bihar board 9 class history notes | फ्रांस की क्रांति
फ्रांस की क्रांति
bihar board 9 class history notes
class – 9
subject – history
lesson 3 – फ्रांस की क्रांति
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फ्रांस की क्रांति
महत्वपूर्ण तथ्य-अमेरिकी क्रांति के पश्चात् फ्रांस की क्रांति यूरोप के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी जिसने राजतंत्र के युग को समाप्त कर जनतंत्र के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की स्थापना की । फ्रांस की क्रान्ति के कुछ महत्वपूर्ण कारण:-
(i) लुई सोलहवें की निरंकुश, फिजूलखर्च तथा अयोग्य शासन-व्यवस्था ।
(ii) कुलीन वर्ग द्वारा मध्यम वर्ग की अपमान करने की आदतों के कारण भड़का असंतोष।
(iii) विदेशी युद्ध अपव्यय तथा फिजूलखर्ची के कारण फ्रांस की डाँवांडोल आर्थिक स्थिति।
(iv) सैनिकों को कम वेतन, कठोर अनुशासन तथा खराब भोजन के कारण उपजा असंतोष।
(v) भाषण, लेखन, विचार की अभिव्यक्ति, धार्मिक तथा अन्य सभी प्रकार की स्वतंत्रता का
पूर्ण अभाव होना ।
(vi) विभिन्न बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों तथा लेखकों के द्वारा समाज में आर्थिक शोषण एवं आर्थिक नियंत्रण की कड़ी आलोचना ।
(vii) विभिन्न विदेशी घटनाओं का जैसे इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति तथा अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम का असर, यह सभी फ्रेंस की क्रांति के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी थे। फ्रांस की क्रांति के परिणामस्वरूप विश्व की सामाजिक तथा आर्थिक परिपेक्ष्य में कई परिवर्तन हुए जैसे-
(i) फ्रांस की क्रांति ने वहाँ की राजतंत्र को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना की ।
(ii) धार्मिक क्षेत्र में बुद्धिवाद का उदय हुआ तथा जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
(iii) राजा के दैवी अधिकार के सिद्धान्त को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना की।
(iv) व्यक्ति की महत्ता को बल दिया तथा मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों की स्थापना की।
(v) फ्रांस की क्रांति के फलस्वरूप समाजवाद का उदय हुआ तथा अमीरों की गरीबों का पक्ष लिया गया ।
(vi) अनेक प्रकार के करों की समाप्ति के फलस्वरूप वाणिज्य एवं व्यापार का विकास हुआ।
(vii) दास-प्रथा जैसी मानवता विरोधी प्रथा का अन्त हुआ।
(viii) पेरिस विश्वविद्यालय एवं कई शिक्षण संस्थान एवं शोध संस्थान की स्थापना हुई ।
(ix) नए राष्ट्रीय कैलेंडर की स्थापना हुई ।
(x) महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार प्रदान किए गए । फ्रांस की क्रांति का अन्य देशों पर बड़ा क्रांतिकारी प्रभाव पड़ा । इसके फलस्वरूप इटली, जर्मनी, पोलैंड तथा इंग्लैंड जैसे राष्ट्रों का प्रादुर्भाव हुआ । फ्रांस की क्रांति के बारे में कहा जाता है कि यह क्रांति निश्चयात्मक थी। कई इतिहासकारों ने 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति एक मध्यम क्रांति थी । फ्रांस के मध्यम वर्ग के पास धन की कमी नहीं थी लेकिन सत्ता में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी । 4 अगस्त, 1789 को जब नेशनल एसेम्बली द्वारा सामन्तवाद की समाप्ति हुई तो उसके द्वारा अपनाई गई आर्थिक तथा सामाजिक नीतियों ने स्पष्ट कर दिया कि क्रांति पर मध्यम वर्ग हावी हो गया है । इस क्रांति से मध्यम वर्ग को ही लाभ हुआ । साधारण जनता को मताधिकार नहीं दिया गया क्रांति का नारा स्वतंत्रता,समानता एवं बन्धुत्व का प्रयोग सामान्य जनता के लिए नहीं बल्कि मध्यम वर्ग के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान करना था । जैकोबिन दल ने आतंक के राज्य के द्वारा सर्वहारा वर्ग को राजनैतिक
तथा आर्थिक अधिकार दिलाने का अस्थाई प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं रहा ।
अत: उपरोक्त तथ्यों को देख इतिहासकारों का एक मत था कि फ्रांस की क्रांति मुख्यतः मध्यवर्गीय क्रांति थी क्योंकि मध्यम वर्ग के लोग ही इसके विशेष्य कारण के रूप में थे, क्रांति का नेतृत्व भी इन्होंने ही किया और सर्वाधिक लाभ भी इसी वर्ग को हुआ।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(i) लुई XVI सन् ……ई० में फ्रांस की गद्दी पर बैठा । उत्तर-1774
(¡¡)……….. लुई XVI की पत्नी थी।
उत्तर-मेरी अन्तोयनेत
(iii) फ्रांस की संसदीय संस्था को…….कहते थे।
उत्तर-स्टेट्स जेनरल
(iv) ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूँजीपतियों को …… कहा जाता था ।
उत्तर-टैक्स-फार्मर
(v)……….के सिद्धान्त की स्थापना मांटेस्क्यू ने की । उत्तर-शक्ति पृथक्करण
(vi) …………की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ है ।
उत्तर-रूसो
(vii) 27 अगस्त, 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने …… की घोषणा की।
उत्तर-मानव और नागरिकों के अधिकार
(viii) जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता………था।
उत्तर-मैक्समिलन रॉब्सपियर
(ix) दास प्रथा का अन्तिम रूप से उन्मूलन….ई० में हुआ ।
उत्तर-1848
(x) फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन्……… ई. में मिला ।
उत्तर-1846
(लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण :
(i) 1774 ई. में लुई XVI गद्दी पर बैठा था। वह बहुत ही निरंकुश फिजूलखर्च करने वाला एक अयोग्य शासक था । उसकी पत्नी मेरी अन्तोयनेत भी बहुत खर्चीली थी। वह उत्सवों पर बहुत पैसा लुटाती थी । महल के पन्द्रह हजार अधिकारी बिना कार्य किए वेतन के काफी पैसा उड़ाते थे। राजस्व का 9% इन्हीं पर खर्च होता था। फलस्वरूप फ्रांस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।
(ii) फ्रांस की निरंकुश शासन का अभाव होने के कारण वहाँ 175 वर्षों तक संसदीय संस्था स्टेट्स जेनरल की बैठक नहीं बुलाई गई ।
(iii) फ्रांस में स्वायत्त शासन का अभाव था । वहाँ वर्साय के राजमहल की प्रधानता थी ।
(iv) राजा की पत्नी के द्वारा शासन का दुरुपयोग किया जाता था । इन कारणों से वहाँ की जनता राजतंत्र के खिलाफ हो गई थी।
प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण :
(i) फ्रांस के मध्यम वर्ग के लोगों को कुलीनों जैसा अधिकार नहीं दिया जाता था । उन्हें राजनीतिक अधिकार नहीं दिए जाते थे ।
(ii) मध्यम वर्ग के लोगों के साथ असमानता का व्यवहार किया जाता था । यह बात अपमानजनक थी।
(iii) वहाँ किसानों की स्थिति खराब थी । वे करों के बोझ से दबे थे
प्रश्न 3. क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-क्रांति के आर्थिक कारण :
(i) फ्रांस की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसे सुधारने के लिए वहाँ की जनता पर करों को लाद दिया गया था ।
(ii) किसानों पर भूमि कर के अलावे धार्मिक कर, सामन्ती कर इत्यादि लगाए गए । दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर भी कर लगा दिए गए ।
(iii) औद्योगिक क्रांति शुरू होने से मशीनों का उपयोग शुरू हुआ और बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी।
(iv) व्यापारियों पर अनेक तरह के कर लगाए गए । जैसे गिल्ड की पाबन्दी, सामन्ती कर, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि । इस कारण वहाँ के व्यापार का विकास नहीं हो पाया ।
प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारण : फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक
आन्दोलन का सूत्रपात किया । इनमें मांटेस्क्यू, वाल्टेयर और रूसो प्रमुख थे । मांस्टेक्यू ने अपनी पुस्तक विधि की आत्मा में शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का प्रतिपादन किया । वाल्टेयर इस बात का प्रबल समर्थक था कि जनतंत्र प्रजाहित में होना चाहिए । मांटेस्क्यू तथा वाल्टेयर सुधार के पक्षधर थे लेकिन रूसो पूर्ण परिवर्तन चाहता था । उसने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ के द्वारा
राज्य को व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था और सामान्य इच्छा को संप्रभु माना है, अतः वह जनतंत्र का समर्थक था ।
प्रश्न 5. ‘लेटर्स-दी-कैचेट’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-फ्रांस में वैयक्तिक स्वतंत्रता नहीं थी। राजा या उसका आदमी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता था । इसके लिए फ्रांस में बिना अभियोग की गिरफ्तारी वारंट होता था जिसको ‘लेटर्स-द-कैचेट’ कहते थे ।
प्रश्न 6. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में लजायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने इंग्लैंड केविरुद्ध भाग लिया था जिससे वहाँ गणतांत्रिक शासन की स्थापना हुई । फ्रांस की जनता के लिए इसने प्रेरणा स्रोत का कार्य किया । इससे फ्रांस की क्रांति को बल मिला ।
प्रश्न 7. ‘मानव एवं नागरिकों के अधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-मानव एवं नागरिकों के अधिकार का अर्थ है, नागरिकों को दिया जानेवाला स्वतंत्रता का अधिकार । हर देश में नागरिकों को मतदान का अधिकार, भाषण, लेखन, विचार की अभिव्यक्ति करने का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार । किसी भी इन्सान को अपने ढंग
से अपनी जिन्दगी जीने का अधिकार ।
प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा । इस क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी जिसके फलस्वरूप 1832 ई. में ‘संसदीय सुधार अधिनियम पारित हुआ । वहाँ के जमीन्दारों की शक्ति समाप्त कर दी गयी और जनता के लिए अनेक सुधारों की शुरुआत हुई ।
प्रश्न 9.फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे ?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति ने इटली को बहुत प्रभावित किया । इस क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना को एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और ‘इटली राज्य’ स्थापित किया । एक साथ मिलकर युद्ध करने में राष्ट्रीयता की भावना आई।
प्रश्न 10. फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति से जर्मनी भी बहुत हद तक प्रभावित हुआ । जर्मनी पहले 300 छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त था । पर नेपोलियन के प्रभाव से 38 राज्यों में सीमित हो गया । इस क्रांति से जर्मनी के लोगों ने ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’, एवं ‘बन्धुत्व’ की भावना को अपनाया ।
(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित कारण थे:
(1) राजनैतिक कारण :
(क) लुई XVI सन् 1774 ई. में गद्दी पर बैठा था जो कि निरंकुश, फिजूलखर्ची और अयोग्य
शासक था। उसकी पत्नी मेरी अन्तोयनेत भी बहुत खर्चीली थी। वह उत्सवों पर बहुत पैसे लुटाती थी। महल में पन्द्रह हजार अधिकारी बिना काम किए पैसे उठाते थे । राज्य का 9 प्रतिशत राजस्व इन्हीं पर खर्च होता था । फलत: फ्रांस की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।
(ख) फ्रांस में निरंकुश राजतंत्र पर नियंत्रण का अभाव था, जिस कारण वहाँ स्टेट्स जेनरल जो एक संसदीय संस्था थी जिसकी बैठक 175 वर्षों तक नहीं बुलई गई ।
(ग) फ्रांस में स्वायत्त शासन का अभाव था । वहाँ वर्साय के राजमहल की प्रधानता थी।
(घ) राजा की पत्नी मेरी अन्तोयनेत के द्वारा शासन का दुरुपयोग किया जाता था। जिस कारण वहाँ की जनता राजतंत्र के बिल्कुल खिलाफ हो गई थी।
(2) सामाजिक कारण :
(क) फ्रांस के मध्यम वर्ग के लोगों में बहुत असंतोष था और इसका कारण था-सुयोग्य एवं सम्पन्न होते हुए भी उन्हें कुलीनों जैसा सामाजिक सम्मान नहीं मिलता था । उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा जाता था ।
(ख) कुलीन वर्ग के लोगों के द्वारा मध्यम वर्ग के लोगों के साथ असमानता का व्यवहार किया जाता था । यह बात उन्हें अपमानजनक लगती थी । मध्यम वर्ग के द्वारा फ्रांस की क्रांति में ‘समानता’ का नारा दिया गया था ।
(ग) फ्रांसीसी समाज में कृषकों की स्थिति बहुत दयनीय थी । उन्हें अनेक प्रकार के करों को देना पड़ता था ।
(3) आर्थिक कारण :
(क) विदेशी युद्धों और अपव्ययों के कारण फ्रांस की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी, जिसे सुधारने के लिए जनता पर करों का बोझ डाल दिया गया था और कर वसूलने का तरीका भी असमानता और पक्षपात पर आधारित था ।
(ख) किसानों के ऊपर भूमि कर लगाया गया था । इसके अलावे उन्हें ‘टीथे’ नामक धार्मिक कर चर्च को देना पड़ता था । इसके अलावे उन्हें सामन्ती कर के साथ-साथ दैनिक
उपभोग की वस्तुओं पर भी कर देना पड़ता था । जिस कारण वहाँ की जनता की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी।
(ग) औद्योगिक क्रांति शुरू होने की वजह से वहाँ मशीनों का उपयोग होने लगा था, फलस्वरूप वहाँ के घरेलू उद्योग-धन्धे नष्ट होने लगे जिससे वहाँ बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी।
(घ) अव्यवस्थित शासन व्यवस्था के कारण वहाँ व्यापारिक विनिमय में भी कठिनाइयाँ आने लगीं । वहाँ व्यापारियों पर तरह-तरह के कर लगाए गए, जैसे सामन्ती कर, गिल्ड की पाबन्दी, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि । व्यापारी चाहते थे कि देश के व्यापार को बंधनों से मुक्त कर दिया जाय ।
(4) सैनिक कारण :
(क) वहाँ पदों पर नियुक्ति में असमानता का भाव था 1 सैनिक के पद पर किसानों को बहाल किया जाता था ।
(ख) वहाँ सैनिक को काम के हिसाब से वेतन कम दिया जाता था और उन पर बहुत कठोर अनुशासन लगाए जाते थे।
(ग) सैनिकों के लिए भोजन की भी वहाँ सही व्यवस्था नहीं थी ।
(घ) वहाँ निम्न पदों पर किसानों को और उच्च पदों पर कुलीनों को बहाल किया जाता था।
(5) व्यक्तिगत एवं धार्मिक कारण :
(क) फ्रांस में सभी प्रकार की स्वतंत्रता का अभाव था । वहाँ भाषण, लेखन या अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने का भी अधिकार नहीं था ।
(ख) वहाँ धर्म को मानने की भी स्वतंत्रता नहीं थी । वहाँ का राजधर्म कैथोलिक धर्म था। सभी को इसी धर्म को मानना था और जो लोग प्रोस्टेंट धर्म को मानते थे उन्हें कठोर सजा दी जाती थी ।
(ग) वहाँ पर राजा का आदमी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता था। इसके लिए बिना अभियोग के गिरफ्तारी वारंट होता था ।
(घ) वहाँ के कानूनों में एकरूपता नहीं थी, देश के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 400 कानून लागू थे।
प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-फ्रांस की क्रांति के परिणाम :
(i) पुरातन व्यवस्था का अन्त-फ्रांस की क्रांति के बाद वहाँ सामन्तवाद का अंत हो गया। वहाँ पुरातन व्यवस्था की समाप्ति हो गई और आधुनिक युग का जन्म हुआ जिसमें स्वतंत्रता ‘समानता’ तथा बन्धुत्व को प्रोत्साहन दिया गया ।
(ii) धर्मनिरपेक्ष राज्य-फ्रांस की क्रांति के वहाँ धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना हुई । वहाँ जनता को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई ।
(iii) जनतंत्र की स्थापना-इस क्रांति में वहाँ से राजा के दैनिक अधिकार के सिद्धान्त को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना करवाई ।
(iv) व्यक्ति की महत्ता-फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने वहाँ के नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए तथा उनके कर्तव्यों की घोषणा की ।
(v) समाजवाद का प्रारम्भ-इस क्रांति के साथ ही वहाँ समाजवाद का उदय हुआ। जैकोविन्स ने सामान्य जनता के अधिकारों की रक्षा की और गरीबों का पक्ष लिया । उनके राजनैतिक अधिकारों की घोषणा की।
(vi) वाणिज्य व्यापार में वृद्धि-क्रांति के बाद वहाँ के व्यापारियों पर से कई प्रकार के व्यापारिक प्रतिबन्ध, जैसे-गिल्ड प्रथा, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि हटा दिए गए जिससे वहाँ व्यापार का तेजी से विकास हुआ ।
(vii) दास प्रथा का उन्मूलन-इस क्रांति ने फ्रांस से दास प्रथा को समाप्त कर दिया। सन् 1794 ई० में कन्वेन्शन ने ‘दास मुक्ति कानून’ पारित किया जिसे नेपोलियन ने समाप्त कर दिया। पर पुनः 1848 ई. में अन्तिम रूप से वहाँ उपनिवेशों से दास प्रथा को समाप्त किया गया ।
(viii) सरकार पर शिक्षा का उत्तरदायित्व-फ्रांस में क्रांति के पहले तक शिक्षा का प्रबन्ध चर्च में था । पर क्रांति के बाद वहाँ सरकार के द्वारा पेरिस विश्वविद्यालय तथा कई शिक्षण एवं शोध संस्थान खोले गए ।
(ix) राष्ट्रीय कलेंडर-क्रांति के बाद फ्रांस में ऋतुओं के आधार पर बारह महीनों में बँटा कलेंडर लागू किया गया और उसका नाम ब्रुमेयर, थर्मिडार आदि रखा गया ।
(x) महिला आन्दोलन-फ्रांस की क्रांति ने महिलाओं को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए जागरूक किया जिसके कारण आगे चलकर कितने दिनों तक महिला आंदोलन चलता रहा जिसके फलस्वरूप 1846 ई. में वहाँ की महिलाओं को मताधिकार का अधिकार मिला ।
प्रश्न 3. फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी । कैसे?
उत्तर-अठारहवीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बँटा हुआ था-पादरी, अभिजात वर्ग तथा मध्यम वर्ग, इनमें पादरी तथा अभिजात वर्ग को कुलीन वर्ग कहते थे तथा इन्हें कई प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त थे । फ्रांस की कुल भूमि का 40% इन्हीं के पास था । दूसरी ओर 90%
जनता मध्यम वर्ग की थी। इन्हें किसी प्रकार का विशेषाधिकार प्राप्त नहीं था । डाक्टर, वकील,
शिल्पी एवं मजदूर आदि इसी वर्ग में आते थे । मध्यम वर्ग में सबसे ज्यादा असंतोष था क्योंकि सुयोग्य एवं सम्पन्न होते हुए भी उन्हें कुलीनों जैसा सम्मान प्राप्त नहीं था । समपन्नता एवं उन्नति के वाबजूद वे सभी प्रकार के राजनीतिक अधिकारों से वंचित थे । राज्य के सभी ऊँचे ओहदे कुलीनों के लिए सुरक्षित थे, कुलीन वर्ग के लोग मध्यम वर्ग के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे। इसलिए मध्यम वर्ग ने फ्रांस की क्रांति ने अहम भूमिका निभाई जिसकी वजह से फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी।
प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का क्या योगदान था ?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति में फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू, वाल्टेयर तथा रूसो थे । मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक “विधि की आत्मा” में सरकार के तीन अंगों कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अलग-अलग रखने के विषय में बताकर शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया । वाल्टेयर राजतंत्र प्रजा हित में होना चाहिए, का प्रबल समर्थक था । मांटेस्क्यू और वाल्टेयर सुधार चाहते थे लेकिन रूसो पूर्ण परिवर्तन चाहता था । उसने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सामाजिक संविदा में राज्य को व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था और सामान्य इच्छा का संप्रभु माना । अत: वह जनतंत्र का समर्थक था।
प्रश्न 5. फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।
उत्तर-फ्रांस की क्रांति की देनें:
(i) फ्रांस की क्रांति ने सामन्तवाद का अंत किया तथा आधुनिक युग को जन्म दिया जिसमें समानता, स्वतंत्रता तथा बन्धुत्व को प्रोत्साहन मिला ।
(ii) इस क्षेत्र के अन्तर्गत बुद्धिवाद का उदय हुआ तथा जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
(iii) फ्रांस की क्रांति ने राजा के दैवी अधिकारों को समाप्त कर जनतंत्र की स्थापना की।
(iv) व्यक्ति की महत्ता पर बल दिया गया तथा मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की घोषणा की गई।
(v) दास प्रथा की समाप्ति हुई ।
(vi) कई शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गई ।
(vii) गिल्ड प्रथा, प्रान्तीय आयात कर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिबन्ध हटा देने के कारण वाणिज्य-व्यापार की वृद्धि हुई ।
(viii) राष्ट्रीय कैलेंडर लागू हुआ ।
(ix) महिलाओं को पुरुषों के समान राजनैतिक अधिकार प्रदान किया गया ।
प्रश्न 6. फ्रांस की क्रांति का यूरोपीय देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति का यूरोपीय देशों पर प्रभाव :
(1) इटली पर प्रभाव-फ्रांस की क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की जिससे उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ तथा इटली राज्य की स्थापना हुई।
(2) जर्मनी पर प्रभाव-जर्मनी जो 300 राज्यों में विभक्त था, नेपोलियन के प्रयास से 38 राज्यों में सीमित हो गया जिससे जर्मनी के एकीकरण को बल मिला ।
(3) पोलैंड पर प्रभाव-नेपोलियन ने पोलैंड में भी स्वतंत्रता की लहर फूंक दी । पहले यह रूस, प्रशा तथा आस्ट्रिया में बँटा था पर बाद में क्रांति के फलस्वरूप पोलैंड का स्वतंत्र राज्य कायम हो सका।
(4) इंग्लैंड पर प्रभाव-इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति में इस क्रांति का बहुत प्रभाव था ।
प्रश्न 7. फ्रांस की क्रांति के लिए लुई XVI किस प्रकार उत्तरदायी था ?
उत्तर-फ्रांस की क्रांति से पहले फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन व्यवस्था थी। बूर्वो राजवंश के लुई XIV के शासनकाल में साम्राज्य की प्रतिष्ठा उच्च शिखर पर थी, लेकिन उसके बाद के शासक अयोग्य सिद्ध हुए । 1774 ई० में लुई XVI गद्दी पर बैठा जो निरंकुश, फिजूलखर्ची एवं अयोग्य था । उसका विवाह आस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी अन्तोयनेत के साथ हुआ जो उत्सवों में काफी रुपये लुटाती थी और अपने खास आदमियों को ओहदे दिलाने के लिए राजकार्य में दखल देती थी। राजा के वर्साय स्थित महल में 15 हजार ऐसे अधिकारी थे जो कोई कार्य नहीं करते थे लेकिन राजस्व का 9% इन्हीं की वेतन के रूप में खर्च होता था । फ्रांस पर पहले से ही 10 अरब से भी अधिक का कर्ज बढ़ गया था । अतः राजा को अपने नियमित खर्च निकालने के लिए जनता पर करों में वृद्धि करनी पड़ती थी । निरंकुश राजतंत्र पर नियंत्रण का अभाव था ।
आवश्यकता पड़ने पर राजा पैसे तथा शक्ति के बल पर न्यायाधीशों को भी खरीद लेता था ।इन सब फ्रांस की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
प्रश्न 8. “जैकोबिन क्लब” का फ्रांस की क्रांति में क्या योगदान था ?
उत्तर-“जैकोबिन क्लब” आलोचकों का समूह था जिसका नेता रॉब्सपीयर था । राब्सपियर वामपंथी विचारधारा का समर्थक था । वह प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का पोषक था । 21 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मतदान का अधिकार देकर चुनाव कराया गया । 21 सितम्बर, 1792 को नव निर्वाचित एसेम्बली को कन्वेन्शन नाम दिया गया तथा राजा की सत्ता को समाप्त कर दिया गया । देशद्रोह के अपराध में लुई XVI पर मुकदमा चलाया गया तथा 21 जनवरी, 1793 को
उन्हें फाँसी दे दी गई। कुछ दिनों के बाद मेरी अन्तोयनेत को भी फाँसी दे दी गई । कन्वेन्शन द्वारा फ्रेंच को राष्ट्र की एकमात्र भाषा घोषित कर दी गई । गुलाम प्रथा तथा प्रथम पुत्र को ही उत्तराधिकार की प्रथा को भी समाप्त कर दिया गया । इन सभी को रॉब्सपियर ने सर्वोच्च सत्ता की प्रतिष्ठा के रूप में स्थापित किया लेकिन उसकी हिंसात्मक कार्रवाइयों की वजह से जुलाई,1794 में उसे मृत्युदंड मिला।
Nice
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