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8th class hindi notes | सुदामा चरित

सुदामा चरित

8th class hindi notes

वर्ग – 8

विषय – हिंदी

पाठ २२ – सुदामा चरित

सुदामा चरित
                 –नरोत्तमदास (सुदामा और कृष्ण …………परिचित कराती है । )

भावार्थ —
सुदामा का परिचय देते हुए श्रीकृष्ण के सामने द्वारपाल कहता है — हे प्रभु एक ब्राह्मण द्वार पर खड़ा है , उसके सिर पर न पगड़ी है और न शरीर में कुर्ता , फटी धोती पहने , कन्धे पर मैला दुपट्टा है । उसके पैर में जूते भी नहीं हैं । वह अपना नाम सुदामा बता रहा है ।
भगवान श्रीकृष्ण सुदामा नाम सुनते ही दौड़कर गले लगा लेते हैं । दोनों की आँखों से आँसू बहने लगे । सुदामा के पैर में विवाय देखकर श्रीकृष्ण उनके पैरों को धोते – धोते रोने लगते हैं । मानो परात के पानी से नहीं बल्कि आँख के आँसू सुदामा के पैरों को धो रहे हैं ।
बाद में श्रीकृष्ण ने सुदामा से कहा – अभी भी तुम चोरी करने में प्रवीण हो , बचपन में गुरु माता ने चना – गुड़ खाने के लिए हम दोनों को दिया था लेकिन तुम चुराकर अकेले खा गया था । अब भाभी ने जो तन्दुल दी है उसे भी काँख में चुराकर दबा रखे हो ।
सुदामा कुछ दिन बिताकर घर लौटते समय सोच रहे हैं , कृष्ण ने कुछ नहीं दिया । हम बेकार द्वारिका आये । लेकिन जब वे अपने गाँव में अपने घर के पास आते हैं तो वहाँ सुन्दर भवन देखकर सुदामा को लगा कि क्या मैं भ्रमवश द्वारका ही पहुँच गये । क्योंकि वहाँ भी द्वारिका के तरह ही सुन्दर भवन हाथी – घोड़े सब साधन मौजूद थे ।
सुदामा जो गरीब थे आज भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से धनवान हो गये । जहाँ झोपड़ी थी वहाँ सोने का महल बन गया । जिनके पैर में जूते नहीं थे वे हाथी पर सवार होकर चलते हैं ।
यह सब कृपा यदुवंश मणि भगवान श्रीकृष्ण की थी । देवता लोग भी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा जानकर आकाश से फूल बरसाने लगे ।

शब्दार्थ –
पगा = पगड़ी । झगा = ढीलाकुर्ता । आहि = है । उपानह = जूता । साने = मिश्रित करना । ‘ बिहाल = बेहाल । जोये = जिसे । जाल = समूह । कंटक = बाधा , काँटा । जु = जो । दाख = अंगुर , मुनक्का । अभिरामा = मोहक । बोल्यो = बोला । नैन = आँख । विपदा = दु : ख ।

प्रश्न – अभ्यास

पाठ से

1 . सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण किस प्रकार भाव – विह्वल हो गए ?

उत्तर – सुदामा की दीन – दशा देखकर श्रीकृष्ण इतना विह्वल हो गये कि रोने लगे । इतने रोये कि पैर धोने के लिए लाया गया पानी कठौती में यों ही रह गया । अपने अश्रु – जल से ही सुदामा • के पैर धो डाले ।

2. गुरु के यहाँ की किस बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को दिलाई ?

उत्तर — बचपन में जब दोनों मित्र संदीपन मुनि के आश्रम में रहते थे तो आश्रम के लिए लकड़ी जुटाने के लिए दोनों मित्र जंगल में गये थे । गुरु माता ने गुड़ और चना सुदामा की पोटली में बाँध दी थी कि दोनों खा लेना । लेकिन सुदामा भूख लगने पर चुपके से स्वयं ही खा गये थे । इसी बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को द्वारिका में दिलाई ।

3. अपने गाँव वापस आने पर सुदामा को क्यों भ्रम हो गया ?

उत्तर — जब सुदामा द्वारिका से वापस अपने गाँव आते हैं तो अपनी झोपड़ी की जगह द्वारिका जैसा ही महल देखकर भ्रमित हो गये ।

पाठ से आगे

1. श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता आज उदाहरण के रूप में क्यों प्रस्तुत की जाती है ?

उत्तर – जब एक मित्र धनवान और दूसरा गरीब होता है तथा धनवान मित्र गरीब मित्र की सहायता करता है तो ऐसे मित्रों के बीच मित्रता को कृष्ण – सुदामा की मित्रता जैसा उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ।

2. सुदामा को कुछ न देकर उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न करने का क्या औचित्य था ?

उत्तर – सुदामा अपनी दीनता से कभी आहत नहीं हुए । लेकिन उनकी पत्नी आहत थी । सम्भवतः सुदामा उस वैभव को स्वीकार भी नहीं करते । अतः श्रीकृष्ण ने सुदामा को वैभव न प्रदान कर उनकी पत्नी को ही वैभव सम्पन्न कर दिया ।

3. कविता के भावों को ध्यान में रखकर एक कहानी लिखिए ।

उत्तर – दो मित्र साथ रहते थे । दोनों पढ़ – लिखकर धनार्जन के लिए निकले । संयोग से एक मित्र को अच्छे पद पर नौकरी लग गई । थोड़े ही दिनों में वह उस शहर का बड़ा व्यापारी बन गया । नौकर – चाकर , सवारी सभी लौकिक सुख उसे प्राप्त हो गये ।
दूसरा एक शहर से दूसरा शहर मारा – फिरता
लेकिन उचित आय का साधन नहीं जुटा पाया ।
एक दिन दूसरा मित्र एक फैक्ट्री में काम पाने के लिए जाता है । गेटवान ने उसको मालिक से मिलाया । मित्र – मित्र को पहचान जाता है । दोनों एक – दूसरे से गले मिले तथा गरीब मित्र को अपने फैक्ट्री का मेनेजर पद पर नियुक्त कर लिया । अब दूसरा मित्र भी सब सुख – साधन से युक्त है । उसे भी किसी चीज की कमी नहीं है ।

व्याकरण

निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिए ।
मनि = मणि । सीस = शीश । राज काज = राज्यकार्य । विहार = बेहाल । दसा = दशा । वामि = वाम । मारग = मार्ग ।

गतिविधि

1. श्रीराम – सुग्रीव मैत्री और दुर्योधन – कर्ण मैत्री के बारे में भी पढ़िए और उन पर एक – एक लघु नाटिका तैयार कीजिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें । ।।

 

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