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bseb 8th class science notes | विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

bseb 8th class science notes | विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

अध्ययन सामग्री-जब किसी द्रव में या किसी यौगिक पदार्थ के जलीय विलयन से विद्युत्
धारा प्रवाहित की जाती है तो द्रव (विलियन) में रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप विलयन अपने अवयवों में विभक्त हो जाता है। इस घटना को विद्युत् अपघटन कहते हैं। जिस विलयन या द्रव का विद्युत अपघटन किया जाता है उसे विद्युत अपघट्य कहते हैं और जिस बरतन में विद्युत अपघट्य की क्रिया चलती है उसे वोल्टमीटर कहते हैं। विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव का अध्ययन सबसे पहले विलियम निकलसन, हम्फ्री डेवी आदि ने किया। विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव के अध्ययन के लिए विद्युत सेल का प्रयोग कर सकते हैं।
विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव के उपयोग-
विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव के अनेकानेक उपयोग हम अपने घर से लेकर उद्योग जगत
तक किया जाता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित हैं-
1. विद्युत लेपन-विद्युत अपघटन द्वारा किसी धातु की सतह पर दूसरी धातु की परत चढ़ाई
जा सकती है। इस विधि को विद्युत लेपन कहते हैं। जिस वस्तु पर परत चढ़ानी होती है, उसे
वोल्टमीटर का ऋणोद बनाया जाता है। जिस धातु की परत चढ़ानी रहती है उस धातु के प्लेट
को धनोद बनाया जाता है और उसी धातु के किसी घुलनशील लवण के विलयन को
विद्युत अपघट्य के रूप में लिया जाता है। विद्युत लेपन लोहे को जंग से बचाने के लिए निकेल
तथा क्रोमियम का विद्युत लेपन किया जाता है। सस्ती धातुओं के आभूषण पर सोने या चाँदी
का लेपन । नल पर क्रोमियम का लेपन आदि।
2. धातुओं का शुद्धीकरण-अशुद्ध धातु को वोल्टमीटर का धनोद बनाया जाता है। ऋणोद
प्लेट पर शुद्ध धातु की परत जमी होती है। सोने, चाँदी, जस्ते टिन आदि धातुओं का शुद्धीकरण
विद्युत् लेपन विधि द्वारा किया जाता है।
3. सोडियम, अल्युमिनियम आदि का निष्कर्षण-सोडियम, अल्युमिनियम आदि धातुओं
के निष्कर्षण में विद्युत अपघटन के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। सोने अल्युमिनियम के अयस्क या लवण अल्युमिनियम ऑक्साइड का विद्युत अपघटन कर अल्युमिनियम धातु प्राप्त किया जाता है।
                                                अभ्यास
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) किसी विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर ……. प्रभाव उत्पन्न होता है।
(ख) वांछित धातु को किसी पदार्थ पर निक्षेपित करना ……. कहलाता है।
(ग) नमक मिले जल में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर ऑक्सीजन …… टर्मिनल पर
और हाइड्रोजन…………टर्मिनल पर मिलता है।
 (घ) विद्युत चालन करने वाला अधिकांश द्रव……………,………...और……….के
विलयन होते हैं।
उत्तर-(क) रासायनिक प्रभाव, (ख) विद्युत लेपन, (ग) धन, ऋण, (घ) अम्ल, क्षार, लवण ।
2. चित्र में दिए गए द्रव में टेस्टर परीक्षित का तार डालने पर बल्ब नहीं जलता पर
चुम्बकीय सुई विच्छेदित होती है । इसका क्या कारण है । व्याख्या कीजिए।
उत्तर-दिए गए द्रव में टेस्टर परीक्षित का तार डालने पर बल्ब नहीं जलता है क्योंकि द्रव
विद्युत का हीन चालक है। जब टेस्टर के खुले तार एक-दूसरे न छूते हों परन्तु नजदीक हो
तो चुम्बकीय सूई विच्छंदित हो सकती है। हमलोगों को मालूम इन दोनों सिरों के बीच हवा
है जो विद्युत का होना चालक है पर नमी बढ़ जाने या विभव बढ़ जाने पर यह सुचालक की
तरह कार्य करने लगता है।
3. क्या शुद्ध जल विद्युत का चालन करता है। यदि नहीं तो इसे चालक बनाने के लिए
क्या करना होगा?
उत्तर-शुद्ध जल विद्युत का चालन नहीं करता है। क्योंकि शुद्ध जल में किसी भी तरह का
लवण नहीं पाए जाते हैं। यही कारण है कि यह विद्युत का चालन नहीं करता है। शुद्ध जल में
नमक मिला देने से यह विद्युत का चालन बन जाता है।
4. अपने आसपास दिखने वाले विद्युतलेपित वस्तुओं की सूची निम्न प्रकार बनाइए।
उत्तर-
5. क्या तेज वर्षा के समय लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन की तारों की मरम्मत
कला सुरक्षित होगा?
उत्तर-तेज वर्षा के समय लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के तारों की मरम्मत करना
सुरक्षित नहीं होगा। क्योंकि वर्षा में तड़ित भी एक अनावेशित पिण्ड होता है और यह तार, घोल
सब ओर आकर्षित होता है। इतना ही नहीं भौंगी वायु भी विद्युत का सुचालक होता है। वर्षा
की धार भी विद्युत् का सुचालक होता है। सीढ़ी भी भींग जाने पर विद्युत का संचालक हो जाता
है। परिणामस्वरूप किसी दुर्घटना घटने की संभावना बनी रहती है।
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