10th hindi

bihar board 10th hindi book solutions – मछली

मछली

bihar board 10th hindi book solutions

class – 10

subject – hindi

lesson 10 – मछली

मछली
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-विनोद कुमार शुक्ल
* लेखक परिचय:- विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 ई० को राजनाँद गाँव (छत्तीसगढ़) में हुआ था। ये वृत्ति के रूप में प्राध्यापक रहे। इंदिरा गाँधी कृषि वि० वि० में ऐसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किए। दो वर्षों (1994-96 ई.) तक निराला सृजनपीठ को अतिथि साहित्यकार के रूप में रहे।

* रचनाएँ:-1. वह आदमी कोट पहनकर चला गया कोट की तरह (कविता संग्रह), (2) सबकुछ होना बचा रहेगा (कविता संग्रह), (3) अतिरिक्त नहीं (काव्य)

* उपन्यास:-1. नौकर की कमीज, 2. खिलेगा तो देखेंगे, 3. दीवार में एक खिड़की रहती थी।

* कहानी संग्रह:-1. पेड़ पर कमरा, 2. महाविद्यालय
इनके कई उपन्यासों को अनुवाद भारतीय भाषाओं में एक कविता संग्रह और एक कहानी संग्रह-पेड़ पर कमरा का इतालवी भाषा में हो चुका है।
‘नौकर की कमीज’ पर झिलम भी बनी है।

*पुरस्कार:-रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992 ई०) दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान पुरस्कार (1997 ई.), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1990 ई.) में प्राप्त।

* विशेषताएँ:-विनोद कुमार शुक्ल 20वीं सदी के एक चर्चित कवि हैं। धारा और प्रवाह से बिल्कुल अलग, बनाबट में जटिल। और अपने न्यारेपन के कारण शुक्लजी प्रिय कवि एवं कहानीकार है। इनकी जड़ें संवेदना और अनुभूति में थी और वह भीतर से पैदा हुई खासियत थी। इनकी भाषा की अपनी खूबी है। इनकी कविताओं में मौलिकता है। बहुआयामी दृष्टिकोण से युक्त इनकी रचनाएँ नयी पीढ़ी को दिशा देने का काम करेंगी।
इनकी कृतियाँ हिन्दी साहित्य के लिए धरोहर है। ये समसमायिक कवि है। इनके विचार उनकी,रचनाओं में उभरकर हमें दिशा देता है।इसप्रकार विनोद कुमार शुक्ल आधुनिक दौर के प्रसिद्ध कवि, कहानीकार है। इनकी रचनाएँ हिन्दी के विकास में सहायक है। सारी रचनाएँ ज्ञान
रन-मंडार है जिससे नयी पीढ़ी को सही दिशा मिलेगी।

सारांश:-‘मछली’ नामक कहानी विनोद कुमार शुक्ल की कहानियों के संकलन महाविद्यालय’ से ली गयी है इस कहानी की रचना बचपन की स्मृति के भाषा शिल्प में की गयी है। इस कहानी में एक किशोर की जवानी के दिनों की संधिकालीन स्मृतियों का चित्रण हुआ है। दृष्टिकोण और जीवन की समस्याओं से जुड़ी हुई यह कहानी आगे को और बढ़ रही है। कहानी एक छोटे शहर की है। यह कहानी मध्यवर्गीय परिवार के भीतर के वातावरण जीवन गथार्थ और मेवाको आलोकित करने का हिम्मत रखती है। इस कहानी में लिंग-भेद की समस्या पर भी काश डाला गया है। कहानी में घटनाएँ, जीवन-प्रसंग आदि का विवरण है। एक बच्चे के आँखों देखा और उसी के मित कथन से उपजी सादी भाषा में वर्णित इस कहानी अपना महत्त्व है। कहानी
अपना गहरा प्रभाव छोड़ती है। इसमें संवेदना के तत्व छिपे हुए हैं। कहानी अपनी प्रतीकात्मकता के कारण जनजीवन के ऊपर एक गहरा प्रभाव छोड़ती है।
बूंदा-बांदी शुरू होते ही दोनों भाई दौड़ते हुए गली में घुस गए। दौड़े इसलिए कि मछलियाँ पानी बिना झोले में ही मर न जाएँ। एक तो खरीदते ही मर गई थी। शेष दो झोले में कूद रही थी। भाइयों की इच्छा थी कि एक मछली पिताजी से माँग कर कुएँ में डाल, बड़ा करेंगे। कुएँ से निकाल खेलकर फिर कुएँ में डाल देंगे। दोनों भीग चुके थे। संतू लंद से काँपने लगा था। दोनों ने नहानपर में घुस अपनी-अपनी
कमोर्जे निचोड़ी। नरेन ने संतू से कहा-अपन ऊपरवाली मछली पिताजी से मांग लेंगे। संतू मछली छूने से डर रहा था। नरेन मछली की आँखों में अपनी छाया देखना चाहता है। दीदी ने कहा था कि नदी मछली को आँख में अपनी परछाइ नहीं दिखती। संतू से बना तो नरेन ने खुद देखा किंतु
पता ही नहीं चला कि अपनी परछाइ भी था मछली की आँखों का रंग। नरेन ने दीदी को बुलाना चाहा तो पता चला कि दीदी सो रही है। ” उपर मसाला पोस रही थी। भाइयों का मन छोटा हो गया आज ही बनेंगी। इतने में भग्गू आया और मछलियाँ ले गया। मछली पालने का उत्साह ठंडा पड़ गया। दोनों कमरे में गए दीदी लेटी हुई थी। गीले कपड़ों
में देख नाराज हुई। संतू को अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए, नरेन को भी धुले कपड़े पहनने को कहा। दीदी ने ही संतू के बाल पोंछे, झाड़। दीदी को संतू टकटकी बाँध देखता रहा।
भग्गू मछलियाँ काटने में लगा कि संतू ने एक मछली लेकर भागा। भगू दौड़ा। नरेन कमरे में गया। दीदी सिसक-सिसक कर रो रही थी शरीर सिंहर रहा था। उधर भग्गू संतू से मछली डोनने में लगा था और इधर घर में पिताजी जोर जोर से चिल्ला रहे थे। दीदी को सिसकियाँ बढ़ गई। शायद पिताजी ने दीदी को मारा था।
पिताजी नरेन को घर में आने से रोकने को भगू से कह रहे थे। संतू सहमा खड़ा था। दीदी के संचारे बाल बिखर गए थे। नरेन नहानपर में गया: बाल्टी उलट दी। उसे लगा कि पूरे
घर से मछली की गंध आ रही है।

गद्यांश पर आधारित अर्थ ग्रहण-संबंधी प्रश्न
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1. दौड़ते हुए हम लोग एक पतली गली में घुस गए। इस गली से घर नजदीक पढ़ता था। दूसरे रास्तों में बहुत भीड़ थी। बाजार का दिन था। लेकिन बूंदें पड़ने से भीड़ के बिखराव में तेजी आ गई थी।
दौड़ इसलिए रहे थे कि डर लगता था कि मछलियाँ बिना पानी के, झोले में हो न मर जाएँ। झोले में तीन मछलियों थीं। एक तो उसी वक्त मर गई थी जब पिताजो खरीद रहे थे। दो जिन्दा र्थी। झोले में उनकी तड़प के झटके मैं जब तब महसूस करता था। मन ही मन सोच रहा था कि एक मछली पिताजी से जरूर माँग लेंगे। फिर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। मन होगा बाल्टी से निकालकर खेलेंगे। बाद में फिर कुएँ में डाल देंगे।

(क) यह अवतरण किस पाठ से लिया गया है?
(क) मछली
(ख) आविन्यो
(ग) श्रम विभाजन और जाति प्रथा
(घ) शिक्षा और संस्कृति

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं ?
(क) विनोद कुमार शुक्ल
(ख) मैक्समूलर
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) अमरकांत

(ग) बच्चों की कौन-सी उत्कंठा थी?

(घ) झोले में कितनी मछलियाँ थीं?
उत्तर-(क)-(क) मछली
(ख)-(क) विनोद कुमार शुक्ल
(ग) बाजार से तीन मछलियाँ खरीदी गई थीं। एक मछली को वे पिताजी से माँग कर कुआँ में डालना चाहते थे। कुआँ में डालकर वे मछली के साथ खेलना चाहते थे।
(घ) झोले में तीन मछलियाँ थीं।

2. नहानघर का दरवाजा अंदर से हम लोगों ने बंद कर लिया था। भरी हुई बाल्टी थी, उसे आधी खाली कर मैंने झोले की तीनों मछलियाँ उड़ेल दीं। अगर बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर नीचे आ जाती। एक बार एक छोटी-सी मछली मेरे हाथ से फिसलकर नहानघर की नाली में घुस गई थी। हाथों से मैंने और सन्तू ने टटोल-टटोलकर ढूँढा था। जब दिखी नहीं तो हम घर के पीछे जाकर खड़े हो गए थे जहाँ घर की नाली एक बड़ी नाली से मिलती थी। गंदे
पानी में मछली दिखी नहीं। दीदी ने बताया था कि वह मछली इस नाली से शहर की सबसे बड़ी नाली में जाएगी फिर शहर से तीन मील दूर मोहरा नदी में चली जाएगी।

(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) बहादुर
(ख) मछली
(ग) विष के दाँत
(घ) परम्परा का मूल्यांकन

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(क) गुणाकर मूले
(ख) रामविलास शर्मा
(ग) नलिन विलोचन शर्मा
(घ) विनोद कुमार शुक्ल

(ग) मछली नाली में कैसे चली गई थी?

(घ) मोहरा नदी शहर से कितनी दूर पर बहती है?
उत्तर-(क)-(ख) मछली
(ख)-(घ) विनोद कुमार शुक्ल
(ग) लेखक के हाथ से छूटकर मछली नाली में चली गई थी।
(घ) मोहरा नदी शहर से तीन मील की दूरी पर बहती है।

3. गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई। फिर प्यार से समझाया। संतू को दीदी ने खुद अपने हाथों से जाने क्यों अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाएँ। मैं घर के धोए कपड़े पहन रहा था तो दीदी ने कहा कि धोबी के धुले कपड़े पहन लूँ। फिर दीदी ने पेटी से मेरे लिए कपड़े निकाल दिए। संतू के बड़े-बड़े बाल थे इसलिए अभी तक गीले थे। दीदी ने संतू के बालों को टॉवेल से पोंछकर उसके बाल सँवार दिए।

(क) यह अवतरण किस पाठ से लिया गया है ?
(क) विष के दाँत
(ख) जित-जित मैं निरखत हूँ
(ग) मछली
(घ) श्रम विभाजन और जाति प्रथा

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं ?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) विनोद कुमार शुक्ल
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) भीमराव अंबेदकर

(ग) दीदी ने क्या किया?

(घ) उल्लिखित गद्यांश के आधार पर तर्क सहित बताएँ कि दीदी का स्वभाव कैसा था।
उत्तर-(क)-(ग) मछली
(ख)-(ख) विनोद कुमार शुक्ल

(ग) दीदी ने प्यार से समझाया । संतू को अपने हाथों से अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए । सन्तू के गीले बालों को टॉवेल से पोंछकर बाल सँवार दिए । फिर पेटी से कपड़े निकालर नरेन को पहनने के लिए दिए ।

(घ) दीदी ममतामयी थी। भाइयों से बहुत स्नेह करती थी यही कारण है कि गीले कपड़ों में भाइयों पर नाराज हुईं। फिर प्यार से समझाया। संतू के कपड़े बदलवाए उसके बाल सँवारे और नरेन को धोबी के धुले कपड़े पहनने के लिए निकाल कर दिए।

4. तीनों मछलियों के कई टुकड़े हो गए थे। पाटे के पास मछलियों के गोल-गोल चमकीले पंख पड़े थे। दीदी जहाँ लेटी थी, उस समय कमरे का दरवाजा खुला था। शायद माँ अन्दर थी। पिताजी दरवाजे के पास गुस्से से टहल रहे थे। दीदी की सिसकियाँ बढ़ गई थीं। मुझे लगा कि पिताजी ने दीदी को मारा है।

(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) शिक्षा और संस्कृति
(ख) नौबतखाने में इबादत
(ग) जित-जित मैं निरखत हूँ
(घ) मछली

(ख) इस गद्यांश के लेखक कौन हैं ?
(क) भीमराव अंबेदकर
(ख) मैक्समूलर
(ग) विनोद कुमार शुक्ल
(घ) यतीन्द्र मिश्र

(ग) दीदी की सिसकियाँ क्यों बढ़ गई थीं?

(घ) पिताजी का दीदी को मारना क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर-(क)-(घ) मछली
(ख)-(ग) विनोद कुमार शुक्ल

(ग) दीदी को पिताजी ने मारा था, इसलिए उनकी सिसकियाँ बढ़ गई थी।

(घ) पिताजी द्वारा दीदी को मारना दोहरी मानसिकता का प्रतीक है जिसमें बेटा-बेटी में फर्क और निर्भर परनिर्भर में भेद स्पष्ट होता है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
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1.झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में क्यों घुस गए?
उत्तर- -बूंदा-बाँदी होने लगी, सो भींगने के डर से बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में घुस गए।

2. मछलियों को लेकर बच्चों की क्या अभिलाषा थी?
उत्तर-बच्चे चाहते थे कि वे एक मछली पाले और जब तब उससे खेलें।

3. मछलियों को छूते हुए संतू क्यों हिचक रहा था?
उत्तर-संतू को मछलियों से डर लगता था इसलिए उन्हें छूने से हिचक रहा था।

4. संतू क्यों उदास हो गया?
उत्तर-मछलियों के कटने से संतू उदास हो गया।

5. घर में मछली कौन खाता था और वह कैसे बनायी जाती थी?
उत्तर-घर में सिर्फ पिताजी मछली खाते थे। लकड़ी के पाटे पर पीट-काट कर भागू मछली तैयार कर पकाता था।

6. दीदी कहाँ थी और क्या कर रही थी?
उत्तर-दीदी घर में सो रही थी।

7. अरे-अरे कहता हुआ भग्गू किसके पीछे भागा और क्यों?
उत्तर-भग्गू जब मछली काटने की तैयारी करने लगा तो अचानक संतू एक मछली ले भागा सो भग्गू अरे-अरे कहता हुआ उससे मछली छीनने के लिए भागा।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ के साथ
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प्रश्न 1. झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में क्यों घुस गए थे?
उत्तर-बरसात का दिन था। बाजार का दिन था जिस कारण रास्ते में काफी भीड़ थी। पतली गली से घर नजदीक पड़ता था। इसी कारण बच्चे भींगने के डर से दौड़ते हुए पतली गली में घुस गए ताकि शीघ्रता से घर पहुँच सकें।

प्रश्न 2. मछलियों को लेकर बच्चों की अभिलाषा क्या थी?
उत्तर-मछलियों को लेकर बच्चों के मन में संवेदना के भाव जग गए। वे मछलियाँ मरे नहीं इसी को लेकर चिंतित थे। झोले में रखी मछलियों की तड़प से बच्चे काफी दुःखित हो जाते थे। कहीं मछलियाँ मर न जाय। वे मन में सोचते जा रहे थे कि एक मछली को पिताजी से माँगकर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। जब इच्छा होगी तब बाल्टी से निकालकर खेलेंगे, फिर कुएँ में डाल देगें।

प्रश्न 3. मछलियाँ लिए घर आने के लिए बच्चों ने क्या किया?
उत्तर-बच्चे मछलियों को जिन्दा रखना चाहते थे। उसके मरने के डर से वे दौड़कर घर जल्दी से पहुँचना चाह रहे थे। बरसात हो रही थी। बच्चों ने मछलियों को जिन्दा बचाने के लिए झोले के मुँह को आकाश की ओर फैलाकार खोल दिया ताकि आकाश का पानी झोले के अंदर पड़े जिससे कि मछलियाँ जिन्दा रह सकें। वे भीगने से बचने के लिए मकान के नीचे खड़े हो गऐ।

प्रश्न 4. मछली को छूते हुए संतू क्यों हिचक रहा था?
उत्तर-संतू मछलियों को छूकर देखना चाहता था किन्तु डरता था। उसे डर था कि कहीं मछलियों को छू लेगा तो मछलियाँ उसे काट लेंगी। लेखक का कहना कि देखो-मछलियों को छूने पर वे नहीं काटती है, तब हिम्मत कर संतू ने सबसे ऊपर की मछली को ऊँगली से छुआ
और डरकर अपना हाथ खींच लिया।

प्रश्न 5. मछली के बारे में दीदी ने क्या जानकारी दी थीं? बच्चों ने उसकी परख कैसे की?
उत्तरी-दीदी ने मछली के बारे में कहा था कि जो मछली मर जाती है उसकी आँखों में झाँकने से अपनी परछाई नहीं दिखती।

प्रश्न 6. संतू क्यों उदास हो गया?
उत्तर-संतू ने भाई से पूछा कि भइया मछली अभी कट जाएगी। लेखक के ‘हाँ’ कहने पर संतू उदास हो गया।

प्रश्न 7. घर में मछली कौन खाता था और वह कैसे बनायी जाती थी?
उत्तर-घर में मछली केवल लेखक के पिताजी खाते थे। मछलियों को भग्गु जो घर का नौकर था, पाटा से गोल-गोल टुकड़ों में काटता था, धोता था, उन्हें साफ-सुथरा करता था। काटने का पूर्व वह मछलियों को पत्थर पर पटककर निस्तेज कर देता था। राख से मलता था। उसे साफ कर टुकड़ों में काटता था। धो-धाकर पूरी सफाई के साथ मछलियों को बनाने के लिए तैयार करता था।

प्रश्न 8. दीदी कहाँ थी और क्या कर रही थीं?
उत्तर-दीदी अपनी पहनी हुई साड़ी को सर तक ओढ़े हुए, करवट लिए सिसक-सिसक कर रो रही थी। हिचकी लेने पर दीदी का सारा शरीर सिहर रहा था।

प्रश्न 9. अरे-अरे कहता हुआ भग्गू किसके पीछे भागा और क्यों?
उत्तर-जब भग्गू मछलियों को काट ही रहा था तभी एक मछली को, अंगोछे में लपेटकर संतू भागा। इसे देखकर भग्गू भी मछली काटना छोड़कर मछली छीनने के लिए संतू के पीछे भागा और कहा-“अरे-अरे! अरे।”

प्रश्न 10. मछली और दीदी में क्या समानता दिखाई पड़ी? स्पष्ट करें।
उत्तर-दीदी और मछली दोनों की स्थिति समान थी। इधर कटने की स्थिति में मछलियाँ भी तड़प रहीं थी। उछल-कूद रहीं थी। उधर दीदी भी मार खाकर कमरे में लेटे-लेटे सिसकियों के साथ रो रही थी और पूरे शरीर सिहर रहा था। जिस प्रकार मछलियाँ विवश हो गयी थी ठीक उसी प्रकार पिताजी के अनुशासन के आगे दीदी भी लाचार थी। दोनों अबला के रूप में दिखती है। दोनों की स्थितियों में समानता
है। दोनों में तड़प है, बेचैनी है। विवशता है। लाचारी है।

प्रश्न 11.पिताजी किससे नाराज थे और क्यों?
उत्तर-पिताजी नरेन से नाराज थे क्योंकि उसके रहते हुए संतू मछली लेकर भाग गया था और मछली बनाना छोड़कर भग्गू उसके पीछे दौड़ा था। मछलियों के टुकड़े धरती पर पड़े थे जिसे देखकर पिताजी को गुस्सा आ गया हो। इसी कारण उन्होंने दीदी को भी पीटा था। नरेन और दीदी के रहते हुए संतू बदमाशी कर रहा था और मछलियाँ गोल-गोल टुकड़ों में जैसे-तैसे धरती पर पड़ी हुई थीं।

प्रश्न 12. सप्रसंग व्याख्या करें।
(क) बरसते पानी में खड़े होकर झोले का मुँह आकाश की तरफ फैलाकर मैंने खोल दिया ताकि आकाश का पानी झोले के अंदर पड़ी मछलियों पर पड़े।”
उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली नामक कहानी से ली गयीं हैं। इन पंक्तियों का संबंध उस संदर्भ से ही है जब बच्चे पिताजी द्वारा खरीदी गयीं तीन मछलियों को
लेकर भीगते हुए घर जा रहे हैं। बच्चों को मछलियों के प्रति मोह था। वे उसे मरने देना नहीं चाहते थे। मछलियाँ बड़ी थीं। झोले में एक-दूसरे से दबी हुई थीं। झोला में तो पानी नहीं था। कहीं पानी के अभाव में ये मछलियाँ मर न जाय इसी डर से वे झोले का मुँह खोलकर आकाश की ओर
फैला दिए ताकि आकाश का पानी झोले में पड़े और मछलियाँ जिन्दा रह सकें। इस प्रकार मछलियों के लिए पानी एवं जान की रक्षा करने के लिए बच्चों ने ऐसा किया। वे मछलियों को कुएँ में डालकर पोसना चाहते थे। उन्हें उस की प्राण बचाने की चिंता थी।

(ख) अगर बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर नीचे आ जाती।
उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। इस वाक्य का संदर्भ उस समय से है जब बच्चे मछली लेकर घर आते हैं। नहानघर में पानी से भरी बाल्टी से आधा पानी को गिराकर उसमें तीनों मछलियों को उढ़ेल देते हैं। लेखक को लगा कि अगर भरी बाल्टी में मछलियों को रखा जाता तो वे उछलकर बाल्टी से निकल जाती और फर्श पर आ जाती।
बच्चों का बालसुलभ मन मछलियों को खोना नहीं चाहता था। एक बार एक छोटी मछली उनके हाथ से छुटकर नहानघर की नाली में घूस गयी थी जिस दोनों भाइयों ने काफी ढूँढा, लेकिन वह मछली नहीं मिली। दीदी ने कहा था कि घर की नाली शहर की नाली से शहर की नाली से तीन मील दूर मोहरा नदी में मिली है जिससे छोटी मछली नदी में बहकर चली गयी होगी। इसी आशंका से बच्चों ने आधी पानी भरी बाल्टी में मछलियों को रखा था ताकि वे मछलियों उछलकर बाहर आकर कहीं नाली-नाली होते हुए नदी में न चली जाय। मछली के खोने का भय आज भी बच्चों के दिमाग में बनी हुई है। अतः, आज वे सतर्क थे और तीनों मछलियों को बाल्टी में रखकर
सुरक्षा कर रहे थे।

(ग) और पास से देख। परछाई दिखती है?
उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली’ कहानी से ली गयी हैं। इसका संदर्भ
दीदी द्वारा कही गयी बातों से जुड़ी हुई हैं। दीदी अपने भाइयों से कहती थी कि जो मछली मर जाती है उसमें आँखों में झाँकने से आदमी की परछाई नहीं दिखती है।
लेखक ने जब बाल्टी से मछली को निकालकर फर्श पर रखा और पूंछ पकड़कर दो-तीन बार हिलाया तो मछली में थोड़ी-सी भी हरकत नहीं हुई। इस पर लेखक ने संतू से कहा कि तू इसकी आँख में झाँककर देख तेरी परछाई इसमें दिखती है कि नहीं। संतू थोड़ी दूरी पर बैठा था।
बड़े भाई की बात सुनकर वह मछली के पास आया और उत्सुकतावश मछली को देखने लगा। इसपर लेखक ने संतू से कहा कि-‘और पास से देखे। परछाई दिखती है क्या? लेखक ने समझाते हुए दीदी की बातों को संतू से दुहरा दी। संतू दूर से ही सिर झुकाए मछली को आँखों में झाँकता
हुआ चुपचाप था। वह कुछ बोलता ही नहीं था कि परछाई दिखती है कि नहीं।
इस प्रकार उपर्युक्त पंक्तियों का संदर्भ और व्याख्या संतू, मछली और लेखक के बीच की है। मछली के जिन्दा होने के लिए लेखक ने संतू से उपयुक्त वाक्य को कहा था ताकि दीदी जो बातें मछली के बारे में बतायी थी, वह सच थी कि नहीं। वह इसकी परीक्षा ले रहा था। संतू चुपचाप
मछली की आँखों में अपनी परछाईं देख रहा था और निरूत्तर था।

(घ) नहानघर की नाली क्षणभर के लिए पूरी भर गई, फिर बिल्कुल खाली हो गयी।
उत्तर-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक की कहानी ‘मछली’ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संदर्भ नहानघर से है जहाँ लेखक मछलियों को देखने के लिए गया है। नहानघर में पहुंचने पर लेखक ने महसूस किया पूरा नहानघर मछलियों की गंध से भरा हुआ है। वहाँ भग्गू द्वारा गोल-गोल काटी गयी मछलियों के टुकड़े पड़े हुए थे। उसे लेखक ने हाथों से बाल्टी में धोया और पानी भरी बाल्टी को उढ़ेल दिया। इससे नहानघर की नाली क्षणभर में पूरी भर गयी। और तुरंत पानी के बह जाने पर खाली भी हो गयी। पूरे घर में मछलियों की गैस गंध आ रही थी।
जिसे लेखक ने महसूस किया। नहानघर में ही भग्गू मछलियों को धोकर, काटकर साफ-सुथरा कर रहा ताकि उसे पकाया जा सके।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि नहानघर ही नहीं पूरा घर मछली की गंध से पट गया था। कारण मछली के कारण पूरे घर में हंगामा हो गया था। दीदी से लेकर पिताजी, भागू, संतू सभी मछली वाली घटना में शरीक थे। इस प्रकार नहानघर में लेखक जब पहुँचता है तब उसे मछली की गंध और नाली का भरा हुआ रूप दिखायी पड़ता है।
इस प्रकार नहानघर से मछली गंध पूरे घर में पसर गयी थी जिसे लेखक बारीकी से महसूस कर रहा था।

प्रश्न 13. संतू के विरोध का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-संतू को मछलियों से प्रेम था वह उन्हें जिन्दा रूप में देखना चाहता था। वह चाहता कि एक मछली को पिताजी से माँग कर वह कुएँ डालकर पोसेगा। बड़ी होने पर कुएँ से बाल्टी द्वारा मछली को निकालकर खेलेगा और फिर कुएँ में उसे डाल देगा। यहाँ तो घर का नौकर भग्गू दानों मछलियों को मार देना चाहता था। इसी कारण संतू एक मछली को लेकर भाग गया और भगू का विरोध करने लगा। वह एक मछली को जिन्दा पालना-पोसना चाहता था। उसे मछली
में खेलने, पालने-पोसने, जिन्दा देखने की हार्दिक इच्छा थी। इन्हीं सब कारणों से उसने भग्गू का विरोध किया और एक मछली का लेकर भागा था और उसकी जान बचाने के लिए भग्गू से संघर्ष किया,विरोध किया।

प्रश्न 14. दीदी का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-दीदी सहज सरल स्वभाव की मूर्ति थी। वह दोनों भाइयों को बहुत प्यार करती थी। वह उन्हें अच्छी-अच्छी बातों की जानकारियाँ देती थीं। इसी संदर्भ में उसने भाइयों को बताया था कि जिन्दा मछली की पहचान हैं कि उसकी आँखों में झाँकने पर आदमी की परछाई दिखती किया, विरोध किया। दीदी दोनों भाइयों को लाड़-प्यार से देखती थी। संतू जब भींगे कपड़ों में था तो दीदी ने हम सबको डाँटा और प्यार से समझाया। संतू को खूद दीदी ने अपने हाथों से साफ-सुथरा कर बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए। घर के धोए कपड़े जब लेखक पहन रहा था तो दीदी ने कहा
कि धाबी द्वारा धूले कपड़े पहन लो। दीदी ने पेटी से कपड़े निकालकर लेखक को पहनने के लिए दिए। संतू के बड़े-बड़े गीले बालों को दीदी ने तौलिया से पोंछकर तेल लगाया, इसे सँवारा। संतू की ठुड्डी पकड़कर दीदी ने बाल सँवारना जब शुरू किया तो संतू दीदी को अपनी बड़ी-बड़ी
आँखों से एकटक देख रहा था। सभी. दीदी की प्रशंसा करते थे। दीदी भली थी। वह बड़ों का आदर करती थी। छोटों को प्यार करती थी। वह सरल और निर्दोष थी।
दीदी की जब तबियत ठीक नहीं थी तो उसने कमरे में लेटते हुए दोनों भाइयों से दरवाजा बाहर से बंद कर देने को कहा। दीदी कमरे में शांत लेटी हुई आराम करने की मुद्रा में लेखक
को दिखी। मछली वाली घटी घटना से पिताजी नाराज थे। उन्होंने दीदी को पीटा था। दीदी कमरे में लेटकर जोर-जोर से सिसकियाँ लेकर रो रही थी। वह मुँह को साड़ी से ढंके हुए थी। इस प्रकार उसमें नारीत्व के गुण और सहनशक्ति थी। वह साक्षात् देवी रूप थी। वह सबके प्रति स्नेह, आदर
रखती थी। उसमें नारी की करुणा ममत्व और प्यार भरा हृदय था। वह दया की सागर थी।

प्रश्न 15. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-‘मछली’ कहानी के कहानीकार विनोद कुमार शुक्ल ने शब्द-योजना द्वारा प्रतीकात्मक प्रयोग किया है और मानवीय जीवन के विविध पक्षों का मनोवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत किया है। मछली एक प्रतीक रूप है। जिस प्रकार मछली का जीवन है, उसमें गंध है, उसमें छटपटाहट है।
जीवन जीने की लालसा है। ठीक उसी प्रकार मानव का भी जीवन है। मानव की गति मछली-सी ही है। यहाँ जीवन के यथार्थ का चित्रण मिलता है। किशोरवय की मन:स्थितियों का सफल अंकन हुआ है। बचपन की बातों का सटीक उल्लेख हुआ है। भाषा और शिल्प के आधार पर भी शीर्षक
में सार्थकता है। इस कहानी में निम्न मध्यम वर्ग के परिवार के भीतर की स्थितियों का सम्यक् चित्रण हुआ है। आपसी संबंधों, जीवन-प्रसंगों, लिंग-भेद की समस्याओं की सटीक व्याख्या प्रस्तुत की गयी है। बच्चों का कौतुहल, जीजीविषा, आकांक्षा का सफल चित्रण हुआ है। कहानी गहरा प्रभाव छोड़ती है। कहानी में संवेदना भरी हुई है। प्रतीक प्रयोग के कारण कहानी पाठकों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ती है। इस प्रकार मछली शीर्षक सार्थकता से पूर्ण हैं। मछली को प्रतीक रूप में प्रयोग करते हुए कहानीकार ने जीवन के विविध प्रसंगों, पक्षों एवं संबंधों का सफल उद्घाटन किया है। अत: शीर्षक की सार्थकता स्वयंसिद्ध है।

प्रश्न 15. कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर-सारांश देखें।

भाषा की बात
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प्रश्न 1. निम्नांकित विशेष्य पदों में उपयुक्त विशेषण या क्रिया विशेषण लगाएँ-
उत्तर-(i) गली-सँकरी गली, पतली गली
(i) मछली-बड़ी मछली, छोटी मछली
(iii) उछली-खूब उछली
(iv) कमीज-फटी कमीज
(v) मूंछे- घनी मूंछे
(vi) परछाईं-काली परछाई, घटती परछाईं
(vii) नहानघर-आरामदायक नहानघर
(viii) खंगाला-अच्छा खंगाला।

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