10th sanskrit

sanskrit 10 class textbook bihar board – जागरण -गीतम्

जागरण -गीतम्

sanskrit 10 class textbook bihar board

class – 10

subject – sanskrit

lesson 19 – जागरण -गीतम्

जागरण -गीतम्

जागृष्व उत्तिष्ठ तत्परो भव ते लक्ष्यमार्ग आवाहयति । लोकोऽयं सहसा प्रेरयति । भेरी नादम् उच्चारयति । सत्यं , ध्येयं दूरऽस्माकं , साहसमपि नहि न्यूनम् अस्ति।
सङ्गे मित्राणि बहूनि पथि , चरणेषु तथाडूगदबलमस्ति।
भस्मीकर्तुम् स्वर्णिम लङ्का , स अग्नियुतस्त समायाति ।।
प्रतिपदं कण्टकाकोण वै , व्यवहारकुशलता अस्मासु।।
विजयस्य च दृढविश्वासयुता , निष्ठा कर्मठता अस्मासु । विजयि पूर्वज जनपरम्परा , बहुमूल्यधना तु सा जयति।
अनुगा वै सिंह शिवस्य वयं राणाप्रतापसम्मानधनाः । संघटनतन्त्र शक्तिस्तत्र , वैभवचित्रं तुतु विभूषयति ।।

हिन्दी अनुवाद :
जागो , उठो , तत्पर हो तुम्हारा लक्ष्य मार्ग पर आह्वान कर रहा है ।
यह संसार तुमको सहसा प्रेरित रहा है युद्ध के नगारे अपना आवाज दे रहे हैं ।
यह सत्य है कि – हमारा लक्ष्य दूर है परन्तु साहस भी कम नहीं है ।
रास्ते में बहुत मित्र संग भी हैं तथा पैरों में वैसा बल भी है ।
स्वर्णिम लंका को भस्म करने के लिए वह आग भी साथ है ।
पग – पग काँटे बिछे हैं पर ये मेरे पैर व्यवहार – कुशल हैं और विजय का दृढ़ विश्वास लिये हूँ निष्ठा और कर्मठता भी हमारे साथ है ।
विजयी पूर्वज लोगों की परम्परा बहुमूल्य धन है जो जय प्रदान करती है ।
हमलोग शिव के सिंह के अनुचर हैं और राणा प्रताप के सम्मान से धनी हैं ।
जहाँ संगठन है वही शक्ति है , यह विचित्रता रूपी वैभव से परिपूर्ण है ।

अभ्यास
प्रश्न : 1 , कः सहसा केषां प्रेरयति ?
उत्तरम् – अयं लोकः सहसा अस्माकं प्रेरयति ।
प्रश्न : 2. केषां साहसं न्यूनम् नास्ति ?
उत्तरम् – अस्माकं साहसं न्यूनम् नास्ति ।

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