bihar board 10 geography notes – भूकंप एवं सुनामी
प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी
bihar board 10 geography notes
class – 10
subject – geography
lesson 3 – प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी
प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : भूकंप एवं सुनामी
महत्वपर्ण तथ्य — हमलोग ठोस भूपटल पर रहते हैं जिसके अंदर का तापमान 1000 ° से . से भी अधिक है । यहाँ उत्पन्न ऊर्जा तरंग की लहरें चट्टानों में कंपन उत्पन्न करती हैं । इस कंपन का केन्द्र स्थल जब स्थल खंड पर होता है तो उसे भूकम्प कहते हैं लेकिन जब महासागर की तली पर होता है तो उसे सुनामी कहते हैं|
सुनामी के प्रभाव से समुद्री जल में कंपन से जल में क्षैतिज गति उत्पन्न होती है । वह क्षैतिज प्रवाह जब स्थल से टकराता है तो सुनामी आती है ।
भूकंप तथा सुनामी की ऊर्जा तरंग की गहनता की नाम ऐक्टर स्केल की मदद से हाता है । दोनों ही घटनाओं में लाखों लोगों की मृत्यु होती है । भूकम्प में भवनों का गिरना , मूलों का टूट जाना , जमीन में दरार पड़ना , दरारों से गर्म जल के सोते का निकलना जैसी घटनाएं होती हैं । सुनामी की लहरें तटीय स्थानों में तबाही मचाती हैं ।
भारत के सभी भागों में भूकंप के झटके आते हैं । गहनता और बारंबारता के आधार पर भारत को भूकंपीय पेटी में बाँटा जाता है । भूकंप के समय उठनेववाले कंपन को मुख्यत : प्राथमिक , द्वितीयक तथा दीर्घ तरंगों में बाँटा जाता है ।
भूकंप एवं प्राकृतिक आपदा है जिससे बचाव के लिए व्यापक तथा दूरदृष्टि होनी चाहिए । उदाहरण के तौर पर भूकंप के पूर्वानुमतान तकनीक का विकास करना चाहिए , भूकंप निरोधी तकनीक के आधार पर भवनों का निर्माण करना चाहिए , जान – मालकी सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बल की व्यवस्था होनी चाहिए , प्रशासन को सक्रिय होना चाहिए आदि । सुनामी का विनाशकारी प्रभाव तटीय प्रदेशों में देखने को मिलता है । ऊँची – ऊंची तरंगे तट के किनो मछली पकड़ने वाले नाव , मोटरबोट , तट के किनारे बसी बस्तियों , पर्यटक , नारियल वृक्षों को उखाड़ फेंकते हैं । सुनामी के प्रभाव को कम करने के लिए कंक्रीट तटबंध बनने की जरूरत है । तटबंध के किनारे मैंग्रोव जैसी वनस्पति को सघन रूप से लगाना चाहिए ।
राज्य सरकार तथा गैर – सरकारी संस्थाओं द्वारा तटीय प्रदेश के लोगों को सुनामी से बचाव का प्रशिक्षण देनी चाहिए । आम लोगों का सहयोग तथा स्वयंसेवी और प्रशासकीय संस्थाओं की भागीदारी ही भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं के राहत दिला सकता है ।
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
1. महासागर के तली पर होनेवाले कंपन को किस नाम से जाना जाता है ?
( क ) भूकंप ( ख ) चक्रवात ( ग ) सुनामी ( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- ( ग )
2. 26 दिसंबर , 2004 को विश्व के किस हिस्से में भयंकर सुनामी आया था ?
( क ) पश्चिम एशिया ( ख ) प्रशांत महासागर ( ग ) अटलांटिक महासागर ( घ ) बंगाल की खाडी
उत्तर- ( घ )
3. भूकंप से पृथ्वी की सतह पर पहुँचनेवाली सबसे पहली तरंग को किस नाम से जाना जाता है ?
( क ) पी – तरंग ( ख ) एस – तरंग ( ग ) एल – तरंग ( घ ) टी – तरंग
उत्तर— ( क )
4. भूकंप केंद्र के ऊर्ध्वाधर पृथ्वी पर स्थित केन्द्र को क्या कहा जाता है ?
( क ) भूकंप केंद्र ( ख ) अधि केंद्र ( ग ) अनु केंद्र ( घ ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर— ( ख )
5. भूकंप अथवा सुनामी से बचाव का इनमें से कौन – सा तरीका सही नहीं है ?
( क ) भूकंप के पूर्वानुमान को गंभीरता से लेना ( ख ) भूकंप निरोधी भवनों का निर्माण करना ( ग ) गैर – सरकारी संगठनों द्वाराराहत कार्य हेतु तैयार रहना ( घ ) भगवान भरोसे बैठे रहना ।
उत्तर- ( घ )
II. लघु उत्तरीय प्रश्न :
1. भूकंप के केंद्र एवं अधिकेंद्र के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – भूपटल के नीचे का वह स्थल जहाँ भूकंपीय कंपन प्रारंभ होता है , भूकम्प केन्द्र कहलाता है जबकि भूपटल पर वे केन्द्र जहाँ भूकंप के तरंग का सर्वप्रथम अनुभव होता है , अधिकेन्द्र कहलाता है ।
प्रश्न 2. भूकंपीय तरंगों से आप क्या समझते हैं ? प्रमुख भूकंपीय तरंगों के नाम लिखिए ।
उत्तर – भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न प्रकार के कंपन को भूकंपीय तरंग कहते हैं । भूकंपीय तरंगों का वेग भिन्न – भिन्न होता है । भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली तरंगें निम्न हैं –
( a ) प्राथमिक तरंग ( P ) ,
( b ) द्वितीयक तरंग ( S ) ,
( c ) दीर्घ तरंग ( L ) ।
3. भूकंप और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – ठोस घरातल पर होने वाली कंपन को भूकंप कहते हैं । भूकंप शब्द का प्रयोग भूपटल में उत्पन्न कम्पन्न के लिए करते हैं । सागरीय तली में उत्पन्न कंपन को सुनामी के नाम से जाना जाता है । भूकंप एवं सुनामी की ऊर्जा तरंग की गहनता का काम आप रिएक्टर स्केल के द्वारा किया जाता हैl
4. सुनामी से बचाव के कोई तीन उपाय बताइए । रिक्टर स्केल के द्वारा किया जाता है ।
उत्तर – सुनामी से बचाव हेतु तीन उपाय निम्न हैं
( a ) समुद्र तटीय क्षेत्रों के समीप मैंग्रोव वनस्पति को लगाने का कार्य किया जाना चाहिए ।
( b ) तटीय क्षेत्रों के समीप रहने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ।
( c ) समुद्र के नजदीक- कंक्रीट तटबंधों का निर्माण किया जाए ।
III . दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
1. भूकंप क्या है ? भारत को प्रमुख भूकंप क्षेत्रों में विभाजित करते हुए सभी क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण दीजिए ।
उत्तर – भारत के सभी भागों में भूकंप के झटके आते हैं लेकिन गहनता और बारंबारता में अंतर होता है । इसी गहनता तथा बारंबारता के अंतर पर भारत को 5 भूकंपीय पेटी में बाँटा गया है ।
( i ) जोन -1 : इस जोन में दक्षिणी पठारी क्षेत्र आते हैं जहाँ भूकंप का खतरा नहीं केबराबर होता है । की संभावना तो होती है लेकिन तीव्रता कम होने के कारण अति सीमित खतरे होते हैं ।
( ii ) जोन -2 : इसके अंतर्गत प्रायद्वीपीय भारत के तटीय मैदान के क्षेत्र आते हैं यहाँ भूकंप की संभावना तो होती है लेकिन तुम तीव्रता कम होने के कारण अति सीमित खतरे होते हैं
(iii) जोन – 3: इस जोन को मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं | जैसे बिहार में बीसवीं शताब्दी में करीब 20 बार भूकंप के तीव्र झटके अनुभव किए गए लेकिन सिर्फ 1934 का भूकंप ही विनाशकारी था , वर्ष 2008 ई . में भी भूकंप का झटका तो आया , किन्तु कम गहनता के होने के कारण बहुत कम लोगों ने अनुभव भी नहीं किया ।
( iv ) जोन -4 : इसमें अधिक खतरे की संभावना होती है । इसमें मुख्यत : शिवालीक हिमालय का क्षेत्र , पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग , असम घाटी तथा पूर्वोत्तर भारत का क्षेत्र आता है । इसी वर्ग में अंडमान – निकोबार द्वीप समूह भी आते हैं ।
( v ) जोन -5 : यह सर्वाधिक खतरे का क्षेत्र होता है । इसके अंतर्गत गुजरात का कच्छ प्रदेश जम्मू – कश्मीर , हिमाचल प्रदेश , उत्तराखंड का कुमाऊँ पर्वतीय क्षेत्र , सिक्किम तथा दार्जिलिंग का पहाड़ी क्षेत्र आता है । भारत के इस प्रदेश में कई विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं ।
2. सुनामी से आप क्या समझते हैं ? सुनामी से बचाव के उपायों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – हमलोग ठोस भूपटल पर रहते हैं लेकिन इसके अंदर का तापमान 1000 ° से . से भी अधिक है । यहाँ उत्पन्न ऊर्जा तरंग की लहरें चट्टानों में कंपन उत्पन्न करती हैं । इस कंपनी का केन्द्र जब स्थल खंड पर होता है उसे भूकम्प होता है , लेकिन जब महासागर की तली पर होता है तब वह सुनामी के नाम से जाना जाता है ।
सुनामी से बचाव के उपाय – सुनामी का विनाशकारी प्रभाव तटीय प्रदेशों में देखने को मिलता है । तट के किनारे कई मीटर की ऊँचाई तथा उठनेवाले तरंग तट के कनारे मछली पकड़ने वाले नाव , मोटरवोट और तट के किनारे बसी कस्तियों को बर्बाद कर सकते हैं । भूकंपीय तरंगों के समान ही सुनामी के पूर्व कम्पन्न और अनुकंपन आते हैं । सुनामी के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के लिए कंक्रीट तटबंध बनाने चाहिए । इसके तट से टकराने वाले सुनामी तरंगों का तटीय मैदान पर प्रभाव कम होगा । तटबंध के किनारे ही मैंग्रोव जैसी वनस्पित को सघन रूप से लगाना चाहिए । इससे टकराने वाले तरंगों की गति कम हो जाएगी और वे तटबंध पर कम दबाव उत्पन्न करेंगे । इसके अलावा लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए कि सुनामी की सूचना मिलते ही या तो सभुप्त की तरफ या स्थलखंड की तरफ भागना चाहिए ।
3. भूकंप एवं सुनामी के विनाशकारी प्रभाव से बचने के उपायों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – भूकप से बचने के उपाय-
( i ) भूकंप का पूर्वानुमान पूर्व तरंग और अनुकम्पन तरंगों को भूकंप लेखी यंत्र पर ठीक से मापन किया जाए तो तरंगों की प्रवृत्ति के आधार पर संभावित बड़े भूकंप का पूर्वानुमान किया जा सकता है ।
( ii ) भवन निर्माण- भूकंप के विनाश को ध्यान में रखते हुए भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप विरोधी तकनीक के आधार पर बनने वाले भवनों के लिए विशेष पैकेज सहायता प्रदान करनी चाहिए ।
( iii ) जान माल की सुरक्षा भूकंप का सीधा प्रभाव जान – माल पर पड़ता है । अतः जान – माल की सुरक्षा हेतु विशेष सुरक्षा बल की आवश्यकता है ।
( iv ) प्रशासनिक कार्य भूकंप की बर्बादी को रोकने के लिए प्रशासन , आधुनिक मीडिया . पुलिस तथा जिला प्रशासन सबों की सर्तकता अति आवश्यक है । यद्यपि केन्द्र तथा राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन समितियों का गठन किया है लेकिन उनकी भागीदारी को अधिक सक्रिय करने की जरूरत है ।
( v ) गैर – सरकारी संगठनों का सहयोग – किसी भी प्रकार की आपदा में स्वयंसेवी संस्थाएँ , विद्यालय और आम लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं । ये भूकंप निरोधी भवन निर्माण तथा तत्काल समय बचाव हेतु लोगों को भी प्रशिक्षित कर सकते हैं ।