8TH SST

Bihar board class 8th notes civics chapter 1

Bihar board class 8th notes civics chapter 1

Bihar board class 8th notes civics chapter 1

सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीति जीवन
अध्याय-1
भारतीय संविधान
पाठ का सारांश-हर व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना होता है। परिवार में रहने के लिए भी कुछ नियम होते हैं। विद्यालय को चलाने के लिए भी कुछ नियम, कायदे-कानून में हैं। ट्रैफिक के भी कुछ नियम होते हैं जिससे सड़क पर चलना और गाड़ी चलाना सहज-सरल और सुरक्षित हो पाता है। ठीक वैसे ही, देश को चलाने के लिए भी कुछ मूलभूत नियमों आवश्यकता होती है, जिसका पालन उस देश में रह रहे नागरिकों और सरकार दोनों को कर पड़ता है। इन नियमों के समूह को ही हम संविधान कहते हैं।

संविधान की आवश्यकता,:-  भारत का संविधान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लंबे संघर्ष ए अन्य देशों के संविधान के अनुभवों का ही परिणाम है। यह भिन्न समूहों, जातियों ए अलग-अलग क्षेत्र के ज्ञानी एवं अनुभवी लोगों की सोच से ही हमारे सामने आ पाया है।
हमारा संविधान हमें यह बताता है कि देश की शासन-व्यवस्था कैसी होगी, हमारा समान किस प्रकार का होगा, किन आदर्शों और मूल्यों की रक्षा की जानी चाहिए, देशवासियों के अधिकार और कर्तव्य क्या होने चाहिए। यदि नागरिकों के किसी अधिकार का हनन हो, तो कैसी परिस्थिान में ऐसा करना चाहिए संविधान हमें यह भी बताता है।
जैसे, एक छोटे संस्थान को विकास एवं खुशहाली के मार्ग पर ले जाने के लिए कुछ नियम की आवश्यकता होती है, वैसे ही देश को संविधान के प्रदत्त नियमों के अनुसार चलाना जरूरी होता है। संविधान सरकार को जनहित में कार्य करने की दिशा व प्रेरणा भी देता है जिससे कि समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा संभव हो व उनका विकास हो पाए जैसे अनुसूचित जाति और जनजातियों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना, वृद्धा पेंशन योजना आदि ।

भारतीय संविधान का ऐतिहासिक सन्दर्भ:- गुलाम भारत में सन् 1885 से ही अपने देश के लिए एक संविधान की माँग की छटपटाहट दिखने लगी थी। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और देश के अन्य संगठन अंग्रेजी हुकूमत के सामने माँग रख रहे थे कि देश के संविधान में सुधार किए जाएँ और कानून बनाने वाली संस्थाओं में भारतीयों की संख्या बढ़ाई जाए। अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के लिए बनायी गयी नीतियों की पुरजोर आलोचना शुरू हो गयी थी। हमारे देशवासी अब अपने नागरिकों के लिए भी वही अधिकार चाहते थे जो अंग्रेज सरकार ने अपने नागरिकों को दे रखा था। जैसे, मत देने का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, अपनी इच्छानुसार व्यवसाय करने का अधिकार आदि ।
1920 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने भारत के लोगों द्वारा अपना संविधान खुद बनाने की स्पष्ट मांग रखी। सन् 1928 में मोतीलाल नेहरू और कांग्रेस के आठ अन्य नेताओं ने भारत के संविधान की एक नई रूपरेखा तैयार की। 1934 में एक स्वतंत्र संविधान सभा की मांग की गयी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान और तेज हो गयी। अंतत: दिसम्बर, 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया। इसके अन्तरिम अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा थे और उनकी अध्यक्षता में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सभा के निर्वाचित अध्यक्ष बनाये गये। ये दोनों विभूतियाँ बिहार के रहने वाले थे। भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे एवं प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष) डॉ. भीमराव अम्बेदकर थे। जहाँ 26 नवम्बर, 1949 को हमारे संविधान को लिखने का कार्य शुरू हुआ वहीं 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू कर दिया गया।

संविधान के बुनियादी मूल्य–लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय व धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान के बुनियादी मूल्य हैं। इन मूल्यों का महत्व इस तथ्य से पता चलता है कि इन्हें सबसे पहले संविधान सभा द्वारा स्वीकार किये जाने वाले संविधान के उद्देश्यों में शामिल किया गया था एवं इन्हें संविधान की उद्देशिका में लिखा गया ।

लोकतंत्र:-  हमारे संविधान निर्माताओं ने यह सुनिश्चित कर दिया था कि भारतीय शासन व्यवस्था ऐसे लोकतंत्र पर आधारित होगी जिसमें सभी नागरिकों की समान रूप से भागीदारी होगी।

स्वतंत्रता:-लोकतंत्र की सफलता का मूल आधार है—उस देश के निवासियों की स्वतंत्रता । इसी कारण हमारे संविधान में नागरिक स्वतंत्रता को प्रमुख व विशेष स्थान दिया गया है।

समानता की समझ:-  हमारे समाज में जाति, लिंग, धन आदि असमानताएँ स्पष्ट रूप से दीख पड़ती हैं। इन असमानताओं को दूर करने के लिए हमारे संविधान में समानता के मूल्य को विशेष स्थान दिया गया है ताकि हमारा समाज समानता के आधार पर शीघ्र खड़ा हो पाए ।

सामाजिक न्याय:—हमारे समाज में कई वर्ग बेहद पिछड़े हुए हैं। उन्हें बाकी वर्गों के समकक्ष लाना ही सामाजिक न्याय है, जिसके लिए भारतीय संविधान ने विशेष व्यवस्था की है। ताकि हजारों साल से इनके साथ जो अन्याय हुआ है उसके प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सके । संविधान के इस संदर्भ में विशेष प्रावधानों के तहत ही केन्द्रीय और राज्य सरकारें सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों और महिलाओं के लिए कई प्रकार की योजनाएँ बनाकर उन्हें लागू कर रही हैं।
बिहार में भी इस दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं और वर्तमान में तेज गति से जारी है।
पाठ में आए प्रश्नों के उत्तर
1. आप अपने विद्यालय में जिन नियमों का पालन करते हैं उनकी एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर-(1) हमें निर्धारित समय पर स्कूल आना होता है।
(2) कक्षा में अध्यापन कार्य के समय बिना शिक्षक की इजाजत लिये बोलना मना होता है।
(3) विद्यालय को हमें गंदा नहीं करना होता है।
(4) अध्यापकों से सम्मानजनक व्यवहार करना होता है।
(5) पंक्ति बनाकर विद्यालय में प्रवेश करते हैं और पंक्ति बनाकर ही बाहर जाते हैं।
(अन्य नियम जो आपके विद्यालय के हैं, आप स्वयं लिखें।)
2. आपकी शिक्षिका विद्यालय में किन नियमों का पालन करती हैं उनसे चर्चा कीजिए और सूची तैयार कीजिए।
उत्तर-संकेत : अपनी शिक्षिका से स्वयं चर्चा करें और सूची तैयार करें।
3. जरा सोच के बताइए कि आपके विद्यालय के प्रधान अध्यापक को विद्यालय चलाने के लिए किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा?
उत्तर-(क) विद्यालय में अनुशासन कायम रखना ।
(ख) अध्यापन कार्य अच्छा हो रहा है कि नहीं, इस पर नजर रखना ।
(ग) अध्यापकों की नियमित हाजिरी व उपस्थिति ।
(घ) विद्यालय को चलाने के लिए आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखना व इस संबंध में नयी योजनाएँ बनाना।
(ङ) विद्यालय की प्रतिष्ठा बनाए रखना व बढ़ाना ।
(च) विद्यालय का समाज में सही रूप से प्रचार होता रहे, इसकी व्यवस्था करना ।
4. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पर अपने वर्ग में अलग-अलग समूह में समूह-चर्चा कीजिए और उसकी मुख्य बातों को चार्ट पेपर पर लिखकर अपनी कक्षा में सजाइए।
इसके लिए पहले आपको कई स्रोत जैसे अखबार, इंटरनेट या अपने शिक्षकों से जानकारी इकट्ठी करनी पड़ेगी।
उत्तर–शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 एक बुनियादी कानून है जिसके आधार पर विद्यालयों के बारे में कई नियम बनाए गए हैं। जैसे—6-14 वर्ष के लड़के-लड़कियों को किसी भी विद्यालय में प्रवेश देने से मना नहीं किया जा सकता । प्रत्येक 3 कि.मी. के दायरे में कक्षा 8 तक की पढ़ाई हेतु सरकारी स्कूल का होना आवश्यक है। साथ ही, इस अधिनियम के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के विद्यालयों में छात्र व शिक्षक का अनुपात 30:1 का होना चाहिए। (अन्य परियोजना कार्य आप स्वयं करें।)
5. दिए गए उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आप नहरवाल इलाके के लिए कौन-से कानून बनाएँगे?
उत्तर-नहरवाल इलाके के लोग शांतिपूर्ण ढंग से रहें इसके लिए कुछ बुनियादी नियम बनाने चाहिए । ये वही नियम होंगे जो कि एक सभ्य समाज का होता है । यानी सभी लोग अपने इलाके की सफाई का ख्याल रखेंगे । कूड़ा उचित जगह पर फेकेंगे। यातायात के नियमों का पालन करेंगे।
अनावश्यक और देर रात सड़कों पर जमावड़ा नहीं लगाएँगे। स्त्रियों की इज्जत करेंगे। नहरवाल इलाके की एक पंचायत होगी। आपसी मतभेद होने पर लोग अपने फैसले खुद न लेकर, फैसले का काम पंचायत पर छोड़ देंगे। पंचायत उनकी बातें सुन निष्पक्ष न्याय करेगा । नागरिक समिति यह ध्यान रखेगी कि लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम मिले और उन्हें उचित मेहनताना भी मिले भारतीय संविधान के अनुसार ही नहरवाल इलाके के कानून बनेंगे।
6. यह तो हो गई कानून बनाने की बात, अब यह तय कैसे करेंगे कि इन कानूनों को कैसे लागू किया जाये ?
उत्तर-कानून को लागू करने का काम विधायिका का है। नहरवाल इलाके में कानूनों को लागू करने का काम, इलाके के लोगों द्वारा गठित पंचायत व ‘नागरिक समिति’ को करना होगा। इनके निर्वाचित सदस्यों पर कानून लागू करने की जिम्मेवारी होगी।
7. सरला बहन ने मुन्नी को काम पर क्यों नहीं जाने दिया?
उत्तर-मुन्नी बच्ची है और बच्चों से मजदूरी करवाना कानूनी जुर्म है। फिर, पढ़ना बच्चों का मूलभूत अधिकार है, जो उसे संविधान द्वारा प्रदत्त है। इसीलिए सरला बहन ने मुन्नी को काम पर नहीं जाने दिया।
8. अपने घर के बुजुर्गों से चर्चा कीजिए कि क्या उन्होंने कभी ऐसी घटना देखी है ?
उत्तर-मैंने अपने बुजुर्गों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हाँ उन्होंने ऐसी घटना देखी है।
9. आपके विचार में छोटी उम्र में बच्चों को काम पर क्यों नहीं लगाना चाहिए ?
उत्तर-पढ़ना छोटी उम्र के बच्चों का मूलभूत अधिकार है। फिर, छोटी उम्र में बच्चों से काम करवाने पर उनके मन में हीन भावना घर कर सकती है। इससे उनका व्यक्तित्व-विकास बाधक होगा। इसलिए छोटी उम्र में बच्चों को काम पर नहीं लगाना चाहिए।
10. नीचे दी गई घटनाओं को ध्यान से पढ़ें। शिक्षिका की मदद से यह पता लगाएँ कि इन घटनाओं के शिकार लोगों की भारतीय संविधान कैसे मदद करता है ?
घटनाएँ-
(i) दहेज के लिए विवाहिता को जला देना।
उत्तर–दहेज हत्या करने व दहेज के लिए बहू पर अत्याचार करने वाले लड़केवालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है जिसमें कठोर कारावास.व जुर्माना शामिल है।
(ii) 10 वर्ष के बच्चे को चाय की दुकान में काम कराना ।
उत्तर-चाय के दुकान मालिक को इसके एवज में जुर्माना भरना पड़ सकता है। साथ ही कुछ समय का कारावास (जेल) भी हो सकता है।
(iii) बिना कोई कारण बताये 24 घण्टे से अधिक किसी नागरिक को पुलिस चौकी में बंद रखना।
उत्तर-ऐसे पुलिस कर्मचारी के खिलाफ भारतीय संविधान में कड़ी सजा का प्रावधान है। .
(iv) किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर जाने के लिये जाति, लिंग या धर्म के नाम पर रोकना।
उत्तर-भारतीय संविधान हर नागरिक को समानता का अधिकार देता है। जो भी व्यक्ति या संस्था उसकी समानता के अधिकार से खिलवाड़ करता है तो उसके लिए संविधान में कड़ी सजा का प्रावधान है।
(v) सरकार द्वारा किसानों की जमीन को बिना उचित मुआवजा दिए जब्त कर लेना।
उत्तर-ऐसी दशा में पीड़ित को अदालत में जाकर सरकार के खिलाफ मुकदमा लड़ने का अधिकार भारतीय संविधान हर नागरिक को देता है। उचित मामला होने पर अदालत सरकार को जुर्माना भरने व जब्त जमीन को किसानों को वापस करने का आदेश देती है।
11. संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर–किसी देश को चलाने के लिए जिन मूलभूत नियमों एवं कानूनों की जरूरत होती है, उसे ही हम संविधान कहते हैं।
12. बुनियादी नियम क्या होते हैं ?
उत्तर-शिक्षा का अधिकार, नागरिकों के स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, समानता, अधिकार व कर्तव्य से जुड़े नियमों को बुनियादी नियम कहते हैं।
13. किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र से पता लगाइए कि सरकार द्वारा लोगों को कौन-कौन-सी बुनियादी सुविधाएँ दी जाती हैं।
उत्तर–स्वास्थ्य केन्द्र लोगों को चिकित्सा व चिकित्सकीय परामर्श व जाँच, टीकाकरण व दवा वितरण आदि की बुनियादी सुविधाएं देता है।
14. अपने विद्यालय में दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं की एक सूची बनाएँ।
उत्तर-(क) मुफ्त पुस्तक वितरण ।
(ख) मुफ्त वर्दी (ड्रेस) वितरण ।
(ग) दोपहर में मुफ्त भोजन प्रदान करना ।
(घ) छात्रवृत्ति प्रदान करना।
(अन्य सुविधाओं को, जो आपके विद्यालय में दी जाती हैं, उनकी सूची स्वयं बनाएँ।)
15. पृष्ठ-6 पर दिये गए चित्रों को देखकर आपकी अंग्रेजी शासन पद्धति के बारे में क्या सोच बनती है?
उत्तर-पृष्ठ-6 पर दिये गये चित्रों से पता चलता है कि अंग्रेज सरकार हिन्दुस्तान पर बर्बरतापूर्ण कब्जा जमाए हुए थी। उनका शासन भारत को लूटने और दबाकर रखने के इरादों से भरा हुआ था।
16. क्या आपको लगता है कि अंग्रेजी हुकूमत ने हम भारतीयों के अधिकारों का हनन किया है? कैसे?
उत्तर-जलियाँवाला बाग में सभा हो रही थी। लोग अपने विचार शांतिपूर्ण ढंग से रख रहे थे। जनता को सरकार के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करने का मौलिक अधिकार होता है। पर, अंग्रेज सरकार ने हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाकर उनकी नृशंस हत्या कर दी। उन्होंने हम भारतीयों के अधिकारों का हनन किया और भी कई प्रकार से करते रहे। अपने स्वार्थ के लिए भारतीय किसानों से जबरदस्ती नील की खेती कराते रहे जो भारतीय किसानों के लिए नुकसानदायक और अंग्रेज सरकार के लिए फायदेमंद था। दरअसल अंग्रेज सरकार अपने फायदे के लिए हम भारतीयों के अधिकारों का लगातार हनन करते रहे थे।
17. किस चीज की खेती के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा था?
उत्तर-बिहार के पश्चिम चंपारण में अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर किया जाता था।
18. अगर हमारा देश आजाद रहता तो क्या इस तरह लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध मजबूर किया जाता?
उत्तर-नहीं, यदि हमारा देश आजाद रहता तो हम भारतीयों को हमारी इच्छाओं के विरुद्ध किसी काम के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता था
19. यदि उस समय भारत आजाद होता और उसका अपना संविधान होता, तो क्या इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था?
उत्तर -बिल्कुल रोका जा सकता था । यदि उस समय भारत आजाद होता और उसका अपना संविधान होता तो लोग अदालत की शरण में जाकर अपने मूलभूत अधिकारों की रक्षा कर लेते और ऐसी घटनाएँ नहीं होती।
20. भारत के संविधान को बनाने के लिए कांग्रेस ने सबसे स्पष्ट मांग कब पेश की?
उत्तर-1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत के लोगों द्वारा अपना संविधान खुद बनाने की स्पष्ट मांग रखी थी।
21. अंग्रेज सरकार भारत के लोगों की स्वतंत्र संविधान सभा की मांग को क्यों नहीं मानना चाहती थी?
उत्तर-भारत के लोगों की स्वतंत्र संविधान सभा की मांग को मानने पर अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ता क्योंकि विदेशी लोगों द्वारा अपने देश पर शासन कोई देशवासी स्वीकार नहीं करता। इसलिए अंग्रेज सरकार ने यह मांग ठुकरा दी।
22. भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में क्या-क्या माँगें रखीं?
उत्तर भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में इन मांगों को रखा था—सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार, संसदीय एवं उत्तरदायी सरकार एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा
23. किसी भी देश के संविधान में आम तौर पर किस तरह के मूल्यों को शामिल किया जाता है?
उत्तर–किसी भी देश के संविधान में आम तौर पर बुनियादी मूल्यों को शामिल किया जाता है।
24. भारत के संविधान के बुनियादी मूल्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-भारत के संविधान के बुनियादी मूल्य अग्रलिखित हैं—लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय एवं धर्मनिरपेक्षता।
25. बच्चे क्यों खुश थे?
उत्तर-स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन होने से बच्चे खुश थे।
26. शिक्षिका ने सभी बच्चों के विचार क्यों लिए?
उत्तर-शिक्षिका ने सभी बच्चों के विचार इसलिए लिया ताकि उन्हें एहसास हो कि इस सांस्कृतिक आयोजन में सबकी भागीदारी हो रही है।
27. कार्यक्रम की योजना यदि शिक्षिका स्वयं बनाती तो क्या होता?
उत्तर-यदि शिक्षिका कार्यक्रम की योजना स्वयं बनाती तो कई बच्चे दुखी हो जाते कि कार्यक्रम में उनकी कोई भागीदारी नहीं हुई।
28. क्या बच्चे अपनी बात को कहने के लिए स्वतंत्र थे?
उत्तर–हाँ, बच्चे अपनी बात को कहने के लिए स्वतंत्र थे। शिक्षिका ने उनको अपनी बातें कहने का पूरा मौका दिया था।
29. कार्य योजना बनाने में क्या सभी ने अपनी भूमिका निभाई थी?
उत्तर–हाँ, कार्य योजना बनाने में सभी ने अपनी भूमिका निभाई थी।
30. इस अनुभव से आपको लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में क्या समझ आता है ? शिक्षिका से चर्चा कीजिए।
उत्तर-लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात अभिव्यक्त करने का पूरा-पूरा हक होता है। सरकार बनाने के लिए सभी लोगों को वोट देने का अधिकार होता है।
31. स्वयं करें और बताएं-
पुस्तक में दी गई संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ें और दिए गए चित्रों को देखकर बताएं कि इनमें संविधान में कौन-सी स्वतंत्रताएँ झलकती हैं।
उत्तर-पृष्ठ 10 पर दिए गए चित्रों में से प्रथम में अवसर की समता के तहत शिक्षा पाने का स्कूली बच्चियों का अधिकार झलकता है। दूसरे चित्र में धर्म और उपासना की स्वतंत्रता और तीसरे चित्र में विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता झलकती है।
32. क्या किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्रता का अधिकार असीमित हो सकता है ? यदि किसी भी व्यक्ति या सरकार के कार्यों से दूसरे के हित को खतरा पहुँचता है तो क्या ऐसी स्वतंत्रता समाज के हित में सीमित की जा सकती है?
उत्तर- -नहीं, किसी भी लोकतांत्रिक देश में स्वतंत्रता का अधिकार असीमित नहीं हो सकता । व्यक्ति के जिन विचारों से दूसरे वर्ग-सम्प्रदाय को ठेस पहुंचे और उसके जिन विचारों से राष्ट्र की अखंडता को खतरा पहुँचता है उन्हें सीमित किया जा सकता है। इसके लिए उसे दंडित भी किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति या सरकार के कार्यों से यदि दूसरे के हित को खतरा पहुँचता है तो उसे सीमित करने के लिए देश की अदालत अपना दखल देती है।
33. संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ें और बताएं कि संविधान में कौन-कौन-सी समानताओं का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर–हमारे संविधान में नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार- अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने का उल्लेख किया गया है।
34. नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन-कौन-सी असमानताएं दिखाई दे रही हैं
* अपहरण के मामले में चार लड़के गिरफ्तार होते हैं। उनमें से श्याम एक धनी परिवार का इकलौता लड़का है। मजिस्ट्रेट सभी को एक ही सजा सुनाता है।
उत्तर-धनी परिवार के लड़के की इस कांड में मुख्य भूमिका हो सकती है। इसकी जाँच कर उसे अन्य की अपेक्षा अधिक कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी। यहाँ आर्थिक असमानता का मामला है।
*  एक गाँव में स्थित मंदिर में कुछ खास समुदाय के लोगों को नहीं जाने दिया जाता ।
उत्तर—यहाँ उस खास समुदाय के धर्म और उपासना की स्वतंत्रता के अधिकार को सीमित करने की असमानता दिखती है।
* आपके पड़ोस के स्कूल में आपके छोटे भाई का नामांकन नहीं किया जाता क्योंकि आपके परिवार को आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
उत्तर- इस मामले में आर्थिक असमानता दृष्टिगोचर होती है।
* किसी निजी नौकरी के लिए आपको इसलिए नहीं लिया जाता क्योंकि आप किसी खास समुदाय के हैं।
उत्तर-इस मामले में अवसर की समता का व्यक्ति का अधिकार खंडित होता है।
35. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति समानता के सिद्धांत के विरुद्ध क्यों नहीं दी जाती? अपनी शिक्षिका की सहायता से इस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-यह समानता के विरुद्ध नहीं है क्योंकि अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सदियों से दबाया जाता रहा है। उन्हें छात्रवृत्ति देकर अन्य वर्गों के समकक्ष लाने की कोशिश समानता के सिद्धांत के ही अनुकूल है।
36. अपने स्कूल में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी एकत्र कीजिए। ये योजनाएँ क्या हैं और क्यों चलाई जाती हैं ? समूह में चर्चा कीजिए।
उत्तर-संकेत—यह परियोजना कार्य स्वयं करें।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर
1. एक नागरिक के रूप में देश के लोगों के लिए संविधान महत्वपूर्ण क्यों है ?
उत्तर-एक नागरिक के रूप में देश के लोगों के लिए संविधान बहुत महत्वपूर्ण है। संविधान देश के लोगों के हितों की रक्षा को सुनिश्चित करता है। लोगों के बुनियादी मूल्यों व अधिकारों की रक्षा संविधान द्वारा ही संभव है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की सभता के लिए देश का संविधान व्यक्ति की हर संभव सहायता करता है।
2. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाने की मांग क्यों रखी होगी?
उत्तर–भारत के लोग अंग्रेजी सरकार के बर्बर और क्रूर शासन से त्रस्त थे। लोगों को न आर्थिक आजादी थी न सामाजिक और न ही राजनैतिक आजादी हासिल थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी नहीं थी। दमनपूर्ण शासन से त्रस्त भारत के लोगों को लगने लगा कि जब तक अपना संविधान देश में लागू नहीं होगा, तब तक लोगों को बेहतर शासन प्राप्त नहीं होगा । अत: स्वतंत्रता, आंदोलन के दौरान भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाने की मांग रखी।
3. भारत के संविधान में दिए गए मूल्यों में से आपको कौन-से मूल्य सबसे महत्वपूर्ण लगते हैं और क्यों?
उत्तर–भारत के संविधान में दिए गए मूल्यों में से मुझे बुनियादी मूल्य सबसे महत्वपूर्ण लगते हैं। इन मूल्यों में प्रमुख हैं—लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता । इन मूल्यों का महत्व इस तथ्य से पता चलता है कि इन्हें सबसे पहले संविधान के उद्देश्यों में शामिल किया गया था एवं इन्हें संविधान की उद्देशिका में लिखा गया।
4. संविधान में दिए गए समता और सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रही हैं,  तालिका बनाये।
उत्तर
समता का मूल्य                                              सामाजिक न्याय
अनुसूचित जाति और जनजातियों       अनुसूचित जातियों-जनजातियो के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना            छात्र-छात्राओं हेतु आवास की                                                          
वृद्ध पेंशन योजना                             व्यवस्था मुफ्त पुस्तकें देना, छात्राओं को                                         साइकिल देना आदि
निम्न वर्गों व पिछड़े वर्गों                   खास जरूरत वाले लोगों को
के लिए आरक्षण की सुविधा                विशेष  सुविधाएँ देना
                         जैसे-रैम्प बनाना
                 पहियों वाली कुर्सियों का प्रबंध इत्यादि

5. नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
संविधान सभा की बैठक नई दिल्ली के संविधान सभा भवन में 8.30 बजे शुरू हुई। माननीय डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सभा की अध्यक्षता की। इस सभा में माननीय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने विचार प्रस्तुत किये, “समिति में दो विचारधाराएँ थीं। बड़ी तादाद में विख्यात  वकील थे, जो बहुत बारीकी से हर वाक्य, हर शब्द, यहाँ तक की विराम और अल्प विराम की जाँच कर रहे थे। ये दोनों विचारधाराएँ दो अलग-अलग दृष्टिकोणों से मामले को देखती थीं। एक विचारधारा यह मानती थी कि अधिकारों के इस प्रतिवेदन में जितने अधिक से अधिक संभव हों, अधिकार शामिल करने चाहिए जो अदालत में सीधे लागू किए जा सकें। इन अधिकारों को लेकर कोई भी नागरिक बिना किसी कठिनाई के सीधे अदालत जा सके और अपने अधिकार प्राप्त कर सकें। दूसरी विचारधारा का मत था कि मूल अधिकारों को कुछ ऐसी बहुत अनिवार्य बातों तक सीमित रखा जाना चाहिए जिन्हें आधारभूत माना जा सके। दोनों विचारधाराओं में काफी बहस हुई और अंत में एक बीच का रास्ता निकाला गया, जिसे एक अच्छा मध्यम मार्ग माना गया। दोनों विचारधाराओं के लोगों ने सिर्फ एक देश के मूल अधिकारों का अध्ययन नहीं किया बल्कि दुनिया के लगभग हर देश के मूल अधिकारों का अध्ययन किया । वे इस नतीजे पर पहुंचे कि हमें इस प्रतिवेदन में जहाँ तक संभव हो, उन अधिकारों को शामिल करना चाहिए, जिन्हें उचित माना जा सके। इन बातों पर इस सदन में मतभेद हो सकता है, सदन को हर धारा पर कआलोचनात्मक तरीके से विचार करके, विकल्प सुझाने, संशोधन के सुझाव देने और निरस्त करने का अधिकार है।”
प्रश्न-
1. संविधान सभा की मूल अधिकारों की समिति में कौन-कौन से विचार प्रमुख रूप से उभर रहे थे?
उत्तर-संविधान सभा की मूल अधिकारों की समिति में दो विचारधाराएँ प्रमुख रूप से उभर रही थीं । एक विचारधारा यह मानती थी कि अधिकारो  के इस प्रतिवेदन में जितने अधिक-से-अधिक संभव हों, अधिकार शामिल करने चाहिए जो अदालत में सीधे लागू किए जा सकें। इन अधिकारों को लेकर कोई भी नागरिक बिना किसी कठिनाई के सीधे अदालत जा सके और अपने अधिकार प्राप्त कर सके। दूसरी विचारधारा का मत था कि मूल अधिकारों को कुछ ऐसी बहुत अनिवार्य बातों तक सीमित रखा जाना चाहिए जिन्हें आधारभूत माना जा सके।

2. आप इनमें से किस विचार के साथ सहमत हैं। और क्यों?
उत्तर-मैं प्रथम विचार से सहमत हूँ क्योंकि यह विचारधारा लोगों को अधिक से अधिक अधिकार देने के पक्षघर हैं जिन्हें अदालत की सुरक्षा भी सीधे-सीधे प्राप्त होगी।
3. संविधान सभा में सदस्य किस तरह किसी निर्णय पर पहुँचते थे, गद्यांश के आधार पर अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर-संविधान सभा के सदस्य काफी बहस कर अंत में किसी मुद्दे पर बीच का रास्ता निकालते थे, जिसे एक अच्छा मध्यम मार्ग माना जा सकता था।

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