10TH SST

Bihar Board 10th Model Paper Economics | जागरण एवं संरक्षण

उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Bihar Board 10th Model Paper Economics

class – 10

subject – economics

lesson 7 – उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

BSEB Model Paper with Answer

 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

बाजार व्यवस्था में उपभोक्ता का स्थान सर्वोपरि होता है । यदि उपभोक्ता ना रहे तो वस्तुओं की मांग हो ना रहे । बाजार व्यवस्था में उपभोक्ता तथा उत्पादक दोनों का अपना ही स्थान है । वर्तमान युग में उपभोक्ताओं में वस्तु के मूल्य निर्धारण एवं गुणवत्ता के प्रति जागरूक बनाया जाता है , उसे हम ” उपभोक्ता जागरण ” के रूप में मानते हैं । प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह जिस वस्तु का उपभोक्ता है , उसके बारे में पूर्ण जानकारी लें तथा यदि सामान खराब निकालता है तो अपने निकटतम ” उपभोक्ता केन्द्र ” में शिकायत दर्ज कराकर मुआवजा प्राप्त कर सकता है । इन दिनों भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता जागरण के बड़े बड़े विज्ञापनों के माध्यम से उनके अधिकारों की जानकारी दी जाती है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता सदैव व्यवसायियों द्वारा ठगे जाते हैं । वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ उपभोक्ताओं का शोषण नहीं हो रहा हो , उदाहरण के तौर पर शिक्षण संस्थान , भवन निर्माण इत्यादि । उपभोक्ता शोषण के मुख्य कारण अनेक होते हैं जैसे – मिलावट की समस्या , कम तौल , कम गुणवत्ता वाली वस्तु , ऊँची कीमत द्वारा , डुप्लीकेट वस्तुएँ आदि ।
सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों के लिए समय – समय पर अनेक ” उपभोक्ता कानून ‘ बनाए हैं जिसमें ” उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 ” सबसे महत्वपूर्ण है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में सभी वस्तुओं , सेवाओं तथा व्यक्तियों को शामिल किया जाता है । इसके तहत उपभोक्ताओं को यह अधिकार होता है कि वह वस्तु या सेवा की गुणवत्ता , परिणाम , क्षमता , शुद्धता , मानक और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत उपभोक्ताओं को कुछ अधिकार प्रदान करते हैं जैसे-
1. उपभोक्ताओं को ऐसे वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या संपत्ति की हानि होने की संभावना हो ।
2. उपभोक्ता को वे सभी आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तु एवं सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं ।
3. उपभोक्ता अपने अधिकार के अंतर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्रांड , किस्म , गुण , रूप , रंग , आकार एवं मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है ।
4. उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करने वाली बातों को उपयुक्त मंच के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है ।
5. क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढंग से नहीं मिली तो उन्हें मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार है ।
6. उपभोक्ता शिक्षा के अन्तर्गत किसी वस्तु मूल्य , उसकी उपयोगिता , कोटि तथा सेवा की जानकारी , अधिकारी से ज्ञान की प्राप्ति को सुविधा इत्यादि के माध्यम से उपभोक्ता धोखाघडी तथा दगाबाजी से बच सकते हैं ।
” उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ” के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था की गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है राष्ट्रीय स्तर पर ” राष्ट्रीय आयोग ” , राज्य स्तर पर ” राज्य स्तरीय आयोग ” , जिला स्तर पर ” जिला मंच । ”
उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है । जिसमें ‘ जिला मंचों ‘ , ‘ राज्य आयोग ‘ एवं ” राष्ट्रीय आयोग ” की स्थापना की गई है । पहले शिकायत ” जिला फोरम ” में की जाती है । उपभोक्ता अगर संतुष्ट न हों तो मामले को ” राज्य फोरम ” फिर ” राष्ट्रीय फोरम ” में ले जा सकता है ।
यदि कोई ‘ उत्पादक ‘ या ” व्यापारी ” उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ” 1986 में परिभाषित उपभोक्ता के अधिकारों के विरुद्ध कार्य करता है तो उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकते हैं । यदि वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से कम है तो वह शिकायत ” जिला फोरम ” में दर्ज कथा सकता है । अगर वस्तु या सेवा मूल्य 20 लाख से ऊपर तथा 1 करोड़ से नीचे हो तो शिकायत राज्य आयोग के पास की जा सकती है लेकिन अगर वस्तु या सेवा का मूल्य 1 करोड़ से अधिक हो तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत की जा सकती है । उपभोक्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है जिसे करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है । वर्तमान में अक्सर उत्पादक तथा व्यापारी बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं । विश्व के अन्य देशों की तरह हमारे देश में भी कुछ ऐसी संवैधानिक संस्थाओं की स्थापना की गई है जो उपभोक्ताओं के इस आर्थिक शोषण का निराकरण करती हैं । ये मुख्यतः दो हैं –
1. मानवाधिकार आयोग – यह हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है , जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकारों से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है |
2. सूचना आयोग – यदि किसी उपभोक्ता को वस्तु या सेवा से संबंधित किसी सूचना की आवश्यकता हो तो वह पहले उस वस्तु के उत्पादक से उसकी सूचना के लिए ” सूचना आयोग ” में आवेदन कर सकते हैं ।

I.वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. भारत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की घोषणा कब हुई ?
( क ) 1986 ( ख ) 1980 ( ग ) 1987 ( घ ) 1988 उत्तर- ( क )
2. उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ? ( क ) 17 मार्च ( ख ) 15 मार्च ( ग ) 19 अप्रैल ( घ ) 22 अप्रैल उत्तर- ( ख )
3. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नं . क्या है ?
( क ) 100 ( ख ) 1000-100
( ग ) 1800-11-4000 ( घ ) 2000-114000
उत्तर- ( ग )
4. स्वर्णाभूषणों की परिशुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए किस मान्यता प्राप्त चिह्न का होना आवश्यक है ? ( क ) ISI मार्क( ख ) हॉल मार्क – ( ग ) एगमार्क( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- ( ख )
5. यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से अधिक तथा 1 करोड़ से कम है तो उपभोक्ता शिकायत कहाँ करेगा ?
( क ) जिला फोरम ( ख ) राज्य आयोग ( ग ) राष्ट्रीय आयोग ( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- ( ख )
6. उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क कितना लगता है ?
( क ) 50 / ( ख ) 70 / ( ग ) 10 / ( घ ) इनमें शुल्क नहीं
उत्तर- ( घ )

II . सही कथन में सही का ( √ ) तथा गलत में ( x ) का निशान लगाएँ ।

1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षिप्त रूप में कोसरा कहते हैं ।  ( √ )
2. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन टेलीफोन नं . 15000 है । ( x )
3. भारत में ‘ सूचना पाने का अधिकार 2005 ‘ कानून बनाया गया है ।  ( √ )
4. उपभोक्ता को खराब वस्तु या सेवा मिलने पर उपभोक्ता से मुआवजा पाने का अधिकार है , जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है ।  ( √ )
5. ” हॉलमार्क ” आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करनेवाला चिह्न है ।  ( √ )

• लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आप किसी खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय कौन – कौन – सी बातों का ध्यान रखेंगे ? बिन्दुवार उल्लेख करें ।
उत्तर – किसी खाद्य पदार्थ को खरीदते समय निम्नलिखित वस्तुओं को ध्यान में रखेंगे-
1. उस खाद्य पदार्थ के अवयवों की सूची ।
2. वजन का परिमाण ।
3. निर्माता का नाम या पता ।
4. निर्माण की तिथि ।
5. इस्तेमाल की समाप्ति की तिथि ।
6. निरामिष / आमिष चिह्न ।
7. डाले गए रंग या खुशबू की घोषणा ।
8. पोषाहार का दावा / पौष्टिक तत्वों की मात्रा ।
9 . स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी ।
10. वैधानिक चेतावनी ।

2. उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारों को लिखें ।

उत्तर – उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारे-
1. सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है ।
2. ग्राहक , सावधान ।
3. अपने अधिकारों को ।
4. जागो ग्राहक जागो ।
5. उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करो ।

3. कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे उपभोक्ताओं का शोषण होता है ।
उत्तर – उपभोक्ता – शोषण की कुछ प्रमुख वजहें—
1. मिलावट की समस्या ।
2. कम तौल अर्थात् माप में हेरा – फेरी की समस्या । 3. धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर कम गुणवत्ता वाली वस्तु देना ।
4. ऊँची कीमत वसुलना ।
5. सही कम्पनी की डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करना ।

4. उपभोक्ता के रूप में बाजार में उनके कुछ कर्तव्यों का वर्णन करें ।
उत्तर — उपभोक्ता के रूप में कुछ कर्तव्य –
1. शिक्षण संस्थान की राज्य सरकार UGC . से मान्यता प्राप्ति की जानकारी ले लेना ।
2. क्रेडिट कार्ड मिलते ही निर्धारित जगह पर हस्ताक्षर कर दें ।
3. दवा लाइसेंस प्राप्त दवा विक्रेता से ही खरीदें ।
4. सुनिश्चित करें कि सही मात्रा में पेट्रोल मिल रहा है या नहीं ।
5. L.P.G गैस सिलेंडर की अंतिम तिथि तथा वजन जाँच लें ।
6. ISI तथा एगमार्क , हॉलमार्क उत्पाद वस्तु पर देखें व सही परख करें ।

5. उपभोक्ता कौन है ? संक्षेप में बताएँ ।
उत्तर– ” उपभोक्ता ” बाजार व्यवस्था का केन्द्र होता है । कोई भी व्यक्ति खरीदार की अनुमति से अपने प्रयोग के लिए वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदता या प्रयोग करता है , उपभोक्ता कहलाता है । महात्मा गाँधी के शब्दों में ग्राहक हमारी दुकान में आनेवाला सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है । वह हम पर निर्भर नहीं , हम उन पर निर्भर हैं । यदि उपभोक्ता ना हो तो उत्पादित वस्तुओं की मांग करनेवाला कोई नहीं होगा । अतः उत्पादन की समस्त क्रिया उपभोक्ता पर ही निर्भर करती है ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

1. उपभोक्ता के कौन – कौन से अधिकार हैं ? प्रत्येक को सोदाहरण लिखें ।
उत्तर – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैं-
1. सुरक्षा का अधिकार ( Right of protection ) उपभोक्ता को ऐसे वस्तुओं एवं सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या संपत्ति को हानि पहुँचने की संभावना है । जैसे डॉक्टर की लापरवाही से मरीज को खतरा होने की संभावना ।
2. सूचना का अधिकार ( Right to information ) – अधिकार उपभोक्ता को वे सभी अधिकार प्राप्त करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तुओं या सेवाओं का निर्णय लेता है । जैसे — पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मूल्य , इस्तेमाल करने की अवधि , गुणवत्ता आदि ।
3. चुनाव या पसंद करने का अधिकार ( Right to choose ) निर्मित उपभोक्ता विभिन्न निर्माताओं द्वारा विभिन्न ब्रांडों , किस्म , गुण , रूप , रंग , आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में से किसी को भी चुनने की आजादी है ।
4. शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार ( Right to seek readassel ) यदि क्रय की गई वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं निकली तो उपभोक्ता को मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार है ।
5. सुनवाई का अधिकार ( Right to be heard ) उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करने वाली बातों को सुनवाई के लिए मंच पर प्रस्तुत करने का अधिकार है ।
6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार ( Right of consumer education ) — मूल्य , उसकी उपयोगिता कोटि तथा सेवा की जानकारी , अधिकारों से ज्ञान की प्राप्ति इत्यादि जानने का अधिकार है । इसके माध्यम से शिक्षित उपभोक्ता घोखाधड़ी , दगाबाजी से बचने के लिए स्वयं संबल , संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं एवं उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं ।

2. ‘ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ‘ की मुख्य विशेषताओं को लिखें ।
उत्तर — ‘ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ‘ एक महत्वपूर्ण अधिनियम है , जिसमें उपभोक्ताओं को बाजार में बेची जानेवाली वस्तुओं के संबंध में संरक्षण का अधिकार दिया गया है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में सभी वस्तुओं , सेवाओं तथा व्यक्तियों , चाहे वह निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के , को शामिल किया जाता है । इसके तहत उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार प्राप्त है कि वह वस्तु या सेवा की गुणवत्ता , परिणाम , क्षमता , शुद्धता , मानक और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है । उसे यह अधिकार भी है कि उसे जो वस्तु या सेवा मिल रही है वह खतरनाक तो नहीं है , ताकि वह अपना बचाव कर सके ।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं-
1. सुरक्षा का अधिकार । 2. सूचना का अधिकार । 3. चुनाव या पसंद करने का अधिकार । 4. सुनवाई का अधिकार । 5. शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार । 6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार । ”
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ” के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए तीन स्तरों पर व्यवस्था की गई है
1. राष्ट्रीय स्तर पर ” राष्ट्रीय आयोग ” ।
2 . राज्य स्तर पर ” राज्य स्तरीय आयोग ” ।
3. जिला स्तर पर ” जिला फोरम ” ।
उपभोक्ता को शिकायत होने पर पहले . शिकायत ” जिला – फोरम ” में की जाती है । इसके बाद उपभोक्ता संतुष्ट न हों तो फिर मामले को ” राज्य फोरम ” फिर ” राष्ट्रीय फोरम ” में ले जाया जा सकता है । फिर भी उपभोक्ता संतुष्ट न हों तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर ” उच्चतम न्यायालय ” ( Supreme Court ) में अपील कर सकता है ।

3. उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली त्रिस्तरीय प्रणाली को समझाएँ ।

उत्तर– ” उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा ” उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ” के तहत उपभोक्ता की शिकायतों को दूर करने के लिए व्यवस्था की गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है ।
1. राष्ट्रीय स्तर पर ” राष्ट्रीय आयोग ” ।
2. राज्य स्तर पर ” राज्य स्तरीय आयोग ” ।
3. जिला स्तर पर ‘ जिला मंच ( फोरम ) ‘ ।
यह न्यायिक प्रणाली उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक एवं व्यवहारिक है । इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को जल्दी एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है । जिस तरह अदालतों में मुकदमें दायर होते हैं , उसी तरह उसकी सुनवाई भी होती है । यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से कम है तो वह ” जिला फोरम ” में शिकायत कर सकता है । पुनः अगर वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से ऊपर तथा 1 करोड़ के नीचे हो तो शिकायत राज्य आयोग के पास की जा सकती है । लेकिन अगर वस्तु या सेवा का मूल्य अर्थात् क्षतिपूर्ति की राशि 1 करोड़ से अधिक होने पर उपभोक्ता राष्ट्रीय आयोग में इसकी शिकायत कर सकता है ।

4. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरतों का वर्णन करें ।
उत्तर — वर्तमान समय में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ उपभोक्ताओं का शोषण नहीं होता । सभी क्षेत्रों में त्रुटि , लापरवाही , काला – बाजारी उपभोक्ताओं के लिए घातक है|
उदाहरण के तौर पर-
1. गैस एजेंसियों द्वारा उपभोक्ताओं के घरों तक सिलेंडर समय पर नहीं पहुँचाया जाता जिससे उपभोक्तागण मजबूरी में कालाबाजारी का शिकार होते हैं तथा उनका शोषण होता है । उन्हें मजबूरीवश अधिक कीमतों पर गैस सिलेंडर खरीदना पड़ता है । 2. आज हर गली में शिक्षण संस्थान बहुतायत रूप में खुल रहे हैं जिन्हें राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं होती । इनमें योग्य शिक्षक , पुस्तकालय , प्रयोगशाला , फर्नीचर , खेल का मैदान तथा मानक – पाठ्यक्रम का अभाव होता है तथा ये भ्रामक प्रचार – प्रसार द्वारा छात्रों को झूठा वादा कर गलत ढंग से फीस वसुलते हैं ।

5. ” मानवाधिकार आयोग ” के महत्व को लिखें ।

उत्तर– ” मानवाधिकार आयोग ” आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण रहा है । हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है , जो मानवाधिकारों की रक्षा और उनके अधिकार से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है । इस संस्था को ‘ राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ‘ कहते . हैं । इसके अध्यक्ष भारत के उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते हैं । इसी प्रकार देश के प्रत्येक राज्य में एक ” राज्य मानवाधिकार आयोग ” का गठन किया जाता है जो देश के नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा संबंधी बातों को देखती हैं ।
इसी आधार पर महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार एवं शोषण संबंधी शिकायत के निराकरण के लिए देश के स्तर पर ” राष्ट्रीय महिला आयोग ” तथा ” राज्य महिला आयोग ” का गठन किया ।

6. “ सूचना आयोग ” क्या है ? वर्णन करें ।
उत्तर – अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए उन्हें उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पाद संबंधी सूचना उपलब्ध हो । इस समस्या के निराकरण के लिए सरकार द्वारा देश के स्तर पर ” राष्ट्रीय सूचना आयोग ” और राज्य स्तर पर ” राज्य सूचना आयोग ” का गठन किया गया है । यदि किसी उपभोक्ता को वस्तु या सेवा से संबंधित किसी सूचना की आवश्यकता हो तो वह उसकी सूचना के लिए आवेदन कर सकता है ।

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