डॉ. सुब्रहृाण्यन चन्द्रशेखर की जीवनी – Subrahmanyan Chandrasekhar biography In Hindi
विख्यात भारतीय खगोलशास्त्री सुब्रहृाण्यन चन्द्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर, 1910 को लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ तथा उनकी मृत्यु 21 अगस्त, 1995 को शिकागों में हुई थी। खगोल भौतिकी के क्षेत्र में डॉ. चंद्रशेखर, चंद्रशेखर सीमा यानी चंद्रशेखर लिमिट के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने पूर्णत गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर चंद्रशेखर सीमा का विवेचन किया था। भौतिक शास्त्र पर उनके अध्ययन के लिए उन्हें विलियम ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से सन् 1983 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
जन्म एवं प्रांरभिक शिक्षा और उनके कार्य
सुब्रहृाण्यन चन्द्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर, 1910 को लाहौर, पंजाब में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मद्रास में हुई। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की उपाधि लेने तक उनके कई शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे। उनमें से एक प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ था। 24 वर्ष की बहुत की कम उम्र में सन् 1934 में ही उन्होंने तारे के गिरने और लुप्त होने की अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा सुलझा ली थी और कुछ ही दिनों बाद 11 जनवरी 1935 को लंदन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में उन्होंने अपना मौलिक शोध पत्र भी प्रस्तुत कर दिया था कि सफेद बौने तारे यानी व्हाइट ड्वार्फ तारे एक निश्चित द्रव्यमान यानी डेफिनेट मास प्राप्त करने के बाद अपने भार में और वृद्धि नहीं कर सकते। अंतत: वे ब्लैक होल बन जाते हैं।
27 वर्ष की आयु में ही चंद्रशेखर की खगोल भौतिकीविद के रूप में अच्छी धाक जम चुकी थी। सन् 1935 के आरंभ में ही उन्होंने ब्लैक होल के बनने पर भी अपने मत प्रकट किये थे, लेकिन कुछ खगोल वैज्ञानिक उनके मत स्वीकारने को तैयार नहीं थे। वर्ष 1930 में अपने अध्ययन के लिए भारत छोड़ने के बाद वे बाहर के होकर रह गए और लगनपूर्वक अपने अनुसंधान कार्य में जुट गए। डॉ. चंद्रशेखर विद्यार्थियों के प्रति भी समर्पित थे। 1957 में उनके दो विद्यार्थियों त्सुंग दाओ ली तथा चेन निंग येंग को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने अंतिम साक्षात्कार में उनहोंने कहा था, कि मैं नास्तिक हिंदू हूँ पर तार्किक द्दष्टि से जब देखता हूँ तो यह पाता हूँ कि मानव की सबसे बड़ी और अद्भुत खोज ईश्वर है।
डॉ. चंद्रशेखर के जीवन के अंतिम दिन
डॉ. चंद्रशेखर सेवानिवृत्त होने के बाद भी जीवन-पर्यंत अपने अनुसंधान कार्य में जुटे रहे। 20वीं सदी के विश्व विख्यात वैज्ञानिक तथा महान खगोल वैज्ञानिक डॉं. सुब्रहृाण्यन चन्द्रशेखर 21 अगस्त 1995 को 84 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से शिकागों में निधन हो गया। इस घटना से खगोल जगत ने एक युगांतकारी खगोल वैज्ञानिक खो दिया।