poem

हरियाली है देते पेड़, पावन-पवित्र वायु के संग

हरियाली है देते पेड़, पावन-पवित्र वायु के संग

हरियाली है देते पेड़, पावन-पवित्र वायु के संग

हरियाली है देते पेड़,

पावन-पवित्र वायु के संग;

पेड़ काटकर, उन्हें मारकर,

क्या पा लेते हैं हम?

इनकी छाया में पलते हैं हम,

फिर क्यों उपेक्षित इनको करते हम?

सबकुछ हमको देते हैं ये,

फिर भी सबकुछ सहते हैं ये??

इनकी देखो अद्भुत माया,

कितनी शीतल इनकी छाया,

कोई लम्बा, कोई छोटा, कोई पतला, कोई मोटा,

सबने मिलजुल कर संसार बनाया,

वातावरण को है शुद्ध बनाया।।।

                                                                                                                                 Author – Balendu Shekhar

 

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