class 8th hindi note | चिकित्सा का चक्कर ( व्यंग्य कथा )
चिकित्सा का चक्कर ( व्यंग्य कथा )
class 8th hindi note
वर्ग – 8
विषय – हिंदी
पाठ २१ – चिकित्सा का चक्कर ( व्यंग्य कथा )
चिकित्सा का चक्कर ( व्यंग्य कथा )
सारांश –
लेखक हट्ठा – कट्ठा आदमी है । उनको देखने से कोई रोगी नहीं कह सकता था । पैंतीस वर्ष की आयु तक उनको कोई बीमारी न हुई । लेखक को बड़ी इच्छा है कि मैं भी बीमार पड़ता तो अच्छा होता । बीमार पड़ने पर हंटले बिस्कुट अवश्य मिलता तथा पत्नी अपने कोमल हाथों से तेल मालिश करती । मित्र लोग आते रोनी या गम्भीर मुद्रा में कुछ पूछते तो बड़ा मजा आता ।
एक दिन जब लेखक हॉकी खेलकर आये । आज मैच था । मैच में रिफ्रेशमेन्ट अधिक खा लेने के कारण भुख नहीं थी परन्तु पत्नी ने सिनेमा जाने की बात बताकर थोड़ा बारह पुड़िया और आधा पाव मलाई । फिर छ : पीस बड़े – बड़े रसगुल्ले खाकर सो गये ।
रात तीन बजे जब उनकी नींद खुली तो नाभी के नीचे दाहिनी ओर दर्द का अनुभव हुआ । लेखक अमृतधारा लेकर बार – बार पीते रहे लेकिन दर्द नहीं गया । प्रात : काल सरकारी डॉक्टर साहब इक्के पर सवार होकर आये । जीभ देखकर कहा – घबराने की कोई बात नहीं , दो खुराक दवा पीते – पीते दर्द इस तरह गायब हो जायेगा जैसे भारत से सोना गायब हो रहा है । डॉक्टर साहब दवा मंगाकर पीने तथा बोतल से सेकने की बात बताई । दवा खाने या सेंकने से लेखक को कोई आराम नहीं मिला , हाँ गरम बोतल से संकेत – संकेत छाले अवश्य पड़ गये ।
मिलने वाले लोगों के ताँता लगने लगे । जो आते अपने नुक्से बताते । किसी ने हींग खिलाई तो किसी ने चूने खाने को कहा । जितने लोग आये उतने ही बात बतायी । लेखक के विचार से सबों ने कुछ – कुछ बता दिया । मात्र जूता खाने की बात किसी ने नहीं बताई । तीन दिन बीत गये । लेकिन दर्द दूर नहीं हुआ । लोग मिलने आते विभिन्न प्रकार के लोग विभिन्न कवियों , लेखकों की बात पूछ – पूछकर परेशान करते पान सिगरेट से भी लेखक को चूना लगा रहे थे ।
दूसरे डॉक्टर से दिखाने की सलाह भी देते थे फिर विचार – विमर्श कर चूहानाथ कातरजी को बुलाया गया । जो लंदन से एफ . आर . सी . एस . की डिग्री प्राप्त कर चुके थे । डॉक्टर चूहानाथ सूई दिया । जिससे लेखक का दर्द दूर हुआ ।
कुछ दिनों के बाद लेखक चूहानाथ कातर जी मिलने गये । वहाँ अनेक रोगों की बात चली । जिसको सुनकर लेखक को एक सप्ताह बीतने पर ऐसा लगता था मानो वो सारी बीमारियों के लक्षण लेखक को होने वाला हो । हो भी गया लेखक को बड़ी बेचैनी थी पुनः एक आयुर्वेदाचार्य को बुलाया गया ।
जो ग्रह नक्षत्र और तिथि को विचार कर विलम्ब से आये । नाड़ी छूकर बोला — वायु का प्रकोप है , यकृत में वायु घूमकर पित्ताशय के माध्यम से आंत में जा पहुँचा जिससे खाना नहीं पचता तथा शूल भी होने लगता है । आयुर्वेदाचार्य पंडित सुखराम शास्त्री जी ने ” चरक ” और सुश्रुत के श्लोक भी सुनाये तब जाकर दवाईयाँ दी । लेखक को दर्द में कुछ कमी अवश्य हुई लेकिन रह – रहकर दर्द हो ही रहा था । मानो सी ० आई.डी- पीछा न छोड़ रहा हो ।
एक दिन एक सज्जन मित्र ने हकीम से दिखलाने की बात बताई । हकीम साहब को बुलवाया गया । जिनके फैशन की चर्चा अत्यन्त व्यंग्यात्मक ढंग से किया है । हकीम साहब ने जब लेखक से मिजाज के बारे में पूछा तो लेखक ने कहा ” मर रहा हूँ बस आपका इंतजार है । हकीम साहब मरने की बात नहीं करने की सलाह देते हैं तथा आनन – फानन में दर्द दूर होने वाली दवा देने की बात करते हैं ।
लेखक ने कहा – अब आपकी दुआ है आपका नाम बनारस ही नहीं हिन्दुस्तान में लुकमान की तरह मशहूर है । हकीम साहब भी नब्ज देखकर नुक्से लिखकर दवाई मंगवाते हैं ।
लेखक का दर्द तो अवश्य कम हो गया लेकिन दुर्बलता बढ़ती गई । कभी – कभी तो दर्द का ऐसा दौड़ा उठता कि सबलोग परेशान हो उठते ।
कुछ लोगों ने लखनऊ जाकर इलाज कराने की बात तो कोई एक्सरे कराने की बात तो किसी ने जल – चिकित्सा करवाने की बात बताई । एक ने कहा , कुछ नहीं केवल होमियोपैथी इलाज करवाएँ । होमियोपैथिक इलाज आरम्भ हुआ । लेकिन कुछ नहीं असर हुआ । लेखक के ससुर जी ने भी एक डॉक्टर लाये । उनसे भी इलाज हुआ ।
एक दिन लेखक के नानी की मौसी आई और ऊपरी खेल बतलाई । लेखक की आँख की वरौनी देखते हुए बोली – कोई चुडैल पकड़े हुए है । अत : ओझा को बुलवाकर झाड़ – फूंक करवा लो । लेकिन लेखक ओझा को नहीं बुलवाए ।
सबके विचार से लखनऊ जाने की तैयारी हो गई । उसी समय एक मित्र ने एक डॉक्टर को बुलाकर ले आए । उन्होंने मुख खुलवाया तथा कहा बात कुछ नहीं है । दर्द का कारण पाइरिया है , इसी कारण दर्द है । दाँत निकलवा लो सब दर्द दूर हो जायेगा । दाँत के डॉक्टर से मिलकर खर्च सुनते ही लेखक को पेट दर्द के साथ – साथ सिर दर्द भी शुरू हो गया । कुल लगभग अढाई सौ खर्च था । लेखक ने जब पत्नी से पैसा माँगा तो पत्नी कही – तुम्हारी बुद्धि घास चरने गयी है । जो जैसा कहे वैसा करो , कभी दाँत तोड़वाओ , कोई कहे तो नाक नुचवालो । मैं तो कहती हूँ – खाना ठीक करो , ठिकाने से खाओ तो पन्द्रह दिनों में सब ठीक हो जायेगा । लेखक ने कहा तुम्हें अपनी दवा करनी थी तो इतने पैसे क्यों खर्च करवा दी ।
शब्दार्थ –
चिकित्सा = उपचार , इलाज । बुलेटिन = खबर , समाचार । वैलेट = विशेष सेवक । रिफ्रेशमेन्ट = तरोताजा । छायावादी = एक साहित्यिक युग जिसमें चित्रण की सूक्ष्मता पर बल दिया गया । एहतियात = सावधानी । प्रादुर्भाव = प्रकट होना ।
प्रश्न – अभ्यास
पाठ से
1. लेखक को बीमार पड़ने की इच्छा क्यों हुई ?
उत्तर – लेखक बेढब बनारसी जी कभी बीमार नहीं पड़ते थे । शरीर भी स्वस्थ दिखाई पड़ता था । लेकिन उनकी इच्छा थी कि मैं बीमार पडू तो मजा आयेगा । हंटले बिस्कुट खाने को मिलेगा । पत्नी अपने कोमल हाथ से सिर पर तेल मलेगी । मित्रगण आगे , मेरे सामने रोनी सूरत बनाकर बैठेंगे या गंभीर मुद्रा में पूछेगे बेढब जी कैसी तबियत है , किससे इलाज करवा रहे हैं , कुछ फायदा हो रहा है इत्यादि । इस समय लेखक को बड़ा मजा आता इसलिए वे बीमार पड़ने की इच्छा करते थे ।
2. लेखक ने बैद्य और हकीम पर क्या – क्या कहकर व्यंग्य किया है ? उनमें से सबसे तीखा व्यंग्य किस पर है । उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – लेखक ने वैद्य और हकीम पर विविध प्रकार से व्यंग्य किया है । वैद्य जी पर व्यंग्य करते हुए लेखक ने कहा है कि आयुर्वेदाचार्य , रसज्ञ रंजन , चिकित्सा – मार्तण्ड कविराज पोडत सुखदेव शास्त्री जी को जब बुलाया गया तो वे पतरा – पोथी देखकर बोले तथा ग्रह , नक्षत्र और तिथि के विचार कर कुछ देर में जाने के लिए हाँ भर दिये ।
वैद्य जी पालकी पर चढ़कर आते हैं । धोती गमछा और मैला – कुचैला जनेऊ धारण किये हुए थे । मानो अभी – अभी कुश्ती लड़कर आये थे ।
हकीम – हकीम साहब पर व्यंग करते हुए लेखक उनके पहनावा और शान – शौकत का वर्णन कर उन पर व्यंग्य कसा है ।
3. अपने देश में चिकित्सा की कितनी पद्धतियाँ प्रचलित हैं । उनमें से किन – किन पद्धतियों से लेखक ने अपनी चिकित्सा कराई ।
उत्तर – हमारे देश में चिकित्सा के निम्नलिखित पद्धतियाँ प्रचलित हैं ( i ) एलोपैथिक , ( ii ) आयुर्वेदिक , ( iii ) होमियोपैथी , ( iv ) जल – चिकित्सा , ( v ) प्राकृतिक चिकित्सा , ( vi ) दन्त चिकित्सा , ( vii ) तंत्र – मंत्र चिकित्सा । लेखक ने एलोपैथिक , आयुर्वेदिक , हकीमी इत्यादि पद्धतियों से अपना इलाज कराई ।
4. इस पाठ में हास्य – व्यंग्य की बातें छाँटकर लिखिए । जैसे – रसगुल्ले छायावादी कविताओं की भाँति सूक्ष्म नहीं थे स्थूल थे ।
उत्तर– ( i ) डॉक्टर के वेशभूषा पक्ष में-
सूट तो ऐसे पहने थे मानो ” प्रिंस ऑफ वेल्स के वैलेटों में हैं । ”
( ii ) डॉक्टर का इक्के पर आना के पक्ष में -जैसे लीडरों का मोटर छोड़कर पैदल चलना ।
(iii ) जीभ दिखाने के पक्ष में- ” प्रेमियों को जो मजा प्रेमिकाओं की आँख देखने में आता है , शायद वैसा ही डॉक्टरों को मरीजों को जीभ देखने में आता है । ”
( iv ) आगन्तुक लोगों के द्वारा विविध नुक्सा के पक्ष में- ” खाने के लिए सिवा जुते के और कोई चीज बाकी नहीं रह गई , जिसे लोगों ने न बताई हो । ” ( v ) डॉक्टर की फीस के पक्ष में “- कुछ लोगों का सौन्दर्य रात में बढ़ जाता है , वैसे ही डॉक्टरों की फीस रात में बढ़ जाती है । ”
( vi ) डॉक्टर बुलवाने के पक्ष में – मित्रों और घर वालों के बीच में कांफ्रेंस हो रही थी कि अब कौन बुलाया जाय “ पर नि : शस्त्रीकरण सम्मेलन की भाँति न किसी की बात मानता था न कोई निश्चय हो पाता था । ”
( vii ) आयुर्वेदिक डॉक्टरों मैले – कुचैले जनेऊ देखकर- ” मानो कविराज कुश्ती लड़कर आ रहे हों । ”
( viii ) अपने दर्द को दूर न होने के पक्ष में सी . आई . डी . के समान पीछा छोड़ता ही न था ।
( ix ) हकीम साहब के पैजामा के पक्ष में — पाँव में पाजामा ऐसा मालूम होता था कि चूड़ीदार पाजामा बनने वाला था , परन्तु दर्जी ईमानदार था , उसने कपड़ा चुराया नहीं , सबका सब लगा दिया । ”
( x ) हकीम साहब के यश के बारे में ” आपका नाम बनारस ही नहीं , हिन्दुस्तान में लुकमान की तरह मशहूर है । इत्यादि ।
5. किसने कहा , किससे कहा ?
( क ) मुझे आज सिनेमा जाना है । तुम अभी खा लेते तो अच्छा था ।
उत्तर – लेखक की पत्नी ने लेखक से कहा ।
( ख ) घबराने की कोई बात नहीं है दवा पीजिए दो खुराक पीते – पीते आपका दर्द गायब हो जायेगा ।
उत्तर – सरकारी डॉक्टर ने लेखक से कहा ।
( ग ) वायु का प्रकोप है । यकृत में वायु घूमकर पित्ताशय में प्रवेश कर आंत्र में जा पहुंचा है ।
उत्तर – आयुर्वेदिक डॉक्टर ने लेखक से कहा ।
( घ ) दो खुराक पीते – पीते आपका दर्द वैसे ही गायब हो जायेगा , जैसे – हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है । ” इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – जैसे हिन्दुस्तान में धीरे – धीरे सोना की कमी हो रही है उसी प्रकार धीरे – धीरे आपका दर्द जाता रहेगा । इस दिन ऐसा होगा कि भारत में न सोना रहेगा और न आपके पेट में दर्द ।
पाठ से आगे
2. एलोपैथिक , होमियोपैथिक और आयुर्वेद चिकित्सा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – एलोपैथी – चिकित्सा में अंग्रेजी दवा सुई इत्यादि दिया जाता है ।
होमियोपैथिक चिकित्सा में रसायन का प्रयोग होता है ।
आयुर्वेद चिकित्सा में जड़ीबूटी से बना दवा मिलती है ।
3. किस आधार पर इस पाठ को हास्य और व्यंग्य की श्रेणी में रखेंगे ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – सम्पूर्ण पाठ हास्य व्यंग्य से भरे हैं । जैसे रसगुल्ले को देखकर डॉक्टर को देखकर । हकीम साहब को देखकर , वैद्य जी को देखकर इत्यादि ।
व्याकरण
1.इस पाठ में प्रयुक्त मुहावरों को चुनकर लिखिए ।
उत्तर– ( i ) जूता खिलाना ,
( ii ) मेला लगना ,
( iii ) चपत लगना ,
( iv ) रफ्फू चक्कर होना ,
( v ) तिलमिला उठना ,
( vi ) कलेजा का कवाब होना ,
( vii ) पिण्ड छुटना ,
( viii ) जादू का काम करना ,
( ix ) ऊपरी खेल होना ,
( x ) बुद्धि का घास चरना इत्यादि ।
2. इन युग्म शब्दों का अर्थ लिखिए ।
उत्तर ( क ) प्रसाद = भगवान को अर्पित वस्तु
प्रासाद = महल
( ख ) भवन = मकान ,
भुवन = संसार
( ग ) कांति = शोभा
क्रांति = विरोध प्रर्दशन
( घ ) भव = भगवान शंकर
भव्य = अति सुन्दर
गतिविधि :-
1. हकीम साहब की वेश – भूषा और उनके कद – काठी का वर्णन लेखक ने बड़ी मजेदार ढंग से किया है । लेखक के वर्णन के आधार पर आप हकीम साहब का चित्र बनाइए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें ।
इन्हें भी जानिए :-
जब किसी घटना या दृश्य का वर्णन करते समय असंगतियों को हास्यपूर्ण ढंग से प्रकट किया जाता है , तब उसे व्यंग्य कहते हैं । व्यंग्य ऊपर से हास्य लगता है , लेकिन जब उसके मर्म तक हमारी निगाह जाती है , तब हम असंगति या विकृति के कारणों की असलियत से परिचित होते हैं । प्राय : व्यवस्था की विकृतियों का वर्णन करने के लिए इस विधा का प्रयोग किया जाता है ।ll