How to write an essay – निबंध कैसे लिखें?
How to write an essay – निबंध कैसे लिखें?
How to write an essay
निबंध कैसे लिखें ?
निबन्ध रचना
अंग्रेजी शब्द ‘ ऐस्से ‘ का हिन्दी में निबन्ध ‘ पर्यायवाची है । ऐस्से फ्रांसीसी भाषा का शब्द है । विदेशी विद्वानों के मतानुसार सब प्रकार के बन्धनों से मुक्त स्वछन्द रचना को निबन्ध ‘ कहते हैं । निबन्ध बड़े – से – बड़े और छोटे – से – छोटे विषय पर लिखा जा सकता है । अंग्रेज विद्वानों के मतानुसार निबन्ध की कोई सीमा निश्चित नहीं की जा सकती । दो चार पृष्ठों का भी निबन्ध लिखा जा सकता है और अधिक से अधिक पृष्ठों का भी । कुछ विद्वानों का यह भी विचार है कि ‘ निबन्ध ‘ ‘ अनियमित और असम्बद्ध ‘ रचना को कहते हैं , इस रचना में ” मन की उन्मुक्त उड़ना होती है । वास्तव में ” निबन्ध वह रचना है जिसमें किसी विषय पर कोई लेखक सीमित समय और सीमित शब्दों में अपने क्रमबद्ध विचार व्यक्त करता है । ‘ निबन्ध की पृष्ठ भूमि में लेखक का व्यक्तित्व होता है , उसके मनोभाव होते हैं । एक ही विषय पर लिखे गए भिन्न – भिन्न लेखकों के विचारों में भिन्नता होना स्वाभाविक ही है । इसलिए निबन्ध लेखन में , जितना लेखक के व्यक्तित्व का महत्त्व होता है , उतना विषय का नहीं । अत्यन्त शुष्क विषय को भी लेखक अपनी प्रतिभा और व्यक्तित्व से चमका देता है । निबन्ध लिखने में दो वस्तुओं की आवश्यकता होती है- ( १ ) सामग्री , ( २ ) शैली । सुन्दर निबन्ध के लिखने के लिए सुन्दर शैली की आवश्यकता है । केवल शैली से ही काम नहीं चल सकता , उसके लिए सामग्री भी चाहिए । शैली अचछी हो और सामग्री कुछ न हो तब भी अच्छा निबन्ध नहीं लिखा जा सकता । अतः .. सामग्री और शैली दोनों अन्योन्याश्रित हैं । न केवल शैली से ही काम चल सकता है और न अकेली सामग्री से ही ।
सामग्री – निबन्ध लेखन में सामग्री अत्यन्त आवश्यक तत्व है । इस मुख्य तत्त्व के अभाव में न कोई लेख लिखा जा सकता है और न कोई निबन्ध । सामग्री एकत्र करना कोई साधारण काम नहीं है इसमें कई बातों के योग की आवश्यकता पड़ती है । हम जिस संसार में रहते हैं , उसकी प्रत्येक वस्तु का सूक्ष्म निरीक्षण करें , उसके विषय में हमें पूरा ज्ञान होना चाहिए । हमें भिन्न – भिन्न स्थानों का पर्यटन करना भी आवश्यक है , क्योंकि बिना देशाटन के हम किसी वस्तु का यथा – तथ्य वर्णन नहीं कर सकते । निबन्ध लिखने की प्रमुख बात है कि हमारा भिन्न – भिन्न वस्तुओं पर गम्भीर अध्ययन होना चाहिए और विशेष रूप से उस वस्तु पर जिस पर हमें निबन्ध लिखना है । हमारा शब्द भण्डार विशाल और विस्तृत होना चाहिए । हमें यह देखना चाहिए कि जिस विषय पर हमें निबन्ध लिखना है , उस विषय पर प्रसिद्ध निबन्धकारों के क्या विचार हैं । अध्ययन के लिए हमें उच्च कोटि के लेखकों के गंथ चुनने चाहिएँ । केवल अध्ययन मात्र से कल्याण नहीं हो सकता । अध्ययन के पश्चात् मनन परम आवश्यकता है । जिस विषय को आप लिखना चाहते हैं , उस पर गम्भीरतापूर्वक मनन कीजिए और बुद्धि की कसौटी पर कस कर देखिए कि इसमें तथ्य कहाँ है ? निबन्ध – लेखन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु अभ्यास है , विना अभ्यास के निबन्ध लिखना बालू की दीवार उठाना है , प्रायः देखा जाता है कि ऐसे व्यक्ति उनके पास न विचारों की कमी है न अध्ययन की , परन्तु निबन्ध लिखते समय कभी आकाश को देखते हैं और कभी पृथ्वी को । वैसे तो संसार के प्रत्येक क्षेत्र में अभ्यास की बहुत आवश्यकता है , परन्तु निबन्ध – लेखन में विशेष रूप से , क्योंकि इसमें तो बिना अभ्यास के लेखक एक पग भी आगे नहीं बढ़ पाता ।
शैली – शैली का अर्थ है ” किसी काम को करने का ढंग ” निबन्ध लिखने में एक ढंग की आवश्यकता होती है । निबन्ध लिखने में सुन्दर – सुन्दर सार्थक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए , वाक्य व्यवस्थित और सुसंगठित होने चाहिएँ । इसके साथ – साथ वाक्य छोटे और सरल हों । भाषा मेंरोचकता और प्रवाह लाने के लिए बीच – बीच में लोकोक्तियों , मुहावरों तथा अलंकारों का प्रयोग होना चाहिए । निबन्ध की भाषा अत्यन्त सुबोध , सरल एवम , परिष्कृत होनी चाहिए । तद्भव शब्दों के स्थान पर यदि तत्सम शब्दों का प्रयोग किया जाए तो और भी अच्छा है । अन्य भाषाओं के शब्दों को भी जो हिन्दी में प्रचलित हों , प्रयोग में लाना चाहिए , इसमें भाषा की सुबोधता में वृद्धि होगी । कहने का तात्पर्य यह है कि निबन्ध की शैली सरल , शुद्ध , सुबोध और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए ।
आरम्भ , मध्य और अवसान – निबन्ध का आरम्भ आकर्षक और प्रभावोत्पादक होना चाएिह , जिसमें पाठक के हृदय में रुचि और उत्सुकता उत्पन्न हो सके । निबन्ध की प्रस्तावना का विषय के मध्य और अंत में गहन सम्बन्ध रहता है । प्रस्तावना संक्षिप्त होनी चाहिए , परन्तु सारगर्भित निबन्ध का प्रारम्भ आप विषय से सम्बन्धित किसी कवि की उक्ति से , विषय की परिभाषा से , आवश्यकता या महत्त्व प्रदर्शित करते हुए अथवा विषय की वर्तमान अवस्था और अवस्था और महत्व दिखाते हुए कर सकते हैं । निबन्ध के मध्य भाग में निश्चित रूप – रेखाओं द्वारा विषय का पूर्ण विवेचना करना चाहिए । अनावश्यक और अप्रमाणिक बातों को निबन्ध में स्थान नहीं देना चाहिए । इससे निबन्ध की कलेवर वृद्धि तो हो जाती है , परन्तु विषय की नीरसता आने का भय बना रहता है । अक्सान में समस्त निबन्ध का सारांश निहित होता है । निबन्ध की समाप्ति इस प्रकार करनी चाहिए जिससे पाठक को यह प्रतीत न हो कि यह एकदम कैसे हो गया अर्थात् विषय को शनैः शनैः अवसानोन्मुख करना चाहिए । निबन्ध अपने में पूर्ण होना चाहिए , जिससे पाठक की उसकी विषय में समस्त जिज्ञासाएँ स्वतः शान्त हो जाएँ ।
निबन्धों के प्रकार
मुख्य रूप से निबन्ध तीन प्रकार के होते हैं – वर्णनात्मक विवरणात्मक और विचारात्मक ।
वर्णनात्मक – इन निबन्धों में वस्तु विशेष का सजीव वर्णन किया गया है । पाठकों को वर्णन के द्वारा ही वस्तु का दर्शन कराने का प्रयत्न किया जाता है । इस प्रकार के निबन्धों में प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों प्रकार की वस्तुओं का समावेश होता है । इस प्रकार के निबन्ध लेखन में सूक्ष्म निरीक्षण – शक्ति तथा कुशल कल्पना की आवश्यकता होती है ।
विवरणात्मक – इन निबन्धों में बीती हुई घटनाओं , युद्ध कथाओं , जीवनियों , पौराणिक वृत्तान्तों आदि के दर्शन होते हैं । इस प्रकार के निबन्धों में क्रमबद्धता की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए । जो घटना पहले हुई हो उसका वर्णन पहले , जो घटना मध्य से हुई हो , उसका वर्णन मध्य में और जो घटना अन्त में हुई हो , उसका वर्णन अन्त में करना चाहिए । इस प्रकार के निबन्धों में इतिहास की सी नीरसता नहीं आनी चाहिए । विवरण सरल और आकर्षक हो , जिससे पाठकों की रुचि निबन्ध पढ़ने में ज्यों की त्यों बनी रहे ।
विचारात्मक – इन निबन्धों में विचार अथवा बुद्धि तत्त्व का आधिक्य रहता है । इनमें प्रायः आकारविहीन समस्याएँ आती हैं – तर्क व्याख्या आदि का समावेश होता है । इनमें लेखक किसी विषय पर अपनी सम्मति प्रकट करता है और अपने तकों एवम् दृष्टान्तों से उसे प्रमाणित करता है ? विचारात्मक निबन्ध लिखने के लिए विषय सम्बन्धी यथोचित ज्ञान और लिखने की योग्यता अत्यन्त आवश्यक है । गम्भीर अध्ययन और चिन्तन के अभाव में विचारात्मक निबन्ध नहीं लिखे जा सकते । ऐसे निबन्धों की भाषा स्वतः कुछ कठिन और गूढ़ हो जाती है । फिर भी लेखक को भाषा में प्रभावोत्पादकता के साथ सरलता लाने का प्रयल करना चाहिए । आशा है उपरलिखित बातें छात्रों को निबन्ध लिखने में सहायक सिद्ध होंगी ।