bihar board 9 class economics notes – हमारी अर्थव्यवस्था
हमारी अर्थव्यवस्था
bihar board 9 class economics notes
class – 9
subject – economics
lesson 1 – हमारी अर्थव्यवस्था
हमारी अर्थव्यवस्था
इकाई की मुख्य बातें- उत्पादन का अर्थ अर्थशास्त्र के अनुसार उपयोगिता का सृजन करना है। अर्थात् जब हम किसी वस्तु की उपयोगिता को बढ़ाते हैं तो वह उत्पादन के अंतर्गत माना जाता है।
उत्पादन के निम्नलिखित पाँच प्रमुख साधन हैं जो निम्नलिखित हैं-(i) भूमि, (ii) श्रम, (iii) पूँजी,(iv) व्यवस्था या संगठन, (v) साहस या उद्यम।
(i) भूमि (Lands)-भूमि उत्पादन का एक निष्क्रिय साधन है जो उत्पादन की प्रक्रिया को आधार प्रदान करते हैं। इसके साथ ही इस पर कृषि, उद्योग तथा अन्य कार्य किए जाते है जिससे उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
(ii) श्रम (Labour)–श्रम उत्पादन का दूसरा महत्त्वपूर्ण साधन है। अध्ययन की दृष्टि से श्रम दो प्रकार का होता है-(i) शारीरिक श्रम (physical labour), (ii) मानसिक श्रम (Mental labour)। उत्पादन में शारीरिक तथा मानसिक दोनों श्रम का उपयोग किया जाता हैं। इसलिए श्रम को उत्पादन का सक्रिय साधन (Active Factor) कहा जाता है।
(iii) पूँजी (Capital) अर्थशास्त्र में पूँजी का मतलब मनुष्य द्वारा उत्पादित धन के उस भाग से है जिसका प्रयोग अधिक धन के उत्पादन के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में, धन का वह अंश जिसका प्रयोग पुनः उत्पादन के लिए किया जाता है उसे पूँजी कहते हैं। इसके अंतर्गत
मुद्रा अथवा वस्तुओं का भंडार होता है जिसका प्रयोग उत्पादन के लिए किया जाता है।
(iv) संगठन (Organisation)-भूमि, श्रम तथा पूँजी आदि उत्पादन के साधनों को एकत्रित कर जन उत्पादन के साधन को कार्य में लाये जाने का वाला संगठन अथवा संगठनकर्ता ही होता है। कम पूँजी रहने पर उत्पादन के साधन को और ही व्यवस्थित ढंग से उपयोग करने की जरूरत पड़ती है ताकि सीमित उत्पादन के साधनों का समुचित प्रयोग कर अधिक लाभ अर्जित किया जा सके। इस प्रकार संगठन उत्पादन प्रक्रिया का एक सक्रिय साधन माना जाता है।
(v) साहस या उद्यम (Enterprises)-उत्पादन कार्य जोखिम से भरा हुआ होता है जो इस जोखिम का वहन करता है उसे ही उद्यमी या साहसी कहा जाता है। वह उत्पादन प्रक्रिया के पूर्व ही यह सोच लेता है कि हमें अंतिम ऋण तक उत्पादन को चालू रखना है। अतः उत्पादन में
जोखिम उठाने के कार्य को साहस कहते हैं तथा जो व्यक्ति इन जोखिम को उठाता है उसे साहसी या उद्यमी कहते हैं।
उत्पादन के साधनों की महत्ता
उत्पादन के सभी साधनों से जब उत्पादक उत्पादन करता है तो वह इन सभी साधनों को एकत्रित रूप से सहयोग प्राप्त करता है जिससे उत्पादन में साधनों की महत्ता प्रतिपादित होती है।
वस्तुओं एवं सेवाओं का वर्गीकरण
एक प्रयोग की या गैर टिकाऊ वस्तुएँ
(single used or non-durable goods)
जैसे-खाद्य पदार्थ
(i) उपभोग की वस्तुएँ- ↕️
टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods)
जैसे-घडी, मकान।
“एकल प्रयोग की या गैर-टिकाऊ वस्तुएँ
(single used or non-durable goods)
जैसे-खाद, बीज।
(ii) उत्पादक वस्तुएँ- ↕️
-टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods)
जैसे-मशीन, उपकरण।
प्रश्न और उत्तर
१. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही उत्तर का संकेताक्षर (क, ख, ग, घ) लिखें।
1.उत्पादन के प्रमुख साधन कितने हैं ?
(क) तीन
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) दो
उत्तर-(ग)
2. उत्पादन का अर्थ
(क) नयी वस्तु का सृजन
(ख) उपयोगिता का सृजन
(ग) उपयोगिता का नाश
(घ) लाभदायक होना
उत्तर-(ख)
3. उत्पादन का निष्क्रिय साधन है-
(क) श्रम
(ख) संगठन
(ग) साहसी
(घ) भूमि
उत्तर-(घ)
4.निम्नलिखित में से भूमि की विशेषता कौन-सी है ?
(क) वह नाशवान है
(ख) वह मानव-निर्मित है
(ग) उसमें गतिशीलता का अभाव है
(घ) उसमें समान उर्वरता है
उत्तर-(क)
5.अर्थशास्त्र में भूमि का तात्पर्य है-
(क) प्रकृति प्रदत्त सभी नि:शुल्क वस्तुएँ
(ख) जमीन की ऊपरी सतह
(ग) जमीन की निचली सतह
(घ) केवल खनिज सम्पत्ति
उत्तर-(क)
6. निम्नलिखित में से कौन उत्पादन है ?
(क) बढ़ई
(ख) भिखारी
(ग) ठग
(घ) शराबी
उत्तर-(क)
7. उत्पादन का साधन है-
(क) वितरण
(ख) श्रम
(ग) विनिमय
(घ) उपभोग
उत्तर-(ख)
8.निम्नलिखित में कौन उत्पादन का साधन नहीं है ?
(क) संगठन
(ख) उद्यम
(ग) पूँजी
(घ) उपभोग
उत्तर-(घ)
9. निम्नलिखित में से कौन पूँजी है ?
(क) फटा हुआ वस्त्र
(ख) बिना व्यवहार में लायी जाने वाली मशीन
(ग) किसान का हल
(घ) घर के बाहर पड़ा पत्थर
उत्तर-(ग)
10. जो व्यक्ति व्यवसाय में जोखिम का वहन करता है उसे कहते हैं-
(क) व्यवस्थापक
(ख) पूँजीपति
(ग) साहसी
(घ) संचालक मंडल
उत्तर-(ग)
11. निम्नलिखित में कौन श्रम के अंतर्गत आता है ?
(क) सिनेमा देखना
(ख) छात्र द्वारा मनोरंजन के लिए क्रिकेट खेलना
(ग) शिक्षक द्वारा अध्यापन
(घ) संगीत का अभ्यास आनंद के लिए करना
उत्तर-(ग)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
1.श्रम को उत्पादन का…….साधन कहा जाता है।
2.शिक्षक के कार्य को……श्रम कहा जाता है।
3……….अर्थव्यवस्था के भौतिक अथवा पूँजीगत साधन है।
4. सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य की…………बहुत बढ़ गयी है।
5. वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन विभिन्न साधनों के……….. से होता है।
6. उत्पादन की नयी तकनीक की वजह से उत्पादन क्षमता में अपेक्षाकृत…………… होती है।
उत्तर-(1) सक्रिय, (2) मानसिक, (3) मशीन एवं यंत्र, (4) आवश्यकताएँ, (5) सहयोग,(6) वृद्धि।
III. सही कथन में टिक (√) तथा गलत कथन में क्रॉस (x) करें-
1.अर्थशास्त्र में उत्पादन का अर्थ उपयोगिता का सृजन करना है।
2.किसान के कार्य को मानसिक श्रम कहा जाता है।
3. अर्थशास्त्र के प्रमुख तत्त्व प्राकृतिक साधन एवं भौतिक साधन है।
4.ब्रिटेन की आर्थिक व्यवस्था विकसित है।
5.भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था नहीं है।
उत्तर-(1)√ (2)x (3) √(4)x(5)√
IV. स्तंभ ‘क’ के कथन का स्तंभ ‘ख’ के कथन के साथ मिलान करें
स्तंभ ‘क’ स्तंभ ‘ख’
1. भूमि का पारिश्रमिक। (क) लाभ
2. श्रम का पारिश्रमिक। (ख)वेतन
3. पूँजी का पारिश्रमिक। (ग) लगान
4. व्यवस्थापक का पारिश्रमिक। (घ) मजदूरी
5. साहसी का पारिश्रमिक। (ङ) ब्याज
उत्तर-1. भूमि का पारिश्रमिक। (ग) लगान
2. श्रम का पारिश्रमिक। (घ) मजदूरी
3. पूँजी का पारिश्रमिक। (ङ) ब्याज
4. व्यवस्थापक का पारिश्रमिक। (ख) वेतन
5. साहसी का पारिश्रमिक। (क) लाभ
v. लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर 20 शब्दों में दें)
प्रश्न 1. उत्पादन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-अर्थशास्त्र के अनुसार उपयोगिता का सृजन करना ही उत्पादन कहलाता है।
जैसे-नदी के बालू से मकान बनाना। इसमें बालू की उपयोगिता को सृजित किया गया।
प्रश्न 2. उत्पादन तथा उपभोग में अंतर कीजिए।
उत्तर-उत्पादन से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है जबकि उपभोग से मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि होती है।
प्रश्न 3. उत्पादन के विभिन्न साधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-उत्पादन के विभिन्न साधन निम्नलिखित हैं-(i) भूमि, (ii) श्रम, (iii) पूँजी, (iv) व्यवस्था या संगठन, (v) साहस या उद्यम।
प्रश्न 4. फतेहपुर गाँव के लोगों का मुख्य पेशा क्या है ?
उत्तर-फतेहपुर गाँव के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है।
प्रश्न 5. भूमि तथा पूँजी में अंतर करें।
उत्तर-भूमि नाशवान है। यह उत्पादन का एक निष्क्रिय साधन है, जबकि पूँजी उत्पादन का एक सक्रिय साधन है जिसके अंतर्गत मुद्रा अथवा वस्तुओं का उपयोग उत्पादन के लिए किया जाता है।
प्रश्न 6. क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। क्यों ?
उत्तर-हाँ, सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या का पालन पोषण भूमि को सिंचित करके उसमें उर्वरता लाकर ही सघन कृषि पर किया जा सकता है।
प्रश्न 7. उत्पादन में पूँजी का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-पूँजी उत्पादन का एक प्रमुख साधन है, जिसके अंतर्गत मुद्रा अथवा वस्तुओं का भंडार होता है जिसका उपयोग उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
VI. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(उत्तर 100 शब्दों में दें)
प्रश्न 1. उत्पादन की परिभाषा दीजिए। उत्पादन के कौन-कौन से साधन हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर-जब किसी वस्तु या सेवा की उपयोगिता का सृजन किया जाता है तो वह उत्पादन कहलाता है।
उत्पादन के निम्नलिखित साधन हैं-(i) भूमि, (ii) पूँजी, (iii) व्यवस्था या संगठन और (v) साहस या उद्यम।
(i) भूमि-भूमि उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है जो किसी भी उत्पादन प्रक्रिया को आधार प्रदान करता है। यह एक उत्पादन का निष्क्रिय साधन है।
(ii) पूँजी-धन का वह अंश जिसका प्रयोग पुनः उत्पादन के लिए किया जाता है जिसमें
मुद्राओं अथवा वस्तुओं का भंडार होता है जिसका प्रयोग उत्पादन में किया जाता है।
(iii) श्रम-श्रम को उत्पादन का सक्रिय साधन कहा जाता है लेकिन उत्पादन के साधन के रूप में शारीरिक अथवा मानसिक श्रम आर्थिक उद्देश्य से किये जाते हैं।
(iv) संगठन-व्यवस्था या संगठन उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है जो उत्पादन को व्यवस्थित ढंग से उपयोग करने की चेष्टा करता है। इसलिए संगठन उत्पादन प्रक्रिया का एक सक्रिय साधन माना गया है।
(v) साहस या उद्यम-उत्पादन कार्य जोखिम से भरा होता है, जो इस जोखिम का वहन करता है उसे ही उद्यमी या साहसी कहा जाता है। इसलिए साहस को उत्पादन के एक सक्रिय साधन के रूप में गिना जाता है। इसके द्वारा ही भविष्य की अनिश्चितताओं से उत्पादन को लाभ की स्थिति में बनाए रखा जाता है।
प्रश्न 2. उत्पादन के साधनों में संगठन एवं साहसी की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-उत्पादन करने में संगठनकर्ता या उत्पादनकर्ता का मुख्य उद्देश्य लाभ प्राप्त करना होता है लेकिन विभिन्न कारणों और विशेषकर भविष्य की अनिश्चितताओं के कारण उत्पादन में घाटा भी हो सकता है। अर्थात् उत्पादन कार्य जोखिम से भरा हुआ होता है जो इस जोखिम का
वहन करता है उसे ही उद्यमी या साहसी कहा जाता है।
आधुनिक समय में उत्पादन के जोखिम को वहन करने के लिए साहसी की बहुत ही भूमिका बढ़ गई है। यदि उत्पादन के फलस्वरूप साहसी को लगातार घाटा हो तो ऐसी अवस्था में साहसी का साहस टूट जाता है, तत्पश्चात् उत्पादन की पूरी प्रक्रिया ठप्प हो जाती है। इसलिए
साहसी उत्पादन प्रक्रिया के पूर्व ही यह सोच लेता है कि हम अंतिम क्षण तक उत्पादन को चालू रखना है।
जब उत्पादन के साधनों को एकत्रित कर उत्पादन कार्य में लगाया जाता है तो कम पूँजी रहने पर भी उत्पादन के साधन को व्यवस्थित ढंग से उपयोग संगठन के माध्यम से किया जाता है।
इसलिए जितना ही अच्छा उद्यमी होगा उतना ही व्यवस्थापक या संगठन चुस्त होगा। इसी संगठन को उत्पादन प्रक्रिया का एक सक्रिय साधन माना गया है।
इस प्रकार, उत्पादन के साधनों में संगठन एवं साहसी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रश्न 3. फतेहपुर गाँव में कृषि कार्यों का संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-फतेहपुर गाँव में श्रम-शक्ति उत्पादन के अन्य कारकों की तुलना में अधिक प्रचुर मात्रा में है। लेकिन यहाँ पर इस श्रम-शक्ति का अधिक प्रयोग करना आदर्श होता। दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। खेती में श्रमिकों की उपयोगिता सीमित है। इसलिए अवसरों की तलाश में श्रमिक आस-पास के गाँवों, शहरों तथा कस्बों में जा रहे हैं। लेकिन कुछ श्रमिकों ने गाँव में ही गैर कृषि क्षेत्र में काम करना प्रारंभ कर दिया है।
वर्तमान में इस समय फतेहपुर गाँव में गैर कृषि क्षेत्र बहुत बड़ा नहीं है। यद्यपि गाँव में अनेक प्रकार के गैर-कृषि कार्य होते हैं पर प्रत्येक कार्य में नियुक्त लोगों की संख्या बहुत ही कम है। इसलिए साधनों की कमी की वजह से यहाँ अपनी बचत से पूँजी नहीं निकाल पाते हैं। अत: उन्हें
कर्ज लेना पड़ता है। कर्ज के अतिरिक्त कई छोटे किसानों को अपने व परिवार के भरण-पोषण के लिए खेतिहर मजदूर के रूप में अतिरिक्त काम भी करना पड़ता है।
इस प्रकार फतेहपुर गाँव में कृषि-कार्य एक उद्यम की भाँति न होकर जीवन-निर्वाह अर्थव्यवस्था के रूप में प्रचलित है।
प्रश्न 4. मझोले. एवं बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं ? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं ?
उत्तर-भारत में किसान तीन प्रकार के होते हैं-बड़े किसान, मझोले किसान तथा छोटे किसान।
मझोले और बड़े किसान अपने उत्पादन से हुई बचत से अगले मौसम के लिए पूँजी की व्यवस्था कर लेते हैं। दूसरी और छोटे किसानों के लिए जो भारत में किसानों की कुल संख्या का 80% भाग है, उन्हें पूँजी की व्यवस्था करने में बहुत कठिनाई होती है। उनके भूखंड का आकार
छोटा होने के कारण उसका उत्पादन पर्याप्त नहीं होता। अतिरिक्त साधनों की कमी के कारण वे अपनी बचत से पूँजी नहीं निकाल पाते। अत: उन्हें कर्ज लेना पड़ता है। कर्ज के अतिरिक्त कईछोटे किसानों को अपने व परिवार के भरण-पोषण के लिए खेतिहर मजदूर के रूप में अतिरिक्त काम भी करना पड़ता है।
इस प्रकार मझोले एवं बड़े किसान कृषि से पूँजी प्राप्त कर पाते हैं जबकि छोटे किसान अपने जीवन-निर्वाह अर्थव्यवस्था में ही सिमट कर रह जाते हैं।