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मानवीय गलतियों के कारण घटित आपदाएँ : नाभिकीय जैविक और रासायनिक
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class – 9
subject – geography
lesson 11 – नाभिकीय जैविक और रासायनिक
नाभिकीय जैविक और रासायनिक
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
वह त्रासदी जो न सिर्फ मानव समुदाय बल्कि जैविक समूहों के लिए भी संकट की स्थिति उत्पन्न कर दे ,आपदा कहलाती है।
यह कई प्रकार की होती है। लेकिन मूल रूप से इन्हें दो वर्गों में रखा गया है-प्राकृतिक आपदाएँ तथा मानव जनित आपदाएँ।
प्राकृतिक आपदाओं के अंतर्गत वे आपदाएँ शामिल हैं जो प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होती हैं। जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, अति ओला वृष्टि, भूस्खलन, सूखा, बाढ़ इत्यादि।
मानवजनित आपदाओं में वैसी आपदाएँ शामिल हैं जिनकी उत्पत्ति मानवीय गलतियों के कारण होती है। इन आपदाओं में रासायनिक जैविक तथा नाभिकीय आपदाएँ प्रमुख हैं। इन आपदाओं के कारण मानवीय समूहों के साथ-साथ आस-पास के जैविक समूहों का ना सिर्फ विनाश होता है बल्कि उनमें स्थायी त्रासदी आ जाती है। प्राकृतिक आपदाओं पर नियंत्रण करना संभव नहीं है।
मानव जनित आपदाएँ मनुष्य की गलतियों तथा महत्त्वाकांक्षा का परिणाम है। तकनीकी तथा विज्ञान के विकास का उद्देश्य जन-कल्याण, गरीबी से निवारण तथा शांति से जीने का अवसर प्रदान करना था लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मानव ने इनका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मानव तथा जैविक समूहों को प्राकृतिक आपदाओं से ज्यादा क्षति मानव जनित आपदाओं के कारण उठानी पड़ रही है। इस अध्याय में हम मानवीय आपदाओं के बारे में चर्चा करेंगे।
11.1. नाभिकीय आपदा
नाभिकीय ऊर्जा के अंतर्गत यूरेनियम तथा प्लूटोनियम जैसे खनिजों को परिष्कृत कर रिएक्टर के माध्यम से उनका शिखंडन कराया जाता है जिससे ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह ऊर्जा आर्थिक तथा सामाजिक विकास को नई गति दे सकता है लेकिन इसका उपयोग परमाणु बम बनाने के लिए होने से यही ऊर्जा आपदा का कारण बन जाती है। आज अनेक देशों ने परमाणु विस्फोट कर अपनी सामरिक क्षमता का परिचय दिया है। परमाणु बम सर्वप्रथम 1945 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध में उपयोग किया गया था। सर्वप्रथम 6 अगस्त, 1945 ई० में हिरोशिमा पर तथा 9 अगस्त, 1945 में नागासाकी पर बम गिराया गया था। इसके प्रभाव से लाखों लोगों की मौत हो गई, कई राज्य कब्रिस्तान में तब्दील हो गए। एक लाख से अधिक लोग अपंग हो गए जिन्हें परमाणु विकिरणों के कारण कैंसर, चर्म रोग, श्वास संबंधी भयंकर बीमारियाँ हो गईं।
इस त्रासदी के बाद अब तक किसी युद्ध में परमाणु अस्त्रों का उपयोग नहीं हो सका लेकिन इसके उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है। लेकिन मानवीय मूल के कारण कई दुर्घटनाएँ भी घटी हैं। 1986 ई० में तत्कालीन सोवियत संघ के चैनोविल नगर में रिएक्टर से रेडियोधर्मिता के कारण सैकड़ों लोगों की जान गई तथा वर्षों तक इसका असर रहा।
परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने वाले सभी केंद्रों पर स्वत: रेडियेशन की प्रक्रिया होती है। अतः वहाँ कार्य करने वाले सभी वैज्ञानिकों तथा श्रमिकों को रेडियेशन प्रतिरोधी जैकेट का उपयोग करना पड़ता है तथा इसके बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए। लेकिन भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। परमाणु ऊर्जा के उपयोग के बाद परमाणु कचरे का सही तरीके से निष्पादन कर देना चाहिए या उसका संग्रह विशेष रूप निर्मित संग्रह-गृह में करना चाहिए या अत्यधिक गहराई में ढंक देना चाहिए वरना वह पुनः कुछ अंतराल के बाद रेडियेशन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
परमाणु ऊर्जा सदैव विनाशकारी नहीं होती। इसलिए इसी वर्ष परमाणु-ऊर्जा संधि के द्वारा विश्व के करीब 20 देशों ने भारत को इस ऊर्जा उत्पादन हेतु संबंधित यूरेनियम देने का आश्वासन दिया है। भारत ने भी आश्वासन दिया है कि इस ऊर्जा का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जाएगा। लेकिन परमाणु बम का समझौता पर्याप्त नहीं है। मानवीय भूल-चूक से विस्फोट भी लाखों
लोगों की जान ले सकती है। अतः ऐसे केंद्रों को मानवीय बस्तियों से दूर रखनी चाहिए। ऐसे केंद्रों पर कार्य करने वालों की स्वास्थ्य जाँच नियमित अंतराल पर करते रहनी चाहिए। सामुदायिक स्तर पर बताना चाहिए कि दुर्घटना के समय क्या करें तथा क्या न करे । दुर्घटना की जानकारी मिलते ही रेडियेशन प्रतिरोधी जैकेट तथा मास्क पहनें, खुले भोजनालय का प्रयोग ना करें, आग जलाने का कार्य ना करें इत्यादि। इन क्षेत्रों में तहखाने का निर्माण करना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर लोगों को उसके अंदर सुरक्षित रखा जा सके। क्योंकि निश्चित गहराई के पश्चात रेडिएशन का प्रभाव कम हो जाता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
1. इनमें से कौन परमाणु ऊर्जा केन्द्र है ?
(क) कैगा
(ख) वाराणसी
(ग) दिल्ली
(घ) मेरठ
उत्तर-(क)
2. हिरोशिमा किस देश में है ?
(क) भारत
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) ताईवान
उत्तर-(ख)
3.परमाणु विस्फोट से बचने के लिए सर्वप्रथम प्रतीक चिह्न का विकास किसने किया?
(क) टोकियो विश्वविद्यालय
(ख) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
(ग) कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(ग)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. परमाणु ऊर्जा क्या है ?
उत्तर-जब यूरेनियम तथा प्लूटोनियम जैसे खनिजों को परिष्कृत कर रिएक्टर के माध्यम से नाभिकीय विखंडन कराया जाता है तो ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिसे नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 2. विश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम किस देश पर गिराया गया था ?
उत्तर-विश्व में सर्वप्रथम परमाणु बम संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर तथा 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर गिराया गया था जो जापान में स्थित है।
प्रश्न 3. भारत के किस राज्य में परमाणु विस्फोट किया गया ?
उत्तर-भारत के राजस्थान में परमाणु विस्फोट किया गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रेडियेशन से क्या-क्या हानि होती है ? मनुष्य पर पड़नेवाले प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी दें।
उत्तर-रेडिएशन का विकिरण नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन के दौरान होता है। इसके अंतर्गत यूरेनियम, प्लूटोनियम जैसे खनिजों को परिष्कृत कर रिएक्टर के माध्यम से नाभिकीय विखंडन कराया जाता है जिसके कारण ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसी क्रिया के दौरान रेडिएशन अर्थात् विकिरण की क्रिया होती है। इसके अलावा जब परमाणु बमों का प्रयोग होता है तब भी रेडियोधर्मी विकरणों का प्रभाव होता है।
रेडियेशन से मानव जनित ही नहीं बल्कि अन्य जैविकों को भी हानि होती है। रेडिएशन से लाखों लोगों को कैंसर, चर्म रोग, श्वास संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। इन रोगों का असर स्थायी तौर पर कई वर्षों तक रहता है। इसके अलावा लोग मनोरोग से भी ग्रसित हो जाते हैं। बसे-बसाए नगर कब्रिस्तान में बदल जाते हैं। वहाँ की जमीन, जल सभी बंजर तथा दूषित हो जाते हैं। इन सबसे उबरने में कई साल लग जाते हैं। हिरोशिमा तथा नागासाकी पर 1945 ई० में परमाणु बम गिराया गया था लेकिन उसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है।
प्रश्न 2. परमाणु ऊर्जा से क्या लाभ हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-आज के समय में ऊर्जा प्राप्ति के स्रोत अनेक हैं। जैसे कोयला, तेल, लकड़ी, जल,ऊर्जा, पवन ऊर्जा, आदि।
इनमें कुछ स्रोत सीमित हैं ।जैसे कोयला तेल आदि जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि भी ऊर्जा के स्रोत हैं लेकिन इनका उपयोग करने के लिए वातावरण हर जगह उपलब्ध नहीं है। दूसरी ओर बढ़ती आबादी की वजह से ऊर्जा की आवश्यकताएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। अत: ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसी तीसरे स्रोत की आवश्यकता है। इस रूप में परमाणु ऊर्जा अत्यंत उपयोगी है। परमाणु ऊर्जा जन कल्याण, गरीबी निवारण, सुख तथा
शांति से जीने का अवसर प्रदान कर सकती है। परमाणु ऊर्जा के प्रयोग से हम बिजली उत्पादन कर सकते हैं जिससे हम बिजली की बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। इसके अलावा हम इसका उपयोग कल-कारखानों में बिजली या ईंधन के रूप में भी कर सकते हैं।
11.2. रासायनिक आपदा
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
औद्योगिक उत्पाद से जुड़ी समस्याओं में रासायनिक पदार्थों के उत्पादन से जुड़ी समस्याओं को तीन भागों में बाँटा गया है।
(i) विषैले रासायनिक उत्पाद
(ii) रासायनिक युद्ध सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदाएँ
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से रिसाव
(i) विषैले रासायनिक उत्पादों को प्रयोग से न सिर्फ मृदा के सूक्ष्म जीवों का विनाश होता है बल्कि उत्पाद भी विषैले हो जाते हैं। जिसके उपयोग से बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। कीटनाशक के प्रयोग से भी खेत तथा तालाब का जल जहरीला हो जाता है। औद्योगिक उत्सर्जन के कारण
वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड के प्रभाव से जल दूषित होता है। इससे मनुष्य के शरीर, फसल, वनस्पति, फल तथा मछलियों पर बुरा असर पड़ता है।
(ii) रासायनिक आयुध के अंतर्गत विविध हरीले गैसों के प्रयोग के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थों में भी ऐसे गैस सन्निहित होते हैं जिसके प्रभाव से त्वचा में जलन तथा गलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
श्वसन द्वारा आंतरिक प्रभाव से घुटन, बेहोशी और मृत्यु की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है।
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव भी आपदा का रूप ले लेता है। अपंग लोगों को श्वसन की समस्या, बुखार आना, लगातार कफ होना, मानसिक अपंगता तथा डिप्रेशन जैसी बीमारियाँ शामिल हैं। तमिलनाडु के तूतीकोरिन में 5 जुलाई, 1997 को ताँबा गलाने के कारखाने में गैस रिसाव से कार्य करनेवाली 90 लड़कियाँ प्रभावित हुईं। उन्हें उल्टी होना, छाती में जलन तथा निमोनिया जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हुई। अधिकतर पटाखे फैक्ट्री तथा विस्फोटक पदार्थों के कारखानों में कार्य करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर लगातार प्रतिकूल असर पड़ता है।
रासायनिक आपदा से बचने के लिए कारखानों के प्रांगण में पर्याप्त मात्रा में जल तथा अग्निशामकों को रखना चाहिए। गैस रिसाव की स्थिति में वायु की विपरीत दिशा में चलना चाहिए। रासायनिक कारखानों में कार्य करनेवाले लोगों को मास्क तथा ग्लब्स, विशिष्ट डिजाइन
वाले ट्राउजर तथा जूतों का उपयोग करना चाहिए।
निश्चित अंतराल पर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाना चाहिए। वैसी तकनीकी का उपयोग करना चाहिए जो रिसाव तथा दुर्घटनाओं को कम कर सके।
रासायनिक आयुधों के निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए क्योंकि इसे आतंक तथा भारी विनाश का अस्त्र कहा जाता है। सभी देशों जो ऐसे आयुधों का उत्पादन करते हैं, को मिलकर ऐसी नीति बनानी चाहिए जो इसके प्रयोग की संभावनाओं को न्यूनतम कर सके।
रासायनिक खाद तथा कीटनाशक से उत्पन्न छिपी हुई आपदाओं से बचने के लिए एक कृषि विकास नीति बनाने की जरूरत है।
वर्तमान समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत के 80% कीटनाशकों को अत्यधिक जहरीला तथा मानवीय स्वास्थ्य के प्रतिकूल बताया गया है। भए संकट बीजों के उपयोग की वजह से उत्पादित पदार्थ मानवीय स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। वायुमंडल में कार्थन डाईऑक्साइड, मिथेन और अम्ल की मात्रा में लगातार हो रही वृद्धि सम्पूर्ण जीवमंडल के लिए विनाशकारी हो सकती है। वर्तमान समय में रासायनिक आपदा प्रबंधन के लिए सुरक्षित स्थान, स्वचा जल, अनौपचारिक तथा आकस्मिक चिकित्सा उपलब्ध करवानी चाहिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
1.भोपाल में रासायनिक गैस का रिसाव का हुआ था ?
(क) 1984
(ख) 1990
(ग) 1930
(घ) 2004
उत्तर-(ख)
2. तूतीकोरीन में 1997 ई. में गैस रिसाव से कौन-सी बीमारी उत्पन हुई?
(क) उल्टी होना
(ख) सर्दी एवं खाँसी
(ग) उल्टी होना एवं छाती में जलन
(घ) मस्तिष्क ज्वर
उत्तर-(ग)
3. अम्लीय वर्षा का सर्वाधिक प्रभाव कहाँ पड़ा था?
(क) पटना महानगर
(ख) दामोदर घाटी क्षेत्र
(ग) उत्तरी विहार
(घ) असम घाटी क्षेत्र
उत्तर-(ख)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. किस देश द्वारा गैस के प्रयोग से यहूदियों को मारा गया था ?
उत्तर-जर्मनी द्वारा गैस के प्रयोग से यहूदियों को मारा गया था।
प्रश्न 2. कीटनाशक में किस रासायनिक पदार्थ का प्रयोग होता है?
उत्तर-कीटनाशक में सल्फर का प्रयोग होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. गैस रिसाव होने पर किस प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर-गैस रिसाव होने पर वहां मौजूद लोगों को हवा की विपरीत दिशा की ओर जाना चाहिए। उन लोगों को मॉस्क और ग्लब्स, विशेष प्रकार से डिजाइन किए गए ट्राउजर और जूते का उपयोग करना चाहिए। अपनी स्वास्थ्य की जाँच भी करवानी चाहिए। गैस का रिसाव होने पर सबसे पहले वायु प्रदूषित है और वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की
मात्रा घटने लगती है तथा जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ते लगती है जो साँस के द्वारा अंदर जाकर हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है कभी-कभी तो यह मृत्यु का कारण भी बन जाती है। इसलिए मास्क का उपयोग करना सही है। कुछ जहरीली गैस हमारे शरीर के चर्म को भी बहुत
नुकसान पहुँचाती है, जिसके फलस्वरूप चर्म रोग होने की संभावना रहती है। इसलिए लोगों को विशेष प्रकार के ट्राउजर और जूते के उपयोग की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 2. रासायनिक आपदा के अन्तर्गत आनेवाली समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर-रासायनिक आपदा को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा गया है, जो इस प्रकार हैं-
(i) विशेष रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न आपदाएँ
(i) रासायनिक युद्ध सामग्नी के उपयोग से उत्पन्न आपदाएँ
(ii) रासायनिक औद्योगिक इकाई में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदाएँ
(i) ऐसी आपदाओं का अनुभव जल्दी नहीं होता है। इस प्रकार की आपदा का सबसे अधिक प्रभाव कृषि पर पड़ता है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी में रहने वाले छोटे-छोटे कीटों के साथ-साथ उस मिट्टी में उत्पन्न फसलें भी जहरीली हो जाती हैं और उनकेउपयोग से जानलेवा बीमारी होने का भी खतरा रहता है। इनके प्रयोग से खेत और तालाब का जल भी जहरीला हो जाता है। औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायुमंडल में सल्फर डायऑक्साइड एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने से अम्लीय वर्षा होती है, जिससे शरीर, फसल, वनस्पति, जल और मछलियों पर बुरा असर पड़ता है।
(ii) रासायनिक आयुधों के अंतर्गत विविध जहरीले गैसों के प्रयोग के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थों में भी ऐसे गैस सन्निहित होते है जिसके प्रभाव से त्वचा में जलने तथा गलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। श्वसन द्वारा आंतरिक प्रभाव से पुटन, बेहोशी तथा मृत्यु की स्थिति भी उत्पन्न
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न त्रासदी भी भयंकरआपदा का रूप ले लेती है। इसके प्रभाव से श्वसन की समस्या उल्टी होना, छाती में जलन तथा निमोनिया जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
11.3 जैविक आपदा
महत्त्वपूर्ण तथ्य-
जैविक तथा जीवों से प्राप्त पदार्थ जब मनुष्य के लिए त्रासदी का रूप ले लेते हैं। इसके अंतर्गत वैसे जैविक पदार्थ भी आते हैं जिससे मवेशियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़े। जैविक आपदा को मुख्यत: चार वर्गों में विभाजित किया गया है-
(i) प्रथम वर्ग में उन बीमारियों को रखा गया है जिसका कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस होते हैं। ये अतिविनाशकारी नहीं होती। इनसे तात्कालिक बचाव के लिए ग्लब्स, मास्क जैसे सामानों का सतत प्रयोग करना आवश्यक होता है। इनके अन्तर्गत चिकेन पॉक्स, केनिन तथा हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ होती हैं।
(ii) इस वर्ग में वैसी बीमारियों को रखा जाता है जिनकी उत्पत्ति के कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस हैं। इस वर्ग से उत्पन्न बीमारियों में हेपेटाइटिस A, B और C, इंफ्लूएंजा, लाइम डिजीज, चिकन पॉक्स, एड्स आदि हैं। ऐसी बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य
परीक्षण आवश्यक है।
(iii) तीसरे वर्ग में वैसे सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस को रखा गया है जो मानव समूह के लिए विनाशकारी आपदा ला सकते हैं। इसके अंतर्गत एंथ्रेक्स, नील वायरस, वेनेजुएलिन एन्सेफ्लाइटिस, स्मॉल पॉक्स, ल्यूबरो कोलोसिस वायरस, येलो बुखार, हैजा, मलेरिया तथा कालाजार आदि आते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस अत्यंत ही खतरनाक होते हैं तथा तेजी से फैलते हैं। ये अधिकतर गरीब देशों में फैलते हैं।
(iv) चौथे वर्ग के अंतर्गत अति विनाशकारी वायरस को रखा जाता है। इसमें आनेवाले वायरस वोलिवियन तथा अर्जेटियन बुखार, बर्ड फ्लू, एड्स, डेंगू बुखार, मारवर्ग बुखार तथा एबोला बुखार प्रमुख हैं।
सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस मूलत: विविध प्रकार के संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है जो
तेजी से फैलता है तथा महामारी का रूप ले लेता है।
जैविक अस्त्र से उत्पन्न आपदाओं को भी जैविक आपदा कहा जाता है। इसे भारी विनाश का अस्त्र कहा जाता है। इसके अंतर्गत जैविक हथियारों के तौर पर सूक्ष्म जीवाणुओं का इस्तेमालकिया जाता है जो श्वसन की क्रिया के द्वारा शरीर के अन्दर जहर उत्पन्न करते हैं जो त्रासदी को जन्म देते हैं । इसे डर्टी बम भी कहते हैं। इससे बचाव के लिए गर्म जल पीना, स्वच्छ भोजन ग्रहण करना, छिड़काव तथा ग्लब्स का उपयोग करना चाहिए । इसके प्रयोग को रोकने के लिए सख्त कानून तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयास की भी आवश्यकता है।
(वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर)
1.डेंगू बीमारी का क्या कारण है?
(क) आग लगने से
(ख) एक बर्तन में अधिक समय तक पानी रहने से
(ग) बाढ़ आने से
(घ) गंदे भोजन से
उत्तर-(ख)
2.एंथ्रेक्स क्या है?
(क) अति सूक्ष्म जीव
(ख) युद्धपोत
(ग) जंगली जानवर
(घ) युद्ध का एक अस्त्र
उत्तर-(घ)
3.भारत मे एड्स से कितने लोग प्रभावित है?
(क) 25 लाख
(ख) 30 लाख
(ग) एक करोड़
(घ) 50 लाख
उत्तर-(क)
(लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर)
प्रश्न 1. प्लेग और हैजे का क्या कारण है?
उत्तर-प्लेग और हैजा बड़े स्तर की महामारी है। यह एक सामुदायिक स्तर की महामारी है। इन रोगों के प्रमुख कारण रोगजनक जीवाणु/विषाणु होते हैं।
प्रश्न 2. एड्स की बीमारी के कारण बताएँ।
उत्तर-भारत में एड्स का पता सर्वप्रथम 1986 ई. में चला। इसकी उत्पत्ति HIV वायरस से होती है। कोई मनुष्य जब HIV वायरस से ग्रसित होता है तब शुरुआती स्तर में यह वायरस सुसुप्तावस्था में होता है। अगर मनुष्य अपने खानपान तथा स्वास्थ्य का ध्यान ना रखे तो धीरे-धीरे यह वायरस ताकतवर हो जाता है तथा शरीर के इम्यून सिस्टम अर्थात् प्रतिरोधी क्षमता पर असर करने लगता है। जब यह वायरस ताकतवर हो जाता है तो शरीर को अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है जिसे एड्स कहते हैं। यह आकस्मिक त्रासदी उत्पन्न नहीं करता वरन् यह
धीरे-धीरे असर करता है। इस वायरस का फैलाव वंशानुगत तथा दूषित खून चढ़ाने, माता से अपने बच्चों को, संक्रमित सूई उपयोग में लाने से भी होता है।
प्रश्न 3. हेपेटाइटिस बी के कारणों को बताएँ।
उत्तर-हेपेटाइटिस बी विषाणु के संक्रमण से फैलता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. जैविक आपदा कितने प्रकार के हैं ? उनका संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर-जैविक आपदा को मुख्यत: चार वर्गों में बाँटा गया है-
(i) प्रथम वर्ग में उन बीमारियों को रखा गया है जिसका कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस होते हैं। ये वे जीवाणु और वायरस हैं जो चिकेन पॉक्स, केनिन, हेपाटाइटिस जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं । इनसे तात्कालिक बचाव के लिए ग्लब्स, मॉस्क आदि का उपयोग करना चाहिए।
(ii) इस जैविक आपदा के अंतर्गत वैसी बीमारियों को रखा जाता है जिसके उत्पत्ति का कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस है। इस वर्ग से उत्पन्न बीमारियों में हेपेटाइटिस A,B तथा C इंफ्लुएंजा, लाइम डिजीज मिजिल्स चिकेन पॉक्स और एड्स जैसी बीमारियाँ संभव हैं। ऐसी बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है।
(iii) जैविक आपदा के तीसरे वर्ग में वैसे सूक्ष्म जीवाणु और वायरस को रखा गया है जो मानव समूह के लिए विनाशकारी आपदा का रूप ले सकते हैं। इसके अंतर्गत एंथ्रेक्स, पश्चिमी नील वायरस, वेनेजुएलेयिन एन्सेफ्लाइटिस, स्मॉल पॉक्स, ट्युबरक्लोरॉसिस वायरस, रिफ्टवैली बुखार, येलो बुखार, मलेरिया हैजा, कालाजार आदि आते हैं। ये अत्यंत ही सूक्ष्म तथा खतरनाक होते हैं तथा तेजी से फैलते । अधिकतर गरीब देशों में फैलती है।
(iv) चौथे स्तर के जैविक आपदा के अंतर्गत अति विनाशकारी वायरस को रखा जाता है। इसमें आनेवाली बीमारियों में वायरस बोलिवियन, अटियन बुखार, मई पल, एइस, डेंगू बुखार,मारवर्ग बुखार, एबोला बुखार इत्यादि आते हैं। ये सर्वाधिक जोखिम भरी आपदा है।
प्रश्न 2. जैविक अस्त्र क्या है। इससे उत्पन समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर-नवीन अस्त्रों का उपयोग आज युद्ध तकनीकों के तौर पर किया जाता है। इसके अंतर्गत जैविक अब भी आते है। इस पारी विनाश का अस्त्र कहा जाता है। जैविक अस्त्रों का
तकनीक का विकास मुख्यतः जापानियों द्वारा किया गया था परंतु इसका वास्तविक उपयोग 2001ई० में संयुत राज्य अमेरिका के बल्ड ट्रेड सेंटर के हमले के बाद हुआ। जैविक हथियारों के अन्तर्गत वैसे सूक्ष्म जीवाणु आते है जो श्वसन क्रिया के दौरान शरीर के अंदर जाकर जहर उत्पन्न करते हैं तथा त्रासदी को जन्म देते हैं। इसे गंदा बम (Dirty Bomb) भी कहते हैं। उदाहरण के लिए एंथ्रेक्स जीवाणु।
प्रश्न 3. जैविक आपदा से बचाव के उपाय बताएं।
उत्तर-जैविक आपदा से बचाव के लिए जैविक आपदा प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है। इसके अंतर्गत गर्म जल पीना चाहिए, स्वच्छ भोजन ग्रहण करना चाहिए। छिड़काव करना चाहिए। अनजान व्यक्ति द्वारा दिए गए किसी प्रकार के डिब्बे को हाथ लगाने या छूने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इनसे बचाव के लिए ग्लब्स तथा मास्क का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा इसे रोकने के लिए सख्त कानून तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयास भी आवश्यक है।