Bihar board class 12th notes sociology
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जनसंपर्क साधन और जनसंचार
(Mass Media and Communications)
*स्मरणीय तथ्य
माध्यम अथवा चैनल (Channel) : संदेश को किसी-न-किसी माध्यम से प्राप्तकर्ता तक पहुँचाना होता है। टेलीफोन, समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, और फिल्म आदि माध्यमों से भी प्राप्तकर्ता तक पहुंचते हैं।
* डीकोडिंग (Decoding) : प्राप्तकर्ता प्राप्त संदेश का कूटवाचन यानी उसका डीकोडिंग करता है। डीकोडिंग का अर्थ है-प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश। यह एनकोडिंग की उल्टी प्रक्रिया है। इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता दोनों का उस कोड से परिचित होना आवश्यक है।
*फीडबैक (Feedback): संचार-प्रक्रिया में फीडबैक की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्राप्तकर्ता को जब संदेश मिलता है तो वह उनके मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। आपका मित्र कह सकता है कि वह आपके द्वारा मांगी गई पुस्तिक देगा अथवा नहीं। फीडबैक से ही पता चलता है कि संचार-प्रक्रिया में कहीं कोई बाधा तो नहीं आ रही है। इसके अतिरिक्त फीडबैक से ही यह भी पता चलता है कि संचारक ने जिस अर्थ के साथ संदेश भेजा था, वह उसी अर्थ में प्राप्तकर्ता को मिला है।
*शोर ((Noise) : संचार-प्रक्रिया में कई प्रकार की बाधाएँ भी आती हैं। इन बाधाओं को शोर कहते हैं। शोर से संचार की प्रक्रिया में बाधा पहुँचती है। यह शोर मानसिक, तकनीकी और भौतिक भी हो सकता है। इस शोर के कारण संदेश अपने मूल रूप में प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुँच पाता। इस शोर को हटाना जरूरी है।
*अतः वैयक्तिक संचार (Intrapersonal Communication) : जब हम कुछ योजना बना रहे होते हैं या किसी को याद कर रहे होते हैं तब हम अकेले होते हैं। इस संचार प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति होता है। यह संचार का सबसे बुनियादी रूप है। पूजा-इबादत या प्रार्थना भी अत: वैयक्तिक संचार का रूप है।
*अंतर-वैयक्तिक संचार (Inter-personal Communication) : जब दो व्यक्ति आपस में और आमने-सामने संचार करते हैं तो इसे अंतरवैयक्तिक (इंटरपर्सनल) संचार कहते हैं। इस संचार में फीडबैक तुरंत मिल जाता है। यह रूप परिवार और समाज के रिश्तों की बुनियाद है। इस कौशल की जरूरत हमें कदम-कदम पर पड़ती है। साक्षात्कार (Interview) में इसी कौशल की परख होती है।
*समूह-संचार : जब एक समूह आपस में विचार-विमर्श या चर्चा करता है तब समूह-संचार होता है। समूह-संचार का उपयोग समाज और देश के सामने उपस्थित समस्याओं को बातचीत या बहस के द्वारा हल करने के लिए किया जाता है। विधानसभा या संसद की चर्चा समूह-संचार का ही उदाहरण है। किसी समिति या पंचायत के लोग समूह-संचार के द्वारा किसी निर्णय तक पहुंचते हैं।
* जन संचार (Mass Communication) : यह संचार का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय प्रकार है। जब हम व्यक्तियों के समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिए एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करते हैं तो उसे जनसंचार कहते हैं।
*टेली कांफ्रेंसिग इसी का एक आधुनिक रूप है। इसके लिए हमें किसी उपकरण या माध्यम की सहायता लेनी पड़ती है; जैसे-रेडियो, अखबार, टेलीविजन या इंटरनेट। एन.सी.ई.आर.टी. पाठ्यपुस्तक एवं अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(Objective Questions)
- निम्न व्यक्तियों में किनका नाम पर्यावरण बचाव आंदोलन से जुड़ा है ?
[M.Q.2009A]
(क) महात्मा गाँधी
(ख) हेमवतीनन्दन बहुगुणा
(ग) मेधा पाटकर
(घ) ममता बनर्जी
उत्तर-(ख)
2 निम्न नामों में से किनका नाम आप जनजातीय आंदोलन से जोड़ते हैं ?
[M.Q.2009A]
(क) शिबू सोरेन
(ख) बाबूलाल मरांडी
(ग) बिरास मुंडा
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर-(ख)
- निम्नलिखित में किसे प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है ?
[M.Q.2009A]
(क) न्यायपालिका
(ख) प्रेस
(ग) विधायिका
(घ) कार्यपालिका
उत्तर-(ख)
- इनमें कौन घर-घर में पश्चिमी संस्कृति को पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
[M.Q.2009A]
(क) रेडियो
(ख) टेलीविजन
(ग) समाचारपत्र
(घ) ये सभी
उत्तर-(घ)
- रेडियो का आविष्कार कब हुआ ?
(क) 1895 में
(ख) 1795 में
(ग) 1695 में
(घ) 1595 में
उत्तर-(क)
- प्रसार भारती का गठन हुआ
(क) 1985 में
(ख) 1987 में
(ग) 1997 में
(घ) 1999 में
उत्तर-(ग)
7 भारत में विधिवत् टी० वी० सेवा का आरम्भ हुआ ?
(क) 15 अगस्त 1965
(ख) 15 अगस्त 1966
(ग) 15 अगस्त 1968.
(घ) 15 अगस्त 1970
उत्तर-(क)
- FM. रेडियो की शुरुआत हुई
(क) 1960 ई० में
(ख) 1980 ई० में
(ग) 1975 ई० में
(घ) 1993 ई० में
उत्तर-(घ)
- BBC ने अपना टेलीविजन सेवा शुरू की
(क) 1936 में
(ख) 1940 में
(ग) 1942 में
(घ) 1945 में
उत्तर-(क)
(ख) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
(1) ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना …………. ई० में हुई।
(2) जनसंचार और मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन ……………
(3) जनसंचार के ……………. साधन है।
(4) भारत में रेडियो और टेलीविजन ……………. संचार के दो प्रमुख साधन है।
(5) समाज की वर्तमान व्यवस्था के तीव्र परिवर्तन लाती है उसे …………… कहते हैं।
उत्तर-(1) 1936, (2) टेलीविजन, (3) तीन, (4) विद्युत, (5) क्रांति।
(ग) निम्नलिखित कथनों में सत्य एवं असत्य बताइये :
(1) टेलीविजन दृश्य-श्रव्य माध्यम है।
(2) आज पूरे भारत में 10 चैनल प्रसारित हो रहे हैं।
(3) मुंबई से प्रकाशित होनेवाला समाचारपत्र ‘बांबे समाचार’ भारत का सबसे पुराना
– समाचारपत्र है। (4) भारत में सबसे अधिक समाचारपत्र अंग्रेजी में निकलते हैं।
उत्तर-(1) सत्य, (2) असत्य, (3) सत्य, (4) असत्य।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. आजादी के बाद भी हमारे देश के सामने बहुत सारी चुनौतियाँ हैं। आप समाचारपत्रों को उनके प्रति किस हद तक संवेदनशील पाते हैं ?
उत्तर-आजादी के बाद हमारे देश के सामने अनेक चुनौतियाँ उठ खड़ी हुई हैं। इनमें प्रमुख है: — बेरोजगारी से निपटने की चुनौती – देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने की चुनौती – भ्रष्टाचार से निपटने की चुनौती – आंतकवाद से जूझने की चुनौती – लोकतंत्र में जनमत को शिक्षित करने की चुनौती
हम सब समाचारपत्रों पर दृष्टिपात करते हैं तो हमें लगता है कि अनेक समाचारपत्रों इन चुनौतियों के प्रति संवेदनशील हैं। राष्ट्रीय स्तर के समाचार-पत्र अपने दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। हाँ, क्षेत्रीय समाचार पत्र कई बार स्थानीय माफिया से डर जाते हैं या लोभ में आ जाते हैं। वे कई बार इनके प्रति उतने संवेदनशील नहीं हो पाते, जितना उन्हें होना चाहिए।
प्रश्न 2. निजी टी. वी. चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाते हैं ? टी. वी. कार्यक्रमों से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-टी. वी. के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए कई बार ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं जिनसे सनसनी फैलती है। वे रहस्य को और गहरा करते हैं। कार्यक्रम को कई किश्तों में दिखाते हैं ताकि दर्शकों की उत्सुकता निरंतर बढ़ती चली जाए। चटपटे (विशेषकर सेक्स संबंधी) कार्यक्रम परोसकर वे अपनी रेटिंग बढ़ाते हैं।
पिछले दिनों ‘स्टिंग आपरेशन’ द्वारा भी कई पर्दे के पीछे छिपे सभ्य कृत्यों’ का भंडाफोड़ किया गया। अधिकांश टी.वी. चैनल कोई-न-कोई रहस्यात्मक कार्यक्रम दिखाने के चक्कर में रहते
नजी टी. वी. सवदनशील नहीं माफिया से डर जानन दायित्व का नि
प्रश्न 3. इंटरनेट पत्रिकारिता ने दुनिया को किस प्रकार समेट लिया है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-इंटरनेट पत्रकारिता ने दुनिया को बहुत निकट ला दिया है। अब इंटरनेट की मदद से स्टूडियो में बैठा कार्यक्रम संचालक किसी भी मुद्दे पर विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से सीधी बात कर देता है। इसकी सहायता से गोष्ठियाँ, विचार-विमर्श, खुला मंच तक आयोजित किए जाते हैं। अब लोगों तक पहुंचना बहुत आसान हो गया है।
प्रश्न 4. किन्हीं दो हिंदी पत्रिकाओं के समान अंकों को (समान अवधि के) पढ़िए और उनमें निम्न बिंदुओं के आधार पर तुलना कीजिए : * आवरण पृष्ठ
* अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा
* सूचनाओं का क्रम _
* भाषा-शैली उत्तर-हम ‘नवनीत’ और ‘कादम्बिनी’ पत्रिकाओं के जुलाई मास के अंकों को लेते हैं।
* आवरण पृष्ठ-यद्यपि दोनों पत्रिकाओं का आवरण पृष्ठ सुंदर है, पर ‘नवनीत’ का आवरण पृष्ठ अधिक आकर्षक है। ___
* अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा-‘कादम्बिनी’ पत्रिका में अंदर के पृष्ठों की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया गया है। चित्रों का प्रयोग सटीक है। ‘नवनीत’ में इस ओर कम ध्यान दिया गया है।
* सूचनाओं का क्रम-प्रायः दोनों पत्रिकाओं में सूचनाओं के क्रम का अभाव है। ‘कादम्बिनी’ में यह क्रम थोड़ा ठीक है।
* भाषा-शैली-दोनों पत्रिकाओं की अपनी विशिष्ट भाषा-शैली है। ‘नवनीत’ की भाषा-शैली अधिक सरल, सुबोध एवं प्रभावशाली है। –
प्रश्न 5. इंटरनेट पत्रकारिता में सूचनाओं को तत्काल उपलब्ध कराया जाता है, परंतु इसके साथ ही उसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-यह सही है कि इंटरनेट पत्रकारिता में सूचनाएँ तत्काल उपलब्ध हो जाती हैं। इसके साथ-साथ इसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। जैसे-यह अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का जरिया भी है। इसके माध्यम से अश्लील बातों तथा चित्रों को आसानी से प्रचारित किया जा सकता है।
प्रश्न 6. श्रोताओं या पाठकों को बाँधकर रखने की दृष्टि से प्रिट माध्यम, रेडियो और टी.वी. में से सबसे सशक्त माध्यम कौन है ? पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर-श्रोताओं या पाठकों को बाँधकर रखने की दृष्टि से टी.वी. माध्यम सबसे सशक्त माध्यम है। इसके पक्ष में निम्नलिखित बातें हैं :
- इसमें समाचार सचित्र होते हैं जो अधिक प्रामाणिक एवं तथ्यपरक होते हैं।
- इसमें कम समय में अधिक बातें बताई जा सकती हैं।
- इसमें अनपढ़ दर्शक/श्रोता भी समाचार देख-सुन सकते हैं।
- टी.वी. का प्रयोग करने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
- इस माध्यम से समाचार दिन भर नए-नए रूप में मिलते रहते हैं।
टी.वी. माध्यम के विपक्ष में छोटा
- इस माध्यम का लाभ वही लोग उठा सकते हैं जहाँ विद्युत की आपूर्ति निर्बाध रूप से होती है।
- टी. वी. का रंगीन पर्दा आपत्तिजनक चित्रों व भाव-भंगिमाओं का साकार दृश्य प्रस्तुत कर अश्लीलता एवं चरित्रिक पतन को बढ़ावा दे रहा है।
- मूल्यवान समय की बर्बादी इसका एक अत्यंत हानिकारक प्रभाव है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(Short Answer Type Questions)
- प्रश्न 1. विभिन्न जन संचार माध्यमों-प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट से जुड़ी खूबियों और खामियों को लिखते हुए एक तालिका तैयार करें।
उत्तर-खूबियाँ
खामियाँ प्रिंट 1. छपे हुए शब्दों में स्थायित्व | 1. निरक्षरों के लिए बेकार
- संदर्भ की तरह प्रयोग करना । 2. समाचारों की समय-सीमा
- चिंतन, विचार, विश्लेषण का | 3. स्पेस का ध्यान रखना पड़ता है।
माध्यम
- मनमर्जी से पढ़ना रेडियो
- शब्द का माध्यम 1. पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं
- उलटा पिरामिड शैली में 2. एक रेखीय माध्यम है।
- अनपढ़ भी सुन सकते हैं 3. टी. वी. की तुलना में कम आकर्षक टेलीविजन
- दृश्य -श्रव्य माध्यम 1. कई बार छोटी बात को बहुत उछाल दिया जाता है
- अधिक सटीक एवं प्रामाणिक 2. व्यावसायिकता के आगमन से निष्पक्षता पर आँच
- ब्रेकिंग न्यूज की व्यवस्था 3. किसी की छवि बिगाड़ सकता है
- अधिक आकर्षक माध्यम इंटरनेट ___
- चौबीसों घंटे समाचार एवं – 1. अश्लीलता सूचनाएँ उपलब्ध
- बहुत तेज माध्यम 2. दुष्प्रचार
- पूरे के पूरे अखबार इंटरनेट 3. गंदगी फैलाने का माध्यम पर उलब्ध
4.शहरी माध्यम
प्रश्न 2. जनसंचार की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-जनसंचार की विशेषताएं : जनंसचार में फीडबैक तुरंत प्राप्त होता है। दर्शकों, श्रोताओं, पाठकों का दायरा बड़ा होता है। इसके गठन में विविधता होती है। टेलीविजन चैनल के दर्शकों में अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित, पुरुष-स्त्री, युवा-बच्चे सभी प्रकार के हो सकते हैं। इसके दर्शक किसी भी शहर या गाँव के हो सकते हैं। _
* जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है। अर्थात् जनसंचार के संदेश सबके लिए होते हैं। ___
* संचार के अन्य रूपों की तुलना में जनसंचार के लिए एक औपचारिक संगठन की जरूरत पड़ती है। औपचारिक संगठन के बिना जनसंचार माध्यमों को चलाना कठिन है।
* जनसंचार माध्यमों की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि उनमें ढेर सारे द्वारपाल (Gatekeeper) काम करते हैं।
द्वारपाल वह व्यक्ति होता है जो जनसंचार माध्यमों से प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करता है। समाचारपत्र में संपादक, सहायक समाचार संपादक, उपसंपवादक आदि ही यह तय करते हैं कि समाचारपत्र में क्या छपेगा, कितना छपेगा। टी.वी. और रेडियो में भी द्वारपाल होते हैं। इसके द्वारपाल ही प्रसारित होने वाली सामग्री का निर्धारण करते हैं।
प्रश्न 3. क्या एक जनसंचार माध्यम के रूप में रेडियो खत्म हो रहा है? उदाहरण के बाद भी भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य की चर्चा करें।(NCERT T.B. Q. 2)
उत्तर-पत्र-पत्रिकाओं के बाद रेडियो ने ही दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित किया। इसका आविष्कार 1895 ई. में इटली के इंजीनियर जी. मार्कोनी ने वायरलेस के जरिए किया। शुरुआती रेडियो स्टेशन 1892 में अमेरिकी शहर पिट्सबर्ग, न्यूयार्क ओर शिकागो में खुले। भारत में 1921 में मुंबई में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने डाक-तार विभाग के सहयोग से संगीत कार्यक्रम प्रसारित किया। 1936 ई. में विधिवत् ‘आल इंडिया रेडियो’ की स्थापना हुई।
आज आकाशवाणी देश की 24 भाषाओं और 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है। देश के 96 प्रतिशत हिस्से तक इसकी पहुँच है। उदारीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत 1993 में FM. (फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेशन) की शुरुआत हुई। इसके बाद रेडियो के क्षेत्र में कई निजी कंपनियाँ भी आ गई हैं। 1997 में आकाशवाणी और दूरदर्शन को केन्द्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर ‘प्रसार भारती’ नामक स्वायत्तशासी निकाय को सौंप दिया गया। आज देश के 90 शहरों में 350 से अधिक निजी F.M. चैनल कार्य कर रहे हैं। ___
एक जनसंचार माध्यम के रूप में रंगीन टी.वी., इंटरनेट आदि के प्रचलन से रेडियो की लोकप्रियता अथवा उपयोगिता में कमी अवश्य आई है किंतु यह खत्म नहीं हो रहा है। भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में जहाँ आज भी जनसंचार के अन्य माध्यम अपनी पहुँच नहीं बना सके हैं अथवा विद्युत आपूर्ति की उचित व्यवस्था नहीं है। वहाँ रेडियो की बुलंद आवाज सर्वत्र पसरे सन्नाटे को चीरकर एक भयमुक्त वातावरण का निर्माण करती है।
प्रश्न 4. सामाजिक परिवर्तन में संचार की भूमिका की चर्चा करें। [M.Q.2009 A]
उत्तर-समकालीन युग को अगर संचार का युग कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी, आज के युग में मानवीय समाज में परिवर्तन का सम्भवतः सबसे बड़ा एवं सशक्त स्रोत संचार माध्यम है, पत्र-पत्रिकाएँ, टेलीविजन, इन्टरनेट, तथा यातायात के साधनों में अभूतपूर्व परिवर्तनों के फलस्वरूप मानवीय समाज में सभी पक्ष अत्यन्त द्रूत गति से बदल रहे हैं, शिक्षा प्रदान करने का स्वरूप, व्यापार, यातायात, मनोरंजन आदि सभी पक्षों में संचार के साधनों में प्रगति के फलस्वरूप देखे जा रहे हैं।
प्रश्न 5. संचार साधनों का सामाजिक परिवर्तन में भूमिका स्पष्ट करें।[M.Q.2009A]
उत्तर-आधुनिक युग में संचार साधनों का सामाजिक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह जनमत तथा जन-चेतना का सशक्त माध्यम है। संचार साधनों के द्वारा लोक संस्कृति को जीवंत करने का कार्य किया जा रहा है। कम्प्यूटर, इंटरनेट आदि के विकास से संबंधित अनेकानेक प्रकार के वैज्ञानिक यंत्र विकसित हो रहे हैं।
संचार साधनों के विकास ने मानव अधिकार संबंधी सूचना तीव्रतम गति से फैलाने में मदद की है।
युवा वर्ग के विकास, क्रियाशीलता, ज्ञान, नौकरी, प्रतियोगी परीक्षाओं आदि से संबंधी आवश्यक सूचनाएँ टी०वी०, रेडियो, अखबार, इंटरनेट आदि से प्राप्त होती है।
अतः, स्पष्ट है कि आधुनिक संचार माध्यमों ने ज्ञान, विज्ञान, सूचना, अनुभव आदि को आसान बना दिया है जिसका प्रभाव मानव समाज तथा संस्कृति को तीव्र गति से प्रभावित करने में योगदान दे रहा है।
प्रश्न 6. मीडिया सामाजिक परिवर्तन कैसे लाता है ?
उत्तर-मीडिया के अंतर्गत हम जनसंचार के उन समस्त तरीकों को शामिल करते हैं जिसके द्वारा कोई भी सरकार या समाज अपनी बात या योजना जनसमूह तक फैलती है जैसे-रेडियो, टी०वी० समाचारपत्र, पत्र-पत्रिकाएँ आदि। आधुनिक समाज में मीडिया सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है क्योंकि यह विश्व भर की सूचनाएँ लोगों तक पहुँचाकर न केवल उन्हें जागरूक व चेतनशील बनाती है बल्कि उन्हें अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का भी बोध कराती है। मीडिया एक ओर भ्रष्टाचार घोटाले आदि का पर्दाफाश करती है तो दूसरी तरफ सामाजिक बुराइयों को मिटाने में भी कारगर भूमिका अदा करती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. समाचार-पत्र उद्योग में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें।
(NCERTT.B. Q. 1)
उत्तर-मुद्रण माध्यम अथवा समाचार-पत्र : स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसार के लिए समाचारपत्र और पत्रिकाएँ बहुत महत्वपूर्ण थे। अक्सर, ऐसा विश्वास किया जाता है कि टेलीविजन
और इंटरनेट के विकास से प्रिंट मीडिया का महत्व कम हो जाएगा। किंतु भारत में समाचारपत्रों के प्रसार को बढ़ते हुए देख रहे हैं। नई प्रौद्योगिकियों ने समाचारपत्रों के उत्पादन और प्रसार को बढ़ावा देने में सहायता की है। बड़ी संख्या में चमकदार पत्रिकाएँ भी बाजार में आ गई हैं।
स्पष्ट है कि भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों की इस आश्चर्यजनक वृद्धि के अनेक कारण हैं। पहला, ऐसे साक्षर लोगों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई जो शहरों में प्रवसन कर रहे हैं। 2003 में हिंदी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ के दिल्ली संस्करण की 64,000 प्रतियाँ छपती थीं जो 2005 तक बढ़ कर 4,25,000 हो गई। इसका कारण यह था कि दिल्ली की एक करोड़ सैंतालीस लाख जनसंख्या में से 52 प्रतिशत लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के हिंदीभाषी क्षेत्रों से आए हुए हैं। इनमें से 47 प्रतिशत लोगों की पृष्ठभूमि ग्रामीण है और उनमें से 60 प्रतिशत लोग 40 वर्ष से कम • आयु के हैं।
दूसरा, छोटे कस्बों और गाँवों में पाठकों की आवश्यकताएँ शहरी पाठकों से अलग होती हैं और भारतीय भाषाओं के समाचारपत्र उन आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं। ‘मलयाली मनोरमा’
और ईनाडु’ जैसे भारतीय भाषाओं के प्रमुख पत्रों ने स्थानीय समाचारों की संकल्पना को एक महत्वपूर्ण रीति से जिला संस्करणों और आवश्यकतानुसार ब्लाक संस्करणों के माध्यम से प्रारंभ किया। एक अन्य अग्रणी तमिल ‘दिन तंती’ ने हमेशा सरल और बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों ने उन्नत मुद्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाया और परिशिष्ट, अनुपूरक अंक, साहित्यिक पुस्तिकाएँ प्रकाशित करने का प्रयत्न किया। ‘दैनिक भास्कर’ समूह को संवृद्धि का कारण उनके द्वारा अपनाई गई अनेक विपणन संबंधी रणनीतियाँ हैं, जिनके अंतर्गत वे उपभोक्ता संपर्क कार्यक्रम, घर-घर जाकर सर्वेक्षण और अनुसंधान जैसे कार्य करते हैं। ___
अंग्रेजी भाषा के समाचारपत्र, जिन्हें अक्सर, ‘राष्ट्रीय दैनिक’ कहा जाता है, सभी क्षेत्रों में पढ़े जाते हैं, देशी भाषाओं के समाचारपत्रों का प्रसार राज्यों तथा अंदरूनी ग्रामीण प्रदेशों में बहुत अधिक बढ़ गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुकाबला करने के लिए, समचारपत्रों ने, विशेष रूप . से अंग्रेजी भाषा के समाचारपत्रों ने एक ओर जहाँ अपनी कीमतें घटा दी हैं, वहीं दूसरी ओर एक साथ अनेक केंद्रों से अपने अलग-अलग संस्करण निकालने लगे हैं। प्रश्न 2. टेलीविजन के माध्यम में जो परिवर्तन होते रहे हैं उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें।
(NCERTT.B.Q.3) उत्तर-टेलीविजन : आज टेलीविजन जनसंचार और मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय और सशक्त माध्यम बन गया है। यह दृश्य-श्रव्य माध्यम है और इसकी विश्वसनीयता सर्वाधिक है। 1927 में ‘बेल टेलीफोन लेबोरेट्रीज’ ने न्यूयार्क और वाशिंगटन के बीच प्रायोगिक टेलीविजन कार्यक्रम का प्रसारण किया। 1936 में BBC ने अपनी टेलीविजन सेवा शुरू की।
भारत में टेलीविजन की शुरुआत यूनेस्को की एक शैक्षिक परियोजना के तहत 15 सितंबर, 1959 को हुई थी। इसके तहत दिल्ली के आसपास के गाँवों में दो टी.वी. सेट लगाए गए जिन्हें 200 लोगों ने देखा। 15 अगस्त, 1965 से भारत में विधिवत् टी.वी. सेवा का आरंभ हुआ। 1975 तक दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर, अमृतसर, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ में टी.वी. सेंटर खुल गए। 1 अप्रेल, 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग कर ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया। 1984 में इसकी ‘रजत जयंती मनाई गई।
* इलेक्ट्रानिक मीडिया के बढ़ते प्रभाव से आशंका व्यक्त की जा रही थी कि समाचार पत्र उद्योग के लिए अब शायद संक्रमण काल शुरू हो गया है। किंतु इस उद्योग से जुड़े जुझारू वे मेहनतकश लोगों ने इसकी लोकप्रियता को कायम रखा। उद्योग ने इलेक्ट्रानिक मीडिया की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अनेक नव परिवर्तन किए जो पाठकों को बाँधने के सफल रहे। __
दूरदर्शन ने सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। पहले इस पर सरकारी नियंत्रण था अतः यह अपनी निष्पक्ष छवि नहीं बना पाया था। अब इसकी छवि में पर्याप्त सुधार हुआ है। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान दुनिया भर के लोगों ने युद्ध का सीधा प्रसारण देखा। भारत में करीब दो शतक तक लोग दूरदर्शन के एकमात्र चैनल का आनंद लेते रहे। कोई विकल्प उपलब्ध न रहने के कारण शुरुआती कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हुए। इसके बाद भारत में
टी.वी. की दुनिया में निजी चैनलों की शुरुआत हुई। पहले विदेशी चैनलों को प्रसारण की अनुमति मिली। जल्दी ही स्टार जैसे टी.वी. चैनलों ने अपने भारत केन्द्रित समाचार चैनल प्रारंभ कर दिए।
भारत में टेलीविजन का असली विस्तार तब हुआ जब यहाँ देशी चैनलों की बाढ़ आने लगी। अक्टूबर, 1993 में जी.टी.वी. और स्टार टी.वी. के बीच समझौता हुआ। इसके बाद समाचार के क्षेत्र में जी न्यूज और स्टार न्यूज चैनल आ गए। सन् 2002 में ‘आज तक’ का स्वतंत्र चैनल आया। इसके बाद समाचार चैनलों की बाढ़ आ गई। आज पूरे भारत में 200 से अधिक चैनल प्रसारित हो रहे हैं। रोज नए-नए चैनल आ रहे हैं।
प्रश्न 3. सामाजिक परिवर्तन में संचार साधनों की भूमिका स्पष्ट करें।
. [M.Q.2009 A]
उत्तर-संचार साधन सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख कारक है। प्रो० श्यामाचरण दूबे के अनुसार संचार माध्यमों की हर क्रान्ति मानव-जीवन गुणात्मक परिवर्तन लायी है। सामाजिक परिवर्तन में संचार साधनों की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है
(i) संचार साधन और लोक संस्कृति : लोक संस्कृति आम जनता की संस्कृति है। संचार साधनों के विकास के बाद आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के माध्यम से लोक संस्कृति को जीवन्त
(ii) संचार तथा सूचना स्रोत : सीमित समय तथा सीमित आर्थिक साधन के जरिए इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है जो परिवर्तन और विकास के मार्ग को प्रशस्त करता है।
(ii) मानव अधिकार तथा संचार साधन : संचार साधनों ने मानवाधिकार के मुद्दे को उभारकर समाज में परिवर्तन लाया है।
(iv) संचार साधनों के द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, इत्यादि के सम्बन्ध में नई-नई जानकारियाँ देकर समाज में आधुनिकीकरण और विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।