bseb class 12th biology solutions | मानव जनन
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[Human REPRODUCTION]
महत्त्वपूर्ण तथ्य
• वृषण कोष-पुरुष के शरीर में वृषण उदर गुहा के बाहर एक थैली/धानी में स्थित होते हैं जिसे वृषण कोष (स्क्रोटम) कहते हैं।
• वृषण पालिका-प्रत्येक वृषण में लगभग 250 कक्ष होते हैं जिन्हें वृषण पालिका कहते हैं।
• अंतराली अवकाश-शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश (इंटरस्टीशियल स्पेस) कहा जाता है।
• मूत्राशय मुख-मूत्रमार्ग मूत्राशय से निकलकर पुरुष के शिश्न के माध्यम से गुजरता हुआ बाहर की ओर एक छिद्र के रूप में खुलता है जिसे मूत्राशय मुख (यूरेथ्रल सीऐटस) कहते हैं।
• कीपक-अण्डाशय के ठीक पास डिंबवाहिनी का हिस्सा कीप के आकार का होता है, जिसे कीपक (इफन्डीबुलम) कहा जाता है।
• वीर्यसंचन-जिस प्रक्रिया द्वारा शुक्राणु, शुक्रजनक नलिकाओं से मोचित (रिलीज) होते हैं, उस प्रक्रिया को वीर्यसेचन (स्पर्मिएशन) कहते हैं।
• अग्रपिंडक-शुक्राणु के शीर्ष में एक दीर्घाकृत (इलांगेटेड) अगुणित केन्द्रक (हेप्लॉयड न्यूक्लियस) होता है तथा इसका अग्रभाग एक टोपीनुमा संरचना से आवृत्त होता है जिसे अग्रपिंडक (एक्रोसोम ) कहते हैं।
• अण्डजनन-एक परिपक्व मादा युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया को अण्डजनन कहते हैं।
• गह्वर (एंट्रम)-तृतीय पुटक की तरल से भरी गुहा को गह्वर (एंटुम ) कहा जाता है।
• अण्डोत्सर्ग-ग्राफी पुटक फटकर द्वितीयक अण्डक को अण्डाशय से मोचित करता है, इस प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग कहा जाता है।
• अण्डावरण-द्वितीय अण्डक अपने चारों तरफ एक नई झिल्ली का निर्माण करता है जिसे पारदर्शी अण्डावरण (पेल्यूसिडा) कहते हैं।
• रजोदर्शन-प्रथम ऋतुस्त्राव। रजोधर्म की शुरुआत यौवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन कहते हैं।
• आर्तव चक्र-एक रजोधर्म से दूसरे रजोधर्म के बीच घटना चक्र को आर्तव चक्र कहा जाता है।
• निषेचन-शुक्राणु के साथ एक अण्डाणु के संलयन की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं।
• जरायु अंकुरक-भ्रूण के अंतर्रोपण के पश्चात् पोषकोरक पर अंगुली-जैसी संरचनाएँ उभरती हैं, जिन्हें जरायु अंकुरक (कोरिऑनिक विलाई ) कहते हैं।
• पोषकोरक-एक कोरकपुटी में कोरकखंड बाहरी परत में व्यवस्थित होते हैं जिसे पोषकोरक (ट्रोफोब्लास्ट ) कहते हैं।
• अंतर कोशिका समूह-कोशिकाओं के भीतरी समूह को जो पोषकोरक से जुड़े रहते हैं, उन्हें अंतर कोशिका समूह (इनर सेलमास ) कहते हैं।
• अपरा-जरायु अंकुरक और गर्भाशय ऊत्तक एक-दूसरे के साथ अंतरागुलियुक्त (इंटरडिजिटेड) हो जाते हैं तथा संयुक्त रूप से परिवर्धनशील भ्रूण आर मातृ शरीर के साथ एक संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को गठित करते हैं, जिन्हें अपरा (प्लेसेंटा) कहा जाता है।
• उत्क्षेपन प्रतिवर्त-प्रसव के लिए संकेतपूर्ण विकसित गर्भ एवं अपरा से उत्पन्न होते हैं जो हल्के (माइल्ड) गर्भाशय संकुचनों को प्रेरित करते हैं जिन्हें गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्ष (फीटल इलेक्शन रेफलेक्स) कहते हैं।
• दुग्धस्त्रवण-स्त्री के स्तन ग्रंथियों में सगर्भता के दौरान कई प्रकार के बदलाव आते हैं और सगर्भता के अंत एक इनसे दूध उत्पन्न होने लगता हैं इस प्रक्रिया को दुग्धस्त्रवण ( लैक्टेशन) कहते हैं।
NCERT पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
(Exercises)
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) मानव…………… उत्पत्ति वाला जीव है।
(ख) मानव……………. जीव है।
(ग) मानव में…………… निषेचन होता है।
(घ) नर एवं मादा युग्मक………….होता है।
(ङ) युग्मनज………….. होता है।
(च) एक परिपक्व ही से अण्डाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को……………. कहते हैं।
(छ) अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन)..……………… नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इनड्यूस्ड) होता है।
(ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्युजन) को…………….कहते हैं।
(झ) निषेचन………….और……… नली के तुंबिका- संकीर्णपथ के संघिस्थल में संपन्न होता है।
(ञ) युग्मनज विभक्त होकर………..की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतरोपित (इंप्लाटेड) होता है।
(ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को…………..कहते हैं।
उत्तर-(क) लैंगिक, (ख) सजीव प्रजक, (ग) आन्तरिक, (घ) अगुणित, (ङ) द्विगुणित, (च) अण्डोत्सर्ग, (छ) एल एच (एस्ट्रोजन ), (ज) युग्मनज (जाइगोट),
(झ) गर्भाशय, अण्डवाहिनी, (ञ) भ्रूण, (ट) नाभिरज्जू (अमबिलिकल लॉर्ड)।
2. पुरुष जननतंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर-पुरुष जननतंत्र का नामांकित चित्र इस प्रकार है-
चित्र : पुरुष जनन-तंत्र का आरेखीय दृश्य
3. स्त्री जनन-तंत्र का नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर-स्त्री जनन-तंत्र का नामांकित चित्र इस प्रकार है-
चित्र : स्त्री जनन-तंत्र का आरेखीय-काट दृश्य
4. वृषण तथा अण्डाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-वृषण तथा अण्डाशय के कार्य इस प्रकार हैं-
5. शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर-प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अति कुंडलित शुक्रजनक नलिकाएँ
(सेमिनिफेरस ट्यूबुल्स) होती है जिनमें शुक्राणु पैदा किए जाते हैं। प्रत्येक शुक्रजनक नलिका का भीतरी भाग दो प्रकार की कोशिकाओं से स्तरित होता है जिन्हें नर जर्म कोशिकाएँ (शुक्राणुजन/स्पर्मेटोगोनिया) और सर्टोली कोशिकाएँ कहते हैं (चित्र (a) देखें)। नर जर्म कोशिकाएँ अर्द्धसूत्री विभाजन (या अर्घसूत्रण) के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं जबकि सर्टोली कोशिकाएँ जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती हैं। शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को
अंतराली अवकाश (इंटरस्टीशियल स्पेस) कहा जाता है। इसमें छोटी-छोटी रुधिर वाहिकाएँ और अंतराली कोशिकाएँ (इंटरस्टीशियल सेल्स) या लीडिंग कोशिकाएँ (इंटरस्टीशियल सेल्स) होती है (चित्र (b) देखें)। लीडिंग कोशिकाएँ पुंजन (एंड्रोजन) नामक वृषण हॉर्मोन संश्लेषित व स्रावित करती हैं। यहाँ पर कुछ अन्य कोशिकाएँ भी होती हैं जो प्रतिरक्षात्मक कार्य करने में सक्षम होती हैं। वृषण की शुक्रजनक नलिकाएँ वृषण नलिकाओं के माध्यम से शुक्रवाहिकाओं से खुलती
हैं। यह शुक्रवाहिका वृषण से चलकर अधिवृषण में खुलती हैं, जो प्रत्येक वृषण के पश्च सतह पर स्थित होती है। यह अधिवृषण शुक्रवाहक की ओर बढ़ते हुए उदर की ओर ऊपर जाती है और मूत्राशय के ऊपर की ओर लूप बनाती हैं। इसमें शुक्राशय से एक वाहिनी आती है और मूत्र मार्ग में स्खलनीय वाहिनी के रूप में खुलती है। ये नलिकाएँ वृषण से प्राप्त शुक्राणुओं का भंडारण तथा मूत्र मार्ग से इनका बाहर स्थानांतरण करती है।
चित्र (a) : शुक्रजनक नलिकाओं के आरेखीय काट का एक दृश्य
चित्र (b) : शुक्रजनक नलिकाओं (वर्धित ) के आरेखीय काट का एक दृश्य
6. शुक्राणु का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर-
चित्र : शुक्राणु की संरचना
7. शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-वृषण में, अपरिपक्व नर जर्म कोशिकाएँ शुक्रजनन ( स्पर्मेटोजेनेसिस ) द्वारा शुक्राणु
उत्पन्न करती हैं जोकि किशोरावस्था के समय शुरू होती है। शुक्रजनक नलिकाओं ( सेमिनिफेरस ट्यूब्यूल्स) की भीतरी भित्ति में उपस्थित शुक्राणुजन समसूत्री विभाजन द्वारा संख्या में वृद्धि करते हैं। प्रत्येक शुक्राणुजन द्विगुणित होता है और उसमें 46 गुणसूत्र (क्रोमोसोम ) होते हैं। कुछ शुक्राणुजनों में समय-समय पर अर्धसूत्री विभाजन या अर्घसूत्रण (मिओटिक डिविजन ) होता है जिनको प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाएँ ( प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स ) कहते हैं। एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन (न्यूनकारी विभाजन ) को पूरा करते हुए दो समान अगुणित कोशिकाओं की रचना करती हैं, जिन्हें द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ (सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स)
कहते हैं। इस प्रकार उत्पन्न प्रत्येक कोशिका में 23 गुणसूत्र होते हैं। द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ,
दूसरे अर्द्धसूत्री विभाजन से गुजरते हुए चार बराबर अगुणित शुक्राणुप्रसू (स्पर्मेटिड्स) पैदा करते हैं।
शुक्राणुप्रसू रूपांतरित होकर शुक्राणु (स्पर्मेटोजोआ/स्पर्म) बनाते हैं और इस प्रक्रिया को शुक्राणुजनन
(स्पर्मिओजेनेसिस) कहा जाता है।
चित्र : शुक्रजनन एवं अण्डजनन का आरेखीय निरूपण
8. शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हॉर्मोनों के नाम बताएँ।
उत्तर-(i) गोनैडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (जी एन आर एच)
(ii) पीत पिंडकर (ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन/एल एच)
(iii) पुटकोद्दीपक हॉर्मोन (फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन/एफ एस एच)
(iv) एंड्रोजेन्स।
9. शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमिएशन) की परिभाषा लिखें।
उत्तर-वृषण में शुक्राणुजनन निर्माण की प्रक्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं। शुक्राणुजनन के पश्चात् शुक्राणु शीर्ष सर्टोली कोशिकाओं में अंत:स्थापित (इंबेडेड) हो जाता है और अंत में जिस प्रक्रिया द्वारा शुक्राणु, शुक्रजनक नलिकाओं से मोचित (रिलीज) होते हैं, उस
प्रक्रिया को (वीर्य सेचन) स्पर्मिएशन कहते हैं।
10. शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?
उत्तर-पुरुष लिंग की सहायक ग्रंथियों के अंतर्गत एक जोड़ा शुक्राशय, एक पुरस्थ (प्रोस्टेट) ग्रंथि तथा एक जोड़ा बल्बोयूरेशल ग्रंथियाँ शामिल होती हैं। इन ग्रंथियों का स्राव शुक्रीय (सेमिनल) प्लाज्या का निर्माण करना है जो पुक्टोज (फल शर्करा ), कैल्लिायम तथा कुछ प्रकिण्व (एंजाइम्स) से भरपूर होता है।
11. अण्डाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवस सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर-
चित्र: अण्डाशय के आरेखीय काट का दृश्य
12. ग्राफी पुटक (ग्राफिएन फॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर-
चित्र : ग्राफी पुटक का नामांकित आरेख
13. अण्डजनन क्या है? अण्डजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर-एक परिपक्व मादा युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया को अण्डजनन (ऊजेनेसिस) कहते हैं।
अण्डजनन की शुरूआत भूणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई मिलियन मातृ युग्मक कोशिकाएँ यानि अण्डजननी ( ऊगोनिया ) प्रत्येक भ्रूणीय अण्डाशय के अंदर विनिर्मित होती हैं। जन्म के बाद अण्डजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है।
चित्र : अण्डाणु का अभिगमन, निषेचन एवं डिम्बवाहिनी नली से होकर वर्धनशील भ्रूण का गुजरना
14. पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रंथियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर-(i) नलिकाएँ वृषण से प्राप्त शुक्राणुओं का भंडारण तथा मूत्र मार्ग से इनका बाहर स्थानांतरण करती हैं।
(ii) सहायक ग्रंथियाँ शुक्रीय प्लाज्मा का निर्माण करती हैं तथा बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथियों का स्राव मैथुन के दौरान शिश्न में स्नेहन (ल्यूब्रिकेशन ) प्रदान करने में भी सहायक होता है।
15. निम्नलिखित के कार्य बताएं-
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटियम)
(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमैट्रियम)
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्मटेल)
(ङ) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर-(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटियम)-यह पीत पिंड भारी मात्रा में प्रोजेस्ट्रॉन स्रावित करता है, जोकि गर्भाशय अंतःस्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
(ख) अग्रपिंडक (इंडोमैट्रियम)-गर्भाशय अंत:स्तर निषेचित अण्डाणु के अंतर्रोपण (इम्लांटेशन) तथा सगर्भता की अन्य घटनाओं के लिए आवश्यक है।
(ग) अग्रपिंडक (एनोसोम)-अग्रपिंडक उन प्रकिण्वों (एंजाइम्स ) से भरा होता है, जो अण्डाणु के निषेचन में मदद करते हैं।
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)-शुक्राणु के मध्य खंड में असंख्य सूत्रकणिकाएँ (माइटोकॉन्ड्रिया ) होती हैं, जो पूँछ को गति प्रदान करने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करती हैं जिसके कारण शुक्राणु को निषेचन करने के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करना सुगम बनाता है।
(ङ) झालर (फिम्बी)-अण्डोत्सर्ग के दौरान अण्डाशय से उत्सर्जित अण्डाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं।
16. आर्तव चक्र क्या है? आर्तव चक्र ( मेन्सटुअल साइकिल) को कौन-से हॉर्मोन नियमन करते हैं?
उत्तर-मादा प्राइमेंटों में होने वाले जनन-चक्र को आर्तव चक्र ( मैन्सटुअल साइकिल) या सामान्यजनों की भाषा में मासिक धर्म या माहवारी कहते हैं। प्रथम ऋतुस्त्राव/रजोधर्म ( मेन्स्ट्रएशन) की शुरूआत यौवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन ( मेनार्के ) कहते हैं। स्त्रियों में यह आर्तव चक्र प्राय: 28/29 दिनों की अवधि के बाद दोहराया जाता है, इसीलिए एक रजोधर्म से दूसरे रजोधर्म के बीच घटनाचक्र को आर्तव चक्र ( मैन्सटुअल साइकिल ) कहा जाता है।
एल एच और एफ एस एच का सत्रण एस्ट्रोजन के स्त्रवण को उद्दीपित करता है। एल एच तथा एफ एस एच दोनों ही आर्तव चक्र के मध्य (लगभग 14वें दिन) अपनी उच्चतम स्तर को प्राप्त करते हैं।
चित्र : आर्तव चक्र के दौरान विभिन्न घटनाओं का आरेखीय निरूपण
17. प्रसव (पारट्युरिशन ) क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौन-से हॉर्मोन शामिल होते हैं?
उत्तर-मानव में सगर्भता की औसत अवधि लगभग 9.5 माह होती है जिसे गर्भावधि (जेस्टेशन पीरियड) कहते हैं। सगर्भता के अंत में गर्भाशय के जोरदार संकुचनों के कारण गर्भ बाहर निकल आता है। गर्भ के बाहर निकलने की इस प्रक्रिया को शिशु जन्म या प्रसव (पारट्युरिशन) कहा जाता है।
ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन गर्भाशय पेशी पर कार्य करता है और इसके कारण जोर-जोर से गर्भाशय संकुचन होने लगते हैं। गर्भाशय संकुचन ऑक्सीटोसिन के अधिक स्रवण को उद्दीपित करता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसिन स्राव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिवर्ष के कारण यह संकुचन तीव्र से तीव्रतर होता जाता है। इससे शिशु, माँ के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है यानि प्रसव सम्पन्न हो जाता है।
18. हमारे समाज में लकड़ियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?
उत्तर-स्त्री में गुणसूत्र का स्वरूप XX है तथा पुरुष में XY होता है। इसलिए स्त्री (अण्डाणु) द्वारा उत्पादित सभी अगुणित युग्मकों में x लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष युग्मकों (शुक्राणुओं) में लिंग सूत्र या तो x या Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। इसलिए 50 प्रतिशत शुक्राणु में x लिंग गुणसूत्र होते हैं और दूसरे 50 प्रतिशत शुक्राणु में Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। इसलिए पुरुष एवं स्त्री युग्मकों के संलयन के पश्चात् युग्मनज में या तो Xx या XY लिंग गुणसूत्र की संभावना होगी।
यह इस बात पर निर्भर करेगा किX या Y लिंग गुणसूत्र वाले शुक्राणओं में से कौन अण्डाणु का निषेचन करता है। जिस युग्मनज में XX गुणसूत्र होंगे वह एक मादा शिशु (लड़की) के रूप में जबकि XY गुणसूत्र वाला युग्मनज नर शिशु (लड़का) के रूप में विकसित होगा। इसी कारण कहा जाता है कि वैज्ञानिक रूप से यह कहना सत्य है कि एक शिशु के लिंग का निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है न कि माता के द्वारा।
चित्र : कुछ शुक्राणओं द्वारा घिरा हुआ अण्डाणु
19. सही या गलत कथनों को पहचानें-
(क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सौली कोशिकाओं द्वारा होता है।
(सही/गलत)
(ख) शुक्राणु को सर्टोली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है।
(सही/गलत)
(ग) लीडिंग कोशिकाएँ अण्डाशय में पाई जाती हैं। (सही/गलत)
(घ) लीडिंग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं।
(सही/गलत)
(ङ) अण्डजनन पीत पिंड (कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है।
(सही/गलत)
(च) संगर्भता-(प्रेमर्नेसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्सटुअल साइकिल ) बंद होता है।
(सही/गलत)
(छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटि) का यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं है।
(सही/गलत)
उत्तर-(क) गलत। (ख) सही। (ग) गलत। (घ) सही। (ङ) गलत। (च) सही। (छ) सही।
20. एक माह में मानव अण्डाशय से कितने अण्डे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अण्डे मोचित हुए हों, क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वाँ बच्चे द्विअण्डज यमज थे?
उत्तर-एक माह ( प्रत्येक आर्तव चक्र में) मानव अण्डाशय से एक अण्डा मोचित होता है। समरूप जुड़वाँ बच्चों को यदि किसी माता ने जन्म दिया हो तो दो अण्डे मोचित हुए होंगे। यदि जुड़वाँ बच्चे, द्विअण्डज यमज हों तो भी हमारा उत्तर नहीं बदलेगा।
21. आप क्या सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अण्डाशय से कितने अण्डे मोचित हुए थे?
उत्तर-छ: अण्डे मोचित थे।
परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
1. मानव मादा अण्डे का निषेचन कहाँ होता है?
(a) अण्डाशय में
(b) योनिमार्ग में
(c) फैलोपियन नलिका में
(d) गर्भाशय में
उत्तर-(c) फैलोपियन नलिका में।
2. मानव नर में शुक्राण भण्डारण किस अंग से होता है?
(a) शिश्न
(b) शुक्रवाहिका
(c) शुक्रवाहिका
(d)वृषणा
उत्तर-(d)वृषणा
3. मनुष्य के अण्डाशय में डिम्बाणु के मुक्त होने को कहते हैं-
(a) प्लांटेशन
(b) गेस्टेशन
(c) ओव्यूलेशन
(d) पारट्यूरीशन
उत्तर-(c) ओव्यूलेशन
4. जन्तु, जो शिशुओं को जन्म देते हैं, कहलाते हैं-
(a) उभयचारी
(b) जरायुज
(c) त्रिस्तरीय
(d) सीलोमेट
उत्तर-(b)जरायुजा
5. परिवर्ती लैंगिक लक्षण इनमें से कौन-सा है?
(a) ग्रैफियन पुटिकायें
(b) सर्टोली कोशिकाएँ
(c) स्तन
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर-c) स्तना
6. माता के शरीर से पोषक भ्रूण में किसके द्वारा पहुंचते हैं-
(a) लिम्फ
(b) जननवाहिनी
(c) प्लेसेन्टा
(d) ऊत्तक द्रव
उत्तर-(c) प्लेसेन्टा।
7. मानव में निषेचन कहाँ होता है-
(a) गर्भाशय
(b) योनि
(c) अण्डाशय
(d) फैलोपियन नलिका में
उत्तर-(d) फैलोपियन नलिका में।
8. अण्डोत्सर्ग किन हॉर्मोन्स के नियंत्रण में होता है?
(a) TSH
(b) ACTH
(c) ADH
(d) FSH & LH
उत्तर-(d) FSH & LH
9. स्त्रियों में मूत्राशय खुलता है-
(a) गर्भाशय में
(b) यूरेथ्रा में
(c) यूरेटस में
(d) द्वैस्टीब्यूल में
उत्तर-(b) यूरेथ्रा में।
10. कॉर्पस ल्यूटियम कहाँ होता है?
(a) वृषण में
(b) अण्डाशय में
(c) गर्भाशय में
(d) स्तनों में
उत्तर-(b) अण्डाशय में।
11. शुक्राणु जनन किसके द्वारा नियंत्रित होता है?
(a) फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन
(b) ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन
(c) टेस्टोस्टीरॉन हॉर्मोन
(d) एस्ट्रोजन हॉर्मोन
उत्तर-(a) फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन।
12. वाइरस जनित रोग क्या है?
(a) एड्स
(b) सिफलिस
(c) सुजाक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-(d) उपरोक्त सभी।
13. स्त्री में आर्तव चक्र 50 वर्ष की आयु के लगभग बंद हो जाता है, इस स्थिति को क्या कहते हैं?
(a) ऋतुस्त्राव
(b) माहवारी
(c) रजोनिवृत्ति (मोनोपॉज)
(d) आर्तव चक्र
उत्तर-(c) रजोनिवृत्ति (मोनोपॉज)।
14. तब क्या हो सकता है यदि अण्डाणु और शुक्राणु दोनों एक ही समय में तुंबिका-संकीर्णपथ के संघिस्थल पर पहुंच जाएँ।
(a) निषेचन
(b) रजोनिवृत्ति
(c) अण्डोत्सर्ग
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर-(a) निषेचन।
15. सरटोली कोशिकाएं होती हैं-
(a) थायरॉयड
(b) अण्डाशय
(c) मेंढक के वृषण
(d) मनुष्य के वृषण
उत्तर-(d) मनुष्य के वृषण
16. कॉर्पस ल्युटियम भाग है-
(a) फुफ्फुस का
(b) अण्डाशय का
(c) अग्र मस्तिक का
(d) पश्च मस्तिष्क का
उत्तर-(b)अण्डाशय का।
17. मनुष्य में प्रत्येक वृषण में करीब कितने सेमिनीफेरस नलिकाएँ उपस्थित होती हैं?
(a) 5 से 6
(b) 50 से 60
(c) 500 से 600
(d) 150 से 200
उत्तर-(c)500 से 600
18. अण्ड को भेदने से पूर्व शुक्राणु की तैयारी कहलाती है-
(a) स्पर्मेशन
(b) काईशन
(c) इनसेमिनेशन
(d) कैपासिटेशन
उत्तर-(d)कैपासिटेशन।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
1. गर्भ के बाहर निकलने के प्रक्रिया को शिशु जन्म या……….कहा जाता है।
2. गर्भावस्था के पाँचवें माह के दौरान गर्भ की पहली……….देखी जा सकती है।
3. अंतर कोशिका समूह में कुछ निश्चित तरह की कोशिकाएँ होती हैं, जिन्हें………..कहते हैं।
4. बाह्य त्वचा और अंतस्त्वचा के बीच जल्द ही…….. प्रकट होता है।
5. सगर्भता के उत्तरार्ध की अवधि में अण्डाशय द्वारा……….नामक एक हॉर्मोन भी स्रावित किया जाता है।
6. ……………………….भ् रूण को ऑक्सीजन तथा पोषण की आपूर्ति एवं कार्बनडाइऑक्साइड तथा भ्रूण द्वारा उत्पन्न उत्सर्जी अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है।
उत्तर-1. प्रसव, 2. गतिशीलता, 3. स्टेम कोशिकाएँ,
4. मध्यजन, 5. रिलैक्सिन, 6. अपरा।
III. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य और कौन-सा असत्य है :
1. अण्डजनन की शुरुआत भ्रूणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई मिलियन मातृ युग्मक कोशिकाएँ यानि अण्डजननी प्रत्येक भ्रूणीय अण्डाशय के अंदर विनिर्मित होती है।
2. प्राथमिक लैंगिक अंग-पुरुषों में अण्डाशय और स्त्रियों में वृषण होते हैं।
3. प्रत्येक स्तन का ग्रंथिल ऊत्तक 15-20 स्तन पालियों में बँटा होता है। इसमें कोशिकाओं के गुच्छ होते हैं जिन्हें कूपिका कहते हैं।
4. भगशेफ एक छोटी-सी अंगुली जैसी संरचना होती है जो मूत्रद्वार के ऊपर दो वृहद भगोष्ठ के ऊपरी मिलन बिन्दु के पास स्थित होती है।
5. योनि का द्वार प्रायः एक पतली झिल्ली से ढका रहता है जिसे योनिच्छद कहते हैं।
उत्तर-1.सत्य, 2. असत्य, 3. सत्य, 4. सत्य, 5. सत्य।
IV. स्तंभ-I में दिए गए पदों का स्तंभ-II पदों के साथ सही मिलान करें:
उत्तर-(a)-4. (b)-2, (c)-1. (d)- 6 .(e)-5 .(f)-7. (g)-5. (h)-3.
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मानव वृषणों में पायी जाने वाली नलिकाओं का नाम लिखिए।
उत्तर-शुक्रजनन नलिकाएँ।
प्रश्न 2. युग्मनज क्या है?
उत्तर-नर तथा मादा युग्मक के केन्द्रों के संलयन द्वारा निर्मित एक कोशिका युग्मनज कहलाता है।
प्रश्न 3. गेस्टेशन पीरियड क्या है?
उत्तर-अण्ड के निषेचन तथा नवजात के जन्म के बीच का समय अंतराल गेस्टेशन पीरियड कहलाता है।
प्रश्न 4. कॉर्पसल्यूटियम किसे कहते हैं?
उत्तर-अण्डाशय की गैफियन पुटिकाएँ फटकर बड़ी, पीली, शकुनुमा कोशिकाएँ बनाती हैं, जिसे कॉर्पसल्युटियम कहते हैं।
प्रश्न 5. हर्मोफ्रोडाइट किन्हें कहा जाता है?
उत्तर-ऐसे जीव जिनमें वृषण तथा अंडाशय दोनों उपस्थित हों।
प्रश्न 6. वीर्य क्या है?
उत्तर-वृषणों के उत्पाद और शुक्राणुओं और पौरुष ग्रंथि तथा शुक्राशय के तरल को सम्मिलित रूप से वीर्य कहते हैं।
प्रश्न 7. रजोनिवृत्ति (Menopause) किसे कहते हैं?
उत्तर-रजोचक्र के समापन को रजोनिवृत्ति(Menopause) कहते हैं।
प्रश्न 8. अंतराली अवकाश से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-शुरुजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश कहा जाता है।
प्रश्न 9. अग्रच्छद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-शिश्न का अंतिम वर्धित भाग शिश्न मुंड (ग्लांस पेरिस) कहलाता है जो एक ढीली त्वचा से ढंका होता है, जिसे अग्रच्छद (फोरस्किन) कहते हैं।
प्रश्न 10. गर्भाशय अंतःस्तर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-गर्भाशय की भित्ति, ऊत्तकों की तीन परत वाली होती है। बाहरी पतली झिल्लीमय स्तर को परिगर्भाशय (पेरिपैट्रियम), मध्य मोटी चिकनी पेशीय स्तर को गर्भाशय पेशी स्तर (मायोमैट्रयम) और आंतरिक ग्रंथिल स्तर को गर्भाशय अंतःस्तर (एंडोमेट्रियम ) कहते हैं, जो गर्भाशय गुहा को
स्तरित करती है।
प्रश्न 11. द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाओं से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन या अर्धसूत्रण (मिओटिक डिविजन) होता है जिनको प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाएँ ( प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स ) कहते हैं।
प्रश्न 12. शुक्राणु जनन (स्पर्मिओजेनिसिस) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-शुक्राणु प्रसू रूपांतरित होकर शुक्राणु बनाते हैं और इस प्रक्रिया को शुक्राणु जनन कहा जाता है।
प्रश्न 13. अण्डोत्सर्ग (ओवुलेशन) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-जब ग्राफी पुटक फटकर द्वितीयक अण्डक (अण्डाणु) को अण्डाशय से बाहर निकालता है (मोचित करता है), इस प्रक्रिया को अण्डोत्सर्ग कहा जाता है।
प्रश्न 14. निषेचन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-शुक्राणु के साथ एक अण्डाणु के संलयन की प्रक्रिया को निषेचन ( फर्टिलाइजेशन) कहते हैं।
प्रश्न 15. अंतर्रोपण (इम्प्लांटेशन) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट ) के गर्भाशय अंत:स्तर में अंतःस्थापित (इंबेडेड ) हो जाने को अंतर्रोपण (इम्लांटेशन) कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. युग्मज किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है?
उत्तर-शुक्राणु द्वारा अण्डे का निषेचन होने पर युग्मज (जाइगोट) बन जाता है। इस युग्मज में बार-बार विभाजन होकर एक भ्रूण बन जाता है। भ्रूण पोष केन्द्रक में वृद्धि होकर बीज का भ्रूण पोष बन जाता है।
यदि उचित समय पर अण्डे के साथ शुक्राणु का उस समय मिलन हो जाता जब वह फैलोपियन नलिका में होता है, तब दोनों का संलयन हो जाता है और एक युग्मज (जाइगोट) बन जाता है। इसी को निषेचन कहते हैं।
प्रश्न 2. मनुष्यों में मादा जनन-तंत्र के अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-मादा जनन-तंत्र में ये सब अंग शामिल होते हैं-एक जोड़ी अण्डाशय, एक जोड़ी अण्डवाहिनियाँ ( अथवा फैलोपियन नलिकाएँ) गर्भाशय तथा योनि मार्ग आदि।
प्रश्न 3. अपरा किसे कहते हैं?
उत्तर-अपरा (Placenta) नामक एक ऊत्तक है जो गर्भाशय से जुड़ा रहता है। अपरा के द्वारा माँ के रक्त से ऑक्सीजन और पोषक गर्भ (भ्रूण ) में पहुँचते हैं। यही संरचना भ्रूण के रक्त से कार्बनडाइऑक्साइड तथा उत्सर्गी उपशिष्टों को भी भ्रूण रक्त से माँ के रक्त में पहुँचाती है। अपरा से दो हॉर्मोन भी निकलते हैं-प्रोजेस्टेटॉन तथा एस्ट्रोजन। इन हॉर्मोनों के प्रभाव से जब तक गर्भावस्था चलती है तब तक न तो अण्डोत्सर्ग है और न ही रजोचक्र।
प्रश्न 4. यौवनारम्भ किसे कहते हैं?
उत्तर-यौवनारम्भ (Puberty)-मनुष्यों में जनन अंग नर में 13-14 वर्ष के आसपास कार्यशील हो जाते हैं इस आयु को यौवनारम्भ आयु कहते हैं। लैंगिक परिपक्वन के दौरान नर और मादा दोनों में हॉर्मोनी परिवर्तन होते हैं तथा इन हॉर्मोनों के प्रभाव से द्वितीयक लैंगिक लक्षण उत्पन
होते हैं, जैसे-आवाज का भारी होना, कंधों का चौड़ा, दाढ़ी, मूंछ निकल आना तथा बगलों और जघन क्षेत्र में बालों का आना आदि विशिष्टाएँ विकसित हो जाती हैं।
मादाओं में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों में आते हैं। बगलों तथा श्रोणि क्षेत्र में बालों का उगना, श्रोणि तथा कूल्हों का चौड़ा होना, स्तनों का उभार तथा रजोचक्र (menstruation) का आरंभ।
प्रश्न 5. कोलॉस्ट्रम क्या है? दुग्ध के उत्पादन का नियंत्रण हॉर्मोन द्वारा किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-जन्म के समय तथा कुछ दिनों के लिए मादा के स्तनों से एक तरल स्त्रावित होता है जिसे कोलॉस्ट्रम कहते हैं। इसमें प्राटीन व ऊर्जा का आधिक्य होता है। इसमें प्रतिरक्षी पाए जाते हैं जो नए जन्में शिशु में निष्क्रिय प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं।
प्रसव के तीन या चार दिनों के पश्चात् स्तनों से दुग्ध स्त्रावित होता है।
दुग्ध उत्पादन का नियंत्रण हॉर्मोनों द्वारा होता है। दुग्ध का संश्लेषण पीयूष ग्रंथि के हॉर्मोन प्रोलैक्टिन (PRL) के द्वारा प्रेरित होता है।
ऑक्सीटोसिन की उच्च मात्रा इसके स्राव को प्ररित करती है जो नवजात को पोषण प्रदान करता है।
दुग्ध में एक अवरोधक पेप्टाइड होता है यदि स्तन पूर्णरूप से खाली नहीं होते तो यह पेप्टाइड एकत्रित होकर दुग्ध उत्पादन को रोकते हैं। यह ऑटोक्राइम क्रिया है जिसमें दुग्ध माँग होने पर उत्पन्न होता है।
प्रश्न 6. नर जनन-तंत्र में सहायक ग्रंथियों का वर्णन करो।
उत्तर-सहायक ग्रंथियों में पौरुष ग्रंथि, होसोमिनल भेसिकल तथा दो काउपरस ग्रंथि होती है। पौरुष ग्रंथि यूरेया के प्रथम भाग में स्थित होती है तथा यूरेथ्रा की दीवारों में अपना द्रव स्रावित करती है। यह स्राव वास डेफरेंस में उसकी नलिकाओं द्वारा अंदर जाता है।
काउपर ग्रंथि मूत्राशय के नीचे तथा यूरेथ्रा के पीछे स्थित होती है। इसका स्राव यूरेथ्रा में उनकी नलिकाओं द्वारा जाता है।
प्रश्न 7. सीमेन क्या है? सहायक नर ग्रंथियों में स्राव किस प्रकार लाभदायक होता है?
उत्तर-वृषणों के उत्पाद और पौरुष ग्रंथि तथा शुक्राशय के तरल को सम्मिलित रूप से वीर्य (सीमेन) कहते हैं।
सहायक नर ग्रंथियों के स्राव निम्न कार्य करते हैं-
(i) स्पर्मेटोजोआ के परिवहन के लिए तरल माध्यम बनाता है।
(ii) स्पर्मेटोजोआ को पोषण प्रदान करता है।
(iii) उचिंत (PH) तथा आयनिक शक्ति प्रदान करती है। जिसमें स्पर्म की गतिशीलता बनी रहती है।
प्रश्न 8. निम्न के कार्य बताएं-
(i) फैलोपियन ट्यूब, (ii) गर्भाशय तथा (ii) योनि।
उत्तर-(i) फैलोपियन ट्यूब-अण्डाशय से अण्डोत्सर्ग के पश्चात् अण्ड इसी ट्यूब के द्वारा गर्भाशय की ओर आता है। इसी में यह स्पर्म से निषेचित होता है।
(ii) गर्भाशय-गर्भाशय की दीवार में निषेचन उपरांत अण्ड ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में रोपित होता है तथा गर्भावस्था के दौरान फीटस के रूप में विकसित होता है।
(iii) योनि-मिलन के दौरान यह नर से वीर्य प्राप्त करता है। प्रसव के दौरान इसके द्वारा नवजात बाहर आता है।
प्रश्न 9. कॉर्पोरा कैवरनोसा कहाँ पाया जाता है?
उत्तर-कॉर्पोरा कैवरनोसा शिश्न के त्वचा के नीचे अच्छायी ऊत्तकों के स्तम हैं। त्वचा के नीचे शिश्न तीन अच्छादी ऊत्तकों के स्तंभों का बना होता है। शिश्न के दो-दो बेलनाकार कॉर्पोरा, केवरनोसा, पृष्ठरूप से स्थित होते हैं और एक बेलनाकार यूरेथ्रा का कॉर्पस कैवरनोसा या कॉर्पस स्पॉन्जियोसम आधार भाग में स्थित होता है।
प्रश्न 10. कॉर्पस ल्यूटियस किस प्रकार बनता है? इसके क्या अर्थ हैं?
उत्तर-अण्डोत्सर्ग के पश्चात् ग्रेन्युलोसा कोशिका तथा अंतराली कोशिका एक शंक्वाकार कोशिकाओं का बड़ा पीला पिंड बनाती है जिसे कॉर्पस ल्यूटियम कहते हैं। यह एक अस्थायी अंतःस्त्रावी ग्रंथि का कार्य करती है तथा प्रोजेस्टेरॉन तथा एस्ट्रोजन हॉर्मोनों का स्राव करती है।
प्रश्न 11. स्त्री एट्रेजिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-स्त्री प्रजनन-तंत्र की सहायक संरचनाएँ निम्न हैं-
(i) लेबिया मेजेरा,
(ii) लेबिया माइनोरा,
(iii) क्लिटोरिस,
(iv) बारथेलिन्स ग्रंथि तथा
(v) पेरिनियमा
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मनुष्यों में नर जनन-तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-नर जनन-तंत्र-मनुष्यों में नर जनन-तंत्र में ये सब भाग आते हैं-एक जोड़ी वृषण (testes), एक जोड़ी एपिडिडिमिस (epididymis), एक जोड़ी शुक्रवाहिकाएँ (vasa deferentia), एक स्खलन वाहिनी (ejaculatory duct), एक मूत्रमार्ग (urethra), शिश्न (penis) तथा
सहायक ग्रंथियाँ (accessory glands) (वृषणों में शुक्राणु अर्थात् नर युग्मक बनते हैं। वृषणों के
भीतर शुक्राणुओं के बनने की प्रक्रिया को शुक्राणुजनन (spermatogenesis) कहते हैं। प्रत्येक वृषण के भीतर कुछ कुंडलित नलिकाएँ शुक्रधर नलिकाएँ (seminiferous tubules) होती है-वास्तव में इन्हीं के भीतर शुक्राणु बनते हैं।
ये शुक्राणु वृषणों से निकलते और एपिडिडिमिस में तब तक भण्डारित रहते हैं जब तक कि मैथुन नहीं होता। मैथुन के समय एपिडिडिमिस से शुक्राणु निकलते हैं और शुक्रवाहिकाओं से होते हुए स्खलन वाहिनी में पहुँच जाते हैं। स्खल वाहिनी मूत्रमार्ग में खुलती है। मानव नर में मूत्रमार्ग शुक्राणुओं तथा मूत्र दोनों के लिए सम्मिलित मार्ग होता है। मूत्रमार्ग शिश्न (penis) नामक अंग में से होकर गुजरता है, शिश्न मैथुन अंग होता है। अर्थात् संगम यानी मैथुन के दौरान शुक्राणुओं का स्थानांतरण करने वाला अंग। एपिडिडिमिस से मूत्रमार्ग तक पहुँचने के दौरान मार्ग में सहायक ग्रंथियों से निकलने वाले कुछ खास स्राव शुक्राणुओं में आ मिलते हैं। शुक्राणु और स्राव मिलकर
वीर्य (semen) बनाते हैं। मैथुन के समय वीर्य बाहर आता है। वीर्य के बाहर आने की क्रिया को स्खलन कहते हैं। एक बार के स्खलन में लगभग 20 करोड़ (2×10⁸) शुक्राणु निकलते हैं।
चित्र : मनुष्य में नर जनन-तंत्र
प्रश्न 2. मनुष्य मादा जनन-तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-मादा जनन-तंत्र में एक जोड़ी अण्डाशय, एक जोड़ी अण्डवाहिनियाँ (अथवा फैलोपियन नलिकार) गर्भाशय तथा बोनिमार्ग आते हैं (चित्र 3.12 देखें)।
चित्र : मानवों में मादा जनन-तंत्र
अण्डाशयों में अण्डे बनते हैं तथा वे मादा लिंग हॉमोनों का भाव करते हैं। अण्डाशय में अण्डे बनने की प्रक्रिया को अण्डजनन (oogenesis) कहते हैं। मानव मादा जनन-तंत्र में जोड़ी अण्डवाहिनियाँ (oviducts) अथवा फैलोपिन नलिकाएँ होती हैं। प्रत्येक अण्डवाहिनी के सामने वाला सिरा कीपाकार बन जाता है। यह अपडाशय से निकले अण्डों को अपने में ले लेता है। दोनों फैलोपिन नलिकाएं गर्भाशय में खुलती है। गर्भाशय (uterus) एक नाशपाती के आकार का,
पेशीय, मोटी दीवार वाला अंग होता है। गर्भाशय का निचला सिरा योनिमार्ग में खुलता है जो बाहर की ओर एक जनन छिद्र द्वारा खुलता है। योनिमार्ग वह अंग है जिसमें सम्भोग के दौरान शिश्न पहुँचाया जाता है और वहाँ वीर्य छोड़ दिया जाता है। यही योनिमार्ग प्रसव के समय जन्म नलिका का काम करती है। मानव मादाओं में मूत्रमार्ग तथा जनन वाहिनी के छिद्र अलग-अलग होते हैं।
प्रश्न 3. मानव मादा में लैंगिक चक्र (रजोचक्र) का वर्णन कीजिए।
उत्तर-मानव मादा में लैंगिक चक्र (रजोचक्र)-वह अवधि जिसके दौरान मानव मादा में संतान पैदा करने की क्षमता होती है, उसे जननता काल (fertility period) कहते हैं। स्त्रियों में यह 12-13 वर्ष की आयु (यौवनारम्भ ) से 45-50 वर्ष ( रजोनिवृत्ति menopause ) तक चलता है। यौवनारम्भ के बीच मादा जनन-तंत्र में एक नियमित मासिक घटनाचक्र चलता रहता है, जिसे रजोचक्र (menstrual cycle) कहते हैं, रजोचक्र के दौरान होने वाली घटनाएँ इस प्रकार है-
(i) प्रत्येक रजोचन में हर 28 दिन में एक अण्डा परिपक्व होकर निकलता है।
(ii) रजोचक्र का आरम्भ रज-प्रवाह से होता है जिसके दौरान गर्भाशय का कोशिकीय अस्तर उतरकर बाहर निकलता है और उसके साथ-साथ रक्त प्रवाह होता है। यह प्रक्रिया 3-4 दिन तक चलती रहती है।
(iii) रजोचक्र के आरंभ होने से पांचवें से लेकर तेरहवें दिन तक ग्राफियन फॉलिकल (graafian follicle) की वृद्धि होती है और उसका परिपक्वन होता है। इस फॉलिकल में एक अण्डाणु होता है जिसे घेरती हुई कोशिकाओं की एक सहमति होती है।
(iv) ग्राफियन फॉलिकल से एक हॉर्मोन एस्ट्रोजेन (oestrogen) निकलता है जो गर्भाशय को अण्डाणु को प्राप्त करने की तैयारी के लिए उत्तेजित करता है।
(v) गर्भाशय का अस्तर बनाने वाली कोशिकाएँ तेजी से वृद्धि करती हैं और रक्त वाहिकाओं का एक जाल बन जाता है।
(vi) अण्डाशय से अण्डे का निकलना अण्डोत्सर्ग कहलाता है। अण्डोत्सर्ग रजोचक्र के आरंभ होने के 12-14 दिन बाद होता है। ग्रॉपियन फॉलिकल फूटकर अण्डा बन जाता है।
(vii) फूट चुके फॉलिकल की कोशिकाएँ कॉर्पस लुटियम का रूप ले लेती है जिससे प्रोजेस्टोरॉन
(progesterone)का स्त्राव निकलता है।
(viii) अण्डा फैलोपियन नलिका में से होते हुए तेरहवें अथवा चौदहवें दिन गर्भाशय में पहुँचता है जहाँ वह सोलहवें दिन तक (यानि 48-73 घण्टे तक) कायम रहता है।
(ix) यदि इस दौरान अण्डे को किसी शुक्राणु के मिलन का संयोग नहीं होता तो उसका अपक्षय होने लगता है। अट्ठाइसवें दिन के अंत में अण्डा और उसके साथ-साथ गर्भाशय अस्तर भी बाहर निकल जाते हैं।
(x) यह समय होता है गर्भाशय के मोटे अस्तर के धीमे विघटन का आंरभ होना।
प्रश्न 4. रजोधर्म चक्र क्या है? रजोधर्म चक्र के हॉर्मोन नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
उत्तर-रजोधर्म 12 से 15 वर्ष की उम्र में प्रारंभ होता है तथा 45 से 50 वर्ष तक की आयु तक चलता है! औसतन माहवारी लगभग 28 दिनों के बाद शुरू होती है। रक्त की कुछ मात्रा एवं गर्भाशयी श्लेष्मा (एंडोमैट्रियम) के गर्भाशय से बाहने आने की प्रक्रिया रजोधर्म कहलाती है। इस समय के दौरान मादा जनन-तंत्र में नियमित चक्रीय परिवर्तन होते हैं।
हॉर्मोन नियंत्रण-रजोधर्म चक्र में एस्ट्रोजन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रजोधर्म रुकने के पश्चात् अण्ड पुटिकाएँ विकसित होने लगती हैं तथा एस्ट्रोजन का स्राव भी बढ़ जाता है। एस्ट्रोजन का बढ़ता स्तर एंडोमैड्रियम को मोटा करता है जिसमें रक्त वाहिनियाँ और एंडोमैटिवल ग्रंथि अत्यधिक होती है।
(FSH) का बढ़ता स्तर अण्डाशयी पुटिकाओं की वृद्धि को प्रेरित करता है और एस्ट्रोजन का निर्माण करता है।
(FSH) का मुख्य तत्कालिक प्रभाव प्राथमिक व द्वितीयक पुटकों के परिपक्वन पर पड़ता है।