिसमें राष्ट्रपति का चुनाव होता है न कोई यह वंशानुगत पद है। क्योंकि संविधान में भारत को एक गणराज्य की स्थापना वाला राष्ट्र घोषित किया गया है।
(ग) भारतीय संविधान के अनुसार नागरिकों के साथ उनकी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह समानता की गारंटी देता है।
(घ) लोकतंत्र में कानून के समक्ष सभी लोग समान होते हैं। भारत में वास्तव में ऐसी ही स्थिति है, क्योंकि कानून की नजर में न कोई अमीर है और न कोई गरीब ।

प्रश्न 12. भारतीय संविधान की निम्नलिखित कौन-सी विशेषताएँ नहीं हैं-
(क) विशाल और व्यापक संविधान (ख) धर्मनिरपेक्षता
(ग) मूल अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य (घ) साम्यवादी शासन ।
उत्तर-(घ) साम्यवादी शासन ।

प्रश्न 13. भारतीय संविधान के निर्माण में बिहार के कौन-कौन से नेता सक्रिय थे? इनकी पहचान करें तथा इनके बारे में सूचना एकत्र करें।
उत्तर-भारतीय संविधान के निर्माण में बिहार के डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा सक्रिय थे। इन्होंने ही संविधान सभी की पहली बैठक को अस्थायी अध्यक्षता की थी। बाद में जवाहरलाल नेहरू को इसका अध्यक्ष बनाया गया ।

प्रश्न 14. आइए अखबार पढ़ें-संविधान संशोधन के किसी प्रस्ताव या किसी संशोधन की माँग से संबंधित अखबारी खबरों को ध्यान से पढ़िए। आप किसी एक विषय पर जैसे संसद/विधान सभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण विषय पर छपी खबरों पर गौरकरसकते हैं। क्या इस सवाल पर कोई सार्वजनिक चर्चा हुई थी ? संशोधन के पक्ष में क्या-क्या तर्क दिए गए हैं ? संविधान संशोधन पर विभिन्न दलों की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर–महिला आरक्षण संसद में पेश—यह खबर अखबार की सुर्खियों में लगभग 10 दिनों तक छाए रहे। सिर्फ महिला आरक्षण संसद में पेश होने से स्त्रियों की स्थिति को सुधारा नहीं जा सकता है। सरकार के द्वारा संसद में इस पर बहस न कराना उसकी सोची-समझी साजिश है।
क्योंकि यदि महिलाओं को 33% आरक्षण दे दी जायेगी तो कहीं उनका ही पता न साफ हो जाय। इसलिए सभी राजनीतिक दलों के द्वारा इस पर मौन साध लिया गया और विधेयक को ठंडे वस्ते में एक बार फिर डाल दिया गया है पर जब चुनाव आयेगा तो फिर से ढक्कन को खोलकर उसकी नुमाईश की जाएगी। लेकिन स्त्रियों की हालत बद से बदतर बनती चली जाएगी। इस देश का भविष्य शायद यही है। क्योंकि इसमें महिलाओं की न्यून भागीदारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *