Bihar Board (BSEB) 10th Syllabus – Economics (अर्थशास्त्र)
वैश्वीकरण
Bihar Board (BSEB) 10th Syllabus – Economics (अर्थशास्त्र)
class – 10
subject – economics
lesson 6 – वैश्वीकरण
वैश्वीकरण
आज के आर्थिक युग में उदारीकरण , विमीकरण के साथ – साथ वैश्वीकरण की अवधारणा भी अत्यंत आवश्यक है । वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं , प्रौद्योगिकी , पूंजी , श्रम , मानवीय पूंजी का प्रवाह निर्बाध रूप से हो सके । अर्थात् वैश्वीकरण , निजीकरण एवं उदारीकरण का परिणाम है । वैश्वीकरण के चार मुख्य अंग हैं-
( i ) व्यापार तथा व्यापार संबंधी रूकावटों को कम करना । ( ii ) पूंजी का निर्बाध प्रवाह । ( iii ) प्रौद्योगिकी का निर्बाध प्रवाह । ( iv ) श्रम का निर्बाध प्रवाह ।
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं । अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन विश्व स्तर पर करती हैं । बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ आउटसोर्सिंग के माध्यम से अपना कार्य करती हैं । ये कई प्रकार से अपने उत्पाद कार्य का प्रसार करती हैं-
1 , स्थानीय कम्पनी को खरीदकर उत्पादन कार्य का प्रसार करना ।
2. स्थानीय कम्पनी के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन कार्य करना ।
3. अपने माल के उत्पादन के लिए छोटे उत्पादकों का सहारा लेना ।
इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के द्वारा विश्व के दूर – दूर स्थानों पर फैला उत्पादन विश्व को एक – दूसरे से जोड़ रहा है । इस प्रकार विदेशी व्यापार दुनिया के देशों के व्यापारों को जोड़ने का कार्य करता है । वैश्वीकरण को संभव बनाने में कई कारक सहायक रहे हैं जैसे –
1. प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण समय व अंतराल की दूरियाँ कम हो गई हैं । यातायात , दूरसंचार एवं परिवहन प्रौद्योगिकी में बहुत उन्नति हुई है । इनकी मदद से हम दुनिया के किसी भी कोने में तुरंत आ जा सकते हैं , संपर्क स्थापित कर सकते हैं । आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रवेश होने से हम सारी दुनिया की सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं , कम मूल्य पर दुनिया के किसी भी कोने में बात कर सकते हैं । अतः सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विकास ने लोगों को नजदीक लाकर वैश्वीकरण की प्रक्रिया तेज की है । ( ii ) सन् 1991 से उदारीकरण की नीति के तहत आयात – निर्यात पर से प्रतिबंध हटा दिया गया था । विदेशी कंपनियाँ यहाँ अपने कार्यालय एवं कारखाने स्थापित कर सकती थी । अतः विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेश के उदारीकरण की नीति से भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा मिला । विश्व का बड़ा उपभोक्ता बाजार होने के कारण भारत पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान रखता है । ऐसी स्थिति में देश में आधुनिक तकनीकी ज्ञान एवं पूंजी को आकर्षित करने के लिए विश्व बाजार में मानव पूंजी और उत्पादित वस्तु को भेजने में वैश्वीकरण का महत्व बहुत बढ़ गया है ।
वैश्वीकरण के समर्थक भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क देते हैं –
( i ) वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा ।
( ii ) वैश्वीकरण से भारत की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी तथा अर्थव्यवस्था में विकास होगा ।
( iii ) वैश्वीकरण नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करती है ।
( iv ) वैश्वीकरण अच्छी गुणवत्ता की उपभोग की वस्तुएँ कम कीमत पर उपलब्ध करवाता है ।
( v ) वैश्वीकरण नए बाजार तक पहुँचने का रास्ता बताता है ।
( vi ) वैश्वीकरण से ज्ञान का प्रसार तेजी से होता है जिससे उत्पादन तथा उत्पादिता के स्तर को उन्नत बनाता है ।
( vii ) अन्य देशों के संपर्क में आने से कुशलता में वृद्धि हुई ।
( viii ) शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण से मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है ।
वैश्वीकरण की प्रक्रिया नई नहीं है । 1870 ई ० 1914 ई . के दौरान भी श्रमिकों का बिना बाधा प्रवाह होता था । यातायात एवं संचार में भी काफी बदलाव आए थे । उन दिनों ब्रिटेन का दुनिया पर वर्चस्व बना हुआ था तथा पाउंड स्टर्लिंग अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की भूमिका निभा रहे थे ।
यह वैश्वीकरण की ही देन है कि बिहार में सरकार एवं नागरिकों द्वारा राज्य की आधारित संरचना का विकास हो रहा है जिससे राज्य की प्रगति हो सके ।
बिहार पर भी वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं –
1. आज वैश्वीकरण की वजह से ही मानसून आश्रित खेती होने के बावजूद लोगों के लिए आवश्यक खाद्यान्न की भरपाई हो सकती है ।
2. वैश्वीकरण के फलस्वरूप निर्यातों में वृद्धि हुई है जिससे राज्य की आमदनी बढ़ती है ।
3. वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार में विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग भी हुआ है जिससे रोजगार में वृद्धि हुई है । 4. वैश्वीकरण के कारण बिहार के शुद्ध घरेलू उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय बढ़ गई है ।
5. वैश्वीकरण के फलस्वरूप निर्धनता में कमी आई है|
6. वैश्वीकरण के कारण बिहार के बाजारों में विश्वस्तरीय वस्तुएँ उपलब्ध हो गई हैं ।
7. वैश्वीकरण के कारण रोजगार में वृद्धि हुई है ।
8. वैश्वीकरण के प्रभाव से ही बिहार में बहुराष्ट्रीय बैंकों की स्थापना हुई ।
बिहार में वैश्वीकरण के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं-
1. बिहार में वैश्वीकरण पश्चात् भी कृषि आधारित उद्योगों में कितना निवेश होना चाहिए , उतना हुआ नहीं जिसके कारण कृषि विकसित नहीं है ।
2. वैश्वीकरण के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का सामना करना पड़ता है जो उनके लिए खतरे की बात है ।
3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के आने से कुटीर तथा छोटे उद्योगों की बहुत सारी इकाइयाँ बंद हो गई हैं जिससे बहुत बेरोजगारी बढ़ जाती है|
4. बिहार में आधारभूत संरचना की कमी के कारण पूंजी का उतना निवेश नहीं हुआ जितना होना चाहिएl
अत : तुलनात्मक रूप से देखने पर वैश्वीकरण के लाभ उसकी हानियों की तुलना में ज्यादा हैं तथा हानियाँ भी समय के साथ समाप्त होती जाएँगी l
1980 के दशक के अंत तक बहुत सारे कारणों की वजह से सन् 1991 में सरकार ने कुछ नीतियों को अपनाया जिसे नई आर्थिक नीति कहा जाता है । ये आर्थिक सुधार उदारीकरण , निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीतियों पर आधारित हैं ।
आर्थिक सुधारों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. उत्पादन इकाइयों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता स्तर में सुधार लाना ।
2. उत्पादन इकाइयों की प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाना । 3. विदेशी विनियोग एवं तकनीक का अधिक – से – अधिक उपयोग करना ।
4. आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना ।
5. आर्थिक विकास के लिए विश्व व्यापी संसाधनों का प्रयोग करना ।
6. वित्तीय क्षेत्र को अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लायक बनाना ।
7. सार्वजनिक क्षेत्र के कार्य संपादन में सुधार लाना ।
नई आर्थिक नीति की मुख्य विशेषता अर्थव्यवस्था का उदारीकरण , निजीकरण तथा वैश्वीकरण करना है ।
वैश्वीकरण की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आम आदमी को वैश्वीकरण से क्या लाभ हुआ है या फिर उनका जीवन पहले से भी ज्यादा कठिन हो गया है । मूल रूप से आम आदमी के जीवन पर वैश्वीकरण का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा ।
( i ) वैश्वीकरण के कारण दुनिया के सभी देशों के उच्चतम उत्पादन लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध हो सका है ।
( ii ) वैश्वीकरण के कारण औद्योगिक प्रसार से रोजगार के नए – नए अवसर खुल गए हैं ।
( iii ) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विकसित देशों के आधुनिकतम तकनीक आसानी से लब्ध होने लगी है ।
लेकिन वैश्वीकरण के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं-
1. बैश्वीकरण के कारण मशीनी उत्पादन को बढ़ावा मिला जिससे बेरोजगारी बढ़ गई ।
2. विदेशी पूंजी तथा विदेशी कंपनियों के बिना किसी प्रतिबंध आयात होने से बेरोजगारी बढ़ने की संभावना बढ़ गई ।
3. वैश्वीकरण के कारण श्रम कानूनों में लचीलापन आया जिससे आम श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक मिलने में कठिनाई होने लगी ।
4. वैश्वीकरण के कारण मध्यम एवं छोटे उत्पादकों को कठिनाईयाँ होने लगी ।
5. वैश्वीकरण के कारण अब पूंजीपति फार्म हाउस बनाने लगे हैं जिसमें अधिक पूंजी निवेश के द्वारा कम श्रम शक्ति से ही अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।
वैश्वीकरण का आम लोगों पर अधिकांशतः विपरीत प्रभाव पड़ता है । वैश्वीकरण से पूँजी , उत्पाद तथा आय में वृद्धि होती है लेकिन यह लाभ समाज के कुछ मुट्ठी भर लोग ले जाते हैं ।
वैश्वीकरण में ऊँची आय के अमीर व्यक्तियों की आय बढ़ती जाती है और आम लोगों का जीवन कठिन होता जाता है । देश का आम आदमी वैश्वीकरण का कोई लाभ नहीं उठा पाता तथा गरीबी , भुखमरी आदि के शिकार होने लगते है ।
वर्तमान में यदि न्यायपूर्ण वितरण प्रणाली एवं सभी क्षेत्रों के सम्यक् विकास के आधार पर समाज के सभी वर्गों तथा सभी क्षेत्रों का संतुलित विकास किया जाए तभी वैश्वीकरण का तात्कालिक लाभ आम लोगों को प्राप्त हो सकेगा ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
सही विकल्प चुनें
1. नई आर्थिक नीति में किसे सम्मिलित किया गया ? ( क ) उदारीकरण ( ख ) निजीकरण ( ग ) वैश्वीकरण ( घ ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- ( ग )
2. वैश्वीकरण के मुख्य अंग कितने हैं ?
( क ) एक( ख ) दो ( ग ) पाँच ( घ ) चार
उत्तर- ( घ )
3. इनमें से कौन बहुराष्ट्रीय कम्पनी है ?
( क ) फोर्ड मोटर्स ( ख ) सैमसंग
( ग ) कोका कोला ( घ ) इनमे से सभी
उत्तर- ( घ )
4. वैश्वीकरण का अर्थ है –
( क ) विदेशी पूँजी एवं विनियोग पर रोक
( ख ) व्यापार , पूंजी , तकनीक हस्तांतरण , सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
( ग ) सरकारीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाना
( घ ) इनमें कोई नहीं
उत्तर -ख
5. पारले समूह के ‘ थम्स अप ‘ ब्रांड को किस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने खरीद लिया ?
( क ) कोका कोला ( ख ) एल जी ( ग ) रिबॉक ( घ ) नोकिया
उत्तर- ( क )
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें ।
1. वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का ………अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय ।
उत्तर – विश्व
2. व्यापार , पूँजी , तकनीक , हस्तांतरण , सूचना प्रवाह के माध्यम ………….से बढ़ावा मिलता है । उत्तर – वैश्वीकरण
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में ……… भूमिका निभा रही है ।
उत्तर – मुख्य
4. विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को……. का कार्य करते हैं ।
उत्तर – जोड़ने
5. W.T.O. ( World Trade Organisation ) की स्थापना सन्…… में की गई ।
उत्तर -1995
लघु उत्तरीय प्रश्न :
1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – वह प्रक्रिया जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का पकीकरण कियसा जाता है , जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं , प्रौद्योगिकी , पूँजी और श्रम या मानवीय पूँजी का बिना किसी रूकावट के प्रवाह हो सके , ” वैश्वीकरण ” कहलाती है । बैंको मिलनोविक के अनुसार , ” वैश्वीकरण का अर्थ पूँजी , वस्तु , प्रौद्योगिकी एवं लोगों के विचार का स्वतंत्र प्रवाह होता है । कोई भी ऐसा वैश्वीकरण आशिक ही माना जाएगा जिसमें मानवीय संपदा के प्रवाह में रूकावट आए । ” वैश्वीकरण के कारण ही विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं , पूँजी और प्रौद्योगिकी का आदान – प्रदान हो रहा है । दुनिया के विभिन्न देशों के लोग एक – दूसरे के अधिक संपर्क में आये हैं ।
2. बहुराष्ट्रीय कंपनी किसको कहते हैं ?
उत्तर – वैसी कंपनियाँ जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामित्व रखती है , ‘ बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘ कहलती है । जैसे सैमसंग , कोका कोला , फोर्ड मोटर्स , इंफोसिस , टाटा मोटर्स आदि । बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उत्पादन लागत में कमी करने एवं अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उन जगहों या देशों में उत्पादन कारखाने स्थापित करती है , जहाँ उन्हें सस्ता श्रम , सस्ता कच्चा माल एवं अन्य संसाधन आसानी से उपलब्ध हो सकें । उदाहरण के लिए , ‘ डाबर ‘ कंपनी सस्ती भूमि एवं श्रम की उपलब्धता के कारण अपनी वस्तुओं का उत्पादन नेपाल में करती है ।
3. विश्व व्यापार संगठन क्या है ? यह कब और क्यों स्थापित किया गया ?
उत्तर – विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है , जिसका उद्देश्य है अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना । इस संगठन की स्थापना जनवरी 1995 ई ० में की गई थी । वर्तमान में 149 देश विश्व व्यापार संगठन ( 2006 ) के सदस्य हैं । भारत भी इसका संस्थापक सदस्य रहा है । इसका मुख्यालय जेनेवा में है । विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है और यह कोशिश करता है कि इन नियमों का पालन हो । यह सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा देता है ।
4. भारत में सन् 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर -1980 के दशक के अतिम तक सरकार का व्यय उसके राजस्व से इतना अधिक हो गया कि उसे क्षमता से अधिक माना जाने लगा । वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि होने लगी । आयात में वृद्ध होने लगी । पन्द्रह दिनों के लिए भी आवश्यक वस्तु जैसे — पेट्रोल आदि का आयात का भुगतान करने योग्य मुद्रा भी विदेशी मुद्रा के सुरक्षित भंडार में नहीं था । भारत सरकार के पास अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाताओं की ब्याज चुकाने के लिए भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं बची थी । 1990-91 के खाड़ी युद्ध से ये संकट और भी बढ़ गया । इन सब कारणों से सन् 1991 ई . में सरकार ने कुछ नई नीतियों को अपनाया जिसे नई आर्थिक नीति कहा जाता है । इसमें आर्थिक सुधारों को सम्मिलित किया गया ।
इस आर्थिक नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
( क ) उत्पादन इकाईयों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता स्तर में सुधार लाना ।
( ख ) उत्पादन इकाईयों को प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाना ।
( ग ) विदेशी विनियोग एवं तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना ।
( घ ) आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना ।
( ङ ) आर्थिक विकास के लिए विश्वव्यापी संसाधनों का प्रयोग करना ।
( च ) वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाना ।
( छ ) सार्वजनिक क्षेत्र के कार्य – संपादन में सुधार लाना l
5. उदारीकरण को परिभाषित करें ।
उत्तर – सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रणों तथा प्रतिबंधों जैसे — लाइसेंस , कोटा आदि को हटाना उदारीकरण कहलाता है । सुधारों के अन्तर्गत सन् 1991 से भारत सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनायी ।
6. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंध करना ‘ निजीकरण ‘ कहलाता है । आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत भारत सरकार ने सन् 1991 से निजीकरण की नीति अपनायी ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
1. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कई प्रकार से अपने उत्पादन कार्य का प्रसार करती है । जैसे-
( क ) स्थानीय कंपनी को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना । उदाहरण के लिए , पारले समूह के ‘ थम्स अप ‘ ब्रांड को कोका कोला ( जो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है ) ने खरीद लिया ।
( ख ) कभी – कभी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूसरे देशों के स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती है , इससे स्थानीय कंपनियों को नवीन प्रौद्योगिकी मिलता है और उत्पादन के लिए पूँजी मिलती है , क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के पास अधिक पूंजी होती है ।
( ग ) बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ माल के उत्पादन के लिए छोटे उत्पादकों का सहारा लेती है । वस्त्र , जूते , खिलौने आदि का उत्पादन छोटे उत्पादकों के द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए किया जाता है और इन उत्पादकों बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने ब्रांड के नाम से दुनिया भर में बेचती है ।
इस तरह विश्व के दूर – दूर स्थानों पर फैला उत्पादन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा एक – दूसरे से संबंधित हो रहा है । इस तरह बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रहा है ।
2. वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बताएँ ।
उत्तर – वैश्वीकरण का बिहार पर कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़े , जो इस प्रकार है –
( क ) कृषि उत्पादन में वृद्धि – बिहार की कृषि मॉनसून पर आधारित है । इसी वजह से 2009 में कम वर्षा होने के कारण सुखाड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है । लेकिन वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण ही कृषि उत्पाद में कमी होने के बावजूद सरकार यह कहने में सक्षम है कि लोगों के खाद्यान्न की आवश्यकताओं की भरपाई की जा सकती है ।
( ख ) निर्यातों में वृद्धि – वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार से किए गए निर्यातों में वृद्धि हुई है । इन निर्यातों में खाद्य एवं व्यवसायिक फसलों का निर्यात , निर्मित वस्तुओं का निर्यात आदि शामिल हो गये हैं । एवं लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का निर्यात आदि शामिल हो गए हैं
( ग ) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग की प्राप्ति वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार में विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग भी हुआ है और इसमें दिलचस्पी भी दिखाई गई है ।
( घ ) निर्धनता में कमी – वैश्वीकरण के बाद राज्य में निर्धनता में कमी आयी है । 1993 94 में निर्धनता रेखा से नीचे आनेवाली जनसंख्या 54.96 % था जो 1999-2000 में घटकर 42.60 % हो गया ।
( च ) रोजगार के अवसरों में वृद्धि वैश्वीकरण के फलस्वरूप रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है । वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि बिहार के बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर विदेशों में नौकरी कर रहे हैं । ( छ ) बहुराष्ट्रीय बैंक एवं बीमा कंपनियों का आगमन वैश्वीकरण के फलस्वरूप बहुराष्ट्रीय बैंकों जैसे HSBC बैंक आदि का आगमन हुआ । बिहार में बहुराष्ट्रीय बीमा कंपनियाँ , भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त कम्पनी के रूप में बाजार में आ रही हैं । जैसे — बजाज एलियांज , बिरला सनलाइफ आदि ।
( ज ) विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता — वैश्वीकरण के कारण बिहार में विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध हो गयो हैं । जैसे — बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मोबाइल फोन , जूते आदि ।
बिहार पर वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव –
( क ) कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है । यहाँ बड़े पैमाने पर उद्योग – धंधे काफी कम हैं , इसलिए कृषि आधारित उद्योगों के विकास को संभावना है । लेकिन , वैश्वीकरण के बाद जितना निवेश होना चाहिए , उतना नहीं हुआ है ।
( ख ) कुटीर एवं लघु उद्योग पर विपरीत प्रभाव बिहार में बड़े पैमाने के उद्योग – धंधे कम हैं । यहाँ कुटीर एवं लघु उद्योग ज्यादा हैं , लेकिन वैश्वीकरण के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों जैसे लघु एवं कुटीर उद्योग पर मुश्किलें आयी हैं , क्योंकि उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं को बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का सामना करना पड़ता है , जो क्वालिटी में इनसे अच्छी और सस्ती होती है ।
( ग ) रोजगार पर विपरीत प्रभाव बिहार में छोटे पैमाने के उद्योग – धंधे ज्यादा हैं जैसे – कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग आदि । बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के आने से बहुत सारी इकाइयाँ बंद हो गई । जिसके कारण बहुत सारे श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं ।
( घ ) आधारभूत संरचना के कम विकास के कारण कम निवेश – देश के अन्य राज्यों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप जितना पूँजी निवेश हुआ है , उतना बिहार में नहीं हुआ है । इसका कारण है बिहार में आधारभूत संरचना में कमी ।
3. भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें ।
उत्तर -भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं-
( i ) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रोत्साहन – वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा । जिससे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेगा ।
( ii ) प्रतियोगी व्यक्ति में वृद्धि – वैश्वीकरण के फलस्वरूप विकासशील देशों की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का विकास होगा ।
( iii ) नई – प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक – वैश्वीकरण विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तैयार की गई नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है ।
( iv ) नये बाजार तक पहुँच — इसके फलस्वरूप विकासशील देशों के लिए दुनिया के बाजारों का मार्ग खुला ।
( v ) बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सुधार — वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के अन्य देशों के संपर्क में आने से बैकिंग तथा क्षेत्र में सुधार होगा ।
( vi ) मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास – वैश्वीकरण के दो प्रमुख घटक हैं , शिक्षा तथा कुशल प्रशिक्षण । इससे मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है ।
( vii ) अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति – वैश्वीकरण विकासशील देशों को अच्छी – अच्छी गुणवता वाली उपभोग वस्तुओं को कम कीमत में प्राप्त करने योग्य बनाता है ।
( viii ) उत्पादन तथा उत्पादित के स्तर को उन्नत करना – वैश्वीकरण से ज्ञान का प्रसार होता है , जिसके परिणामस्वरूप विकासशील देश अपने उत्पादन और उत्पादिता के स्तर को उन्नत कर सकते हैं ।
4. वैश्वीकरण का आम आदमी पर पड़े प्रभावों की चर्चा करें ।
उत्तर – वैश्वीकरण का आम आदमी पर अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़ा ।
( i ) उपयोग के आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता – वैश्वीकरण के फलस्वरूप लोगों को दुनिया के उच्चतम उत्पादन उपयोग करने के लिए उपलब्ध हो गया है । उदाहरण के लिए , पहले लोग मनोरंजन के लिए रेडियो का प्रयोग करते थे और आज विभिन्न कंपनियों की टेलीविजन उपलब्ध हैं ।
( ii ) रोजगार की बढ़ी हुई संभावना – वैश्वीकरण के कारण औद्योगिक प्रसार हुआ है , जिससे रोजगार के अवसर विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध हो गए हैं ।
( iii ) आधुनिकतम तकनीक की उपलब्धता – वैश्वीकरण के फलस्वरूप विकसित देशों के आधुनिकतम तकनीक अन्य विकासशील देशों में आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं ।
वैश्वीकरण का आम आदमी पर पड़ा बुरा प्रभाव –
( i ) बेरोजगारी बढ़ने की आशंका – वैश्वीकरण के कारण आधुनिक संयंत्रों से मशीनी उत्पादन को बढ़ावा मिला है , जिससे बेरोजगारी की आशंका बढ़ने लगी । ( ii ) उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतियोगिता – विदेशी पूँजी एवं विदेशी कंपनियों के बिना किसी प्रतिबंध के आयात होने से आम लोगों में बेरोजगारी फैलाने की संभावना बढ़ी है ।
( iii ) श्रम – संगठनों पर बुरा प्रभाव – वैश्वीकरण के कारण श्रम कानूनों में लचीलापन आया है , जिससे श्रमिक संगठन कमजोर हो गया है , जिस कारण आम श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक मिलने में कठिनाई आने लगी है ।
( iv ) मध्यम एवं छोटे उत्पादकों की कठिनाई – वैश्वीकरण के कारण जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देश में आने लगी हैं , उससे मध्यम और छोटे उद्योग और व्यवसाय के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न होने लगा । ( v ) कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का संकट वैश्वीकरण के कारण देश और विदेश के बड़े – बड़े पूँजीपति फार्म हाऊस बनाने लगे हैं , जिसमें कृषि के क्षेत्र में भी अधिक पूँजी निवेश के द्वारा कम श्रम – शक्ति से ही उत्पादन प्राप्त करने लगे हैं ।