Martyrs Day celebrated | शहीद दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
When and why is Martyr’s Day celebrated | शहीद दिवस कब क्यों और कैसे मनाया जाता है
शहीद दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
शहीद दिवस- भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए समय समय पर भारत के सपूतों ने अनेक बलिदान दिए । उन्ही बलिदानों में से एक है भगत सिंह ,सुखदेव ,और राजगुरु का बलिदान जिसे हम कभी नही भूलते । उन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अनेक संघर्ष किये ,और देश की खातिर हँसते हँसते फाँसी के फंदे पर झूल गए ।23 मार्च 1931 को भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु को फाँसी की सजा सुनाई गई । इसी दिन को हम शहीद दिवस के रूप में मनाते है । शहीद दिवस वैसे तो कई दिनों में मनाया जाता हैं । परंतु लोगो के बीच मे सबसे ज्यादा लोकप्रिय तिथि जो मानी जाती है वह 23 मार्च 1931 को । इस दिन ही शहीद दिवस मनाया जाता है ।
भारत में राष्ट्रीय स्तर पर शहीद दिवस कब मनाया जाता हैं ?
शहीद दिवस कई दिन मनाया जाता हैं,और हर दिन का अपना अलग अलग कारण है जो निम्न हैं-
- 30 जनवरी को गांधी जी की गोडसे ने गोली मार कर हत्या कर दी थी । इसीलिए इस दिन को भी शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं ।23 मार्च
- 1931 – इस तिथि को भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दी गयी थी ।
- 19 नवम्बर को रानी लक्ष्मी बाई के जन्मदिन के दिन भी शहीद दिवस मनाया जाता हैं ।
शहीद दिवस क्यों मनाया जाता हैं ?
शहीद दिवस क्यों मनाया जाता हैं ? इसके पीछे का कारण है 23 मार्च 1931 को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फाँसी की सजा दी गयी थी । इस वजह से ही शहीद दिवस मनाया जाता हैं ।अग्रेजो के बढ़ते हुए अत्याचार से सबसे पहले भगत सिंह ने लौहार में सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी। उसके बाद “पब्लिक सेफ्टी ” एवं ” ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल ” के विरोध में भगत सिंह ने सेंट्रल असेम्बली में बम फेक दिया था । जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर दिया गया और 24 मार्च 1931 को फाँसी की तिथि निर्धारित की गई ।परन्तु उससे एक दिन पहले ही उनको और उनके साथियों को रात में ही फाँसी में चढ़ा दिया गया । और उनके शवो को उनको घर वालो को ना सौप कर सतलज नदी के किनारे जला दिया गया था । तभी से 23 मार्च को हम सभी शहीद दिवस मानते हैं ।
शहीद दिवस कैसे मानते हैं?
शहीद दिवस पर 30 जनवरी को भारत के प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सभी नई दिल्ली में राजघाट में उपस्थिति होते है । और सभी महात्मा गांधी को पुष्प अर्पित करते है ।उसके पश्चात 20 मिनट का मौन रखा जाता हैं । और फिर वहां पर उपस्थित लोगों के द्वारा गीत और भजन गाये जाते है। भारत के अन्य शहीदों के स्मृति के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर एक से अधिक शहीद दिवस मनाए जाते है । राष्ट्रीय स्तर पर इसे सर्वोदय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई हैं ।
शहीद दिवस पर विशेष -भगत सिंह का आखिरी पत्र
भगत सिंह ने अपने आखिरी समय मे अपने देशवासियों के लिए एक पत्र लिखा था यह पत्र 23 मार्च 1931 तारीख के ठीक एक दिन पहले लिखा गया था।
उनके द्वारा लिखा गया पत्र –
” साथियों स्वाभाविक हैं कि जीने की इच्छा मुझसे भी होनी चाहिए । मैं इसे छिपाना नही चाहता । लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ , कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं । मेरा नाम हिंदुस्तान क्रांति का प्रतीक बन चुका हैं । क्रांतिकारी दलों के आदर्शों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया हैं । इतना ऊँचा की जीवित रहने की स्थिति में मैं इस से ऊंचा नही हो सकता था ।मेरे हँसते हँसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में देश की माताएं अपने बच्चों में भगत सिंह की उम्मीद करेंगी । इस से आजादी के लिए कुर्बानी देने वालो की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना नामुमकिन हो जाएगा । आजकल मुझे खुद पर बहुत गर्व हैं । अब तो बहुत बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतेजार हैं । कामना यह हैं कि यह और भी नजदीक हो जाये “