Ashok Kumar Biography in Hindi – अशोक कुमार की जीवनी
Ashok Kumar Biography in Hindi – अभिनेता अशोक कुमार की जीवनी
Ashok Kumar Biography in Hindi
आज बात करने जा रहे है हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक अशोक कुमार की |अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले के एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। अशोक कुमार सभी भाई-बहनों में बड़े थे। उनके पिता कुंजलाल गांगुली मध्य प्रदेश के खंडवा में वकील थे।गायक एवं अभिनेता किशोर कुमार एवं अभिनेता अनूप कुमार उनके छोटे भाई थे। दरअसल इन दोनों को फ़िल्मों में आने की प्रेरणा भी अशोक कुमार से ही मिली। अशोक कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में प्राप्त की थी और बाद में अशोक कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी। अशोक कुमार ने अभिनय की प्रचलित शैलियों को दरकिनार कर दिया और अपनी स्वाभाविक शैली विकसित की थी। वह कभी भी जोखिम लेने में नहीं घबराए और पहली बार हिन्दी सिनेमा में एंटी हीरो की भूमिका की थी। अशोक कुमार ने सन् 1934 में न्यू थिएटर में बतौर लेबोरेट्री असिस्टेंट के रूप में काम किया था।अशोक, अनूप और किशोर कुमार ने ‘चलती का नाम गाड़ी’ में काम किया। इस कॉमेडी फ़िल्म में भी अशोक कुमार ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में मधुबाला ने भी काम किया था। किशोर कुमार ने अपने कई साक्षात्कारों में यह बात स्वीकार की थी कि उन्हें न केवल अभिनय बल्कि गाने की प्रेरणा भी अशोक कुमार से मिली थी क्योंकि अशोक कुमार ने बचपन में उनके भीतर बालगीतों के जरिए गायन के संस्कार डाले थे।
अभिनय_की_शुरुआत
अशोक कुमार की रूचि अभिनय नही थी बल्कि वह फिल्म में तकनीकी पक्ष से जुड़ना चाहते थे लेकिन किस्मत ने उन्हें अभिनय के क्षेत्र में ला खड़ा कर दिया और उन्होंने अभिनय को इस कदर आत्मसात कर लिया की उनके अभिनय का जादू लोगो को सिर चढ़कर बोलने लगा | अशोक कुमार के करियर की शुरुवात बॉम्बे टॉकीज से हुयी थी | वह उस वक्त तकनीशियन थे | उनके हीरप बनने का किस्सा कुछ यु है | एक बार देविका रानी के एक हीरो नजीमल हुसैन सेट से भाग गये थे , जिस वजह से बॉम्बे टॉकीज के हिमांशु रॉय को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा था | उसके बाद हिमांशु रॉय ने अशोक कुमार को देविका रानी का हीरो बना दिया | देविका रानी और अशोक कुमार की जोड़ी खूब जमी | “अछूत कन्या ” में इन दोनों के अभिनय को लोगो ने खूब सराहा |अशोक कुमार और देविका रानी ने “सावित्री ” , “निर्मला” और “इज्जत ” में भी साथ साथ काम किया | बॉम्बे टॉकीज की फिल्म “किस्मत ” अशोक कुमार के लिए मील का पत्थर साबित हुई | ज्ञान मुखर्जी द्वारा निर्देशित “किस्मत ” हिंदी सिनेमा की बहुचर्चित फिल्मो में से एक है | एक ओर इसमें नायक अशोक कुमार एंटी हीरो की भूमिका में थे , वही कवि प्रदीप के गीतों में राष्ट्रवाद भी परोक्ष रूप से परिलक्षित हो रहा था | यह फिल्म जब प्रदर्शित हुयी ,उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था और ब्रिटेन युद्ध में जर्मनी एवं जापान जैसे देशो से झुझ रहा था | इस फिल्म का एक गीत “दूर हटो ए दुनिया वालो ,हिंदोस्ता हमारा है ” काफी सफल सिद्ध हुआ था |
इसके बाद अशोक कुमार की एक ओर चर्चित फिल्म “महल ” आयी ,जिसमे उन्होंने अपेक्षाकृत नई अभिनेत्री मधुबाला के साथ काम किया | अशोक कुमार ने उस वक्त ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी के साथ भी सफलता पाई | उन्होंने मीना कुमारी के साथ “पाकीजा ” , “बहु बेगम” , “आरती “, “एक ही रास्ता ” इत्यादि फिल्मो में काम किया | इसके साथ ही “चलती का नाम गाडी ” “आशीर्वाद ” आदि उनकी लैंडमार्क फिल्मे है |वह सिर्फ एक गम्भीर कलाकार नही थे ,उन्होंने कॉमेडी में भी धूम मचाई एवं कुछ फिल्मो में विलेन भी बने | ऐसी ही के चर्चित फिल्म “ज्वेल थीफ ” थी जिसका कथानक ऐसा था जिसमे आखिरी क्षण तक दर्शको को यह पता नही लग पाया की अशोक कुमार विलेन की भूमिका में है | अशोक कुमार ने दूरदर्शन के धारावाहिकों में भी काम किया | देश के पहले सोप ओपेरा “हम लोग ” में वह सूत्रधार की भूमिका में थे और चर्चित धारावाहिक “बहादुरशाह जफर ” में उन्होंने वृद्ध हो चुके बादशाह की अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी | दादा मुनि बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ,जिनके शौक में पेंटिंग बनाना था और होम्योपैथी के डॉक्टर भी थे दादा मुनि |
पुरस्कार
अशोक कुमार को फ़िल्मी सफर में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया और क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित किया।
1959 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1962 राखी फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1967 अफ़साना फ़िल्म के लिए सहायक अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1969 आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला था।
1969 आशीर्वाद फ़िल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला था।
1988 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1994 स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1995 फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
1999 पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
2001 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवध सम्मान दिया गया।
2007 स्टार स्क्रीन की तरफ़ से “विशेष पुरस्कार” पुरस्कार से सम्मान दिया गया।
मृत्यु
क़रीब छह दशक तक बेमिसाल अभिनय से दर्शकों को रोमांचित करने वाले दादामुनी अशोक कुमार 10 दिसंबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हो लेकिन वह क़रीब 275 फ़िल्मों की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए दर्शकों को सोचने, गुदगुदाने और रोमांचित करने के लिए पर्याप्त हैं।