bihar board 11 history notes | लेखन कला और शहरी जीवन
bihar board 11 history notes | लेखन कला और शहरी जीवन
bihar board 11 history notes | लेखन कला और शहरी जीवन
(WRITING AND CITY LIFE)
शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई थी। यह शहर फरात और दजला दो नदियों
के बीच स्थित है। यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है। मेसोपोटामिया की सभ्यता
अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित एवं खगोल विद्या के लिए
प्रसिद्ध है। इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर और अक्कद कहा जाता था। 2000 ई०पू० के
बाद जब बेबीलोन एक महत्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोन कहा जाने लगा।
1100 ई॰पू॰ में जब असीरियाइयों ने उत्तर में अपना राज्य कायम कर लिया तो उस क्षेत्र को
असीरिया कहा जाने लगा। उस प्रदेश की प्रथम ज्ञात भाषा सुसेरियन यानी सुमेरी थी। दजला-फरात
की घाटी अपनी उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थी। यहाँ खाने- पीने की वस्तुएँ बहुतायत में उपलव्य
थीं। खेती के अलावे पशुपालन भी होता था। जिससे उन्हें माँस, दूध, ऊन इत्यादि वस्तुएँ मिलती
थीं। नदियों से, जहाँ वे मछलियाँ पकड़कर लाते थे वहीं खजूर जैसे पेड़ों से, फल मिल जाते थे।
मेसोपोटामिया में समाज संगठनों में विभक्त था। हर संगठन का अपना अलग-अलग व्यवसाय
था। यहाँ के लोग ईधन, धातु, लकड़ी और पत्थर से सम्बद्ध थे। माल की आवाजाही के लिए
परिवहन की व्यवस्था थी। यहाँ 3200 ई.पू के आसपास लेखन-कला का विकास हुआ था । यहाँ
के लोगों की लिपि कीलाकार थी । ये लोग चिकनी मिट्टी का प्रयोग लेखन के लिए करते थे।
मेसोपोटामिया में शहर मुख्यतः तीन प्रकार के पाये गये हैं-(i) वैसे शहर जो मंदिर के चारों ओर
बसे होते थे, (ii) वैसे शहर जो व्यापारिक केन्द्र के रूप में थे, (iii) तीसरे तरह के शहर मुख्यतः
शाही थे। नगरों में समाधि-स्थल भी होते थे परन्तु कुछ लोग अपने- अपने घरों में भी शवों को
दफना देते थे। नगर के चारों ओर सुरक्षा के लिए प्राचीरें भी हुआ करती थीं।
1. मेसोपोटामिया की उत्पति- मेसोपोटामिया की उत्पत्ति यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस
(Mesos) यानी मध्य और पाटैमोस (Potamos) यानी नदी से मिलकर बना है।
2. 7000-6000 ई०पू०-उत्तरी मेसोपोटामिया में खेती की शुरुआत ।
3. 5000 ई०पू०-दक्षिणी मेसोपोटामिया में सबसे पुराने मन्दिर का निर्माण ।
4. ई०पू० 3000 में-मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण, काँसे के औजारों का
उपयोग।
5. 3200 ई०पू०-मेसोपोटामिया में लेखन प्रणाली की शुरुआत ।
6. श्रम विभाजन- विभिन्न कार्यों में विभिन्न लोगों का योगदान ।
7. पट्टिकाओं (Tablet) के चिन्ह-बैल, मछली, अनाज, रोटियाँ, नाव।
8. क्युनिफार्म (कीलाकार)-लातिनी शब्द क्यूनियम जिसका अर्थ खूटी और फामी जिसका
अर्थ आकार से बना है।
9. 2700-2500 ई.पू.-आरम्भिक राजाओं का शासनकाल।
11. 2400 ई.पू.-सुमेरियन के स्थान का नाम ।
12. उर-चन्द्र देवता- नगर का नाम ।
13. इन्नाना- प्रेम और युद्ध की देवी।
14. जिमरीलिस-मारी स्थित राजमहल ।
1. मेसोपोटामिया शब्द की उत्पत्ति हुई-
(क) यूनानी भाषा से
(ख) लैटिन भाषा से
(ग) यूनानी तथा लैटिन भाषा से (घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(क)
2.मेसोपोटामिया फरात तथा दजला नदियों के बीच का हिस्सा है-
(क) ईरान का
(ख) इराक का
(ग) सीरिया का
(घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(ख)
3. मेसोपोटामिया की सभ्यता जानी जाती है-
(क) समृद्धि तथा शहरी जीवन के लिए (ख) विशाल तथा समृद्ध साहित्य के लिए
(ग) गणित तथा खगोल विद्या के लिए (घ) उपरोक्त सभी उत्तर-(घ)
4.बेबीलोन मेसोपोटामिया का महत्वपूर्ण शहर बन गया-
(क) 5000 ई.पू. के बाद (ख) 2000 ई.पू. के बाद
(ग) 100 ईस्वी में
5. 1400 ई.पू. अरामाइक भाषा मिलती-जुलती थी-
(क) सुमेरी भाषा से
(ख) अक्कदी भाषा से
(ग) हिब्रु भाषा से
(घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(ग)
6. मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों का प्रारंभ हुआ।
(क) 1840 के दशक में
(ख) 1000 ई.पू. में
(ग) 5000 ई.पू. में
(घ) इनमें से कोई नहीं
7. यूरोप के लोगों के लिए मेसोपोटामिया महत्वपूर्ण था क्योंकि बाइबिल के प्रथम भाग
‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में इसका उल्लेख किया गया है। ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ की किस पुस्तक
में शिमार अर्थात् सुमेर के विषय में कहा गया है ?
(क) ओरिजिन ऑफ स्पीसीज
(ख) बुक ऑफ जेनेसिस
(ग) ऑन द डिगनिटी ऑफ मैन (घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-( ख )
8. मेसोपोटामिया में खेती शुरू हई-
(क) 5000 से 4000 ई.पू (ख) 10,000 से 9,000 ई.पू.
(ग) 7000 से 6000 ई.पू (घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-( ग )
9. मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग अर्थात्-
(क) लगभग 3000 ई.पू. में हुआ (ख) लगभग 2000 ई.पू. में हुआ
(ग)लगभग 1000 ई.पू. में हुआ ( घ )इनमें से कोई नहीं उत्तर-( क )
10. श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण विशेषताएँ हैं-
(क) ग्रामीण जीवन की (ख) प्राचीन काल की
(ग) शहरी जीवन की (घ) उपरोक्त सभी उत्तर-( ग)
11. वार्का शीर्ष 3000 ई.पू. में सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था। यह
मेसोपोटामिया के किस नगर में पाया गया ?
(क) उर में
(ग) दजला तथा फरात के बीच में (घ) उपरोक्त से कोई नहीं उत्तर-( ख )
12. आल्टामीरा गुफा-चित्र किस देश में मिला है ?
(क) पुर्तगाल
(ख) आस्ट्रिया
(ग) स्पेन
(घ) जर्मनी उत्तर-(ग)
13. मेसोपोटामिया की देवी इन्नाना का संबंध था- [B.M.2009]
(क) प्रेम और युद्ध
(ख) करुणा
(ग) अहिंसा
(घ) विद्या एवं धन उत्तर-(क)
14. मेसोपोटामिया के उर देवता थे-
(क) सूर्य
(ख) चंद्र
(ग) जल
(घ) पवन उत्तर-(ख)
15. असुरबनिपाल कहाँ का शासक था ? [B.M.2009]
(क) असीरिया
(ख) क्रीट
(ग) रोम
(घ) चीन उत्तर-(क)
16. बेबीलोनिया के किस शासक ने अपनी पुत्री को महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित किया ?
(क) असुरबनीपाल (ख) नैवोपोलासार
(ग) नैबोनिडस (घ) गिल्गेमिश
17. मेसोपोटामिया किन दो नदियों के बीच स्थित है ?
(क) हाबुर और दजला नदी ( ख )बालिख और फरात नदी
(ग) दजला और फरात नदी ( घ )हाबुर और बालिख नदी उत्तर-( ग )
18. मेसोपोटामिया की लिपि किस प्रकार की थी?
(क) चित्रलिपि
(ग) ज्यामितीय लिपी ( घ )काजी लिपी उत्तर-(ख)
19. मेसोपोटामिया में परिवार किस प्रकार के थे ?
(क) एकल परिवार (ख) संयुक्त परिवार
(ग) सामुदायिक परिवार (घ) इनमें से कोई नहीं उत्तर-(क)
20. मेसोपोटामिया के किस भाग में सबसे पहले नगरों एवं लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ?
(क) उत्तर के स्टेपी घास के मैदान में (ख) दक्षिणी रेगिस्ताना भाग में
(ग) पूर्व के दजला की घाटी में (घ) पश्चिमी भाग में उत्तर-(ख)
21. मेसोपोटामिया के लोग लिखने के लिये किस चीज का प्रयोग करते थे ? [B.M.2009]
(क) ताम्र पत्रों का (ख) कागज का
(ग) मिट्टी की पट्टिकाओं का (घ) ताड़पत्रों का उत्तर-(ग)
22. गिलगेमिश महाकाव्य का संबंध किस प्राचीन सभ्यता से है ? |B.M.2009]
(क) मित्र
(ख) मेसोपोटामिया
(ग) ईरान
(घ) यूनान उत्तर-(ख)
प्रश्न 1. शहरी जीवन की शुरुआत कहाँ से हुई थी? यह प्रदेश किन दो नदियों के मध्य स्थित है? उत्तर-शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया से हुई । यह प्रदेश इराक गणराज्य की
फरात तथा दजला नदियों के मध्य स्थित है।
प्रश्न 2. मेसोपोटामिया का क्या अर्थ है ?
उत्तर–मेसोपोटामिया यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘मेसोस’ (Mesos) तथा ‘पोटैमोस’
(Potamos) से बना है। मेसोस का अर्थ है मध्य तथा पोटैमोस का अर्थ है नदी । इस प्रकार
मेसोपोटामिया का अर्थ नदियों के मध्य स्थित प्रदेश है।
प्रश्न 3. मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी किन विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर- अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित तथा खगोलविद्या
के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 4. मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों की शुरुआत कब हुई ?
प्रश्न 5. मेसोपोटामिया के दो स्थानों के नाम बताएँ जहाँ लंबे समय तक उत्खनन कार्य चला?
उत्तर-उरूक तथा मारी।
प्रश्न 6. यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर-यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि बाइबल के प्रथम
भाग ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में मेसोपोटामिया का कई संदर्भो में उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 7. इराक के किस भाग में नगरों तथा लेखन-प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ ?
उत्तर-दक्षिण के रेगिस्तानी भाग में।
प्रश्न 8. मेसोपोटामिया के इतिहास के कौन-कौन से स्रोत उपलब्ध हैं ?
उत्तर-इमारतें, मूर्तियाँ, आभूषण, औजार, कडे, मुद्राएँ, लिखित दस्तावेज आदि।
प्रश्न 9. सभी प्राचीन व्यस्थाओं में कहाँ की खेती सबसे अधिक उपज देने वाली थी?
उत्तर-दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती।
प्रश्न 10 मेसोपोटोमिया के प्राचीनतम् नगरों का निर्माण कब शुरू हुआ?
उत्तर–कांस्य युग अर्थात लगभग 3000 ई.पू. में मेसोपोटामिया के प्राचीनतम् नगरों का निर्माण
शुरू हुआ।
प्रश्न 11. कांसा कौन-सी दो धातुओं के मिश्रण से बनाया जाता है ?
उत्तर-ताँबा तथा राँगा (टिन) धातुओं के मिश्रण से।
प्रश्न 12.शहर अथवा कस्बे किस प्रकार अस्तित्व में आते हैं ?
उत्तर-जब किसी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियाँ
विकसित होने लगती हैं तब किसी एक स्थान पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है फलस्वरूप
कस्बे अस्तित्व में आते हैं।
प्रश्न 13. वार्का शीर्ष नामक मूर्तिकला का प्रसिद्ध नमूना मेसोपोटामिया के किस नगर
से मिला है? इसे किस चीज से बनाया जाता था ?
उत्तर-वाका शीर्ष नामक मूर्तिकला का प्रसिद्ध नमूना मेसोपोटामिया के उरूक नगर में
मिला है। इसे सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था।
प्रश्न 14. शहरी जीवन की कोई दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर-श्रम-विभाजन तथा सामाजिक संगठन ।
प्रश्न 15. मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएँ तथा अन्य पदार्थ कहाँ
से मंगवाते थे। इसके बदले में वे क्या निर्यात करते थे ?
उत्तर-मेसोपोटामिया के लोग अपने लिए आवश्यक धातुएँ तथा अन्य पदार्थ तुर्की और
ईरान अथवा खाड़ी पार के देशों से मंगवाते थे। इसके बदले में वे कपड़ा तथा कृषि उत्पाद, निर्यात
करते थे।
प्रश्न 16. मेसोपोटामिया का कौन-सा जलमार्ग व्यापार के लिए ‘विश्वमार्ग’ का काम करता था?
उत्तर-फरात नदी का जलमार्ग ।
प्रश्न 17. लेखन या लिपि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-लेखन या लिपि से अभिप्राय उन ध्वनियों से है जो संकेतों या चिह्नों के रूप में लिखी जाती हैं।
प्रश्न 18. लेखन कार्य की शुरुआत का आधार क्या था ?
उत्तर-आपसी लेन-देन का स्थायी हिसाब रखना ।
प्रश्न 19.मेसोपोटामिया के लोग लिखने के लिए कागज के रूप में किस चीज का प्रयोग करते थे?
उत्तर-मिट्टी की पट्टिकाओं का ।
प्रश्न 20. मेसोपोटामिया के लोगों की लिपि कैसी थी?
उत्तर-कीलाकार अथवा क्यूनीफार्म ।
प्रश्न 21. क्यूनीफार्म शब्द कैसे बना है ?
उत्तर–क्यूनीफार्म शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों क्यूनियस तथा फोर्मा से मिलकर बना
है। क्यूनियस का अर्थ है खूटी तथा फोर्मा का अर्थ है ‘आकार’।
प्रश्न 22. मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषा कौन-सी थी?
उत्तर-सुमेरियन।
प्रश्न 23, 2400 ई०पू० के बाद सुमेरियन भाषा का स्थान किस भाषा ने ले लिया?
उत्तर- अक्कदी भाषा ने।
प्रश्न 24. मेसोपोटामिया में साक्षरता कम क्यों थी?
उत्तर–मेसोपोटामिया की लिपि में चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी। इसके अतिरिक्त ये
चिह्न बहुत ही जटिल थे। इसी कारण मेसोपोटामिया में साक्षरता दर कम थी।
प्रश्न 25. सुमेर के व्यापार की पहली घटना को किस व्यक्ति से जोड़ा जाता है ?
उत्तर-उरूक शहर के एक प्राचीन शासक एनमर्कर(Enmerkar) से।
प्रश्न 26. मेसोपोटामिया की विचारधारा के अनुसार व्यापार और लेखन की व्यवस्था
सर्वप्रथम किसने की?
उत्तर-राजा एनमर्कर ने।
प्रश्न 27. दक्षिणी मेसोपोटामिया में विकसित शहर कौन-कौन से तीन प्रकार के थे?
उत्तर-(i) मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर।
(ii) व्यापार केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर।
(iii) शाही शहर।
प्रश्न 28. मेसोपोटामिया के दो देवी-देवताओं का नाम बताओ। (T.B.Q.)
उत्तर–चन्द्र देवता उर तथा प्रेम एवं युद्ध की देवी इन्नाना ।
प्रश्न 29. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि पुराने मंदिर बहुत कुछ घर जैसे ही होंगे।
उत्तर–क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता है । इसीलिए पुराने मंदिर बहुत कुछ
घर जैसे ही होंगे।
प्रश्न 30. मेसोपोटामिया के पुराने मंदिरों तथा घरों में एक अंतर बताइए।
उत्तर-मंदिरों की बाहरी दीवारें एक विशेष अवधि के बाद भीतर की ओर तथा फिर बाहर
की ओर मुड़ी होती थी। साधारण घरों की दीवारों में यह विशेषता नहीं थी।
प्रश्न 31. मेसोपोटामिया में खेतों, मत्स्य क्षेत्रों तथा लोगों के पशुधन का स्वामी किसे
माना जाता था?
उत्तर–आराध्य देव को।
प्रश्न 32. मेसोपोटामिया के लोगों के धर्म की कोई दो विशेषताएं बताओ।
उत्तर-(i) मेसोपोटामिया के समुदायों का अपना-अपना इष्ट देव होता था। (ii) लोग
देवी देवताओं को अन्न, दही तथा मछली अर्पित करते थे।
प्रश्न 33. शहरी अर्थव्यवस्था के लिए कुम्हार के चाक का क्या महत्त्व था ?
उत्तर-कुम्हार द्वारा चाक के प्रयोग से बर्तन बनाने के काम ने एक कार्यशाला का रूप
ले लिया। अब एक जैसे कई बर्तन एक साथ बनाए जाने लगे।
प्रश्न 34. इस तथ्य की पुष्टि किस बात से होती है कि मेसोपोटामिया (उर) के
समाज में धन-दौलत का अधिकतर भाग एक छोटे से वर्ग में केंन्द्रित था ?
उत्तर—अधिकतर बहुमूल्य वस्तुएँ राजाओं तथा रानियों की कब्रों तथा समाधियों में दबी
हुई मिली हैं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि मेसोपोटामिया के समाज में धन-दौलत का
अधिकतर भाग एक छोटे-से वर्ग में केंद्रित था।
प्रश्न 35. एकल परिवार क्या होता है ?
उत्तर-एकल परिवार में एक पुरूष, उसकी पत्नी और उनके बच्चे शामिल होते थे।
प्रश्न 36. हौज क्या होता है ?
उत्तर-हौज जमीन में ढका हुआ एक गड्ढा होता है । इसमें पानी तथा मल जाता है।
प्रश्न 37. उर नगर में घरों के बारे में प्रचलित कोई दो अंधविश्वास बताओ।
उत्तर-(i) यदि घर की देहली ऊँची उठी हुई हो तो वह धन-दौलत लाती है।
(ii) यदि सामने का द्वार किसी दूसरे के घर की ओर न खुले तो सौभाग्य प्रदान करता है।
प्रश्न 38. उर नगरों में शवों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता था?
उत्तर-शवों को भूमि के नीचे दफनाया जाता था ।
प्रश्न 39. मारी नगर के ऊपरी क्षेत्र के अधिकांश भाग का प्रयोग किस आर्थिक क्रिया
के लिए होता था ?
उत्तर-खेती और पशुपालन के लिए।
प्रश्न 40. मारी राज्य में कौन-कौन से खानाबदोश समुदायों के लोग आकर बसे ?
वहाँ के राजा किस समुदाय के थे ?
उत्तर-मारी राज्य में अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई तथा आमिनियम खानाबदोश समुदायों
के लोग आकर बसे। वहाँ के राजा एमोराइट समुदाय के थे।
प्रश्न 41. मारी के राजाओं ने वहाँ किस देवता के लिए मंदिर बनवाया?
उत्तर-स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन (Dagan)के लिए ।
प्रश्न 42. मारी स्थित-जिमरीलिम का राजमहल बहुत ही विशाल था। कोई दो
उदाहरण दीजिए।
उत्तर-(1)यह राजमहल 2.4 हैक्टेयर के क्षेत्र में फैला था।
(2)इसमें 260 कक्ष बने हुए थे।
प्रश्न 43. गिलोमिश महाकाव्य क्या है। यह किस बात के महत्व को दर्शाता है?
उत्तर-गिल्गेमिश महाकाव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा एक महाकाव्य है। यह मेसोपोटामिया
के नगरों के महत्त्व को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों
पर बहुत अधिक गर्व था।
प्रश्न 44. संसार को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन क्या है ?
उत्तर-उसकी कालगणना तथा गणित की विद्वतापूर्ण परंपरा ।
प्रश्न 45. मेसोपोटामिया के लोगों ने समय का विभाजन किस प्रकार किया हुआ था?
उत्तर-उनका समय विभाजन चंद्रमा की पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा पर आधारित था।
इसके अनुसार एक वर्ष को 12 महीनों, एक महीने को 4 हफ्तों, एक दिन को 24 घंटों तथा 1घंटा
को 60 मिनट में बाँटा गया था।
प्रश्न 46. असुरबनिपाल कौन था ? उसकी दो उपलब्धियां बताएँ।
उत्तर–असुरबनिपाल असीरियाई अंतिम राजा था।
उपलब्धियां-(i) उसने अपनी राजधानी निनवै में एक पुस्तकालय की स्थापना की।
(ii) उसने इतिहास, महाकाव्य, साहित्य, ज्योतिष आदि की पट्टिकाओं को इकट्ठा
करवाया।
प्रश्न 47. असुरवनिपाल का निनैव स्थित पुस्तकालय किस देवता के मंदिर में केंद्रित
था? यह क्यों विख्यात था?
उत्तर-असुरबनिपाल का पुस्तकालय उसके इष्ट देव नाबू के मंदिर में केंद्रित था। यह अपने
1000 मूलग्रंथों तथा 30,000 पट्टिकाओं के लिए विख्यात था।
प्रश्न 48. बेबीलोनिया को उच्च संस्कृति का केंद्र क्यों माना जाता था?
उत्तर—बेबीलोनिया को उच्च संस्कृति का केंद्र इसलिए माना जाता था क्योंकि यहाँ के कई
नगर पट्टिकाओं के विशाल संग्रह के लिए विख्यात थे।
प्रश्न 49. बेबीलोनिया को असीरियाई आधिपत्य से कब और किसने मुक्त कराया?
उत्तर–दक्षिणी कछार के एक शूरवीर नैबोपोलास्सर ने 625 ई.पू. में मुक्त कराया।
प्रश्न 50. स्वतंत्र बेबीलोन का अंतिम शासक कौन था ? उसका एक कार्य बताओ।
उत्तर-स्ववंत्र बेबीलोन का अंतिम शासक नैबोनिडस था। उसने अक्कद के राजा सारगोन
(Sargon) की खंडित मूर्ति की मरम्मत करवाई।
प्रश्न 51. बेबीलोन नगर की कोई दो महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर-(i) बेबीलोन नगर का क्षेत्रफल 850 हैक्टेयर से अधिक था
(ii) इसमें बड़े-बड़े राजमहल और मंदिर स्थित थे।
प्रश्न 52. आपके विचार से निम्नलिखित में से कौन-सी आवश्यक दशाएँ थीं जिनकी
वजह से प्रारम्भ में शहरीकरण हुआ था और निम्नलिखित में से कौन-कौन सी बातें शहरों
के विकास के फलस्वरूप उत्पन्न हुई ? (क) अत्यंत उत्पादक खेती, (ख) जल-परिवहन,
(ग) धातु और पत्थर की कमी, (घ) श्रम विभाजन, (ङ) मुद्राओं का प्रयोग, (च)
राजाओं की सैन्य-शक्ति जिसने श्रम को अनिवार्य बना दिया।
उत्तर-शहरीकरण के लिए आवश्यक दशाएँ- (i) अत्यंत उत्पादक खेती, (ii) जल
परिवहन, (ii) श्रम विभाजन ।
शहरों के विकास के फलस्वरूप विकसित दशाएँ-(i) धातु और पत्थर की कमी, (ii) मुद्राओं
का प्रयोग, (iii) राजाओं की सैन्य शक्ति जिसने श्रम अनिवार्य बनाया।
(Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. बाईबल में उल्लखित जलप्लावन की कहानी क्या बताती है?
उत्तर—बाईबल के अनुसार प्राचीन काल में पृथ्वी पर संपूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला
जलप्लावन हुआ था । इसे महान् बाढ़ भी कहा जाता है । परंतु परमेश्वर पृथ्वी पर जीवन को
बनाए रखना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने नोआ (Naoh) नाम के एक व्यक्ति को चुना ।
नोआ ने एक बहुत ही बड़ी नाव बनाई और उसमें सभी जीव-जंतुओं का एक-एक जोड़ा रख
लिया । जलप्लावन होने पर नाव में रखे सभी जोड़े सुरक्षित बच गए, जबकि शेष सब कुछ नष्ट
हो गया।
प्रश्न 2. इराक भौगोलिक विविधता का देश है। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-इराक वास्तव में भौगोलिक विविधता वाला देश है । इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे,
ऊँचे-नीचे मैदान हैं । ये मैदान धीरे-धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत-श्रृंखला के रूप में फैलते जाते हैं।
यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल भी उगाये जाते हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा
हो जाती है । उत्तर में ऊँचा भूमि है जहाँ ‘स्टपा घास के मैदान हैं। यहाँ पशुपालन आजीविका
का मुख्य साधन है। सर्दियों की वर्षा के बाद भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों
और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं। पूर्व में दजला की सहायक नदियाँ परिवहन का अच्छा
साधन हैं। देश का दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है।
प्रश्न 3. मेसोपोटामिया के दक्षिणी रेगिस्तानी भाग का क्या महत्व था?
उत्तर—मेसोपोटामिया का दक्षिणी भाग रेगिस्तानी है। इस रेगिस्तान में फरात और दजला
नदियाँ बहती हैं। ये नदियाँ पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती रही हैं।
जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया
जाता है तब इनके द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी खेतों में जमा हो जाती है ।
फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बँट जाती है। कभी-कभी
इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है। प्राचीन काल में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थीं।
इनसे आवश्यकता पड़ने पर गेहूँ, जौ और मटर या मसूर के खेतों की सिंचाई की जाती थी, इसलिए
वर्षा की कमी के बावजूद सभी पुरानी व्यवस्थाओं में दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक
उपज देती थी।
प्रश्न 4. आप यह कैसे कह सकते हैं कि प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य उत्पादन के
उच्च स्तर ही आरंभ में शहरीकरण के कारण थे?
उत्तर—यह बात निसंकोच कही जा सकती है कि प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य उत्पादन
ही आरंभ में शहरीकरण के कारण थे। इस बात के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-
(i) प्राकृतिक उवर्रता उन्नत खेती का आधार बनी।
(ii) प्राकृतिक उर्वरता के कारण घास-भूमियाँ अस्तित्व में आईं जिससे पशुपालन करने को
बल मिला।
(iii) खेती तथा पशुपालन से मनुष्य का जीवन स्थायी बना क्योंकि अब वह खाद्य-उत्पादक
बन गया था । अब उसे भोजन की तलाश में स्थान-स्थान घूमने की जरूरत नहीं थी।
(iv) जीवन के स्थायी बनने पर कृषक समुदाय अस्तित्व में आए जो झोपड़ियाँ बनाकर
साथ-साथ रहने लगे। इस प्रकार गाँव अस्तित्व में आए ।
(v) खाद्य उत्पादन बढ़ने पर वस्तु-विनिमय की प्रक्रिया आरंभ हो गई। परिणामस्वरूप गाँवों
का आकार बढ़ने लगा । नये-नये व्यवसाय भी आरंभ हो गए जो शहरीकरण के प्रतीक थे।
प्रश्न 5. यह कहना क्यों सही होगा कि खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी
जीवन के लिए खतरा थे?
उत्तर-खानाबदोश पशुचारक निम्नलिखित कारणों से शहरी जीवन के लिए खतरा थे।
(i) ये लोग कई बार अपनी भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए बोये हुए खेतों में से
होते हुए ले जाते थे । इससे खेती को क्षति पहुँचती थी और उत्पादन कम हो जाता था ।
(ii) कभी-कभी ये किसानों के गाँवों पर हमला कर देते थे और उनका माल लूट ले जाते
थे। यह अव्यवस्था शहरी जीवन में बाधक थी।
उन्हें अपने पशुओं को नदी या नहर तक नहीं ले जाने देते थे। इस प्रकार भी झगड़े होते थे ।
(iv) खानाबदोश समुदायों के पशुओं के अतिचारण से बहुत सी उपजाऊ भूमि बंजर हो जाती थी ।
प्रश्न 6. शहरी जीवन शुरू होने के बाद कौन-कौन-सी नयी संस्थाएँ अस्तित्व में आई?
आपके विचार से उनमें से कौन-सी संस्थाएँ राजा के पहल पर निर्भर थीं? (T.B.Q.)
उत्तर-शहरी जीवन आरंभ होने के बाद कई नई संस्थाएँ अस्तित्व में आईं। इनमें से मुख्य
थीं-(i) मंदिर, (ii) विद्यालय, (iii) लिपिक अथवा पट्टिका लेखक, (iv) व्यापार केंद्र, (v)
स्थायी सेना, (vi) शिल्पकार, (vii) वास्तुविद्, (viii) मूर्तिकार इत्यादि । इन संस्थानों में से
मंदिर, व्यापार और लेखन राजा के पहल पर निर्भर थे।
प्रश्न 7. शहरी जीवन में श्रम-विभाजन का क्या महत्व है ?
अथवा, श्रम-विभाजन शहरी जीवन की महत्वपूर्ण विशेषता है । उदाहरण देकर
समझाइए।
उत्तर–श्रम-विभाजन का अर्थ है-अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एक-दूसरे के उत्पादन
अथवा सेवाओं द्वारा करना । शहरी जीवन में श्रम-विभाजन का होना बहुत ही आवश्यक है ।
इसका कारण यह है कि शहरी अर्थव्यस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार तथा तरह-तरह
की सेवाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परंतु नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं होते । वह
गाँवों या नगर के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होते
हैं। उनमें आपस में बराबर लेन-देन होता रहता है। उदाहरण के लिए एक पत्थर की मुद्रा बनाने
वाले को पत्थर उकेरने के लिए काँसे के औजारों की आवश्यकता पड़ती है। वह स्वयं ऐसे औजार
नहीं बना सकता । वह यह भी नहीं जानता कि वह मुद्राओं के लिए आवश्यक रंगीन पत्थर कहाँ
से प्राप्त करे। उसकी विशेषज्ञता तो केवल उकेरने तक ही सीमित होती है। वह व्यापार करना नहीं
जानता। काँसे के औजार बनाने वाला भी ताँबा या राँगा (टिन) लाने के लिए स्वयं बाहर नहीं
जाता । ये सभी कार्य एक-दूसरे की सहायता से ही पूरे होते हैं।
प्रश्न 8. शहरी अर्थव्यस्था में एक सामाजिक संगठन होना क्यों जरूरी है?
उत्तर-शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना भी जरूरी है। इसके
निम्नलिखित कारण हैं-
(i) शहरी विनिर्माताओं के लिए ईधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी
चीजें भिन्न-भिन्न जगहों से आती हैं। इसके लिए संगठित व्यापार और भंडारण की आवश्यकता
होती है।
(ii) शहरों में अनाज और अन्य खाद्य-पदार्थ गाँवों से आते है। नगरों में उनके संग्रह तथा
वितरण के लिए व्यवस्था करनी होती है।
(iii) इसके अतिरिक्त और भी अनेक प्रकार के क्रियाकलापों में तालमेल बैठाना पड़ता है।
उदाहरण के लिए मुद्रा काटने वालों को केवल पत्थर ही नहीं, उन्हें तराशने के लिए औजार तथा
वर्तन भी चाहिए।
(iv) शहरी अर्थव्यस्था को अपना हिसाब-किताब भी लिखित में रखना होता है।
ये सभी कार्य आदेश और आदेश पालन द्वारा पूरे होते हैं। यही निश्चित सामाजिक संगठन की
विशेषता है।
प्रश्न 9. मेसोपोटामिया के आयात-निर्यात पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-मसोपोटामिया खाद्य-संसाधनों में अवश्य समृद्ध था,परंतु वहाँ खनिज-संसाधनों का अभाव था।
दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार,मोहरें (मुद्राएँ) और आभूषण बनाने के लिए पत्थर की कमी थी । इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी गाड़ियाँ, गाड़ियों के लिए पहिए या नावें बनाने के लिए अच्छी नहीं थी। औजार, पात्र या गहने बनाने के लिए कोई धातु उपलब्ध नहीं थी। इसलिए प्राचीन काल में मेसोपोटामिया के निवासी संभवतः लकड़ी, ताँबा, राँगा,चाँदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थर तुर्की तथा ईरान अथवा खाड़ी-पार के देशों से मंगवाते थे। इन देशों के पास खनिज संसाधन की कोई कमी नहीं थी, परंतु वहाँ खेती करने की संभावना कम थी ।
प्रश्न 10. शहरी अर्थव्यस्था के लिए कुशल परिवहन व्यवस्था की क्या भूमिका होती
है ? मेसोपोटामिया का उदाहरण दें।
उत्तर-कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अनाज
या काठ कोयला भारवाही पशुओं की पीठ पर रखकर या बैलगाड़ी में डालकर शहरों में लाना
ले जाना बहुत कठिन होता है। इसका कारण यह है कि इसमें बहुत अधिक समय लगता है और
पशुओं के चारे आदि पर भी काफी खर्चा आता है। शहरी अर्थ-व्यवस्था इसका बोझ उठाने के
लिए सक्षम नहीं होती। शहरी अर्थ-व्यवस्था के लिए परिवहन का सबसे सस्ता साधन जलमार्ग
ही होता है । अनाज के बोरों से लदी हुई नावें नदी की धारा की गति अथवा हवा के वेग से
चलती हैं, जिस पर कोई खर्चा नहीं आता। प्राचीन मेसोपोटामिया की नहरें तथा प्राकृतिक जलधाराएँ
छोटी बड़ी बस्तियों के बीच माल के परिवहन का अच्छा मार्ग थीं । फरात नदी उन दिनों व्यापार
के लिए ‘विश्व-मार्ग’ के रूप में जानी जाती थी। इस परिवहन व्यवस्था ने मेसोपोटामिया के
शहरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
प्रश्न 11. मेसोपोटामिया में लेखन कला का विकास कैसे हुआ ?
उत्तर-बोली जाने वाली ध्वनियों को लिखने के लिए जो संकेत या चिह्न निश्चित किए
जाते हैं उसे लिपि कहा जाता है । मेसोपोटामिया के लोगों के पास भी अपनी लिपि थी। उन्होंने
तब लिखना आरंभ किया जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की जरूरत पड़ी
क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे और करने वाले कई लोग होते
थे। सौदा भी कई प्रकार के माल का होता था।
मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्किाओं पर लिखते थे। मेसोपोटामिया में जो पहली
पट्टिकाएं (Tablets) मिली हैं वे लगभग 3200 ई० पू० की है। उनमें चित्र जैसे चिह्न और
संख्याएँ दी गई हैं । वहाँ बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं।
ये सूचियाँ संभवतः वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली तथा वहाँ से बाहर जाने
वाली चीजों की है।
प्रश्न 12. मेसोपोटामिया के लोग लेखन कार्य किस प्रकार करते थे ?
उत्तर मेसोपोटामिया के लोग अपना हिसाब-किताब रखने के लिए मिट्टी की पट्टिकाओं
पर लिखा करते थे। पट्टिका तैयार करने के लिए लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करके गूंध
लेते थे। फिर उसे थापकर एक ऐसी पट्टी का रूप देते थे जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ
में पकड़ सके। वह उसकी सतहों को चिकना बना कर सरकंडे को तीली की तीखी नोक से उसकी
नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न (cuneiform) बना देता था । लिखने के बाद पट्टिका
को धूप में सुखाया जाता था । सूखने पर पट्टिका पक्की हो जाती थी और मिट्टी क बर्तनों जैसी
मजबूत हो जाती थी । उस पर कोई नया चिह्न या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था। इस प्रकार
प्रत्येक सौदे के लिए चाहे वह कितना ही छोटा हो, एक अलग पट्टिका की जरूरत होती थी।
जब उस पर लिखा हुआ कोई हिसाब गैर-जरूरी हो जाता था तो उस पट्टिका को फेंक दिया
जाता था।
प्रश्न 13. 2600 ई० पू० से इसवी सन् की पहली शताब्दी तक मेसोपोटामिया के लेखन
और भाषा में क्या-क्या परिवर्तन आये?
उत्तर-(i) 2600 ई. पू. के आसपास मेसोपोटामिया में लिपि कीलाकार हो गई। लेखन
की भाषा सुमेरियन थी। मेसोपोटामिया की कीलाकार लिपि का चिह्न किसी एक व्यंजन या स्वर
को व्यक्त नहीं करता था, बल्कि यह किसी अक्षर समूह की ध्वनि का प्रतीक होता था। इसलिए
मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे, और उसे गीली पट्टी पर सूखने से
पहले ही लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए विशेष कुशलता की आवश्यकता भी होती थी।
(ii) अब लेखन का प्रयोग केवल हिसाब-किताब रखने के लिए नहीं, बल्कि शब्द-कोश
बनाने, भूमि के हस्तांतरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने, राजाओं के कार्यों का वर्णन करने
तथा कानून में उन परिवर्तनों को उद्घोषित करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता
के लिए बनाए जाते थे।
(iii) 2400 ई. पू. के बाद सुमेरियन भाषा का स्थान धीरे-धीरे अक्कदी भाषा ने ले लिया।
अक्कदी भाषा में कीलाकार लेखन कार्य ईसवी सन् की पहली शताब्दी तक अर्थात् 2000 से भी
अधिक वर्षों तक चलता रहा।
प्रश्न 14. दक्षिणी मेसोपोटमिया में कृषि कई बार संकटों से घिर जाती थी? इसके
लिए कौन-कौन से कारक उत्तरदायी थे?
उत्तर-भूमि में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद दक्षिणी मेसोपोटामिया में कृषि कई
बार संकटों से घिर जाती थी। इसके लिए प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित दोनों प्रकार के कारक
उत्तरदायी थे-
प्राकृतिक कारक-(i) फरात नदी का प्राकृतिक धाराओं में किसी वर्ष तो बहुत अधिक
पानी बह आता था और फसलों को डुबा देता था ।
(ii) कभी-कभी नदी की धाराएँ अपना रास्ता बदल लेती थीं, जिससे खेत सूखे रह जाते थे।
मानव निर्मित कारक-(i) फरात नदी की धाराओं के ऊपरी प्रदेश में रहने वाले लोग
अपने पास की जलधारा से इतना अधिक पानी ले लेते थे कि धारा के नीचे की ओर बसे हुए
गाँवों को पानी ही नहीं मिल पाता था।
(ii) धारा के ऊपरी भाग में रहने वाले लोग अपने हिस्से की सारणी में से गाद (मिट्टी)
भी नहीं निकालते थे। परिणामस्वरूप धारा का बहाव रूक जाता था और नीचे वालों को पानी
नहीं मिलता था।
प्रश्न 15. उरूक नगर में होने वाली तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर–शासक के आदेश से साधारण लोग पत्थर खोदने, धातु-खनिज लाने, मिट्टी से
ईटें बना कर मंदिर में लगाने तथा सुदूर देशों से मंदिर के लिए तरह-तरह का सामान लाने जैसे
कामों में जुटे रहते थे।
इसके परिणामस्वरूप 3000 ई. पू. के आसपास उरूक नगर में खूब तकनीकी प्रगति हुई।
(i) अनेक शिल्पों में काँसे के औजारों का प्रयोग होने लगा।
(ii) वास्तुविदों ने ईटों के स्तंभ बनाना सीख लिया क्योंकि अच्छी लकड़ी न मिल पाने के
कारण बड़े-बड़े कमरों की छतों के बोझ को संभालने के लिए मजबूत शहतीर नहीं बनाए जा
सकते थे।
(iii) सैकड़ों लोगों को चिकनी मिट्टी के शंकु (कोन) बनाने और पकाने के काम में लगाय
गया था। शंकु को भिन्न-भिन्न रंगों में रंगकर मंदिरों की दीवारों में लगाया जाता था। इससे
दीवारों पर विभिन्न रंग निखर उठते थे।
(iv) मूर्तिकला के क्षेत्र में भी अत्यधिक उन्नति हुई । मूर्तियाँ मुख्यतः आयातित पत्थरों
से बनाई जाती थीं।
(v) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और युगांतकारी परिर्वतन आया। वह था-कुम्हार के चाक
के निर्माण से। कुम्हार की कार्यशाला में एक साथ बड़े पैमाने पर दर्जनों एक जैसे बर्तन बनाए
जाने लगे।
प्रशन 16 मेसोपोटामिया में मुद्राओं के निर्माण और उनके महत्व का संक्षिप्त वर्णन
कीजिए।
उत्तर- मेसोपोटामिया में 1000 ई. पू. के अंत तक पत्थर की बेलनाकार मुद्राएँ बनाई जाने
लगी थीं। इनके बीचों-बीच एक छेद होता था। इस छेद में एक तीली लगाकर मुद्रा को गीली
मिट्टी पर घुमाया जाता था। इस प्रकार उनसे लगातार चित्र बनाया जाता था। मुद्राएँ अत्यंत कुशल
कारीगरों द्वारा उकेरी जाती थीं। कभी-कभी उनमें ऐसे लेख होते थे जैसे-स्वामी का नाम, उसके
इष्ट देव का नाम और उसकी अपनी पदीय स्थिति आदि।
मोहर को किसी कपड़े की गठरी या बर्तन के मुँह को चिकनी मिट्टी से लीप-पोतकर उस
पर घुमाया जा सकता था । इस प्रकार उसमें अंकित लिखावट मिट्टी की सतह पर छप जाती
थी। मोहर लगी गठरी या बर्तन में रखी वस्तुओं को सुरक्षित रखा जा सकता था ।
जब इस मोहर को मिट्टी से बनी किसी पट्टिका पर लिखे पत्र पर घुमाया जाता था।
वह मोहर उस पत्र की प्रामाणिकता की प्रतीक बन जाती थी।
प्रश्न 17. मारी नगर में पशुचारकों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-2000 ई. पू. के बाद मारी नगर शाही राजधानी के रूप में खूब फला-फूला । यह
फरात नदी की उर्ध्वधारा पर स्थित है। इसके ऊपरी क्षेत्र में खेती और पशुपालन साथ-साथ चलते
थे। फिर भी इस प्रदेश का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लाया जाता था।
पशुचारकों को जब अनाज, धातु के औजारों आदि की जरूरत पड़ती थी तो वे अपने पशुओं,
पनीर, चमड़ा तथा मांस आदि के बदले में चीजें प्राप्त करते थे। बाड़े में रखे जाने वाले पशुओं
के गोबर से बनी खाद भी किसानों के लिए बहुत उपयोगी होती थी। फिर भी किसानों तथा गड़रियों
के बीच कई बार झगड़े हो जाते थे।
प्रश्न 18. मारी नगर के पशुचारकों तथा किसानों के बीच झगड़ों के क्या कारण थे?
उत्तर-मारी के किसानों को वहाँ के पशुचारकों (गडरियों) से गोबर की उपयोगी खाद
मिलती थी, फिर भी उनके बीच प्रायः झगड़े होते रहते थे। इसके निम्नलिखित कारण थे-
(i) गड़ेरिये प्रायः अपनी भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए बोए गए खेतों से कर
ले जाते थे जिससे किसानों की फसल को क्षति पहुँचती थी।
(ii) कई बार वे किसानों के गाँवों पर हमला बोलकर उनका माल लूट लेते थे।
(iii) दूसरी ओर ऐसा भी होता था कि बस्तियों में रहने वाले किसान इन पशुचारकों का
रास्ता रोक देते थे और उन्हें अपने पशुओं को नदी-नहर तक नहीं ले जाने देते थे । यह बात भी
झगड़े का कारण बनती थी।
प्रश्न 19. मेसोपोटामिया का समाज और संस्कृति विभिन्न समुदायों के लोगों एवं
संस्कृतियों का मिश्रण थी । स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-मेसोपोटामिया के समृद्ध कृषि प्रदेश में खानाबदोश समुदायों के झुंड के झुंड
पश्चिमी मरूस्थल से आते रहते थे । ये गड़ेरिये गर्मियों में अपने साथ अपनी भेड़-बकरियाँ ले
आते थे । वे फसल काटने वाले मजदूरों अथवा भाड़े के सैनिकों के रूप में आते थे और समृद्ध
होकर यहीं बस जाते थे। उनमें से कुछ ने तो यहाँ अपना शासन स्थापित करने की शक्ति भी
प्राप्त कर ली थी। ये लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई, आर्मीनियन जाति के थे। मारी के
राजा एमोराईट समुदाय के थे। उनकी पोशाक वहाँ के मूल निवासियों से भिन्न होती थी। उन्होंने
मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं को सम्मान देने के साथ-साथ मारी नगर में स्टेपी क्षेत्र के देवता
डैगन के लिए एक मंदिर भी बनवाया। इस प्रकार मेसोपोटामिया का समाज और संस्कृति
भिन्न-भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों का मिश्रण थी जिसने वहाँ की सभ्यता में
जीवन-शक्ति उत्पन्न की।
प्रश्न 20. जिमरीलिम के मारी स्थित राजमहल का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर- मारी का राजमहल 2.4 हेक्टेयर के क्षेत्र में स्थित एक अत्यंत विशाल भवन था।
इसमें 260 कक्ष बने हुए थे। यह वहाँ के शाही परिवार का निवास स्थान होने के साथ-साथ
प्रशासन तथा कीमती धातुओं, आभूषण बनाने का मुख्य केंद्र भी था । अपने समय में यह इतना
अधिक प्रसिद्व था कि उसे देखने के लिए उत्तरी सीरिया का एक छोटा राजा आया था।
राजा के भोजन की मेज पर प्रतिदिन भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ रोटी, मांस, मछली, फल,
मदिरा और बीयर शामिल होता था। वह संभवतः अपने साथियों के साथ बड़े आँगन में बैठकर
भोजन करता था। राजमहल का केवल एक ही प्रवेश द्वारा था जो उत्तर की ओर स्थित था। महल
में विशाल खुले प्रांगण सुंदर पत्थरों से जड़े हुए थे । राजा विदेशी अतिथियों और अपने प्रमुख
लोगों से उस कमरे में मिलता था जहाँ भित्ति चित्र बने हुए थे।
प्रश्न 21 मारी नगर व्यापार तथा समृद्वि की दृष्टि से अद्वितीय था। उदाहरण दीजिए।
उत्तर- मारी नगर एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था। जहाँ से होकर लकड़ी,
ताँबा, राँगा, तेल, मदिरा और अन्य सामान नावों द्वारा फरात नदी के मार्ग से दक्षिण और तुर्की,
सीरिया तथा लेबनान के उच्च प्रदेशों के बीच लाया तथा ले जाया जाता था। मारी नगर की समृद्धि
का आधार यही व्यापार था। दक्षिणी नगरों में घिसाई-पिसाई के पत्थर चक्कियाँ, लकड़ी, शराब
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तथा तेल ले जाने वाले जलपोत मारी में रूका करते थे। मारी के अधिकारी लदे हुए सामान की
जाँच करते थे और उसमें लदे माल के मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे। जो
विशेष किस्म की नौकाओं में आता था । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ पट्टिकाओं में
साइप्रस के द्वीप अलाशिया’ से आने वाले ताँबे का उल्लेख मिला हैं । यह द्वीप उन दिनों ताँबे
तथा टिन के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
इस प्रकार मारी नगर व्यापार तथा समृद्धि की दृष्टि से अद्वितीय था ।
प्रश्न 22, गिल्गेमिश का महाकाव्य किस बात पर प्रकाश डालता है ? इसमें वर्षिक
घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर—मेसोपोटामिया के लोगों को अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व था। गिल्गेमिश का
महाकाव्य इसी बात पर प्रकाश डालता है। यह काव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा गया था।
ऐसा कहा जाता कि गिल्गेमिश ने एनमर्कर के कुछ समय पश्चात् उरुक नगर पर शासन
किया था। वह एक महान् योहा था । उसने दूर-दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया
था। परंतु उसे उस समय गहरा आघात पहुँचा जब उसका एक वीर मित्र अचानक मर गया। दुःखी
होकर वह अमरत्व की खोज में निकल पड़ा । उसने संसार भर का चक्कर लगाया । परंतु उसे
अपने साहसिक कार्य में सफलता नहीं मिली । हारकर वह अपने नगर उरूक लौट आया । एक
दिन जब वह अपने आपको सांत्वना देने के लिए शहर की चहारदीवारी के पास चहलकदमी कर
रहा था तो उसकी नजर उन पकी ईटों पर पड़ी जिनसे दीवार की नींव डाली गई थी। वह भावविभोर
हो उठा । यहीं पर ही महाकाव्य की लंबी साहस भरी कथा का अंत हो जाता है। इस प्रकार
गिल्गेमिश को अपने नगर में ही सांत्वना मिलती है जिसे उसकी प्रजा ने बनाया था।
प्रश्न 23. विश्व को मेसोपोटामिया की क्या देन है?
उत्तर- विश्व को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन उसकी कालगणना और गणित की
विद्वतापूर्ण परंपरा है।
(i) 1800 ई. पू. के आसपास की कुछ पट्टिकाएँ मिली हैं। इनमें गुणा और भाग की
तालिकाएँ, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं। उनमें 2 का वर्गमूल
का जो मान दिया गया है वह 2 के वर्गमूल के वास्तविक मान से थोड़ा सा ही भिन्न है।
(ii) पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा के अनुसार एक वर्ष का 12 महीनों में
विभाजन, एक महीने का 4 हफ्तों में विभाजन, दिन का 24 घंटों में और एक घंटे का 60 मिनट
में विभाजन, यह सब कुछ मेसोपोटामिया से ही हमें मिला है।
(iii) मेसोपोटामिया के लोग सूर्य और चंद्र ग्रहण घटित होने का भी हिसाब रखते थे ।
(iv) वे रात के समय आकाश में तारों और तारामंडल की स्थिति पर बराबर नज़र रखते
थे और उनका लेखा-जोखा रखते थे।
प्रश्न 24. बेबीलोन नगर की मुख्य विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर-331 ई. पू. में सिंकदर से पराजित होने तक बेबीलोन विश्व का एक प्रमुख नागर
बना रहा । इस नगर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
(i) इसका क्षेत्रफल 850 हैक्टेयर से अधिक था।
(ii) इसकी चहारदीवारी तिहरी थी।
(iii) इसमें बड़े-बड़े राजमहल और मंदिर स्थित थे।
(iv) नगर में एक जिगुरात (Ziggurat) अर्थात् सीढ़ीदार मीनार थी।
(v) नगर के मुख्य अनुष्ठान केंद्र तक शोभायात्रा के लिए एक विस्तृत मार्ग बना हुआ था।
(vi) इसके व्यापारिक घराने दूर-दूर तक अपना कारोबार करते थे।
(vii) इसके गणितज्ञों तथा खगोलविदों ने अनेक नयी खोजें की थीं।
(Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. मेसोपोटामिया के भूगोल की विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर–मेसोपोटामिया के भूगोल को समझने के लिए आज के इराक की भौगोलिक
विशेषताओं को जान लेना चाहिए। इराक एक भौगोलिक विविधता वाला देश है। इसकी मुख्य
विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊंचे-नीचे मैदान हैं। ये मैदान धीरे-धीरे वृक्षाच्छादित
पर्वत शृंखला के रूप में फैलते जाते हैं साथ ही यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल भी पाये जाते हैं।
(ii) यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है।
(ii) उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ ‘स्टेपी’ घास के मैदान हैं। इस प्रदेश में पशुपालन
आजीविका का मुख्य साधन है। सर्दियों की वर्षा के बाद भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली
छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं।
(iv) पूर्व में दजला की सहायक नदियाँ परिवहन का अच्छा साधन हैं।
(v) देश का दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है। इस रेगिस्तान में फरात और दजला नदियाँ
बहती हैं। ये नदियाँ पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती रही हैं। जब
इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में लाया जाता है
तब इनके द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी खेतों में जमा हो जाती है।
(vi) फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बँट जाती है। कभी-कभी
इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है। प्राचीन काल में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थीं।
इनसे आवश्यकता पड़ने पर गेहूँ, जौ और मटर या मसूर के खेतों की सिंचाई की जाती थी। इसलिए
वर्षा की कमी के बावजूद दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती प्राचीन विश्व में सबसे अधिक उपज
देने वाली थी।
(vii) खेती के अतिरिक्त स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों की ढालों
पर भेड़-बकरियाँ पाली जाती थीं। इनसे भारी मात्रा में मांस, दूध और ऊन प्राप्त होता था। यहाँ
की नदियों में मछलियों की भरमार थी। गर्मियों में खजूर के पेड़ खूब फल देते थे।
प्रश्न 2. किन पुरानी कहानियों से हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक मिलती है ?
उत्तर- मेसोपोटामिया यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है-दो नदियों के बीच का
प्रदेश । इराक में दजला और फरात नाम की दो नदियाँ बहती हैं। इनके मध्य में स्थित घाटी
को मेसोपोटामिया कहकर पुकारा जाता है। प्राचीन काल में यहाँ एक-एक करके तीन सभ्यताएं
फली-फूलीं । ये सभ्यताएँ थीं— सुमेरिया की सभ्यता, बेबीलोनिया की सभ्यता और असीरिया
की सभ्यता। इन तीनों का सामूहिक नाम मेसोपोटामिया की सभ्यता है। इस सभ्यता के सामाजिक,
आर्थिक तथा धार्मिक जीवन का वर्णन इस प्रकार हैं-
1. सामाजिक जीवन–मेसोपोटामिया का समाज तीन वर्गों में बाँटा हुआ था। पहले दो
वर्गों में उच्च लोग शामिल थे। इन वर्गों के लोग अच्छे मकानों में रहते थे, अच्छे वस्त्र पहनते
थे और उन्हें अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। तीसरे वर्ग के लोग दास थे और वे झोपड़ियों
में रहते थे। मेसोपोटामिया के समाज में स्त्रियों का निम्न स्थान था।
2. आर्थिक जीवन मेसोपोटामिया के लोगों का आर्थिक जीवन भी काफी उन्नत था। वे
लोग कृषि करते थे। कृषि उन्नत थी। उन्होंने सिंचाई के लिए नदियों पर बाँध बनाए थे। वे टीन,
ताँबे तथा काँसे के प्रयोग से परिचित थे। वे अच्छे शिल्पी भी थे। उन्हें कपड़ा बुनना, भवन,
आभूषण तथा अन्य अनेक चीजें बनानी आती थी। वे अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार भी करते थे।
3. धार्मिक जीवन-मेसोपोटामिया के लोग धर्मपरायण भी थे। मंदिर ईंटों से बनाए जाते
थे तथा समय के साथ बड़े होते गए। एक प्रकार को० मीनार नुमा मंदिर “जिगुरात” नगर के
पवित्र क्षेत्र में ऊँची पहाड़ी पर ईटों से बनाए जाते थे। उनके प्रमुख देवता समस (सूर्य), सिन
(चंद्रमा), अनु (आकाश देव), एकलिल (वायु देव) आदि थे। उनके देवताओं की संख्या हजारों
में थी। बाबली लोगों का मुख्य देवता मरदुक और प्रमुख देवी इस्तर थी। असीरी लोगों के मुख्य
देवता का नाम आसुर था । समाज में पुजारियों का बड़ा प्रभाव था।
प्रश्न 3. मेसोपोटामिया के लोगों ने कला, शिल्प तथा ज्ञान में जो सफलताएँ प्राप्त
की उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-1. कला तथा शिल्प–मेसोपोटामिया के लोगों ने कला के क्षेत्र में काफी उन्नति
की हुई थी। वे बड़ी सुंदर मूर्तियाँ बनाते थे और इनसे अपने मंदिरों को सुशोभित करते थे । इसके
अतिरिक्त वे सोने-चाँदी के बर्तन तथा आभूषण बनाने में भी बड़े निपुण थे। मेसोपोटामिया के
लोग लकड़ी की सुंदर पच्चीकारी वाला फर्नीचर बनाते उनकी मिट्टी तथा ताँबे के बर्तन बनाने
की कला भी काफी उन्नत थी।
2. ज्ञान के क्षेत्र में सफलताएँ- ज्ञान के क्षेत्र में मेसोपोटामिया के लोगों की सफलताओं
का वर्णन इस प्रकार है-
(i) मेसोपोटामिया के लोगों ने अंकगणित तथा रेखागणित मे बहुत उन्नति कर ली थी।
उन्होंने 1, 10 और 60 के लिए विशेष चिह्न बनाए हुए थे। उन्होंने एक घंटे को 60 मिनट और
1 मिनट को 60 सेकेंड में बाँटा हुआ था। रेखागणित में उन्होंने पाइथागोरस के सिद्धांत को जान
लिया था।
(ii) खगोल विद्या अथवा ज्योतिषशास्त्र में भी उनका ज्ञान काफी अधिक था। वे सूर्य
निकलने तथा अस्त होने का ठीक समय बता सकते थे । उन्हें सूर्य तथा चंद्र ग्रहण का भी ज्ञान था।
(ii) उन्होंने चंद्रमा पर आधारित एक पंचांग का आविष्कार किया था ।
प्रश्न 4. दक्षिणी मेसोपोटामिया के शहरीकरण की जानकारी देते हुए वहाँ मंदिरों के
निर्माण एवं उनके बढ़ते हुए महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-शहरीकरण की शुरूआत—दक्षिणी मेसोपोटामिया में 5000 ई. पू. से बस्तियों का
विकास होने लगा था। इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया। ये शहर तीन
प्रकार के थे.
(i) वे शहर जो मंदिरों के चारों और विकसित हुए
(ii) वे शहर जो व्यापार के केंद्रों के रूप में विकसित हुए तथा
(iii) शेष शाही शहर।
1. मंदिरों का निर्माण और उनका बढ़ता हुआ महत्व- मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग
में बाहर से आकर बसने वाले लोगों ने अपने गाँवों में कुछ चुने हुए स्थानों पर मंदिर बनाने या
उनका पुनर्निर्माण करने का काम शुरू किया। सबसे पहला ज्ञात मंदिर एक छोटा सा देवालय था
जो कच्ची ईटों का बना हुआ था। मंदिर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे।
साधारण घरों की दीवारों में यह विशेषता नहीं पाई जाती थी। ‘उर’ चंद्र देवता था और इन्नाना
प्रेम व युद्ध की देवी थी।
मंदिर का स्वरूप—मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे । समय के साथ इनका आकार बढ़ता
गया, क्योंकि उनके खुले आँगन के चारों ओर कई कमरे बने होते थे । कुछ प्रारंभिक मंदिर
साधारण घरों जैसे ही होते थे । परंतु मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ विशेष अंतरालों के बाद
भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं। साधारण घरों की दीवारों में यह विशेषता नहीं पाई
जाती थी।
देवता पूजा का केंद्र-बिंदु होता था। लोग देवी-देवताओं को अन्न, दही, मछली अर्पित करते
थे। आराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी
माना जाता था।
2. मंदिरों के बढ़ते क्रियाकलाप समय बीतने पर मंदिर ने अपने क्रियाकलाप बढ़ा लिए।
(i) अब उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया मंदिरों में की जाने लगी।
(ii) यह व्यापारियों को नियुक्त करने लगा।
(iii) यह अन्न, हल जोतने वाले पशुओं, रोटी, जौ की शराब, मछली आदि के आवंटन ‘
और वितरण का लिखित अभिलेख रखने लगा।
(iv) यह परिवार से ऊपरी स्तर के उत्पादन का केंद्र ब। गया। इस प्रकार इसने मुख्य
शहरी संस्था का रूप ले लिया।
प्रश्न 5. मेसोपोटामिया में राजा के पद का विकास किस प्रकर हुआ? राजा ने अपना
प्रभाव और नियंत्रण बढ़ाने के लिए क्या-क्या पग उठाए ?
उत्तर—मेसोपोटामिया के तत्कालीन गाँवों में भूमि और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ
करते थे। जब किसी क्षेत्र में दो समुदायों के बीच लंबे समय तक लड़ाई चलती थी तो जीतने वाले
मुखिया अपने साथियों एवं अनुयायियों के बीच लूट का माल बाँटकर उन्हें खुश कर देते थे और
हारे हुए समूहों के लोगों को बंदी बनाकर अपने साथ ले जाते थे। वे उन्हें अपने चौकीदार या
नौकर बना लेते थे। इस प्रकार वे अपना प्रभाव और अनुयायियों की संख्या बढ़ा लेते थे। परंतु
युद्ध में विजयी होने वाले ये नेता स्थायी रूप से समुदाय के मुखिया नहीं बने रहते थे। समुदाय
का नेतृत्व बदलता रहता था। यही मुखिया आगे चलकर राजा कहलाए।
राजा ने अपना प्रभाव और नियंत्रण बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए-
(i) राजा के प्रभाव और नियंत्रण में वृद्वि- समुदाय के कल्याण पर अधिक ध्यान देना
आरंभ कर दिया। फलस्वरूप नयी-नयी संस्थाएँ और परिपाटियाँ स्थापित हो गई।
(ii) मंदिरों की शोभा बढ़ाना- विजेता मुखियाओं ने देवताओं को भी बहुमूल्य भेटें
अर्पित करनी आरंभ कर दिया। इससे समुदाय के मंदिरों की सुदरंता बढ़ी। उन्होंने लोगों को उत्कृष्ट
पत्थर और धातुएँ लाने के लिए दूर-दूर भेजा ताकि मंदिर की शोभा को और अधिक बढ़ाया जा
सके। मंदिर की धन-संपदा तथा मंदिरों में आने-जाने वाली वस्तुओं का हिसाब-किताव भी रखा
जाने लगा। इस व्यवस्था ने राजा को ऊँचा स्थान दिलाया और समुदाय पर उसका पूर्ण नियंत्रण
स्थापित किया।
(iii) समुदाय की सुरक्षा- प्रभावशाली राजाओं ने ग्रामीणों को अपने पास बसने के लिए
भी प्रोत्सहित किया। आसपास अथवा साथ-साथ रहने से लोग स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस
करने लगे।
(iv) काम के बदले अनाज- युद्धबंदियों और स्थानीय लोगों के लिए मंदिर तथा शासक
का काम करना अनिवार्य था। उन्हें इस काम के बदले अनाज दिया जाता था। सैकड़ों ऐसी
राशन-सूचियाँ मिली हैं जिनमें काम करने वाले लोगों के नामों के आगे उन्हें दिए जाने वाले अनाज
कपड़े और तेल आदि की मात्रा लिखी गई है।
प्रश्न 6. मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था से सम्बन्धित निम्नलिखित
बातों की जानकारी दीजिए-
(क) उच्च वर्ग की स्थिति (ख) परिवार का स्वरूप (ग) विवाह-प्रणाली।
उत्तर-(क) उच्च वर्ग की स्थिति- मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था
में एक उच्च या संभ्रांत वर्ग का प्रादुर्भाव हो चुका था। धन-दौलत का अधिकतर भाग समाज
के इसी वर्ग में केंद्रित था। इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होती है कि बहुमूल्य वस्तुएँ विशाल
उर में राजा रानियों की कुछ कब्रों या समाधियों में उनके साथ दफनाई गई मिली हैं। इन वस्तुओं
में आभूषण, सोने के पात्र, सफेद सीपियाँ और लाजवर्द जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र, सोने के
सजावटी खंजर आदि शामिल हैं।
(ख) परिवार का वरूप-विवाह, उत्तराधिकार आदि के मामलों से संबधित कानूनी
दस्तावेजों से पता चलता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को आदर्श माना जाता
था। फिर भी विवाहि पुत्र और उसका परिवार अपने माता-पिता के साथ ही रहा करता था। पिता
परिवार का मुखिय होता था।
(ग) विवाह प्रणाली- विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी। वधू के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे। उसके बाद वर पक्ष के लोग वधू को
कुछ उपहार देते थे। विवाह की रस्म पूरी हो जाने पर दोनों पक्ष उपहारों का आदान-प्रदान करते
थे। वे एक साथ बैठकर भोजन करते थे और मंदिर में जाकर भेंट चढ़ाते थे। जब नव वधू को
उसकी सास लेने आती थी, तब वधू को उसके पिता द्वारा उसके उत्तराधिकार का हिस्सा दे दिया
जाता था। परंतु पिता का घर, पशुधन, खेत आदि उसके पुत्रों को ही मिलते थे।
प्रश्न 7. मेसोपोटामिया के उर नगर की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- उर नगर उन नगरों में से एक था जहाँ सबसे पहले खुदाई की गई थी। वहाँ
साधारण घरों की खुदाई 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से की गई। इस नगर की मुख्य
विशेषताएँ निम्नलिखित थी-
(i) टेढ़ी-मेढ़ी तथा संकरी गलियाँ – नगर में टेढ़ी-मेढ़ी तथा संकरी गलियाँ पाई गई हैं।
इससे यह पता चलता है कि वहाँ के अनेक घरों तक पहिए वाली गाड़ी नहीं पहुँच सकती थीं।
अनाज के बोरे और ईंधन के गठे संभवतः गधों पर लादकर घरों तक लाए जाते थे। पतली
व घुमावदार गलियों तथा घरों के भू-खंडों का एक जैसा आकार न होने से यह निष्कर्ष निकलता
है कि नगर नियोजन की पद्धति का अभाव था।
(ii) जल निकासी-जल-निकासी की नालियाँ और मिट्टी की नलिकाएँ उर नगर के घरों
के भीतरी आँगन में पाई गई हैं। इससे यह पता चलता है कि घरों की छतों का ढलान भीतर की
ओर होता था और वर्षा का पानी निकास नालियों के माध्यम से भीतरी आँगन में बने हुए हौज
में ले जाया जाता था। यह संभवत इसलिए किया गया होगा कि तेज वर्षा आने पर घर के बाहर
की कच्ची गलियाँ बुरी तरह कीचड़ से न भर जायें।
(iii) घरों की सफाई- लोग अपने घरों की सफाई के बाद सारा कूड़ा-कचरा गलियों
में डाल देते थे। यह आने-जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था। बाहर कूड़ा डालते
रहने से गलियों की सतहें ऊँची उठ जाती थीं। अत: कुछ समय बाद घरों की दहलीजों को भी
ऊँचा उठाना पड़ता था ताकि वर्षा के बाद गली का कीचड़ बह कर घरों के भीतरी न आ जाए।
(iv) खिड़कियों का अभाव–कमरों में खिड़कियाँ नहीं होती थीं । प्रकाश आँगन में
खुलने वाले दरवाजों से होकर कमरे में आता था। इससे घरों के परिवारों में गोपनीयता भी बनी
या रहती थी।
(v) घरों के बारे मे अंधविश्वास–घरों के बारे में कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित
थे जो पट्टिकाओं पर लिखे मिले हैं। इनमें से कुछ ये हैं-
(i) यदि घर की दहलीज ऊँची हुई हो, तो वह धन-दौलत लाती है।
(ii) यदि सामने का दरवाजा किसी दूसरे के घर की ओर न खुले तो सौभाग्य लाता है।
(iii) यदि घर का लकड़ी का मुख्य दरवाजा बाहर की ओर खुले तो पत्नी अपने पति
नूनी के लिए यंत्रणा का कारण बनती है।
(vi) शवों का दफन-उर में नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था, जिसमें शासकों
तथा जन-साधारण की समाधियाँ पाई गई हैं। परंतु कुछ लोग घरों के फर्शों के नीचे भी दफनाए
जाते थे।