Bihar Board 10th Model Paper Economics – रोजगार एवं सेवाएँ
रोजगार एवं सेवाएँ
Bihar Board 10th Model Paper Economics
class – 10
subject – economics
lesson 5 – रोजगार एवं सेवाएँ
रोजगार एवं सेवाएँ
रोजगार से हमारा तात्पर्य देश के मानव संसाधनों को ऐसे कार्यों में लगाना जिससे देश की उत्पादकता बढ़ सके । धन को जब पूंजी के रूप में उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है । अत : रोजगार एवं सेवाएँ एक – दूसरे के पूरक हैं । आर्थिक विकास के तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं
( i ) कृषि क्षेत्र — जनसंख्या का 67 % कृषि पर निर्भर करता है । अत : रोजगार के अवसर क्षीण हो गए हैं तथा छिपी हुई बेरोजगारी भी पाई जाती है । ( ii ) उद्योग क्षेत्र — इस क्षेत्र में भी रोजगार उपलब्ध होते हैं लेकिन औद्योगिक विकास नहीं होने के कारण यह प्रभावकारी नहीं है ।
( iii ) सेवा क्षेत्र – सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 % से भी ज्यादा है । इसके अंतर्गत मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होते हैं । सेवा क्षेत्र के विकास के लिए लोगों का शिक्षित होना आवश्यक होता है । जिस देश या राज्य का मानव संसाधन जितना ही समृद्ध होता है उसका विकास उतनी ही तीव्र गति से होता है । सेवा क्षेत्र को दो भागों में विभक्त किया गया है –
( i ) सरकारी क्षेत्र – जब देश व राज्य की सरकारें लोगों को काम करने के बदले मासिक वेतन देते हैं तो यह सरकारी क्षेत्र कहलाता है । जैसे — सैन्य सेवा , शिक्षा सेवा इत्यादि ।
( ii ) गैर – सरकारी क्षेत्र – जब सरकार , गैर सरकारी संस्थाओं से सहयोग लेती हैं या लोग स्वयं अपने प्रयास से सेवाओं का सृजन करते हैं तो उसे गैर सरकारी सेवा क्षेत्र कहते हैं । सेवा क्षेत्र सरकारी हो या गैर सरकारी , दोनों ही परिस्थितियों में वह रोजगार का सृजन करता है । इनके विकास के लिए हमें प्रशिक्षित तथा अद्धप्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता होती है । जितना ही शिक्षा का स्तर मजबूत होता है इतनी ही अधिक मात्रा में मानव बल का प्रयोग किया जाएगा जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी । देश के बेरोजगारों के करीब 62 % लोगों को सरकार के द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों से रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है ।
सेवा क्षेत्र में भारत में होटल , परिवहन , यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएँ काफी तेजी से बढ़ी हैं , सेवा क्षेत्र में विशेष कर वित्तीय सेवाओं की वृद्धि पर जो 2003-04 में 5.6 % थी वही 2006 07 में बढ़कर 11.1 % हो गई है । आज महत्वपूर्ण सेवाएँ विदेशों से प्राप्त करने की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ गई है जैसे कम्प्यूटर विज्ञान , विज्ञापन , कानूनी सेवाएँ आदि । भारत से आज कॉल सेन्टर , अभिलेखांकन , लेखांकन , बैंकिंग सेवाएँ , रेलवे पूछताछ , संगीत की रिकार्डिंग , पुस्तक रेखांकन संघ की कम्पनियाँ प्राप्त कर रही हैं । इसका मुख्य कारण कुशल श्रम शक्ति की उपलब्धता तथा निम्न मजदूरी दर है । भारत अपने श्रम को मेधाशक्ति , कुशलता , विशिष्टता एवं निम्न मजदूरी के कारण जो सेवाएँ विदेशों को उनकी कम्पनियों के लिए भेजता है , उसकी तुलनात्मक लागत काफी कम होती है । इसलिए इस क्षेत्र में काफी रोजगार सृजन मिलता है । सेवा क्षेत्र के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं जैसे सिंचाई , विद्युत ऊर्जा , यातायात एवं परिवहन , दूर संचार , विश्वस्तरीय संचार सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में होनी आवश्यक होती हैं । ये सुविधाएँ देशी – विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करती हैं । आर्थिक आधारभूत संरचनाओं के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हैं
वित्त – बैंकिंग क्षेत्र , बीमा क्षेत्र अन्य सरकारी वित्तीय क्षेत्र ।
ऊर्जा – कोयला , विद्युत , तेल , पेट्रोलियम , गैस , गैर पारंपरिक ऊर्जा इत्यादि ।
यातायात – रेलवे , सड़कें , वायुयान , यातायात आदि । संचार – डाक , तार , टेलीफोन , टेली संचार , मीडिया आदि ।
शिक्षा – अनौपचारिक शिक्षा , प्रारंभिक शिक्षा , माध्यमिक शिक्षा , उच्चतर माध्यमिक शिक्षा , तकनीकी शिक्षा एवं अन्य ।
स्वास्थ्य – अस्पताल , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नर्सिंग होम इत्यादि ।
नागरिक सेवाएँ – सामाजिक चेतना , सफाई एवं अन्य|
इन बुनियादी सुविधाओं से प्रत्यक्ष मानव पूंजी का निर्माण होता है जिसके बिना आर्थिक विकास संभव नहीं है । इन घटकों के विकास से ही सेवा क्षेत्र का आधार मजबूत होता है । अर्थात् मानव पूँजी का अभिप्राय एक देश में एक निश्चित समय सीमा पर कुशलता , क्षमता सुविज्ञता , शिक्षा तथा ज्ञान के भंडार से है । अत : मानवीय संसाधनों से और अधिक मानव पूँजी के उत्पादन के लिए हमें मानव पूंजी में निवेश करने की आवश्यकता होती है । कुशल मानव पूँजी रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों को जन्म देती है । उदाहरण के तौर पर भारत के इंजीनियर कुशाग्र एवं तीक्ष्ण बुद्धि के होते हैं । अत : हमारे देश में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर काफी बढ़े हैं । भारत में 1991 ई . में वैश्वीकरण के पश्चात् विकास में काफी परिवर्तन हुए हैं ।
वैश्वीकरण , उदारीकरण एवं निजीकरण के कारण लोगों को दूसरे राष्ट्र में जाकर रोजगार करने के अवसर भी प्राप्त होने लगे हैं । विकसित राष्ट्रों जैसे संयुक्त राष्ट्र अमेरिका , स्वीटजरलैंड , फ्रांस , रूस , जापान , चीन इत्यादि जैसे जगहों पर भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी काम करने लगे हैं । बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने के कारण तवसीको क्षेत्र के वैज्ञानिकों का समायोजन भारत में नहीं हो पाया । अतः यहाँ के वैज्ञानिक बाहर जाकर काम करने लगे हैं । वर्तमान मंदी के कारण सेवा क्षेत्र काफी प्रभावित रहा । विकसित राष्ट्रों में तकनीकी वैज्ञानिकों की छंटनी कर दी गई । कई वित्तीय संस्थाओं को अमेरिका में अपनी सेवाएं बंद करनी पडी ।
भारत पर इसका असर यहाँ की पूँजी बाजार की मजबूती की वजह से कम पड़ा । खासकर भारत में सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है । अत : आधारभूत संरचना कमजोर होने के बावजूद मंदी का असर हमारे देश पर काफी कम पड़ा । भारत का बंगलौर शहर सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है ।
लेकिन मंदी का प्रभाव हमारे बिहार पर पड़ा है । हमारे राज्य के जो इंजीनियर मंदी में पड़े राष्ट्र में रोजगार में थे उन्हें वहाँ से निकाल दिया गया जिसकी वजह से उन्हें नए सिरे से रोजगार ढूंढ़ने की आवश्यकता पड़ गई । इन राष्ट्रों से हमारे राज्य में जो आय आती थी उसकी मात्रा भी घट गई ।
अतः वर्तमान मंदी का विश्व के अधिकांश भागों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा । कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था होने के कारण भारत में मंदी का दुष्प्रभाव अधिक नकारात्मक नहीं पड़ा । मंदी के इस दौर में कृषि की महत्ता का अहसास होने लगा है । इस बात की आवश्यकता होने लगी है कि कृषि और कृषि जन उद्योगों को अत्यधिक मजबूत बनाया जाए ।
भातीय पूंजी बाजार की मजबूती , मानवीय श्रम की उच्च दक्षता एवं विशाल श्रमशक्ति के कारण यह आशा व्यक्त की जाती है कि 21 वीं सदी में भारत विकास की उच्च सीमा पर पहुंचकर विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा हो जाए ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनें ।
1. आर्थिक विकास का तीसरा क्षेत्र क्या है ?
( क ) कृषि क्षेत्र ( ख ) विज्ञान क्षेत्र ( ग ) शिक्षा क्षेत्र ( घ ) सेवा क्षेत्र
उत्तर- ( घ )
2 . मानव पूंजी के प्रमुख घटक कितने हैं ?
( क ) 6 ( ख ) 4 ( ग ) 5 ( घ ) 8
उत्तर- ( ग )
3. कौन बिमारू ( Bimaru ) राज्य नहीं है ?
( क ) बिहार ( ख ) मध्य प्रदेश ( ग ) उत्तर प्रदेश ( घ ) उड़ीसा
उत्तर- ( ग )
4. कौन – सी सेवा गैर सरकारी है ?
( क ) सैन्य सेवा ( ख ) वित्त सेवा ( ग ) मॉल सेवा ( घ ) रेल सेवा
उत्तर ( ग )
5. ऊर्जा के मुख्य स्रोत क्या हैं ?
( क ) कोयला ( ख ) पेट्रोलियम ( ग ) विद्युत ( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- ( घ )
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. Out Sourcing किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ या अन्य कम्पनियाँ संबंधित सेवाएँ स्वयं अपनी कम्पनियों की बजाए किसी बाहरी या विदेशी स्रोत या संस्था या समूह से प्राप्त करती है , तो उसे बाह्य स्रोत ( Out sourcing ) कहा जाता है । सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रसार से ये गतिविधियाँ काफी महत्वपूर्ण और विशिष्ट आर्थिक गतिविधियाँ बन गई हैं ।
2 . सूचना प्रौद्योगिकी ( Information Technology ) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र को बतलाएँ ।
उत्तर — सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र हैं ( i ) कम्प्यूटर सेवाएँ , ( ii ) विज्ञापन सेवाएँ , ( iii ) सुरक्षा सेवाएँ , ( iv ) कानूनी सेवाएँ , ( v ) चिकित्सकीय सेवाएँ ।
3. सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में काम के बदले मासिक वेतन देश व राज्य की सरकार से प्राप्त होती है , तो इसे सरकारी सेवा की सूची में रखा जाता है । जैसे — सैन्य सेवा , स्वास्थ्य सेवा , अभियंत्रण सेवा , वित्त सेवा , शिक्षा सेवा , बैकिंग सेवा आदि ।
4. गैर – सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर – जब सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रम , गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों तक पहुँचते हैं या लोग अपने प्रयास से ऐसी सेवाओं से लाभांवित होते हैं , तो उसे गैर सरकारी सेवा के अंतर्गत रखा जाता है । उदाहरण – ब्यूटी पार्लर , दूरसंचार सेवाएँ , स्वरोजगार सेवाएँ , विमान सेवाएँ , बैकिंग सेवाएँ आदि|
5. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं ?
उत्तर – आधारभूत संरचना वे सुविधाएँ हैं , जिसकी अनुपस्थिति में विकास की क्रिया संभव नहीं है । देश या राज्य की प्रगति कृषि , उद्योग एवं व्यापार पर निर्भर करती है और इनकी प्रगति आधारभूत संरचना पर निर्भर करती है । जिस देश या राज्य की आधारभूत संरचना मजबूत होती है , वह देश का राज्य काफी आगे होता है ।
6. ‘ रोजगार ‘ और ‘ सेवा ‘ में क्या संबंध है ?
उत्तर – ‘ रोजगार ‘ और ‘ सेवा ‘ एक – दूसरे के पूरक हैं । रोजगार और सेवा का अभिप्राय है कि जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर आजीविका के लिए धन कत्रित करता है , फिर जमा किए गए धन को जब पूँजी के रूप में उपयोग किया जाता है और उत्पादन के 1 क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है ।
7. आर्थिक संरचनाओं का क्या महत्त्व है ?
उत्तर -आर्थिक संरचनाओं के अंतर्गत वैसी सुविधाएँ आती हैं , जो प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन और लोगों की खुशहाली में वृद्धि करती है । आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है । आर्थिक संरचनाओं के अंतर्गत निम्नलिखित आते हैं वित्त , ऊर्जा , यातायात , शिक्षा , स्वास्थ्य , संचार ।
8. मंदी का असर भारत में क्या पड़ा ?
उत्तर -भारत पर मंदी का असर अन्य विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम पड़ा , इसका प्रमुख कारण था यहाँ को पूँजी बाजार का काफी मजबूत अवस्था में होना , मानवीय श्रम की उच्च दक्षता एवं विशाल श्रमशक्ति । भारत का सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है । यहाँ के बंगलोर शहर का सूचना प्रौद्योगिकी विश्व के अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी में से एक है । कृषि प्रधान देश होने से यहाँ की जनसंख्या पर मंदी का दुष्प्रभाव अधिक नकारात्मक नहीं हुआ है । बिहार के ऊपर मंदी का कुछ प्रभाव पड़ा । यहाँ के जो इंजीनियर मंदी पड़े देशों में काम करते थे , उन्हें वहाँ से निकाल दिया गया , जिसके फलस्वरूप उन्हें नये सिरे से रोजगार हासिल करने की आवश्यकता हुई । यहाँ उन राष्ट्रों से जो आय हमारे राज्य में आता था उसकी मात्रा में भी कमी आ गयी ।
9. वैश्वीकरण का प्रभाव सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ?
उत्तर – वैश्वीकरण के प्रभाव से एक नई और महत्वपूर्ण विशाल गतिविधि के रूप में आउट सोर्सिंग ( Out sourcing ) उभरकर सामने आई । जब बहुराष्ट्रीय कंपनिया या किसी कंपनिया संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कम्पनियों की बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्रोत से प्राप्त करती है तो उसे आउट सोर्सिग ( Out sourcing ) कहते हैं । इसके अंतर्गत कम्प्यूटर सेवाएँ , कानूनी सेवाएँ , चिकित्सीय सेवाएँ , विज्ञापन , सुरक्षा सेवाएँ आती हैं ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. सेवा क्षेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखें ।
उत्तर – सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है , जिसके अन्तर्गत मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं । वर्तमान समय में सेवा क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा का योगदान हो गया है । 2006-07 की आर्थिक समीक्षा और 2007-08 के केन्द्रीय बजट के अनुसार सेवा क्षेत्र का यह योगदान 68.6 प्रतिशत हो गया है । सेवा क्षेत्र के विकास के लिए मनुष्य का शिक्षित होना आवश्यक है । किसी देश या राज्य मानव पूँजी जितना अधिक समृद्ध होता है , उस देश या राज्य का आर्थिक विकास भी उतनी ही तीव्र गति से होता है । समृद्ध मानव पूँजी से सशक्त श्रम शक्ति का जन्म होता है , जिससे लोग रोजगार पाने में सक्षम हो पाते हैं ।
2. भारत विश्व को सेवा प्रदाता के रूप में कैसे है , उदाहरण सहित लिखें ।
उत्तर – भारत विश्व को अनेक प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है । भारत में होटल व्यापार , परिवहन अधवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएँ काफी तेजी से बढ़ी हैं । इसमें मोबाइल और टेलीफोन का योगदान सबसे अधिक है । सेवा क्षेत्र में विशेषकर वित्तीय सेवाओं की दर जो 2003 04 में 5.6 प्रतिशत थी , वह 2004-05 में बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो गयी । 2005-06 में यह वृद्धि दर बढ़कर 10.9 प्रतिशत तथा 2006-07 में 11.1 प्रतिशत हो गई । फिर उदारनीति के कारण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विशाल गति के रूप में आउट सोर्सिंग ( Out Sourcing ) उभरकर सामने आई । आउट सोर्सिंग आय के समय में एक बहुचर्चित गतिविधि है । इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों या अन्य कंपनियाँ संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कम्पनियों की बजाए किसी बाहरी या विदेशी स्रोत से प्राप्त करती हैं । इन नीतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभावकारी प्रभाव पड़ा है । भारत से कॉल सेन्टर , अभिलेखांकन , लेखांकन , बैंकिंग सेवाएँ , संगीत को रिकार्डिंग , रेलवे पूछ – ताछ , पुस्तक शब्दांकन , चिकित्सा संबंधी परामर्श , शिक्षण एवं शोध कार्य इत्यादि सेवाएँ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका , यूरोपीय संघ जैसे कई विकसित देशों को प्रदान की जाती हैं ।
3. सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास क्या किये गये हैं , वर्णन करें ।
उत्तर – सेवा क्षेत्र में भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । जिसकी देख – रेख राज्य सरकार की ओर से भी किया जाता है । जैसे-
( क ) काम के बदले अनाज -14 नवम्बर , 2004 ( ख ) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम -1980182 वर्ग के लिए
( ग ) ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण का कार्यक्रम -1979
( घ ) ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम -1983
( च ) समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम -20 अक्टूबर 1980
( छ ) जवाहर रोजगार योजना -1989
( छ ) स्वयं सहायता समूह
( झ ) नरेगा इत्यादि ।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से देश के बेरोजगारी समस्या को दूर करने की कोशिश की जा रही है । ऐसा अनुमान है कि इन योजनाओं के माध्यम से करीब 62 % बेरोजगार लोगों को रोजगार की प्राप्ति हुई है । ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नरेगा विश्व की सबसे बड़ी योजना मानी जाती है । इस बार पंचायत , प्रखंड एवं जिला स्तर पर विचौलियों के कारण ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोग नरेका से लाभान्वित नहीं हो सके हैं । इस कारण नरेगा के कार्यान्वयन की कठिनाइयों को दूर कर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार देने के लिए मजबूत योजना बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं ।
4. गैर सरकारी संस्था किस प्रकार सेवा क्षेत्र के विकास को सहयोग करता है ? उदाहरण लिखें ।
उत्तर — गैर सरकारी संस्था सेवा क्षेत्र के विकास में बहुत सहयोगी होता है , सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को लोगों तक पहुँचाने में गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । गैर सरकारी सेवा क्षेत्र के अंतर्गत ब्यूटी पार्लर , दूरसंचार सेवाएँ , बैकिंग सेवाएँ , स्वरोजगार सेवाएँ , बस सेवा , विमान सेवा इत्यादि ।
5. वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ? लिखें ।
उत्तर – वैश्वीकरण , निजीकरण एवं उदारीकरण के कारण लोगों को आर्थिक विकास क्षेत्र के खासकर सेवा क्षेत्र का लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलने लगा । दूसरे राष्ट्र में जाकर रोजगार करने का लोगों को अवसर मिला । विकसित राष्ट्र अमेरिका , फ्रांस , रूस , जापान , स्वीट्जरलैंड , चीन इत्यादि जगहों में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को काम करने का मौका मिल गया । यहाँ के वैज्ञानिकों ने कम मजदूरी पर इन राष्ट्रों में काम करना शुरू किया । वर्तमान मंदी के कारण सेवा क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है । उपभोक्ताओं की माँग लगातार बढ़ी है पर उत्पादकों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है । उत्पादकों को लागत मूल्य से कम आय प्राप्त हो रही है । इसी कारण से विकसित राष्ट्रों से तकनीकी वैज्ञानिकों को रोजगार से छंटनी कर दी गई । भारत के उन वैज्ञानिकों पर भी प्रभाव पड़ा जो दूसरे राष्ट्र में रोजगार करते हैं । उत्पादन की क्रिया शिथिल हो गयी । अधिक घाट के कारण विकसित राष्ट्रों में आत्महत्या की घटनाएँ होने लगीं । अमेरिका में कई वित्तीय संस्थाओं को अपनी सेवाएँ बंद करनी पड़ी । भारत पर इसका असर कम पड़ा क्योंकि यहाँ का पूँजी बाजार मजबूत है । यहाँ का सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है । यहाँ की आधारभूत संरचना कमजोर है फिर भी यहाँ मंदी का असर कम पड़ा ।