9 geography notes – समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन
समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन
9 geography notes
class – 9
subject – geography
lesson 13 – समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन
समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
समुदाय भावनात्मक लगाव से उत्पन्न समूह होता है जहाँ लोग मिल-जुलकर सुख-दुःख का सामना करते हैं। हम परिवार में शिशु के जन्म, नए घर में प्रवेश, विवाह से लेकर मृत्यु, आगजनी आँधी और ओलापात, जैसी सुख-दुःख का सामना हम समुदाय में रहकर ही करते हैं।
इसी मेल-जोल से समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन का विकास हुआ, यद्यपि आजकल एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ गया है फिर भी जब एक मुहल्ले के लोग मिलजुल कर आवाज उठाते हैं तो वह ज्यादा कारगर तथा असरदार होती है।
आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका रहती है। आपदा में मकान जल सकते हैं, घर गिर जाते हैं बाद आ सकती है लेकिन समुदाय नहीं टूटता तथा समुदाय की एकता ही उसकी ताकत होती है। आपदा प्रबंधन के लिए जो सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं उसके वितरण में तथा प्रत्येक परिवार तक उसके लाभ को पहुंचाने में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका रहती है। आपदा प्रबंधन एक महत्त्वपूर्ण सामुदायिक कार्य है।
इसके तीन प्रमुख अंग होते हैं-
(1) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण
(ii) आपदा के समय प्रबंधन गतिविधियाँ
(iii) आपदा के बाद प्रबंधन कार्य
इन तीनों ही कार्यों में परिवार, ग्राम सभा, स्वयंसेवी संस्था और निकटतम विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
एक अकेला व्यक्ति किसी प्रकार की आपदा का सामना नहीं कर सकता। लेकिन जब वे एक से ज्यादा हो जाते हैं तो आपदा का सामना करने में आसानी होती है। भारत की स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदू मुस्लिम आपस में लड़ गए थे। तब यह सामुदायिक प्रबंधन ही था जिससे भाईचारे की पुनः स्थापना हो सकी थी।
आपदा प्रबंधन के अन्तर्गत ज्यादा से ज्यादा लोगों को आपदा की सूचना देकर हम समुदाय की भागीदारी को सुनिश्चित तथा प्रभावी बना सकते हैं।
राष्ट्रीय स्तर के निर्णय के अनुसार ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन का निर्णय लिया गया है जिससे आपदा के समय राहत तथा बचाव कार्य सुनियोजित तरीके से चलाया जा सके।
इस समिति के नौ सदस्य होते हैं-
विद्यालय के प्रधानाचार्य, गाँव का मुखिया, गाँव का सरपंच, गाँव के दो समर्पित लोग,
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का एक डॉक्टर, राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्य, ग्राम सेवक, स्वयं सहायता समूह की दो महिलाएँ। इस समिति के कार्यों में चेतावनी देना, राहत शिविर का चयन करना, राहत कार्य चलाना, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना, सभी को सुरक्षा देना, स्वच्छता का ख्याल रखना आदि आते हैं।
(वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर)
1. आपदा प्रबंधन के तीन प्रमुख अंगों में कौन एक निम्नलिखित में शामिल नहीं है ?
(क) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण
(ख) आपदा के समय प्रबंधन गतिविधियाँ
(ग) आपदा के बाद निश्चित रहना
(घ) आपदा के बाद प्रबंधन कार्य करना
उत्तर-(ग)
2.प्रत्येक ग्रीष्म ऋतु में कौन-सी आपदा लगभग निश्चित है ?
(क) आगजनी
(ख) वायु दुर्घटना
(ग) रेल दुर्घटना
(घ) सड़क दुर्घटना
उत्तर-(क)
3.सामुदायिक प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन एक प्राथमिक क्रियाकलाप में शामिल नहीं है?
(क) निकटतम प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र को सूचित करना
(ख) प्रभावित लोगों को स्वच्छ जल और भोजन की शुद्धता की गारंटी देना
(ग) आपदा की जानकारी प्रशासन तंत्र को नहीं देना
(घ) आपातकालीन राहत शिविर की व्यवस्था करना
उत्तर-(ग)
4.ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति का प्रमुख कार्य है-
(क) प्राथमिक उपचार की व्यवस्था नहीं करना
(ख) सभी को सुरक्षा देना
(ग) राहत शिविर का चयन एवं राहत पहुंचाने का कार्य करना
(घ) स्वच्छता का ख्याल रखना
उत्तर-(ख)
(लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. अग्निशमन दस्ता आने के पूर्व समुदाय द्वारा कौन से प्रयास किए जाने चाहिए?
उत्तर-अग्निशमन दस्ता के आने के पूर्व समुदाय द्वारा निम्न प्रयास किए जाते हैं-
(i) झुलसे हुए लोगों को एक जगह ले जाकर उनका प्राथमिक उपचार करना।
(ii) झुलसे लोगों के शरीर पर पानी डालने और चंदन का लेप लगाने का कार्य भी करना चाहिए। इससे लोगों की जलन थोड़ी कम होगी।
(iii) जले हुए भागों पर बर्फ रगड़ने से भी राहत मिलती है।
(iv) जिस जगह पर आग लगी हो, वहाँ अधिक से अधिक पानी डालना ताकि आग ज्यादा दूर तक फैल न पाए, और आसपास के लोगों को नुकसान न हो।
प्रश्न 2. ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में कौन-कौन से सदस्य शामिल होते हैं?
उत्तर-ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में ग्राम पंचायत प्रशासनिक व्यवस्था, स्वयंसेवी संस्था से जुड़े लोग तथा प्रगतिशील व्यक्ति शामिल होते हैं।
प्रश्न 3. आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में किन अच्छे गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर-आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में निम्नलिखित अच्छे गुण होने चाहिए-
(i) समुदाय के सदस्यों को हमेशा समुदाय की भलाई के बारे में सोचना चाहिए।
(ii) समुदाय जब सामूहिक कार्य के लिए टीम का गठन करे तो उसे अपने टीम परिश्रमी और साहसी लोगों को ही लेना चाहिए। क्योंकि साहसी और परिश्रमी लोग ही आपदा का सामना सही ढंग से कर सकते हैं।
(iii) समुदाय में धर्म और जात-पात को लेकर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
(iv) समुदाय की किसी भी व्यक्ति को जैसे ही किसी आपदा की जानकारी मिले, उसे तुरंत एक-दूसरे को यह जानकारी देनी चाहिए।
(v) समुदाय के लोगों में उत्साह, साहस और आवश्यकता पड़ने पर सख्ती अपनाने की भी क्षमता होनी चाहिए।
(vi) समुदाय के लोगों को आपदा के समय में अपने निजी कार्यों को छोड़कर आपदा का सामना करना चाहिए।
(दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका निम्नलिखित हैं-
जब किसी प्रकार की आपदा आती है, उसके कोई भी एक इंसान अकेले नहीं निपट सकता है। किसी आपदा से निपटने के लिए सामुदायिक प्रयास ही बेहतर होता है। किसी भी आपदा हमें कितनी हानि हुई, इसका सही अनुमान समुदाय ही लगा सकता है। आपदा से निपटने के लिए समुदाय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, अगर सुविधाओं को सही ढंग से वितरित नहीं किया गया। तो, आपदा झेलने वाले प्रत्येक परिवार तक उसका लाभ नहीं पहुँच पाएगा।
किसी प्रकार के आपदा के पूर्वानुमान की सूचना की जानकारी हमें समुदाय से ही प्राप्त होती है तथा इन आपदाओं का सामना सबसे पहले समुदाय के लोग ही करते हैं। आपदा आने पर हमारे सभी चीजें हमसे छीन सकती हैं। हमारा मकान जल सकता है, बाढ़ आ सकती है, किसी प्रकार की महामारी फैल सकती है, पर हमारा समुदाय कभी नहीं टूटता है। हर सुख-दुख में समुदाय
हमारा साथ देता है। समुदाय के नेतृत्व में बहुत से कार्यों को सफलतापूर्वक किया जाता है,
जैसे-प्रशासनिक प्रबंधन कार्य, स्वयंसेवी संस्थाओं का प्रबंधन का कार्य इत्यादि।
प्रश्न 2. ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के कार्यों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर-ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) पूर्वानुमान के आधार पर आपदा की चेतावनी एवं सूचना लोगों को देना।
(ii) प्रबंधन समिति जिला मुख्यालय से प्राप्त सूचनाओं को जल्द से जल्द लोगों तक पहुँचाना।
(iii) राहत शिविर के लिए सही स्थान का चुनाव करना और आपदा से प्रभावित लोगों को राहत पहुँचाने का कार्य करना।
(iv) अगर आपदा आग से संबंधित हो, तो तुरंत दमकल को सूचित करना।
(v) राहत कार्य के तहत लोगों को सबसे पहले पीने के लिए शुद्ध जल और खाने के शुद्ध भोजन की व्यवस्था करना।
(vi) आपदा से ग्रसित लोगों के लिए प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना।
(vii) राहत कार्यों के तहत महिलाओं और बच्चों को पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
(viii) राहत कार्यों के तहत आपदा से ग्रसित लोगों जहाँ रखने की व्यवस्था की गई हो, उस स्थान के आस-पास साफ-सफाई का खास ध्यान रखना, ताकि कोई बीमारी न फैले।
प्रश्न 3. आपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?
उत्तर-आपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को सुनिश्चित तभी किया जा सकता है, जब आनेवाली आपदा की सूचना अधिक से अधिक लोगों को मिले। ग्राम पंचायत प्रशासनिक व्यवस्था, स्वयंसेवी संस्था तथा कोई प्रगतिशील व्यक्ति आगे बढ़कर निम्नलिखित विधियों के द्वारा लोगों की
भागीदारी को सुनिश्चित करती है-
(i) आस-पास विद्यालयों अर्थात् जो उस क्षेत्र के नजदीक में हों, वहाँ के बच्चों को यह बताना कि बाढ़ या आँधी की संभावना है, इसलिए घर के लोगों को सचेत कर देना। .
(ii) मंदिर-मस्जिद या गिरजाघर में मानवजनित या प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बताना। यह उस समय देना चाहिए सूचना वहाँ प्रार्थना का समय हो, क्योंकि प्रार्थना के समय वहाँ लोगों की संख्या अधिक होगी और जानकारी अधिक अधिक लोगों को मिल जाएगी।
(iii) अत्यधिक उम्र के बृद्ध, शिशु, गर्भवती महिला, बीमार और विक्षिप्त लोग जिन परिवारों में हों, उन परिवारों को सूची बनाना और ऐसे लोगों के विस्थापन के लिए विशेष दल का गठन करना
(iv) राहत शिविर बनाने के लिए गाँव के पंचायत भवन या गाँव के विद्यालयों में आपातकालीन व्यवस्था करना, जिसमें खाने-पीने के सामान, नाव, तैरनेवाले जैकेट, चिकित्सक की सुविधा इत्यादि की व्यबस्था करना।
(v) जाति और सांप्रदायिक तनाव, महामारी, ओलावृष्टि इत्यादि आपदाओं के समय मेंपरिवहन की व्यवस्था अवश्य रखनी चाहिए, ताकि अगर संचार की सुविधा, जैसे-फोन, मोबाइल इत्यादि न होने पर संबंधित अधिकारी को इसकी सहायता से सूचित किया जा सके।