11-history

bihar board 11th history | यायावर साम्राज्य

bihar board 11th history | यायावर साम्राज्य

bihar board 11th history | यायावर साम्राज्य

यायावर साम्राज्य
            (NOMADIC EMPIRES)
                           परिचय
यायावर लोगों के बारे में सामान्यतः यह मान्यता रही है कि ये लोग मूलतः घुमक्कड़ प्रवृत्ति
के होते हैं। ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारम्भिक राजनैतिक संगठन
के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते हैं। जबकि दूसरी तरफ ‘साम्राज्य’ शब्द भौतिक
अवस्थितियों को दर्शाता है। साम्राज्य ने जटिल सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में स्थिरता प्रदान की।
13-14वीं शदी में एक यायावर समूह के नेता चंगेज खान के नेतृत्व में पारमहाद्वीपीय साम्राज्य
की स्थापना की । उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक फैला हुआ था। उसने अपने
पारंपरिक सामाजिक एवं राजनैतिक रीति-रिवाजों को रूपांतरित कर एक भयानक सैनिक तंत्र और
शासन संचालन की प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया। उसके द्वारा उठाये गये कदमों एवं
समझौतों ने यूरेशिया पर व्यापक असर डाला। स्टेपी क्षेत्र के इन वदूओं ने अपना कोई साहित्य
नहीं लिखा जिसके कारण इनका ज्ञान मुख्य रूप से इतिवृतों, यात्रा वृत्तांतों और नगरीय साहित्यकारों
के दस्तावेजों के इर्द-गिर्द घूमता है। इन लेखकों ने यायावरों की जीवन संबंधी सूचना अत्यधिक
दोषपूर्ण, गलत और पक्षपात पूर्ण रूप से प्रस्तुत की है। मंगोलों पर सर्वाधिक शोधकार्य 18-19वीं
सदी में रूसी विद्वानों ने किया है। मंगोलों द्वारा स्थापित साम्राज्य की सामग्री एवं साक्ष्य हमें
भिन्न-भिन्न भाषाओं एवं स्थानों से प्राप्त होते हैं। साहित्यिक सामग्रियों में निर्णायक स्रोत हमें चीनी,
मंगोली, फारसी और अरबी से प्राप्त हुए हैं।
चंगेज खान का आदर्श उसके पौत्रों द्वारा भी अनुसरण किया गया। मंगोलों के अध्ययन से
ये स्पष्ट होता है कि ये कई प्रकार के थे, परंतु ये सभी सामाजिक और राजनैतिक पृष्ठभूमि से
जुड़े थे। नृजातीय संबंधों और भाषा ने उन्हें परस्पर जोड़ रखा था। इनका संबंध वैसे तो चीन
से रहा परन्तु चीनियों को इनसे अपूरणीय क्षति पहुँची। 1227 ई. में चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात्
मंगोल शासकों ने कवी, पोलैंड, हंगरी को अपने आधिपत्य में ले लिया। 1255 से 1350 तक चीन,
ईरान, इराक सीरिया भी उनके शासनाधीन हो गये। इसके पश्चात् शांति फैल गयी। इस शांति काल
में व्यापार का काफी विकास हुआ।
              महत्त्वपूर्ण तथ्य एवं घटनाएँ
1. बर्बर (बारबेरियन)- इसका शाब्दिक अर्थ गैरयूनानी लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों
को बेतरतीब का कोलाहल- “बर-बर” के समान लगती थी। किन्तु विभिन्न भाषाओं में
इसके भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हुए।
2. सामन्ती व्यवस्था—इस व्यवस्था में कृषक अपने स्वामी के लिए कार्य करते थे। दोनों की
स्थिति में पर्याप्त अंतर होता था।
3. द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ मंगोल्स- चंगेज खान की जानकारी का स्रोत।
4. चंगेज खान- मंगोल साम्राज्य का संस्थापक।
5. तुर्क एवं मंगोलों का परिसंघ-सिउंग-नु (200 ई. पू.-तुर्क); जुआन-जुआन (400
ई.पू-तुर्क); एफथलैट हूण (400 ई.पू-मंगोल); तु-चे (550 ई.पू.-तुर्क); उइगुर (740
ई०पू०-तुर्क); खितान (940 ई.पू.-मंगोल)। इन सारे परिसंघों ने कई क्षेत्रों पर अधिकार
जमाया लेकिन ये अस्थायी ही रहे।
6. चीन की महान दीवार—तीसरी शताब्दी ई. पू. से सुनियोजित दुर्गीकरण के लिए रक्षात्मक
प्राचीर।
7. जुवैनी—चंगेज खान का प्रथम पौत्र।
8. चंगेज की उपलब्धियाँ-मंगोलों का महान खान, महासागरिक खान, सार्वभौम शासक ।
9. सुल्तान महमुद- ख्वारिज का शासक।
10. चुगताई–चंगेज खान का दूसरा पुत्र जो तूरान के स्टेपी प्रदेश में ट्रांसआक्सियान के उत्तर
तुर्कीस्तान का राज्य शासक।
11. तोलुयिद–चीन का यूनान वंश और ईरान का इल-खालिद राज्य।
12. जोचिड वंश- -रूसी स्टेपी क्षेत्र में थे और उन्हें पर्यवेक्षक, ‘गोल्डन होर्ड’ कहते थे।
13. 1227 ई॰—चंगेज खान की मृत्यु ।
14. 1227-60 -तीन महान खानों का शासन और मंगोल एकता की स्थापना।
15. 1227-41-चंगेज खान के पुत्र ओगोदेई का शासन।
16. 1246-49–ओगोदेई के पुत्र शुयूक ओगोदेई का शासन।
17.1236-42-बाटू के अधीन रूस, हंगरी, पौलेंड और आस्ट्रिया पर आक्रमण चंगेज के
सबसे बड़े पुत्र जोची के पुत्र बाटू ने किया।
18. 1253-55-मोंके अधीन ईरान और चीन के पर पुनः आक्रमण किया गया।
19.1258-मंगोलों का बगदाद पर अधिकार।
20. 1260–पेकिंग को ‘महानखान’ के रूप में कुबलाई खान का राज्यारोहण, चंगेज खान के
उत्तराधिकारियों में संघर्ष।
21. 1257-1267–बातू के पुत्र बर्के का राज्यकाल। इल-खान के विरुद्ध गोल्डेन हार्ड और
मिस्र देश की मैत्री का प्रारम्भ। सुनहरा गिरोह (Golden Harde) का मेस्टोरियन ईसाई धर्म
इसलाम धर्म की ओर पुनद्रवृत्ति।
22. 1295-1304-ईरान में इल-खानी शासक गजन खान का शासन। उसके बौद्ध धर्म से
इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर लेने के बाद धीरे-धीरे अन्य इल-खानी सरदारों ने भी अपना
धर्म बदल दिया।
23. 1368-चीन में युआन राजवंश का अंत।
24. 1370-1405 तैमूर का शासन।
25. 1759-चीन के मंचुओं की मंगोलिया पर विजय।
                           वस्तुनिष्ठ प्रश्न
                (Objective Questions)
यायावर का अर्थ है-
(क) घुमक्कंड़.
(ख) आवारा
(ग) जनजाति
(घ) प्रजाति                                उत्तर-(क)
2. चंगेज खान का प्रारंभिक नाम था-
(क) तेमुजिन
(ख) सीसुजिन
(ग) च्यांग
(घ) सनयात् सेन                          उत्तर-(क)
3. रूस में मंगोलों का राज्य कितने वर्षों तक रहा?
(क) 300
(ख) 400
(ग) 200                           
(घ) 600                              उत्तर-(क)
4. ओगोदेई किसका पुत्र था ?
(क) चंगेज खान
(ख) अरब खान
(ग) च्यांग सेन
(घ) गुयूक                            उत्तर-(क)
5. मंगोलिया गणराज्य कब बना?
(क) 1921 में
(ख) 1920 में
(ग) 1930 में
(घ) 1940 में                         उत्तर-(क)
6. चीन में यूआन राजवंश का अंत कब हआ
(क) 1368 में
(ख) 1360 में
(ग) 1367 में
(घ) 1371 में                          उत्तर-(क)
7. चंगेज खान का वंशज था-
(क) तैमूर
(ख) अकबर
(ग) जहाँगीर
(घ) गजनवी                              उत्तर-(क)
8. चंगेज खान का जन्म कब हुआ था ?
(क) 1062 में
(ख) 1162 में
(ग) 1150 में
(घ) 1170 में                             उत्तर-(ख)
9. चंगेज खान की मृत्यु कब हुई?
(क) 1227 में
(ख) 1230 में
(ग) 1240 में
(घ) 1260 में                               उत्तर-(क)
10. तेमुजिन किस मंगोल खान का मूल नाम था ?
(क) चंगेज खाँ
(ख) बाटू खाँ
(ग) कुबलई खाँ
(घ) इनमें से कोई नहीं                    उत्तर-(क)
11. किस मंगोल सेना नायक ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम ग्रहण किया?|B.M. 2009
(क) चंगेज खाँ
(ख) चगताई खाँ
(ग) कुबलई खाँ
(घ) गजन खाँ                                उत्तर-(घ)
12. अफीम युद्ध किन दो देशों के बीच हुआ ?
(क) चीन एवं फ्रांस
(ख) जापान एवं रूस
(ग) चीन एवं जापान
(घ) चीन एवं ब्रिटेन                         उत्तर-(घ)
13. चीन में साम्यवादी पार्टी की स्थापना कब हुई?
(क) 1911
(ख) 1921
(ग) 1945
(घ) 1947                                    उत्तर-(ख)
14. साम्यवादियों के द्वारा पराजित होकर च्यांग काई शेक भागकर कहाँ गया ?   [B.M.2009]
(क) ताईवान
(ख) शैन्सी
(ग) कैन्टन
(घ) फुन्नान                              उत्तर-(क)
15. आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं :   [B.M. 2009]
(क) माओ-त्से-तुंग
(ख) डा. सनयात सेन
(ग) चियांग काई शेक
(घ) चाऊ एनलाई                      उत्तर-(ख)
                       अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
       (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. ‘बर्बर’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर-‘बर्बर’ शब्द यूनानी भाषा के शब्द ‘बारबरोस’ शब्द से निकला है जिसका तात्पर्य
गैर-यूनानी लोगों से है। यूनानियों को इनकी भाषा एक बेतरतीब शोर ‘बरबर’ के समान लगती थी।
प्रश्न 2. मोंके कौन था ? उसने फ्रांस के शासक लुई नौवाँ को क्या चेतावनी दी थी?
उत्तर–मोंके चंगेज खान का पोता था। उसने फ्रांस के शासक लुई नौवें को यह चेतावनी
दी थी कि वह मंगोलों पर आक्रमण करने का साहस न करे।
प्रश्न 3. चंगेज खान के पोते बाटू के 1236-1241 ई. के सैनिक अभियान की दो
सफलताएँ बताओ।
उत्तर-(i) बाटू ने रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला। (i) वह पोलैंड तथा हंगरी
पर विजय प्राप्त करके वियना तक जा पहुंचा।
प्रश्न 4. मंगोल कौन थे?
उत्तर-मंगोल विविध यायावर लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व के तातार, खितान तथा
मंचू लोगों से संबंधित थे। ये पशुपालक तथा शिकार संग्रहक थे। पश्चिम में इनका संबंध तुर्क
कबीलों से था।
प्रश्न 5. मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया?
उत्तर-मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया। उनकी पशुपालक तथा शिकार संग्राहक
अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थीं इसलिए स्टेपी
क्षेत्र में कोई नगर नहीं उभर पाया।
प्रश्न 6. धनी मंगोल परिवारों के अनेक अनुयायी होते थे। क्यों?
उत्तर-धनी मंगोल परिवारों के पास अधिक संख्या में पशु तथा विशाल चारण भूमि होती
थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदवा होता था। इसी कारण उनके अनेक अनुयायी
होते थे।
प्रश्न 7. मंगोल कबीलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर-शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती थी। वर्षा
न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।
प्रश्न 8. उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि चंगेज खान द्वारा स्थापित राजनीतिक
व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी थी।
उत्तर-(i) चंगेज खान द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था उसकी मृत्यु के बाद भी जीवित रही।
(ii) यह व्यवस्था चीन, ईरान तथा पूर्वी यूरोप के देशों की उन्नत शस्त्रों से लैस विशाल
सेनाओं का सामना करने में सक्षम थी।
प्रश्न 9. मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था?       (T.B.Q.)
उत्तर-मंगोल स्टेपी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की कमी थी। इसी कारण मंगोलों
के लिए व्यापार महत्त्वपूर्ण था।
प्रश्न 10. वाणिज्यिक क्रियाकलापों (व्यापार के मामलों) में मंगोलों को कभी-कभी
तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर—कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक
कार्यवाही पर उतर आते थे। इसी कारण तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।
प्रश्न 11. चीन के साथ मंगोलों के व्यापार की मुख्य मदें (वस्तुएँ) बताएँ ।
उत्तर-मंगोल चीन से कृषि उत्पाद तथा लोहे के उपकरण लाते थे। बदले में वे चीनी लोगों
को शिकार किए गए पशु, घोड़े तथा फर देते थे।
प्रश्न 12. ‘चीन की महान् दीवार’ क्यों बनवाई गई ?
उत्तर—यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते थे और नगरों को लूट लेते थे।
उनके आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए महान दीवार बनाई गई।
प्रश्न 13. चंगेज खान कौन था ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर—चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया में हुआ था। उसका
प्रारंभिक नाम तेमुजिन था। उसका पिता येसूजेई कियात कबीले का मुखिया था।
प्रश्न 14. अपने शत्रुओं को पराजित करने के बाद तेमुजिन को किस प्रकार सम्मानित
किया गया?
उत्तर-1206 ई. तक तेमुजिन ने अपने शत्रुओं को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया था।
अतः मंगोल कबीले के सरदार ने उसे चंगेज़खान, ‘समुद्री खान’ अथवा ‘सार्वभौम शासक’ की
उपाधि प्रदान की। उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।
प्रश्न 15. चंगेज खान के चीन अभियान से पहले चीन कौन-कौन से तीन राज्यों में
विभक्त था?
उत्तर-(i) उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में तिब्बती मूल के सी-सिआ लोगों का राज्य । (ii)
जरचेन लोगों का चिन राजवंश जिसका पेकिंग से उत्तरी चीन के क्षेत्र पर शासन था। (iii) शुंग
राजवंश जिसका दक्षिणी चीन पर अधिकार था।
प्रश्न 16. चंगेज खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश क्यों दिया ?
उत्तर-निशापुर के घेरे के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई थी। इसी कारण
चंगेज खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
प्रश्न 17. चंगेज खान द्वारा निशापुर को ध्वस्त कर देने के आदेश में क्या कहा गया था।
उत्तर- इस आदेश में यह कहा गया था, “नगर का इस तरह विध्वंस किया जाए कि संपूर्ण
नगर में हल चलाया जा सके। ऐसा संहार किया जाए कि बिल्ली और कुत्तों को भी जीवित न
रहने दिया जाए।”
प्रश्न 18. चंगेज खान सिंधु नदी से मंगोलिया असम मार्ग होकर वापस लौटना चाहता
था परंतु उसे अपना विचार क्यों बदलना पड़ा ?
उत्तर—चंगेज खान को निम्नलिखित कारणों से.अपना विचार बदलना पड़ा-
(i) गर्मी बहुत अधिक थी। (ii) प्राकृतिक आवास में कठिनाइयाँ थीं। (iii) उसके शमन
(पैगम्बर) ने कुछ अशुभ संकेत दिए थे।
प्रश्न 19. चंगेज खान की सैनिक सफलताओं में सहायक कोई दो कारक बताइए।
उत्तर-(i) मंगोलों तथा तुर्की की कुशल घुड़सवारी ने उसकी सेना को गति प्रदान की
थी। (ii) उनका घोड़े पर सवार होकर तीरंदाजी का कौशल अद्भुत था।
प्रश्न 20. चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को कौन-कौन से दो चरणों
में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर-चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को निम्नलिखित दो चरणों में
विभाजित किया जा सकता है।
(i) पहला चरण 1236-1242 तक का था। इस दौरान मंगोलों ने रूंस के स्टेपी-क्षेत्र,
बुलघार, कीव, पोलैंड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की।
(ii) दूसरा चरण 1255-1300 तक रहा। इसमें मंगोलों ने समस्त चीन, ईरान, ईराक तथा
सीरिया पर विजय प्राप्त की।
प्रश्न 21. 1260 के दशक के बाद मंगोल राजनीति में नई प्रवृत्तियों के उदय के क्या
कारण थे?
उत्तर-(i) मंगोल हंगरी के स्टेपी क्षेत्र से पीछे हट गए थे।
(ii) मंगोल सेनाओं को मिस्र की सेनाओं ने पराजित कर दिया था।
प्रश्न 22. मंगोल सेनाओं को मिस्त्र के हाथों पराजित क्यों होना पड़ा?
उत्तर-मंगोल शासक चीन में अधिक रुचि लेने लगे थे। अत: उन्होंने अपनी सेनाओं को
मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज दिया। मिस्र में केवल एक छोटी सी सेना ही भेजी
जा सकी । परिणामस्वरुप मंगोलों को पराजय का मुंह देखना पड़ा।
प्रश्न 23. मंगोल (चंगेज खान की) सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप
कैसे धारण किया ?
उत्तर-मंगोल जनजातियों के एकीकरण तथा विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज
खान की सेना में अनेक नए सैनिक शामिल हो गए। ये सैनिक विविध जातियों से संबंध रखते
थे। इस प्रकार मंगोल सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप धारण कर लिया।
प्रश्न 24. चंगेज खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन
सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है ? (T.B.Q.)
उत्तर-स्टेपी क्षेत्र में कई मंगोल कबीले रहते थे। इनकी अपनी अलग-अलग पहचान थी।
चंगेज खान इनकी अलग-अलग पहचान को समाप्त करके इन्हें एकीकृत करना चाहता था। इसी
कारण उसने मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक तथा सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की
आवश्यकता अनुभव की।
प्रश्न 25. चार उलुस (Ulus) का गठन कैसे हुआ?
उत्तर-उलुस से अभिप्राय है साम्राज्य सीमा। अपनी नई व्यवस्था में चंगेज खान ने
नव-विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इस प्रकार
चार उलुस का गठन हुआ ।
प्रश्न 26. कुबकुर (qubcur) नामक कर क्या था ?
उत्तर-चंगेज खान ने एक हरकारा संचार प्रणाली आरंभ की थी। इसके लिए मंगोल
यायावर अपने घोड़ों अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे इसे कुबकुर कर
कहते थे।
प्रश्न 27. विजित लोगों को अपने नये यायावर शासकों से कोई लगाव नहीं था। इसके
लिए उत्तरदायी कोई चार कारण बताइए।
उत्तर-(i) नव विजित क्षेत्रों के अनेक नगर नष्ट कर दिये गए थे। (ii) कृषि-भूमि को
क्षति पहुंची थी। (iii) व्यापार चौपट हो गया था। (iv) दस्तकारियाँ अस्त-व्यस्त हो गई थीं।
प्रश्न 28. यायावरों द्वारा नव विजित प्रदेशों में भारी पारिस्थितिक विनाश क्यों हुआ?
उत्तर—यायावर आक्रमणों से अस्थिरता फैली। इस कारण ईरान के शुष्क पठार में भूमिगत
नहरों का मरम्मत कार्य नियमित रूप से न हो सका। परिणामस्वरूप मरुस्थल का विस्तार होने लगा
जिससे भारी पारिस्थितिक विनाश हुआ।
प्रश्न 29. मंगोलों के सैनिक अभियानों में विराम आने का व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-मंगालों के सैनिक अभियानों में विराम आने के पश्चात् यूरोप और चीन के भू-भाग
आपसी संपर्क में आए। फलस्वरूप दोनों भागों के व्यापारिक संबंध गहरे हो गए। मंगोलों की
देखरेख में रेशम मार्ग का व्यापार अपने शिखर पर पहुँच गया।
प्रश्न 30. अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए मंगोलों ने क्या व्यवस्था की हुई
थी? इसने मंगोल सत्ता को किस प्रकार मजबूत बनाया ?
उत्तर-मंगोल अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास देते थे। इसके
लिए व्यापारी (यात्री) टैक्स देते थे और मंगोल चंगेज खान तथा उनके उतराधिकारियों की सत्ता
को समर्थन देते थे। इससे मंगोल सत्ता मजबूत बनी।
प्रश्न 31. मंगोल द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भर्ती का क्या महत्त्व था?
उत्तर-(i) मंगोलों द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भर्ती से दूरस्थ राज्यों
को संगठित करने में सहायता मिली।
(ii) इनके प्रशिक्षण से साम्राज्य के स्थानबद्ध लोगों की खानाबदोशों द्वारा होने वाली लूटमार
में भी कमी आई।
प्रश्न 32. मंगोलों द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासक कभी-कभी खानों की नीति
को भी प्रभावित करने में सफल हो जाते थे। इस संबंध में दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-(i) 1230 के दशक में चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई ने मंगोल शासक ओगोदेई की
लूटमार करने की प्रवृत्ति को बदल दिया था।
(ii) गजनखान के लिए उसके वजीर रशीदुद्दीन ने एक भाषण लिखा था । इस भाषण
द्वारा खान को किसानों को सताने की बजाय उनकी रक्षा करने की बात कही थी।
प्रश्न 33. चंगेज खान के वंशजों का पृथक्-पृथक् समूहों में बँट जाने का क्या परिणाम
निकला?
उत्तर-चंगेज खान के वंशजों के पृथक्-पृथक् समूहों में बँटने से उनकी अपने पुराने परिवार
से जुड़ी स्मृतियाँ तथा परंपराएँ बदल गईं।
प्रश्न 34. यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज खान की स्मृति
के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंध को उजागर करता है?
उत्तर–परवर्ती मंगोलों ने यास को चंगेज खान की विधि संहिता कह कर पुकारा। इसका
अर्थ यह था कि वे स्वयं का विधान लागू करना चाहते थे। यही बात चंगेज खान की स्मृति
(विधान)के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करती है।
प्रश्न 35. यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर
निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे । क्या
आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फारसी इतिवृत्तकारों ने
मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है? (T.B.Q.)
उत्तर—हां, मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि यायावर समाज नगरों को लूटते थे। इसलिए
स्थानबद्ध समाज उनसे घृणा करते थे। यही बात फारसी इतिहासकारों पर लागू होती है। उन्होंने
मंगोलों को क्रूर हत्यारा दर्शाने के लिए मारे गए लोगों की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर बताई है।
प्रश्न 36. क्या कारण था कि 13वीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक
नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे ?
उत्तर–स्टेपी के खानाबदोश गिरोहों ने चंगेज खान के अधीन नगरों को बुरी तरह लूटा
था और उन्हें ध्वस्त कर दिया था । उन्होंने अनेक नगरवासियों की निर्मम हत्याएँ भी की थीं।
इसी कारण चीन, ईरान तथा पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा
की दृष्टि से देखते थे।
प्रश्न 37. आज मंगोलिया में चंगेज खान को क्या स्थान दिया जाता है?
उत्तर—आज मंगोलिया में चंगेज खान को महान् राष्ट्र नायक का स्थान दिया जाता है और
उसका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है। वह मंगोलों के लिए एक आराध्य व्यक्ति है।
प्रश्न 38. तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित ‘पैक्स मंगोलिका’ का
निम्नलिखित विवरण उसके चरित्र को किस तरह उजागर करता है ? (T.B.Q.)
एक फ्रेंसिसकन भिक्षु, रूब्रुक निवासी विलियम को फ्राँस लुई IX ने राजदूत बनाकर
महान खान मोंके के दरबार में भेजा। वह 1254 में मोंके की राजधानी कराकोरम पहुँचा और
वहाँ वह लोरेन, फ्रांस की एक महिला पकेट (Paquette) के संपर्क में आया जिसे हंगरी
से लाया गया था। यह महिला राजकुमार की पत्नियों में से एक पत्नी की सेवा में नियुक्त
थी जो नेस्टोरियन ईसाई थी। वह दरबार में एक फारसी जौहरी ग्वीयोम् बूशेर के संपर्क में
आयी, “जिसका भाई पेरिस के ग्रेड पोन्ट’ में रहता था। इस व्यक्ति का सर्वप्रथम रानी
सोरगकतानी ने और उसके उपरांत मोंके के छोटे भाई ने अपने पास नौकरी में रखा। विलियम
ने यह देखा कि विशाल दरबारी उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरिन पुजारियों को उनके चिह्नों
के साथ तथा इसके उपरांत मुसलमान, बौद्ध और ताओ पुजारियों को महान खान को
आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता था।
उत्तर यह विवरण ‘पैक्स मंगोलिका’ के धर्म-निरपेक्ष चरित्र को उजागर करता है। हमें
पता चलता है कि मंगोल शासन में सभी धर्मों का आदर किया जाता था। वहाँ विदेशियों को भी
सम्मान दिया जाता था।
                 लघु उत्तरात्मक प्रश्न
    (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए,
यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक दूसरे से भिन
थे ? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए क्या स्पष्टीकरण देंगे ? (T.B.Q)
उत्तर—बेदोइन शुष्क रेगिस्तानी प्रदेशों में रहते थे। इसके विपरीत मंगोल स्टेपी क्षेत्र के
यायावर कबीले थे जो एक मनोरम प्रदेश था। बेदोइन को अपने पशुओं के लिए पानी तथा चारा
मरुस्थल के कुछ हरे-क्षेत्रों (मरुद्यानों) में ही मिलता था। वे भोजन के लिए मुख्यतः खजूर का
प्रयोग करते थे। वे चारे की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते थे। उनका मुख्य पशु ऊंट था। इसके
विपरीत मंगोल यायावरों के पास हरी-भरी विशाल चरागाहें थीं। उनके पास पानी की भी कोई
कमी नहीं थी, क्योंकि उनके प्रदेश में ओनोन तथा सेलेंगा जैसी नदियाँ बहती थीं। स्टेपी क्षेत्र में
बर्फीली पहाड़ियों से निकले सैकड़ों झरने भी थे।
बेदोइन शिकारी संग्राहक नहीं थे। वे मुख्यतः पशुपालक थे। परंतु कई मंगोल कबीले शिकारी
संग्राहक थे। उनका मुख्य व्यवसाय व्यापार करना था।
भिन्नता का कारण-मंगोलों तथा बेदोइन की यायावरी विशेषताओं में भिन्नता का मुख्य
कारण उनके प्रदेश का परिदृश्य तथा अन्य भौगोलिक परिस्थितियाँ थीं।
प्रश्न 2. मंगोल कौन-कौन थे ? उनके जन-जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-मंगोल विविध यायावरी लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान
और मंचू लोगों से संबंधित थे। पश्चिम में इनका संबंध भाषागत समानता होने के कारण तुक
कबीलों से था। कुछ मंगोल पशुपालक थे और कुछ शिकार-संग्राहक थे। पशुपालक भेड़-बकरिय
ऊंट आदि पशु पालते थे।
शिकारी- संग्राहक लोग, पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरिया के वनों
में रहते थे। वे पशुपालक लोगों की अपेक्षा अधिक गरीब थे । अपना जीवन-निर्वाह ग्रीष्म काल
में पकड़े गए जानवरों की खाल के व्यापार से करते थे। मंगोल तंबुओं और जर में निवास करते
थे। गर्मियों में वे अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास स्थल से ग्रीष्मकालीन चारण-भूमि
की ओर चले जाते थे।
प्रश्न 3. मंगोल किस क्षेत्र के निवासी थे। इस क्षेत्र का परिदृश्य कैसा था?
उत्तर-मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के निवासी थे। यह प्रदेश आज के आधुनिक
मंगोलिया राज्य का भू-भाग था। उस समय इस क्षेत्र का परिदृश्य आज जैसा ही मनोरम था।
यह प्रदेश लहरदार मैदानों से घिरा था। इसके पश्चिमी भाग में अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियाँ
थीं,जबकि दक्षिणी भाग में गोबी का शुष्क मरुस्थल फैला था। इसके उत्तर और पश्चिम के क्षेत्र
का ओनोन एवं सेलेंगा नदियाँ और बर्फीली पहाड़ियों से निकले सैकड़ों झरने सींचते थे। पशुपालन
के लिए यहाँ पर हरी-भरी घास के मैदान थे। अनुकूल ऋतुओं में यहाँ प्रचुर मात्रा में छोटे-मोटे
शिकार उपलव्य हो जाते थे
स्टेपी क्षेत्र में तापमान सारा साल लगभग एक समान रहता था। शीत ऋतु के कठोर और
लंबे मौसम के बाद छोटी एवं शुष्क गर्मियों की अवधि आती थी। चारण क्षेत्र में साल की कुछ
सीमित अवधियों में ही कृषि करना संभव था।
प्रश्न 4. मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-(i) मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधों के कारण आपस में जुड़े हुए थे।
परंतु उपलब्य आर्थिक संसाधनों के अभावों के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में
विभाजित था।
(ii) धनी-परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि
होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी
होते थे।
(iii) समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भीषण शीत-ऋतु के दौरान
उनके द्वारा एकत्रित शिकार-सामग्रियाँ तथा अन्य खाद्य भंडार समाप्त हो जाते थे। वर्षा न होने
पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।
(iv) मंगोल कबीलों में पसी संघर्ष भी होता था। पशुधन प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट
भी करते थे।
(v) प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण करने अथवा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली
कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे।
प्रश्न 5. मंगोल परिसंघ किस प्रकृति के होते थे ? अंटीला तथा चंगेज खान द्वारा बनाए
गए परिसंघों में क्या समानता तथा क्या असमानता थी?
उत्तर-मंगोल परिसंघ प्राय: बहुत छोटे और अल्पकालिक होते थे। चंगेज खान ने मंगोल
और तुर्की कबीलों को मिलाकर एक परिसंघ बनाया। आकार में यह परिसंघ पाँचवीं शताब्दी
के अंटीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर ही था। परंतु अंटीला के बनाए परिसंघ के विपरीत
चंगेज खान के परिसंघ की व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी सिद्ध हुयी। परिसंघ व्यवस्था इतनी
सशक्त थी कि यह चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से लैस विशाल सेनाओं
का सामना करने में भी सक्षम थी। यही कारण था कि मंगोल इन क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने
में सफल रहे। उन्होंने जटिल कृषि-अर्थव्यवस्थाओं तथा स्थानबद्ध समाजों का भी बड़ी कुशलता
से संचालन किया। एक बात और चंगेज खान द्वारा स्थापित परिसंघा उसकी मृत्यु के बाद भी
जीवित रहा।
प्रश्न 6. चंगेज खान के अधीन मंगोलों की सैनिक सफलताओं में किन कारकों ने
सहायता पहुँचाई?
उत्तर-चंगेज खान के अधीन मंगोलों की सफलता में मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों
सहायता पहुँचाई-
(i) मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल ने उनकी सेना को गति प्रदान की।
(ii) घोड़े पर सवार होकर मंगोल सैनिकों का तीरंदाजी का कौशल अद्भुत था। यह
कौशल उन्होंने जंगलों में पशुओं का शिकार करते समय प्राप्त किया था। उनकी इस तीरदाजी
ने उनकी सैनिक गति को और अधिक तेज कर दिया।
(iii) सैनिकों को अपने आसपास के भूभागों तथा मौसम की जानकारी हो गई थी। इस
बात ने सेना को अतिरिक्त क्षमता प्रदान की। अत: उन्होंने प्रचंड शीत ऋतु में युद्ध अभियान प्रारंभ
किए तथा शत्रु के नगरों एवं शिविरों में प्रवेश करने के लिए बर्फ से जमी हुई नदियों का राजमार्गों
की तरह प्रयोग किया।
(iv) यायावर लोग यूं तो किलेबंद शिविरों तक पहुचने में सक्षम नहीं थे; परंतु चंगेज खान
ने घेराबंदी की नीति अपनाकर इस कार्य को सरल बना दिया।
(v) चंगेज खान के इंजीनियरों ने हलके चल-उपस्करों का निर्माण किया। ये उपस्कर शत्रु
के लिए घातक सिद्ध हुए।
प्रश्न 7. मंगोल वंश का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-मंगोल वंश का संस्थापक चंगेज खान था। उसके अनेक बच्चे थे। परंतु उसके वंश
को उसकी पटरानी बोरटे के गर्भ से पैदा हुए उसके चार पुत्रों ने आगे बढ़ाया। इनके नाम थे-
जोची, चघताई, ओगोदाई तथा तोलोए।
चंगेज खान का सबसे बड़ा पुत्र जोची था। उसके पास अपार शक्ति थी। परंतु उसके यहाँ
कोई शूरवीर पैदा नहीं हुआ। जोची के पुत्र बातू ने ओगोदेई के वंश को समर्थन देने से इंकार कर
दिया। अतः शक्ति तोलोए परिवार के हाथों में आ गई। इस बात ने मोंके और कुबलई के लिए
सत्ता के द्वार खोल दिए।
प्रश्न 8. चंगेज खान की सेना विविध जातियों का मिश्रण थी। उदाहरण देकर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर-मंगोलों तथा अन्य यायावर समाजों में सभी स्वस्थ वयस्कों के लिए शस्त्र धारण
करना अनिवार्य था। आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना तैयार की जाती थी। विभिन्न
मंगोल जनजातियों के एकीकरण और विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज खान की सेना
में कई नए सदस्य शामिल हो गए। ये सैनिक विविध जातियों से संबंध रखते थे। इससे छोटी-सी
मंगोल सेना एक विशाल संगठन में परिवर्तित हो गई। इसमें मंगोल सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार
करने वाले तुर्की मूल के उइगर समुदाय के लोग भी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त इसमें केराइट
सम्मिलित थे, जिन्हें अपनी पुरानी शत्रुता के बावजूद महासंघ में शामिल कर लिया गया था।
प्रश्न 9. चंगेज द्वारा अपनाई गई संचार प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-चंगेज खान ने एक फुर्तीली संचार (हरकारा) पद्धति अपना रखी थी जिससे राज्य
के दूर स्थित स्थानों में आपसी संपर्क बना रहता था। अपेक्षित दूरी पर सैनिक चौकियां बनाई गई
थीं। इन चौकियों में स्वस्थ एवं शक्शिाली घोड़े तथा घुड़सवार तैनात रहते थे। ये घुड़सवार
संदेशवाहक का काम करते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों
अथवा पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे। इसे ‘कुबकुर’ कर कहते थे। यायावर लोग यह
कर अपनी इच्छा । प्रदान करते थे। इससे उन्हें अनेक लाभ प्राप्त होते थे। चंगेज खान की मृत्यु,
के पश्चात् इस हरकारा पद्धति (याम) में और भी सुधार लाये गये। इस पद्धति से महान् खानों
को अपने विस्तृत साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं पर निगरानी रखने में सहायता
मिलती थी।
प्रश्न 10. विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद क्यों नहीं करते थे? इसका
क्या परिणाम निकला?
उत्तर–विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद नहीं करते थे। इसके कई कारण थे-
(i) तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों में अनेक नगर नष्ट कर दिए गए थे।
(ii) कृषि भूमि को भारी हानि पहुंची थी।
(iii) व्यापार चौपट हो गया था तथा दस्तकारी अस्त-व्यस्त हो गई थी।
(iv) इन युद्धों में हजारों लोग मारे गए थे और इससे भी अधिक लोग दास बना लिए
गए थे। अतः संभ्रांत लोगों से लेकर कृषक-वर्ग तक सभी लोगों को भारी कष्टों का सामना करना
पड़ा।
परिणाम–इससे राज्य में अस्थिरता के कारण ईरान के शुष्क पठार में भूमिगत नहरों का
मरम्मत कार्य नियमित रूप से न हो सका। नहरों की मरम्मत न होने से मरुस्थल का विस्तार होने
लगा, जिससे भारी पारिस्थितिक विनाश हुआ।
प्रश्न 11. मंगोलों के सैन्य अभियानों में विराम आने का राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-मंगोलों के सैन्य अभियानों में विराम आने के पश्चात् यूरोप और चीन के भू-भाग
आपसी संपर्क में आए। मंगोल विजय (Pax Mongolica) के कारण आई शांति से दोनों
भू-भागों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए। मंगोलों की देख-रेख में रेशम भार्ग (Silknoute)
पर व्यापार अपने शिखर पर पहुँच गया। अब व्यापारिक मार्ग चीन में ही समाप्त नहीं हो जाते थे।
अब व्यापार मार्ग उत्तर की ओर मंगोलिया तथा नए साम्राज्य के केंद्र कराकोरम तक पहुंच गए।
मंगोल शासन में मेल-जोल बनाए रखने के लिए संचार तथा व्यापारियों एवं यात्रियों के
लिए यात्रा को सुलभ बनाना आवश्यक था। सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास जारी किए
जाते थे। इन्हें फारसी में फैजा तथा मंगोल भाषा में जेरेज कहते थे। इस सुविधा के लिए व्यापारी
‘बाज’ नामक कर अदा करते थे। इसका तात्पर्य यह था कि वे मंगोल शासक की सत्ता को स्वीकार
करते हैं।
प्रश्न 12. तेरहवीं शतानी में यायावरों तथा स्थायी समुदायों के बीच विरोध कम होने
से कृषि को किस प्रकार बढा़वा मिला ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों और स्थायी समुदायों के बीच विरोध
कम होने लगा। इससे कृषि को बहुत बढ़ावा मिला। उदाहरण के लिए 1230 के दशक में जब
मंगोलों ने उत्तरी चीन के चिन वंश के विरुद्ध युद्ध में सफलता प्राप्त की तब मंगोल नेताओं के
एक क्रुद्ध वर्ग ने यह विचार रखा कि वहाँ के सभी कृषकों को मौत के घाट उतार दिया जाए
और उनकी कृषि-भूमि को चरागाह में बदल दिया जाए। परंतु 1270 के दशक में शुंग वंश की
पराजय के बाद जब दक्षिण चीन को मंगोल साम्राज्य में मिला लिया गया, तब चंगेज खान का
पोता कुबलई खान कृषकों और नगरों के रक्षक के रूप में सामने आया । इसी प्रकार 1290 के
दशक में मंगोल शासक गजन खान ने अपने परिवार के सदस्यों तथा सेनापतियों को आदेश दिया
कि वे कृषकों को न लूटें। एक बार अपने भाषण के दौरान उसने कहा था कि कृषकों को परेशान
करने से राज्य में स्थायित्व और समृद्धि नहीं आती।
प्रश्न 13. मंगोल प्रशासन में विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भूमिका की
संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर-मंगोलों ने चंगेज खान के शासनकाल से ही विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों
को अपने यहाँ भर्ती करना आरंभ कर दिया था। इन्हें कभी-कभी एक स्थान से दूसरे पर भी भेज
दिया जाता था। इस तरह इन्होंने दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में भी सहायता की। इससे
खानाबदोश द्वारा जनजीवन पर होने वाली स्थानबद्ध लूटमार में भी कमी आई। मंगोल शासकों।
का इन प्रशासकों पर तब तक विश्वास बना रहता था, जब तक वे अपने स्वामियों के लिए कर
एकत्रित करते रहते थे। इनमें से कुछ प्रशासक काफी प्रभावशाली थे। कभी-कभी वे खानों की
नीति को भी प्रभावित करने में सफल हो जाते थे। उदाहरण के लिए 1230 के दशक में चीनी
मंत्री ये-लू-चुत्साई ने ओगोदेई की लूटने की प्रवृत्ति को बदल दिया था। जुवैनी परिवार ने भी ईरान
में इसी तरह की भूमिका निभाई। इसी प्रकार गजन खान के लिए वह भाषण वजीर रशीदुद्दीन
ने तैयार किया था, जिसमें उसने कृषक-वर्ग को सताने की बजाय उनकी रक्षा करने की बात कही थी।
प्रश्न 14. 13 वीं शताब्दी में चंगेज खान के वंशजों का अलग-अलग वंश समूहों में
विभाजन किस प्रकार हुआ? यह किस बात का संकेत था ?
उत्तर-तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक भाइयों द्वारा पिता के धन का मिल-बाँटकर उपयोग
करने का स्थान व्यक्तिगत राजवंश स्थापित करने की भावना ने ले लिया। प्रत्येक राजवंश का
अपने-अपने क्षेत्रीय राज्य (उलुस) पर स्वामित्व होता था। इसी के परिणामस्वरूप चंगेज खान
के वशंजों के बीच महान् पद तथा उत्कृष्ट चरागाही भूमि पाने के लिए होड़ लगी रहती थी।
फलस्वरूप उनका अलग-अलग वंशों में विभाजन हो गया।
(i) चंगेज खान के वेशज चीन और ईरान दोनों पर शासन करने के लिए आगे आए।
टोलुई के वंशजों ने युआन और इल-खानी वंशों की स्थापना की।
(ii) जोची ने ‘सुनहरा गिरोह’ का गठन किया और रूस में स्टेपी-क्षेत्रों पर शासन किया।
(iii) चघताई के उत्तराधिकारियों का नियंत्रण तूरान के स्टेपी-क्षेत्रों पर था, जिसे आजकत
तुर्किस्तान कहा जाता है।
चंगेज खान के वंशजों का पृथक्-पृथक् वंश समूहों में बँट जाना इस बात का संकेत था।
कि उनके पिछले परिवार के विधान एवं परंपराओं में बदलाव आ गया।
प्रश्न 15. चंगेज खान के वंशज अपने अतीत से क्यों हटना चाहते थे?
उत्तर-चंगेज खान के वंशज महान् खानों की अपेक्षा अपने गुणों को अधिक उजागर करते
थे।तुलना की इस प्रक्रिया में स्वयं चंगेज खान को भी नहीं छोड़ा गया। ईरान के फारसी इतिहास
वृत्त में महान् खानों का संबंध रक्तरंजित हत्याओं से जोड़ा गया है। इसमें मृतकों की संख्या बहुत
अधिक बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई है। उदाहरण के लिए एक प्रमाण के अनुसार बुखारा के किले
की रक्षा के लिए 400 सनिक तैनात थे। परंतु एक इल-खानी इतिहासवृत्त में कहा गया है बुखार
के किले पर आक्रमण में 30,000 सैनिक मारे गए। यद्धपि इल-खानी विवरणों में भी चंगेज खान
की प्रशंसा की जाती थी, तथापि यह तक भी दिया जाने लगा कि समय बदल गया है और अब
पहले जैसा खून-खराबा समाप्त हो चुका है।जों को विरासत में अपनी धाक जमानी थी।
इसलिए वे वीरता का वह रूप प्रस्तुत नहीं कर सकते थे,जैसा चंगेज खान ने किया था।
प्रश्न 16. मंगोल साम्राज्य को चंगेज खान की क्या देन थी ?
उत्तर—देखने में ऐसा लगता है कि चंगेज खान एक हत्यारा और लुटेरा था जिसने नगरों
को ध्वस्त किया और हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसलिए तेरहवी शताब्दी में चीन,
ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी चंगेज खान के लुटेरे गिरोहों को भय तथा घृणा की
दृष्टि से देखते थे। परंतु मंगोलों के लिए चंगेज खान अब तक का सबसे महान् शासक था।
उसने मंगोलों को संगठित किया और लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाईयों तथा चीनियों
द्वारा शोषण से मुक्ति दिलवाई । उसने एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य स्थापित किया और
व्यापार मार्गों और बाजारों को नया जीवन दिया। फलस्वरूप मंगोल समृद्ध बने।
प्रश्न 17. चंगेज खान के वंशजों की क्या उपलब्धियाँ थीं?
उत्तर—चंगेज खान के वंशजों की उपलब्धियाँ कम नहीं थीं। उन्होंने अपने राज्य में विविध
मतों ओर आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया। यह सच है कि मंगोल शासक स्वयं भी विभिन्न
धर्मों तथा आस्थाओं से संबंध रखते थे। फिर भी उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर अपने व्यक्तिगत
मत कभी नहीं थोपे । मंगोल शासकों ने सभी जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों
और सैनिकों के रूप में भर्ती किया। उनका शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु-धार्मिक था। यह
उस समय के लिए एक असामान्य बात थी। यद्धपि मंगोल साम्राज्य धीरे-धीरे भिन्न-भिन्न
वातावरण में बदलता गया तथापि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा इसकी शक्ति का
प्रभावशाली स्रोत बनी रही।
               दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
  (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. मंगोलों के यायावरी संगठन को चीन के साथ व्यापार क्यों करना पड़ता था।
इस व्यापार ने चीन की अर्थव्यवस्था तथा राजनीति पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर-मंगोलों का यायावरी संगठन स्टेपी क्षेत्र का निवासी था। इस क्षेत्र में वर्ष में थोड़े
समय के लिए ही कृषि की जा सकती थी। अतः मंगोलों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया था।
इस प्रदेश में अन्य संसाधनों का भी अभाव था। मंगोल जानते थे कि उनके पड़ोसी चीन की
अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। वे वहाँ से कृषि-उत्पाद तथा अन्य आवश्यक पदार्थ आसानी
से प्राप्त कर सकते थे। इसी कारण उन्हें चीन के साथ व्यापार करना पड़ता था। यायावर कबीले
चीन से कृषि-उत्पाद तथा लोहे के उपकरण लाते थे। इसके बदले वे वहाँ के लोगों को घोड़ें
फर तथा स्टेपी में पकड़े गए शिकार (पशु) देते थे। यूं तो यह व्यापार दोनों पक्षों के लिए लाभकारी
था परंतु वाणिज्यिक क्रिया-कलापों में उन्हें प्रायः तनाव का सामना भी करना पड़ता था। इसका
कारण यह था कि दोनों पक्ष अधिक लाभ प्राप्त करने की होड़ में एक-दूसरे के विरुद्ध सैनिक
कार्यवाही पर उतर आते थे।
चीन की अर्थव्यवस्था तथा राजनीति पर प्रभाव—जब मंगोल कबीलों के लोगों के साथ
मिलकर व्यापार करते थे, तो वे चीनी लोगों को व्यापार में बेहतर शर्ते रखने के लिए विवश कर
देते थे। कभी-कभी ये लोग व्यापारिक संबंधों की उपेक्षा करके लूटपाट भी करने लगते थे। मंगोलों
का जीवन अस्त-व्यस्त होने पर स्थिति चीनियों के पक्ष में हो जाती थी । ऐसी स्थिति में चीनी
लोग स्टेपी-क्षेत्र में अपने प्रभाव का प्रयोग बड़े आत्मविश्वास से करते थे।
इन सीमावर्ती झड़पों से चीन का स्थायी समाज कमजोर पड़ने लगा। कृषि अव्यवस्थित हो
गई और चीनी नगरों को लूट लिया गया। दूसरी ओर यायावर कबीले लूटमार करके दूर भाग जाते
थे। जिससे उन्हें बहुत कम क्षति पहुँचती थी। इसके विपरीत चीन को इन यायावरों से बहुत अधिक
क्षति पहुँची। अतः आठवीं शताब्दी ई. पू. से इन किलेबंदियों का एकीकरण करके एक विशाल
रक्षात्मक ढाँचा तैयार किया गया। यह ढाँचा ‘चीन की महान् दीवार’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2. चंगेज खान कौन था ? वह मंगोलों का महानायक कैसे बना?
उत्तर-चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई० में आधुनिक मंगोलिया में ओनोन नदी के
निकट हुआ था। उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई (Yesugei) था
जो कियात कबीले का मुखिया था। उसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी। अतः
उसकी माता ओलुन-इकेले ने तेमुजिन और उसके सगे तथा सौतेले भाइयों का लालन-पालन बड़ी
कठिनाई से किया। 1170 के दशक में तेमुजिन का अपहरण कर उसे दास बना लिया गया। उसकी
पत्नी बोरटे (Borte) का भी अपहरण कर लिया गया। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई
लड़नी पड़ी। विपत्ति के इन वर्षों में भी वह अनेक मित्र बनाने में सफल रहा । नवयुवक बोधुरचू
उसका पहला मित्र था। उसने सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप मे तेमुजिन का साथ दिया। तेमुजिन
का सगा भाई जमूका उसका एक अन्य विश्वसनीय मित्र था। तेमुजिन ने अपने पिता के वृद्ध भाई तुगरिल
उर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों को पुनः जीवित किया। वह कैराईट लोगों का शासक था।
चंगेज खान महानायक बनने की राह पर- -तेमूजिन का सगा भाई जमूका बाद में उसका
शत्रु बन गया। 1180 और 1190 के दशकों में तेमुजिन ने ओंग खान की सहायता से जमूका जैसे
शक्तिशाली प्रतिद्वन्द्वियों को परास्त किया। जमूका को पराजित करने के बाद तेमुजिन का
आत्म-विश्वास बढ़ गया। अब वह अपने अन्य शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध के लिए निकल पड़ा।
इनमें से उसके पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार, कैराईट और स्वयं ओंग खान शामिल थे। 1206
में उसने शक्तिशाली जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया ।
चंगेज खान महानायक घोषित—अपने शत्रुओं पर विजय पा लेने के पश्चात् तेमुजिन
स्टेपी-क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसकी इस प्रतिष्ठा को
मंगोल कबीले के सरदार अर्थात् कुरिलताई की एक सभा में मान्यता दी गई। इस सभा में उसे
चंगेज खान ‘समुद्र स्वान’ अर्थात् ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधि देकर मंगोलों का महानायक घोषित
किया गया।
प्रश्न 3. कुरिलताई से मान्यता मिलने के पश्चात् चंगेज खान की सैनिक सफलताओं की चर्चा काजिए।
उत्तर-1206 ई. में कुरिलताई से मान्यता मिलने से पूर्व चंगेज खान ने मंगोलों को एक
सशक्त एवं अनुशासित सैन्य शक्ति के रूप मे पुनर्गठित कर लिया था। अब वह चीन विजय प्राप्त
करना चाहता था। चीन उस समय तीन राज्यों में विभक्त था। वे थे-
(i) उत्तर-पश्चिम प्रांतों पर सी-सिआ (HSi-Hsia) लोगों का शासन था।
(ii) चिन वंश जो पेकिंग से उत्तरी चीन का शासन चला रहा था।
(iii) दक्षिणी चीन पर शुंग वंश का आधिपत्य था।
चीन-विजय-(a) 1209 में सी-सिआ लोग मंगोल से परास्त हो गए।
(b) 1213 ई. में चीन की महान् दीवार का अतिक्रमण हो गया। इसके दो वर्ष बाद 1215
ई• में पेकिंग नगर को लूटा गया। वहाँ के चिन वंश के विरुद्ध 1234 तक मंगोलों की लंबी लड़ाइयाँ
चलीं। परंतु चंगेज खान अपने अभियानों की प्रगति से पूरी तरह संतुष्ट था। इसलिए वह उस क्षेत्र
के सैनिक मामले अपने अनुयायियों की देख-रेख में छोड़ 1216 में अपनी मातृभूमि मंगोलिया लौट
आया।
(c) 1218 ई० में मंगोलों ने चीन के उत्तर-पश्चिम में स्थित तियेन-शान की पहाड़ियों
को नियंत्रित करने वाली करा खिता (qarakhita) को पराजित कर दिया। इस विजय से मंगोलों
का साम्राज्य अमूदरिया, तुरान और ख्वारजम राज्यों तक फैला गया। ख्वारजम के सुल्तान मोहम्मद
को मंगोल दूतों का वध करने के कारण चंगेज खान की प्रचंड क्रोधाग्नि का सामना करना पड़ा।
अन्य अभियान-1219-1221 ई. के अभियानों में बड़े-बड़े नगरों-ओट्रार, बुखारा,
समरकंद, बल्ख, गुरगंज, पर्व, निशापुर और हेरात-ने मंगोल सेनाओं के सामने आत्म-समर्पण कर
दिया। जिन नगरों ने मगोलों का प्रतिरोध किया उनका विनाश कर दिया गया। निशापुर के घेरे
के दौरान जब एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई तो चंगेज खान ने यह आदेश दिया,
“नगर का इस तरह विध्वंस किया जाए कि संपूर्ण नगर में हल चलाया जा सके, ऐसा संहार किया
जाए कि नगर के बिल्ली और कुत्तों को भी जीवित न रहने दिया जाए।”
इसी बीच मंगोल सेनाएँ सुल्तान मोहम्मद का पीछा करते हुए अजरबैजान तक आ पहुंची।
क्रीमिया में रूसी सेनाओं को हराने के बाद उन्होंने कैस्पियन सागर को घेर लिया। सेना की एक
अन्य टुकड़ी ने सुल्तान के पुत्र जलालुद्दीन का अफगानिस्तान और सिंध तक पीछा किया। सिंधु
नदी के तट पर पहुँच कर चंगेज खान ने उत्तरी भारत और असम मार्ग होते हुए वापिस मंगोलिया
लौटने का विचार किया। परंतु अत्यधिक गर्मी, प्राकृतिक आवास की कठिनाइयों तथा अपने पैगंबर
द्वारा दिए गए अशुभ संकेतों ने उसे अपना विचार बदलने पर विवश कर दिया।
अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत करने के बाद 1227 में चंगेज खान की
मृत्यु हो गई। उसकी सैनिक सफलताएँ निःसंदेह विस्मित करने वाली थीं।
प्रश्न 4. चंगेज खान के बाद मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी
दीजिए।
उत्तर-1227 ई० में चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगल साम्राज्य को दो चरणों में
विभाजित किया जा सकता है-
(i) पहला चरण 1236-1242 तक था। इसके दौरान मंगोलों । रूस के स्टेपी-क्षेत्र,
बुलवार, कीव, पोलैंड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की।
(ii) दूसरा चरण 1255-1300 तक रहा। इसमें मंगोलों ने समस्त चन, ईरान, ईराक तथा
सीरिया पर विजय प्राप्त की। इन दोनों चरणों में मंगोल शासकों की राजनीतिक गतिविधियों का
वर्णन इस प्रकार हैं-
1230 ई. के बाद के दशकों में मंगोल सेनाओं को बहुत ही कम प्रतिकूल परिस्थितियों का
सामना करना पड़ा। परंतु 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों के आवेश को जारी
न रखा जा सका तथा उसमें शिथिलता आ गयी। यद्यपि वियना और उससे आगे पश्चिमी यूरोप
एवं मिस्र, मंगोल सेनाओं के अधिकार में ही रहे, तथापि उन्हें हंगरी के स्टेपी-क्षेत्र से पीछे हटना
पड़ा और मिस्र की सेनाओं के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा इससे मंगोल राजनीति में नई
प्रवृत्तियों का उदय हुआ। इस प्रवृत्ति के दो पहलू थे।
(i) पहला था—मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आंतरिक राजनीति जिसमें जोची
और ओगोदोई के उत्तराधिकारी ‘महान खान’ के राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एकजुट
हो गए। वे यूरोप में अभियान जारी रखने की अपेक्षा अपने राजनीतिक हितों की रक्षा करने में
जुट गए।
(ii) दूसरी स्थिति तब उत्पन्न हुई जब चंगेज खान के वंश की तोलुयिद शाखा के
उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर बना दिया। चंगेज खान के सबसे छोटे
पुत्र तोलुई के एक वंशज मोंके के राज्याभिषेक के बाद तोलुइयों ने 1250 के दशक में ईरान के
विरुद्ध शक्तिशाली अभियान किए। परंतु 1260 के दशक में तोलुई के वंशज चीन विजय में रुचि
लेने लगे। इसलिए सैनिकों तथा रसद-सामग्री को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज
दिया गया। परिणामस्वरूप मिम्न की सेना का सामना करने के लिए केवल एक छोटी-सी सैनिक
टुकड़ी को ही भेजा जा सका जिसके कारण मंगोलों को पराजय का मुंह देखना पड़ा। इस पराजय
और तोलुई परिवार की चीन के प्रति निरंतर बढ़ती रुचि के कारण उनका पश्चिम की ओर विस्तार
रुक गया। इसी दौरान रूस और चीन की सीमा पर जोची और तोलूई वंशजों के अंदरूनी झगड़ों
ने जोची वंशजों का उनके संभावित यूरोपीय अभियानों से ध्यान हटा दिया। पश्चिम में मंगोलों
का विस्तार रुक जाने पर भी चीन में उनके अभियान में कोई बाधा न पड़ी। अत: उन्होंने चीन
को एकीकृत किया।
प्रश्न 5. चार ‘उलुस’ का गठन किस प्रकार हुआ? इन ‘उलुस’ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर—चंगेज खान ने नव-विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों
को सौंप दिया। इससे चार ‘उलुस’ का गठन हुआ। उलुस से अभिप्राय साम्राज्य की सीमा से था।
दूसरी ओर चंगेज खान अभी भी निरंतर विजयों और साम्राज्य को अधिक-से-अधिक बढ़ाने
में व्यस्त था। इसलिए साम्राज्य की सीमाएँ लगातार बदलती रहती थीं।
चार उलुस–(i) चंगेज खान के सबसे बड़े पुत्र जोची को रूसी स्टेपी-क्षेत्र प्राप्त हुआ।
परंतु इसकी दूरस्थ सीमा निश्चित नहीं थीं। इसका विस्तार सुदूर पश्चिम तक था।
(ii) उसके दूसरे पु चघताई को तरान का स्टेपी-क्षेत्र तथा पामीर पर्वत का उत्तरी क्षेत्र
मिला जो उसके भाई ने प्रदे । के साथ लगता था। संभवतः जैसे-जैसे वह पश्चिम की ओर बढ़ता
गया होगा, वैसे-वैसे सका अधिकार क्षेत्र भी बढ़ता गया होगा।
(iii) चंगेज खान ने संकेत दिया था कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदोई उसका उत्तराधिकारी होगा
और उसे महान खान की उपाधि दी जाएगी । ओगोदोई ने अपने राज्याभिषेक के बाद अपनी
राजधानी कराकोरम में स्थापित की।
(iv) चंगेज खान के सबसे छोटे पुत्र तोलोए को अपनी पैतृक भूमि मंगोलिया प्राप्त हुई।
चंगेज खान का विचार था कि उसके पुत्र आपस में मिल कर साम्राज्य का शासन
सम्भालेंगे। इसलिए उसने विभिन्न राजकुमारों के लिए अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा)
निर्धारित कर दी । ये सैनिक टुकड़ियाँ प्रत्येक उलुस’ में तैनात रहती थीं। राज्य में परिवार के
सदस्यों की भागीदारी का आभास सरदारों की परिषद् में होता था। इस परिषद् में परिवार या राज्य
के भविष्य, अभियानों, लूट के माल के बंटवारे, चरागाह भूमि और उत्तराधिकारी आदि से संबंधित
निर्णय सामूहिक रुप से लिए जाते थे।
प्रश्न 6. चंगेज खान ने अपनी सेना को किस प्रकार नया रूप दिया? उसके द्वारा किए।
गए सैनिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-चंगेज खान अपने महासंघ में शामिल जनजातीय समूहों की पहचान को योजनाबद्ध
ढंग से मिटाना चाहता था। उसकी सेना स्टेपी-क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित
थी। यह दस, सौ, हजार और (अनुमानित) दस हजार सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी। पुरानी
पद्धति में कुल और कबीले भी दशमलव इकाइयों पर आधारित थे। चंगेज खान ने इस प्रथा को
समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उन्हें नई सैनिक इकाइयों में
विभक्त कर दिया। सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों की थी। इसमें अनेक
कबीलों और कुलों के लोग शामिल होते थे। अपने अधिकारी से अनुमति लिए बिना अपने समूह
से बाहर जाने की चेष्टा करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड दिया जाता था । इस प्रकार चंगेज खान
ने अपनी सेना को एक नई एकीकृत पहचान प्रदान की।
नई सैनिक टुकड़ियों को मोयान कहा जाता था। ये टुकड़ियाँ चंगेज खान के चार पुत्रों के
अधीन थीं। ये विशेष रूप से चुने गए कप्तानों के नेतृत्व में कार्य करती थीं। नयी व्यवस्था में
उसके अनुयायियों का वह समूह भी शामिल था जिसने कई वर्षों तक प्रतिकूल अवस्था में भी
चंगेज खान का पूरा-पूरा साथ दिया था। चंगेज खान ने अनेक ऐसे व्यक्तियों को सार्वजनिक रूप
से आंडा अर्थात् सगा भाई कहकर सम्मनित किया था। आंडा से निम्न श्रेणी के कई अन्य स्वतंत्र
लोगों को चंगेज खान ने अपने विशेष नौकर के पद पर रखा । नौकर का पद इन लोगों तथा
इनके स्वामी के बीच गहरे संबंध का प्रतीक था। इस वर्गीकरण से पुराने सरदारों के अधिकार
समाप्त हो गए और एक नया अभिजात वर्ग अस्तित्व में आया।
प्रश्न 7. 13वीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य की क्या स्थिति थी? इसमें यास की क्या
भूमिका थी?
उत्तर-तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोलों ने एक एकीकृत जनसमूह का रूप धारण कर
लिया था। उन्होंने एक बहुत विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। उन्होंने अति जटिल शहरी समाजों
पर शासन किया जिनके अपने-अपने इतिहास, संस्कृतियाँ और नियम थे। भले ही मंगोलों का अपने
साम्राज्य पर राजनैतिक प्रभुत्व था, फिर भी संख्या की दृष्टि से वे अल्पसंख्यक ही थे। वे अपनी
पहचान और विशिष्टता की रक्षा केवल उसी पवित्र नियम (यास) द्वारा कर सकते थे, जो उन्हें
अपने पूर्वजों से प्राप्त हुआ था। इस बात की पूरी संभावना है कि यास मंगोल जनजाति की ही
प्रथागत परंपराओं का एक संकलन था। पंरतु उसे चंगेज खान की विधि-संहिता कहकर मंगोलों
ने स्वयं के विधान-निर्माता (कानून बनाने वाले) होने का ही दावा किया । इसका अर्थ यह था
कि उनका विधान मूसा तथा सुलेमान की विधान संहिता की तरह प्रामाणिक है और इसे प्रजा पर
लागू किया जा सकता है।
यास की भूमिका—यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर संयुक्त करने
में सफल रहा। इसने चंगेज खान और उनके वंशजों के मंगोलों की समानता को स्वीकार किया।
यद्यपि मंगोलों ने भी काफी हद तक स्थानबद्ध जीवन-प्रणाली को अपना लिया था, तो भी यास
ने उन्हें अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने और अपने नियमों को पराजित लोगों पर लागू करने
में सहायता दी। यास एक बहुत ही सशक्त विचारधारा थी। यह निश्चित रूप से चंगेज खान की
कल्पना-शक्ति से प्रेरित थी जिसने विश्वव्यापी मंगोल राज्य की संरचना में महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाई।
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