Environment Day
विश्व में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की गई थी. इनमें प्रकृति के प्रति चिंता और उसके सरंक्षण की भावना भी निहित है.
पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि और आवरण जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास या कह लें कि जो हमारे चारों ओर है। वहीं ‘आवरण’ का मतलब है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है।
पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का सभी को मिलाकर बनता है, और ये सभी चीजें यानी कि पर्यावरण हमारे दैनिक जीवन से सीधा संबंध रखता है और उसे प्रभावित करता है।
05 जून: विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2019 को विश्व भर में मनाया जा रहा है. हरेक विश्व पर्यावरण दिवस पर पृथक आयोजक देश का चयन होता है जहां आधिकारिक समारोह का आयोजन किया जाता है. पहला विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 1974 को मनाया गया था.
विश्व में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की गई थी. इनमें प्रकृति के प्रति चिंता और उसके सरंक्षण की भावना भी निहित है.
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1972 में मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था. इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, 05 जून 1974 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया गया. साल 1987 में इसके केंद्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग-अलग देशों को चुना जाता है. इसमें हरेक साल 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं.
प्रत्येक साल विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक विषय का चयन किया जाता है जिसके अनुरूप ही सभी देशों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस 2019 का थीम- ‘वायु प्रदूषण’ है.इस दिवस का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरुक करना तथा पर्यावरण के लिए कार्य करना है
World Environment Day theme 2020 – क्या है थीम
हर साल पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए एक थीम रखी जाती है. इस वर्ष पर्यावरण दिवस का थीम है – टाइम फॉर नेचर’ अर्थात प्रकृति के लिए समय और बायोडायवर्सिटी. इसके माध्यम से जीवन के लिए जैव विविधताओं के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है. हमारे लगातार दोहन से प्रकृति की स्थिति लगातार ख़राब हुई है. ऐसे में हमें कुछ ऐसे तरीके अपनाने चाहिए, जिससे हम पर्यावरण की रक्षा में योगदान दे सकें. हम आज कुछ तरीके बताएँगे कि आप कैसे पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं.
प्लास्टिक का प्रयोग न करें –
आज के समय में प्लास्टिक सबसे अधिक पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है. प्लास्टिक की वजह से कितने ही जीव आज विलुप्त होने की कगार में है. समुद्री जीवों को भी प्लास्टिक ने बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया है. कछुए, मछली, सीबर्ड और अन्य जीव जन्तुओं को इसका सामना करना पड़ रहा है.
बारिश के पानी का संग्रह –
आज के समय में मनुष्यों के लिए सबसे बढ़ी समस्या पानी है. लगातार पानी की कमी हो रही है. कई देशों में तो पानी न के बराबर रह गया है. ऐसे में बारिश के पानी का संरक्षण करना चाहिए.
कोयले की जगह अन्य एनर्जी सोर्स से बिजली बनायें –
कोयले से बिजली बनाने में कार्बन डायऑक्साइड और निट्रस ऑक्साइड गैस प्रकृति में मिल जाती है. इस लिए हमें कोशिश करना चाहिए कि हम बिजली बनाने में सौर्य ऊर्जा, पवन चक्की और अन्य सोर्स की मदद लें.
अधिक से अधिक पौधें लगाना –
पौधे प्रकृति के लिए बहुत जरुरी है यह पर्यावरण की हवा को शुद्ध करने के साथ ही तापमान को भी स्थिर रखने में मदद करते हैं. साथ ही ओक्सीजन का सोर्स भी है. जिसके बिना मनुष्य जिन्दा नहीं रह सकता है.
पर्यावरण:-
मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। पर्यावरण जैसे जलवायु प्रदूषण या वृक्षों का कम होना मानव शरीर और स्वास्थय पर सीधा असर डालता है। मानव की अच्छी-बूरी आदतें जैसे वृक्षों को सहेजना, जलवायु प्रदूषण रोकना, स्वच्छाता रखना भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। मानव की बूरी आदतें जैसे पानी दूषित करना, बर्बाद करना, वृक्षों की अत्यधिक मात्रा में कटाई करना आदि पर्यावरण को बूरी तरह से प्रभावित करती है। जिसका नतीजा बाद में मानव को प्राकर्तिक आपदाओं का सामना करके भुगतना ही पड़ता है।पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रित है।
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है।
पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता और सुधी पाठकों को जागरूक करने की।