bihar board 9 class civics book solutions
संसदीय लोकतंत्र की संस्थाएँ
bihar board 9 class civics book solutions
class – 9
subject – civics
lesson 5 – संसदीय लोकतंत्र की संस्थाएँ
संसदीय लोकतंत्र की संस्थाएँ
अध्याय की मुख्य बातें–संसदीय लोकतंत्र में तीन सबसे महत्वपूर्ण संस्थाएँ हैं—विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका । इन संस्थाओं के द्वारा ही शासन के संपूर्ण कार्यों का संचालन एवंदायित्वों को पूरा किया जाता है।
शासन के कार्यकारी स्वरूप का निर्धारण व्यावहारिक रूप से कार्यपालिका द्वारा ही होता है। कार्यपालिका दो तरह की होती है—(क) राजनैतिक कार्यपालिका
(ख) स्थायी कार्यपालिका ।
राजनैतिक कार्यपालिका जनता के प्रतिनिधि के रूप में जनता की ओर से शासन करती है। इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं इसके मंत्रिपरिषद् सम्मिलित होते हैं। स्थायी कार्यपालिका ऐसे उच्च अधिकारियों की फौज है, जो विभिन्न स्तर पर सरकार के नीति-निर्धारण में परामर्श देती है एवं निर्देशानुसार नीति के स्वरूप को अमली जामा पहनाती है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें भारतीय संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य जपा राज्य के विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राष्ट्रपति का निर्वाचन एकल संक्रमणीय मतविधि करा आनुपातिक प्रतिनिधिय के आधार पर होता है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में दोनों सदन के सभी सदस्य भाग लेते हैं। दोनों का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। महाभियोग के द्वारा राष्ट्रपति को पदच्युत किया जा सकता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं। इसकी सलाह पर ही राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, चुनाव आयुका, राजदूत
आदि की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं । उसे संसद को बैठक बुलाने, स्थगित करने तथा लोकसभा भंग करने का भी अधिकार है।
राष्ट्रपति के प्रमुख कार्यों में अध्यादेश जारी करना, संगुलन बैठकों को अध्यक्षता करना, विन आयोग की नियुक्ति, पन विधेयक को मंजूरी, संकटकाल की घोषणा करना आदि है। 44वें संशोधन के अनुसार, राष्ट्रपति, पत्रिपरिषद को सिफारिश को फिर से विचार करने के लिए
एक बार यापस कर सकते हैं दुबारा नहीं।
राष्ट्रपति के सारे कार्य जास्तव में प्रधानमंत्री करते हैं, जो मंत्रिपरिषद् में निर्णय लिये जाते हैं। अतएव राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर मंत्रियों की नियुक्ति तथा उसे पदत्याग करने हेतु विवश करते हैं। इसलिए मंत्रिपरिषद पर प्रधानमंत्री का पूर्ण नियंत्रण होता है । लोकसभा के बहुमत दल के नेता को ही राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं।
हर लोकतांत्रिक देश में जन-प्रतिनिधियों की सभा होती है, जिसे संसद कहा जाता है। अमेरिका में काँग्रेस, गलैण्ड में पार्लियामेंट, फ्रांस में नेशनल एसेम्बलो, जापान में डायट तथा रूम में इस्मा के नाम से जाना जाता है। संसार के सारी संसः नए कानून बनाती है, वर्तमान कानून में संशोधन करती है इसलिए इसे विधायिका कहते हैं। केन्द्र में संसद तथा राज्य में विधानमंडल के नाम से जाने जाते हैं।
संसद के दो सदन है-लोक सभा और राज्य सभा। लोकरामा को प्रथम सदन ज्या राज्य सभा को द्वितीय सदन कहा जाता है। राज्य सार पर विधान मंडल वाली सदन विधानसभा कहलाती है। संसद का प्रमुख कार्य कानून बनाना है। कानून बनाने हेतु जो प्रस्ताव तैयार किया
जाता है उसे विधेयक कहते हैं। विधेयक तरह के साधारण और वित्त या धन विधेयक होते हैं। साधारण विधेयक कानून बनाने के पहले पांच चरणों से गुजरता है-प्रथम वाचन, द्वितीय संचन, तृतीय वाचन के बाद लोकसभा तत्पश्चात् राज्य सभा उसके बाद राष्ट्रपति के स्वीकृति के
बाद यह कानून बन जाता है।
राज्य कार्यपालिका में राज्यपाल, मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री आते हैं। राज्य कार्यपालिका में प्रधान राज्यपाल होता है पर वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री होते हैं। जिसको सिफारिश पर हो वह अन्य मंत्रियों की नियुक्ति, उनके बीच विषणों का बटवारा, राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोक सेश
आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य आदि की नियुक्ति करता है। राज्यपाल को विधान परिषद के । सदस्यों को नंगीत करने के अलावा विधान मंडल में संदेश भेजने के अधिकार प्राप्त हैं।
संविधान के द्वारा राज्यों में विधान मंडल को अबस्था की गई है। उ राज्यों-विहार, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, जा-करमोर एवं महाराष्ट्र में द्विसदनीय विधानसभा है एवं शेष 22 राज्यों में एक बदनीय एवंदी केन्द्र शासित प्रदेश क्रमशः दिल्ली और पांडिचेरी में एक सदनीय विधानमंडल है। सविधान के अनुसार सभा के सदस्यों को अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम
60 होगी। बिहार विधान सभा में 243 सदस्य है और परिषद् में वर्तमान में 75 सदस्य हैं और सभी प्रक्रिपार केन्द्रीय सरकार की ही तरह अपनायी जाती है।
लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र एवं प्रभावशाली न्यायपालिका को जरूरी माना जाता है। पूरे देश
में विभिन्न स्तरों पर स्थापित अदालतों को सामूहिक रूप मे न्यायपालिका कहा जाता है। भारतीय न्यायपालिका में पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालय तथा उसके नीचे दीवानी, फौजदारी तथा राजस्व के अन्य अधीनस्थ न्यायालय होता है। भारत की न्यायपालिका एकीकृत है।
सर्वोच्च न्यायालय देश का सबसे बड़ा न्यायालय है। जिसकी स्थापना 26 जनवरी, 1950 में की गई तथा यह नई दिल्ली में स्थित है । इसके न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होता है। भारत में 65 वर्ष इनकी आयु सीमा होती है परंतु महाभियोग द्वारा इन्हें हटाया जा सकता हैं ।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रारंभिक एवं अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है—प्रारंभिक क्षेत्राधिकारों में दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य विवाद केन्द्र एवं राज्यों के मध्य विवाद आदि आते हैं तथा अपीलीय में दीवानी एवं आपराधिक दोनों मामले आते हैं। इसके साथ ही यह परामर्शदात्री अधिकार के तहत राष्ट्रपति को कानूनी पद पर राय दे सकते हैं।
संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक राज्यों में एक या एक से अधिक राज्यों को मिलाकर उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान है। पटना उच्च न्यायालय की स्थापना 1 मार्च, 1916 ई० को हुई थी। राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों
का तवादला करा सकते हैं। इनकी आयु सीमा 62 वर्ष होती है। परंतु संसद के 2/3 बहुमत से किसी न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग के द्वारा उन्हें हटाया भी जा सकता है। उच्च न्यायालय के प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार में तलाक, वसीय, जल सेवा विभाग मौलिक अधिकार से संबंधित लेख, कम्पनी कानून आदि आते हैं। अपीलीय क्षेत्राधिकार में संविधान की व्याख्या का प्रश्न, फौजदारी मुकदमें, फांसी की सजा आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त इसे न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार भी प्राप्त है।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो निम्नलिखित में से कौन-सा फैसला खुद कर सकते हैं ?
(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
(घ) मंत्रिपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं
उत्तर-(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं
प्रश्न 2. निम्नलिखित में कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?
(क) जिलाधीश।
(ख) गृह मंत्रालय का सचिव ।
(ग) गृहमंत्री।
(घ) पुलिस महानिदेशक ।
उत्तर-(ग) गृह मंत्री।
प्रश्न 3. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
(ख) अगर कोई कानून संविधान की मर्यादा के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है ।
(ग) न्यायपालिका, कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में सकता है।
उत्तर-(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है
प्रश्न 4. निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्था देश के मौजूद कानून में संशोधन कर सकती है?
(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद।
उत्तर-(घ) संसद
प्रश्न 5. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा।
(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है।
1. रक्षा मंत्रालय
(ख) प्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएंगी।
2. स्वास्थ्य मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत विकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएंगी।
3. कृषि, खाद्यान और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा। भत्ते बढ़ाए जाएंगे।
4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ।
उत्तर-(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है।
(ख) प्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ मुलभ करायी जाएंगी।
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूं की कीमतें कम की
3. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ।
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा । भने बढ़ाएँ जाएँगे
प्रश्न 6. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए जो निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है।
(क) सड़क, सिंचाई जैसी बुनियादी ढांचों के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा।
(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार-विमर्श करती है।
(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना माँगती है।
उत्तर-(क) विधायिका ।
(ख) कार्यपालिका।
(ग) न्यायपालिका।
(घ) कार्यपालिका।
प्रश्न 7. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता ? निम्नलिखितचार जवाबों में सबसे सही बने चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए:
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
(ग) चूँकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।
(घ) प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।
उत्तर-(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है। क्योंकि जनता उसे अपने प्रतिनिधियों के द्वारा चुनकर भेजती है और जनमत भी उसके साथ होती है।
प्रश्न 8. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है । इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है । रिजवान कहा कि इस तरह का बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है । शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता । ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है ?
उत्तर—इस फिल्म के माध्यम से राष्ट्र की समस्याओं को समझने का प्रयास किया जा सकता है और जहाँ तक एक दिन के मुख्यमंत्री का सवाल है यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संभव नहीं है क्योंकि यहाँ पर सत्ता का विभाजन कायम है। इसमें सभी के अधिकार और कर्त्तव्य का संविधान
के द्वारा उल्लेख है। हाँ, इस तरह के फिल्म के माध्यम से जनता में जागरूकता लाई जा सकती है। क्योंकि जागरूक जनता ही लोकतंत्र के सफल प्रहरी साबित हो सकते हैं। जनता को उनकी समस्याओं से अवगत कराकर इस तरह के फिल्म अपनी सार्थकता सिद्ध करते हैं।
प्रश्न 9. एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं से अलग-अलग पार्टियाँ के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया । यदि वे चाहें तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकती थी और अगर चाहें तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों ?
उत्तर-हम लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल को नेता बनना पसंद करूंगा। क्योंकि इसके नेता प्रधानमंत्री कहलाते हैं और वह सभी मंत्रियाँ की नियुक्ति की सिफारिश करते हैं तथा उनके प्रसाद पर्यंत अपने पद पर रह सकते हैं। इसके साथ उसे बहुत से अधिकार भी प्राप्त हैं । इन अधिकारों
का वह अपने मंत्रिपरिषद् के माध्यम से पालन करवाता है। इसके साथ ही इस पद में सम्मान, एकता तथा राष्ट्र की अखंडता का दिग्दर्शन होता है।
प्रश्न 10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, की भूमिका को सही तरह से समझती है ?
(क) श्रीनिवास का तर्क है कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के साथ सहमत हो गई है, लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं है।
(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी । सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
(ग) विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है और न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है।
न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया।
आपकी राय में कौन-सा विचार सबसे सही है ?
उत्तर भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार है । वह सरकार के खिलाफ भी फैसला सुना सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण पर आदेश को उसमें सरकार को संशोधन करने का जो निर्देश दिया उसे सरकार ने पालन किया। इस प्रकार हमारे देश की न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है जो सरकार के कार्यों या निर्णयों में हस्तक्षेप भी कर सकती है।
प्रश्न 11. बिहार विधान सभा में सदस्यों की कुल संख्या कितनी है ?
उत्तर-बिहार विधान सभा में सदस्यों की कुल संख्या 243 है।
प्रश्न 12. बिहार विधान परिषद् का गठन कैसे होता है ?
उत्तर–भारत के संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत विधान परिषद् के गठन का प्रावधान है। इसका गठन विधान सभा के वशिष्ट बहुमत कुल सदस्यों की संख्या का 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर संसद को भेजा जाता है तथा संसद कानून बनाकर संबंधित राज्य में उच्च सदन
की व्यवस्था का आरंभ या अंत कर सकते हैं। इसके सदस्यों की न्यूनतम संख्या 40 तक अधिकतम विधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या के 13 होती है। बिहार विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 75 है। जिसमें इसके कुल सदस्यों का एक तिहाई भाग उस राज्य की स्थानीय संस्थाओं नगर सभाएँ, ग्राम पंचायत इत्यादि द्वारा निर्वाचित
किया जाता है । पुनः इसके कुल सदस्यों का 1/3 भाग विधान सभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है । परिषद् में कुल सदस्यों 1/12 भाग राज्य के विश्वविद्यालयों के स्नातकों द्वारा चुना जाता है। कुल सदस्यों का 1/12 भाग माध्यमिक विद्यालयों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालय में
शिक्षकों द्वारा निर्वाचित किया जाता है और 5 कुल सदस्यों का 1/16 भाग राज्यपाल ऐसे लोगों को मनोनीत करते हैं जिन्हें साहित्य, कला, समाजसेवी आदि का व्यावहारिक अनुभव है। इस प्रकार विधान परिषद का गठन पूरा होता है।