11-biology

bihar board 11 biology solutions | जैव अणु

bihar board 11 biology solutions | जैव अणु

                                  (BIOMOLECULES)
                                    अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. कार्बोहाइड्रेट की तकनीकी परिभाषा दें।
उत्तर-वैसा यौगिक जिसमें कम-से-कम एक OH ग्रुप के साथ एल CHO या CO
ग्रुप अवश्य उपस्थित होता है, कार्बोहाइड्रेट कहलाता है।
2. वृहत अणु (Macro molecules) क्या है?       [N.C.ER.T. (Q.10]
उत्तर-अनेक लघु अणुओं के मिलने से बने बड़े यौगिक को वृहत अणु कहते हैं।
जैसे-प्रोटीन, पॉलीसैकेराइड, न्यूक्लिक अम्ल इत्यादि।
3. जल एवं वसा में घुलनशील विटामिनों का नाम वतायें।
उत्तर-जल में घुलनशील विटामिन-B कम्प्लेक्स एवं C वसा में घुलनशील
विटामिन-A,D,E एवं K.
4. वह क्षार जो RNA में पाया जाता है परन्तु DNA में नहीं पाया जाता, नाम बताएँ।
उत्तर-यूरेसिल (Uracil)
5. DNA में पाये जाने वाले क्षार जोड़ों का नाम बतायें।
उत्तर-एडेनिन, गुआनीन, साइटोसीन एवं थयमीन।
6. DNA की रचना के बारे में किसने बताया था?
उत्तर-J.D.Watson एवं F.H.Crick ने।
7. DNA किसका बहुलक होता है?
उत्तर-न्यूक्लियोटाइड्स का।।
8. DNA के एक कुंडली की लम्बाई क्या होती है?
उत्तर-34A°.
9. कोशिका कुंड (cellular pool) किसे कहते हैं?
उत्तर-विभिन्न कार्यों के लिए कोशिका में विभिन्न प्रकार के अणु पाये जाते हैं, कोशिका
में इन्हीं अणुओं के संग्रह को कोशिका कुंड (cellular pool) कहते हैं।
10. हरितलवक में पाये जाने वाले खनिज का नाम बतायें।
उत्तर-मैग्नीशियम
11. न्यूक्लियोटाइडस में कौन-कौन सा पदार्थ पाया जाता है?
उत्तर-पेंटोज शर्करा, फॉस्फोरिक अम्ल एवं नाइट्रोजनयुक्त क्षार।
12. क्या आप व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल (बल व स्टिक नमूना) का
प्रयोग करते हुए जैव अणुओं के उन प्रारूपों को बना सकते हैं ? (N.C.E.R.T. (Q.9)]
उत्तर-हाँ।
13. एलेनीन अमीनो अम्ल की संरचना बतायें।  [N.C.E.R.T. (Q.110]
                                                लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रोटीन की तृतीय संरचना से क्या तात्पर्य है?               [N.C.E.R.T. (Q.3)]
उत्तर-जब एक लंबी पेप्टाइड कड़ी कुंडलित एवं विभिन्न प्रकार से वलित (Folded)
हो जाता है तो इसे प्रोटीन की तृतीयक संरचना कहा जाता है। इसमें चार प्रकार के बंधन पाए
जाते हैं-
A= ionic bond
B = disulphide bond
C = hydrophobic bond
D = hydrogen bond
(i) आर्यानक बंधन (Ionic bond) ― समाक्षारिक (basic) एमीनो अम्ल के NH2 ग्रुप
एवं एसिडिक एमीनो अम्ल के COOH ग्रुप के बीच का बंधन।
(ii) डाइसल्फाइड बंधन (Disulphide bond) -यह साधारणत: सिस्टीन (cystine)
द्वारा होता है।
(iii) हाइड्रोफोबिक बंधन (Hydrophobicbond)- यह बंधन दो निकट स्थित समान
(R) ग्रुपों के बीच होता है।
(iv) हाइड्रोजन बंधन (Hydrogen bond)– हाइड्रोक्सिएमीनो अम्ल (जैसे- सेरीन,
टाइटोसीन इत्यादि) के OH ग्रुप एवं एसिडिक एमीनो अम्ल (जैसे-एस्पार्टिक अम्ल)
कार्बोक्सिल ग्रुप (COOH) के बीच।
2. प्रोटीन में प्राथमिक संरचना होती है यदि आपको जानने हेतु ऐसी विधि दी गयी है,
जिसमें प्रोटीन के दोनों किनारों पर अमीनो अम्ल हैं जो क्या आप इस सूचना को
प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता (Homogeneity) से जोड़ सकते हैं।
                                                                        [N.C.E.R.T.(Q.5)]
उत्तर-प्रोटीन में अमीनो अम्ल के क्रम व इसके स्थान के बारे में जैसे कि पहला,
दूसरा व इसी प्रकार अन्य कौन-सा अमीनो अम्ल होगा, की जानकारी को प्रोटीन की प्राथमिक
संरचना कहते हैं।
प्रोटीन के दोनों किनारों पर अमीनो अम्ल की उपस्थिति के द्वारा इसकी शुद्धता अथवा
समांगता को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है।
3. चिकित्सार्थ अभिकर्ता (therapeutic agents) के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन
को सूचीबद्ध करें। प्रोटीन की अन्य उपयोगिताओं को भी बतायें (जैसे-सौंदर्य-
प्रसाधन आदि)।                                                 [N.C.E.R.T. (Q.6)]
उत्तर-(i) मानव एलबुमिन (Humanalbumin)- इसका उपयोग लीवर सिरोसिस,
Nephroticsyndrome इत्यादि की चिकित्सा में किया जाता है।
(ii) प्रतिपिण्ड (Antibodies)-गामा ग्लोबुलीन नामक एंटीबॉडी का उपयोग टेटनस,
सर्पदंश, Barre syndrome इत्यादि की चिकित्सा में किया जाता है।
(iii) पॉलीपेप्टाइड हॉर्मोन (Poly Peptide Hormone) – इसका उपयोग हॉर्मोन की
कमी से होनेवाली बीमारियों को दूर करने में किया जाता है।
(iv) एंजाइम (Enzyme)- इसका उपयोग कई स्थितियों (जैसे-अग्नाशय के कार्य
में गड़बड़ी के समय) में किया जाता है।
(v) इंसुलिन (Insulin)-मधुमेह (Diabetes melitus) की चिकित्सा में।
(vi) वृद्धि हॉर्मोन (Growth Hormone)-Dwarfism के इलाज में।
अन्य उपयोग-(i) अंड प्रोटीन का उपयोग त्वचा को चमकीला व स्वस्थ बनाने में।
(ii)Keratolytic प्रोटीन का उपयोग कड़ी शुष्क त्वचा को मुलायम बनाने में किया जाता है।
4. ट्राइग्लिसराइड के संगठन का वर्णन कीजिए।              [N.C.E.R.T.(Q.71
उत्तर-भंडारित लिपिड़ों का वह समूह जिसके निर्माण में मात्र एक अणु ग्लिसरॉल एवं
तीन वसीय अम्ल भाग लेते हैं, ट्राइग्लिसराइड अथवा सरल लिपिड कहलाता है।
ट्राइग्लिसराइड में ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल आपस में तीन एस्टर बंध से जुड़े होते
हैं। यह बंध ग्लिसरॉल के प्रत्येक हाइड्रॉक्सिल (OH) के बीच बनता है। इस क्रिया में प्रत्येक
बंध के लिए एक अणु जल का निष्कासन होता है। जैसे-
ट्राइग्लिसराइड का एक अणु + तीन अणु जल।
उदाहरण-वसाएँ (Fats), तेल (oil) इत्यादि।
रासायनिक संगठन-तत्व के रूप में-हाइड्रोजन, कार्बन एवं ऑक्सीजन यौगिक के
रूप में ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल।
5. क्या आप प्रोटीन की अवधारणा के आधार पर वर्णन कर सकते हैं कि दूध का दही
अथवा योगर्ट में परिवर्तन किस प्रकार होता है?        [N.C.E.R.T. (Q.8)]
उत्तर-दूध में लैक्टेज पाया जाता है, जो दूध से दही में परिवर्तन के बाद लैक्टिक
अम्ल में बदल जाता है।
लैक्टेज दूग्ध शर्करा (लैक्टोज) को लैक्टिक अम्ल में बदल देता है, जो कि प्रोटीन के
Coagulation के लिए जिम्मेवार होता है।
6. अमीनो अम्लों को दुर्वल क्षार से अनुमापन (Titrate) कर अमीनो अम्ल में वियोजी
क्रियात्मक समूहों का पता लगाने का प्रयास कीजिए?     [N.C.E.R.T.(Q.11)]
उत्तर-अमीनो अम्ल एक कार्बनिक यौगिक है जिसमें एक अमीनो ग्रुप (-NH2) व
एक कार्बोक्सिल एसिड ग्रुप (-COOH) उपस्थित होता है।
अत: अमीनो अम्लों को दुबल क्षार से अनुमापन के द्वारा इसके वियोजी क्रियात्मक
समूह -COOH एवं NH2 का पता लगा सकते हैं।
7. गोंद किससे बने होते हैं? क्या फेविकॉल इससे भिन्न है? [N.C.E.R.T. (Q.12)]
उत्तर- गोद एक द्वितीयक उपापचयज है जो एक बहुलक पदार्थ है। इसका निर्माण
पादप कवक एवं Microbial cells से होता है।
परन्तु फेविकॉल एक कृत्रिम पदार्थ है जो गोंद से भिन्न होता है।
8. प्रोटीन, वसा व तेल अमीनो अम्लों का विश्लेषणात्मक परीक्षण बताइए एवं किसी
फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण करें? (N.C.E.R.T.(Q.13)]
उत्तर-प्रोटीन की जांँच (Biuret Test) द्वारा-प्रोटीन के Alkaline suspension
को जब जलीय कॉपर सल्फेट के साथ मिलाया जाता है तो voilet रंग देता है। रंग की तीव्रता
प्रोटीन की मात्रा को बताता है।
वसा की जाँच-दिये गये वसा के नमूनों को अल्कोहल में डालकर उसमें आसुत जल
(Distilled water) मिला दिया जाता है। जिससे जल समूह पर वसा की एक पतली परत
बन जाती है इसमें SudanIV एवं Oil red ‘O’Stain की कुछ बूंँद को मिला देते हैं, जिससे
वह लाल रंग में बदल जाता है।
9. पता लगायें कि जैव मंडल में सभी पादपों द्वारा कितने सेल्यूलोज का निर्माण होता
है। इसकी तुलना मनुष्यों द्वारा उत्पादित कागज से करें। मानव द्वारा प्रतिवर्ष पादप
पदार्थो की कितनी खपत की जाती है? इसमें वनस्पतियों को कितनी हानि होती है ?
                                                                           [N.CE.R.T. (Q.14)]
उत्तर-प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान बने पदार्थ की अधिकांश मात्रा सेलुलोज में
ही परिवर्तित हो जाती है परन्तु इसकी मात्रा अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में
अलग-अलग होती है, जैसे-(a) मरुस्थल में 2kgcal/m2/Day (b) पासस्थलीय भागों
में, गहरी झीलों में पर्वतीय वनों में यह 2-12 kg. cal/m2/Day होता है। (c) आर्द्रवनों
में, छिछले झीलों में, नम कृषि भूमि में 2-40 kg.cal/m2/Day होता है।
लगभग इतनी ही मात्रा में सेल्यूलोज का उपयोग मनुष्यों द्वारा कागज बनाने में प्रतिवर्ष
कर लिया जाता है, इस कारण बड़े पैमाने पर वनस्पतियों की हानि होती जा रही है।
10. निम्न में अंतर स्पष्ट करें-
(क) संतृप्त और असंतृप्त वसा,
(ख) प्रतिस्पर्धात्पक संदमन एवं प्रतिस्पर्धा रहित संदमन,
(ग) तेल एवं दृढ़ वसा,
(घ) अनिवार्य एवं अनावश्यक वसीय अम्ल,
(ङ) अवकारक एवं अ-अवकारक शर्करा,
(च) प्रतिस्पर्धात्मक एवं पुनर्निवेश संदमन,
(छ) अकार्बनिक एवं जैव उत्प्रेरक/एंजाइम।
उत्तर-(क) संतृप्त और असंतृप्त वसा-
(ख) प्रतिस्पर्धात्मक संदमन एवं प्रतिस्पर्धा रहित संदमन-
(ग) तेल एवं दृढ़ वसा-
(घ) अनिवार्य एवं अनावश्यक वसीय अम्ल-
(च) अवकारक एवं अ-अवकारक शर्करा-
(छ) प्रतिस्पर्धात्मक एवं पुनर्निवेश संदमन
(ज) अकार्बनिक एवं जैव उत्प्रेरक/एंजाइम-
11. सह-कारक (Co-factors) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- एंजाइम सामान्यत: प्रोटीन ही होते है। परन्तु, कुछ एंजाइम को अपनी प्रतिक्रिया
के लिए अपने प्रोटीन के अलावे कुछ अप्रोटीनीय पदार्थ की आवश्यकता होती है। ऐसे एंजाइम
के प्रोटीन वाले भाग को “Apoenzyme” अप्रोटीनीय भाग को “Co-factor (सहकारक)”
कहते है और पूरे एंजाइम को होलोएंजाइम (Holoenzyme) कहते हैं।
सहकारक तीन प्रकार के होते हैं-
(i) Prosthetic Group-जो एपाएंजाइम के साथ स्थायी रूप से सहसंयोजक बंधन
द्वारा जुड़ा रहता है और यह एक कार्बनिक यौगिक है। जैसे-Cytochrome के साथ
Metalloporphyrins का जुड़ा होना।
(ii) Co-enzyme-वह सहकारक जो एपोएंजाइम से अकेले क्रियाशील नहीं हो सकती
तथा catalysis के वक्त अस्थायी रूप से जुड़ता है। जैसे-Hydrogenesis के साथ
NAD या NADP का जुड़ना।
(iii) Metal ions-बहुत से एंजाइम को पूर्ण क्रियाशीलता के लिए
Fe++,Cu++,zn++ आदि की आवश्यकता होती है।
12. एंजाइम की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर-एंजाइम की क्रियाशीलता को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
(a) pH-प्रत्येक एंजाइम एक निश्चित pH मानवाले घोल में ही अधिक क्रियाशील
होते हैं।
(ii) ताप-25°C से 40°C तक एंजाइम क्रियाशील होते हैं। ताप बढ़ने या घटने पर
प्रतिक्रिया की दर घटती है और 0°C पर एंजाइम निष्क्रिय हो जाते हैं।
(iii) Substrate Concentration-सब्सट्रेट की सान्द्रता के साथ एन्जाइम की
क्रियाशीलता बढ़ती है किन्तु अनुकूलतम सान्द्रता के बढ़ने के बाद उनकी क्रियाशीलता में
कोई अन्तर नहीं पड़ता है।
13. क्रियाघर (Substrate) की सान्द्रता एंजाइम प्रतिक्रिया की गति को कैसे प्रभावित
करता है?
उत्तर-क्रियाघर की सांद्रता (S) बढ़ने पर पहले तो एंजाइम प्रतिक्रिया की गति v
बढ़ती है फिर धीरे-धीरे उच्च गति Vmax को प्राप्त करती है। इसके बाद यदि क्रियाघर
सांद्रता बढ़ भी जाए तो V में बढ़ोतरी नहीं होती है क्योंकि एंजाइम अणु की संख्या, क्रियाघर
अणुओं की संख्या से कम होती है एवं इस स्थिति में सभी एंजाइम अणु संतृप्त रहते हैं.
अर्थात् एंजाइम का कोई भी भाग क्रियाघर के अतिरिक्त अणुओं को बांधने के लिए मुक्त
नहीं बचता। इसे हम आरेख द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं।
14. DNA एवं RNA में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
                                               दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ग्लाइकोसिडिक, पेप्टाइड तथा फॉस्फो-डाइएस्टर बंधों का वर्णन करें।[N.C.E.R.T.]
उत्तर-ग्लाइकोसिडिक बंध (Glycosidic bonds)-दो एकल शर्करा
(Monosaccharide) आपस में संयोग कर द्विशर्करा (Disaccharide) का अथवा अनेक
एकल शर्करा आपस में संयोग कर बहुशर्करा का निर्माण करते हैं। इस निर्माण में आस-पास
के दो एकल शर्करा आपस में एक बंध द्वारा जुड़ते हैं जिसे ग्लाइकोसिडिक बंधन कहते है।
यह बंधन एक अणु के पहले स्थान दूसरे अणु के चौथे स्थान के कार्बन से जुड़े -OH समूह
के बीच बनता है जिसमें एक अणु जल (प्रति दो अणु एकल शर्करा) का निर्माण होता है।
पेप्टाइड बंध (Peptide bond)-जब दो अमीनो अम्ल संयुक्त होते है तो एक के
कार्बोक्सिल ग्रुप एवं दूसरे के अमीनो ग्रुप में संयोजन होता है तथा एक अणु जल का निष्कासन
होता है। इस बंधन को (=CO-NH) पेप्टाइड बंधन (Peptide bond) कहते हैं।
फॉस्फोडाएस्टर बंध (Phaspho-diester bond)-न्यूक्लिक अम्ल में एक
न्यूक्लिओटाइड के एक शर्करा का 31-कार्बन अनुवर्ती न्यूक्लिओटाइड के शर्करा के
5 one-कार्बन से फॉस्फेट समूह द्वारा जुड़ा होता है। शर्करा के फॉस्फेट समूह के बीच का बंध एक एस्टर बंध होता है। एस्टर बंध दोनों तरफ मिलता है, अत: इसे फॉस्फोडाइस्टर बंध कहते हैं।
10. ऐसे रुचिकर सूक्ष्म जैव अणुओं का पता लगाइए जो कम अणुभार वाले होते हैं व
इनकी संरचना बनाइए? ऐसे उद्योगों का पता लगाइए जो इन यौगिकों का निर्माण
विलगन द्वारा करते हैं? इनको खरीदने वाले कौन हैं? मालूम करें। IN.C.ER.T.]
उत्तर-रसायन विज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण शाखा जिस में जीवों के हजारों बड़े
छोटे-यौगिकों का विलगन किया जाता है। ऊपर में दिये गये 10 सूक्ष्म जैव अणुओं का निर्माण
विलगन द्वारा करने वाले मुख्य उद्योग है। विभिन्न प्रकार की दवा बनाने वाले उद्योग और
जरूरतमंद आम आदमी इनके क्रेता हैं।
शर्करा (कार्योहाइड्रेट्स)
2. एंजाइम के महत्त्वपूर्ण गुणों का वर्णन करें।
उत्तर-एंजाइम अधिक अणुभार वाले क्रियात्मक प्रोटीन हैं जो कोशिका तथा जीव शरीर
में होनेवाली सभी जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करता है, अतः इसे
जैव-उत्प्रेरक (Bio Catalyst) कहा जाता है।
एंजाइम के गुण (Properties cf Enzymes)-(i) एंजाइम जटिल गोलाकार प्रोटीन
होते हैं। (ii) यह कोलॉडल (colloidal) प्रकृति के होते हैं तथा जल, लवण घोलों एवं
ग्लिसरॉल में घुलनशील होते हैं। (iii) एंजाइम ज्यादातर रंगहीन होते हैं, परन्तु कुछ पीले,
हरे, लाल नीले और भूरे रंग के भी होते हैं। (iv) प्रत्येक एंजाइम एक विशेष प्रकार के पदार्थ
अथवा Substrate को सक्रिय अथवा प्रेरित करता है, जैसे-ट्रिप्सीन प्रोटीन को,
लाइपेज-वसा को इत्यादि। (v) प्रत्येक एंजाइम किसी माध्यम विशेष में ही क्रियाशील होता
है, जैसे-पेप्सीन अम्लीय माध्यम में एवं ट्रिप्सीन केवल क्षारीय माध्यम में ही सक्रिय होता
है। (vi) एंजाइम की अत्यंत छोटी मात्रा भी कोई रासायनिक क्रिया शुरू करने के लिए काफी
होती है। (vii) एंजाइम एक निश्चित ताप परिसर (25-40°cg) पर सामान्य सक्रिय होता है।
शून्य डिग्री पर यह निष्क्रिय हो जाता है तथा अत्यंत उच्च ताप पर नष्ट हो जाता है।
(viii) प्रतिक्रिया के बाद एंजाइम अपनी मूल प्रकृति को अपरिवर्तित रखता है। (ix) एंजाइम
द्वारा नियंत्रित अभिक्रियाएँ हमेशा उत्क्रमणीय होती हैं। (x) एंजाइम के कार्य प्रायः सामूहिक
रूप से चलते रहते हैं। किसी एक एंजाइम द्वारा नियंत्रित प्रतिक्रिया के द्वारा बना पदार्थ दूसरे
एंजाइम के लिए (Substrate) का कार्य करता है। (xi) परिशुद्ध एल्कोहॉल द्वारा एंजाइम
अवक्षेपित हो जाता है।
4. एंजाइम के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-“Commission on enzymes of the international union of
Biochemistry” 1961 में लेहलिंगर (1970) ने एंजाइम को निम्नलिखित छ: वर्गों में
बाँटा-
(i) Oxido-reductase-यह ऑक्सीकरण एवं अवकरण प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित
करते है, जैसे-डिहाइड्रोजिनेज।
(ii) Transferase -ये किसी यौगिक के अणु से H+ या इलेक्ट्रॉन के बजाय मूल
क्रियात्मक गुट हटाकर अन्य यौगिक के अणु में स्थानांतरित करते हैं, जैसे- फॉस्फोरिलेज।
(iii) Hydrolases-ये जटिल अणुओं के जल अपघटन (Hydrolysis) द्वारा सरल
अणुओं में परिवर्तित करता है, जैसे-Protelytic,Amylolytic एवं Lypolytic एंजाइम।
(iv) Lyases-ये अपने दोहरे बॉण्ड वाले Substrate अणु से किसी गुट को अलग
कर दोहरे बॉण्ड को खत्म कर देते हैं अथवा किसी गुट को एक दोहरे बॉण्ड में जोड़ देते हैं,
जैसे-Aldosel
(v) Ligases या Synthetase-ये ऊर्जा की उपस्थिति में दो यौगिकों को जोड़ने के
लिए उत्प्रेरित करता है, जैसे- Glutamin Synthataset
(vi) Isomerase. -ये सभी अणु की संरचना में विभिन्न ग्रुपों को बदलकर उसका
आइसोमर बनाते हैं, जैसे-Retinose isomerasel
5. एंजाइम की क्रियाविधि के संबंध में ताला-चाभी संकल्पना का वर्णन करें।
उत्तर-ताला-चाभी संकल्पना (LockkeyHypothesis)- इसका प्रतिपादन एमिल
फिशर ने 1984 में किया था। इसके अनुसार प्रत्येक एंजाइम में एक विशेष प्रकार की संरचना
होती है, जिसे टेम्प्लेट कहते हैं, यही उनका सक्रिय स्थल भी कहलाता है। इन्हीं टेम्प्लेट में
यौगिक अणु फंस जाते हैं। किन्तु वे ही अणु एंजाइम के टेम्प्लेटों में फँसते हैं जिनके धरातल
पर इन्हीं के अनुरूप संरचनाएँ मौजूद रहती हैं। यह बिल्कुल ताले-चाभी के ही समान होता है।
इन यौगिक अणुओं को मूल यौगिक अणु कहते हैं। इस एंजाइम की क्रियाविधि के
फलस्वरूप विभिन्न मूल यौगिक अणु एक दूसरे के इतने निकट आ जाते हैं, जिससे वे आपस
में रासायनिक अभिक्रिया करने में समर्थ हो सकें। इस क्रिया में एंजाइम सिर्फ टेम्प्लेट का कार्य
करता है, जिससे विशिष्ट यौगिक अणु या मूल यौगिक अणु इसमें फंस जाएँ एवं एक-दूसरे
के निकट आकर अभिक्रिया कर सकें।
इस अभिक्रिया को समझने के लिए यदि मूल यौगिक अणु को S, अंतिम उत्पादक को
P एवं एंजाइम को E से सूचित करें तो समीकरण निम्न होगा, जो दो चरणों में पूरा होगा-
(i) S+E→ES, Enzyme Substrate Complex
(ii) ES→P+E
_____________________
S+E →ES→ E+P अर्थात्
(i) सर्वप्रथम मूल अर्थात् अणु एंजाइम के टेम्प्लेट में फँस जाता है।
(ii) इसके फलस्वरूप एंजाइम मूल यौगिक संयोग होता है।
(iii) अंततोगत्वा नवीन यौगिक का संश्लेषण होता है, अथवा मूल यौगिक अणु का
वियोजन अभिक्रिया अणुओं में हो जाता है।
इसके साथ ही साथ एंजाइम मुक्त हो जाता है तथा अब वही प्रक्रम अन्य मूल यौगिक
अणुओं के साथ दुहराता है।
6. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
(i) सुक्रोज, (ii) माल्टोज, (iii) लैक्टोज, (iv) स्टार्च, (v) ग्लाइकोजेन,
(vi) सेल्यूलोज।
उत्तर-(i) सुक्रोज (Sucrose)-यह एक Disaccharides है जिसमें ग्लूकोज एवं
फ्रक्टोज उपस्थित होता है। यह ईख (Sugar cane), बीट्स (Beets) गाजर (Carrot) और
कुछ मीठे फलों में प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। यह बहुत मीठे क्रिस्टलीय और स्वतंत्र रूप
में पानी में घुलनशील होते है।
(ii) माल्टोज (Maltose)-यह प्रकृति में स्वतंत्र रूप में नहीं पाया जाता है। ये
ग्लूकोपायरेनोज के दो अणुओं के संघनन से a-Position पर बनता है। यह माल्टोज एन्जाइम
के प्रभाव में जल अपघटित होकर फिर से दो ग्लूकोज अणु बनता है। यह सुक्रोज से कम
मीठा होता है। यह कॉपर विलयों को रिड्यूस्ड करके ओसेजोन बनाता है। यह यीस्ट की
उपस्थिति में तेजी किण्वन (Fermentation) करता है।
(iii) लैक्टोज (Lactose) -यह दूध में पायी जाने वाली शर्करा है। यह ग्लूकोज एवं
गैलेक्टोज के संघनन से बनता है। हाइड्रोलाइसिस करने पर एक अणु ग्लूकोज एवं एक अणु
गैलेक्टोज उत्पन्न करता है। यह कुछ पौधों के पुष्पों में मिलता है।
(iv) स्टार्च (Starch)-पौधों के प्रधान कार्बोहाइड्रेट संचित स्टार्थ है जो अनाजों तथा
आलू में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह पानी में अघुलनशील होता है। आयोडीन के साथ
नीला रंग देता है। स्टार्च दो प्रकार के रासायनिक पदार्थ से बनता है-(a) जो सीधी शृंखला
में होता है उसे एमाइलोपेक्टिन कहते हैं। आलू एवं अनाजों में पाए जानेवाले स्टार्च में 15-20%
एमाइलोज एवं 80-85% एमाइलोपेक्टिन रहता है। ये दोनों अल्फा-D-Glucose के संयोजन से
बनता है।
(v) ग्लाइकोजेन (Glycogen)-जंतुओं में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजेन के रूप में यकृत
एवं मांसपेशियों में संचित रहता है। इसकी संरचना एमाइलोपेक्टिन जैसी है, लेकिन प्रत्येक
शाखा एमाइलोपेक्टिन में छोटी एवं ज्यादा शाखित होती है। प्रत्येक शाखा में करीब-करीब
12 ग्लूकोज अणु होते हैं।
(vi) सेल्युलोज (Cellulose)—यह पौधों की कोशिकाभित्ति का मुख्य घटक है एवं
अनेक B-D-ग्लूकोज के संयोजन से बनता है जो साधारणत: समांतराल रूप से रहता है,
इसलिए यह रेशेदार होता है। यह पानी में अघुलनशील एवं आयोडीन के घोल के साथ नीला
रंग नहीं देता है। यह मनुष्य के विभिन्न एंजाइमो दारा अपघटनीय नहीं है। एक अणु सेल्युलोज
में 1600-2700 बीटा-D-ग्लूकोज 1-4 ग्लूकोसिडिक बंधता द्वारा रहता है।
7. प्रोटीन की रचना, वर्गीकरण और कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-प्रोटीन अधिक अणुभार वाला नाइट्रोजनयुक्त पदार्थ है या प्रोटीन अमीनो अम्ल
का एक बहुलक है। प्रोटीन के अणु में अमीनो अम्ल के सौ अणु पेप्टाइड बॉण्ड द्वारा जुड़े
रहते हैं।
प्रोटीन सभी जीवित तंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक यौगिक हैं। प्रोटीन सभी प्रकार के
BiologicalMembranes का रचनात्मक तत्व है। कुछ प्रोटीन को आयन, गैसें एवं small
molecules का carrier एवं कुछ प्रोटीन को Metabolic Regulations भी कहते हैं।
सभी एंजाइम प्रोटीन के बने होते हैं। यह जीवन का भौतिक आधार है जीवद्रव्य का भी
मुख्य अवयव है।
प्रोटीन का नामाकरण सर्वप्रथम मूल्लर (1840) ने किया था, प्रोटीन शब्द की उत्पत्ति
ग्रीक शब्द ‘प्रोटियोज’ से हुआ है जिसका अर्थ होता है प्रथम कोटि का।
जन्तुओं के शरीर में लगभग 19% प्रोटीन पाया जाता है।
Structure -प्रोटीन कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन से बने होते हैं,
अधिकांश प्रोटीनों में गंधक उपस्थित रहता है, कुछ प्रोटीनों में फॉस्फोरस, लोहा, ताम्बा तथा
आयोडीन भी रहता है।
जर्मन रसायनज्ञ ‘एमिल फिशर’ ने सन् 1900 में सर्वप्रथम प्रोटीन की संरचना निर्धारित
की थी। इनके अनुसार प्रोटीन अणु अमीनो अम्ल का बहुलक होता है जो कि लंबी शृंखलाओं
में एक-दूसरे के साथ coiled अवस्था में श्रृंखलित रहता है।
अमीनो अम्ल एक विशेष प्रकार का कार्बोक्सिलक अम्ल है, जिसमें-NH2 ग्रुप रहता
है जो कार्बोक्सिलक समूह -COOH से जुड़ा रहता है। सका साधारण सूत्र निम्न होता है-
जहाँ R= परिवर्तनशील विभिन्न अणुओं का समूह है।
जब दो अमीनो अम्ल एक साथ जुड़े रहते हैं तो एक के -COOH ग्रुप दूसरे के
-NH2 ग्रुप के साथ जुड़ते हैं तथा जल का एक अणु निकल जाता है इस बंधन को पेप्टाइड
बंधन एवं इस पदार्थ को डाइपेप्टाइड कहते है।
इसी प्रकार जब तीन अमीनो अम्ल रहते हैं तो टाइपेप्टाइड, एवं तीन से अधिक रहने
पर पॉलीपेप्टाइड कहते हैं। अतः अमीनो अम्ल का पॉलीपेप्टाइड ही प्रोटीन है, जिसे हम
निम्न प्रकार से प्रदर्शित कर सकते हैं।
H2N. CHR.CO (NH.CHR.CO)n NH. CHR.COOH
फिशर ने अनेक पेप्टाइड जैसे 15 ग्लिसरीन -CH2NH2COOH तथा 3 ल्यूसिन
C4H9CH (NH2) COOH इकाइयों से बना हुआ एक पॉलीपेप्टाइड का संश्लेषण किया
जिसका अणुसूत्र C48H80O19N18 था और जो अनेक दृष्टिकोण से प्रोटीन के सदृश है।
एक पॉलीपेप्टाइड में अमीनो अम्ल की संख्या भिन्न-भिन्न हो सकती है जैसे-एक
छोटा प्रोटीन इन्सुलिन में कम-से-कम 51 तथा एक बड़ा प्रोटीन जैसे मनुष्य का
Haemoglobin में 574 अमीनो अम्ल रहता है।
Classification of Proteins-प्राकृतिक प्रोटीनों को मुख्यत: दो वर्गों में बाँटा गया
है-(A)SimpleProtein-वैसे प्रोटीन जिनमें केवल अमीनो अम्ल की इकाइयाँ उपस्थित
होती हैं, इन्हें पुन: निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है-
(i) Albumin-यह जल में घुलनशील, ऊष्मा द्वारा स्कंदित अमोनिया सल्फेट द्वारा
अवक्षेपित हो जाता है। यह रक्त में, दूध में, अण्डों में और Castor seeds में मुख्यतः
पाया जाता है।
(ii) Globulin-जल में अविलेय एवं 5% NaCI में विलेय होता है। यह रक्त,
बीज एवं ऊतकों में मुख्य रूप में पाया जाता है।
(iii) Glutelins-जल में अविलेय लेकिन तनु अम्लों तथा क्षारों में विलेय होता है।
यह खाने योग्य बीजों में पाया जाता है।
(iv) Histone-जल में विलेय तथा क्षारों में अविलेय, मुख्यत: जन्तु ऊतकों में
पाया जाता है।
(v) Protamines: -जल में विलेय एवं अल्कोहल में अविलेय परिपक्व मछली के
शुक्राणुओं में पाया जाता है।
(vi) Prolamines-जल में अविलेयए 70-80% अल्कोहल में विलेय। यह तैलीय
पौधों के दोनों में पाया जाता है।
(vii) Scleroproteins-जल में अविलेय एवं सान्द्र अम्लों तथा क्षारों में विलेय
होता है। यह कैरोटिन बाल, नाखून तथा सींग में एवं कॉलॉजेन त्वचा एवं हड्डियों में पाया
जाता है।
(B) Conjugated Proteins-वैसा प्रोटीन जिनमें अमीनो अम्ल के अतिरिक्त अन्य
अवयव भी उपस्थित होते हैं। इन्हें निम्न वर्गों में बाँटा जाता है-
(i)Glycoprotein-इसमें अमीनो अम्ल के अलावे कार्बोहाइड्रेट उपस्थित रहता है।
यह अंडों के श्वेत भाग में जन्तुओं के कफ एवं लार में, म्यूसीन के रूप में पाया जाता है।
(ii)Nucleioprotein-इसमें अमीनो अम्ल के अलावे केन्द्रक अम्ल रहता है। यह सभी कोशिका के केन्द्रक में पाया जाता है।
(iii) Phasphoprotein – इसमें अमीनो अम्ल एवं फॉस्फोरिक अम्ल रहते हैं। यह
दूध में केसीन के रूप में एवं अण्डे में vitelline में पाया जाता है।
(iv)Chromoproteins इसमें अमीनो अम्ल के अतिरिक्त Fe,mg Co,Cu,Mn
इत्यादि पाया जाता है। यह हीमोग्लोबिन के क्लोरोफिल में, नेत्र के रेटिना इत्यादि में पायी
जाती है।
एन्जाइमों, अम्लों अथवा क्षारों द्वारा प्रभावित प्राकृतिक प्रोटीनों के रासायनिक अपघटक
द्वारा एक तीसरा प्रोटीन भी प्राप्त किया जाता है, जिसे Derivative Proteins कहते है।
इसके अन्तर्गत Protens, Peptones, Peptides एवं Proteases कहते हैं।
प्रोटीन का कार्य एवं जैविक महत्त्व (Functions of Protein and Biological
Importance)-(i) यह (Protoplasm) एवं कोशिकांग के निर्माण में सहायक होता है।
(ii) कभी-कभी प्रोटीन यकृत में रासायनिक परिवर्तन के जरिए वसा तथा कार्बोहाइड्रेट में
बदलकर ऊर्जा उत्पन्न करता है। (iii) विभिन्न प्रकार की जातियों एवं व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न
प्रकार के प्रोटीन पाये जाते हैं जो उन्हें Biochemical individuality प्रदान करता है।
(iv) कोशिका के वृद्धि एवं विभाजन में सहायक होता है। (v) सभी एन्जाइम्स प्रोटीन होते
है जो जैव उत्प्रेरक (Biocatalyst) का कार्य करते हैं। (vi) कुछ हार्मोन्स जैसे-इंसुलिन
एवं ग्लूकागॉन भी प्रोटीन होते है। (vii) प्रोटीन प्रतिपिण्ड (Antibody) का निर्माण कर
प्रतिरक्षी तंत्र को विकसित करता है। (viii) कोशिका झिल्ली का मुख्य घटक प्रोटीन होता है।
(ix) हीमोग्लोबिन भी एक प्रोटीन है जो ऑक्सीजन वाहक (oxygen carrier) का कार्य
करता है। (x) साइटोक्रोम एक लौहयुक्त प्रोटीन है जो इलेक्ट्रॉन वाहक का कार्य करता है।
8. कार्बोहाइड्रेट की रचना, वर्गीकरण और कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-प्रकृति में कार्बोहाइड्रेट कार्बनिक यौगिक के रूप में पाया जाता है, जो पादप,
जंतु सूक्ष्मजीवों सभी में वर्तमान रहता है। कार्बोहाइड्रेट मुख्यतः प्रकाश संश्लेषण के द्वारा ही
प्राप्त होते हैं, जो हमारे शरीर में ऊर्जा संरक्षक का कार्य करती है और अपचयित होने के
पश्चात् ऊर्जा उत्पन्न करती है।
रचना (Structures)-प्रारंभ में C,H और O युक्त यौगिक कार्बोहाइड्रेट समझे जाते
थे, लेकिन अनेक ऐसे भी कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिनमें S एवं N भी विद्यमान रहता है। अतः
जिसमें कम-से-कम एक OH ग्रुप एवं एक-CO- ग्रुप अथवा -CHO ग्रुप मौजूद रहता है
उस यौगिक को कार्बोहाइड्रेट कहते हैं।
जिस कार्बोहाइड्रेट में एल्डिहाइड ग्रुप रहते हैं उसे एल्डोज (Aldose) एवं जिसमें किटोन
ग्रुप रहते हैं उसे Ketose कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट के नाम के अन्त में -ose जुड़ा रहता है।
जैसे-ग्लूकोज, फ्रक्टोज, लैक्टोज इत्यादि। कार्बोहाइड्रेट का मूलानुपाती सूत्र (Emperical
Formula) (CH2O)n होता है। जहाँ n = 3 या अधिक।
वर्गीकरण (Classification)-कार्बोहाइड्रेट को मुख्यत: तीन वर्गों में वर्गीकृत किया
जाता है-
(i) Monosaccherides-यह सरलतम कार्बोहाइड्रेट है। इसका जल अपघटन नहीं
किया जा सकता है। इसका साधारणसूत्र Cn(H2O)n होता है। कार्बन परमाणु की संख्या के
आधार पर इसे निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
(6) Triose-C3H6O3, Ex-Glyceraldehyde
(b) Tetrose-C4H8O4, Ex-Erythrose
(e) Pentose-C5H10O5, Ex-Ribose, Zylose etc.
(d) Hexose-C6H12O6, Ex-Glucose, Fructose, Galactose
(e) Heptose-C7H14O7 Ex-Manoheptulose.
उपर्युक्त Monosaccharides में Hexose सबसे अधिक प्राप्य है जो मुख्यत: फलों
जन्तुओं एवं रक्त में अधिक पाया जाता है। पेन्टोज भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह DNA में
पाया जाता है।
(ii) Oligosaccharides-इनका निर्माण Monosaccharides के जल अपघटन
से होता है इसके अंतर्गत निम्न कार्बोहाइड्रेट आते है-
(a) Disaccharides-Succrose (C12H22O11) Maltose, Lactose.
(b) Trisaccharides-Raphinose (C18H32O16) It have Galactose, Glucose
and Fructose.
(c) Tetrasaccharides-Stakiose इसका निर्माण दो गैलेक्टोज एक ग्लूकोज एवं
एक फ्रक्टोज से होता है।
(3) Polysaccharides- इसमें कई Monosaccharides अणु वर्तमान रहते हैं।
इसकी उत्पत्ति वनस्पतियों से होती है। इसका साधारणसूत्र (C6H10O5)n होता है।
जैसे-स्टार्च-सभी अनाजों, आलू तथा अनेक वनस्पतियों में।
ग्लाइकोजेन-जंतु शरीर में रहता है तथा जल में घुलनशील होता है।
सेलूलोज-पादप कोशिका की भित्ति में, जल में अधुलनशील।
काइटिन-कीटों, कस्टेशियन इत्यादि के बाह्य कंकालों में।
कार्य-(i) ग्लाइकोजेन में परिवर्तित होकर यकृत में संचित रहता है। (ii) वसा में
रूपांतरित होकर भी ऊतकों में जमा रहता है। (iii) ऊर्जा मुक्ति के लिए भी इसका अपचयन
होता है। (iv) जीवद्रव्य (Protoplasm) के 1-2% भाग का निर्माण करता है। (v) सेलूलोज
के द्वारा कोशिकाभित्ति का निर्माण। (vi) काइटिन द्वारा कीटों के बाह्यकंकाल का निर्माण।
9. वसा की रचना, वर्गीकरण और कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-वसा ग्लिसरॉल और वसीय अम्ल का एस्टर होता है। इसमें कार्बन, हाइड्रोजन
और ऑक्सीजन विभिन्न मात्राओं में मौजूद रहते हैं। पाचन क्रिया के फलस्वरूप वसा फिर
से ग्लिसरॉल और वसीय अम्ल में बदल जाती है और ऊर्जा मुक्त होती है। एक ग्राम वसा
के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप 9.3kcal ऊर्जा प्रदान करती है।
प्रकृति में वसा ठोस रूप में पायी जाती है। द्रव अवस्था में इसे तेल कहते हैं। यह जल
में अघुलनशील बेंजीन और पेट्रोल में अघुलनशील होता है।
वसा प्रकृति में दूध, विभिन्न प्राणियों के वसीय मांस, मछलियों के तेल के रूप में और
ह्वेल की त्वचा के नीचे ब्लबर के रूप में पायी जाती है। अनेक जन्तुओं में वसा ऊतकों में
महीन बूंँदों के रूप में जमा रहता है।
रचना (Structure)-शर्करा की तरह वसा का निर्माण भी H.O और कार्बन के
मिलने से होता है किन्तु इसमें इनका अनुपात शर्करा से भिन्न होता है।
वसा पामिटिक अम्ल (C15H31COOH) जैसे लम्बी श्रृंखला वाले कार्बनिक अम्लों के
साथ ग्लिसरॉल का ट्राइएस्टर है। ग्लिसरॉल के ट्राइएस्टर सामान्य रूप से ग्लिसराइड
कहलाते हैं।
कार्बनिक (फैटी) अम्ल में एक – CH3 ग्रुप के साथ अनेक -CH2 तथा अन्त में एक
-COOH समूह जुड़े रहते हैं। इसका सामान्य सूत्र है -CH3-R-COOH जिसमें R =
(CH2)n
Classification-वसा को साधारणत: तीन वर्गों में विभक्त किया जाता है-
Simple Compound and Derived Lipid.
(A) साधारण वसा (Simple Lipids) – साधारण वसा फैटी अम्ल एवं अल्कोहल
का मिश्रण है। इसके अन्तर्गत तेल एवं मोम आते हैं।
तेल (Oil)-वनस्पति ऊतकों बीजों, फलों इत्यादि में पाया जाता है, इसका निर्माण
फैटी एसिड के साथ ग्लिसरॉल के मिलने से होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व एक-से-कम
होता है। अत: जल के उपर तैरते रहता है।
वसा या तेल दो प्रकार का होता है-
(i) संतृप्त वसा (Saturated Lipid)-(i) इसका गलनांक उच्च होता है। (ii) सामान्य
ताप पर ठोस हो जाते हैं एवं त्वचा के नीचे संचित रहते हैं। (iii) असंतृप्त वसा की तुलना
में कम क्रियाशील होते हैं। (iv) जब फैटी अम्ल के अणुओं के बीच द्विबंधन नहीं पाया जाता
है तो वह वसा संतृप्त होता है, जैसे-मक्खन, वनस्पति तेल, घी इत्यादि।
(ii) असंतृप्त (Unsaturated)-(i) जब फैटी अम्ल के अणुओं के बीच 1 या 2
Bond पाया जाता है। (ii) इसका गलनांक कम होता है। (iii) यह सामान्य ताप पर तरल
होता है। (iv) अत्यधिक क्रियाशील होता है। जैसे-सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, दूध,
जैतून का तेल इत्यादि।
मोम (War)-यह भी एक प्रकार का साधारण वसा है, जिसमें फैटी अम्ल एवं उच्च
अणुभार वाले अल्कोहल रहते हैं।
(B) संयुक्त वसा (Compound Lipid)-वैसा वसा जिसमें फैटी अम्ल एवं
अल्कोहल के साथ अन्य पदार्थ जैसे-P,N,S तथा प्रोटीन मिले रहते हैं। यह मुख्यत: चार
प्रकार का होता है।
(i) Phospholipid-जब फॉस्फोरस उपस्थित रहता है।
यह भी तीन प्रकार का होता है-
(a) Lecithin-यह मधुमक्खी एवं साँप के विष में पाया जाता है। यह वसा के
परिवहन एवं संश्लेषण में भाग लेता है।
(b) Cephalins-यह Thromboplastin नामक Lipoprotein का महत्त्वपूर्ण
घटक है जो रक्त को जमने में मदद करता है। यह जन्तु ऊतकों में लेसिथिन के साथ पाया
जाता है।
(c) Plasmalogens-यह मस्तिष्क एवं पेशी में तथा उच्च पादपों में पाया जाता है।
(ii) Glycolipid-जब अतिरिक्त पदार्थ के रूप में Galactose शर्करा रहता है।
यह तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue) में अधिक पाया जाता है।
जैसे-Cerebrocides-मस्तिष्क में। Gangliocides-Nerve Ganglions में।
(iii) Sulpholipids-यह cerebrocides जैसा होता है लेकिन इसमें शर्करा के
बदले H2SO4 मिला रहता है।
(iv) Lipoproteins-जब वसा के साथ प्रोटीन उपस्थित रहे, यह कोशिका झिल्ली
का प्रधान घटक है।
व्युत्पन्न वसा(Derived Fats) – साधारण एवं संयुक्त वसा के जल अपघटन
के द्वारा एक तीसरा वसा प्राप्त किया जाता है जिस व्युत्पन्नवसा (Derived Fats) कहते हैं।
ये साधारण अथवा संयुक्त वसा का व्युत्पन्न है जिसमें एक OH ग्रुप रहता है। यह कई
प्रकार का होता है -sterols, steroids एवं vitaminsA,D,E एवं K तथा पौधों एवं जन्तुओं
के कुछ वर्णक (Pigments)।
Sterols एवं Steroids ये दोनों मोम जैसे ठोस पदार्थ है जो कोशिका झिल्ली एवं अन्य
कोशिकांग में उपस्थित रहता है।
Sterols-Ex-cholesterol (जंतु में) एवं Argosteral (पौधों में) cholesterol
सभी कशेरुकी (vertebrates) के मस्तिष्क, रीढ़ रज्जू में मिलता है। इससे (Gallbladder)
पित्ताशय में पत्थर बनता है तथा (Artery) धमनी की भित्ति मोटी हो जाती है, जिसे
Arteriosclerosis कहते हैं।
Steroids-इसके अन्तर्गत पित से स्रावित cholic Acid एवं एड्रिनल कॉर्टेक्स से
स्रावित निम्नलिखित हॉर्मोन आते हैं-
Progesterone, Estrogen, Testosterone cortisol and Aldosterone.
वसा का जैविक महत्त्व (Functions biological importance of Lipid)-(i) यह
मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक ग्राम वसा के पूर्ण ऑक्सीकरण से लगभग
9.3k. cal या 37KJ उर्जा उत्पन्न होती है। (ii) यह उष्मारोधी (Heat Insulater) का भी
कार्य करता है। (iii) यह वसा में घुलनशील विटामिन A,D,E एवं K के लिए विलायक
(Solvent) का कार्य करता है। (iv) यह परिवर्तित होकर विटामिन तथा स्टीरॉइड्स का निर्माण
करता है। (v) प्रोटीन के साथ मिलकर Lipoprotein बनाता है जो कोशिका झिल्ली एवं
अनेक कोशिकांगों (cell organelles) का मुख्य घटक होता है। (vi) यह संचित भोज्य
पदार्थ के रूप में शरीर में जमा रहता है।
(vii) यह हमारे रक्त, मस्तिष्क, पेशियों इत्यादि में भी उपस्थित होता है।
इसकी अधिकता हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है। इसी कारण से इसे ‘भोजन
का खलनायक’ माना जाता है। इससे कई बीमारियाँ होती हैं जैसे-मोटापा, हृद्याघात (Heart
attack) इत्यादि।
10. DNA की रचना एवं कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-DNA (Deoxy Ribo Nucleic Acid)-DNA सजीवों का सबसे अधिक
महत्त्वपूर्ण रासायनिक यौगिक है जो कोशिका तथा पूर्ण जीव के आनुवांशिक लक्षणों को एक
पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है, अर्थात यह आनुवांशिकता का रासायनिक आधार है।
उपस्थिति (Occurence)-कुछ virus को छोड़कर सभी सजीवों में DNA पाया जाता
है। मुख्यतः यह केन्द्रक में पाया जाता है। इसके अलावे. यह माइटोकांँड्रिया तथा लवक
(Plastids) में भी पाया जाता है। Prokaryotics में DNA स्वतंत्र रूप से पाया जाता है
किन्तु Eukaryotes में प्रोटीन से जुड़कर Nucleoprotein के रूप में मिलता है। कुछ जीव
जैसे-पैरामीसियम, अमीबा, एम्फीबिया तथा फर्न में DNA अणु Cytoplasmic matrix
में भी मिलता है।
आकार (Shape)-Eukaryoticcell के केन्द्रक में DNA कुंडलित धागा जैसी किन्तु
Prokaryotic cells माइटोकॉड्रिया एवं लवक में DNA अणु वृत्ताकार होते हैं।
Size-DNA अणु का परिमाण हरेक जाति में भिन्न-भिन्न होता है। माइटोकाँड्रिया
के DNA अणु का परिमाण 5 micron होता है। वाइरस के DNA अणु की लंबाई कई Micron
होती हैं। Eukaryotic cells का DNA अणु कई इकाइयों में बँटा रहता है जिनमें से प्रत्येक
एक-एक क्रोमोसोम का निर्माण करती है।
DNA की रासायनिक संरचना और रचना-DNA बहुत अधिक अणुभार वाला
बृहत जटिल रासायनिक यौगिक है जो अनेक अपेक्षाकृत छोटे-छोटे अणुओं के जुड़ने से
बनता है। इसका अणुभार 50 से 100 लाख तक हो सकता है। वाटसन और क्रिक (1953)
के अनुसार DNA अणु Nucleotids युग्मों की एक लम्बी श्रृंखलाओं से निर्मित होता है,
जिसकी संख्या लगभग 2 लाख तक होती है।
DNA के Nucleotides में Deoxyribase sugar. phashoric Acid तथा चार
प्रकार के Nitrogenous base पाये जाते हैं।
Watson and crickmodel of DNA-Watsonand crick ने 1953 में DNA
का मॉडल तैयार किया जिसके अनुसार DNA की रचना निम्नलिखित होती है-
(i) DNA में Nucleotides की दो लंबी कड़ियाँ होती हैं जो एक दूसरे के चारों ओर
सर्पिल रूप से कुंडलित होती है, जिससे एक गहरी तथा एक छिछली खाई बन जाती है।
(ii) कड़ी में एक Turn 34A° का होता है, प्रत्येक Turn में दस (10) Nucleotides
होते हैं। इसलिए दो Nucleotides के बीच 304A° की दूरी होती है। तथा DNA की चौड़ाई
20A° होती है।
(iii) प्रत्येक कड़ी में Deoxyribosesugar एवं फॉस्फेट ग्रुप एकांतर क्रम में व्यवस्थित
रहते हैं। Deoxyribose के साथ Purine या Pyrimidine का एक Base लगा रहता है।
(iv) एक कड़ी का Purine base दूसरे के Pyrimidine base के साथ युग्मित होता
है और दोनों Hydrogen-bond से जुड़े रहते हैं।
(v) Adenine हमेशा Thymine के साथ Double bond द्वारा 6 एवं 1 के स्थान
पर तथा Guanine हमेशा cytosine के साथ Triple bond द्वारा 6,1, एवं 2 स्थानों पर
युग्मित होते हैं।
(vi) Deoxyribose का 1 नंबर कार्बन
परमाणु Pyrimidine base के 3 नंबर के
साथ तथा Purine के 9 नंबर के साथ युग्मित
होते हैं।
(vii) प्रत्येक फॉस्फेट ग्रुप एक
Deoxyribose के 3 नंबर कार्बन परमाणु तथा
दूसरे Deoxyribose के 5 नंबर कार्बन
परमाणु के साथ जुड़ा रहता है। एक कड़ी का
3 नंबर कार्बन दूसरे कड़ी के 5 नंबर कार्बन
के संगत होता है।
(viii) DNA अणु के दोनों कड़ियों के
Base polring के आधार पर यह कहा जाता
है कि दोनों कड़ी एक दूसरे के समरूप नहीं
होती बल्कि पूरक होती है। इस प्रकार अगर
DNA अणु की एक कड़ी किसी विशेष खंड
में Adenine, Cytosine, Thymine,
Guanine है तो दूसरी कड़ी के अनुरूप क्षेत्र
(corresponding Region) में Thymine,
Guanine Adenine. Cytosine होगा। दोनों कड़ियों के बीच इस प्रकार के सारक युग्मक
का अर्थ होता है कि उनके फॉस्फेट शर्करा बंध एक दूसरे की विरुद्ध होते हैं।
अधिकांश पौधे एवं जन्तुओं में DNA की आधारभूत संरचना समान होती है किन्तु
उनमें Nitrogenous base की मात्रा एवं सजावट में भिन्नता होती है। DNA के चार-क्षारकों
को दुनिया का वर्णमाला समझा जा सकता है, क्योंकि DNA अणु में इनका sequence
अनेक आनुवांशिक सूचनाओं के संकेत (codes) का निर्माण करते है और एक पीढ़ी से दूसरे
पीढ़ी में वंशागत होते है। इन क्षारकों के क्रम में कोई भी परिवर्तन होने पर जीव के लक्षण में
परिवर्तन हो जाता है।
                                             वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. कैल्सियम की आवश्यकता होती है, किसलिए-
(क) रक्त का थक्का बनना
(ख) अस्थि निर्माण
(ग) पेशी संकुचन
(घ) ये सभी                                  उत्तर-(घ)
2. Nucleoside का निर्माण होता है-
(क) फॉस्फेट एवं नाइट्रोजनयुक्त क्षार (ख) पेटोज सुगर एवं फॉस्फेट
(ग) पेंटोज सुगर एवं ग्लूकोज (घ) पेंटोज सुगर नाइट्रोजनयुक्त क्षार
                                                उत्तर-(घ)
3. लौह तत्व (Iron) की अधिक मात्रा किसमें पायी जाती है-
(क) प्रोटीन
(ख) अस्थि कोशिका
(ग) ल्यूकोसाइट
(घ) इरिथ्रोसाइट                               उत्तर-(घ)
4. केन्द्रक अम्ल (Nucleic acid) का आधारीय इकाई (Basic unit) है-
(क) सुगर
(ख) न्यूक्लियोटाइड
(ग) फॉस्फोरिक अम्ल
(घ) नाइट्रोजन युक्त क्षार                       उत्तर-(ख)
5. ग्लाइकोजेन किसका बहुलक होता है-
(क) गैलेक्टोज
(ख) ग्लूकोज
(ग) सुक्रोज
(घ) फ्रक्टोज                                        उत्तर-(ख)
6. सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाला प्रोटीन है-
(क) ग्लाइसिन
(ख) वैलिन
(ग) कोलाजेन
(घ) आरजिनिन                                     उत्तर-(ग)
7. लैक्टोज (Lactose) में रहता है-
(क) फ्रक्टोज +फ्रक्टोज (ख) ग्लूकोज + फ्रक्टोज
(ग) ग्लूकोज + ग्लूकोज (घ) ग्लूकोज + ग्लेक्टोज
                                                              उत्तर-(घ)
8. फलों में पाया जाने वाला सामान्य शर्करा होता है-
(क) फ्रक्टोज
(ज) लैक्टोज
(ग) इरिथ्रोज
(घ) ग्लूकोज                                               उत्तर-(क)
9. इनमें से कौन जैव उत्प्रेरक (Biocatalyst) कहलाता है?
(क) प्रोटीन
(ख) ग्लूकोज
(ग) डी. एन. ए.
(घ) एंजाइम                                                उत्तर-(घ)
10. प्रोटीन किसका बहुलक होता है-
(क) अमीनो एसिड
(ख) ल्यूसीन
(ग) लेसिथिन
(घ) कोई नहीं                                             उत्तर-(क)
11. ऊर्जा का मुख्य स्रोत है-
(क) विटामीन
(ख) वसा
(ग) कार्बोहाइड्रेट
(घ) प्रोटीन                                                उत्तर-(ग)
12. प्राकृतिक सिल्क तंतु है-
(क) पॉलिएस्टर
(ख) पॉलीसैकेराइड
(ग) पॉलीएमाइड
(घ) पॉलिएसिड                                         उत्तर-(ग)
13. एंजाइम किसका बहुलक होता है?
(क) ग्लूकोज
(ख) अमीनो अम्ल
(ग) वसा
(घ) कोई नहीं                                         उत्तर-(ख)
14. कीटों के वाद्य कंकाल में पाया जाता है-
(क) काइटिन
(ख) सेलूलोज
(ग) प्रोटीन
(घ) कैल्सियम                                          उत्तर-(क)
15. अमीनो अम्ल का निर्माण किससे होता है?
(क) प्रोटीन
(ख) वसीय अम्ल
(ग) कीटो अम्ल
(घ) वोलाटाइल एसिड                                 उत्तर-(ग)
16. कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है-
(क) वसा
(ख) प्रोटीन
(ग) जल
(घ) सेलूलोज                                              उत्तर-(ग)
17. ग्लूकोज है एक-
(क) किटोज हेक्सोज सुगर
(ख) एल्डोज हेक्सोज सुगर
(ग) पायरोनोज पेंटोज सुगर
(घ) फुरानोज पेंटोज सुगर                            उत्तर-(ख)
18. सेलुलोज किसमें पाया जाता है-
(क) कोशिका भित्ति
(ख) कोशिका झिल्ली
(ग) कोशिका इंटेरियर
(घ) फ्रक्टोज                                             उत्तर-(क)
19. स्टार्च किसका बहुलक होता है-
(क) माल्टोज
(ख) सुक्रोज
(ग) ग्लूकोज
(घ) फ्रक्टोज                                             उत्तर-(ग)
20. फफूंदी की कोशिका झिल्ली में पाया जाने वाला वसा है-
(क) कोलेस्टेरॉल
(ख) इरोस्टेरॉल
(ग) मोम
(घ) पामिटिक अम्ल                                  उत्तर-(क)
                                            □□□

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *