bihar board 11 biology solutions | पाचन एवं अवशोषण
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इकाई-5: मानव शरीर विज्ञान
(UNIT 5 : HUMAN PHYSIOLOGY)
(DIGESTION AND ABSORPTION)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
1. मनुष्य में पाचनतंत्र से जुड़ी ग्रंथियों का नाम बतायें।
उत्तर-लार ग्रांथि (Salivary Gland), यकृत (Liver) एवं अग्नाशय (Pancreas)।
2. मनुष्य के आहारनाल के किस भाग में पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है?
उत्तर-छोटी आंत के इलियम के विलाई द्वारा
3. मनुष्य का दंतसूत्र बताइए। [N.C.E.R.T. (Q.6)]]
4. एक जंतु शर्करा (Animal Starch) का नाम बतायें।
उत्तर-ग्लाइकोजेन।
5. छोटी आंत की भित्तियों में पायी जानेवाली अंगुलीनुमा उभारों को क्या कहा
जाता है?
उत्तर-विलाई (Villi)
6. पाचनतंत्र के साथ जुड़ी एक ऐसी ग्रंथि जो बाह्य स्रावी और अंत:स्रावी दोनों हैं, का
नाम वताएँ?
उत्तर- अग्नाशय (Pancreas)।
7. अग्नाशय के अंतःस्रावी भाग से निकलने वाले दो हॉर्मोनों के नाम बतायें।
उत्तर-इंसुलिन एंव ग्लूकागॉन।
8. जीभ (Toungue) मुखगुहा के आधार से किस रचना द्वारा जुड़ा होता है?
उत्तर-फ्रैनलुम (Frenulum)।
9. भोजन का अंतिम पाचन कहाँ होता है?
उत्तर-छोटी आंँत में।
10. लार में उपस्थित कौन-सा पदार्थ जीवाणुओं के संक्रमण को रोकता है?
उत्तर-लाइसोजाइम।
11. अपचित एवं अनावशोषित पदार्थ आहार नली के किस भाग में जमा रहते हैं?
उत्तर-बड़ी आंत में।
12. अमाशय में पाचन के बाद भोजन लेई जैसा गाढ़ा हो जाता है उसे क्या कहा
जाता है?
उत्तर-काइम (Chyme)।
13. पायसीकरण (Emulcification) क्या है?
उत्तर-लाइपेज द्वारा वसा को सरल अणुओं में परिर्वतन को पायसीकरण कहते हैं।
14. विलाई में पायी जाने वाली एक बड़ी लसिका वाहिनी को क्या कहा जाता है?
उत्तर-लैक्टियल (Lacteal) वाहिनी।
15. अग्नाशय कहां उपस्थित होता है?
उत्तर-अमाशय एवं ग्रहणी (Dudenum) के बीच में।
16. यकृत (Liver) के भीतर उपस्थित एक अंडकार रचना क्या कहलाती है?
उत्तर-पिताशय (Gall bladder)।
17. छोटी आंत की म्यूकोसा स्तर विलाई के आधारों पर धंसकर जिस रचना का निर्माण
करती है उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर-लीबरकुन-प्रगुहिका (Crypts of Liberkuhn)।
18. मनुष्य में पायी जानेवाली लार ग्रथियों का नाम बतायें।
उत्तर-पैरोटिडग्रंथि, अधोभ (Submandibular) ग्रंथि एवं अधोजिह्वा
(sublingnal) ग्रंथि।
19. मानव शरीर का सबसे कड़ा भाग होता है?
उत्तर-दांतों का एनामेल।
20. दुग्ध प्रोटीन का पाराकॉसिनेट (Paracaseinate) में परिर्वतन किस एंजाइम द्वारा
होता है?
उत्तर-रेनिन।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. स्तंभ का स्तंभ II के साथ मिलान करें। [N.C.E.R.T. (Q.12)]
स्तंभ स्तंभ II
(i) बिलिरुबिन एवं विलिवर्डिन (a) पैरोटिड
(ii) मंड (स्टार्च) का जल अपघटन (b) पित्त
(iii) वसा का पाचन (c) लाइपेज
(iv) लारग्रंथि (d) एमाइलेज
उत्तर-(i)-(b); (ii)-(d); (iii)-(c); (iv)-(a)
2. संक्षेप में उत्तर दें- [N.C.ER.T. (Q.3)]
(क) अंकुर (villi) छोटी आंत में होते हैं, आमाशय में क्यों नहीं?
उत्तर-पचे हुए भोजन का अवशोषण छोटी आंत में ही होता है आमाशय में नहीं।
अंतः अवशोषी क्षेत्र को बढ़ाने के लिए छोटी आंत में अंकुर पाया जाता है।
(ख) पेप्सिनोजेन अपने सक्रिय रूप में कैसे परिवर्तित होता है?
उत्तर-HCI पेप्सिनोजेन को सक्रिय रूप में परिवर्तित कर देता है।
(ग) आहारनाल की दीवार के मूलस्तर क्या है?
उत्तर-आहारनाल की दीवार में ग्रसिका से मलाशय तक चार स्तर होते हैं-सिरोसा,
मस्कुजारस, सबम्यूकोसा और म्यूकोसा।
(घ) वसा के पाचन में पित कैसे मदद करता है?
उत्तर-पित (Bile) काइम (अमाशय में पचा भोजन) के साथ मिलकर अम्लीयता को
समाप्त करता है और वसा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है इस क्रिया को पायसीकरण
कहते हैं।
3. प्रोटीन पाचन में अग्नाशयी रस की भूमिका स्पष्ट करें। [N.C.E.R.T. (Q.4)]
उत्तर-जैसे ही अमाशय में पचा हुआ भोजन ग्रहणी में पहुँचता है इसकी भित्तियों से
कई हॉर्मोन निकलते हैं, इनमें से सेक्रेटीन एवं पैंक्रियोजाइमिन रक्त प्रवाह के जरिए अग्नाश्य
में पहुंँचकर इसके ग्रंथि को सक्रिय करता है जिससे अग्नाशयी रस ग्रहणी में पहुँचता है।
अग्नाशयी रस में कई पाचक एंजाइम रहता है जिसमें Trypsinogen एवं Chymo-
trypsinogen उपस्थित रहता है। TrypsinogenEnterokinase की सहायता से Trypsin
में एवं chymotrypasinogen, chymotrypsin में बदल जाता है ये दोनों प्रोटीन, पेप्टोन
एवं प्रोप्टियोजेज को डायपेप्टाइड में बदल देता है।
4. अमाशय में प्रोटीन के पाचन की क्रिया का वर्णन करें। [N.C.E.R.T.(Q.5)]
उत्तर-गैस्ट्रिक ग्रंथियों से HCI, पेप्सिनोजीन तथा रेनिन नामक एंजाइम निकलता है।
HCI पेप्सिनोजीन को पेप्सिन में बदल देता है।
अमाशय के अम्लीय माध्यम में पेप्सिन; प्रोटीन को पेप्टोन और प्रोटिएजजे में, रेनिन्द्रा
दुग्ध प्रोटीन को केसिन में परिवर्तित कर देता है।
पेप्सिन + सामान्य प्रोटीन → पेप्टोन एवं प्रोटिएजेज
रेनिन + दुग्ध प्रोटीन → केसिन
5. पित्त रस में कोई पाचक एंजाइम नहीं होते, फिर भी यह पाचन के लिए महत्वपूर्ण
है, क्यों? [N.C.E.R.T. (Q.7]
उत्तर-यकृत के बीच में अंडाकार रचना पित्ताशय (Gall bladder) उपस्थित होता
है, पित्त रस इसी से स्रावित होता है। इसमें कोई पाचक एंजाइम नहीं पाये जाते परंतु इसमें
पित्त वर्णक विलिरुबिन एवं विलिवर्डिन, पित्त लवण, कोलेस्टेरॉल एवं फॉस्फोलिपिड पाये
जाते हैं। पित्त वसा को इमल्सीकरण में मदद करता है और उसे बहुत छोटे मिसेल कणों में
तोड़ता है। पित्त वसा का पाचक एंजाइम लाइपेज को भी सक्रिय करता है।
6. पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका का वर्णन करें। जिस ग्रंथि में यह स्रावित होता
है, इसी श्रेणी के दो अन्य एंजाइम कौन से हैं? [N.C.E.R.T.(Q.8)]
उत्तर-काइमोट्रिप्सिन अग्नाशय से निकलने वाला एंजाइम है जो प्रोटीन को पचाकर
डायपेप्टाइड में परिवर्तित कर देता है। इसी श्रेणी के दो अन्य एंजाइम हैं-ट्रिप्सिनोजेन
प्रोकार्बोक्सीपेप्टिडेज
7. पॉलिसैकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन कैसे होता है? [N.C.E.R.T.(Q.9)]
उत्तर-काइम के कार्बोहाइड्रेट अग्नाशयी एंजाइम द्वारा जलअपघटित होने से
पॉलिसैकेराइड एवं डाइसैकेराइड का पाचन होता है
8. यदि अमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव नहीं होगा तो क्या होगा?
उत्तर-आमाशय की जठर ग्रंथियों में तीन प्रकार की कोशिकाएं होती हैं-म्यूसीन
कोशिकाएं, जाइमोजेन कोशिकाएँ एवं ऑक्सिन्टिक कोशिकाएँ। इनमे से ऑक्सिन्टिक
कोशिकाएंँ हाइड्रोक्लोरिक अम्ल स्रावित करती हैं। HCI पेप्सिनों के लिए उचित माध्यम तैयार
करता है जो प्रोटीन का पाचन करता है। HCI भोजन के साथ आने वाले जीवाणुओं को भी
नष्ट करता है। अतः HCI का स्राव नहीं होने से उपयुक्त दोनों कार्य बाधित हो जाएँगे जिससे
पाचन प्रक्रिया गड़बड़ हो जाएगी।
9. गर्तदंती (Thecodont) और द्विवारदंती (Diphyodont) शब्दों की व्याख्या करें।
[N.C.E.R.T. (Q.13)]
उत्तर-मुखगुहा में कई दांत होते हैं। प्रत्येक दांत जबड़ में बने एक सांचे में स्थित
होता है। इस तरह की व्यवस्था को गर्तदंती (Thecodont) कहते हैं।
मनुष्य सहित अधिकांश स्तनधारीयों के जीवन काल में दो तरह के दांत आते हैं-अथायी
दांत समूह अथवा दूध के दांत जो वयस्कों मे स्थायी दांतों से प्रतिस्थापित हो जाते हैं। इस
तरह की दत्त की व्यवस्था को द्विबार दंती (Diphyodont) कहते है।
10. विभिन्न प्रकार के दांतों के नाम और एक व्यस्क मनुष्य में दांतों की संख्या बतायें।
[N.C.ER.T.(Q.14)]
उत्तर-व्यस्क मनुष्य में 32 स्थायी दांत होते है, जिनके चार प्रकार होते हैं-कृन्तक
(Inscisor), रदनक (Canine) अग्रचवर्णक (Premolar) एवं चवर्णक (molar)।
एक ओर हनु में विभिन्न प्रकार के दंत विन्यास और
दूसरी ओर हनु-गर्तिकाओं को दर्शाते हुए।
2123
दांतों की संख्या को निम्न दंतसूत्र से सूचित किया जाता है- ————x2
2123
11. यकृत के क्या कार्य हैं? [N.C.E.R.T.)
उत्तर-यकृत के निम्नलिखित कार्य हैं-(i) यकृत के भीतर पिताशा पाया जाता
है, जिससे निकलने वाला पित-वसाओं का पायसीकरण करता है। (ii) आंत के भीतरी भाग
का को क्षारीय बनाता है। (iii) ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में बदलकर सुरक्षित भोजन के
रूप में जमा रखता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे पुनः ग्लूकोज में बदल देता है। (iv) यकृत
की कफर (Kuffer’s) कोशिकाएँ जीवाणुओं तथा पुराने R.B.C.का भक्षण करती हैं। (v)
भ्रूणावस्था में R.B.C. का निर्माण करता है। (vi) यह Detoxification (निराविसीकरण) में
भी सहायक होता है।
12. स्वांगीकरण क्या है? यह कैसे होता है?
उत्तर-पचे हुए एवं अवशोषित भोज्य पदार्थ का ऊतकों में पहुँचकर विभिन्न क्रियाओं
द्वारा जीवद्रव्य एवं ऊर्जा के निर्माण की प्रक्रिया को स्वांगीकरण कहते हैं।
यह निम्न प्रकार से होता है-
(i) कार्बोहाइड्रेट का स्वांगीकरण-इसके ऑक्सीकरण में ऊर्जा मुक्त होती है और
इसकी मात्रा अधिक हो जाने पर ग्लाइकोजेन के रूप में यकृत में जमा हो जाता है।
(ii) वसा का स्वांगीकरण-यह भी ऑक्सीकृत होकर उर्जा देता है और वसा अम्ल
और ग्लिसरॉल पुनः जुटकर वसा बनाता है, जो वसीय ऊतक में जमा रहता है।
(iii) अमीनो अम्ल का स्वांगीकरण-यह वृद्धि, टूट-फूट की मरम्मत एवं एंजाइम
के संश्लेषण में सहायक होता है। इसके डीएमिनेशन से नाइट्रोजन यौगिक बनता है।
13. अग्नाशय, अग्नाशयिक नली एवं पित्तनली की स्थिति को दर्शाते हुए नामांकित चित्र
बनायें।
उत्तर-
14. विलाई क्या है? कार्य भी बतायें।
उत्तर-
अंकुर दर्शाते हुए क्षुद्रांत्र म्यूकोसा का एक भाग
छोटी आंत की आंतरिक दीवार में अंगलीनुमा उभारें पायी जाती हैं, जिन्हें विलाई कहा
जाता है। आंत में लगभग 5 मिलियन विलाई पाये जाते हैं।
ये छोटी आंत की अवशेषी सतह को लगभग 600 गुना अधिक बढ़ा देते हैं। प्रत्येक
विलाई का निर्माण स्तंभाकार एपिथिलियस ऊतक के द्वारा होता है, जिसमें रक्तकोशिकाएँ
तथा लसिका वाहिनी उपस्थित होती है।
15. लार क्या है? इसके कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-लार, लार ग्रंथियों से स्रावित होनेवाला नम एवं लसदार पदार्थ है। इसमें श्लेष्म,
जल तथा टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता है। मनुष्य में तीन जोड़ी लार ग्रंथियां पायी
जाती हैं, इसी से लार स्रावित होता है-
लार के कार्य-(i) यह भोजन को नम व लसदार बना देता है जिसमें भोजन को चबाने
और निगलने में सहायता मिलती है। (ii) लार में उपस्थित टायलिन एंजाइम उदासीन माध्यम
में स्टार्च को माल्टेज में परिवर्तित कर देता है।
स्टार्च + टायलिन → माल्टेज + डेक्सट्रीन
16. अग्नाशय (Pancreas) का भोजन के पाचन में क्या भूमिका है?
उत्तर-भोजन के पाचन के लिए अग्नाशय से अग्नाशय रस निकलता है जिसमें
इमाइलेज, ट्रिप्सिन एवं लाइपेज नाम एंजाइम निकलता है, जो निम्न प्रकार से भोजन का
पाचन करता है-
(i) एमाइलेज स्टार्च तथा ग्लाइकोजेन को माल्टेज में बदल देता है।
स्टार्च + एमाइलेज →माल्टेज
(बहुशर्करा) (द्विशर्करा)
(ii) ट्रिप्सिन–क्षारीय माध्यम में प्रोटीन को पोटीओजेज तथा पेप्टोन में बदल देता है।
प्रोटीन + ट्रिप्सिन → प्रोटीओजेज + पेप्टोन
(ii) लाइपेज पायसीकृत वसा को अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है।
वसा + लाइपेज → वसा अम्ल
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. आपके द्वारा खाए गए मक्खन का पाचन और उसका शरीर में अवशोषण कैसे
होता है? विस्तार से वर्णन करें। [N.C.E.R.T.] उत्तर-मक्खन एक प्रकार का वसा है वसा का पाचन हमारे शरीर में निम्न प्रकार से
होता है-(i) अमाशयिक रस में उपस्थित लाइपेज वसा को ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल में
बदल देता है। (ii) पित्त वसा के इम्ल्सीकरण में सहायक होता है अर्थात् उसे बहुत छोटे
मिसेल कणों में तोड़ता है। (iii) अग्नाशयिक रस में उपस्थित लाइपेज इम्ल्सीकृत वसा को
ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल में बदल देता है। (iv) पुनः आँत रस में उपस्थित लाइपेज भी
वसा को ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल में बदल देता है।
पाचन के बाद वसा का अवशोषण निम्न प्रकार से होता है-
ग्लिसरॉल एवं वसा अम्ल अविलेय होने के कारण रक्त में अवशोषित नहीं हो पाते।
सर्वप्रथम वे विलेय सूक्ष्मबूंदों में समाविष्ट होकर आंत्रिक म्यूकोसा में चले जाते हैं जिन्हें
मिसेल (Micelles) कहते हैं। ये यहाँ पोटीन अस्तरित सूक्ष्म वसा गोलिका में पुनः संरचित
होकर अंकुरों की लसिका वाहिनियाँ (लैक्टियल) में चले जाते हैं। ये लसिका वाहिकाएँ अंततः
अवशोषित पदार्थों को रक्त प्रवाह में छोड़ देती हैं जो पुनः वसा में परिवर्तित होकर एडिपोज
, ऊतक में जमा हो जाता है।
2. आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन के पाचन के मुख्य चरणों का विस्तार से
वर्णन करें। [N.C.E.R.T. (Q.12)]
उत्तर-प्रोटीन पाचन के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं-
(i) प्रोटीन का पाचन अमाशय में प्रांरभ होता है, जहाँ निम्न प्रतिक्रिया के द्वारा प्रोटीन
का पाचन होता है-
(ii) ग्रहणी में अग्नाशयिक रस में उपस्थित एंजाइम प्रोटीन को निम्न प्रकार से पचाते
(iii) छोटी आंत के निचले हिस्से में प्रोटीन का अंतिम पाचन निम्न प्रकार से होता है-
पाचन के बाद अमीनो अम्ल रक्त वाहिनयों में अवशोषित होकर रक्त में मिल जाता
है। जहाँ से यह Hepatic portal vein द्वारा लीवर में पहुँच जाता है जहाँ लीवर इसे
Deaminate कर अमोनिया (NHT) में बदल देता है जो CO2 से प्रतिक्रिया कर यूरिया
बनाकर मूत्र द्वारा बाहर निकल जाता है।
2 NH3 + CO2 CO(NH2)2 + H2O
3. मनुष्य के पाचन तंत्र में कार्बोहाइड्रेट की पाचन क्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-कार्बोहाइड्रेट का पाचन निम्नांकित स्थानों पर निम्नांकित एंजाइमों की सहायता
से होती है-
(i) मुखगुहा में लारग्रंथि से टायलिन नाम एंजाइम निकलता है, जो स्टार्च तथा
ग्लाइकोजेन को माल्टोज एवं डेक्स्ट्रीन में बदल देता है।
(ii) अग्नाशियिक रस में इमाइलेज नाम एंजाइम रहता है, जो स्टार्च को माल्टेज में
बदल देता है। यह क्रिया ग्रहणी में सम्पन्न होता है।
(iii) छोटी आंत के इलियम में कार्बोहाइड्रेट का अंतिम पाचन निम्न प्रकार से होता
है―
पचा हुआ कार्बोहाइड्रेट अवशोषण के बाद लीवर में पहुँचता है और लीवर ग्लूकोज एवं
फ्रुक्टोज इत्यादि को ग्लाइकोजेन में बदलकर सुरक्षित कर देता है। आवश्यकता पड़ने पर
ग्लुकोज में बदलकर पुनः रक्त में भेज देता है।
4. मनुष्य के पाचनतंत्र का स्वच्छ नामंकित चित्र बनायें।
उत्तर-
5. पाचनतंत्र के विकार (Disorder) और अनियमितताओं के द्वारा होनेवाली बीमारियों
का वर्णन करें।
उत्तर-आंत्र नलिका शोथ जीवाणुओं और विषाणुओं के संक्रमण से होने वाला एक
सामान्य विकार है। आंत्र के संक्रमण परजीवियों, जैसे-फीताकृमि, गोलकृमि। सूत्रकृमि हुकवर्म,
पिनवर्म, आदि से भी होता है।
इसके अलावे निम्न बिमारियाँ होती हैं-
(a) पीलिया (Jaundice) – इसमें यकृत प्रभावित होता है पीलिया में त्वचा और आँख
पित वर्णकों के जमा होने से पीले रंग के दिखाई देते हैं।
(b) वमन (Vomitting)-यह अमाशय में संगृहीत पदार्थों की मुख से बाहर निकलने
की क्रिया है। यह प्रतिवर्ती क्रिया मेडुला में स्थित वमन केन्द्र से नियंत्रित होती है। उल्टी से
पहले बेचैनी की अनुभूति होती है।
(c) प्रवाहिका (Diarrhoea)-आंत्र (Bowel) की असामान्य गति की बारंबारता और
मल का अत्यधिक पतला हो जाना प्रवाहिका (Diarrhoea) कहलाता है। इसमें भोजन
अवशोषण की क्रिया घट जाती है।
(d) कोष्ठबद्धता (कब्ज) (Constipation)-कब्ज में मलाशय में मल रुक जाता है
और आंत्र की गतिशीलता अनियमित हो जाती है।
(e) अपच (Indigestion)-इस स्थिति में, भोजन पूरी तरह नहीं पचता है और पेट
भरा-भरा महसूस होता है। अपच एंजाइमों के स्राव में कमी, व्यग्रता, खाद्य विषाक्तता, अधिक
भोजन करने एवं मसालेदार भोजन करने के कारण होती है।
6. मनुष्य में भोजन की पाचन प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर -मनुष्य में भोजन का पाचन निम्नाकिंत चरणों में सम्पन्न होता है-
(i) भोजन का पाचन मुख में-मुखगुहा में स्थित लारग्रंथि से स्रावित होने वाला
टायलिन एंजाइम कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च) को माल्टोज में परिवर्तित कर देता है।
(ii) भोजन का पाचन अमाशय में-सर्वप्रथम अमाशय की भित्ति में उपस्थित ग्रंथियों
से HCI निकलता है, जो भोजन को अम्लीय बनता है तथा रोगाणुओं को नष्ट कर भोजन
को गलाता है। इसके पश्चात् जठर ग्रंथियों के जठर रस से रेनिन, पेप्सिन एवं गैस्ट्रिक
लाइपेज निकलता है, जो निम्नांकित प्रकार से भोजन को पचाता है-
दूग्ध प्रोटीन + रेनिन → केसीन
वसा + गैस्ट्रिक लाइपेज → वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल अमाशय में पचा भोजन लेई
जैसा गाढ़ा हो जाता है, जिसे काइम कहते हैं-
(iii) भोजन का पाचन ग्रहणी (Duodenum) में-ग्रहणी से पित्ताशय एवं अग्नाशय
दोनों जुड़े रहते हैं। अतः सर्वप्रथम पित्ताशय से पितरस निकलता है, जो भाजन की अम्लीयता
को नष्ट कर क्षारीय बनता है। इसके पश्चात् अग्नाशय से ट्रिप्सिन, एमाइलेज एवं लाइपेज
नामक एंजाइम निकलते हैं जो निम्न प्रकार से भोजन का पाचन करते हैं-
(iv) भोजन का पाचन छोटी आंत में-छोटी आंत में भोजन लगभग 4 घंटे तक रहता
है, जहाँ भोजन का अंतिम पाचन होता है। छोटी आंत से सर्वप्रथम सक्कस इंटेरीकस नामक आंत रस निकलता है, जिसमें कई एंजाइम रहते हैं और निम्न प्रकार से भोजन का पाचन करते हैं।
(v) छोटी आंत में पचे हुए भोजन का एवं बड़ी आंत में जल का अवशोषण किया जाता
है। इसके पश्चात् अपच भोजन मल के रूप में बदल जाता है, जो समय-समय पर मलद्वार
(Anus) द्वारा बाहर निकलता रहता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. अमाशय रस में होता है- [N.C.E.R.T. (Q.1)]]
(क) पेप्सिन, लाइपेज और रेनिन (ख) ट्रिप्सिन; लाइपेज और रेनिन
(ग) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और लाइपेज (घ) ट्रिप्सिन, पेप्सिन एवं रेनिन
उत्तर-(क)
2. सक्कस एंटेरिकस नाम दिया गया है- [N.C.E.R.T.(Q.2)]
(क) क्षुद्रांत्र और बड़ी आंत के संधि स्थल के लिए
(ख) आंत्रिक रस के लिए
(ग) आहारनाल में सूजन के लिए
(घ) परिशेषिका के लिए उत्तर-(ख)
3. टायलिन परिवर्तित करता है-
(क) वसा को वसा अम्ल में (ख) मण्ड को शर्करा में
(ग) प्रोटीन को अमीनोअम्ल में (घ) प्रोटीन को पेप्टोन में
उत्तर-(ख)
4. कौन सा एंजाइम प्रोटीन का पाचन अम्लीय माध्यम में करता है?
(क) ट्रिप्सिन
(ख) काइमोट्रिप्सिन
(ग) पेप्सिन
(घ) सभी उत्तर-(ग)
5. निम्न में से कौन-सा एंजाइम मनुष्य में अनुपस्थित होता है?
(क) सेलुलोज
(ख) माल्टेज
(ग) लैक्टोज
(घ) सुक्रोज उत्तर-(क)
6. लार में कौन सा एंजाइम पाया जाता है?
(क) माल्टेज
(ख) टायलिन
(ग) इरेप्सिन
(घ) कोई नहीं उत्तर-(ख)
7. निम्न में वसा पाचक एंजाइम कौन है?
(क) पेप्सिन
(ख) टायलिन
(ग) एमाइलेज
(घ) लाइपेज उत्तर-(घ)
8. अमाशयिक रस का PH मान कितना होता है?
(क) 1.5
(ख)2
(ग)5
(घ) 1.2 उत्तर-(क)
9. अमाशयिक ग्रंथि का जाइमोजन कोशिका मावित करता है-
(क) HCl
(ख) म्यूकस
(ग) पेप्सिनोजीन एवं प्रोरेनिन
(घ) कोई नहीं उत्तर-(ग)
10. वुनर ग्रथियां कहां उपस्थित होती हैं?
(क) अमाशय
(ख) ड्यूओडिनम
(ग) इलियम
(घ) बड़ी आंत उत्तर-(ख)
11. Bile (पित्त) का मुख्य कार्य है-
(क) पाचन का नियंत्रण
(ख) वसा का पायसीकरण (Emulsification)
(ग) बेकार पदार्थों को बाहर निकालना
(घ) उपर्युक्त सभी उत्तर-(ख)
12. अमाशयिक रस का HCI किससे स्रावित होता है?
(क) ऑक्जिटिक कोशिका
(ख) जाइमोजेन कोशिका
(ग) गाब्लेट ग्रंथि
(घ) कोई नहीं उत्तर-(क)
13. भोजन के कटिंग में …. दांत का उपयोग होता है-
(क) इनसाइजर
(ख) केनाइन
(ग) मोलर
(घ) प्रीमोलर उत्तर-(क)
14. मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है-
(क) लीवर
(ख) लार ग्रंथि
(ग) अग्नाशय
(घ) बुनर ग्रंथि उत्तर-(क)
15. विलिरुबिन एवं विलिबर्डिन किसमें पाया जाता है?
(क) रक्त
(ख) पित्त
(ग) लार
(घ) सभी में उत्तर-(ख)
16. ग्लाइकोजेन का संचय कहाँ होता है?
(क) लीवर में
(ख) लीवर एवं पेशी में
(ग) केवल पेशी में
(घ) अग्नाशय में उत्तर-(ख)
17. दुग्ध प्रोटीन का पाचक एंजाइम है-
(क) रेनिन
(ख) पेप्सिन
(ग) पित्त
(घ) गॅलेक्टोज उत्तर-(क)
18. निम्न में कौन-सी लारग्रंथि मनुष्य में अनुपस्थित होती है-
(क) पैरोटिड
(ख) इन्फ्राऑरबिटल
(ग) सबमैक्जीलरी
(घ) सबलिंगुअल उत्तर-(ख)
19. अमीनो अम्ल का अवशोषण किसके द्वारा होता है?
(क) विलाई का लैक्टियल
(ख) मलाशय की भित्ति
(ग) विलाई की रक्त कोशिकाएँ
(घ) सभी उत्तर-(ग)
20. स्टार्च का जल अपघटन किसके द्वारा होता है?
(क) लाइपेज
(ख) पेप्सिन
(ग) एमाइलेज
(घ) ट्रिप्सीन उत्तर-(ग)
21. आहारनली के किस भाग में जल का अधिकतम अवशोषण होता है ?
(क) मलाशय
(ख) अमाशय
(ग) ग्रहणी
(घ) लीवर उत्तर-(क)
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