bihar board class 9th science notes | हमारे आस-पास
bihar board class 9th science notes | हमारे आस-पास
क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
पाठ का प्रायोगिक अध्ययन
2.1 मिश्रण वे विसमांग पदार्थ जो एक से अधिक पदार्थों के मात्र मिला देने से बनता है।
2.1.1 मिश्रण के प्रकार-
(a) समांगी मिश्रण या विलयन
(b) असमांगी मिश्रण
क्रियाकलाप-2.1 (पृष्ठ-15)
● कक्षा को अ, ब, स और द समूहों में बाँटें।
● एक बीकर जिसमें 50 मि. ली. जल और एक चम्मच कॉपर सल्फेट चूर्ण हो, समूह ‘अ’
को दें।
● समूह ‘ब’ को एक बीकर में 50 मि. ली. जल तथा दो चम्मच कॉपर सल्फेट चूर्ण दें।
● कॉपर सल्फेट और पोटैशियम परमैंगनेट या साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड) समूह ‘स’
और ‘द’ को दें। (दोनों को अवयवों को पृथक्-पृथक् मात्रा दें)।
● अब पृथक्-पृथक् समूह के उन अवयवों को मिलाकर मिश्रण तैयार करें।
● उनके रंग और बनावट के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करें।
समाधान–(i) अ और ब दोनों समूहों के पास एक समांग मिश्रण विलयन होगा।
(ii) अ के 50 मि. ली. विलयन में मात्र एक चम्मच कॉपर सल्फेट मिला है जबकि ‘ब’
के 50 मि. ली. जल में 2 चम्मच कॉपर सल्फेट मिला है। फलत: ब के पास वाले विलयन के
रंगों की तीव्रता अधिक होगी।
(iii) समूह स और द को जल नहीं दिया गया है। दोनों के पास मात्र ठोस चूर्ण मिला है
जो विसमांगी मिश्रण देखा जा सकता है।
(iv) ‘अ’ और ‘ब’ के पास जैसा विलयन है ठीक उसी तरह का विलयन जल में नमक
या चीनी मिलाने से प्राप्त होगा।
(v) समूह ‘स’ और ‘द’ के पास वाले असमांगी मिश्रण के प्रत्येक अंश का संघटन एक
जैसा नहीं होगा।
(vi) नमक और बालू, चीनी और लौह चूर्ण, नमक और सल्फर आदि से बना मिश्रण
विसमांगी मिश्रण के उदाहरण हैं।
(vii) यदि चावल और दाल की गठरी खुलकर मिल जाए तो किसी भाग में दाल अधिक,
चावल कम होगा जबकि किसी भाग में चावल अधिक होगा।
(viii) समूह ‘स’ और ‘द’ के पास के मिश्रण की संख्या हर भाग में एक जैसी नहीं होगी।
क्रियाकलाप-2.2 (पृष्ठ-16)
● आइए पुनः कक्षा को चार समूहों अ, ब, स और द में बाँटें।
● प्रत्येक समूह को नीचे दिए हुए नमूने में से एक दें:
― समूह ‘अ’ को कॉपर सल्फेट के कुछ क्रिस्टल दें।
― समूह ‘ब’ को एक चम्मच कॉपर सल्फेट दें।
― समूह ‘स’ को चॉक का चूर्ण या गेहूंँ का आय दें।
― समूह ‘द’ को दूध या स्याही की कुछ बूंँदें दें।
● छात्रों को कांँच की छड़ की सहायता से नमूनों को जल में मिलाने को कहें।
प्रश्न
● क्या कण जल में दिखाई देते हैं?
● अब टॉर्च से प्रकाश की किरण को बीकर पर डालें और इसको सामने से देखें। क्या प्रकाश
की किरण का मार्ग दिखाई देता है ?
● अब मिश्रण को कुछ समय तक शांत छोड़ दें। इस बीच मिश्रण छानने वाले उपकरण को
तैयार कर लें। क्या मिश्रण स्थिर है या कुछ समय के बाद कण नीचे बैठना शुरू करते हैं?
● मिश्रण को छान लें। क्या छानक पत्र पर कुछ शेष बचा है?
● कक्षा में परिणामों पर चर्चा कर इस क्रिया पर एक मत बनाने का प्रयल करें।
● समूह ‘अ’ और ‘ब’ एक विलयन पाते हैं।
● समूह ‘स’ एक निलंबन पाता है।
● समूह ‘द’ एक कोलाइड विलयन पाता है।
समाधान- समांगी मिश्रण (विलयन) में ठोस कण जल के कणों के बीच समा जाता
है जिसे जल में दिखाई नहीं देता है। यही कारण है कि जल में कॉपर सल्फेट (अ) तथा दूध
या स्याही की बूंदें मिलकर समांगी मिश्रण (विलयन) बनाते हैं जिसमें घुलने वाले कणों को जल
में देखा नहीं जा सकता है।
(ii) टॉर्च से प्रकाश की किरण को बीकर पर डालने पर समूह ‘स’ और ‘द’ के साथ वाले
मिश्रण में प्रकाश की किरण का मार्ग दिखाई देता है क्योंकि जल में मिले कण का आकार
अपेक्षाकृत बड़ा होता है। समूह ‘अ’ की प्रकाश की किरण का मार्ग नहीं दिखाई देगा।
(iii) कुछ मिश्रण स्थिर और कुछ मिश्रण अस्थिर होते हैं।
(iv) मिश्रण को शांत छोड़ने पर समूह ‘स’ वाले मिश्रण को छानने पर छन्नापत्र पर अवशेष
बचेगा।
(v) कण के आकार को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन भिन्न नामों से जानते हैं।
(i) विलयन-(सबसे छोटा कण)-समूह-अ और ब ।
(ii) निलम्बन-(सबसे बड़ा कण)-समूह-स
(iii) कोलाइड-(गोल्ड की तरह अस्थिर कण) समूह-द।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-16)
1. शुद्ध पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-किसी वस्तु के निर्माण के लिए जिसकी आवश्यकता होती है उसे पदार्थ कहते हैं।
पदार्थ वे हैं जो भारयुक्त, जड़त्वयुक्त कणों के समूह होते हैं। एक शुद्ध पदार्थ एक ही प्रकार
के कणों से मिलकर बना होता है। अर्थात् जिसके प्रत्येक अंश की रासायनिक संरचना एवं
अभिलक्षण समान होते हैं, उन्हें शुद्ध पदार्थ माना जाता है।
2 समांगी और विषमांगी मिश्रणों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-समांगी मिश्रण-दो या दो से अधिक पदार्थों से बना हुआ वह मिश्रण समांगी मिश्रण
कहलाता है जिसका प्रत्येक अंश संरचना एवं गुणों में एक समान होते हैं। जैसे—चीनी और जल
अथवा दूध और पानी से बनाया गया विलयन समांगी मिश्रण कहलाता है।
विसमांगी मिश्रण-दो या अधिक पदार्थों को मात्र मिला देने से तैयार मिश्रण विसमांगी
मिश्रण कहलाता है। जिसके प्रत्येक अंश की संरचना एवं गुण भिन्न होते हैं। ये भौतिक दृष्टि
से अलग-अलग प्रतीत होते हैं। जैसे-नमक और लौह चूर्ण से बना मिश्रण ।
क्रियाकलाप-2.3 (पृष्ठ-17)
● दो पृथक्-पृथक् बीकरों में 50 मि. ली. जल लें।
● एक बीकर में नमक और दूसरे में चीनी अथवा बेरियम क्लोराइड मिलाकर अच्छी तरह मिला लें।
● जब विलेय पदार्थ और अधिक न घुले तब 5°C ताप बढ़ाने के लिए बीकर को गर्म करें।
● विलेय पदार्थ को पुनः मिलाना शुरू करें।
समाधान—(i) विलेयता या घुलनशीलता—किसी निश्चित ताप पर विलयन में घुले विलेय
पदार्थ की अधिकतम मात्रा को विलेयता कहते हैं।
(ii) विलायक में विलेय के घुलाने की क्षमता पदार्थों की प्रकृति के अनुसार बदल सकती
है। जैसे-100 मि. ली. जल में जितना नमक घुल सकता है उतनी ही चीनी घुलेगा, आवश्यक
नहीं है।
(iii) ताप बढ़ाने पर विलायक में विलय के घुलने की क्षमता बढ़ सकती है।
(iv) निश्चित ताप पर विलयन की तीन दशाएँ देखी जाती हैं
(a) संतृप्त विलयन-घुला पाने की क्षमता के समान विलेय ।
(b) असंतृप्त विलयन-घुला पाने की क्षमता से कम विलेय ।
(c) अति संतृप्त विलयन-तापमान बढ़ाये जाने पर घुलने की बढ़ी हुई क्षमता के समान विलेय ।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-20)
1. उदाहरण के साथ समांगी एवं विसमांगी मिश्रणों में विभेद कीजिए।
उत्तर-(i) समांगी मिश्रण-जब किसी विलयन के प्रत्येक अंश की रचना, गुण एवं भौतिक
दशा एक समान होती है तो उसे समांगी विलयन कहा जाता है। जैसे—दूध और पानी अथवा
जल और चीनी से बने शर्बत को समान विलयन माना जाता है क्योंकि इनकी बनावट सभी अंश
के लिए एक समान होती है।
(ii) विसमांगी मिश्रण-जब किसी विलयन के पृथक्-पृथक् अंश की संख्या एवं गुण
अलग-अलग होते हैं तो उसे विसमांगी मिश्रण कहते हैं। जैसे—बालू और नमक को मात्र मिला
देने से किसी अंश में बालू तो किसी अंश में नमक अधिक मिलता है। अर्थात् विसमांगी मिश्रण
का प्रत्येक अंश भौतिक दृष्टि से समान नहीं होते हैं।
2 विलयन, निलंबन और कोलाइड एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?
(iii) संतृप्त विलयन में विलेय मिलाये जाने पर वह घुलता नहीं है बल्कि परत की पेंदी पर
जमा हो जाता है।
(iv) तापमान बढ़ाने पर विलायक की विलेयता को बढ़ाया जा सकता है। अर्थात् गर्म करने
पर सान्द्रता घट जाती है।
(v) अति संतृप्त विलयन को ठंडा किये जाने पर अतिरिक्त पदार्थ पृथक् हो जाते हैं।
(vi) निश्चित तापमान पर पृथक्-पृथक् पदार्थों की विलयन क्षमता भिन्न होती है।
लिंय की मात्रा
(vii) विलयन की सांद्रता =———————-
विलयन की मात्रा
(viii) सान्द्रता को द्रव्यमान अथवा आयतन के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है
3. एक संतृप्त विलयन बनाने के लिए 36g सोडियम क्लोराइड को 100g जल में 293
K पर घोला जाता है। इस तापमान पर इसकी सांद्रता प्राप्त करें।
हल : विलेय पदार्थ का द्रव्यमान = 36 ग्राम
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 100 ग्राम
विलयन का द्रव्यमान = 100+36 = 136 ग्राम
विलय का द्रव्यमान
चुँकिं विलयन की सान्द्रता =—————————- x100
विलयन का द्रव्यमान
36 3600 900
=——- x 500=———=——–= 26.47%
136 136 34
क्रियाकलाप-2.4 (पृष्ठ-20-21)
● आधा बीकर जल लें।
● बीकर के मुख पर वाच-ग्लास रखें
● कुछ बूंँद स्याही वाच-ग्लास पर डाल दें।
● अब बीकर को गर्म करना शुरू करें। हम
स्याही को प्रत्यक्ष रूप से गर्म नहीं करना
चाहते हैं। आप देखेंगे कि वाच-ग्लास से
वाष्पीकरण हो रहा है।
● वाष्पीकरण होने तक गर्म करना जारी
रखते हैं। जब वाच-ग्लास पर कोई
परिवर्तन नहीं दिखता है तब हम उसे गर्म
करना बंद कर देते हैं।
● इसे ध्यान से देखें और प्रेक्षित
करें।
समाधान-(i) वाच ग्लास बीकर के मुंह को ढंक लेगा तथा पानी भाप के द्वारा गर्म होगा।
(ii) पानी को गर्म किये जाने पर वाच-ग्लास भी गर्म होगा तथा वाच-ग्लास में डाले गये
स्याही का जल से भाप निकलने लगेगा।
(iii) जलीय अंश समाप्त हो जाने पर भाप का निकलना बंद हो जाता है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-21)
(i) आपके विचार में वाच-ग्लास पर से किसका वाष्पीकरण हुआ?
उत्तर-वाच-ग्लास पर से स्याही में संयुक्त जलीय अंश का वाष्पीकरण हुआ।
(ii) क्या वाच-ग्लास पर कोई अवशेष बचा है?
उत्तर-हाँ । चूँकि स्याही जल में रंग का एक मिश्रण होता है। अतः गर्म करने पर स्याही
में मिले जल का वाष्पीकरण हो जाता है और संयुक्त रंग अवशेष के रूप में वाच-ग्लास पर बचा
रह जाता है।
(iii) आप क्या प्रतिपादित करेंगे ? क्या स्याही एक शुद्ध पदार्थ है या मिश्रण है ?
उत्तर-किसी तरल मिश्रण से जलीय अंश को वाष्पीकरण के द्वारा अलग किया जा सकता है।
स्याही, जल और रंग से मिलकर बना एक मिश्रण है।
(iv) दूध से क्रीम को कैसे पृथक् कर सकते हैं ?
उत्तर-चूंँकि दूध को पानी और क्रीम का एक कोलाइड लिया जा सकता है जिसे अपकेन्द्री बल
लगाकर पृथक् किया जा सकता है। अर्थात् मथनी घुमाकर दूध से क्रीम को पृथक् कर सकते हैं।
क्रियाकलाप-2.5 (पृष्ठ-21)
● एक परखनली में थोड़ी मात्रा में संपूर्ण क्रीमयुक्त दूध लें।
● अपकेन्द्रीय यंत्र (centrifuging machine) से इसे दो मिनट तक अपकेन्द्रित करें। अगर स्कूल में यह यंत्र उपलब्य नहीं है, तो यह प्रयोग आप घर पर रसोई में प्रयोग होने वाली मथनी
या मिक्सी से भी कर सकते हैं।
● यदि नजदीक में कोई मिल्क डेयरी है तो वहाँ जाएँ और पूठे (i) वे क्रीम को दूध से कैसे
पृथक् करते हैं ? (ii) वे दूध से पनीर कैसे बनाते हैं?
समाधान–सम्पूर्ण क्रीम युक्त दूध कोलाइड का एक उदाहरण है जिसके मिले रहने से दूध
गाढ़ा प्रतीत होता है। जब केन्द्र से बाहर की ओर लगनेवाला अपकेन्द्री बल क्रियाशील होता है
तो क्रीम कम भारी होने के कारण जल के अंश से अलग हो जाता है। अपकेन्द्री बल लगाने के
लिए एक विशेष प्रकार के यंत्र का उपयोग किया जा सकता है। गाँव की औरतें मथनी चलाकर
क्रीम निकाल लेती हैं
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ 21)
1. दूध को मथने पर आपने क्या देखा?
उत्तर-दूध को मथने पर अपेक्षाकृत हल्का क्रीम तरल से पृथक होकर एक परत के रूप
में दूध के जलीय अंश के ऊपर जमा हो जाता है जिसे अलग किया जा सकता है।
2. दूध में से क्रीम का पृथक्करण कैसे करते हैं ?
उत्तर-दूध को पृथक्करण यंत्र अथवा मथनी की सहायता से पृथक्करण अपकेन्द्री बल
लगाकर कम घनत्व वाले हल्के क्रीम को अलग कर लिया जाता है।
3. दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं ? पृष्ठ 21
उत्तर-दो अलघुलनशील द्रव अलग-अलग घनत्व वाले होते हैं जैसे स्थिर छोड़ देने पर
अलग-अलग परत में जमा हो जाता है। नीचे वाली परत में नीचे गिरने पर व्यवस्था कर ली जाती है।
क्रियाकलाप-2.6 (पृष्ठ-21-22)
● आइए कीप के प्रयोग से मिट्टी के तेल
(kerosene oil) को जल से पृथक् करने का
प्रयास करें।
● मिट्टी के तेल और जल के मिश्रण को
एक पृथक्करण कीप में डालें।
● कुछ देर तक इसे शांत छोड़ दें ताकि जल
तथा तेल की पृथक्-पृथक् परत तैयार हो
जाएंँ।
● पृथक्करण कीप के स्टॉप-कार्क को खोलें
और सावधानीपूर्वक नीचे वाले जल की
परत को निकाल लें।
जैसे ही तेल नीचे पहुंँचे स्टॉप-कार्क को
बंद कर दें।
समाधान-(i) मिट्टी का तेल और जल में
से कोई एक-दूसरे में नहीं घुल सकता है।
(ii) किरासन तेल जल की तुलना में
हल्का होता है।
(iii) पृथक्करण कीप प्रायः कांँच का बना होता है जिसके नीचे एक निकास नली जुड़ी होती
है तथा एक स्टॉप कार्क की सहायता से द्रव को बाहर निकालने या रूकने की व्यवस्था रहती है।
(iv) आपस में नहीं मिलने वाले द्रव अपने घनत्व के ऊपर परतों में पृथक हो जाते हैं।
2.3.4 नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं ?
उत्तर-अमोनियम क्लोराइड नमक से अलग गुण (उड़नशील) रहता है। ऊर्ध्वपातन विधि
से अमोनियम क्लोराइड को नमक से अलग किया जा सकता है।
ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा अमोनियम क्लोराइड तथा नमक का पृथक्करण
2.3.5 क्या काली स्याही में डाई एक ही रंग है ?
उत्तर-प्रायः डाई दो या दो से अधिक रंगों का मिश्रण होता है जिन्हें क्रोमैटोग्राफी विधि
से घुलनशीलता के आधार पर अलग-अलग प्राप्त किए जा सकते हैं।
क्रियाकलाप-2.7 (पृष्ठ-22-23)
● छानक पत्र की एक पतली परत लें।
● इसके निचले किनारे से 3 cm ऊपर पेंसिल से एक रेखा खींच लें।
● उस रेखा के बीच में जल में घुलनशील काली स्याही की एक बूंद रखें। इसे सूखने दें।
● जार, बीकर या परखनली में जल लें, उसमें इस छानक कागज को इस प्रकार रखें कि वह
जल की सतह से ठीक ऊपर रहे जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। अब इसे शांत छोड़ दें।
● जैसे ही जल छानक पत्र पर ऊपर की ओर उठे, सावधानीपूर्वक देखें । अवलोकन को लिखें।
समाधान-(i) स्याही में जल विलायक तथा डाई विलेय के रूप में उपस्थित रहता है।
(ii) समय बीतने पर स्याही का जलीय अंश सूख जाता है।
(iii) रंग वाला अंश जल में घुलनशील होता है।
(iv) जल में घुलनशील रंग तेजी से ऊपर उठता है जिसे अलग किया जा सकता है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-23)
(i) जैसे-जैसे जल ऊपर की ओर उठता है। आपने छानक पत्र पर क्या देखा?
उत्तर-जल में अति घुलनशील रंग के कण छानक पत्र पर चढ़ जाता है।
(ii) क्या आपने छानक पत्र के टुकड़े पर विभिन्न रंगों का अवलोकन किया ?
उत्तर-डाई दो-दो से अधिक रंगों का मिश्रण होता है जो पुलनशीलता की तीव्रता के कारण
बारी-बारी से छानक पत्र के टुकड़े पर दिखाई देता है।
(iii) आपके मतानुसार, रंग के स्थान पर का जनक पत्र ऊपर की ओर उठने का क्या
कारण है?
उत्तर-जैसे ही जल छानक पत्र पर ऊपर को दिशा की ओर अग्रसर होता है, यह डाई के
कणों को भी साथ ले लेता है क्योंकि रंग वाला घटक जल में अति घुलनशील होता है।
2.3.6 दो घुलनशील तत्वों के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं ?
उत्तर-दो घुलनशील तत्वों को अलग-अलग क्वथनांक के आधार पर विच्छेदक (आंशिक)
आसवन विधि द्वारा पृथक कर सकते हैं।
क्रियाकलाप-2.8 (पृष्ठ-23-24)
● आइए हम एसीटोन और जल को उनके मिश्रण से पृथक् करने का प्रयास करें।
● मिश्रण को आसवन फ्लास्क में लें। इसमें एक थर्मामीटर लगाएं।
● उपकरण को दिए गए चित्र के अनुसार व्यवस्थित करें।
● मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करें और सावधानीपूर्वक थर्मामीटर का अवलोकन करें।
● एसीटोन वाष्पीकृत होता है तथा संघनित होकर संघनक द्वारा बाहर निकालने पर इसे बर्तन
में एकत्र किया जा सकता है।
● जल आसवन फ्लास्क में शेष रह जाता है।
दो घुलनशील द्रवों का आसवन विधि से पृथक्करण
समाधान : (i) आसवन फ्लास्क में बनी निकास नली से जुड़े उपकरण में वाष्प को ठंढा
करके संघनित करने की व्यवस्था रहती है जिसके कारण अपेक्षाकृत कम क्वथनांक वाला तत्त्व
बून्द-बून्द करके बीकर में जमा हो जाता है।
(ii) थर्मामीटर तापमान को स्थिर रखने में मदद करता है।
(iii) एसीयेन पहले वाष्पीकृत होकर बीकर में जमा होता है क्योंकि इसका क्वथनांक कम
होता है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-24)
(a) जब आप मिश्रण को गर्म करना शुरू करते हैं तब आप क्या अवलोकित करते हैं?
(b) कुछ समय के लिए किस तापमान पर थर्मामीटर का पाठ्यांक स्थिर हो जाता है?
(c) एसीटोन का क्वथनांक क्या है?
(d) दोनों घटकों को हम पृथक् कर पाते हैं, क्यों ?
उत्तर-(a) आसवन फ्लास्क में एसीटोन का गैस जमा होने लगता है जो निकास नली से
बाहर निकलकर संघनक में बूंँद बन जाता है तथा बीकर में पहुंँच जाता है।
(b) जिस विशेष तापमान पर कोई द्रव वाष्प में बदलने लगता है (प्राय: क्वथनांक) उस
तापमान पर खर्च होने वाली ऊष्मा अवस्था परिवर्तन में खर्च होने लगती है। वाष्पीकरण की गुप्त
ऊष्मा के कारण धर्मामीटर का पाठयांक स्थिर हो जाता है।
जल का क्वथनांक = 100°C
अल्कोहल का क्वथनांक =88-90℃
एसीटोन का क्वथनांक = 38.3°C
अतः थर्मामीटर का पठन 78°C के निकट पहुंँचने पर स्थिर हो जाता है।
(c) एसीटोन का क्वथनांक लगभग 78.3°C है।
(d) जल और एसीटोन के क्वथनांक का अन्तर 25k से कम है जिसके कारण प्रभाजी
आसवन विधि से पहले एसीटोन का वाष्प निकलता है।
23.8 किसी अशुद्ध नमूने में से शुद्ध कॉपर सल्फेट कैसे प्राप्त करते हैं ? पृष्ठ 25
उत्तर-दिये गये अशुद्ध नमूने का क्रिस्टलीकरण करके किसी एक पदार्थ में शुद्ध क्रिस्टल
(मणिभ, रवा) के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। ठोस बनने के क्रम में हिमांक में अंतर होने के कारण
शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
क्रियाकलाप-2.9 (पृष्ठ-25-26)
● एक चीनी मिट्टी की प्याली में लगभग 5g अशुद्ध कॉपर सल्फेट लें।
● जल की न्यूनतम मात्रा में इसे घोल दें।
● अशुद्धियों को छान लें।
● संतृप्त विलयन प्राप्त करने के लिए जल को कॉपर सल्फेट के घोल से वाष्पीकृत करें।
● विलयन को छानक पत्र से ढंक दें तथा कमरे के तापमान पर इसे दिन भर ठंडा होने के
लिए शांत छोड़ दें।
● आप कॉपर सल्फेट के क्रिस्टलों को चीनी मिट्टी की प्याली में प्राप्त करेंगे।
● इस प्रक्रम को क्रिस्टलीकरण कहा जाता है।
समाधान-(i) दिये गए अशुद्ध नमूने को जल से मिलाने पर कुछ अशुद्धियाँ नहीं घुल पाती
है जिसे छानकर अलग किया जा सकता है।
(ii) प्राप्त संतृप्त विलयन के जलीय अंश में उसे गर्म कर वाष्पीकरण द्वारा कम किया जाता
है। फलतः अति संतृप्त विलयन प्राप्त होता है।
(iii) अति संतृप्त विलयन को ठंडा करते हुए स्थिर रखे जाने पर मूल पदार्थ के क्रिस्टल
प्राप्त हो जाते हैं।
(iv) निश्चित ताप पर दिये गये पदार्थ का शुद्ध रूप प्राप्त होता है।
प्रश्नोत्तर : पृष्ठ-26
● चीनी मिट्टी की प्याली में आप क्या अवलोकन करते हैं?
● क्या क्रिस्टल एक समान दिखाई देता है?
● चीनी मिट्टी की प्याली में रखे द्रव से क्रिस्टल को कैसे पृथक् करेंगे?
उत्तर-(i) प्याली में तैयार किये गए विलयन को अति संतृप्त विलयन बना लेने पर कम
ताप पर क्रिस्टल के रूप में शुद्ध पदार्थ दिखाई देता है।
(ii) शुद्ध पदार्थ के सभी क्रिस्टल एक समान दिखाई देते हैं।
(iii) निथारना विधि से शुद्ध क्रिस्टल को अलग कर लिया जाता है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-26)
1. पेट्रोल और मिट्टी का तेल (Kerosene oil) जो कि आपस में घुलनशील हैं, के मिश्रण
को आप कैसे पृथक् करेंगे? पेट्रोल तथा मिट्टी के तेल के क्वथनांकों में 25°C से
अधिक का अंतराल है।
उत्तर-पेट्रोल और मिट्टी के तेल (दो घुलनशील द्रव) जिनके क्वथनांक में 25°C से अधिक
का अन्तर है, वे घटकों को प्रभाजी आसवन (आशिक आसवन) द्वारा पृथक किया जाता है। पहले कम क्वथनांक वाला द्रव वाष्पीकरण द्वारा संघनक में पहुंच जाता है। इसके लिए संघनक में कम ताप पर संपीड़न के द्वारा एक घटक अलग कर लिया जाता है।
2. पृथक् करने की सामान्य विधियों के नाम दें:
(i) दही से मक्खन,
(ii) समुद्री जल से नमक,
(iii) नमक से कपूर ।
उत्तर-(i) अपकेन्द्री बल अर्थात् मथनी द्रव्य घुमाकर दही से मक्खन प्राप्त कर लिया जाता है।
(ii) समुद्री जल से नमक प्राप्त करने के लिए वाष्पीकरण विधि तथा विच्छेदन आसवन
विधि का प्रयोग किया जाता है।
3. क्रिस्टलीकरण विधि से किस प्रकार के मिश्रणों को पृथक किया जा सकता है ?
उत्तर-क्रिस्टलीकरण विधि से अशुद्धियों के साथ मिले ठोस पदार्थ से शुद्ध पदार्थ प्राप्त
किए जाते हैं।
2.4 भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
मात्र भौतिक गुणों (रंग, अवस्था, घनत्व, क्वथनांक, गलनांक) तथा संरचना में आने वाले
अस्थायी परिवर्तन को भौतिक परिवर्तन कहते हैं जिसे समाप्त कर मूल अवस्था में पदार्थ को प्राप्त किया जा सकता है।
किन्तु रासायनिक गुणों में ऊष्मा प्रयोग के फलस्वरूप आने वाले स्थायी परिवर्तन को
रासायनिक परिवर्तन कहते हैं।
क्रियाकलाप-किसी समतल आधार वाले पात्र में खड़ा करके एक मोमबत्ती जलावें।
समाधान-मोमबत्ती का कुछ अंश जल जाता है और प्रकाश देता है यद्यपि कुछ अंश
पिघलकर नीचे आधार पर जमा हो जाते हैं।
पिघलना भौतिक परिवर्तन है। जलना रासायनिक परिवर्तन है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-27)
1. निम्न को रासायनिक और भौतिक परिवर्तनों में वर्गीकृत करें:
● पेड़ों को काटना,
● मक्खन का एक बर्तन में पिघलना,
● अलमारी में जंग लगना,
● जल का उबलकर वाष्प बनना,
● विद्युत तरंग का जल में प्रवाहित होना तथा उसका हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
गैसों में विघटित होना,
● जल में साधारण नमक का घुलना,
● फलों से सलाद बनाना
● लकड़ी और कागज का जलना।
2. अपने आस-पास की चीजों को शुद्ध पदार्थों या मिश्रण से अलग करने का प्रयत्न करें।
जल और चीनी के मिश्रण के अवयवों को अलग करना (वाष्पीकरण)
जल और किरासन तेल को अलग करना-पृथक्कारी कीप
नौसादर और नमक-ऊर्ध्वपातन
लौह चूर्ण और मोम-चुम्बकीय विधि या गलनांक तक गर्म करना
जल और नमक-वाष्पीकरण
जल और रंग-प्रभाजी आसवन
चावल और भूसी-थिराना-निथारना
दूध से क्रीम निकालना-मथनी द्वारा अपकेन्द्रक बल लगाना
पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण-प्रभाजी आसवन
अशुद्ध नमूने से फिटकरी को पृथक करना-क्रिस्टलीकरण
2.5 शुद्ध पदार्थों के क्या प्रकार हैं ? पृष्ठ 27
उत्तर-शुद्ध पदार्थों के दो रूप प्रमुख हैं-
(a) तत्त्व-धातु और अधातु
(b) यौगिक-घुलनशील तथा अघुलनशील अथवा चालक और अचालक मिश्रण को शुद्ध
पदार्थ नहीं माना जाता है।
क्रियाकलाप-2.10 (पृष्ठ-28)
● कक्षा को दो समूहों में विभक्त करें। दोनों समूहों को 50 g लोहे का चूर्ण और 3 g सल्फर,
एक चीनी मिट्टी की प्याली में दें।
समूह।
● लोहे के चूर्ण और सल्फर पाउडर को पीसकर मिलाएँ।
समूह ॥
● लोहे के चूर्ण और सल्फर पाउडर को पीसकर मिलाएँ। मिश्रण को तीव्र ताप पर लाल होने
तक गर्म करें। अब ज्वाला को हटा दें तथा मिश्रण को ठंडा होने दें।
समूह I और ॥
● प्राप्त सामग्री में चुंबकीय गुण की जाँच करें। सामग्री के निकट एक चुंबक को लाएँ । जाँच
करें कि क्या सामग्री चुंबक की ओर आकर्षित होती है?
● दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री के रंग और बनावट की तुलना करें।
● प्राप्त सामग्री के एक भाग में कार्बन डाइसल्फाइड मिलाएँ। मिश्रण अच्छी तरह मिलाएंँ तथा
छान लें।
● प्राप्त पदार्थ के दूसरे भाग में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिलाएँ।
(इस क्रियाकलाप के लिए अध्यापक का निर्देशन आवश्यक है।)
● इस क्रियाकलाप को लोहा तथा सल्फर तत्वों के साथ अलग-अलग दोहराएँ। अवलोकनों
को नोट करें।
समाधान-पदार्थों में भौतिक परिवर्तन लाने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है। स्थायी
रासायनिक परिवर्तन ऊष्मा के कारण रासायनिक गुणों में स्थायी परिवर्तन है।
लोहे के चूर्ण और सल्फर के मिश्रण को तीव्र ताप पर लाल होने तक गर्म किये जाने पर
मिश्रण लाल रंग का ऐसा ठोस बन जाता है जो न तो घुलता है और नहीं चुम्बक से सटता है।
दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री रंग और बनावट में भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं।
समूह । से प्राप्त सामग्री में कार्बनडायसल्फाइड मिलाने पर सल्फर घुल जाता है। छानने
पर मात्र लौह चूर्ण मिलता है। समूह I और II से प्राप्त सामग्री के साथ सल्फ्युरिक अम्ल अथवा
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिलाने पर दोनों समूहों से क्रमशः हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड
(H2S) गैस प्राप्त होती है। अर्थात् दोनों समूहों द्वारा प्राप्त पदार्थ भिन गुणों को दर्शाते हैं। समूह
। एक यांत्रिक मिश्रण रखता है जबकि समूह II के पास रासायनिक यौगिक उपलब्ध होता है।
पाठ्य पुस्तकीय प्रश्नों के उत्तर (पृष्ठ-28)
1. क्या दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री दिखने में समान है ?
उत्तर-दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री दिखने में समान नहीं है।
2. किस समूह द्वारा प्राप्त सामग्री में चुम्बकीय गुण विद्यमान है ?
उत्तर-समूह । के पास जो सामग्री है उसमें मिला हुआ लोहे का चूर्ण चुम्बकीय गुण प्रदर्शित
करने योग्य है।
3. क्या प्राप्त सामग्री के घटकों को हम पृथक करने में सक्षम हैं ?
उत्तर-समूह I के पास पाई जाने वाली सामग्री से उसके घटकों का साधारण यांत्रिक विधि
से अलग किया जा सकता है जबकि समूह ॥ की सामग्री गर्म किये गये जल के कारण रासायनिक परिवर्तन के अधीन आकर घटकों के पृथक करने की क्षमता को लुप्त कर देता है।
4. क्या तनु सल्फ्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सामग्री पर डालने से दोनों
समूहों को गैस प्राप्त होती है ? क्या दोनों स्थितियों में प्राप्त गैस की गंध समान है या
अलग-अलग है?
उत्तर-अम्ल डालने पर दोनों समूहों की सामग्री से गैस प्राप्त होती है। समूह I के द्वारा
प्राप्त हाइड्रोजन गैस रंगहीन, गंधहीन और ज्वलनशील है जबकि समूह II द्वारा प्राप्त: गैस हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) रंगहीन तो है किन्तु सड़े अंडे की गंध देने वाला गैस है।
अतः दोनों स्थितियों में प्राप्त गैस की गंध समान नहीं है बल्कि अलग-अलग है।
अभ्यासार्थ प्रश्नावली (पृष्ठ-30-31)
1. निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएंँगे?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल में विलयन से पृथक् करने में।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से
पृथक् करने में।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन ऑयल से पृथक् करने में।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए।
(e) जल से तेल निकालने के लिए।
(f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक् करने में।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में।
उत्तर-(a) वाष्पीकरण (b) ऊर्ध्वपातन विधि (c) छानने की प्रक्रिया (d) उपकेन्द्रीकरण विधि
(e) पृथक्कारी कीप की मदद से (f) छानने की प्रक्रिया (g) चुम्बकीय पृथक्करण विधि (h) ओसाई (पवन वेग) (i) थिराना-निथारना (G) क्रोमैटोग्राफी विधि।
2. चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे? विलयन,
विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय (फिल्ट्रेट ) तथा अवशेष
शब्दों का प्रयोग करें।
उत्तर-चाय तैयार करने के लिए निम्न चरणों का प्रयोग किया जाता है-
(i) एक साफ केतली में जल लिया जाता है जो विलायक का कार्य करता है।
(ii) केतली में रखे गये जल में चाय की पत्तियाँ डाली जाती हैं जो विलेय जैसा आचरण
करता है।
(iii) पत्तियों के साथ गर्म जल मिला देने पर रंगीन विलयन प्राप्त हो जाता है।
(iv) एक साफ प्याली में उचित परिमाण में दूध और चीनी लेकर चाय पत्ती द्वारा तैयार
रंगीन विलयन मिलाया जाता है।
(v) घुलनशीलता द्वारा प्राप्त क्षमता के अनुसार चीनी और दूध घुलकर एक गाढ़ा द्रव के
रूप में पीने वाली चाय मिल जाती है।
(vi) लीकर, दूध और चीनी से बने समांग मिश्रण में से अघुलनशील पत्तियों को छानकर
पीने वाले को समर्पित किया जाता है।
(vii) छानक पत्र या छन्ना पत्र अवशेष के रूप में पत्तियों का अंश उपलब्ध होता है।
(viii) छने द्रव की घुलेय के रूप में पाकर पीने वाला स्वीकार करता है।
प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर जांँचा
तथा नीचे दिए गए आंँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में
विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका
में दर्शाया गया है।
(a) 50g जल में 313K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने
ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी?
(b) प्रज्ञा 353 K पर पोटैशियम क्लोराइड का एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और
विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा
होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी? स्पष्ट करें।
(c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर
कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा?
(d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-(a) 50 ग्राम जल में 313 K पर पोटेशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने
के लिए प्रस्तुत तालिका के आधार पर
62
——– x 50 = 31 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी।
100
(b) कमरे का सामान्य ताप = 20°C = 20 + 273 = 293k
353k पर पोटैशियम क्लोराइड के संतृप्त विलयन के लिए 54 ग्राम की आवश्यकता होती
है जबकि 253K पर मात्र 35 ग्राम की आवश्यकता है।
अतः विलयन के ताप को 353K से ठंठा करके 293 K दिये रहने पर 54-35 = 19 ग्राम
चूर्ण पेंदी पर अघुलनशील चूर्ण की तरह बैठ जाएगा।
अब चुँकि 100 ग्राम में से 19 ग्राम चूर्ण मिलती है।
50×19
इसलिए, 50 ग्राम में से————–= 9.5 ग्राम चूर्ण पेंदी पर बैठ जाएगा।
100
(c) 293 K= 293-273 = 20°C (कमरे का सामान्य तापी 293 K पर कुछ प्रमुख लवणों
की घुलनशीलता मिला पाते हैं।
पोटेशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता―32 ग्राम
सोडियम क्लोराइड की घुलनशीलता―36 ग्राम
पोटेशियम क्लोराइड की घुलनशीलता―35 ग्राम
अमोनियम क्लोराइड की घुलनशीलता―37 ग्राम
तालिका के आधार पर अमोनियम क्लोराइड की घुलनशीलता (37 ग्राम प्रति 100 ग्राम)
सबसे अधिक है।
(d) तापमान बढ़ने पर कुछ अपवादों को छोड़कर प्रायः सभी पदार्थों की घुलनशीलता बढ़ती है।
4. निम्न की उदाहरण सहित व्याख्या करें:
(a) संतृप्त विलयन (b) शुद्ध पदार्थ (c) कोलाइड (d) निलंबन
(a) संतृप्त विलयन-निश्चित तापमान पर जिस विलयन विशेष में विलेय पदार्थ की घुलाने
की क्षमता समाप्त हो जाती है उसे संतृप्त विलयन कहते हैं।
(b) शुद्ध पदार्थ-वैज्ञानिकों के अनुसार शुद्ध पदार्थ वे हैं जिसमें संयुक्त समीकरण समान
रासायनिक प्रकृति वाले हों।
(c) कोलाइड-कोलाइड एक विशेष प्रकार का विलयन है जिसमें विलेय के कण विलायक
में समान रूप से फैले रहते हैं। जैसे-गोन्द, दूध, रक्त, जेली आदि।
(d) निलंबन-निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलेय पदार्थ केवल घुलते नहीं हैं
ब्लकि माध्यम की समष्टि (विलायक) में निलंबित रहते हैं तथा आँख से देखे जा सकते हैं। यह
अस्थायी रूप है तथा जिसके कण छानक पत्र से छाने जा सकते हैं। जैसे-गंदला जल।
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें-
सोडा जल, लकड़ी, बर्फ, वायु, मिट्टी, सिरका, छनी हुई चाय ।
उत्तर- समांगी मिश्रण विषमांगी मिश्रण
सोडा पानी, बर्फ लकड़ी, वायु
सिरका, छनी हुई चाय मिट्टी
6. आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है ?
उत्तर-शुद्ध जल का क्वथनांक 1 mm वायुमंडलीय दाब पर 100°C = 373K है जिस
तापमान पर शुद्ध जल उबलता है। अशुद्ध जल (अल्प लवण युक्त जल) का क्वथनांक बदल
जाता है। अतः क्वथनांक की जाँच करके तय करते हैं कि दिया गया रंगहीन द्रव शुद्ध जल है।
शुद्ध जल के वाष्पीकरण का परिणाम पात्र पर शून्य अवशेष मिलता है। जल वोल्टामीटर
में विद्युत विच्छेदन करने पर मात्र हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का मिलना भी बताता है कि दिया
गया द्रव शुद्ध जल है।
7. निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं ?
(a) बर्फ
(b) दूध
(c) लोहा
(d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(e) कैल्सियम ऑक्साइड
(f) पारा
(g) ईंट
(h) लकड़ी
(i) वायु
उत्तर-दी गई वस्तुओं में से लोहा, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, कैल्शियम ऑक्साइड तथा पारा
को शुद्ध पदार्थ माना जा सकता है।
8. निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन की पहचान करें।
(a) मिट्टी (b) समुद्री जल (c) वायु (d) कोयला (e) सोडा जल
उत्तर-दी गई वस्तुओं (मिश्रण) में मात्र समुद्री जल और सोडा जल को ही विलयन माना
जा सकता है क्योंकि ये दोनों प्रत्येक अंश के लिए समान संरचना एवं गुण रखते हैं। मिट्टी, वायु
और कोयला की संरचना, लक्षण, स्थान और स्थिति बदलने से बदल जा सकती है। अत: ये तीनों
विषमांगी मिश्रण की श्रेणी में ही रखे जा सकते हैं।
9. निम्नलिखित में से कौन टिण्डल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा?
(a) नमक का घोल (b) दूध (c) कॉपर सल्फेट का विलयन (d) स्टार्च विलयन
उत्तर-कोलाइड कणों के द्वारा प्रकाश की किरणों को आसानी से फैला देने की पूरी घटना
को टिण्डल प्रभाव कहा जाता है।
दिये गए चार पदार्थों में से मात्र दूध तथा स्टार्च विलयन के द्वारा ही टिण्डल प्रभाव की
कल्पना की जा सकती है।
10. निम्नलिखित को तत्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें :
(a) सोडियम
(b) मिट्टी
(c) चीनी का घोल
(d) चाँदी
(e) कैल्सियम कार्बोनेट
(f) टिन
(g) सिलिकन
(h) कोयला
(i) वायु
(j) साबुन
(k) मीथेन
(l) कार्बन डाइऑक्साइड
(m) रक्त
उत्तर-
11. निम्नलिखित में से कौन-कौन से रासायनिक परिवर्तन हैं?
(a) पौधों की वृद्धि (b) लोहे में जंग लगना (c)लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना
(d) खाना पकाना (e) भोजन का पाचन (f) जल से बर्फ बनना (g) मोमबती का जलना।
उत्तर-लोहे पर जंग लगना, खाना पकाना, भोजन का पचना और मोमबत्ती का जलना-रासायनिक परिवर्तन हैं।
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