8th hindi

bihar board class 8th hindi note | जननायक कर्पूरी ठाकुर

जननायक कर्पूरी ठाकुर

bihar board class 8th hindi note

वर्ग – 8

विषय – हिंदी

पाठ 19 – जननायक कर्पूरी ठाकुर

जननायक कर्पूरी ठाकुर
                  -पा.पि.व.स

( बिहार की विभूतियों में जननायक …………..पता चलता है । )

जीवनी —
गरीबों के मसीहा , विलक्षण व्यक्तित्व के धनी जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी , 1921 को पितौझिया गाँव , जिला – समस्तीपुर , बिहार में हुआ था ।
इनके पिता गोकुल ठाकुर एवं माता रामदुलारी देवी थी । गरीब परिवार के बच्चों की तरह इनका बाल्यकाल खेल – कूद तथा पशुओं के चराने में बीता ।
6 वर्ष की आयु में 1927 ई ० में इनका विद्यारम्भ गाँव के पाठशाला से हुआ । पाठशाला से आने के बाद भी वे पशुओं को चराते थे । चरवाही में ग्रामीण गीतों का उपयोग भी करते थे । गीत गाने के साथ डफली बजाने का भी शौक था जो विधायक बनने के बाद भी शौक बना रहा ।
1940 में मैट्रिक परीक्षा पास कर इन्टर की पढ़ाई के लिए 50-60 किलोमीटर दूर दरभंगा में नामांकन करवाया । कुछ दूरी पैदल फिर रेल से प्रतिदिन कॉलेज किया करते थे ।
1942 में आई . ए . परीक्षा उत्तीर्ण कर स्नातक में नामांकन करवाया लेकिन 1942 की अगस्त – क्रान्ति से वे बच नहीं सके । क्रांति में सक्रिय भागीदारी देने लगे ।
उन्होंने अपने परिजनों को प्रतीक्षा करने के लिए अपने शब्दों में कहा था- ” हो सकता है कि विद्याध्ययन के पश्चात् मुझे कोई पद प्राप्त हो जाय । मैं बहुत आराम और ऐश – मौज में दिन बिताऊँ । बड़ी कोठी , घोड़ी – गाड़ी , नौकर इत्यादि दिखावटी के सभी समान मुझे उपलब्ध हो । पर मुल्क का भी मुझ पर कुछ दावा है । भारत – माता स्वतंत्रता की पीड़ा से कराह रही है और मैं पढ़ाई जारी रखू यह मुमकिन नहीं । जब तक देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक और । सुविधा सम्पन्न स्वाधीन जीवन – यापन करने का अवसर नहीं मिलेगा तब तक मेरे परिजनों को प्रतिक्षा करना होगी ।
1942 में पढ़ाई छोड़ जयप्रकाश नारायण के ” आजाद दास्ता ” के सदस्य बन गये । आर्थिक स्थिति से निजात पाने के लिए उन्होंने 30 रुपये के वेतन पर गाँव के स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर नौकरी की । दिन में नौकरी और रात में ” आजाद दस्ता . ‘ के कार्य बखूबी निभाने लगे । 23 अक्टूबर , 1943 को रात्रि में गिरफ्तार होकर पहली जेल – यात्रा की । दरभंगा जेल पुनः भागलपुर जेल में भी कुछ दिनों तक जीवन बिताया ।
स्वतंत्रता के बाद 1952 में जब प्रथम आम चुनाव हुआ तो कर्पूरी ठाकुर ताजपुर ( समस्तीपुर ) विधान सभा क्षेत्र में सोशलिस्ट पार्टी की ओर भारी बहुमत से विधायक चुने गये तथा 1988 तक विधान सभा में रहे । इस दौरान वे विधान सभा के कार्यवाहक अध्यक्ष , विरोधी दल के नेता , उप मुख्यमंत्री तथा दो बार मुख्यमंत्री बने ।
जननायक को गरीब एवं पीड़ितों की सेवा में बड़ा आनन्द आता था । एक बार 1957 की बात है जब गाँवों दौरा कर रहे थे । उसी दौरान उन्होंने देखा कि एक आदमी हैजा से पीड़ित है और मरने की स्थिति में है । अस्पताल 5-6 किलोमीटर दूर है । यातायात का कोई साधन नहीं । कर्पूरी जी ने उस पीड़ित को अपने कंधे पर उठाकर दौड़ते हुए चलकर अस्पताल पहुंचाया था ।
1952 की ही बात है जब उन्होंने विधायक बन सचिवालय में पहुँचे तो लिफ्ट पर लिखा देखा- ” Only for Officers ” यह देखकर ही उन्हें सचिवालय में सामंती प्रथा की बू आ गई और वे इस प्रथा को अंत कर आम लोगों को लिफ्ट से आने – जाने के लिए प्रयोग करवाया ।
वे 1967 में उप मुख्यमंत्री , 1970 में और 1977 में मुख्यमंत्री पद को विभूषित किया । दलगत नीति के कारण 12 अगस्त , 1987 को विपक्ष के नेता के पद से इनको हटा दिया गया । 17 फरवरी , 1988 को हृदयाघात के कारण इनकी मृत्यु हो गई ।

             प्रश्न – अभ्यास

शब्दार्थ –
मयस्सर = उपलब्ध । मुमकिन = संभव । प्रतीक्षा = इंतजार । सर्वदलीय = सभी दलों का । अल्फाज = शब्द । निष्कर्ष = नतीजा । खानगी = घर का , घरेलू , निजी ।

   पाठ से 
1. कर्पूरी ठाकुर अपने परिजनों को प्रतीक्षा करने के लिए क्यों कहते हैं ?
उत्तर – संभवतः कर्पूरी ठाकुर के परिजनों की यह आकांक्षा होगी कि कर्पूरी पढ़ – लिखकर हमें गरीबी से निजात दिलायेगा । सारे सुख – साधन प्राप्त होंगे । लेकिन जननायक के लिए सम्पूर्ण देश परिवार था । उन्होंने देश की जनता को पराधीनता की बेड़ी में जकड़ा देखा जो उनके लिए असहनीय था । इसीलिए उन्होंने अपने अल्फाज में कहा था — जब तक देश के प्रत्येक निवासीको सम्मानजनक और सुविधासम्पन्न स्वाधीन जीवन – यापन का अवसर नहीं मिलेगा , तब तक मेरे परिजनों को भी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी ।

2. मैट्रिक के बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्हें कहाँ और किस प्रकार जाना पड़ता था ?
उत्तर – मैट्रिक परीक्षा पास कर उच्च शिक्षा के लिए दरभंगा के चन्द्रधारी मिथिला कॉलेज में दाखिला पाया । जहाँ उनको प्रतिदिन पहुँचने के लिए कुछ दूर पैदल तथा 50-60 किलोमीटर दूर मुक्तापुर से दरभंगा ट्रेन से जाना – आना पड़ता था ।

3. कर्पूरी ठाकुर को कौन – कौन कार्य करने में आनन्द मिलता था ?

उत्तर – कर्पूरी ठाकुर को चरवाही करने , ग्रामीण गीत गाने , डफली बजाने तथा पीड़ितों की सेवा करने में आनन्द आता था ।

4. सचिवालय स्थित कार्यालय में पहले दिन उन्होंने कैसा दृश्य देखा तथा उस पर उन्होंने क्या निर्णय लिया ?

उत्तर -1952 में जब विधायक बने थे तो कर्पूरी जी ने सचिवालय स्थित अपने कार्यालय के लिपट पर लिखा देखा— ” Only for Officers ” यह देखकर सचिवालय में इस सामंती प्रथा को समाप्त कर आमलोगों के लिए लिफ्ट का प्रयोग करवाया ।

पाठ से आगे

1. अपने अध्ययन के दौरान आपको किन – किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ?

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

2. आपको दिन भर में बहुत सारे काम करने पड़ते हैं । यथा – कॉमिक्स पढ़ना , खेलना , छोटे भाइयों की देख – रेख करना , खाना बनाने में सहयोग करना , परीक्षा की तैयारी करना , सोना आदि । आप किन कार्यों पर कितना समय देंगे और क्यों ?

उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

व्याकरण

अनेक शब्दों के बदले एक शब्द
भाषा की सुदृढ़ता , भावों की गंभीरता और चुस्त शैली के लिए यह आवश्यक है कि लेखक शब्दों के प्रयोग में संयम से काम लें ताकि वह विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े – से शब्दों में व्यक्त कर सकें ।
‘ गागर में सागर भरना ‘ कहावत यहीं चरितार्थ होती हैं । विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े शब्दों में ‘ अनेक शब्दों के बदले एक शब्द ‘ की जानकारी से प्रस्तुत की जा सकती है ।

( क ) जो दोनों के बंधु हों – दीनबंधु
( ख ) विभिन्न विषयों पर विचार करनेवाला विचारक ।
( ग ) सामाजिक कुरीतियों को दूर करने वाला – समाज – सुधारक ।
( घ ) बिना शुल्क का निःशुल्क

2. राजा का पुत्र -राजपुत्र
विद्या का आलय – विद्यालय
रसोई के लिए घर – रसोईघर
उपर्युक्त उदाहरणों में हमने देखा कि दो शब्दों के बीच एक विभक्ति का प्रयोग किया गया है । विभक्ति लोप के बाद दोनों शब्द मिलकर एक शब्द हो गए हैं । ऐसे ही संयुक्त शब्दों को समास कहते हैं ।

3. निम्नलिखित शब्दों में से विभक्ति हटाकर एक नया शब्द बनाइए ।

प्रश्नोत्तर

जनों के नायक – जननायक
भूमि का सुधार – भूमि सुधार
गृह में प्रवेश — गृह प्रवेश
शक्ति से हीन – शक्तिहीन
देह से चोर – देहचोर
लोगों के नायक – लोकनायक ।

गतिविधि

1. चारावाही / रोपनी के दौरान आपके क्षेत्र में गाये जानेवाले गीतों में से कोई एक गीत लिखिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें ।
2. अपने गाँव – जवार के किसी गायक या वादक से मिलकर उनके अनुभवों को सुनकर अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

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