12-geography

bihar board 12 geography solutions | जल संसाधन

bihar board 12 geography solutions | जल संसाधन

                                      [Water Resources]
                                 भौगोलिक शब्द तथा परिभाषाएँ
◆वर्षा जल संग्रहण (Rain Water Harvesting)-वर्षा के जल को भविष्य में उपयोग के
लिए एकत्र करना ही वर्षा जल संग्रहण कहलाता है ।
◆घन मीटर जल (Cubic Metre Water)-यदि एक वर्ग मीटर समतल भूमि पर एक मीटर
ऊँचाई तक जल भरा रहे तो उसे एक घन मीटर कहते हैं ।
◆हेक्टेयर मीटर (Hectare Metre)-एक हेक्टेयर समतल भूमि पर एक मीटर की ऊँचाई
तक जल को स्थिर रखा जाए तो आयतन एक हेक्टेयर मीटर होगा ।
◆जलसंभर (Watershed)-जलसंभर प्राकृतिक दृष्टि से एक सुनिश्चित क्षेत्र होता है जिसका
जल एक ही बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है ।
◆सिंचाई (Irrigation)-वर्षा के अभाव में कृत्रिम रूप से खेतों तक जल पहुँचाने की क्रिया
को सिंचाई कहते हैं।
◆नित्यवाही नहरें (Perennial Canals)-जिन नहरों में जल सदा प्रवाहित होता है, उन्हें
नित्यवाही नहरें कहा जाता है ।
◆मानसूनी नहरें (Seasonal Canals)-जिन नहरों में बाढ़ के समय जल उपलब्ध होता है,
उन्हें मानसूनी नहरें कहते हैं ।
                                           पाठ के कुछ तथ्य
◆वर्तमान समय में भारत की जल भंडारण क्षमता- 147 अरब घन मीटर
◆भारत में भौम जल की क्षमता है-433.9 अरब घन मीटर
◆मासिनराम और चेरापूँजी में वर्षा की मात्रा है-1187 और 1142 सेमी.
◆भारत की कुल नदियों का अनुमानित औसत वार्षिक प्रवाह -1869 अरब घन मीटर
◆यदि एक वर्ग मीटर समतल भूमि पर एक मीटर ऊँचाई तक जल भरा रहे तो उस पूरे जल
का आयतन होगा-एक घन मीटर
◆एक हेक्टेयर समतल भूमि पर एक मीटर की ऊँचाई तक यदि जल को स्थिर रखा जाए तो
जल का कुल आयतन होगा -एक हेक्टेयर मीटर
◆सिंचाई की कुल संभावित क्षमता का वह भाग जो विकसित किया जा चुका है-68% क्रमश:
◆भारत के प्रथम और द्वितीय श्रेणी के नगरों से प्रतिदिन निकलने वाला मल जल
-12 व 1.3 अरब लीटर मल जल प्रतिदिन
◆भारत में 2000 में कुल सिंचित क्षेत्र-8.47 करोड़ हेक्टेयर
◆कुल अनुमानित प्रवाह का वह पृष्ठीय जल जो उपयोग के लिए उपलब्ध है-690 अरब घन मीटर।
                 एन. सी. ई. आर. टी. पाठ्यपुस्तक एवं कुछ अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
                अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Question)
प्रश्न 1. जल के मुख्य उपयोग क्या है ?
(What are the principal uses of water ?)
उत्तर-मनुष्य जल का अनेक प्रकार से उपयोग करता है जो निम्नलिखित है-
(i) सिंचाई (Irrigation)-भारत में 84% जल संसाधन सिंचाई के काम आते
किलोग्राम गेहूँ उत्पादन करने में लगभग 1500 लीटर जल की आवश्यकता होती है ।
(ii) उद्योग (Industry) उद्योगों में पानी की व्यापक उपयोगिता है । इनमें कुल जल का
4% जल उपयोग किया जाता है। उद्योगों में भारी मात्रा में पानी का उपयोग होता है। उदाहरण
के लिए एक मोटर कार तैयार करने में एक लाख लीटर पानी लग जाता है ।
(iii) शक्ति उत्पादन (Power Generation)—पन बिजली बनाने के लिए भारी मात्रा में
पानी को काफी ऊँचाई से निरन्तर टरबाइनों पर गिराना पड़ता है । शक्ति उत्पादन में 3.6% जल का उपयोग होता है।
(iv) मनोरंजन (Recreation) मनोरंजन के लिए तरण ताल तथा जल क्रीड़ा स्थल बनाए
जाते हैं।
(v) मछली पालन (Fishing) अलवण जल में मछली पालन किया जाता है
(vi) पेय जल आपूर्ति (Water Supply) घरेलू उपयोग जैसे पीने के लिए, खाना बनाने
के लिए जल का काफी उपयोग होता है।
(vii) जल पविहन (Navigation)-जल परिवहन उपयोगी होने के साथ सस्ता भी है ।
इसलिए इसका उपयोग इस रूप में भी किया जाता है ।
प्रश्न 2. प्रमुख जल संसाधन कौन से है ? प्रत्येक के लक्षण बताइए ।
(What are the major water resources ? Give characteristics of each.)
उत्तर-प्रमुख जल साधन निम्नलिखित हैं-
1. पृष्ठीय जल (Surface Water)-यह जल नदियों, झीलों तथा तालाबों में पाया
जाता है । पृष्ठीय जल का मूल स्रोत वर्षा है । मानव द्वारा पृष्ठीय जल का उपयोग पीने
के लिए किया जाता है । घरेलू उपयोग, कृषि तथा उद्योगों के लिए भी इसका उपयोग किया
जाता है।
2. भौम जल (Ground Water)–वर्षा से प्राप्त जल का एक अंश पृथ्वी पर रिसकर नीचे
चला जाता है जो भौम जल कहलाता है । भौम जल भी एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है । इसका उपयोग कृषि और घरेलू कार्यों में होता है।
3. वायुमंडलीय जल (Atmospheric Water)—यह जल वाप्प के रूप में पाया जाता
है। वर्षा तथा हिमपात के रूप में धरातल पर पहुंचता है। इसका उपयोग कृषि कार्यों में
होता है।
4. महासागरीय जल (Oceanic Water)—पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग जलीय है।
महासागरीय जल लवणीय है लेकिन अलवणीय जल का भी स्रोत है। जल परिवहन के रूप में
यह एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है । महासागरीय जल में मत्स्यन संसाधन पाए जाते हैं ।
प्रश्न 3. वर्षा जल संग्रहण के विभिन्न तरीके कौन से ?
(What are the different techniques of rain water harvesting.)
उत्तर-वर्षा जल संग्रहण की निम्नलिखित विधियाँ हैं-1. मकानों की छत पर गिरे वर्षा के
जल का संग्रहण 2.खेतों और गाँवों में तालाब 3. मेडबंदी। 4. सीढ़ीदार खेत । 5. रोक बाँध ।
6. जल रिसाव तालाब । 7. वन रोपण । 8. खेतों की गहरी जुताई ।
प्रश्न 4. भारत में जल संसाधनों के संरक्षण की तीन विधियों की व्याख्या कीजिए।
Explain any three methods for conservation of waetr resources in India.
उत्तर-भारत में जल संसाधन के संरक्षण की निम्न तीन विधियाँ हैं-
1. नदियों पर बाँध बनाकर तथा विशाल कृत्रिम तालाब बनाकर जल का संरक्षण किया जा
सकता है।
2. प्रदूषित जल का पुनश्चक्रण-आज प्रदूषित जल को साफ करके पीने के योग्य बनाने
की तकनीक उपलब्ध है। आवश्यकता है इसे उपयोग में लाने की । उद्योगों में पानी का उपयोग
घटाओ (Reduce), पुनश्चक्रण करो (Recycle) तथा पुन: उपयोग करो (Reuse) की विधि पर जोर दिया जा रहा है।
3. सिंचाई की नई पद्धतियाँ-बाढ़ सिंचाई (Flood Irrigation) में बहुत सा पानी बेकार
चला जाता है । इसके स्थान पर सिंचाई की फव्वारा (Sprinkler) और टपकन विधियों (Drip
Method) का उपयोग करना चाहिए ।
4. सिंचाई में नालियों के स्थान पर पाइपों का उपयोग किया जाना चाहिए ।
5. कम जल चाहने वाली फसलें बोनी चाहिए ।
6. अधिक वृक्षारोपण करके जल का संरक्षण किया जा सकता है ।
                    लघु उत्तरीय प्रश्न (ShortAnswer Type Question)
प्रश्न 1. देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की
संभावना क्यों है?
(Why the share of agricultural sector in total water used in the country is expected to decaine.)
उत्तर-कृषि क्षेत्र में सतह जल का 89% और भूमिगत जल का 92% उपयोग होता है।
इसके विपरीत औद्योगिक क्षेत्र में सतह जल केवल 2% और भूमिगत जल का 5% ही उपयोग
होता है । कुल जल उपयोग में कृषि क्षेत्र का भाग अन्य क्षेत्र से अधिक है। अन्य क्षेत्रों का भाग
बढ़ाने के लिये कृषि क्षेत्र का जल उपयोग कम करना आवश्यक है।
प्रश्न 2. लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं ?
(What can be possible impacts of consumption of contaminated/Unclean water on the poor?)
उत्तर-दूषित जल के उपयोग से गरीबों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है । दूषित जल
से जलजनित बीमारियाँ हो जाती हैं। इनमें हैजा डायरिया, पीलिया आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 3. यह कहा जाता है कि भारत में जल संसाधनों में तेजी से कमी आ रही है । जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए ।
(It is said that the water resources in India have been depleting very fast. Discuss the factors responsible for depletion of water resources.)
उत्तर-जल संसाधनों में कमी का कारण सिंचाई के लिये अधिक मांग है । सिंचाई तथा कृषि
उपयोग में सतह जल का 89% और भूमिगत जल का 92% भाग उपयोग में आता है । दश के
अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं । इसलिये सिंचाई की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 4. पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भोप जल विकास
के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं ?
(What factors are responsible for highest ground water development in
the states of Punjab, Haryana and Tamil Nadu ?)
उत्तर-पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु में नदी बेसिनों में भूमिगत जल का स्तर अपेक्षाकृत
ऊँचा है क्योंकि इन नदियों में पुनः पूर्ति योग्य भूमिगत जल की मात्रा अधिक है ।
प्रश्न 5. भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों में सम्पन्न क्यों हैं ?
(Why is the great plains of India rich in ground water resources ?)
उत्तर-भारत में वर्षा से प्राप्त जल की कुल मात्रा का लगभग 22% भाग जल भूमि द्वारा
सोख लिया जाता है । इसका 60% भाग मिट्टी की ऊपरी सतह तक ही पहुँचता है । यही जल
कृषि उत्पादन के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है । देश के कुल भौम जल भंडारण का लगभग 42% भाग भारत के विशाल मैदानों में पाया जाता है । इसके कारण निम्नलिखित हैं-
1. विशाल मैदानों में जलोढ़ मृदा पाई जाती है जिसमें जल आसानी से रिस जाता है ।
2. इन मैदानों में बहने वाली नदियाँ सदानीरा हैं । इनमें वर्ष भर जल प्रवाह उच्च रहता
3. इन मैदानों में पर्याप्त गहराई तक अवसादी शैल पाई जाती है जिसमें जल की मात्रा का
अधिक संग्रहण होता है।
4. इन मैदानों में मानसून वर्षा भी पर्याप्त होती है जो जल का एक स्रोत है और इस वर्षा
का जल रिसकर भौम जल बनाता है।
प्रश्न 6. भारत के संभावित पृष्ठीय जल संसाधनों के वितरण का वर्णन करें ।
Describe the distribution of potential surface water resources in India.
उत्तर-भारत में संभावित पृष्ठीय जल नदियों, तालाबों, झीलों में पाया जाता है । भारत में
हिमालयी नदी तंत्रों का भरपूर जल संसाधन उपलब्ध है । के. एल. राव के अनुसार भारत में कुल नदियों (धाराओं) की संख्या 10,360 है ।
भारत की समस्त नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह 1869 अरब घन मीटर है लेकिन इनका
केवल 32% जल ही उपयोग के लिए उपलब्ध है । कुल पृष्ठीय जल का 60% भाग
सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र में से होकर आता है।
भारत में सिन्धु और उसकी सहायक नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 73 अरब घन
मीटर है । गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों का जल उनकी सहायक नदियों सहित क्रमश: 501 तथा 537
अरब घन मीटर है । गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ संसार की सबसे बड़ी नदियों में से हैं । भारत
की सभी नदियों का वार्षिक जल प्रवाह विश्व की सभी नदियों के कुल वार्षिक जल प्रवाह के
6% के लगभग है।
दक्षिण भारत की बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली चार नदियाँ गोदावरी, कृष्णा, महानदी
एवं कावेरी नदियों का कुल जल प्रवाह 275 अरब घन मीटर है । अग्रलिखित सारणी नदियों के पृष्ठीय जल का वितरण दिखाती है-
 
प्रश्न 7. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित
क्यों है?
(Why is irrigation more developed in great plains than in Peninsular
India ?)
उत्तर-भारत में राज्यों के अनुसार सिंचित क्षेत्रों का वितरण बहुत असमान है । मिजोरम में
कुल सिंचित क्षेत्र 7,000 हेक्टेयर है जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग 1.25 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र
सिंचित है । सिंचित क्षेत्र के अनुपात की दृष्टि से पंजाब सर्वोच्च स्थान पर है । इसके बाद हरियाणा तथा उत्तरांचल सहित उत्तर प्रदेश है । इस प्रकार उत्तरी मैदान देश का सबसे महत्त्वपूर्ण सिंचित क्षेत्र है । इन मैदानों में सिंचाई की सुविधाओं के विकास के लिए अनेक प्राकृतिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं जबकि प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई की सुविधाएँ अपेक्षाकृत कम उपलब्ध हैं । उत्तरी विशाल मैदान में सिंचाई अधिक विकसित होने के कारण निम्नलिखित हैं-
1. उपजाऊ भूमि (Fertile land)-उत्तरी विशाल मैदान में मृदा बहुत ही उपजाऊ है,
इसलिए यहाँ सिंचाई की सुविधाएँ बढ़ाई गई हैं ।
2. मुलायम मृदा का होना (Availability of soft soil)-सतलुज-गंगा के मैदान में मृदा
मुलायम होने के कारण नहरें तथा नलकूप बनाना आसान है जबकि यह सुविधा प्रायद्वीपीय भारत में ऊबड़-खाबड़ भूमि के कारण नहीं है ।
3. बारहमासी नदियाँ (Perennial Rivers)-उत्तरी भारत की निदयाँ हिमाच्छादित पर्वतों
से निकलती हैं । इसलिए उनमें सदैव जल रहता है जो नहर निकालने के लिए आवश्यक है, लेकिन प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी हैं। उनमें सदैव पर्याप्त जल नहीं होता, इसलिए सिंचाई के साधन नहीं बनाए जा सकते ।
4. समतल मैदान (Levelled Plains)-भारत का उत्तरी मैदान एक समतल मैदान है।
इन मैदान में नदियाँ मन्द गति से बहती हैं जिनसे नहरें निकालना आसान है । समतल मैदान में
कृषि भूमि भी बहुत होती है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर सिंचाई व्यवस्था की आवश्यकता होती है लेकिन यह सुविधा प्रायद्वीपीय भारत में उपलब्ध नहीं है
इन उपर्युक्त कारणों से उत्तरी भारत के विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित है ।
प्रश्न 8. जल संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
(Why should water resources be conserved ?)
उत्तर-जल संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता निम्न कारणों से है-
1. जलाभाव (Scarcity of Weter) देश में वार्षिक वर्षा का औसत 118 सेमी. है ।
इस तरह देश को प्रति वर्ष 40 करोड़ हेक्टेयर मीटर जल प्राप्त होता है । यह सभी कामों के
लिए अपर्याप्त है । देश के कुछ भागों में स्थायी तथा कुछ भागों में अस्थायी जल संकट बना
रहता है।
2. वर्षा का कुछ ही समय में होना (Limited time of Rainfall)-वर्षा केवल चार
महीनों में ही होती है । 80% वर्षा इन्हीं चार महीनों में हो जाती है । शेष समय सूखा रहता है।
3. वर्षा का असमान वितरण (Uneven distribution of Rainfall) देश में कहीं
अधिक तथा कहीं कम वर्षा होती है । इसलिए भी जल संरक्षण आवश्यक है।
4. बढ़ती माँग (Increasing Demand) देश में सिंचाई के अतिरिक्त अन्य कार्यों के
लिए भी जल की माँग बढ़ती जा रही है । जैसे उद्योगों के लिए और बढ़ती जनसंख्या की
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ।
5. प्रदूषण (Pollution)-गाँव-नगरों के मल-जल की तथा औद्योगिक अपशिष्ट जल की
मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । यह सारा प्रदूषित और अनुपचारित जल देश की नदियों
में बहाया जाता है जिससे सिंचाई तक नहीं होती है । इसलिए जल संरक्षण की आवश्यकता
होती है।
प्रश्न 9. देशों में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्त्व में परिवर्तन का वर्णन
कीजिए।
(Trace the changes in relative signficance of various measures of irrigation in the country.) )
उत्तर-भारत में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन हैं-नहरें, कुएँ और तालाब । समय के अनुसार
प्रत्येक साधन का सापेक्ष महत्त्व बदलता रहा है ।
1950 तक नहरें सिंचाई का महत्त्वपूर्ण साधन थीं । नहरों की भागीदारी लगभग 40% थी।
1950 के बाद नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत अनुपात कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचित
क्षेत्र की तुलना में घटता गया और 1999-2000 में घटकर 31.3% रह गया ।
इसी प्रकार तालाब द्वारा सिंचित क्षेत्र का अनुपात 1950 में 17.3% था जो घटते हुए 1999-
2000 में केवल 4.7% रह गया । तालाबों द्वारा सिंचाई का महत्त्व समय के साथ-साथ कम हो
गया जबकि कुएँ और नलकूप से सिंचाई के महत्त्व में लगातार वृद्धि होती गई । 1950-51 में
कुएँ और नलकूपों द्वारा सिंचाई का प्रतिशत अनुपात 28.7% था जो बढ़कर 1990-91 में 51.5% तथा 2000 तक 58.8% हो गया । कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचाई का महत्त्व बढ़ने के कारण नलकूपों में डीजल तथा विद्युत पंखों का आरम्भ होना था ।
प्रश्न 10. भारत के नगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति की व्याख्या कीजिए ।
(Examine the water supply situation in urban and rural areas.)
उत्तर-राष्ट्रीय जल नीति में पेय जल की आपूर्ति को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई ।
इसलिए पेय जल आपूर्ति और स्वच्छता की आवश्यकता को ग्रामीण और नगरीय दोनों प्रकार की बस्तियों में विस्तार से प्रयत्न किए गए । 1991 में देश में केवल 62.72% घरों में ही सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था थी। गाँवों में 55.92% तथा नगरों में 81.59% । आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान त्वरित नगर जल आपूर्ति कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया । इसका उद्देश्य 20000 से कम जनसंख्या वाले नगरों को जल की आपूर्ति निश्चित करना था । भारत के अधिकतर नगरों की जल आपूर्ति की माँग कृत्रिम जलाशयों से पूरी होती है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए भौम जल क्षेत्रों से जल प्राप्त किया जाता है । 1972
में भारत के एक-चौथाई गाँव समस्या गाँव के रूप में वर्गीकृत थे । नौवीं पंवर्षीय योजना में देश
की प्रत्येक बस्ती में पेय जल उपलब्धता कराने का प्रावधान था, परन्तु आज भी भारत के प्रत्येक गाँव में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था नहीं की जा सकी है ।
प्रश्न 11. वर्षा जल संग्रहण क्या है ? आजकल यह भारत में क्यों आवश्यक है ? चार
कारण दीजिए।
(What is the rain water harvestiong ? Why is it urgently needed these
days in India ? Give four reasons.)
उत्तर-वर्षा जल संग्रहण भौम जल में पुनरभरण की एक तकनीक है । इसमें स्थानीय रूप
से वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भंडारों को भरना है जिससे भौम जल के जल पटल में
जल की कमी न रहे और इस जल से लोगों की स्थानीय माँग की पूर्ति होती रहे । वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता के निम्न कारण हैं-
1. जल की निरन्तर माँग को पूरा करते रहना ।
2. नालियों को रोकने वाले सतही प्रवाह को कम करना ।
3. सड़कों के जल भराव को रोकना ।
4. भौम जल प्रदूषण को रोककर प्रदूषण को घटाना ।
5. भौम जल की गुणवत्ता को सुधार कर उसे बढ़ाना ।
6. मृदा अपरदन को रोकना ।
7. ग्रीष्म काल में जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करना ।
प्रश्न 12. सुखोमांजरी गाँव (हरियाणा) में जल संसाधनों के विकास की चर्चा करें ।
(Explain the development of water resources in Sukhmanjari village in
Haryana.)
उत्तर-सुखोमांजरी गाँव हरियाणा के अम्बाला जिले में स्थित है। इस गाँव के लोगों ने अपने
गाँव के विकास के लिए वन और जल संसाधनों का पूर्ण रूप से विकास किया है । इसी कारण
यह गाँव देश भर में प्रसिद्ध हो गया है । चन्डीगढ़ के निकट खुरना झील के गाद से भर जाने
के कारण इस गाँव में पानी की कमी रहने लगती थी । झील के जल संग्रहण क्षेत्र में चार रोक
बाँध बनाए गए इन कार्यों से गाँव का जलस्तर ऊपर उठ गया । भावर घास की कटाई और मूगरी और चारे की घास से आमदनी ने गाँव की काया पलट कर दी।
प्रश्न 13. भारत में जल संसाधनों की किन्हीं तीन समस्याओं की व्याख्या कीजिए ।
(Explain any three problems of water resources in India.)
उत्तर-भारत में जल संसाधनों की तीन समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
1. उपलब्धता की समस्या (Problem of anvailability)-पृष्ठीय जल की कुल अनुमानित
उपलब्ध मात्रा 1869 अरब घन मीटर है। इसमें से केवल 690 अरब घन मीटर जल ही उपयोग में आता है।
2. उपयोग की समस्या (Problem of utilisation)-पीने और सफाई के लिए जल की
आपूर्ति जीवन की आधारभूत आवश्यकता है । लगभग 90% नगरों में जल की आपूर्ति की जा
रही है, किन्तु आज भी आधे से अधिक गाँवों में सुरक्षित पेय जल का साधन नहीं है ।
3. गुणवत्ता की समस्या (Problem of quality)—भारत में जल के प्रदूषण प्रमुख
समस्या है । जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत घरेलू जल अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, जल एवं कृषि कार्यों में प्रयुक्त रसायन हैं।
                   दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Question)
प्रश्न 1. जल संसाधनों की हास सामाजिक द्वंद्वों और विवादों को जन्म देते हैं । इसे
उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।
(The depleting water resources may lead to a social conflict and disputes. Elaborate it with suitable example.)
उत्तर-जल संसाधनों की कमी सामाजिक विवादों और द्वन्द्व को जन्म देती है । यह कथन
सही है । यह एक समस्या बन गई है । यह समस्या कई प्रदेशों में विवाद का मूल कारण बन
गया है। इसका एक उदाहरण पंजाब और हरियाणा का विवाद है । हरियाणा अपने राज्य की
कृषि सिंचाई क्षेत्रों में जल की मांग कर रहा था जो सतलुज से यमुना तक लिंक नहर द्वारा पूर्ण
की जानी थी लेकिन उच्चतम न्यायलय का निर्णय हरियाणा के पक्ष में आने पर भी पंजाब अतिरिक्त जल देने को तैयार नहीं हुआ । कभी-कभी इस प्रकार की समस्याएँ राजनैतिक लाभ भी देती हैं।
कर्नाटक और तमिलनाडु के मध्य भी इसी प्रकार का जल विवाद है । और इस विवाद के कारण तमिलनाडु चुनाव में राजनैतिक दल लाभ उठाते हैं । इस प्रकार के विवाद पीने के पानी के लिये भी उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे-उत्तर प्रदेश की सरकार ने दिल्ली राज्य को निर्धारित मात्रा से भी कम पानी दिया है । इस प्रकार के विवाद अन्य राज्यों में समय-समय पर उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 2. देश में जल संसाधनों की उपलब्धता की विवेचना कीजिए और इसके स्थानिक
वितरण के लिए उत्तरदायी निर्धारित करने वाले कारक बताइए।
(Discuss the availability of water resources in the country and factors that determine its spatial distribution.)
उत्तर-देश में संसार की सतह क्षेत्र का लगभग 2.45% संसार के जल संसाधनों का 4%
भाग आता है । देश में वर्षा से प्राप्त कुल जल लगभग 4000 क्यूसेक किमी. है । सतह जल
और पुनः प्राप्त योग्य भूमिगत जल से 1.869 क्यूबिक किमी. जल प्राप्त है। इस प्रकार देश में
कुल उपयोगी जल संसाधन 1.22 क्यूबिक किमी. है ।
सतह जल की उपलब्धि नदियों, झील और तालाब से होती है । ये ही मुख्य स्रोत हैं । भारत
में सभी नदियों में औसत वार्षिक प्रवाह 1.869 क्यूबिक किमी. आका गया है ।
भूमिगत जल संसाधन-देश में कुल पुनः प्रतियोग्य भूमिगत जल संसाधन लगभग 432
क्यूबिक किमी. है । इसका 46% गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिन में है।
झीलें-झीलें भी जल संसाधन हैं । इन जलाशयों में जो समुद्र तटीय क्षेत्रों में पाई जाती है
खारा जल होता है जिसका उपयोग मछली पालन के लिये किया जाता
इस जल संसाधन का वितरण असमान है। देश में उत्तरी भारत की नदियाँ सदा नीरा हैं
जबकि दक्षिण भारत की नदियाँ मानसून पर निर्भर करती हैं । गंगा ब्रह्मपुत्र सिंधु नदी के जल
ग्रहण क्षेत्र विशाल हैं । दक्षिण भारत की नदियों जैसे गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक
जल प्रवाह का अधिकतर भाग, काम में लाया जाता है ।
संभावित भूमिगत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तामिलनाडु राज्यों में भूमिगत जल का
उपयोग बहुत अधिक है । गुजरात, उत्तर प्रेदश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र अपने संसाधन का
मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं।
प्रश्न 3. जल-संभर प्रबन्धन क्या है ? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय
विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है ?
(What is watershed management ? Do you think it can play an important role in sustainable development ?)
उत्तर-जल विभाजक प्रबन्धन से तात्पर्य मुख्य रूप से सतह और भूमिगत जल संसाधनों की
सफल व्यवस्था से है । इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों जैसे पुनर्भरण कुओं आदि के द्वारा भूमिगत जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है । जल विभाजक व्यवस्था का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच सन्तुलन लाना है । जल विभाजक व्यवस्था की सफलता की मुख्य रूप से सम्प्रदाय के सहयोग पर निर्भर करती है ।
यह व्यवस्था सतत पोषणीय विकास में सहयोग कर सकता है । जल प्रबन्धन के कार्यक्रम
कई राज्यों में चल रहे हैं। जैसे-नीरू नीरू-कार्यक्रम आंध्र प्रदेश में तथा राजस्थान में अलवर
में लोगों के सहयोग से यह व्यवस्था चल रही है । तमिलनाडु में घरों में जल संग्रहण संरचना
को बनाना आवश्यक है।
प्रश्न 4. सारणी को देखकर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
राज्य:-                    प्रतिशत
गुजरात                     86.6
राजस्थान                  77.2
मध्य प्रदेश                 66.5
महाराष्ट्र                     65.0
उत्तर प्रदेश                 58.21
पश्चिम बंगाल              57.6
तमिलनाडु                  54.7
(i) दी गई तालिका से कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचाई का क्या प्रतिरूप पहचान में
आता है ?
उत्तर-कुओं और नलकूपों से सिंचाई क्षेत्र गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,
पश्चिमी बंगाल और तमिलनाडु से अधिक है ।
(ii) राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, और तमिलनाडु के सूखाग्रस्त क्षेत्र में भूमिगत जल
के उपयोग से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-इन राज्यों में भूमिगत जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भूमिगत जलस्तर नीचा
होता जाता है । कुछ राज्य जैसे-राजस्थान, महाराष्ट्र में अधिक जल निकलने की वजह से भूमिगत जल में फ्लूओराइट का सकेन्द्रण बढ़ गया है और उस वजह से पश्चिम बंगाल और बिहार के भागों में सखिया का संकेन्द्रण बढ़ना है ।
प्रश्न 5. भारत के संभावित जल संसाधनों की विवेचना कीजिए ।
(Discuss the potential water resources in India.)
उत्तर-भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है जहाँ भूमि और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में
हैं । भारत में जल के तीन स्रोत हैं वर्षा, पृष्ठीय जल तथा भूमिगत जल ।
वर्षा (Rainfall)–वर्षा जल का मूल स्रोत है । भारत में औसतम 118 सेमी. वर्षा होती
है । वर्षा का कुछ जल तो धरातल पर बहता हुआ नदियों का रूप ले लेता है तथा कुछ भूमि
सोख लेती है जो भूमिगत जल कहलाता है ।
पृष्ठीय जल (Surface Water)—जल का यह महत्त्वपूर्ण स्रोत बहने वाली नदियों, झीलों,
तालाबों और दूसरे जलाशयों के रूप में मिलता है । भारत में नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह
1869 अरब घन मीटर है । कुल पृष्ठीय जल का लगभग 60% भाग सिंधु गंगा और ब्रह्मपुत्र
नदियों से होकर बहता है। भारत की सभी नदियों में बहने वाली जल की मात्रा संसार की सभी
नदियों में बहने वाली जल की मात्रा का 6% है ।
भूमिगत जल (Ground water) एक अनुमान के अनुसार भारत में कुल भौम जल क्षमता
433.9 अरब घन मीटर है। भारत के उत्तरी मैदान में भौम जल के विकास की संभावनायें अधिक उपलब्ध हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में ही भौमगत जल की क्षमता 19% है । प्रायद्वीपीय भारत में कम है। जम्मू-कश्मीर में 1.07% तथा पंजाब में 98.34% है । भारत में जिन राज्यों में घट-बढ़ अधिक होती है तथा पृष्ठीय जल की कमी है उन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भौम जल विकास किया गया है । पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात इसके उदाहरण हैं।
प्रश्न 6. भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्यों है ?
(Why is irrigation necessary in India?)
अथवा, भारत में सिंचाई की बढ़ती हुई मांग के लिए उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
(Describe the factors responsible for the increasing demand of irrigation in India.)
उत्तर-जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई के लिए होता है । भारत एक उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश
है इसलिए यहाँ सिंचाई की अधिक माँग है । सिंचाई की बढ़ती मांग के कारण निम्नलिखित हैं-
1. वर्षा का असमान वितरण (Uneven distribution of rainfall)-देश में संपूर्ण वर्ष
वर्षा का अभाव बना रहता है । अधिकांश वर्षा, वर्षा ऋतु में होती है । इसलिए शुष्क अवधि
में सुनिश्चित सिंचाई सुविधा के बिना कृषि कार्य संभव नहीं है।
2. मॉनसून जलवायु (Monsoon Climate)-भारत की जलवायु मॉनसूनी है। यहाँ वर्षा
केवल तीन से चार महीने तक होती है, शेष समय शुष्क रहता है। इसलिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।
3. वर्षा बहुत परिवर्तनशील है (Variable Rainfall)—वर्षा ऋतु में पर्याप्त वर्षा वाले
क्षेत्रों में भी सिंचाई की आवश्यकता होती है क्योंकि वर्षा की मात्रा प्रति वर्ष निश्चित नहीं है।
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा की भिन्नता बहुत अधिक है। इसलिए वर्षा के दिनों में कभी
कहीं सूखा होता है तो कभी कहीं । सिंचाई के बिना भारतीय कृषि मानसून का जुआ बनकर
रह जाती है।
4. वर्षा की अनिश्चितता (Uncertainty of rainfal) केवल वर्षा का आगमन और
पश्चगमन ही अनिश्चित नहीं है अपितु इसकी निरन्तरता और गहनता भी अनिश्चित है । इस
उतार-चढ़ाव में कृषि को केवल सिंचाई से ही सुरक्षा मिलती है ।
5. कुछ फसलों के लिए जल की अधिक आवश्यकता (Water is more needed for
few crops)-चावल, गन्ना, जुट आदि फसलों को अपेक्षाकृत अधिक पानी की आवश्यकता होती है जो सिंचाई द्वारा ही पूरी की जाती है ।
6. अधिक अपज देने वाली फसलें (Crops giving more yield)—ऐसी फसलें जो
अधिक उपज देती हैं उनसे उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए निरन्तर पानी की आवश्यकता होती है । इसलिए विकसित सिंचाई वाले क्षेत्र में रहित क्रान्ति का सबसे अधिक प्रभाव रहा ।
7. लम्बा वर्धनकाल (Long growing season)-भारत में वर्धन काल पूरे वर्ष रहता है।
अतः सिंचाई की सुविधा मिलने पर बहुफसली खेती संभव है ।
8. खाद्यान्न तथा कृषि कच्चे माल की बढ़ती माँग (Increasing demand of food
grains and raw material)-सिंचित क्षेत्र में असिंचित क्षेत्र की तुलना में उत्पादन तथा
उत्पादकता अधिक होती है। देश में बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाया जा
सकता है तथा उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है ।
प्रश्न 7. प्रादेशिक विभिन्नताओं के लिए कारण बताते हुए देश में सिंचाई के वितरण
का वर्णन कीजिए।
(Describle the distribution of irrigation in the country giving reasons for
regional variations.)
उत्तर-भारत में राज्यों के अनुसार सिंचित क्षेत्रों का वितरण बहुत असमान है । उत्तर-पूर्व
के राज्यों में मिजोरम में कुल सिंचित क्षेत्र 7000 हेक्टेयर है जबकि उत्तर प्रदेश में यह 1.2 करोड़ हेक्टेयर है।
उत्तरी भारत में सिंचाई की सुविधाएँ अधिक होने के कारण यहाँ अधिक सिंचित क्षेत्र है।
उत्तर प्रदेश में गंगा तथा इसकी सहायक नदियों का जल सिंचाई के लिए उपयोग होता है।
मध्य प्रदेश तथा राजस्थान प्रत्येक राज्य में सिंचित क्षेत्र 50 लाख हेक्टेयर है । उत्तर प्रदेश
सहित इन तीन राज्यों में देश के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग आधा भाग पाया जाता है । आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार, गुजरात में से प्रत्येक में सिंचित क्षेत्र 30 से 50 लाख हेक्टेयर के बीच है।
इस प्रकार उपर्युक्त सात राज्यों में कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग तीन-चौथाई भाग पाया
जाता है।
बहुत कम अनुपात वाले राज्यों में उत्तर पूर्व के सभी राज्य सम्मिलित हैं । यहाँ उच्चावच
पर्वतीय है तथा वर्षा अधिक होती है । इसी वर्ग में दक्कन का पठार आता है ।
प्रश्न 8. भारत में जल संभर के विकास कार्यक्रम की उपयोगिता और व्यावहारिकता
का मूल्यांकन कीजिए।
(Assess the utility and workability of the water and development
programme in India.)
अथवा, जल संभर का क्या अर्थ है ? जल संभर की चार उपयोगिताएँ बताइये ।
(What is watershed ? Mention the four utilities of water shed programme.)
उत्तर-जल संभर प्राकृतिक दृष्टि से एक सुनिश्चित क्षेत्र होता है जिसका जल एक ही बिन्दु
की ओर प्रवाहित होता है जो इसे मृदा और जल संरक्षण की आदर्श नियोजन इकाई बना देता है।
उपयोगिता (Urility)—जल संभर एक भू-आकृतिक इकाई है और इसका उपयोग
सुविधानुसार छोटे प्राकृतिक इकाई क्षेत्रों के विकास के लिए किया जा सकता है । इससे निम्न
उद्देश्यों की पूर्ति की जा सकती है-
(i) मृदा अपरदन की रोकथाम करके मृदा संरक्षण तथा आर्द्रता का संरक्षण । (ii) कृषि योग्य
तथा गैर कृषि योग्य भूमि का विकास । (iii) उद्यान कृषि, वानिकी और वन संवर्धन का
विकास ।
(iv) क्षेत्र में जल संभर करके भौम जल का पुनरर्भरण करना । (v) चरागाह विकास।
व्यावहारिकता (Workability)-जल संभर विकास द्वारा उपर्युक्त कार्यक्रमों का महत्त्व
समझा जा सकता है।
भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम वन मंत्रालय द्वारा किया जाता है । जल संभर विकास
कार्यक्रम में भूमि की क्षमता तथा स्थानीय लोगों की सहभागिता की आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 9. अन्तर स्पष्ट करें (Distinguish between 🙂
                  (i) पृष्ठीय जल तथा भौम जल
          (Surface water and Ground water)
उत्तर-पृष्ठीय जल (Surface Water)-(i) यह जल ताल-तलैया, नदियों-सरिताओं और
जलाशयों में पाया जाता है । (ii) नदियाँ पृष्ठीय जल का प्रमुख स्रोत हैं । (iii) नदियों में प्रवाहित औसत वार्षिक प्रवाह 1869 अरब घन मीटर है । (iv) कुल पृष्ठीय जल का 60% भाग सिंधु-गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों में से होकर बहता है । (v) भारत में हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदी तंत्रों में भरपूर पृष्ठीय जल संसाधन उपलब्ध है।
भौम जल (Ground Water)-(i) वर्षा के जल का कुछ भाग भूमि द्वारा सोख लिया जाता
है जिसे भौम जल कहते हैं। भारत में भौम जल क्षमता लगभग 433.9 अरब घन मीटर है।
(ii) भारत के उत्तरी विशाल मैदान में भौम जल के विकास की संभावनाएँ अधिक हैं ।
(iii) प्रायद्वीपीय भारत में भौप जल की संभावनाएँ कम हैं । (iv) देश में भौम जल का वितरण
असमान है । (v) भारत के उत्तरी मैदान में पंजाब से लेकर ब्रह्मपुत्र घाटी तक भौम जल के विशाल भंडार हैं।
             (ii) हिमालय की नदियाँ तथा प्रायद्वीपीय नदियाँ
      (The Himalayan Rivers and Peninsular Rivers )
उत्तर-हिमालय की नदियाँ (Himalayan Rivers)-(i) हिमालय की नदियों का बेसिन
तथा जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़ा है । (ii) हिमालय की नदियाँ विशाल गार्ज से होकर बहती हैं।
(iii) हिमालय की नदियों के दो जल स्रोत हैं-वर्षा तथा हिम । (iv) इन नदियों के मार्ग में कम
बाधायें आती हैं। (v) इन नदियों में बाढ़ अधिक आती है ।
प्रायद्वीपीय नदियाँ (Peninsular Rivers)-(i) प्रायद्वीपीय नदियों का बेसिन तथा जल
ग्रहण क्षेत्र काफी छोटा है । (ii) प्रायद्वीपीय नदियाँ उथली घाटियों से होकर बहती हैं । (iii) इन
नदियों का जल स्रोत केवल वर्षा है । इसलिए शुष्क ऋतुओं में प्राय: ये सूख जाती हैं ।
(iv) प्रायद्वीपीय नदियों के मार्ग में बाधायें अधिक हैं । ये पथरीली चट्टानों से होकर बहती हैं।
(v) इन नदियों में बाढ़ की संभावनाएं कम होती हैं ।
             (iii) निर्मित सिंचाई क्षमता तथा उपयोग में लाई गई क्षमता
      (Irrigation potential created and Potential utilisation)
उत्तर-निर्मित सिंचाई क्षमता (Irrigation potential created)-स्वतंत्रता के पश्चात्
सिंचाई की क्षमता से काफी वृद्धि हुई है । 1999-2000 में कुल सिंचित क्षेत्र 8.47 करोड़
हेक्टेयर था।
उपयोग में लाई गई क्षमता (Irrigation potential utilised)-देश में सिंचाई की कुल
उपयोग में लाई गई क्षमता 2.26 करोड़ हेक्टेयर थी ।
                  (iv) प्रमुख तथा लघु सिंचाई परियोजना
             (Major and minor irrigation projects)
उत्तर-प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ (Major Irrigation Projects)-उत्तरी विशाल मैदानों
में प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ हैं, ऊपरी वारी दोआब नहर, दोआब सरहिन्द, इन्दिरा गाँधी तथा
पश्चिमी यमुना नहर ।
उत्तर प्रदेश में गंगा की ऊपरी, मध्य तथा निचली नहरें । दक्षिणी भारत की नागार्जुन सागर,
तुंगभद्रा परियोजना तथा कृष्णा-गोदावरी डेल्टा प्रदेश की नहरें ।
लघु सिंचाई परियोजनाएँ (Minorirrigation projects) उत्तर भारत की लघु परियोजनाओं
में पूर्वी यमुना नहर, शारदा नहर, राम गंगा नहर, मयूराक्षी आदि दक्षिण भारत में मैटूर बाँध, पालार, वोगाई आदि परियोजनाएँ हैं ।
प्रश्न 10. जल संभर क्षेत्र सर्वोन्मुखी विकास के लिए आदर्श स्थल हैं । तीन उपयुक्त
तर्क देकर कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए ।
(Water shed region is an ideal place for the all round development. Prove the statement with the support of three examples.)
उत्तर-1. जल संभर एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें जल का बहाव एक बिन्दु की ओर अथवा
एक ही दिशा में होता है। यह जल मृदा संरक्षण और जल के संरक्षण के लिए आदर्श नियोजन
इकाई बना देता है।
सारणी : भारत-नदियों की द्रोणियों के अनुसार उपयोग के योग्य पृष्ठीय जल का वितरण
(Table-India: Basinwise distribution of Surface Water)
2. जल संभर विधि से कृषि और कृषि से सम्बन्धित क्रियाकलापों का समग्र रूप से विकास
किया जा सकता है । उदाहरण के लिए उद्यान कृषि, वानिकी और वनवर्धन का विकास जल संभर विधि से संभव है।
3. इस विधि द्वारा संसाधनों से हीन क्षेत्रों में कृषि का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है ।
4. इसके द्वारा वर्षा पोपित क्षेत्रों तथा संसाधनों की कमी वाले क्षेत्रों में पारितंत्रीय ह्रास को
रोका जा सकता है।
उपर्युक्त सारणी का अध्ययन करें और निम्न प्रश्नों के उत्तर दें-
(i) दो नदियों के नाम बताएँ जिनका पृष्ठीय औसत वार्षिक जल प्रवाह सबसे अधिक है।
इनकी स्थिति बताइए।
(ii) इन नदियों में अधिकतम वार्षिक जल प्रवाह का एक कारण बताइए ।
(iii) उस नदी का नाम बतायें जिसकी जल प्रवाह उपयोग योग्य क्षमता सबसे अधिक है।
(iv) अधिकतम वार्षिक जल प्रवाह होने के बावजूद किस नदी में उपयोग योग्य जल क्षमता
बहुत कम है और क्यों ?
(v) प्रायद्वीपीय नदियों की स्थिति वार्षिक जलप्रवाह के सन्दर्भ में क्या है ?
(vi) हिमालय की नदियों की तुलना में प्रायद्वीपीय नदियों का वार्षिक प्रवाह कम क्यों है ?
* इसमें अन्य द्रोणियाँ भी सम्मिलित है
उत्तर-(i) गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियाँ गंगा भारत के उत्तरी विशाल मैदान में तथा ब्रह्मपुत्र
उत्तर-पूर्व में असम राज्य में बहती हैं।
(ii) इन दोनों नदियों का अपवाह क्षेत्र विस्तृत है। ये हिमालय के हिमानी क्षेत्रों से निकलती
हैं इसलिए सदानीरा हैं।
(iii) गंगा नदी उत्तरी मैदान के समतल एवं उपजाऊ विस्तृत प्रदेश में होकर गुजरती है और
विशाल घाटी बनाती है । इसके अपवाह क्षेत्र में जल का घरेलू तथा सिंचाई के लिए सघन उपयोग किया जाता है।
(iv) ब्रह्मपुत्र नदी का अपवाह क्षेत्र ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहाँ वर्षा की वार्षिक मात्रा अधिक
है । अत: इसके जल का उपयोग अपेक्षाकृत कम है।
(v) प्रायद्वीपीय नदियों का वार्षिक पृष्ठीय जल प्रवाह कम है क्योंकि ये मौसमी नदियाँ हैं और
आकार में छोटी हैं।
(vi) प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी नदियाँ हैं जो वर्षा पोषित हैं । इनकी लम्बाई अपेक्षाकृत
कम है।
                 वस्तुनिष्ठ प्रश्न (ObjectiveAnswer Type Question)
                       नीचे दिए गए चार विकल्पों से सही उत्तरे चुनें-
(Choose the right answer of the following from the given options 🙂
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है ?
(क) अजैव संसाधन
(ख) अनवीकरणीय संसाधन
(ग) जैव संसाधन
(घ) चक्रीय संसाधन
प्रश्न 2. निम्नलिखित नदियों में से देश में किस नदी से सबसे ज्यादा पुनः पूर्तियोग्य
भौम जल संसाधन है ?
(क) सिन्धु
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) गंगा
(घ) गोदावरी
प्रश्न 3. घन किमी. में दी गई निम्नलिखित संख्याओं में से कौन-सी संख्या भारत में
कुल वार्षिक वर्षा दर्शाती है ?
(क)2,000
(ख) 4,000
(ग) 3,000
(घ) 5,000
प्रश्न 4. निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उद्योग (%में)
इसके कुल भौम जल सम्भाव्य से ज्यादा है ?
(क)तामिलनाडु
(ख) कर्नाटक
(ग) आंध्र प्रदेश
(घ) केरल
प्रश्न 5. देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक सम्मानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में
से किस सेक्टर में है?
(क) सिंचाई
(ख) उद्योग
(ग) घरेलू उपयोग
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 6. भारत में कुल आपूरणीय भौम जल क्षमता कितनी है ?
(क) 43.39 अरब घन मीटर
(ख) 433.9 अरब घन मीटर
(ग) 433.01 अरब घन मीटर
(घ) 4.331 अरब घन मीटर
प्रश्न 7. हीराकुण्ड बाँध किस नदी पर बना है ?
(क) सोन
(ख) महानदी
(ग) सुवर्ण रेखा
(घ) कोसी
प्रश्न 8. 1999-2000 में कुल सिंचित क्षेत्र कितना था
(क) 84.7 करोड़
(ख) 847करोड़
(ग) 8.47 करोड़
(घ) 7.84 करोड़
प्रश्न 9. भारत की सार्वधिक उपयोग योग्य जल क्षमता वाली नदी है-
(क) सिंधु
(ख) यमुना
(ग) गंगा
(घ) ब्रह्मपुत्र
प्रश्न 10. वर्षण से प्राप्त जल कसा हाता है ?
(क) अलवणीय
(ख) लवणीय
(ग) पृष्ठीय
(घ) वायुमंडलीय
प्रश्न 11. गंगा भारत के किस क्षेत्र में बहती है?
(क) उत्तर
(ख) दक्षिण
(ग) पश्चिम
(घ) मध्य
प्रश्न 12. भारत में कितनी नदियाँ एवं सहायक नदियाँ हैं ?
(क) 1869
(ख) 10360
(ग) 690
(घ) 1690
प्रश्न 13. वर्षा का जल बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है उसे क्या
कहते हैं ?
(क) भौम जल
(ख) पृष्ठीय जल
(ग) अलवणीय जल
(घ) महासागरीय
                                               उत्तर:-
1. (घ) 2. (ग) 3. (ग) 4. (क) 5. (क) 6. (ख) 7. (ख) 8. (ग) 9. (ग) 10. (क)
11. (क) 12. (ख) 13. (ख)
                                        परियोजना कार्य
अपने पड़ोस में जल के विभिन्न उपयोगों का पता लगाने, जल के दुरुपयोग की पहचान
था उनके नियंत्रण के उपाय सुझााएँ ।
उत्तर-1.जल के उपयोग (Uses of Water)-
(i) राष्ट्रीय जल नीति में पेय जल की आपूर्ति को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है।
(ii) जल का उपयोग जल शक्ति, नौका परिवहन आदि के लिए किया जाता है ।
(iii) 62.27% घरों में शुद्ध पेय जल की व्यवस्था है ।
2. जल का दुरुपयोग (Misuses of Water)-
(i)जल का दुरुपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ।
(ii) पेय जल का उपयोग कपड़े धोने आदि के लिए किया जाता है ।
(iii) कूड़ा-कचरा आदि फेंककर पेय जल को दूषित किया जाता है ।
(iv) अत्यधिक दुरुपयोग लापरवाही के कारण होता है ।
नियंत्रण के उपाय (Measures of control)-जल की माँग और आपूर्ति के साथ जल
संसाधनों का समन्वय बनाना आवश्यक है । जल के दुरुपयोग को रोकने के अग्रलिखित उपाय हैं-
1. पेय जल की मांग को पूरा करना तथा पेय जल का उपयोग केवल पीने के लिए ही करना ।
2. सड़कों पर जल फैलाव को रोकना ।
3. भौम जल प्रदूषण रोकना ।
4. कुओं व तालाबों में कचरा न फेंकना ।
5. वर्षा के जल का संग्रहण ।
                                           मानचित्र कार्य
प्रश.. 1. दिये गए मानचित्र का अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(Study the map given below and answer the questions that follow)
(1) उत्तरी भाग के जल-अभावग्रस्त शुष्क प्रदेश का नाम बताइए । यह प्रदेश किस वर्ग
(उष्ण या शीत) में रखा गया है ?
(Which arid area of northern part faces water scarcity ? In which category(hot or cold) this area is placed ?)
(2) उत्तरी-पश्चिमी भाग के जल-अभावग्रस्त शुष्क प्रदेश का नाम बताइए। यह प्रदेश किस
वर्ग (उष्ण या शीत) में रखा गया है ?
(Which arid area of north-western part faces water scarcity ? In which
category (hot or col) this areas is placed?)
उत्तर-(1) जम्मू-कश्मीर का उत्तरी भाग । यह शीत वर्ग में आता है।
(2) हरियाणा का पश्चिमी भाग, पश्चिमी राजस्थान तथा गुजरात का पश्चिमी भाग। यह
उष्ण वर्ग में आता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित मानचित्र का अध्ययन कीजिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें-
(Study the map given below and answer the questions that follow)
(1) उत्तरी-पश्चिमी भारत के उन दो राज्यों के नाम बताइए, जिनमें सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत
सर्वाधिक है । (Name the two states of north western India, having the highest percentage area under irrigation.)
(2) इन राज्यों में सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत बहुत अधिक क्यों है ?
(Why do these states have very high percentage area under irrigation ?)
(3) उत्तर-पूर्वी भारत के अधिकतर राज्यों में सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत कितना है ?
(What is the percentage area under irrigation in most of the north-eastern states of India?)
उत्तर-(1) पंजाब तथा हरियाणा ।
(2) क्योंकि यहाँ सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं।
(3)25 प्रतिशत से कम ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *