8-science

bseb class 8th science notes | प्रकाश का खेल

bseb class 8th science notes | प्रकाश का खेल

अध्ययन सामग्री : प्रकाश हमारे दैनिक जीवन में अति महत्वपूर्ण है। सूर्य के प्रकाश पर
ही जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे अपने भोजन के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित रहते हैं।
पौधे प्रकाश के माध्यम से अपना भोजन बनाते हैं और उसी पेड़-पौधे से प्राप्त उत्पाद जीव-जन्तु
अपने भोजन के लिए प्रयोग करते हैं। सूर्य के प्रकाश से जल वाष्पित होते हैं। पुनः वर्षा के रूप
में जमीन पर आते हैं और हमारी धरती को हरा-भरा बनाती है।
प्रकाश के माध्यम से किसी को हम देख पाते हैं। यदि प्रकाश नहीं होता तो सभी वस्तु अदृश्य
होती और आज हम यहाँ तक नहीं पहुंँच पाते।
प्रकाश ऊर्जा का वह रूप होता है जो हमें देखने की अनुभूति प्रदान करता है। प्रकाश की
किरणें जब किसी वस्तु पर आपतित होती है और उससे परावर्तित होकर हमारे आँख तक पहुँचती है, तब उस वस्तु का प्रतिबिंब हमारी आँख में बनता है। प्रकाश हमेशा सीधी रेखा में गमन करता है। प्रकाश से कुछ वस्तु आर-पार हो जाती है। कुछ वस्तु से पार नहीं कर पाती है और कुछ वस्तु से होकर अंशतः पार करती है।
यानि वे वस्तुएँ जिनसे होकर प्रकाश की किरणें पार हो जाती हैं तथा दूसरी और की वस्तुएँ
साफ दिखायी पड़ती हों उसे पारदर्शी वस्तु कहते हैं। जैसे- शीशा, पानी आदि।
वे वस्तुएँ जिनसे होकर प्रकाश की किरणें पार नहीं होती हों तथा दूसरी ओर की वस्तुएँ बिल्कुल
दिखाई नहीं पड़ती हों उसे अपारदर्शी वस्तु कहते हैं। जैसे – लकड़ी, पुस्तक, दीवार, पत्थर आदि।
वे वस्तुएँ जिनसे होकर प्रकाश की किरणें आंशिक रूप से पार होती हों तथा दूसरी ओर
की वस्तुएँ धुंधली दिखाई पड़ती हों उसे पारभासी वस्तु कहते हैं। जैसे- घीसा हुआ शीशा, तेल
लगा हुआ कागज आदि।
प्रकाश के गुण-
यह ऊर्जा का एक रूप होता है।
यह निर्वात में भी गमन करती है।
यह हमेशा सीधी रेखा में गमन करती है।
यह हमें देखने की अनुभूति प्रदान करती है।
यह एक तरंग के रूप में गमन करती है।
प्रकाश का परावर्तन-
प्रकाश के चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
प्रकाश स्रोत से पहला दर्पण पर पड़ने वाली किरण आपतित किरण कहलाती है और दूसरे
दर्पण से वापस आने वाली किरण को परावर्तित किरण कहते हैं। सतह पर लम्ब को अभिलम्ब
कहते हैं। अभिलम्ब तथा आपतित किरण के बीच बने कोण को आपतन कोण कहते हैं। अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण के बीच बने कोण को परावर्तन कोण कहते हैं।
परावर्तन के नियम-
परावर्तन के दो नियम हैं-1. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब एक ही
समतल में होते हैं। 2. आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है।
जब प्रकाश की किरणों के रास्ते में कोई अपारदर्शी वस्तु आ जाती है, तो प्रकाश की किरणें
आगे नहीं जा पाती हैं। वस्तु के आगे परदा रहने पर परदे के प्रकाशित भाग के बीच कुछ भाग
ऐसा होता है, जो काला दिखता है, इस भाग को छाया कहते हैं। छाया की लम्बाई तथा आकार
(क) प्रकाश के उद्गम (ख) अपारदर्शी वस्तु के आकार तथा (ग) प्रकाश के उद्गम तथा
वस्तु के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। जब प्रकाश का उद्गम बिन्दुवत हो तो उससे बनने
वाली छाया में एक जैसा अंधकार रहता है। जब प्रकाश के उद्गम का विस्तार रूकावट की अपेक्षा
बड़ा हो, तो छाया के मध्य भाग में प्रकाश एकदम नहीं पहुंचने के कारण पूर्ण अंधकार में रहता
है, यह प्रच्छाया कहलाता है और जिस भाग में अंशतः प्रकाश पहुंचता है। उसे उपछाया कहते
हैं। इस प्रकार प्रकाश का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व है।
                                               अभ्यास
1. मान लीजिए आपके सामने दीवार पर एक फोटो टंँगा है। आपका मित्र आपकी आँखों
के सामने अपना कॉपी ला देता है। क्या आप फोटो को देख पाएंँगे । व्याख्या कीजिए।
उत्तर-दीवार पर टंँगा फोटो और आँखों के सामने कॉपी ला देने पर, फोटो दिखाई नहीं
पड़ेगा। क्योंकि फोटो से प्रकाश परावर्तित होकर आँख तक नहीं पहुंँच पाता है जिसके कारण
आँख के रेटिना पर प्रतिबिम्ब नहीं बन पाता है। यानि प्रकाश सीधी रेखा में गमन करती है।
परावर्तित किरण के रास्ते में अपारदर्शक पदार्थ (कॉपी) के आ जाने से प्रतिबिम्ब नहीं बन पाया।
2. दिन के उजाले में आप अपने घर की खिड़की से जिन-जिन पौधों को देख पाते हैं।
अंधेरी रात में उसी खिड़की से उन्हें नहीं देख पाते ।
उत्तर–किसी वस्तु को देखने के लिए या दृश्य होने के लिए तीन चीजों का होना आवश्यक
होता है।
(i) वस्तु, (ii) प्रकाश का स्रोत, (ii) आँख ।
अंधेरी रात में पौधों को देखने के लिए प्रकाश स्रोत नहीं जिससे प्रकाश की किरणें पौधों
पर पड़ती तथा परावर्तित होकर आँख तक आती पौधों को हम देख पाते । लेकिन अंधेरी रात में
प्रकाश का स्रोत नहीं रहने के कारण पौधे नहीं दिखते हैं।
3. नियमित एवं विसरित परावर्तन में अंतर किरण आरेख की सहायता से बताइए।
उत्तर-
4. बहुमूर्तिदर्शी की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर–बहुमूर्तिदर्शी की रचना के लिए आवश्यक सामग्री आयताकार दर्पण की तीन पट्टियाँ,
फेवीकोल, मोटे गत्ते की बनी बेलनाकार डब्बा, रंगीन चुड़ियाँ के टुकड़े, पारदर्शी प्लास्टिक, काँच
की वृत्ताकार प्लेट।
तीनों दर्पण को फेवीकॉल से जोड़ दिया जाता है। फिर उसे बेलनाकार डब्बे में डाल देते
हैं। डब्बे के एक सिरे को गत्ते से बंद कर देते हैं। जिस पर एक छिद्र छोड़ दिया जाता है।
ताकि अंदर देखा जा सके। इस छिद्र पारदर्शी प्लास्टिक चिपका दिया जाता है।
डब्बे के दूसरे सिरे पर समतल काँच की वृत्ताकार प्लेट इस प्रकार लगाइए कि वह प्रिज्म
की आकृति को छू सके। इस प्लेट पर रंगीन चूड़ियों के टुकड़े रखे तथा इसे घिसे काँच
की प्लेट से बंद कर दें। जब हम छिद्र से भौंकते हैं तो तरह-तरह के पैटर्न दिखाई देते हैं। इस
रचना को ही बहुमूर्तिदर्शी कहा गया है।
5. मानव नेत्र का एक नामांकित रेखाचित्र बनाइए।
6. यदि परावर्तित किरण, आपतित किरण से 90° का कोण बनाए तो आपतन कोण का
मान कितना होगा?
उत्तर-परावर्तन के नियम से,
7. आप अपनी आँखों की देखभाल कैसे करेंगे?
उत्तर-आँखों की देखभाल के लिए आवश्यक कदम-
(i) बहुत अधिक प्रकाश तथा बहुत कम प्रकाश के प्रयोग से बचना ।
(ii) पठन सामग्री को आँख से बहुत दूर या बहुत नजदीक लाकर न पढ़ना ।
(iii) आँख में कुछ चले जाने पर उसे रगड़ना नहीं चाहिए।
(iv) आँख को साफ पानी से बार-बार धोना चाहिए।
(v) प्रचुर मात्रा में विटामिन A का नियमित सेवन करना चाहिए। जैसे—पपीता, गाजर,
पालक, दूध, अंडे आदि।
(vi) समय-समय पर डॉक्टरी सलाह तथा जाँच करवाना चाहिए।
8. किसी गड्ढे के पास जाते हुए कोई दृष्टि निःशक्त व्यक्ति आपको दिखाई दे तब आप
क्या करेंगे?
उत्तर–किसी गड्ढे के पास जाते हुए दृष्टि निःशक्त व्यक्ति को देखकर तुरंत दौड़ पड़ेंगे
और उन्हें पकड़कर उनके गणतव्य स्थान तक पहुंँचा देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *